कानपुर 2 अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता एस .एन. सेन बालिका विद्यालय पीजी कॉलेज ,कानपुर में अर्थशास्त्र विभाग द्वारा संघीय बजट 2024- 25 पर एक वाद- विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि एवं महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर सुमन,विशिष्ट अतिथि डॉ रामकृपाल,निर्णायक सदस्य डॉक्टर किरण, प्रोफेसर मीनाक्षी व्यास तथा विभाग के सदस्यों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया । छात्राओं ने संघीय बजट 2024- 25 पर पक्ष- विपक्ष में अपने-अपने विचार प्रस्तुत किया। प्राचार्य जी, निर्णायक सदस्यों के द्वारा भी बजट के विभिन्न पहलुओं पर अपना विचार प्रस्तुत किया गया।विशिष्ट अतिथि ने बजट के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बताया।कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर रोली मिश्रा तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर निशा वर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रोफेसर प्रोफेसर गार्गी यादव ,डॉक्टर प्रीति सिंह , डॉ प्रीति पांडे, डॉ रचना निगम,प्रीति यादव, डॉ श्वेता डॉक्टर , प्रीता अवस्थी एवं डॉक्टर कीर्ति अवस्थी आदि उपस्थित रहे।
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महिलाओं के लिए हैं विशेष रूप से 33 में से 19 राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान
सीआईटीएस के तहत स्वीकृत सीटों में से 50.45% महिला प्रशिक्षु थीं जबकि एनएसटीआई में सीटीएस प्रशिक्षण के तहत 84% प्रशिक्षु महिलाएं थीं।
महिला पाठ्यक्रमों में भागीदारी को और बढ़ाने के लिए, सभी लड़की उम्मीदवारों के लिए ट्यूशन और परीक्षा शुल्क माफ कर दिया गया है और सामान्य एनएसटीआई में प्रवेश के लिए सामान्य ट्रेडों में महिलाओं के लिए 30% सीटें आरक्षित हैं।
यह जानकारी कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयंत चौधरी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे
संशोधित निर्धारित समापन तिथि अक्टूबर, 2025 है।
यह कॉरिडोर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के प्रमुख आर्थिक केंद्रों को कनेक्टिविटी प्रदान करता है। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के अनुसार, दिल्ली से जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (जेएनपीटी) की दूरी में लगभग 180 किलोमीटर की कमी और जुड़े हुए गंतव्यों तक यात्रा के समय में 50 प्रतिशत तक की कमी शामिल है।
यह जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।
महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए महिला उद्यमिता कार्यक्रम शुरू किया गया
इस पहल का उद्देश्य महिलाओं को महत्वपूर्ण कौशल, ज्ञान और नेटवर्किंग के अवसर प्रदान करके उद्यमिता में आने वाली चुनौतियों से निपटना है। इस कार्यक्रम की शुरुआत स्किल इंडिया डिजिटल हब (एसआईडीएच) पर कई भाषाओं में उपलब्ध मानार्थ स्व-शिक्षण बुनियादी उद्यमिता पाठ्यक्रमों की शुरुआत के साथ की गई है। इन पाठ्यक्रमों को पूरा करने पर, प्रतिभागियों को एनएसडीसी, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज और एनआईईएसबीयूडी से एक सह-ब्रांडेड प्रमाणपत्र प्राप्त होगा, जिसमें उनके उद्यमशीलता कौशल और दक्षताओं को मान्यता दी जाएगी। इस पहल का उद्देश्य भारत भर में लगभग 25 लाख महिलाओं को सशक्त बनाना है, उन्हें सफल व्यवसाय शुरू करने और विकसित करने के लिए आवश्यक कौशल, ज्ञान और संसाधन प्रदान करना है। इस पहल का समापन एक भव्य समापन समारोह में होगा, जहां शीर्ष 50 प्रतियोगी अपने व्यावसायिक विचारों को एक प्रतिष्ठित जूरी के सामने प्रस्तुत करेंगे। नवाचार एवं उत्कृष्टता को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज 10 सबसे सफल प्रतियोगियों में से प्रत्येक को 10 लाख रुपये का वित्तीय अनुदान देगी।
इस भावना को दोहराते हुए एनएसडीसी के सीओओ (कार्यवाहक सीईओ) और एनएसडीसी इंटरनेशनल के एमडी श्री वेद मणि तिवारी ने कहा कि आज यह कार्यक्रम महिलाओं के नेतृत्व वाली उद्यमिता के बारे में है और महिला विकास के लिए प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप है। उन्होंने आगे कहा कि इसका सबसे महत्वपूर्ण घटक यह है कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठन मिलकर महिलाओं को उद्यमशीलता की महत्वाकांक्षा रखने के लिए कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ से लेकर लखपति दीदी तक, भारत ने महिला विकास के मामले में बहुत लंबी दूरी तय की है।
इस अवसर पर कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय में संयुक्त सचिव सुश्री सोनल मिश्रा और सुश्री हेना उस्मान तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। एनएसडीसी के साथ मिलकर काम करने की ब्रिटानिया की प्रेरणा के बारे में बोलते हुए ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के सीईओ और कार्यकारी निदेशक श्री रजनीत सिंह कोहली ने कहा कि ब्रिटानिया मैरी गोल्ड का विजन महिला उद्यमियों को एक साथ आगे बढ़ने में मदद करना है ताकि वे और अधिक कर सकें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के साथ समझौता ज्ञापन भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए एक बड़ा बदलाव है। भारत सरकार आवश्यक कौशल विकास के अवसरों, निःशुल्क स्व-शिक्षण पाठ्यक्रमों तक पहुंच और व्यापक इनक्यूबेशन समर्थन के माध्यम से महिला उद्यमियों को समर्थन देने के लिए समर्पित है। महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप, इस कार्यक्रम को व्यापक समर्थन और अधिकतम प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए कई चरणों में लागू किया जाएगा। दो चरणों में विभाजित, एनएसडीसी, राष्ट्रीय उद्यमिता और लघु व्यवसाय विकास संस्थान (एनआईईएसबीयूडी) के समर्थन से, स्किल इंडिया डिजिटल हब (एसआईडीएच) के माध्यम से मुफ्त ऑनलाइन स्व-शिक्षण उद्यमिता पाठ्यक्रम प्रदान करेगा। कई भाषाओं में उपलब्ध ये पाठ्यक्रम उद्यमशीलता कौशल, उद्यम सेटअप, वित्त की मूल बातें, डिजिटल कौशल और बाजार विश्लेषण जैसे महत्वपूर्ण विषयों को कवर करेंगे। अगले चरण में, एनएसडीसी 100 व्यावसायिक मॉडलों में 10,000 शॉर्टलिस्ट किए गए प्रतियोगियों को मजबूत इनक्यूबेशन समर्थन प्रदान करता है। इस समर्थन में व्यवसाय मॉडल का चयन, उद्यमिता विकास कार्यक्रम, औद्योगिक कार्यशालाएं, व्यवसाय पंजीकरण सहायता, परियोजना रिपोर्ट तैयार करना और विभिन्न सरकारी उद्यमिता और स्टार्टअप योजनाओं के माध्यम से वित्त पोषण पर मार्गदर्शन शामिल है। इसके अतिरिक्त, प्रतिभागियों के उत्पादों और सेवाओं को एसआईडीएच के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म उद्यमकार्ट और महिला उद्यमिता के लिए ब्रिटानिया के डिजिटल इकोसिस्टम पर हाइलाइट किया जाएगा, यह पहल महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों की पहुंच और दृश्यता को व्यापक बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो एक सहायक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करता है जो महिला उद्यमियों को उनकी पूरी क्षमता का एहसास करने के लिए सशक्त बनाता है। एनएसडीसी और ब्रिटानिया के बीच साझेदारी एक ऐसे माहौल को विकसित करने की साझा प्रतिबद्धता को उजागर करती है जहां महिला उद्यमी फल-फूल सकें और भारत की आर्थिक उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।
मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना के लिए 1389.5 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित
एमएएचएसआर परियोजना के बारे में
परियोजना की लंबाई 508 किलोमीटर है और इसमें मुंबई, ठाणे, विरार, बोइसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आनंद, अहमदाबाद और साबरमती में 12 स्टेशन बनाने की योजना है। परियोजना की स्वीकृत लागत 1,08,000 करोड़ रुपये है।
परियोजना के लिए पूरी भूमि (1389.5 हेक्टेयर) अधिग्रहित की गई है। अब तक 350 किलोमीटर पियर फाउंडेशन, 316 किलोमीटर पियर निर्माण, 221 किलोमीटर गर्डर कास्टिंग और 190 किलोमीटर गर्डर लॉन्चिंग का काम पूरा हो चुका है। समुद्र में जलस्तर से नीचे टनल (लगभग 21 किलोमीटर) का काम भी शुरू हो चुका है।
बुलेट ट्रेन परियोजना एक बहुत ही जटिल और प्रौद्योगिकी गहन परियोजना है। उच्चतम स्तर की सुरक्षा और संबंधित रखरखाव प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए, बुलेट ट्रेन परियोजना को जापानी रेलवे के सहयोग से डिजाइन किया गया है। इसे भारतीय आवश्यकताओं और जलवायु परिस्थितियों के लिए अनुकूलित किया गया है। सिविल स्ट्रक्चर, ट्रैक, इलेक्ट्रिकल, सिग्नलिंग और दूरसंचार और ट्रेनसेट की आपूर्ति के सभी संबंधित कार्यों के पूरा होने के बाद परियोजना के पूरा होने की समयसीमा का उचित रूप से पता लगाया जा सकता है।
एमएएचएसआर परियोजना के निष्पादन की नियमित रूप से निगरानी/समीक्षा की जाती है।
रेल, सूचना और प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज यह जानकारी लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
सीमा सुरक्षा बल में रिक्तियां
विशिष्ट विवरण | रिक्ति |
राजपत्रित अधिकारी (जीओ) (समूह ‘क’) | 387 |
अधीनस्थ अधिकारी (एसओ) (समूह ‘ख’) | 1,816 |
अन्य रैंक (ओआरएस) (समूह ‘ग’) | 7,942 |
कुल | 10,145 |
पिछले पांच वर्षों में बीएसएफ में सृजित नए पदों की संख्या 7,372 है। वर्षवार विवरण इस प्रकार है:-
वर्ष | सृजित नये पदों की संख्या |
2020 | शून्य |
2021 | 108 |
2022 | शून्य |
2023 | 54 |
2024 | 7,210 |
कुल | 7,372 |
इसके अलावा, पिछले पांच वर्षों में बीएसएफ में 54,760 कर्मियों की भर्ती की गई है।
बल की परिचालन आवश्यकता के आधार पर पदों का निर्माण और कैडर पुनर्गठन एक सतत प्रक्रिया है। 01.07.2024 तक बीएसएफ की क्षमता इस प्रकार है: –
विशिष्ट विवरण | राजपत्रित अधिकारी (जीओ) | अधीनस्थ अधिकारी (एसओ) | अन्य रैंक | कुल |
स्वीकृत पद | 5,532 | 38,344 | 2,81,932 | 2,65,808 |
नियुक्त पद | 5,145 | 36,528 | 2,13,990 | 2,55,663 |
रिक्ति | 387 | 1,816 | 7,942 | 10,145 |
सरकार ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में आरक्षी (कांस्टेबल) सामान्य कार्य (जीडी) के पद पर भर्ती के लिए दिनांक 06.03.2023 को जनरल ड्यूटी कैडर (गैर-राजपत्रित) के लिए अधिसूचित भर्ती नियमों के अंतर्गत आरक्षी (कांस्टेबल) सामान्य कार्य (जीडी) के पदों पर पूर्व अग्निवीरों की भर्ती के लिए विशेष प्रावधान किया है ।
10 प्रतिशत रिक्तियां पूर्व अग्निवीरों के लिए आरक्षित होंगी।
पूर्व अग्निवीरों के उम्मीदवारों के लिए ऊपरी आयु सीमा में तीन (03) वर्ष तक की छूट होगी। इसके अलावा, अग्निपथ योजना के पहले बैच के उम्मीदवारों को निर्धारित ऊपरी आयु सीमा से पांच (05) वर्ष की छूट दी जाएगी।
पूर्व अग्निवीरों को शारीरिक दक्षता परीक्षा (पीईटी) से छूट दी जाएगी।
यह जानकारी गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है ।
जून 2024 तक भारत सरकार के खातों की मासिक समीक्षा
भारत सरकार को जून, 2024 तक 8,34,197 करोड़ रुपये (कुल प्राप्तियों के संगत बजट अनुमान 2024-25 का 27.1%) प्राप्त हुए हैं, जिसमें 5,49,633 करोड़ रुपये का कर राजस्व (केंद्र को शुद्ध), 2,80,044 करोड़ रुपये का गैर-कर राजस्व और 4,520 करोड़ रूपये के गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियां शामिल हैं, जो ऋणों की वसूली के कारण हैं। इस अवधि तक भारत सरकार द्वारा करों के हिस्से के हस्तांतरण के रूप में राज्य सरकारों को 2,79,502 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 42,942 करोड़ रुपये अधिक है।
भारत सरकार द्वारा किया गया कुल व्यय 9,69,909 करोड़ रुपये (संगत बजट अनुमान 2024-25 का 20.4%) है, जिसमें से 7,88,858 करोड़ रुपये राजस्व खाते पर और 1,81,051 करोड़ रुपये पूंजी खाते पर है। कुल राजस्व व्यय में से 2,64,052 करोड़ रुपये ब्याज भुगतान पर और 90,174 करोड़ रुपये प्रमुख सब्सिडी पर व्यय हुए हैं
महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध रोकथाम’ योजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता
भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार ‘पुलिस’ और ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ राज्य के विषय हैं। राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश मुख्य रूप से अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के माध्यम से साइबर अपराधों सहित अपराधों की रोकथाम, पता लगाने, जांच और अभियोजन के लिए जिम्मेदार हैं। केन्द्र सरकार राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों की पहलों को उनकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के क्षमता निर्माण के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत परामर्श और वित्तीय सहायता से पूरा करती है।
साइबर अपराध एक कठिन चुनौती है। इसकी विशाल और सीमाहीन प्रकृति के कारण, साइबर अपराधी कहीं भी बैठकर अपराध कर सकता है। राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर नागरिकों द्वारा बताए गए संदिग्ध मोबाइल नंबरों के आधार पर, 1 जनवरी 2024 से 22 जुलाई 2024 की अवधि के दौरान, देश में साइबर अपराध के प्रमुख शहर और उत्पत्ति स्थान डीग (राजस्थान), देवघर (झारखंड), नूह (हरियाणा), अलवर (राजस्थान), नवादा (बिहार), पश्चिमी दिल्ली (दिल्ली), नालंदा (बिहार), जामताड़ा (झारखंड), मथुरा (उत्तर प्रदेश), पटना (बिहार), बेंगलुरु शहरी (कर्नाटक), दुमका (झारखंड), गौतमबुद्ध नगर (उत्तर प्रदेश), जयपुर (राजस्थान), खेड़ताल-तिजारा (राजस्थान), उत्तर 24 परगना (पश्चिम बंगाल), कोलकाता (पश्चिम बंगाल), उत्तर पश्चिम दिल्ली (दिल्ली), शेखपुरा (बिहार) और दक्षिण पश्चिम दिल्ली (दिल्ली) हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) अपने प्रकाशन “भारत में अपराध” में अपराधों के बारे में सांख्यिकीय डेटा संकलित और प्रकाशित करता है। नवीनतम प्रकाशित रिपोर्ट वर्ष 2022 के लिए है। साइबर अपराध में लिप्त अपराधियों के बारे में विशिष्ट डेटा एनसीआरबी द्वारा अलग से नहीं रखा जाता है।
साइबर अपराधों से व्यापक और समन्वित तरीके से निपटने के तंत्र को मजबूत करने के लिए, केन्द्र सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं:
i. गृह मंत्रालय ने देश में सभी प्रकार के साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए एक संलग्न कार्यालय के रूप में ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र’ (I4सी) की स्थापना की है।
ii. मेवात, जामताड़ा, अहमदाबाद, हैदराबाद, चंडीगढ़, विशाखापत्तनम और गुवाहाटी के लिए I4सी के तहत सात संयुक्त साइबर समन्वय दल (जेसीसीटी) गठित किए गए हैं, जो साइबर अपराध हॉटस्पॉट/बहु-न्यायालयीय मुद्दों वाले क्षेत्रों के आधार पर पूरे देश को कवर करते हैं, ताकि राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय ढांचे को बढ़ाया जा सके। 2023 में हैदराबाद, अहमदाबाद, गुवाहाटी, विशाखापत्तनम, लखनऊ, रांची और चंडीगढ़ में जेसीसीटी के लिए सात कार्यशालाएं आयोजित की गईं।
iii. राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश पुलिस के जांच अधिकारियों (आईओ) को प्रारंभिक चरण की साइबर फोरेंसिक सहायता प्रदान करने के लिए I4सी के एक भाग के रूप में नई दिल्ली में अत्याधुनिक ‘राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच)’ की स्थापना की गई है। अब तक, राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच) ने साइबर अपराधों से संबंधित मामलों की जांच में उनकी मदद करने के लिए मोबाइल फोरेंसिक, मेमोरी फोरेंसिक, सीडीआर विश्लेषण आदि जैसे लगभग 10,200 साइबर फोरेंसिक में राज्य एलईए को अपनी सेवाएं प्रदान की हैं।
iv. I4सी के एक भाग के रूप में ‘राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल’ (https://cybercrime.gov.in) शुरू किया गया है, ताकि आम जनता सभी प्रकार के साइबर अपराधों से संबंधित घटनाओं की रिपोर्ट कर सके, जिसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस पोर्टल पर दर्ज साइबर अपराध की घटनाओं, उन्हें एफआईआर में परिवर्तित करने और उसके बाद की कार्रवाई को कानून के प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
v. वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और धोखेबाजों द्वारा धन की हेराफेरी को रोकने के लिए I4सी के तहत ‘नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली’ शुरू की गई है। अब तक 7.6 लाख से अधिक शिकायतों में 2400 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय राशि बचाई गई है। ऑनलाइन साइबर शिकायत दर्ज करने में सहायता प्रदान करने के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ चालू किया गया है।
vi. साइबर अपराध जांच, फोरेंसिक, अभियोजन आदि के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम के माध्यम से पुलिस अधिकारियों/न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए I4सी के तहत बड़े पैमाने पर ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम (एमओओसी) प्लेटफॉर्म, जिसका नाम ‘साइट्रेन’ पोर्टल है, तैयार किया गया है। पोर्टल के माध्यम से राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के 96,288 से अधिक पुलिस अधिकारी पंजीकृत हैं और 70,992 से अधिक प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।
vii. पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, अब तक भारत सरकार द्वारा 5.8 लाख से अधिक सिम कार्ड और 1,08,000 आईएमईआई ब्लॉक किए जा चुके हैं।
viii. I4सी ने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के 6,800 अधिकारियों को साइबर स्वच्छता प्रशिक्षण दिया है।
ix. I4सी ने 35,000 से अधिक एनसीसी कैडेटों को साइबर स्वच्छता प्रशिक्षण दिया हैI
x. गृह मंत्रालय ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम (सीसीपीडब्ल्यूसी) योजना के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना, जूनियर साइबर सलाहकारों की भर्ती और एलईए के कर्मियों, सरकारी अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण जैसे क्षमता निर्माण के लिए 131.60 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है। 33 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाएं चालू की गई हैं और 24,600 से अधिक एलईए कर्मियों, न्यायिक अधिकारियों और अभियोजकों को साइबर अपराध जागरूकता, जांच, फोरेंसिक आदि पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
xi. हैदराबाद में राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (साक्ष्य) की स्थापना की गई है। इस प्रयोगशाला की स्थापना से साइबर अपराध से संबंधित साक्ष्यों के मामलों में आवश्यक फोरेंसिक सहायता मिलेगी, साक्ष्यों को संरक्षित किया जा सकेगा और आईटी कानून तथा साक्ष्य कानून के प्रावधानों के अनुरूप उनका विश्लेषण किया जा सकेगा; तथा समय की बचत होगी।
xii. साइबर अपराध के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए, केन्द्र सरकार ने कदम उठाए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ, एसएमएस, आई4सी सोशल मीडिया अकाउंट यानी एक्स (पूर्व में ट्विटर) (@साइबरदोस्त), फेसबुक (साइबरदोस्तआई4सी), इंस्टाग्राम (साइबरदोस्तआई4सी), टेलीग्राम (साइबरदोस्ती4सी) के माध्यम से संदेशों का प्रसार, रेडियो अभियान, कई माध्यमों में प्रचार के लिए माईगव को शामिल करना, राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के सहयोग से साइबर सुरक्षा और सुरक्षा जागरूकता सप्ताह का आयोजन, किशोरों/छात्रों के लिए पुस्तिका का प्रकाशन आदि शामिल हैं। राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों से व्यापक जागरूकता पैदा करने के लिए प्रचार करने का भी अनुरोध किया गया है।
यह बात गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कही।
सरकार देश को कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएगी
- कोयला ब्लॉकों के विकास में तेजी लाने के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा नियमित समीक्षा।
- खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन कानून, 2021 [एमएमडीआर अधिनियम] का अधिनियमन, जिससे कैप्टिव खदान मालिकों (परमाणु खनिजों के अलावा) को अपने वार्षिक खनिज (कोयला सहित) उत्पादन का 50 प्रतिशत तक खुले बाजार में बेचने में सक्षम बनाया जा सके, खदान से जुड़े अंतिम उपयोग संयंत्र की आवश्यकता को पूरा करने के बाद, केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित तरीके से ऐसी अतिरिक्त राशि के भुगतान पर, अपने वार्षिक खनिज (कोयला सहित) उत्पादन का 50 प्रतिशत तक खुले बाजार में बेचने के लिए है।
- कोयला क्षेत्र के लिए एकल खिड़की मंजूरी पोर्टल, ताकि कोयला खदानों के परिचालन में तेजी लाई जा सके।
- कोयला खदानों के शीघ्र संचालन के लिए विभिन्न अनुमोदन/मंजूरी प्राप्त करने में कोयला ब्लॉक आवंटियों की सहायता के लिए परियोजना निगरानी इकाई।
- राजस्व साझेदारी के आधार पर वाणिज्यिक खनन की नीलामी 2020 में शुरू की गई। वाणिज्यिक खनन योजना के तहत, उत्पादन की निर्धारित तिथि से पहले उत्पादित कोयले की मात्रा के लिए अंतिम प्रस्ताव पर 50 प्रतिशत की छूट दी गई है। साथ ही, कोयला गैसीकरण या द्रवीकरण (अंतिम प्रस्ताव पर 50 प्रतिशत की छूट) पर प्रोत्साहन दिया गया है।
- वाणिज्यिक कोयला खनन की शर्तें और नियम बहुत उदार हैं, जिनमें कोयले के उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं है, नई कंपनियों को बोली प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति है, अग्रिम राशि कम है, मासिक भुगतान के विरुद्ध अग्रिम राशि का समायोजन है, कोयला खदानों को चालू करने के लिए लचीलेपन को प्रोत्साहित करने के लिए उदार दक्षता पैरामीटर हैं, पारदर्शी बोली प्रक्रिया है, स्वचालित रूट के माध्यम से 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और राष्ट्रीय कोयला सूचकांक पर आधारित राजस्व साझाकरण मॉडल है।
उपरोक्त के अतिरिक्त, कोयला कंपनियों ने घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम भी उठाए हैं:
- कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए अनेक उपाय अपनाए हैं। अपनी भूमिगत (यूजी) खदानों में, सीआईएल मुख्य रूप से निरंतर काम करने वाले खनिकों (सीएम) के साथ, जहाँ भी संभव हो, बड़े पैमाने पर उत्पादन तकनीक (एमपीटी) अपना रही है। सीआईएल ने परित्यक्त/बंद खदानों की उपलब्धता को देखते हुए हाईवॉल (एचडब्ल्यू) खदानों की भी योजना बनाई है। सीआईएल जहाँ भी संभव हो, बड़ी क्षमता वाली यूजी खदानों की भी योजना बना रही है। अपनी ओपनकास्ट (ओसी) खदानों में, सीआईएल के पास पहले से ही उच्च क्षमता वाले उत्खननकर्ताओं, डंपरों और सरफेस माइनर्स में अत्याधुनिक तकनीक है।
- सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) द्वारा नई परियोजनाओं की ग्राउंडिंग और मौजूदा परियोजनाओं के संचालन के लिए नियमित संपर्क किया जा रहा है। एससीसीएल ने कोयले की निकासी के लिए सीएचपी, क्रशर, मोबाइल क्रशर, प्री-वेट-बिन आदि जैसे बुनियादी ढांचे के तैयार करने का कार्य शुरू कर दिया है।
कोयला आयात के विकल्प के रूप में सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
- एसीक्यू को मानक आवश्यकता के 100 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है, उन मामलों में जहां एसीक्यू को मानक आवश्यकता के 90 प्रतिशत तक घटा दिया गया था (गैर-तटीय) या जहां एसीक्यू को मानक आवश्यकता के 70 प्रतिशत तक घटा दिया गया था (तटीय बिजली संयंत्र)। एसीक्यू में वृद्धि से घरेलू कोयले की आपूर्ति में वृद्धि होगी, जिससे आयात निर्भरता कम होगी।
- शक्ति नीति के पैरा बी (viii) (ए) के प्रावधानों के तहत, पावर एक्सचेंजों में किसी भी उत्पाद के माध्यम से या डीईईपी पोर्टल के माध्यम से पारदर्शी बोली प्रक्रिया के माध्यम से उस लिंकेज के माध्यम से उत्पादित बिजली की बिक्री के लिए अल्पावधि के लिए कोयला लिंकेज प्रदान किया जाता है। इसके अलावा, 2020 में शुरू की गई गैर-विनियमित क्षेत्र (एनआरएस) लिंकेज नीलामी नीति में संशोधन के साथ, एनआरएस लिंकेज नीलामी में कोकिंग कोल लिंकेज की अवधि को 30 वर्ष तक की अवधि के लिए संशोधित किया गया है। शक्ति नीति के संशोधित प्रावधानों के तहत पावर प्लांट्स को अल्पावधि के लिए दिए जाने वाले कोयले के साथ-साथ एनआरएस लिंकेज नीलामी में कोकिंग कोल लिंकेज की अवधि को 30 वर्ष तक की अवधि के लिए बढ़ाने से कोयला आयात प्रतिस्थापन की दिशा में सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
- सरकार ने 2022 में निर्णय लिया है कि बिजली क्षेत्र के सभी मौजूदा लिंकेज धारकों की पूर्ण पीपीए आवश्यकता को पूरा करने के लिए कोयला कंपनियों द्वारा कोयला उपलब्ध कराया जाएगा। बिजली क्षेत्र के लिंकेज धारकों की पूर्ण पीपीए आवश्यकता को पूरा करने के सरकार के निर्णय से आयात पर निर्भरता कम होगी।
- सरकार ने एनआरएस लिंकेज नीलामी के तहत ‘डब्लूडीओ रूट के माध्यम से कोकिंग कोल का उपयोग करने वाला स्टील’ नाम से एक नया उप-क्षेत्र बनाने को मंजूरी दी है। अनुबंध अवधि की पूरी अवधि के लिए पहचान की गई खदानों से स्टील सेक्टर को दीर्घकालिक कोयला लिंकेज के आश्वासन के साथ नए उप-क्षेत्र के निर्माण से देश में धुले हुए कोकिंग कोल की उपलब्धता बढ़ेगी और देश में स्टील उद्योग द्वारा घरेलू कोकिंग कोल की खपत बढ़ेगी, जिससे कोकिंग कोल के आयात में कमी आएगी। इसके अलावा, राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 में अनुमानित घरेलू कोकिंग कोल मांग को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2022 में मिशन कोकिंग कोल भी लॉन्च किया गया था।
- कोयला आयात प्रतिस्थापन के उद्देश्य से 29.05.2020 को कोयला मंत्रालय में एक अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) का गठन किया गया है। विद्युत मंत्रालय, रेल मंत्रालय, जहाजरानी मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, इस्पात मंत्रालय, खान मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई), उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी), केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए), कोयला कंपनियाँ और बंदरगाहों के प्रतिनिधि इस आईएमसी के सदस्य हैं। अब तक आईएमसी की ग्यारह बैठकें हो चुकी हैं। आईएमसी के निर्देश पर, कोयला मंत्रालय द्वारा एक आयात डेटा प्रणाली विकसित की गई है ताकि मंत्रालय कोयले के आयात को ट्रैक कर सके। कोयले की अधिक घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
देश को कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने तथा आयात कम करने के लिए निम्नलिखित कानून/संशोधन किए गए हैं: –
1. खनिज रियायत नियम (एमसीआर), 1960 में संशोधन किया गया है, ताकि किसी कैप्टिव खदान के पट्टेदार को अतिरिक्त राशि के भुगतान पर, खदान से जुड़े अंतिम उपयोग संयंत्र की आवश्यकता को पूरा करने के बाद, एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित कुल कोयले या लिग्नाइट के 50 प्रतिशत तक कोयले या लिग्नाइट की बिक्री की अनुमति दी जा सके। कोयले या लिग्नाइट की निर्धारित मात्रा की बिक्री के लिए अनुमति कैप्टिव पट्टेदारों को कैप्टिव खदानों से उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगी।
2. निम्नलिखित को सक्षम बनाने के लिए 13.03.2020 को खनिज कानून (संशोधन) कानून, 2020 अधिनियमित किया गया:
- समग्र पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन पट्टे के लिए कोयला ब्लॉकों का आवंटन, जिससे आवंटन के लिए कोयला ब्लॉकों की सूची बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- कोयला खान (विशेष प्रावधान) अधिनियम [सीएमएसपी अधिनियम] के तहत अनुसूची-II और अनुसूची-III कोयला खदानों के अंतिम उपयोग को तय करने में केन्द्र सरकार को लचीलापन प्रदान किया गया।
- जिन कंपनियों के पास भारत में कोयला खनन का कोई पूर्व अनुभव नहीं है, वे अब कोयला ब्लॉकों की नीलामी में भाग ले सकती हैं।
तदनुसार, खनिज कानून (संशोधन) कानून, 2020 के माध्यम से कानूनों में लाए गए उपरोक्त संशोधनों के मद्देनजर सीएमएसपी नियम, 2014, कोयला ब्लॉक आवंटन नियम, 2017 और एमसीआर, 1960 में भी संशोधन किए गए हैं।
यह जानकारी केन्द्रीय कोयला और खान मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
भारत ने विश्व धरोहर समिति की 46वीं ऐतिहासिक बैठक की मेजबानी की
भारत ने 21 से 31 जुलाई, 2024 तक पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक के 46वें सत्र की मेजबानी की। नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम 1977 में आरंभ हुए विश्व धरोहर सम्मेलन के साथ भारत की दीर्घकालिक सहभागिता की दिशा में एक उपलब्धि साबित हुआ है। चार कार्यकालों तक विश्व धरोहर समिति में भारत की सक्रिय भागीदारी, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और क्षमता निर्माण के प्रति उसके समर्पण को रेखांकित करती है।
विश्व धरोहर समिति की बैठक के 46वें सत्र का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 21 जुलाई 2024 को विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति में किया। “विकास भी, विरासत भी” के अपने विजन के अनुरूप प्रधानमंत्री श्री मोदी ने उद्घाटन सत्र में यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र को 1 मिलियन डॉलर के अनुदान की घोषणा की। यह योगदान क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता और संरक्षण के प्रयासों में सहायता देगा, जिससे विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के देशों को लाभ होगा।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने अपनी ब्रीफिंग में कहा, “बीते 10 वर्षों में भारत ने आधुनिक विकास के नए आयाम छूए हैं, साथ ही ‘विरासत पर गर्व’ का संकल्प भी लिया है।” उन्होंने देश भर में चल रही काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, अयोध्या में राम मंदिर और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के आधुनिक परिसर के निर्माण जैसी कई धरोहर संरक्षण परियोजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत के प्रयासों से पिछले दशक में 13 विश्व धरोहर संपत्तियों को सफलतापूर्वक सूचीबद्ध किया गया है, जिससे भारत सबसे अधिक विश्व धरोहर स्थलों के संबंध में दुनिया में छठे स्थान पर आ गया है।
श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सत्र के परिणामों के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि विश्व धरोहर सम्मेलन के 46वें सत्र में 24 नए विश्व धरोहर स्थलों को सूचीबद्ध किया गया, जिनमें 19 सांस्कृतिक, 4 प्राकृतिक और 1 मिश्रित संपत्ति शामिल हैं। असम का मोईदाम्स भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल बन गया, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि यह असम का पहला ऐसा सांस्कृतिक स्थल है जिसे यह मान्यता मिली है। चराईदेव जिले में स्थित, मोईदाम्स अहोम राजवंश के दफनाने वाले पवित्र टीले हैं, जो छह शताब्दियों के सांस्कृतिक और स्थापत्य विकास को दर्शाते हैं।
मोईदाम्स के बारे में अधिक जानकारी:
1. चराईदेव मोईदाम: भारत का 43वां यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल
2. मोईदाम्स – अहोम राजवंश की माउंड-दफन प्रणाली यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में भारत की 43 वीं प्रविष्टि के रूप में शामिल
केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने द्विपक्षीय बैठकों की चर्चा करते हुए बताया कि भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संपत्ति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे सांस्कृतिक संपत्ति में अवैध व्यापार से निपटने की प्रतिबद्धता को बल मिला। इसके अतिरिक्त, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने क्षमता निर्माण और मूर्त धरोहर पर शोध के लिए आईसीसीआरओएम के साथ समझौता किया। डब्ल्यूएचसी के 46वें सत्र में युवा धरोहर पेशेवर मंच और साइट प्रबंधक मंच भी शामिल हुए, जिससे धरोहर संरक्षण में वैश्विक विशेषज्ञता में वृद्धि हुई। इस बैठक के दौरान अन्य 33 कार्यक्रम आयोजित किए गए।
केंद्रीय मंत्री ने विश्व धरोहर समिति की 46वीं बैठक के दौरान लगाई गई महत्वपूर्ण प्रदर्शनी का विशेष उल्लेख किया, जिसमें 25 प्रत्यावर्तित ऐतिहासिक वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया, जो सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के प्रति भारत के समर्पण को दर्शाता है।
वैश्विक धरोहर के संरक्षण में भारत के योगदान को रेखांकित करते हुए श्री शेखावत ने कंबोडिया के अंगकोर वात, वियतनाम के चाम मंदिरों और म्यांमार के बागान के स्तूपों में भारत के धरोहर संरक्षण प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि नए शामिल किए गए मोईदाम सहित 43 विश्व धरोहर स्थलों की उल्लेखनीय सूची के साथ, धरोहर संरक्षण के संबंध में भारत वैश्विक स्तर पर अग्रणी बना हुआ है। उन्होंने कहा कि 56 संपत्तियों की विशाल संभावित सूची भारत के सांस्कृतिक स्पेक्ट्रम का व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है।
संस्कृति के वैश्विक महत्व को बढ़ाने में भारत के विशिष्ट योगदान पर बल देते हुए केंद्रीय मंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि जी-20 की भारत की अध्यक्षता के तहत, नेताओं के नई दिल्ली घोषणापत्र 2023 (एनडीएलडी) ने 2030 के बाद के विकास के प्रारूप में संस्कृति को एक स्वतंत्र लक्ष्य के रूप में समर्थन दिया, जो वैश्विक विकास रणनीति में व्यापक बदलाव को दर्शाता है। यह ऐतिहासिक निर्णय संस्कृति की परिवर्तनकारी क्षमता को दर्शाता है, आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है, हाशिए पर पड़े समुदायों को सशक्त बनाता है और असुरक्षित धरोहर की रक्षा करता है। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि काशी संस्कृति पथ और एनडीएलडी 2023, संस्कृति लक्ष्य की अपनी आकर्षक अभिव्यक्ति के साथ दुनिया का पहला और एकमात्र दस्तावेज है, जो वैश्विक संस्कृति क्षेत्र के विमर्श को दिशा देता है।
विश्व धरोहर समिति की बैठक का 46वां सत्र संरक्षण, अंतर्राष्ट्रीय सहायता तथा विभिन्न देशों और संगठनों के साथ द्विपक्षीय बैठकों पर व्यापक चर्चा के साथ संपन्न हुआ। इस ऐतिहासिक आयोजन ने भारत की समृद्ध धरोहर को प्रदर्शित किया और भविष्य में वैश्विक धरोहर के संरक्षण के प्रयासों के लिए मंच तैयार किया।
केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री ने मीडिया को जानकारी दे रहे हैं: