भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस.एन सेन बी.वी.पी.जी. कॉलेज सभागार में महाविद्यालय की placement cell तथा counselling cell के द्वारा “The Art of Success” विषय पर 23 सितंबर को counselling seminar आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ आज के मुख्य वक्ता शुभिक्षा संस्थान की निदेशिका दीक्षा तिवारी, संस्थापक शुभेन्द्र मिश्रा, रोज़गार प्रकोष्ठ प्रभारी प्रोफेसर गार्गी यादव, परामर्श कोष्ठ प्रभारी डॉ. मोनिका सहाय, तथा महाविद्यालय की मुख्य अनुशासिका कैप्टन ममता ने दीप प्रज्वलन व सरस्वती मां के समक्ष माल्यार्पण से किया। अतिथियों का स्वागत तथा आभार स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया गया। दीक्षा तिवारी ने छात्राओं को संवाद कौशल, शिक्षण कौशल, व्यक्तित्त्व विकास आदि का महत्त्व बताते हुए उन्हें सफलता के लिए आवश्यक तत्व बताया। शुभेन्द्र मिश्रा ने संस्थान में संचालित जीएसटी, कंप्यूटर आदि से संबंधित विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से छात्राओं को अवगत कराया। छात्राओं की रोज़गार संबंधित सभी जिज्ञासाओं का समाधान सेमिनार में किया गया। कार्यक्रम के अंत में प्रो. गार्गी यादव ने कार्यक्रम की सफलता हेतु सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया| कार्यक्रम मे समिति के सदस्यों प्रो. निशा वर्मा, डॉ. कोमल सरोज, डॉ. मनीषा दीवान, डॉ. अनामिका, प्रीति यादव एवं श्वेता रानी ने सक्रिय योगदान दिया।
देश प्रदेश
कनपुर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज महाविद्यालय में पिछले एक सप्ताह से चल रहे मंच कला वह फिल्म अभिनय का सफलतापूर्वक समापन प्राचार्य जोसेफ डेनियल के दिशा निर्देशन में किया गया। सांस्कृतिक समिति द्वारा आयोजित की गई यह कार्यशाला संयोजक डॉ.संजय सक्सेना और सहसंयोजक प्रो.मीत कमल द्वारा की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संगीत नाटक पुरस्कार विजेता नाटक और संवाद लेखक विभांशु वैभव के नेतृत्व में यह एक सप्ताह की कार्यशाला की गई। इस कार्यशाला में महाविद्यालय के 40 से अधिक बच्चों ने प्रतिभाग किया कार्यशाला के सप्ताह में वैभव ने मंच कला में अभिनय के इतिहास के बारे में बच्चों को बताया एवं इसकी उत्पत्ति कैसे हुई यह बताया, ध्यान केंद्रित करने के तरीके बताएं ।एक छोटी सी मूवी – ए बॉय इन स्ट्रिप्ड पजामा के माध्यम से हमें ऑब्जर्वेशन के विषय में समझाया । वैभव ने विदोहम सिंफनी म्यूजिक में एक्ट भी कराया । सर ने कार्य दिया कि हमें अपने आसपास मौजूद किसी भी व्यक्ति को ध्यानपूर्वक ऑब्जर्व करना है ।उसे अगले दिन अपने एकल प्रस्तुति माध्यम द्वारा दिखाना है। कार्यशाला में एक्टर के लिए महत्वपूर्ण तत्वों पर बात की जैसे रिलैक्सेशन ,कंसंट्रेशन ऑब्जरवेशन ,बिलीव एंड इमोशन। सर ने अपनी रचित कविता भी लिखाई ।कार्यशाला में सभी प्रतिभागियों को चार समूह में विभाजित कर दिया एवं उनको समाज के कुछ ऐसे विषयों पर नाट्य प्रस्तुत करने का मौका दिया जैसे ड्रग्स, वृद्ध आश्रम, आतंकवादी हमले एवं एसिड अटैक इन्हीं कार्यक्रमों की फाइनल प्रस्तुति 22/09/2023 की कार्यक्रम द्वारा की गई। कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. जोसेफ डेनियल के मार्गदर्शन में किया गया मुख्य अतिथि संगीत नाटक अवार्ड विजेता विभांशु वैभव रहे ।इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विभांशु वैभव ने बताया कि बच्चे न सिर्फ जिस तरह से रंगमंच में भाग लेते हैं बल्कि उनकी बहुमुखी प्रतिभा का भी विकास होता है ।कार्यक्रम में सभी का स्वागत डॉक्टर संजय सक्सेना संयोजक सांस्कृतिक समिति द्वारा किया गया। उक्त कार्यक्रम का संचालन नागेंद्र प्रताप सिंह एवं कावेरी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में कॉलेज के प्राचार्य द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर प्रोत्साहित किया। गया कार्यक्रम का अंत प्रोफेसर मीत कमल सह संयोजक सांस्कृतिक समिति द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से किया गया । उक्त कार्यक्रम के अवसर पर महाविद्यालय के सभी शिक्षक गण एवं बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित रहे।
Read More »पत्रकारिता में विश्वास बहाल करना: नैतिक पत्रकारों की जिम्मेदारी!
सनसनीखेज और अनैतिक पत्रकारिता:
डिजिटल मीडिया और 24/7 समाचार चक्र के युग में, सनसनीखेज और क्लिकबेट रणनीति प्रचलित हो गई है। कुछ पत्रकार तथ्य-जाँच और गहन रिपोर्टिंग के बजाय आकर्षक सुर्खियाँ बनाने और दर्शकों को आकर्षित करने को प्राथमिकता देते हैं। यह दृष्टिकोण न केवल जनता को गुमराह करता है बल्कि समग्र रूप से पत्रकारिता में विश्वास को भी ख़त्म करता है।
अनैतिक प्रथाएँ, जैसे मनगढ़ंत कहानियाँ, पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग और भुगतान की गई सामग्री, समस्या को और बढ़ा देती हैं। ये कार्रवाइयां न केवल पत्रकारिता की अखंडता को कमजोर करती हैं बल्कि सूचना के भरोसेमंद स्रोत के रूप में कार्य करने की पत्रकारों की क्षमता को भी कम करती हैं।
पत्रकारों की भूमिका:
नैतिक पत्रकार सत्य और निष्पक्षता के संरक्षक होते हैं। उन्हें पत्रकारिता के मूल मूल्यों को बनाए रखने में आगे आना चाहिए और अपने साथियों के लिए रोल मॉडल के रूप में कार्य करना चाहिए। सटीक रिपोर्टिंग, संतुलित कवरेज और पेशेवर मानकों के पालन के लिए प्रतिबद्ध होकर, नैतिक पत्रकार खोए हुए विश्वास को फिर से बनाने में मदद कर सकते हैं।
- तथ्य-जांच और सत्यापन पर जोर देना:
नैतिक पत्रकार गति से अधिक सटीकता को प्राथमिकता देते हैं। उन्हें जनता तक जानकारी प्रसारित करने से पहले कई स्रोतों से जानकारी सत्यापित करनी होगी। तथ्य-जाँच न केवल पत्रकार की विश्वसनीयता की रक्षा करती है बल्कि दर्शकों को गलत सूचना से भी बचाती है।
- सनसनीखेज और क्लिकबेट से बचना:
जिम्मेदार पत्रकार सनसनीखेज और क्लिकबेट हेडलाइन के प्रलोभन का विरोध करते हैं। वे ठोस और सार्थक सामग्री प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो जनता की निष्पक्ष जानकारी की आवश्यकता को पूरा करती है।
- पारदर्शिता और जवाबदेही:
नैतिक पत्रकार अपने स्रोतों, कार्यप्रणाली और हितों के संभावित टकराव के बारे में पारदर्शी होते हैं। वे प्रतिक्रिया और सुधारों का स्वागत करते हैं, यह स्वीकार करते हुए कि कोई भी अचूक नहीं है।
- साथियों को जवाबदेह बनाना:
अपने स्तर की समस्या का समाधान करने के लिए, नैतिक पत्रकारों को अपने साथी पेशेवरों को जवाबदेह ठहराने से नहीं कतराना चाहिए। पत्रकारिता समुदाय के भीतर रचनात्मक आलोचना और चर्चाएं सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं और जिम्मेदार रिपोर्टिंग के महत्व को सुदृढ़ कर सकती हैं।
मीडिया संगठनों का महत्व:
मीडिया संगठन नैतिक पत्रकारिता की संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें सभी स्तरों पर पत्रकारिता की अखंडता को बढ़ावा देते हुए अपने कर्मचारियों के लिए सख्त आचार संहिता बनानी और लागू करनी चाहिए। न्यूज़रूम में विविधता को प्रोत्साहित करने से व्यापक परिप्रेक्ष्य और अधिक संतुलित रिपोर्टिंग हो सकती है।
आज पत्रकारिता के सामने आने वाली चुनौतियों के लिए इस पेशे की प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करने के लिए नैतिक पत्रकारों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। पारदर्शिता, सटीकता और निष्पक्ष रिपोर्टिंग को सक्रिय रूप से बढ़ावा देकर, वे जनता का विश्वास बहाल कर सकते हैं और सनसनीखेज और अनैतिक प्रथाओं के नकारात्मक प्रभाव का मुकाबला कर सकते हैं। इसके अलावा, मीडिया संगठनों को मजबूत आंतरिक जांच और संतुलन लागू करके नैतिक पत्रकारिता का समर्थन करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
अंततः, सत्य के समर्थक और सत्यनिष्ठा के संरक्षक बनने की जिम्मेदारी स्वयं पत्रकारों की है। केवल नैतिक पत्रकारिता के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता के माध्यम से ही यह पेशा लोकतंत्र की आधारशिला और जनता के लिए विश्वसनीय जानकारी के अमूल्य स्रोत के रूप में अपना दर्जा फिर से हासिल कर सकता है।
और अब सनातन पर राजनीति- डॉ.दीपकुमार शुक्ल (स्वतन्त्र टिप्पणीकार)
बीते सप्ताह इन्दौर के एक मन्दिर की सीढ़ी पर एक हिन्दू संगठन द्वारा तमिलनाडु के मन्त्री उदयनिधि स्टालिन की फोटो लगा दी गयी| मन्दिर में आने-जाने वाले श्रद्धालु इस फोटो पर पैर रखकर उदयनिधि के उस बयान का विरोध जता रहे थे, जिसमें उन्होंने सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया और कोरोना से करते हुए इसे मिटाने की बात कही थी| 6 सितम्बर को अपने मन्त्रियों के साथ बैठक करते हुए प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने भी उदयनिधि स्टालिन के उक्त बयान का सही तथ्यों के साथ विरोध करने का आह्वाहन किया था| उसके बाद 14 सितम्बर को उन्होंने स्वयं मध्य प्रदेश के बीना में एक सभा को सम्बोधित करते हुए सनातन धर्म की आलोचना करने वालों पर सार्वजनिक रूप से हल्ला बोला| बीजेपी के अलावा अनेक धर्मगुरु भी उदयनिधि के साथ-साथ विपक्षी पार्टियों के गठबन्धन इण्डिया को घेरने में लगे हुए हैं| क्योंकि उदयनिधि की पार्टी डीएमके इण्डिया गठबन्धन में शामिल है| इसके बाद से राजनीतिक विश्लेषक यह मानने लगे हैं कि 2024 के चुनाव का यह एक अहम मुद्दा बन सकता है| हालाकि कांग्रेस सहित गठबन्धन के अन्य सभी दल इसे उदयनिधि का व्यक्तिगत विचार बताते हुए स्वयं को इस मुद्दे से अलग करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं| इस बीच भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का आक्रामक रुख देखते हुए द्रमुक के अन्य नेताओं ने भी उदयनिधि के सुर में सुर मिलाकर और भी ज्यादा खतरनाक बयान दिये| किसी ने सनातन धर्म की तुलना एड्स से तो किसी ने खूंख्वार जानवरों से की| परन्तु बाद में द्रमुक के सर्वेसर्वा तमिलनाडु के मुख्यमन्त्री एमके स्टालिन ने अपने नेताओं को इस मुद्दे पर बोलने से रोक दिया| क्योंकि उन्हें समझ में आने लगा था कि भाजपा इसका पूरा-पूरा फायदा ले रही है| लेकिन भाजपा और उसके सहयोगी दल चुनाव तक हर हाल में द्रमुक नेताओं के सनातन विरोधी बयान को ताजा और महत्वपूर्ण बनाये रखना चाहते हैं|
गौरतलब है कि डीएमके मुखिया एवं तमिलनाडु के मुख्य मन्त्री एमके स्टालिन के पुत्र तथा प्रदेश सरकार के मन्त्री उदयनिधि स्टालिन ने अपने एक वक्तव्य में कहा था कि ‘सनातन का बस विरोध नहीं किया जाना चाहिए, इसे समाप्त ही कर देना चाहिए| यह धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है| हम डेंगू, मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते, हमें इसे मिटाना है| इसी तरह हमें सनातन को भी मिटाना है|’ इसके बाद प्रधानमन्त्री सहित बीजेपी नेताओं और धर्म गुरुओं ने द्रमुक तथा विपक्षी गठ्बन्धन इण्डिया पर चौतरफा हमला बोल दिया| तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन को शुरू में यह लगा कि वह अपने बेटे को सनातन विरोधी साबित करके तमिल राजनीति में मजबूती से स्थापित कर लेंगे| अतः उनकी सह पर द्रमुक के अन्य सभी नेता भी बाबले हो गये और सनातन धर्म पर अनाप-शनाप बयानबाजी करने लगे| लेकिन जल्द ही द्रमुक मुखिया को अपना कदम उल्टा पड़ता नजर आया और अब वह इस विषय से दूर होते नजर आ रहे हैं| इण्डिया गठबन्धन के कई घटक दलों ने भी उदयनिधि के बयान की निन्दा की है| आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने कहा कि ‘मैं सनातन धर्म से हूँ, मैं ऐसे बयानों की निन्दा और विरोध करता हूँ| किसी को भी इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए| इस तरह की धर्म विरोधी टिप्पणी से हर किसी को बचना चाहिए|’ शिवसेना ने भी इसकी कड़ी निन्दा की| कांग्रेस के अन्दर इस बयान को लेकर दो तरह के विचार चल रहे हैं| आम आदमी पार्टी और शिव सेना के सख्त रूख के बाद से इण्डिया गठबन्धन में सनातन विरोधी मुद्दा अब कमजोर भले ही पड़ रहा हो लेकिन बीजेपी लगातार विपक्षी गठबन्धन पर हमलावर बनी हुई है| प्रधानमन्त्री मोदी ने कहा है कि ‘देश के कोने कोने में हर सनातनी को, इस देश को प्यार करने वाले को, इस देश की मिटटी को प्यार करने वाले को, इस देश के कोटि-कोटि जनों को प्यार करने वालों को, हर किसी को सतर्क रहने की जरुरत है| सनातन को मिटाकर ये देश को फिर एक हजार साल की गुलामी में धकेलना चाहते हैं|’ मध्य प्रदेश के मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘इण्डिया गठबन्धन सनातन को खत्म करने की कोशिश कर रहा है|’ वहीँ गृहमन्त्री अमित शाह का कथन है कि ‘वोटबैंक और तुष्टीकरण की राजनीति करने के लिए सनातन धर्म को समाप्त करने की बात की जा रही है|’ योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि ‘जो सनातन को गाली दे रहे हैं उन सबका 2024 में मोक्ष होने वाला है|’ कांग्रेसी नेता कमलनाथ ने अपना पक्ष रखते हुए स्पष्ट किया कि ‘हमारा देश सनातन धर्म का है, कोई कुछ भी कहे, डीएमके वाला कुछ कहे मैं उस चक्कर में नहीं हूँ|’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमन्त्री ममता बनर्जी ने इण्डिया गठबन्धन को नसीहत देते हुए कहा कि ‘मेरी सभी लोगों से प्रार्थना है कि ऐसा कुछ भी न कहें जिससे किसी की आस्था को चोट पहुँचे|’ आप नेता संजय सिंह ने कहा कि ‘उद्ययनिधि ने सनातन धर्म को लेकर जो बयान दिया है उससे हम लोग सहमत नहीं हैं|’ समाजवादी पार्टी के सांसद जावेद अली खान ने भाजपा पर आरोप जड़ते हुए कहा कि ‘भारतीय जनता पार्टी को साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के अलावा कोई काम नहीं आता है, उसमें वह माहिर हैं| लेकिन उनके कारनामों को देश की जनता पहचान चुकी है|’
सनातन के नाम पर अचानक मचे इस बवाल से देश के आम जन का चौकना स्वाभाविक है| क्योंकि नई पीढ़ी के लिए यह एक नया शब्द है, जिसे सम्प्रदाय या पन्थ के रूप में प्रतिष्ठित करके साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने की पुरजोर कोशिश हो रही है| अतः सनातन के अर्थ को समझना अति आवश्यक है| वस्तुतः सनातन का मूल अर्थ है: शाश्वत, सत्य, नित्य, प्राचीन, कभी नष्ट न होने वाला, जिसके प्रारम्भ का ज्ञान न हो तथा सदा रहने वाला|
मनुस्मृतिः के प्रथम अध्याय के श्लोक संख्या 7 में सनातन शब्द का उपयोग नित्य अर्थात सदैव के अर्थ में किया गया है| ‘योЅसावतीन्द्रियग्राह्यः सूक्ष्मोЅव्यक्तः सनातनः| सर्वभूतमेयोЅचिन्त्यः स एव स्वयमुद्वभौ|| अर्थात जो यह परमात्मा इन्द्रियों से ग्रहण नहीं किया जा सकता, शरीर रहित, सूक्ष्म रूप, नित्य, सब प्राणियों की आत्मा और चिन्तन करने के योग्य नहीं है, वह अपने आप प्रकट हुआ है|’ इसी अध्याय के श्लोक संख्या 23 में वेदों के लिए सनातन शब्द का प्रयोग हुआ है: ‘अग्निवायुरविभ्यस्तु त्रयं ब्रह्म सनातनम्| दुदोह यज्ञसिद्ध्यर्थमृग्यजुःसामलक्षणम्|| अर्थात ब्रह्मा ने यज्ञ की सिद्धि के लिए ऋक्, यजु और साम इन सनातन वेदों को अग्नि, पवन और सूर्य से क्रमशः प्रकट किया|’ श्रीमद्भगवतगीता के श्लोक संख्या 20 में शाश्वत को सनातन के अर्थ में तथा 23 में सनातन को शाश्वत के अर्थ में प्रस्तुत किया गया है: ‘न जायते म्रियते वा कदाचित्रायं भूत्वा भविता वा न भूयः| अजो नित्यः शाश्वतोЅयं पुराणोन हन्यते हन्यमाने शरीरे|| अर्थात यह आत्मा किसी काल में भी न तो जन्मता है और न मरता ही है तथा न यह उत्पन्न होकर फिर होने वाला ही है; क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है; शरीर के मारे जाने पर भी यह नहीं मारा जाता|’ श्लोक संख्या 23 में कहा गया है ‘अच्छेद्योЅयमदाह्योЅयमक्लेद्योЅशोष्य एव च| नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः|| अर्थात यह आत्मा अच्छेद्य(जो छेदा न जा सके), अदाह्य (जो जलाया न जा सके), अक्लेद्य(जो गीला न किया जा सके) और अशोष्य(जो सुखाया न जा सके) है तथा यह आत्मा नित्य, सर्वव्यापी, अचल, स्थिर रहने वाला और सनातन है|’ गरुड़ पुराण के प्रथम खण्ड के अध्याय पचास के श्लोक संख्या 28 में सूर्यदेव की स्तुति करते हुए उन्हें सनातन कहा गया है ‘त्वमेव ब्रह्म परमापोज्योतिरसोsЅमृतम्| भूर्भुवःस्वस्त्वमोंकरः सर्वो रुद्रः सनातनः|| अर्थात आप ही परम ब्रह्म, आप ही ज्योति रस और अमृत हैं| आप ही भूर्भुवः स्वः मन्त्र रुप हैं, आप ओंकार रूप एकादश रूद्र तथा सनातन हैं|’ गरुड़ पुराण के प्रथम खण्ड के ही अध्याय 205 के श्लोक संख्या 4 एवं 5 में सनातन शब्द का प्रयोग करते हुए धर्म को कुछ इस तरह परिभाषित किया गया है| ‘श्रुत्युक्तः परमो धर्मः स्मृतिशास्त्रगतोЅपरः| शिष्टाचारेण शिष्टानां त्रयो धर्म सनातनः|| सत्यं दानं दया लोभो विद्येज्या पूजनं दमः| अष्टौ तानि पवित्राणि शिष्टाचारस्य लक्षणम्|| अर्थात श्रुति युक्त धर्म तथा स्मृति में कहा कर्म ही परम धर्म है| शिष्टचार भी उत्तम धर्म है| ये तीनों ही धर्म सनातन हैं| सत्य, दान, दया, अलोभ, विद्या, यज्ञ, पूजा, तथा दम (इन्द्रिय दमन) ये आठ पवित्र शिष्टाचार के लक्षण हैं|’ इसी अध्याय के श्लोक संख्या 7, 8, 9 एवं 10 में धर्म के लक्षण बताते हुए अध्ययन, दान तथा शास्त्र सम्मत आचरणों को सनातन बताते हुए धर्म के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है: ‘निवासमुख्या वर्णानां धर्माचाराः प्रकीर्त्तितः| सत्यं यज्ञस्तपो दानमेतद्धर्मस्य लक्षणम्|| अदत्तस्यानुपादानं दानमध्ययनं तपः| विद्या वित्तं तपः शौर्य्यं कुले जन्म त्वरोगिता|| संसारोच्छित्तिहेतुश्च धर्मादेव प्रवर्त्तते| धर्मात् सुखञ्च ज्ञानञ्च ज्ञानान्मोक्षोЅधिगम्यते|| इज्याध्ययनदानानि यथाशास्त्रं सनातनः| ब्रह्मक्षत्रियवैश्यानां सामान्यो धर्म उच्यते|| अर्थात निवास मुख्य (आश्रम अवस्था) कतिपय धर्माचरण के रूप में विख्यात है| सत्य, यज्ञ, तप, दान धर्म के लक्षण हैं| अदत्त द्रव्य का अनुपादान (न देने योग्य वस्तु के प्रति आसक्ति न होना), दान, अध्ययन, तप, अहिंसा, सत्य, अक्रोध, यज्ञ ये सभी धर्म के लक्षण हैं| विद्या, वित्त, तपःप्रभाव, सतकुल जन्म, आरोग्य, संसार बन्धन से मुक्ति के लिए अर्थात इन सबको पाने के लिए धर्म में लगना उचित है| धर्म से ही सुख तथा ज्ञान प्राप्त होता है| ज्ञान से ही मोक्ष मिलता है| अतः शास्त्र के अनुसार किया गया यज्ञ, अध्ययन तथा दान आदि धर्म सनातन हैं| ये यज्ञादि ही मनुष्य मात्र के लिए सामान्य धर्म बताये गये हैं|
उपरोक्त से स्पष्ट होता है कि सनातन शब्द कोई सम्प्रदाय, पन्थ या रिलीजन का नाम नहीं है| बल्कि भारतीय संस्कृति के शाश्वत या प्राचीन स्वरुप को प्रतिष्ठित करने का माध्यम भर है| भारतीय संस्कृति किसी एक प्रवर्तक द्वारा स्थापित नहीं की गयी है| अपितु भारतीय उपमहाद्वीप में जन्में हजारों ऋषियों के ज्ञान, तपस्या तथा वर्षो बरस के अनुसन्धान से प्रस्फुटित हुई है| इसे किसी सम्प्रदाय या पन्थ की दृष्टि से देखना तथा डेंगू, मलेरिया और कोरोना की तरह नष्ट करने का विचार लाना अल्पज्ञता तथा मूर्खता के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है| विश्व भर के आपस में लड़ते-झगड़ते विभिन्न सम्प्रदाय एक साथ मिलकर भी इस संस्कृति का मुकाबला नहीं कर सकते| अल्पज्ञता के वशीभूत इन सम्प्रदायों से प्रभावित होकर जब हम इनकी दृष्टि से स्वयं को देखने का प्रयास करते हैं तो हमें भी एक वैसे ही नाम की आवश्यकता महसूस होती है| तब हम कभी हिन्दू तो कभी सनातनी बनकर स्वयं को संकीर्ण बनाने का प्रयास करते हैं| जबकि ये दोनों या ऐसा कोई भी शब्द भारतीय संस्कृति की व्यापकता का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है| हमारे पूर्वजों ने इसको जितना अधिक व्यापक बनाया उतना ही ग्राह्य भी बना दिया है| कोई भी व्यक्ति इसे आत्मसात करके मनुष्य से देवता तथा अवतारी पुरुष के रूप में प्रतिष्ठित हो सकता है| श्रीराम तथा श्रीकृष्ण सहित अनेक महापुरुष इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं|
Read More »नई पीढ़ी को सिखाएं नारी जगत का सम्मान करना तो वो चरित्रवान बनेगी: संजय वर्मा
इटावा, भारतीय स्वरूप संवाददाता। जीवन प्रतिपल कुछ न कुछ सीखने का अवसर लेकर आता है, ज्ञान प्राप्त करने के लिए वृक्ष की तरह झुकना सीखिए। ढूंढनी है मंजिल अगर, तो अपना रहनुमा खुद ही बन,जिन्होंने तलाशा सहारा, वे मझधार में ही रह गए। महोपाध्याय डॉक्टर विद्या कांत तिवारी जी के अभिनंदन समारोह में आ कर में खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं। इनका ज्ञान और सानिध्य जिसे मिल जाए उसका जीवन तो धन्य हो ही जायेगा।
यह उदगार एस एस पी संजय वर्मा ने श्शकर धर्मार्थ नेत्र चिकित्सालय में ख्याति लब्ध शिक्षाविद डॉक्टर विद्या कांत तिवारी को प्रयाग हिंदी साहित्य सम्मेलन में साहित्य महोपाध्याय की उपाधि से विभूषित किए जाने की कृतज्ञता स्वरूप आयोजित सार्वजनिक अभिनंदन समारोह में मुख्य अतिथि पद से व्यक्त किए।
सामाजिक सुधारक, आध्यात्मिक, शैक्षिक प्रोत्साहनकर्ता के रूप में उनके जोशीले अंदाज़ ने समा बांध दिया। धन पिपासु गुरु के त्याग को आवश्यक बताते हुए उनका कहना था कि सामने वाले के मूल्यांकन के बिना सही दिशा और सत्य सत्संग संभव नहीं है। ज्ञान हीन व्यक्ति के कुसंग से संस्कारों और व्यक्तित्व का क्षरण ही होगा जबकि ज्ञानवान का सत्संग आपको निखार देगा।। उनका कहना था कि नारी के धैर्य, त्याग, तपस्या जैसे सद्गुण अगर पुरुष में आ जाएं तो वह महात्मा बन जायेगा। नारी जगत का सम्मान नई पीढ़ी को सिखाए तो वे चरित्रवान बनेंगे। लड़कियां फेसबुक इंस्टाग्राम के फर्जी फोटो वालों के चक्कर में अपने जीवन को तबाह न करें और अपने परिजनों की सलाह का सम्मान करें तो ही कल्याण और प्रगति संभव है। अपने मां बाप का सम्मान न करने वाली नस्लें धिक्कारे जाने योग्य ही हैं।
उनका कहना था कि यही सत्य है कि जन्म से सभी शुद्र होते हैं,संस्कारों से ब्राह्मण बनना संभव होता है। गुरु जी के पास बैठ कर ज्ञानार्जन ही उपनिषद कहलाता है। ज्ञान की सीमाओं का परिमार्जन, शुद्धिकरण करने से गुणों के आधार पर व्यक्तित्व का निर्माण तभी संभव है जब श्रेष्ठ बनने की उत्कट इच्छाशक्ति हो।
आयोजन को अविस्मरणीय पवित्र बताते हुए उनका वक्ता भाव लगातार बोलते रहने को हिलोरे मारता रहा।तमाम निषेधों, नसीहतों पर विस्तार पूर्वक चर्चा में उनका कठोर प्रशासक का पुलिसिया स्वरूप भी उद्घाटित होता रहा।
अपने अविस्मरणीय सम्मान अविभूत डॉक्टर विद्या कांत तिवारी ने इटावा वासियों के स्नेह अतुलनीय सम्मान, सहयोग और अतिशय आदर भावना को अपने जीवन की अमूल्य पूंजी बताते हुए कहा कि इसे भुला पाना संभव नहीं है और कहा कि वे जब पचपन वर्ष पूर्व यहां आए तो कोई अपना नही था, यहां के विशालमना महानुभावों ने सहारा दिया और महाकवि तुलसी के शब्दों में बांह गहे की लाज रखी।
जिसके कारण ही अपने कर्तव्य पथ पर गुरु धर्म के निर्वाह में असीम आनंद भरपूर संतुष्टि और अकल्पनीय यश कीर्ति प्राप्त हो सकी। मेरे समर्पण भाव का मूल्यांकन करने वाले आप सब मनीषी जनों की महानता को प्रणाम करना ही धर्म है।सभी के प्रति आजन्म श्रेणी और कृतज्ञ रहने की योग्यता विकसित करने में सफल होऊ, यही आकांक्षा है। सेवा निवर्ति के पन्द्रह वर्ष बाद भी आप सब ने याद रखा,असीम आत्म बल प्रदान किया। यह आप सब की महानता का ही घोतक हैजिसे विस्मृत किया जाना प्रबुद्ध सम्मान के लिए संभव नहीं होगा।
एस एस पी की विदुषी सह धर्मिनी नीलम रॉय वर्मा ने आध्यात्मिक प्रवचन कर्ता की भूमिका से अति विशिष्ट श्रोताओं को मंत्रमुग्ध और आह्लादित कर दिया। भगवान राम, कृष्ण के प्रसंगों समेत दिनकर जी की कविता और हरिवंश राय बच्चन जी कविताओं से मन मोह लिया। महिलाओं से आत्मीयता प्रदर्शित कर वे उनके दिलों पर छा गईं। पति पत्नी ने तालियां बजा कर परस्पर खूब प्रोत्साहित किया। दौनो का विद्वता पूर्ण खिलंदड़ स्वभाव मनीषियों की सभा को खिलखिलाने को विवश करता रहा।
प्रसिद्ध कवि कमलेश शर्मा की राष्ट्र चर्चित कविताष्राम हुए हैं- कितने और प्रमाण देंष् से भावुक श्रोताओं ने उन पर खूब प्यार लुटाया। उनका कहना था कि साहित्यिक क्षेत्र का इतना विशाल व्यक्तित्व हम सबको इतने सहज और सरल भाव में उपलब्ध है यह हम सब का सौभाग्य ही है। उनका सम्मान हम सबका गौरव है, सम्मान प्रदाताओं के प्रति हम कृतज्ञ हैं।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे भारत विकास परिषद के पांचाल प्रांत अध्यक्ष डॉक्टर रमेश चंद्र शुक्ला (औरैया) का समीक्षात्मक उद्बोधन प्रेरणा दायक रहा। उनकी कविता और पुलिस कप्तान दंपत्ति पर टिप्पणी उत्साह वर्धक रही।मंचासीन प्रसिद्ध कहानीकार प्रो दिनेश पालीवाल अपने अनुजवत तिवारी जी के सम्मान पर आत्म विभोर नज़र आए।
समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन, माल्यार्पण, सम्मान, गणेश ज्ञानार्थी की गणेश वंदना, सुधीर मिश्र वा अपर्णा मिश्र की सरस्वती वंदना, वंदे मातरम गीत से हुआ। समापन अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर विभू दीक्षित के आभार प्रदर्शन के बाद राष्ट्र गान से हुआ। चौधरी चरण सिंह महा विद्यालय हेवरा के यशस्वी प्राचार्य डॉक्टर शैलेंद्र शर्मा का विशिष्ट संचालन प्रशंसित रहा। पत्रकार सुधीर मिश्र ने अतिथियों का परिचय कराया। इसी अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष विद्या कांत तिवारी और मंत्री राजेंद्र दीक्षित को जन्म दिन पर आत्मिक बधाई देते हुए माल्यार्पण किया गया।
इस अवसर पर प्राचार्य महेश चंद्र तिवारी ने अभिनंदन ग्रंथ का वाचन किया गया। वरिष्ठ नागरिक पेंशनर सेवा संस्थान के कौशल चतुर्वेदी, गोपाल कल्याण वृंद के नारायण किशोर बाजपेई, राधा माधव संकीर्तन के राकेश पाठक, भारत विकास परिषद धर्मार्थ सेवा शाखा के के के त्रिपाठी, प्राचार्य महेश तिवारी, चौधरी रघुराज सिंह स्मारक संस्थान की ममता चौधरी, निशा चौधरी, शंकर दयाल दीक्षित स्मारक संस्थान की ओर से श्री मती सर्वेश दीक्षित, उद्योग व्यापार मंडल के अनंत अग्रवाल एवम आर एस एस के विभाग सर कार्यवाह विनोद चंद्र पाण्डेय आदि तमाम विशिष्ट जनों ने सम्मान भेंट प्रदान की।
मेडिकल स्टोर संचालक पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप
महराजगंज रायबरेली, भारतीय स्वरूप संवाददाता कोतवाली क्षेत्र के अजीजगंज मजरे बावन बुजुर्ग बल्ला निवासी 7 वर्षीय मासूम को बुखार की शिकायत थी, परिजनों ने थूलवासां चौराहे पर मेडिकल स्टोर संचालक के पास दवा के लिए ले गए। परिजनों का आरोप है कि मेडिकल स्टोर संचालक वीरेन्द्र यादव द्वारा उनके बच्चे को गलत इंजेक्शन लगा दिया गया, जिससे मासूम की हालत बिगड़ने लगी आनन फानन में उसे जिला चिकित्सालय ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं मेडिकल स्टोर संचालक की लापरवाही से मासूम की जान चली गई। परिजनों द्वारा पूरी घटना की लिखित शिकायत कोतवाली पुलिस को दी गई और कार्यवाही की मांग की गई है। महराजगंज कोतवाली पुलिस जांच कर कार्यवाही करने की बात कर रही है।
गौरतलब हो कि जनपद का स्वास्थ्य विभाग झोलाछाप, अवैध हॉस्पिटल को लगातार बढ़ावा दे रहा है। जांच के नाम पर सिर्फ नोटिस थमा दी जाती है और फिर सबकुछ पहले जैसा ही चलता है। अधिकांश मेडिकल स्टोर की आड़ में संचालक इंजेक्शन लगाते हुए और इलाज करते दिखते हैं। ऐसे ही अमावां व महराजगंज क्षेत्र में अवैध हॉस्पिटल व झोलाछाप डाक्टरों की भरमार है और लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे है और जिम्मेदार अधिकारी यह सब होते हुए देखकर तमाशा देख रहे है।
ग्रामीणों को करना पड़ा अनशन, 75 वर्षों से गांव में नहीं पहुंची पक्की सड़क
विकासखंड क्षेत्र स्थित हुसैनगंज मजरे पाराखुर्द से पुरासी वाया मोहनगंज व सुखलिया को जोड़ने वाले मार्ग का निर्माण आजादी से अब तक नहीं किया गया। करीब तीन किलोमीटर इस कच्चे रास्ते की नपाई तो पीडब्लूडी विभाग द्वारा कई बार कराई गई किन्तु नतीजा कागजों तक ही सीमित रहा।
मामले में उपजिलाधिकारी राजित राम गुप्ता के निर्देशन में धरना स्थल पर पहुंचे तहसीलदार ज्ञान प्रताप ने अनशन पर बैठे ग्रामीणों से एक सप्ताह का समय मांगा है। वहीं अनशन पर बैठे ग्रामीण ज़िम्मेदार विभाग और उसके अधिकारियों के आने तक अनशन जारी रखने पर अड़े रहे। धरने के दूसरे दिन मंगलवार को भी हुसैनगंज चौराहे पर जनसमस्या को लेकर शुरू किए गए अनशन में सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण व क्षेत्रीय जन मौजूद रहे। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि तहसीलदार के द्वारा एक सप्ताह का समय मांगा गया है, उनके द्वारा आश्वासन मिलने पर जारी अनशन को रोक दिया गया, परंतु तय समय पर विभागीय अधिकारियों द्वारा सड़क निर्माण का कार्य नहीं शुरू कराया गया तो ग्रामीण पुनः अनशन करने पर विवश होंगे। गौरतलब यह है कि राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह द्वारा रायबरेली जिले के विभिन्न क्षेत्रों में ष्सेवा ही संकल्पष् पर आधारित पदयात्रा लगातार की जा रही है। इस दरमियान मंत्री ग्रामीणों से बात करते हैं, उनकी समस्याओं को सुनते हैं और प्रार्थना पत्र भी लेते हैं, जिस पर वह अधिकारियों के साथ बैठक करके समस्याओं का निस्तारण करने का आश्वासन भी देते हैं लेकिन क्या यह सब राजनीतिक फायदे के लिए हो रहा है या फिर जमीनी स्तर पर आम जनमानस की समस्याओं को जानने और हल करने का एक सही रास्ता है। यह तो तभी साफ होगा जब कुछ स्थितियां बदलेंगी, नए निर्माण होंगे और कुछ सुधार होगा। ग्रामीणों द्वारा मंत्री को दिए गए पत्रों का सही तरीके से निस्तारण होगा।
उल्लेखनीय है कि राज्यमंत्री जिलेभर में एक तरफ पदयात्रा कर रहे हैं और दूसरी तरफ महाराजगंज क्षेत्र के ग्रामीण कई दिनों से पक्की सड़क निर्माण के लिए अनशन पर बैठे रहे। हालांकि महराजगंज तहसीलदार ज्ञान प्रताप ग्रामीणों से एक हफ्ते का समय मांग कर ग्रामीणों को राजी तो कर लिया है,ग्रामीण अनशन छोड़ भी चुके हैं, लेकिन क्या हकीकत में ग्रामीणों की समस्या अब दूर हो जाएगी या फिर जैसा पिछले 75 वर्षों से चलता आया है, वैसा आगे भी चलता रहेगा और ग्रामीण पक्की सड़क के लिए भटकते रहेंगे। फिलहाल मंत्री की पदयात्रा की सफलता तो तब है कि जब वह इस तरह के अनशन में पहुंचकर ग्रामीणों की समस्या को सुने। उन्हें दिलाशा दें और उनका निस्तारण कराएं। जिससे कि उन्हें अपनी समस्या के लिए अनशन करने की बजाय सिर्फ अधिकारियों और मंत्री से गुहार लगाते ही समस्याओं का हल मिल जाए।
देश भर में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के पूर्ण कवरेज के लिए आयुष्मान भव अभियान जारी
आयुष्मान भव अभियान के तहत 17 सितंबर 2023 से 30,000 से अधिक आयुष्मान मेले का आयोजन किया गया, जिनमें 19 सितंबर, 2023 तक 2.5 लाख से अधिक मरीज आए। नीचे 17 सितंबर 2023 से संकेतकों और आयुष्मान मेलों के लाभार्थियों की एक व्यापक सूची है:
नीचे दी गई तालिकाएँ आयुष्मान भव के तहत आयुष्मान मेलों की उपलब्धियों पर प्रकाश डालती हैं:
आयुष्मान भव अभियान के तहत, पिछले 3 दिनों में ही 2.5 लाख से अधिक आभा पहचान पत्र बनाए गए। इस दौरान 10 लाख से अधिक लोगों को मुफ्त दवाएं दी गईं और 8 लाख से अधिक लोगों को मुफ्त निदान सेवाएं प्राप्त हुई हैं। सेवा पखवाड़ा का उद्देश्य आयुष्मान कार्ड वितरित करना, आभा पहचान पत्र बनाना और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य योजनाओं तथा तपेदिक (निक्षय मित्र), सिकल सेल रोग जैसे गैर-संचारी रोगों के साथ ही रक्त दान और अंग दान अभियानों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
सेवा पखवाड़ा के तहत प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेने के लिए नागरिकों को अपने निकटतम स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों पर जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
क्र.सं. | संकेतक | 17 सितंबर से संचयी रिपोर्ट |
1 | कुल स्वास्थ्य मेला | 2,271 |
2 | पंजीकृत मरीजों की संख्या | 2,64,042 |
क्र.सं. | संकेतक | 17 सितंबर से लाभ प्राप्त करने वाले लोगों की कुल संख्या |
1 | सामान्य ओपीडी से परामर्श लेने वाले मरीजों की संख्या | 1,98,835 |
2 | विशेषज्ञ ओपीडी से परामर्श लेने वाले मरीजों की संख्या | 80,601 |
3 | बड़ी सर्जरी | 870 |
4 | छोटी-मोटी सर्जरी | 2,376 |
5 | उच्च रक्तचाप का निदान | 27,067 |
6 | मधुमेह का निदान | 23,594 |
7 | मुँह के कैंसर की जाँच/निदान | 3,597 |
8 | स्तन कैंसर की जांच/निदान | 2,089 |
9 | सर्वाइकल कैंसर की जांच/निदान | 1,602 |
10 | मोतियाबिंद का निदान | 4,884 |
11 | आरसीएच सेवाओं का लाभ | 23,191 |
12 | प्रयोगशाला परीक्षण | 1,03,212 |
13 | रेफर मामला | 5,519 |
जुलाई, 2023 के महीने में 19.88 लाख नए श्रमिकों ने ईएसआई योजना के तहत नामांकन किया
जुलाई, 2023 के महीने में लगभग 27,870 नए प्रतिष्ठानों का पंजीयन किया गया है और इन्हें कर्मचारी राज्य बीमा निगम की सामाजिक सुरक्षा के आंतर्गत लाया गया है, इससे इनका और ज्यादा कवरेज सुनिश्चित हुआ है।
इन आकड़ो से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि देश के युवाओं के लिए अधिक नौकरियाँ पैदा हुई हैं, क्योंकि जुलाई महीने के दौरान जोड़े गए कुल 19.88 लाख कर्मचारियों में से 25 वर्ष की आयु वर्ग तक के 9.54 लाख कर्मचारी नए पंजीकरणों में सबसे ज्यादा हैं और यह कुल कर्मचारियों का 47.9 प्रतिशत है।
पेरोल आकड़े के लिंग-वार विश्लेषण से पता चलता है कि जुलाई, 2023 में महिला सदस्यों का शुद्ध नामांकन 3.82 लाख रहा है। ये आकड़े दिखाते हैं कि जुलाई, 2023 के महीने में कुल 52 ट्रांसजेंडर कर्मचारियों ने भी ईएसआई योजना के तहत पंजीकरण कराया है। यह इस बात को दर्शाता है कि ईएसआईसी इसका लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
पेरोल आकड़ा अनंतिम है, क्योंकि आकड़ा सृजन एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
एस.एन सेन बी.वी.पी.जी. कॉलेज में placement cell द्वारा “सिविल परीक्षा हेतु आवश्यक रणनीति, चुनौती एवं मार्गदर्शन” विषय पर सेमिनार आयोजित
कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता एस.एन सेन बी.वी.पी.जी. कॉलेज सभागार में महाविद्यालय की placement cell के द्वारा “सिविल परीक्षा हेतु आवश्यक रणनीति, चुनौती एवं मार्गदर्शन” विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ आज के मुख्य वक्ता IQRA- IAS संस्थान के इरशाद, सत्येंद्र तथा महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर सुमन ने दीप प्रज्वलन व सरस्वती मां के माल्यार्पण से किया। अतिथियों का स्वागत तथा आभार स्मृति चिन्ह के रूप में पौधा प्रदान कर किया गया। इरशाद ने छात्रों को सिविल सर्विसेज की तैयारी के टिप्स दिए तथा दृढ़ इच्छाशक्ति, पूर्ण समर्पण और कठोर परिश्रम को सफलता के लिए आवश्यक बताया| छात्राओं के सर्विसेस से संबंधित सभी प्रश्नों के उत्तर सेमिनार मे विशेषज्ञों द्वारा दिए गए।
कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम संयोजिका तथा संचालिका प्रोफेसर गार्गी यादव ने कार्यक्रम की सफलता हेतु सभी को धन्यवाद दिया। मुख्य वक्ताओं ने कहा कि यदि कोई छात्रा उनसे कोचिंग लेना चाहती हैं तो वे पहले फ्री डेमो देंगे एवं सेन कॉलेज की छात्राओं को विशेष छूट भी दी जाएगी| कार्यक्रम मे प्रोफेसर निशा वर्मा, डॉ. मोनिका सहाय,डॉ प्रीति सिंह डॉ. कोमल सरोज, डॉ. मनीषा दीवान,डॉ. अनामिका एवं सुश्री श्वेता रानी ने सक्रिय योगदान दिया।
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