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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धन्वंतरि जयंती और 9वें आयुर्वेद दिवस पर 12,850 करोड़ रुपये से अधिक लागत की अनेक स्वास्थ्य परियोजनाओं का शुभारंभ, उद्घाटन और शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज धन्वंतरि जयंती और 9वें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में 12,850 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई स्वास्थ्य परियोजनाओं का शुभारंभ, उद्घाटन और शिलान्यास किया। ये पहल पूरे भारत में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को पर्याप्त बढ़ावा देती हैं, जो देश भर में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने के प्रधानमंत्री के मिशन के अनुरूप है। उल्लेखनीय रूप से, इनमें से सात परियोजनाएं श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) से संबंधित हैं, जिनसे श्रमिकों और उनके परिवारों के एक बड़े हिस्से को लाभ मिलेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश के इंदौर में ईएसआईसी अस्पताल का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया और देश भर में छह अतिरिक्त ईएसआई अस्पतालों की आधारशिला रखी। ये परियोजनाएं कुल 1,641 करोड़ रुपये की हैं और इनसे लगभग 55 लाख ईएसआई लाभार्थियों और उनके परिवारों को लाभ मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए पिछले एक दशक में भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में हुई अभूतपूर्व प्रगति पर प्रकाश डाला और इसकी तुलना पिछले छह-सात दशकों की सीमित उपलब्धियों से की। उन्होंने कहा, “पिछले 10 वर्षों में हमने रिकॉर्ड संख्या में नए एम्स और मेडिकल कॉलेज स्थापित होते देखे हैं।” आज के अवसर का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में अस्पतालों का उद्घाटन किया गया।

प्रधानमंत्री ने कर्नाटक के नरसापुर और बोम्मासंद्रा, मध्य प्रदेश के पीथमपुर, आंध्र प्रदेश के अचितपुरम और हरियाणा के फरीदाबाद में नए मेडिकल कॉलेजों की आधारशिला रखने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के मेरठ में नए ईएसआईसी अस्पताल पर काम शुरू हो गया है और इंदौर में एक नए अस्पताल का उद्घाटन किया गया है।”

इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार और युवा कार्य एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन के परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला, जिसने स्वास्थ्य सेवा को भारत की विकास रणनीति की आधारशिला के रूप में एकीकृत किया है।

डॉ. मांडविया ने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वास्थ्य को विकास से जोड़ा है और ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ स्वास्थ्य मॉडल तैयार किया है जो सुनिश्चित करता है कि स्वास्थ्य सेवा सुलभ, सस्ती और हर नागरिक के लिए उपलब्ध हो।”

पिछले दशक के दौरान ईएसआईसी की सेवाओं में पर्याप्त वृद्धि पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. मंडाविया ने कहा, “ईएसआईसी नेटवर्क 2014 में 393 जिलों से बढ़कर अब देश भर में 674 जिलों तक पहुंच गया है। जहां 2014 से पहले 2 करोड़ से कम परिवार स्वास्थ्य सुरक्षा से लाभान्वित होते थे, वहीं आज यह संख्या लगभग दोगुनी होकर लगभग 4 करोड़ परिवार हो गई है।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “इसी तरह, पिछले 10 वर्षों में ईएसआईसी लाभार्थियों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है, जो 2014 में 8 करोड़ से बढ़कर अब 2024 में लगभग 15 करोड़ हो गई है। यह श्रमिकों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा में सुधार के सरकार के प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।”

डॉ. मंडाविया ने बताया कि आने वाले दिनों में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) को आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के साथ मिला दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह एकीकरण ईएसआईसी लाभार्थियों के लिए स्वास्थ्य देखभाल पहुंच का विस्तार करेगा, जिससे वे देश भर में एबी-पीएमजेएवाई पैनल वाले अस्पतालों में इलाज करा सकेंगे।

आज जिन छह नए ईएसआई अस्पतालों की आधारशिला रखी गई, उनमें आधुनिक सुविधाएं और आवश्यक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध होंगी:

  1. बोम्मासंद्राकर्नाटक – 200 बिस्तरों वाला ईएसआई अस्पताल
  2. नरसापुरकर्नाटक – 100 बिस्तरों वाला ईएसआई अस्पताल
  3. पीथमपुरमध्य प्रदेश – 100 बिस्तरों वाला ईएसआई अस्पताल
  4. मेरठउत्तर प्रदेश – 100 बिस्तरों वाला ईएसआई अस्पताल
  5. अचुतापुरमआंध्र प्रदेश – 30 बिस्तरों वाला ईएसआईएस अस्पताल
  6. फरीदाबादहरियाणा – 500 अतिरिक्त बिस्तरों के साथ उन्नत ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, इसकी क्षमता 650 से बढ़कर 1150 बिस्तरों तक हो जाएगी

इसके अतिरिक्त, मध्य प्रदेश के इंदौर में 300 बिस्तरों वाले जिस ईएसआईसी अस्पताल का प्रधानमंत्री ने उद्घाटन किया है, उसे भविष्य में 500 बिस्तरों तक विस्तारित किया जा सकेगा।  इसका फायदा लगभग 14 लाख बीमित लोगों और लाभार्थियों को मिलेगा।

इन ईएसआईसी स्वास्थ्य सुविधाओं में मॉड्यूलर ऑपरेशन थियेटर कॉम्प्लेक्स, गहन चिकित्सा इकाइयां, लेबर रूम कॉम्प्लेक्स, एनआईसीयू, पीआईसीयू और उन्नत इमेजिंग सेवाओं जैसी आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। प्रत्येक सुविधा केंद्र अत्याधुनिक चिकित्सा तकनीक से लैस होगा, जिसमें लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट, सीएसएसडी/टीएसएसयू इकाइयां और नर्स कॉल सिस्टम शामिल हैं, जो आउटपेशेंट (ओपीडी) और इनपेशेंट (आईपीडी) दोनों तरह की सेवाएं प्रदान करेंगे।

इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री जे पी नड्डा, केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल और केंद्रीय श्रम एवं रोजगार और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के अमरेली में 4,900 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात के अमरेली में 4,900 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। आज की विकास परियोजनाओं में रेल, सड़क, जल विकास और पर्यटन क्षेत्र से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं। इन परियोजनाओं से राज्य के अमरेली, जामनगर, मोरबी, देवभूमि द्वारका, जूनागढ़, पोरबंदर, कच्छ और बोटाद जिलों के नागरिकों को लाभ होगा।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने धनतेरस एवं दिवाली की उत्सव की भावना को रेखांकित किया और कहा कि जहां ये त्योहार संस्कृति का उत्सव मनाते हैं, वहीं विकास कार्यों में जारी प्रगति भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने वडोदरा की अपनी यात्रा का उल्लेख करते हुए गुजरात भर में विभिन्न प्रमुख परियोजनाओं के संबंध में अपडेट साझा किए। वडोदरा में उन्होंने भारतीय वायुसेना के लिए भारत में निर्मित विमान के उत्पादन के लिए समर्पित भारत की पहली फैक्ट्री का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने आज पहले अमरेली में भारत माता सरोवर के उद्घाटन का उल्लेख किया और कहा कि यहां पानी, सड़क तथा रेलवे से जुड़ी कई बड़ी परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया गया है। उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं सौराष्ट्र और कच्छ में लोगों के जीवन को आसान बनायेंगी, क्षेत्रीय विकास को गति देंगी, स्थानीय किसानों को समृद्ध करेंगी और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करेंगी। उन्होंने आज की विकास परियोजनाओं के लिए सभी को बधाई दी।

इस बात का उल्लेख करते हुए कि यह सौराष्ट्र में अमरेली की भूमि ने भारत को कई रत्न दिए हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और राजनीतिक रूप से, हर तरह से अमरेली का एक गौरवशाली अतीत है। उन्होंने कहा कि अमरेली श्री योगीजी महाराज और भोज भगत के साथ-साथ लोक गायक एवं कवि दुलभय्या काग, कलापी जैसे कवियों, विश्व प्रसिद्ध जादूगर के. लाल और आधुनिक कविता के अगुआ रमेश पारेख की कर्मभूमि है। उन्होंने आगे कहा कि अमरेली ने गुजरात को पहला मुख्यमंत्री श्री जीवराज मेहता जी भी दिया है। श्री मोदी ने कहा कि अमरेली के बच्चों ने समाज में बड़ा योगदान देकर व्यापार जगत में भी बड़ा नाम कमाया है। उन्होंने कहा कि इस परंपरा को ढोलकैया परिवार ने मजबूत किया है, जो गुजरात सरकार की जल संरक्षण से संबंधित 80/20 योजनाओं से जुड़ा था। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पिछले ढाई दशकों के निरंतर प्रयासों के कारण परिवर्तन बिल्कुल स्पष्ट हैं।

प्रधानमंत्री ने पानी के महत्व पर जोर दिया, खासकर गुजरात और सौराष्ट्र के लोगों के लिए, जो लंबे समय से पानी से संबंधित चुनौतियों से जूझ रहे हैं। उन्होंने उस अतीत को याद किया जब सौराष्ट्र पानी की कमी के कारण पलायन के लिए जाना जाता था और कहा, “आज, स्थिति बदल गई है। अब, नर्मदा का पानी गांवों तक पहुंच गया है।” उन्होंने जलसंचय और सौनी योजना जैसी सरकारी पहलों की सराहना की। इन पहलों ने भूजल के स्तर में काफी वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि नदियों के गहरीकरण तथा चेक डैम के निर्माण से बाढ़ की समस्या से निपटा जा सकता है और वर्षा के जल का भी प्रभावी ढंग से भंडारण किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि आसपास के क्षेत्रों में पेयजल से संबंधित समस्याओं का भी समाधान किया जाएगा, जिससे लाखों लोगों को लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने पिछले दो दशकों के दौरान हर घर और खेत तक पानी पहुंचाने की दिशा में गुजरात की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला, जो पूरे देश के लिए एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि हर कोने तक पानी पहुंचाने के लिए राज्य सरकार के निरंतर प्रयास जारी हैं तथा आज की परियोजनाओं से उस क्षेत्र के लाखों लोगों को और अधिक लाभ होगा। श्री मोदी ने बताया कि नवदा-चावंड बल्क पाइपलाइन परियोजना से अमरेली, बोटाद, जूनागढ़, राजकोट और पोरबंदर जैसे जिलों को प्रभावित करने वाले लगभग 1,300 गांवों और 35 से अधिक शहरों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि इस पहल से इन क्षेत्रों में हर दिन 30 करोड़ लीटर अतिरिक्त पानी की आपूर्ति होगी। पासवी समूह सौराष्ट्र क्षेत्रीय जल आपूर्ति योजना के दूसरे चरण के शिलान्यास का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह तलाजा, महुवा और पालीताना तालुका की जरूरतों को पूरा करेगा। उन्होंने बताया, “एक बार पूरा हो जाने पर, लगभग 100 गांवों को इस परियोजना से सीधे लाभ होगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की ये जल परियोजनाएं सार्वजनिक भागीदारी के साथ सरकार और समाज के बीच की सहयोगात्मक शक्ति का उदाहरण पेश करती हैं। उन्होंने प्रत्येक जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवरों के निर्माण के माध्यम से भारत की आजादी के 75वें वर्ष को जल संरक्षण पहल से जोड़ने की सफलता पर प्रकाश डाला। श्री मोदी ने गांवों में 60,000 अमृत सरोवरों के निर्माण पर प्रसन्नता व्यक्त की, जो भावी पीढ़ियों के लिए एक विरासत छोड़ेंगे। उन्होंने श्री सी. आर. पाटिल के नेतृत्व में गति पकड़ रहे ‘कैच द रेन’ अभियान की सराहना की। प्रधानमंत्री ने बताया कि यह अभियान राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है, जहां सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से हजारों पुनर्भरण कुओं का निर्माण किया जा रहा है। श्री मोदी ने अपने पैतृक गांवों में पुनर्भरण कुएं बनाने के लिए आगे आने वाले लोगों के उत्साह को भी स्वीकार किया और इस बात पर जोर दिया कि कैसे यह पहल गांवों और खेतों में स्थानीय जल का प्रतिधारण सुनिश्चित करती है। उन्होंने आज सैकड़ों परियोजनाओं की शुरुआत का उल्लेख किया, जिनका उद्देश्य जल संरक्षण के माध्यम से कृषि और पशुधन को बढ़ावा देना है।

प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि अब अधिक पानी की उपलब्धता के कारण खेती आसान हो गई है और नर्मदा के पानी से अब अमरेली में तीन मौसम की खेती संभव है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज, अमरेली जिला खेती के क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभरा है।” उन्होंने कहा कि कपास, मूंगफली, तिल तथा बाजरा जैसी फसलों की खेती को बढ़ावा मिल रहा है और अमरेली के गौरव केसर आम को जीआई टैग हासिल हुआ है। उन्होंने कहा कि जीआई टैग के दर्जे का मतलब है कि अमरेली की पहचान केसर आम से जुड़ी है, चाहे वह दुनिया में कहीं भी बेचा जाए। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि अमरेली तेजी से प्राकृतिक खेती के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में उभर रहा है और देश का पहला प्राकृतिक खेती विश्वविद्यालय हलोल में बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के तहत अमरेली को गुजरात का पहला प्राकृतिक खेती से संबंधित कॉलेज मिला है। श्री मोदी ने कहा कि प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि अधिक से अधिक किसान पशुपालन में संलग्न हों और प्राकृतिक खेती से भी लाभान्वित हों। इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि हाल के वर्षों में अमरेली के डेयरी उद्योग ने काफी प्रगति की है, श्री मोदी ने कहा कि यह केवल सरकार और सहकारी समितियों के संयुक्त प्रयासों के कारण ही संभव हुआ है। वर्ष 2007 में अमर डेयरी की स्थापना को याद करते हुए जब 25 गांवों की सरकारी समितियां उससे जुड़ी थीं, श्री मोदी ने कहा, “आज 700 से अधिक सहकारी समितियां अमर डेयरी से जुड़ी हैं और हर दिन लगभग 1.25 लाख लीटर दूध एकत्र किया जा रहा है”।

मीठी क्रांति के कारण अमरेली की प्रसिद्धि का उल्लेख करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि शहद उत्पादन ने किसानों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि अमरेली के सैकड़ों किसानों ने मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लेने के बाद शहद से संबंधित व्यवसाय शुरू किया है।

बिजली के बिलों को खत्म करने और प्रत्येक परिवार के लिए 25,000 रुपये से लेकर 30,000 रुपये की वार्षिक बचत सुनिश्चित करते हुए बिजली से आय उत्पन्न करने से संबंधित प्रधानमंत्री सूर्य गढ़ योजना के बारे में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि इस योजना के कार्यान्वयन के कुछ ही महीनों बाद पूरे गुजरात में छतों पर लगभग 200,000 सौर पैनल स्थापित किए गए हैं।  उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अमरेली जिला सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसका उदाहरण दुधाला गांव है, जहां सैकड़ों घरों में सौर पैनल लगे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “इसके परिणामस्वरूप, यह गांव बिजली बिल में प्रति माह लगभग 75,000 रुपये की बचत कर रहा है और प्रत्येक घर को 4,000 रुपये की वार्षिक बचत का लाभ मिल रहा है।” उन्होंने कहा, “दुधाला तेजी से अमरेली का पहला सौर गांव बनने की ओर अग्रसर है।”

इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि सौराष्ट्र कई पवित्र स्थलों और आस्था से जुड़े स्थानों की मेजबानी करने वाला पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केन्द्र है, प्रधानमंत्री ने पर्यटकों के आकर्षण के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में सरदार सरोवर बांध के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि पिछले साल सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा को देखने के लिए 50 लाख से ज्यादा पर्यटक आए थे। उन्होंने सरदार साहब की जयंती के लिए दो दिनों में इस स्थल का दौरा करने और राष्ट्रीय एकता परेड देखने की बात कही।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि केर्ली पुनर्भरण जलाशय आने वाले समय में इको-टूरिज्म का एक प्रमुख केन्द्र बनेगा और एडवेंचर टूरिज्म को काफी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि यह केर्ली पक्षी अभयारण्य को दुनिया में एक नई पहचान भी देगा।

गुजरात की लंबी तटरेखा पर प्रकाश डालते हुए, श्री मोदी ने कहा कि विरासत के संरक्षण के साथ-साथ विकास सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि इसलिए, मत्स्यपालन और बंदरगाहों से संबंधित सदियों पुरानी विरासत को पुनर्जीवित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने सरकार द्वारा लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के निर्माण को मंजूरी देने का उल्लेख किया और कहा कि यह कदम देश तथा दुनिया को भारत की गौरवशाली समुद्री विरासत से परिचित कराएगा और प्रेरित करेगा।

श्री मोदी ने कहा, “हमारा प्रयास है कि समुद्र का नीला पानी नीली क्रांति को गति दे।” उन्होंने कहा कि बंदरगाह आधारित विकास से विकसित भारत का संकल्प मजबूत होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने बताया कि जाफराबाद, शियालबेट में मछुआरों के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे का विस्तार किया जा रहा है; जबकि अमरेली में पीपावाव बंदरगाह के आधुनिकीकरण ने 10 लाख से अधिक कंटेनरों और हजारों वाहनों को संभालने की क्षमता के साथ-साथ आज हजारों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित किए हैं। श्री मोदी ने पीपावाव बंदरगाह और गुजरात के ऐसे हर बंदरगाह को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने के सरकार के प्रयास पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने इस बात को दोहराया कि गरीबों के लिए पक्के घर, बिजली, सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे और गैस पाइपलाइन जैसे बुनियादी ढांचे विकसित भारत के निर्माण के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में बुनियादी ढांचे के विकास पर तेजी से काम कर रही है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सौराष्ट्र में बेहतर बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी के लाभों ने औद्योगिक विकास को काफी बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा, “रो-रो फेरी सेवा के शुभारंभ से सौराष्ट्र और सूरत के बीच कनेक्टिविटी सरल हो गई है तथा हाल के वर्षों में 7 लाख से अधिक लोग इससे लाभान्वित हुए हैं। एक लाख से अधिक कारों और 75,000 से अधिक ट्रकों और बसों का परिवहन किया गया है, जिससे समय और धन दोनों की बचत हुई है।”

प्रधानमंत्री ने जामनगर से अमृतसर-भटिंडा तक आर्थिक गलियारे के निर्माण में तेजी से प्रगति का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “इस परियोजना से गुजरात से पंजाब तक सभी राज्यों को लाभ होगा। आज सड़क परियोजनाओं के उद्घाटन एवं शिलान्यास से जामनगर और मोरबी जैसे प्रमुख औद्योगिक केन्द्रों के लिए कनेक्टिविटी बेहतर होगी, सीमेंट कारखानों तक सुगमता बढ़ेगी और साथ ही सोमनाथ एवं द्वारका के लिए आसान तीर्थयात्रा की सुविधा मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि कच्छ में रेलवे कनेक्टिविटी के विस्तार से सौराष्ट्र एवं कच्छ में पर्यटन तथा औद्योगिकीकरण को और मजबूती मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा, “जैसे-जैसे भारत तेजी से विकास कर रहा है, दुनिया में भारत का गौरव भी लगातार बढ़ता जा रहा है।” उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारत को नये परिपेक्ष्य में देख रही है, भारत की क्षमताओं को पहचान रही है और भारत की बात को गंभीरता से सुन रही है।” इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि इन दिनों हर कोई भारत की संभावनाओं पर चर्चा कर रहा है, श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि इसमें गुजरात की बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि गुजरात ने दुनिया को दिखाया है कि भारत के हर शहर और गांव में कितनी संभावनाएं हैं। रूस में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने हेतु अपनी हालिया यात्रा का उल्लेख करते हुए, श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि हर कोई भारत से जुड़ना और निवेश करना चाहता है। प्रधानमंत्री ने जर्मनी के चांसलर की हाल की यात्रा और उनके साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जर्मनी ने अब वार्षिक वीजा कोटा मौजूदा 20 हजार से बढ़ाकर 90 हजार कर दिया है, जिससे भारतीय युवाओं को लाभ होगा। श्री मोदी ने स्पेन के राष्ट्रपति की आज की गुजरात यात्रा और वडोदरा में परिवहन विमान निर्माण कारखाने के रूप में स्पेन के भारी निवेश पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इससे गुजरात में हजारों लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही विमान निर्माण से संबंधित एक संपूर्ण इकोसिस्टम का विकास होगा, जिससे लाखों नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तो कहता था कि गुजरात के विकास से देश का विकास होता है। एक विकसित गुजरात, एक विकसित भारत के मार्ग को प्रशस्त करेगा।” उन्होंने आज की विकास परियोजनाओं के लिए सभी को बधाई दी।

इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल, केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री श्री सी. आर. पाटिल और सांसद श्री परषोत्तम रूपाला सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने अमरेली के दुधाला में भारत माता सरोवर का उद्घाटन किया। यह परियोजना सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत गुजरात सरकार और ढोलकैया फाउंडेशन के बीच सहयोग के माध्यम से विकसित की गई है। ढोलकैया फाउंडेशन ने एक चेक डैम का उन्नयन किया है। मूल रूप से इस बांध में 4.5 करोड़ लीटर पानी को रोक सकने की  क्षमता थी। लेकिन इसे गहरा करने, चौड़ा करने और मजबूत करने के बाद, इसकी क्षमता बढ़कर 24.5 करोड़ लीटर हो गई है। इस उन्नयन से आस-पास के कुओं और कूपो का जलस्तर बढ़ गया है जिससे स्थानीय गांवों और किसानों को सिंचाई की बेहतर सुविधा प्रदान करने में मदद मिलेगी।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने गुजरात के अमरेली में लगभग 4,900 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं से राज्य के अमरेली, जामनगर, मोरबी, देवभूमि द्वारका, जूनागढ़, पोरबंदर, कच्छ और बोटाद जिलों के नागरिकों को लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने 2,800 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न सड़क परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं में एनएच 151, एनएच 151ए एवं एनएच 51 और जूनागढ़ बाईपास के विभिन्न खंडों को चार लेन का बनाना शामिल है। जामनगर जिले के ध्रोल बाईपास से मोरबी जिले के अमरान तक शेष खंड को चार लेन वाला बनाने की परियोजना का शिलान्यास भी किया गया।

प्रधानमंत्री ने लगभग 1,100 करोड़ रुपये की लागत से पूरी हुई भुज-नालिया रेल गेज परिवर्तन परियोजना को राष्ट्र को समर्पित की। इस व्यापक परियोजना में 24 बड़े सेतु, 254 छोटे सेतु, 3 रोड ओवरब्रिज और 30 रोड अंडरब्रिज शामिल हैं तथा यह कच्छ जिले के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

प्रधानमंत्री ने अमरेली जिले के जल आपूर्ति विभाग की 700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उद्घाटन की गई परियोजनाओं में नवदा से चावंड बल्क पाइपलाइन शामिल है जो बोटाद, अमरेली, जूनागढ़, राजकोट और पोरबंदर जिलों के 36 शहरों और 1,298 गांवों में लगभग 67 लाख लाभार्थियों को अतिरिक्त 28 करोड़ लीटर पानी प्रदान करेगी। भावनगर जिले में पासवी समूह की संवर्धित जल आपूर्ति योजना के दूसरे चरण का शिलान्यास भी किया गया, जिससे भावनगर जिले के महुवा, तलाजा और पालीताना तालुका के 95 गांवों को लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने पर्यटन से जुड़ी विभिन्न विकास संबंधी पहलों का शिलान्यास भी किया, जिसमें पोरबंदर जिले के मोकरसागर में केर्ली पुनर्भरण जलाशय को एक विश्वस्तरीय टिकाऊ इको-पर्यटन स्थल में बदलना शामिल है।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीपीएसयू के प्रदर्शन की समीक्षा की; 1,620 करोड़ रुपये के लाभांश चेक प्राप्त किए

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/PIC2(9)Q495.jpgरक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 29 अक्टूबर, 2024 को साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली में रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (डीपीएसयू) के प्रदर्शन की समीक्षा की। उन्होंने डीपीएसयू और स्वदेशीकरण द्वारा नई तकनीक के विकास के महत्व पर जोर दिया और सशस्त्र बलों की तैयारियों में डीपीएसयू की भूमिका की सराहना की।

रक्षा मंत्री ने डीपीएसयू को अनुसंधान और विकास (आर एंड डी), निर्यात और स्वदेशीकरण की दिशा में समर्पित प्रयास और संसाधन लगाने का निर्देश दिया। उन्होंने उत्पादन क्षमता, उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने और सशस्त्र बलों को समय पर वितरण करने के लिए प्रेरित किया।

श्री राजनाथ सिंह ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के सीएमडी को महारत्न का दर्जा मिलने और भारत का 14वां महारत्न, पीएसयू बनने और डीपीएसयू में प्रथम बनने पर बधाई दी। उन्होंने अन्य डीपीएसयू को भी महारत्न और नवरत्न बनने के लिए प्रोत्साहित किया। सचिव (रक्षा उत्पादन) श्री संजीव कुमार ने मंत्री महोदय को डीपीएसयू के वित्तीय निष्पादन, वर्तमान स्थिति और श्रेणी और अनुसंधान एवं विकास और स्वदेशीकरण आदि के क्षेत्रों में उनके द्वारा किए गए प्रयासों सहित डीपीएसयू के अवलोकन के बारे में जानकारी दी।

अंत में, एचएएल, डीपीएसयू, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बीईएमएल लिमिटेड, भारत डायनामिक्स लिमिटेड, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड और गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने रक्षा मंत्री को 1620 करोड़ रुपये की लाभांश राशि के चेक सौंपे। 

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/PIC3(4)DWBB.jpg

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केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राष्ट्रीय एकता दिवस की पूर्व-संध्या पर ‘रन फॉर यूनिटी’ को हरी झंडी दिखाई

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज यहां सरुसजाई खेल परिसर से ‘रन फॉर यूनिटी’ को हरी झंडी दिखाई। ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ की पूर्व-संध्या पर आयोजित इस दौड़ में श्री सोनोवाल ने देश को एकजुट करने और एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र की नींव रखने में सरदार वल्लभ भाई पटेल के अमूल्य योगदान पर प्रकाश डाला। केंद्रीय मंत्री के साथ असम सरकार के मंत्री श्री केशव महंत और गुवाहाटी के सांसद श्री बिजुली कलिता मेधी भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के साथ मिलकर असम सरकार के सहयोग से किया था।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “भारत के लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने राष्ट्र की एकता और अखंडता को बहाल किया और एक मजबूत और समृद्ध भारत की नींव रखी। उनकी जयंती की पूर्व-संध्या पर, हम राष्ट्रीयता के विचार को घर तक पहुंचाने के लिए ‘रन फॉर यूनिटी’ मना रहे हैं। देश को एकीकृत करने और एकीकृत करने में सरदार पटेल के अमूल्य योगदान ने भारत की गाथा को आकार देने के लिए एक मजबूत आधार सुनिश्चित किया। इस नींव की बदौलत हम 2047 तक आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने की ओर आगे बढ़ रहे हैं। सरदार पटेल के आशीर्वाद से, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के आदर्श वाक्य के साथ देश का नेतृत्व कर रहे हैं। आप सभी को, विशेषकर युवाओं को इस ‘रन फॉर यूनिटी’ के माध्यम से सरदार पटेल के महान आदर्शों का जश्न मनाते हुए देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। भारत रत्न सरदार पटेल का चिरस्थायी योगदान देश के प्रत्येक नागरिक को प्रेरित करता रहेगा।”

इस दौड़ में समाज के सभी वर्गों के लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें युवाओं और स्कूली छात्रों की भागीदारी सबसे ज़्यादा थी। धावकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, सरुसजाई स्टेडियम के चारों ओर बनाए गए रन-इन ट्रेल का अनुसरण करते हुए इसे पूरा किया और दौड़ के विचार के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता दिवस के विचार के साथ जुड़ने की अपनी इच्छा व्यक्त की।

वर्ष 2015 से 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर देश के लोग राष्ट्रवाद के महान प्रतीक को याद करते हैं और भारत की एकता और अखंडता की शपथ लेते हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ के दौरान दीपावली के त्यौहार के अवसर पर 31 अक्टूबर के बजाय आज ‘रन फॉर यूनिटी’ का उत्सव मनाने का आह्वान किया था।

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वायरल प्रोटीन खंडों से हाइड्रोजैल बनाने की अनोखी विधियों से दवा उपलब्धता में सुधार होगा

एसएआरएस-सीओवी-1 वायरस से केवल पांच अमीनो एसिड के छोटे प्रोटीन खंडों का उपयोग करके हाइड्रोजैल बनाने का एक नया तरीका खोजा गया है, जो लक्षित दवा उपलब्धता में सुधार और दवा के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है।

दीर्घकालिक और संक्रामक रोगों में बढ़ोतरी के कारण, शोधकर्ता लगातार उपचार की प्रभावशीलता में सुधार के लिए दवा की उपलब्धता के नए तरीकों की तलाश कर रहे हैं। हाइड्रोजैल को उनके सूजन व्यवहार, यांत्रिक शक्ति और जैव-संगतता के गुणों के कारण दवा उपलब्धता के लिए उपयुक्त माना जाता है।

छोटे पेप्टाइड-आधारित हाइड्रोजैल में कई तरह के अनुप्रयोगों के लिए अपार संभावनाएं हैं। हालांकि, शोधकर्ताओं ने इन प्रणालियों के जेलेशन को नियंत्रित करना बहुत चुनौतीपूर्ण पाया है, क्योंकि पेप्टाइड अनुक्रम में किया गया मामूली बदलाव भी स्व-संयोजन तंत्र और जेलेशन प्रवृत्ति को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है।

वायरस के संयोजन और विमोचन में एसएआरएस सीओवी ई प्रोटीन की संलिप्तता के बाद, कोलकाता में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान बोस इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि इसमें अंतर्निहित स्व-संयोजन गुण हाइड्रोजैल के विकास में योगदान दे सकते हैं।

बोस इंस्टीट्यूट में रासायनिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर अनिरबन भुनिया और उनकी टीम ने इस संभावना का पता लगाया और उपयोगी जेल सामग्री बनाने के एक नये तरीके की खोज की।

हाल ही में प्रतिष्ठित जर्नल स्मॉल (विली) में प्रकाशित एक पेपर में, प्रो. भुनिया और भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर, यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास रियो ग्रांडे वैली, यूएसए और इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस, कोलकाता के उनके सहयोगियों ने दर्शाया कि एसएआरएस सीओवी-1 वायरस के केवल पांच अमीनो एसिड को पुनर्व्यवस्थित करके, अद्वितीय गुणों वाले पेंटापेप्टाइड्स से बने जैल बनाए जा सकते हैं। इनमें से कुछ गर्म होने पर जैल बनते हैं और कुछ अन्य कमरे के तापमान पर जैल में परिवर्तित हो जाते हैं।

इस अनूठी खोज से अनुकूलन योग्य हाइड्रोजैल जैसी महत्वपूर्ण चिकित्सा प्रगति हो सकती है। इससे लक्षित दवा उपलब्धता में सुधार हो सकता है, जिससे दवा के दुष्प्रभावों को कम करके उपचार प्रभावकारिता को बढ़ाया जा सकता है।

यह हाइड्रोजैल सामग्री ऊतक इंजीनियरिंग में क्रांति ला सकती हैं, संभावित रूप से अंग पुनर्जनन में सहायता कर सकती हैं। ये जैल घाव भरने के उपचार को भी आगे बढ़ा सकते हैं और अनुसंधान के लिए अधिक सटीक रोग मॉडलिंग को सक्षम बना सकते हैं।

 

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प्रधानमंत्री मुद्रा  योजना

इस देश के लाखों आम आदमी और औरतेंजो छोटेमोटे व्यवसाय चलाते हैंअर्थव्यवस्था में उनके बड़े योगदान के बावजूदऔपचारिक संस्थागत वित्त के दायरे से लगभग बाहर रह गए हैं। मुद्रावंचितों को वित्तपोषित करने का हमारा इनोवेशन है।

~प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 8 अप्रैल, 2015 को शुरू की गई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) ने 10 लाख रुपए तक का ऋण प्रदान करके गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु और सूक्ष्म उद्यमों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महत्वाकांक्षी उद्यमियों को सहायता करने के लिए वित्त मंत्री ने 23 जुलाई, 2024 को केंद्रीय बजट 2024-25 के दौरान ऋण सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रुपए करने की घोषणा की। यह नई सीमा 24 अक्टूबर, 2024 को प्रभावी हुई।

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इस घोषणा में एक नई ऋण श्रेणीतरुण प्लस भी पेश की गई है, जो विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जिन्होंने पहले तरुण श्रेणी के तहत ऋण लिया है और उसे सफलतापूर्वक चुकाया है, जिससे उन्हें 10 लाख रुपए से 20 लाख रुपए के बीच ऋण प्राप्त करने की सुविधा मिलती है। इसके अतिरिक्त, माइक्रो यूनिट्स के लिए क्रेडिट गारंटी फंड (सीजीएफएमयू) अब इन बढ़े हुए ऋणों के लिए गारंटी कवरेज प्रदान करेगा, जो भारत में एक मजबूत उद्यमशीलता इको-सिस्टम को पोषित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।

मुद्रा योजना

मुद्रा,3 यानी माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड, भारत सरकार द्वारा पीएमएमवाई के तहत माइक्रो यूनिट उद्यमों के विकास और पुनर्वित्तपोषण के लिए स्थापित एक वित्तीय संस्था है। पीएमएमवाई का उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचितों को वित्तीय समावेशन और सहायता प्रदान करना है। पीएमएमवाई ने लाखों लोगों के सपनों और आकांक्षाओं के साथ आत्म-सम्मान और स्वतंत्रता की भावना भी दी है।

मुद्रा योजना की आवश्यकता

भारत एक युवा देश है जो जोश और आकांक्षाओं से भरा हुआ है। भारत के विकास के लिए इस अभिनव उत्साह का दोहन करना महत्वपूर्ण है जो देश के आर्थिक इको-सिस्टम में मौजूदा अंतराल के लिए नए युग में समाधान प्रदान कर सकता है। भारत में उद्यमशीलता की अव्यक्त क्षमता का उपयोग करने की आवश्यकता को समझते हुए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना शुरू की है।

मुद्रा ऋणश्रेणियां

पीएमएमवाई के अंतर्गत सदस्य ऋणदाता संस्थानों (एमएलआई) जैसे अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी), लघु वित्त बैंक (एसएफबी), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी), सूक्ष्म वित्त संस्थान (एमएफआई) आदि द्वारा 20 लाख रुपये तक के जमानत मुक्त ऋण दिए जाते हैं। यह ऋण विनिर्माण, व्यापार तथा सेवा क्षेत्रों और कृषि में आय सृजन के लिए दिए जाते हैं।

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मुद्रा ऋण अब चार श्रेणियों जैसे शिशु‘, ‘किशोर‘ ‘तरुण‘ और तरुण प्लस‘ के तहत प्रदान किए जाएंगे। यह उधारकर्ताओं के विकास के चरण और वित्तपोषण आवश्यकताओं को दर्शाती है:-

  • शिशु: 50,000/- रुपये तक के ऋण मिलते हैं
  • किशोर: 50,000/- रुपये से लाख रुपये तक के ऋण मिलते है
  • तरुण: 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का ऋण शामिल है
  • तरुण प्लस10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये तक के ऋण मिलते हैं

पीएमएमवाई की उपलब्धियां

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाईके तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 में विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत स्वीकृत और वितरित राशि: [4]

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  • महिला उधारकर्ता: शिशु श्रेणी के तहत कुल 1,08,472.51 करोड़ रुपये, किशोर श्रेणी के तहत 1,00,370.49 करोड़ रुपये और तरुण श्रेणी के तहत 13,454.27 करोड़ रुपये वितरित किए गए।
  • अल्पसंख्यक उधारकर्ता: शिशु श्रेणी के तहत 15,759.66 करोड़ रुपये, किशोर श्रेणी के तहत 20,766.3 करोड़ रुपये और तरुण श्रेणी के तहत 8562.27 करोड़ रुपये वितरित किए गए।
  • नए उद्यमी/ खाते:
  • शिशु श्रेणी: 88,49,101 खाते, जिनमें स्वीकृत राशि 29,445.41 करोड़ रुपये और वितरित राशि 28,839.75 करोड़ रुपये है।
  • किशोर श्रेणी: 34,06,239 खाते, जिनमें 62,290.58 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए और 60,407.02 करोड़ रुपये वितरित किए गए।
  • तरुण श्रेणी: 7,57,456 खाते, जिनमें 70,294.35 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए और 68,861.13 करोड़ रुपये वितरित किए गए।
  • विशिष्ट उधारकर्ता (8 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2024 तक):
  • शिशु श्रेणी के तहत 44,891.82 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए।
  • किशोर श्रेणी के तहत 24,575.57 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए।
  • तरुण श्रेणी के तहत 19,120.58 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए।

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मुद्रा कार्ड

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मुद्रा ऐप- मुद्रा मित्र

मुद्रा मित्र गूगल प्ले स्टोर और ऐप्पल एप स्टोर में उपलब्ध एक मोबाइल फ़ोन एप्लिकेशन है जो ‘माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड (एमयूडीआरए-मुद्रा)’ और इसके विभिन्न उत्पादों/योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह ऋण चाहने वाले को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत मुद्रा ऋण प्राप्त करने के लिए बैंकर से संपर्क करने में मार्गदर्शन करेगा। उपयोगकर्ता इस ऐप में नमूना ऋण आवेदन फ़ॉर्म सहित उपयोगी ऋण संबंधी सामग्री भी प्राप्त कर सकते हैं।

योजना के कार्यान्वयन में सुधार के लिए उठाए गए कदम:[6]

  • ऋण आवेदन जमा करने में सहायता प्रदान करना
  • PSBloansin59minutes और उद्यमीमित्र पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन का प्रावधान
  • हितधारकों के बीच योजना के बारे में जानकारी बढ़ाने के लिए गहन प्रचार अभियान
  • आवेदन पत्रों का सरलीकरण
  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में मुद्रा नोडल अधिकारियों का नामांकन
  • पीएमएमवाई के संबंध में पीएसबी के प्रदर्शन की समय-समय पर निगरानी
  • सभी पात्र उधारकर्ताओं को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत 12 महीने की अवधि के लिए दिए गए शिशु ऋणों के शीघ्र पुनर्भुगतान पर 2 प्रतिशत की ब्याज सहायता।
  • आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा 14.05.2020 को घोषित इस योजना को एक अभूतपूर्व स्थिति के लिए एक विशिष्ट राहत के रूप में तैयार किया गया है और इसका उद्देश्य ऋण की लागत को कम करके ‘पिरामिड के निचले हिस्से’ में उधारकर्ताओं के लिए वित्तीय तनाव को कम करना है।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) ने भारत में उद्यमिता के परिदृश्य को बुनियादी तौर पर बदल दिया है, जिससे वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान करके, इस योजना ने अनगिनत नए उद्यमियों को अपने व्यावसायिक विचारों को साकार करने में सक्षम बनाया है। पिछले कुछ वर्षों में, इस योजना ने महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदायों को भी सशक्त बनाया है, आर्थिक उत्थान के अवसर पैदा किए हैं और अधिक समावेशी विकास के माहौल को बढ़ावा दिया है। जैसे-जैसे ऋण सीमा 20 लाख तक बढ़ रही है, पीएमएमवाई छोटे व्यवसायों को पोषित करने और अधिक न्यायसंगत तथा समृद्ध भविष्य की ओर देश को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना जारी रखे हुए है।

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देश भर में ग्राम पंचायतों को सबल बनाने के लिए केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति द्वारा लिए गए प्रमुख निर्णय

देश भर में जमीनी स्तर पर शासन की प्रभावशीलता को और बढ़ाने के लिए पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) के सचिव श्री विवेक भारद्वाज की अध्यक्षता में राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) की केंद्र प्रायोजित संशोधित योजना की केंद्रीय अधिकारप्राप्त समिति (सीईसी) ने अपनी 8वीं बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। आरजीएसए के तहत मानकीकृत मानदेय को अपनाना, पंचायत अधिकारियों का दीर्घकालिक घरेलू प्रशिक्षण, स्मार्ट कक्षाओं में निर्वाचित प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण, पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश पर विशेष ध्यान देते हुए देश भर में ग्राम पंचायत बुनियादी ढांचे में निवेश सम्बंधी प्रमुख निर्णय लिए गये।

आरजीएसए के अंतर्गत मानकीकृत मानदेय प्रणाली को अपनाना

सीईसी ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मास्टर प्रशिक्षकों, अतिथि संकायों और विशेष संसाधन के तौर पर काम करने वाले व्यक्तियों के लिए मानदेय दरों के मानकीकरण को मंजूरी दी। यह निर्णय न्यायसंगत मुआवजा सुनिश्चित करता है और उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षकों की उपलब्धता को बढ़ावा देता है, जो जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण कार्य में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है। यह निर्णय पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) में प्रशिक्षण स्थिरता और क्षमता निर्माण के लिए मानदेय की असमानताओं को दूर करके एक नया मानदंड स्थापित करता है। यह निर्णय उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों से लेकर सिक्किम और गोवा जैसे छोटे राज्यों तक, पूरे देश में प्रशिक्षण कार्य में एकरूपता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और साथ ही अपनी प्रशिक्षण पहलों को विस्तार दे रहें  बिहार, गुजरात, पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

राज्य/केंद्र शासित प्रदेश उच्च शिक्षा के लिए दीर्घकालिक घरेलू प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए पंचायत अधिकारियों को प्रायोजित करेंगे

आरजीएसए के राज्य घटक के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पीआरआई और पंचायती राज विभाग के अधिकारियों के लिए एक वर्ष तक की अवधि वाले “दीर्घकालिक घरेलू प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए वित्त पोषण” को मंजूरी दे दी गई है। इस का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अधिकारियों को उत्कृष्ट संस्थानों से उन्नत, क्षेत्र-विशिष्ट प्रशिक्षण मिले, जो जमीनी स्तर पर बेहतर सेवा सुविधाओं के लिए उनके कौशल को उन्नत करेगा। यह विकेंद्रीकृत शासन प्रणाली को मजबूत करने और कार्यान्वयन दक्षता में सुधार करने के आरजीएसए के उद्देश्य के अनुरूप है। यह ग्रामीण विकास और स्थानीय स्वशासन में भूमिका निभा रहें अधिकारियों की समग्र योग्यता को बढ़ावा देगा, जिससे जमीनी स्तर पर योजना में सुधार होगा। इसके परिणामस्वरूप कुछ वर्षों की अवधि में पीआरआई में पूंजी निर्माण में सहायक व्यापक तौर पर श्रम कौशल में दक्ष कामगारों की संख्या में वृद्धि होगी।

यह निर्णय सभी सहभागी राज्यों में पीआरआई कार्यकर्ताओं के गहन कौशल में वृद्धि की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करता है। कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानिक नियोजन, संसाधन जुटाना और आपदा प्रबंधन जैसे विषयों को शामिल करके  केरल के तटीय क्षेत्रों से लेकर हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों तक विविध भौगोलिक संदर्भों में ग्रामीण विकास के लिए अधिकारियों आवश्यक व्यापक ज्ञान बढ़ाना है। इस निर्णय से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लाभ होगा क्योंकि अब उत्तर पूर्व (एनई) और पहाड़ी राज्य उच्च शिक्षा के लिए 10-10 उम्मीदवारों को प्रायोजित कर सकते हैं, केंद्र शासित प्रदेश और गोवा अपने यहां से 5 आवेदकों को प्रायोजित कर सकते हैं जबकि अन्य राज्य 20 उम्मीदवारों को प्रायोजित कर सकते हैं।

पंचायती बुनियादी ढांचे को बढ़ावा

बुनियादी ढांचे में विस्तार के लिए, सीईसी ने आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब और तेलंगाना सहित विभिन्न राज्यों में सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) के साथ 3,301 ग्राम पंचायत भवनों के निर्माण को मंजूरी दी और ग्राम पंचायतों के लिए 22,164 कंप्यूटर स्वीकृत किए है। यह निर्णय इन राज्यों में पंचायती राज प्रणाली को बढ़ावा देता है क्योंकि यह सीधे  तौर पर बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करता है और इससे ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर प्रशासनिक कामकाज और डिजिटल शासन को सक्षम किया जा सकता है। समर्पित भवनों और कंप्यूटर उपकरणों के प्रावधान से रिकॉर्ड को कुशल तरीके से संभाल कर रखने और ई-गवर्नेंस की सुविधा मिलेगी, जिससे स्थानीय प्रशासन के संचालन और सेवा सुविधाओं में काफी वृद्धि होगी।

पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को स्मार्ट कक्षाओं में प्रशिक्षित किया जाएगा

देश भर में राज्य और जिला स्तर पर पंचायत संसाधन केंद्रों के आधुनिकीकरण के लिए, 25 राज्यों में राज्य पंचायत संसाधन केंद्रों (एसपीआरसी) के साथ-साथ 395 जिलों में जिला पंचायत संसाधन केंद्रों (डीपीआरसी) में स्थित कंप्यूटर प्रयोगशालाओं को नवीनतम तकनीक के अधिक संख्या में कंप्यूटरों के साथ आधुनिक बनाया जाएगा। साथ ही, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में इन एसपीआरसी और डीपीआरसी में तकनीकी शैक्षिक सहायक उपकरण स्थापित करने की मंजूरी दी गई है। गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में राज्य और जिला पंचायत संसाधन केंद्रों (एसपीआरसी/डीपीआरसी) को अपग्रेड करने का यह निर्णय, प्रशिक्षण बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाएगा और एक अनुकूल शिक्षण वातावरण तैयार करेगा। प्रोजेक्टर, एलसीडी, इंटरैक्टिव पैनल और पीए सिस्टम सहित डिजिटल उपकरणों को एकीकृत करके, प्रशिक्षण केंद्र उच्च गुणवत्ता वाले क्षमता निर्माण कार्यक्रम के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित होंगे।

पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों के सशक्त गांवों के पंचायती बुनियादी ढांचे में निवेश

पिछले कुछ वर्षों में पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं के लिए बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के लिए कई निर्णय लिए गए हैं। पिछले वर्षों में मंत्रालय ने इन क्षेत्रों में निवासियों की सुविधा के लिए पंचायत भवनों के निर्माण के साथ-साथ सामान्य सेवा केंद्र की स्थापना का भी समर्थन किया है। जम्मू-कश्मीर में मंत्रालय ने 2024-25 के दौरान 970 ग्राम पंचायत भवनों के निर्माण और 1606 सामान्य सेवा केंद्रों की सह-स्थापना का समर्थन किया है।

इस बैठक में अरुणाचल प्रदेश में 400 पंचायत भवन-सह-सामान्य सेवा केन्द्रों के निर्माण का निर्णय लिया गया है । यह पिछले दिनों पंचायती राज मंत्रालय द्वारा 939 ग्राम पंचायत भवनों के लिए सीएससी के साथ किए गए सहयोग का ही एक हिस्सा है। इसी तरह, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड, असम, मणिपुर सहित पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के लिए पंचायत बुनियादी ढांचे का समर्थन किया गया है। कुल मिलाकर, पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए 1633 ग्राम पंचायत भवन और 514 सीएससी को मंजूरी दी गई है।

इन पहलों का उद्देश्य सशक्त गांवों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाना और जमीनी स्तर पर आवश्यक सेवाएं प्रदान करना है।

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प्रतीक आवंटन के उपरान्त प्रचार अवधि के दौरान सीसामऊ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के सभी प्रत्याशियो द्वारा निजी रूप से स्वंय उपस्थित होना होगा

कानपुर नगर, दिनांक 29 अक्टूबर, 2024* जिला मजिस्ट्रेट/जिला निर्वाचन अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि 213-विधानसभा क्षेत्र उप निर्वाचन-2024 हेतु भारत निर्वाचन आयोग, नयी दिल्ली द्वारा प्रदत्त निर्देश के क्रम में प्रतीक आबंटन के उपरान्त प्रचार अवधि के दौरान 213-सीसामऊ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के सभी प्रत्याशियो द्वारा निजी रूप से स्वंय या अपने निर्वाचन एजेण्ट के माध्यम से या अपने द्वारा विधिवत रूप से प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा मा0 व्यय प्रेक्षक/निरीक्षक के लिए पदभिहित अधिकारी के सम्मुख/समक्ष अपने व्यय रजिस्टर का तीन वार निरीक्षण कलेक्ट्रेट सभागार कानपुर नगर में कराना सुनिश्चित करेंगे।
उन्होंने बताया कि प्रथम निरीक्षण दिनांक 05 नवम्बर, 2024, द्वितीय निरीक्षण दिनांक 08 नवम्बर, 2024 एवं तृतीय निरीक्षण दिनांक 11 नवम्बर, 2024 को प्रातः 10ः00 बजे से सायं 05ः00 बजे तक किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि लेखा समाधान बैठक निर्वाचन परिणाम की घोषणा के 26वें दिन जिला निर्वाचन अधिकारी की अध्यक्षता में दिनांक 18 दिसम्बर, 2024 को प्रातः 10ः00 बजे से सायं 05ः00 बजे तक कलेक्ट्रेट सभागार में प्रस्तावित है।
अतः 213-सीसामऊ विधानसभा उप निर्वाचन-2024 से चुनाव लड़ने वाले समस्त प्रत्याशीगण स्वंय अथवा उनके द्वारा अधिकृत निर्वाचन एजेण्ट अपने से सम्बन्धित निर्धारित तिथियों में अपना व्यय लेखा से सम्बन्धित रजिस्टर मिलान हेतु प्रस्तुत करेंगें। उक्त के साथ आप समस्त दैनिक व्यय लेखा पंजिका, बैंक पंजिका, बिल/वाउचर्स, बैंक स्टेटमेण्ट की छाया प्रतियाँ 03 सेट में आवश्यक रूप से प्रस्तुत/उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे। लेखा प्रस्तुत करने हेतु निर्धारित तिथि के एक दिन पूर्व तक का लेखा सम्बन्धित अभ्यर्थीगण द्वारा प्रस्तुत किया जाना सुनिश्चित किया जायेगा। मिलान/निरीक्षण की निर्धारित तिथियों में व्यय लेखा प्रस्तुत न किये जाने की स्थिति में नियमानुसार नोटिस जारी करते हुए सम्बन्धित प्रत्याशी/अभ्यर्थी के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए जनसभा, जुलूस तथा वाहन इत्यादि की निर्गत परमीशन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की कार्यवाही की जायेगी।

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डी जी कॉलेज में माई भारत आउटरीच कार्यक्रम सम्पन्न

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 9 अक्टूबर राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज कानपुर में कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही ने महाविद्यालय में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा जिसका विषय “माय भारत पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन” कैसे करें , सी वी कैसे बनाए, ई एल पी कैसे एप्लाई करे एवं वॉलिंटियर्स ऑफ भारत के द्वारा अपने कार्य को और अधिक उपयोगी कैसे बनाएं ? आदि पर विस्तार पूर्वक जानकारियां दी।

इस प्रशिक्षण में महाविद्यालय की 50 छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

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दिवाली माई भारत वाली कार्यक्रम के अंतर्गत डी जी कॉलेज के एनएसएस वॉलिंटियर्स के द्वारा यातायात प्रबंधन

 

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 29 अक्टूबर भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय की पहल पर दिवाली में भारत वाली कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर की कार्यक्रम अधिकारी तथा कानपुर नगर की नोडल अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में आज दिनांक 29 अक्टूबर 2024 को सिविल लाइंस कानपुर स्थित मर्चेंट चेंबर चौराहे पर वॉलिंटियर्स के द्वारा यातायात पुलिस, पुलिस कमिश्नरेट, कानपुर नगर के सहयोग से यातायात प्रबंधन किया गया। जिसमें छात्राओं ने ट्रैफिक कंट्रोल किया तथा सड़क पर आते जाते वाहन चालकों को सिग्नल्स तथा यातायात के नियमों के बारे में जानकारी देते उनका पालन करने की अपील की ताकि दिवाली के पर्व को खुशियों के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से मनाया जा सके।

इस अवसर पर यातायात उप निरीक्षक श्री शशिकांत यादव व पुलिस हेड कांस्टेबल श्री मनोज जी ने अपनी टीम के साथ कार्यक्रम को सफल बनाने में में सक्रिय सक्रिय योगदान किया। एसीपी ट्रैफिक श्री शिखर जी ने युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार के माय भारत पोर्टल के माध्यम से चलाए जा रहे इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम दिवाली में भारत वाली तथा वॉलिंटियर्स के द्वारा किए जा रहे सतत कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए उन्हें अपनी शुभकामनाएं दी तथा कहा कि यह विकसित भारत के निर्माण की और एक महत्वपूर्ण कदम है। वॉलिंटियर्स टीम लीडर्स पलक झा, खुशी शुक्ला, रोशनी कश्यप, नूर फातिमा आकांक्षा यादव अंतर कश्यप फिरदौस, श्रद्धा, सान्या, कहकशा, आंचल शुक्ला समेत समस्त एनएसएस वॉलिंटियर्स का योगदान सराहनीय रहा।

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