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कोविड-19 में शहीद हुए पत्रकार स्व. पंकज कुलश्रेष्ठ को नेशनल मीडिया क्लब ने पत्रकारिता दिवस पर दी श्रद्धांजलि एवं ₹ 1 लाख की आर्थिक सहायता

कोरोना महामारी के इस काल में आगरा में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार पंकज कुलश्रेष्ठ जी की दुःखद मौत के बाद आज नेशनल मीडिया क्लब द्वारा webinar के माध्यम से किए गए श्रद्धांजलि कार्यक्रम में हजारों पत्रकार जुड़े और सभी पत्रकारों के द्वारा दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी गई।

इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित जी ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की, इस मौके पर नेशनल मीडिया क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष सचिन अवस्थी जी ने स्व०पंकज कुलश्रेष्ठ जी के आवास पहुंचकर उनके परिजनों को 1 लाख रुपए की आर्थिक मदद करते हुए विधानसभा अध्यक्ष श्री दीक्षित जी के माध्यम से सरकार से भी मदद की गुहार लगाई है।

इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि स्वाधीनता का इतिहास में पत्रकारों के उत्पीडन की तमाम मिसालें हैं। हम आधुनिक काल के पत्रकार उस कालखंड के पत्रकारों के ऋणी हैं। आजादी के दौरान डॉ०अम्बेडकर लोकनायक निकालते थे, पं दीनदयाल उपाध्याय, डा लोहिया भी लिख रहे थे।

साथ ही श्री दीक्षित ने कहा कि आधुनिक भारत में पत्रकारिता काफ़ी कठिन हो गयी है, आज के दौर में कई चुनौतियां भी हैं। कोरोना महामारी के दौरान अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुये पंकज कुलश्रेष्ठ का निधन हो गया है । इस शोक की घडी में हम सब उनके साथ आत्मसात करते है।
कुछ लोग ऐसे ही आते है ऐसे ही चले जाते है , लेकिन कुछ लोग ऐसा कर जाते है कि लोग उन्हे याद करते है ।
मैं दिवंगत पंकज के परिजनों का हाथ जोडकर प्रणाम करते है। हम आपके साथ हैं, उन्होंने कर्तव्यपालन कर लिया है, उन्हें सम्मानित किया जा रहा है हम आपके साथ हैं।

इस मौके पर नेशनल मीडिया क्लब के संस्थापक श्री रमेश अवस्थी जी ने पत्रकार पंकज कुलश्रेष्ठ को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने लगभग एक दशक तक आगरा में पत्रकारिता की है और वह व्यक्तिगत रूप से पंकज कुलश्रेष्ठ को जानते हैं, निश्चित ही अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए पंकज ने जिस तरीके से अपनी जान गवाँई है, उससे पत्रकार साथियों में गम का माहौल है, नेशनल मीडिया क्लब भी उनके इस गम में शरीक है।

इस अवसर पर उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि इस कोरोनाकाल में कार्यरत देश के सभी राज्यों के जिले, तहसील व ग्रामीण स्तर के पत्रकारों को चिन्हित करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाएगा, एआने वाले समय में दिल्ली में आयोजित किए जाने वाले इस कार्यक्रम में सम्मानित होने वाले पत्रकारों के आने-जाने व रहने-खाने का खर्चा भी नेशनल मीडिया क्लब उठाएगा।

गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश के पत्रकारों की पहली रीजनल कॉन्फ्रेंस और पहला नेशनल मीडिया रत्न समारोह का आयोजन भी नेशनल मीडिया क्लब ने ही पहली बार किया था। नेशनल मीडिया क्लब के क्रियाकलापों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि “सोंच भारत की” भावना के तहत नेशनल मीडिया क्लब काम कर रहा है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए “स्वच्छ भारत मिशन” में नेशनल मीडिया क्लब ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक कराने के लिए हरिद्वार से वाराणसी तक की पाँच दिवसीय स्वच्छता ज़न जागरण यात्रा को आयोजित करने के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी पत्र लिखकर बधाई भी दी।

पत्रकार साथी पंकज के परिजनों को नेशनल मीडिया क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष सचिन अवस्थी ने आगरा में स्व0 पंकज कुलश्रेष्ठ के घर पर जाकर उनके परिजनों को एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी,और अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की। श्री अवस्थी ने उत्तरप्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ से भी आग्रह किया है कि दुःख की इस घड़ी में स्वर्गीय पंकज कुलश्रेष्ठ के परिजनों को राज्य सरकार भी आर्थिक मदद मुहैया कराए।।

नेशनल मीडिया क्लब द्वारा आयोजित इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में एक तरफ जहाँ देश के हजारों पत्रकार साथियों ने वेबिनार के माध्यम से पंकज कुलश्रेष्ठ को श्रद्धांजलि अर्पित की तो वहीं फेसबुक और सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म के जरिये लाखों लोग भी जुड़े।।

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कई मंजिलें हासिल की, कई बाकी, सरकार की सालगिरह पर बोले भाजपा अध्यक्ष,

सरकार की सालगिरह पर बोले BJP अध्यक्ष, कई मंजिलें हासिल की, कई बाकी हैं
जेपी नड्डा ने कहा कि स्वदेशी और स्वावलंबन के मंत्र को लेकर हम आज आगे बढ़ रहे हैं। 1.70 लाख करोड़ का प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज दिया गया। उसके माध्यम से 80 करोड़ लोगों के राशन की व्यवस्था की गई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का केंद्र में दूसरे कार्यकाल को शनिवार को एक साल पूरे हो गए। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सरकार की सालगिरह पर मोदी सरकार की उपलब्धियों का ब्यौरा देश के सामने रखा। जेपी नड्डा ने कहा कि अन्य देशों के मुकाबले भारत ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना के खिलाफ लड़ाई इस तरह लड़ी जिसमें भारत की स्थिति संभली हुई है। लॉकडाउन के समय भारत की कोरोना टेस्ट की क्षमता सिर्फ 10,000 टेस्ट प्रतिदिन थी और आज ये क्षमता 1.60 लाख टेस्ट प्रतिदिन है। आज देश में करीब 4.50 लाख पीपीई किट्स प्रतिदिन देश में बन रहे हैं। करीब 58,000 वेंटिलेटर्स देश में बन रहे हैं। नड्डा ने कहा की पीएम मोदी के संदेश को जन-जन तक पहुंचाएंगे। भारत ने इस संकट में खुद को संभाला है और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम आत्मनिर्भर भारत की ओर आगे बढ़ रहे हैं। जेपी नड्डा ने कहा कि स्वदेशी और स्वावलंबन के मंत्र को लेकर हम आज आगे बढ़ रहे हैं। 1.70 लाख करोड़ का प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज दिया गया। उसके माध्यम से 80 करोड़ लोगों के राशन की व्यवस्था की गई। 20 करोड़ महिलाओं के जनधन खातों में 500 रुपये की मदद, बुजुर्गों और दिव्यांगों को आर्थिक सहायता और मनरेगा मजदूरी में वृद्धि की गई। 20 लाख करोड़ रुपये का आत्मनिर्भर भारत पैकेज दिया गया। इस पैकेज के माध्यम से ये प्रयास हुआ है कि कैसे हर सेक्टर आत्मनिर्भर बनाकर मुख्यधारा में खड़ा किया जाए और कैसे उन्हें रियायतें दी जाएं।

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तेजस एफओसी विमान भारतीय वायुसेना को सौंपा गया

तेजस एफओसी विमान भारतीय वायुसेना को सौंपा गया

भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने बुधवार को वायु सेना स्टेशन सुलूर में तेजस एमके-1 एफओसी विमान को हाल ही में पुनर्जीवित किए गए नंबर 18 स्‍क्‍वैड्रन, जो कि  “फ्लाइंग बुलेट” के नाम से जाना जाता है, में शामिल किया। यह भारतीय वायु सेना की परिचालन क्षमता को बढ़ाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। इस तरह के विमान को शामिल करने वाला भारतीय वायुसेना का यह पहला स्क्वैड्रन है। यह देश के स्वदेशी लड़ाकू विमान कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी है और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। तेजस एमके-1 एफओसी एक एकल इंजन, हल्के वजन, बेहद चुस्त, सभी मौसम में बहु-भूमिका निभाने वाला लड़ाकू विमान है। हवा से हवा में ईंधन भरने में इसकी सक्षमता इसे वाकई एक बहुमुखी प्लेटफॉर्म बनाती है।

इस स्क्वैड्रन का संचालन वायुसेना प्रमुख (सीएएस), एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने किया। इस समारोह के दौरान, दक्षिणी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन-चीफ, एयर मार्शल अमित तिवारी और 18 स्‍क्‍वैड्रन के कमोडोर कमांडेंट, एयर मार्शल टीडी जोसेफ, श्री आर माधवन, एचएएल के सीएमडी और  डॉं. गिरीश एस देवधर, पीजीडी (सीए) और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के निदेशक भी मौजूद थे। वायु सेना स्टेशन, सुलूर में कर्मियों को संबोधित करते हुए, वायुसेना प्रमुख ने उन्हें बधाई दी और दक्षिणी वायु कमान और वायु सेना स्टेशन, सुलूर द्वारा नए हवाई प्लेटफॉर्म को शामिल करने की दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए, एलसीए के उत्पादन में शामिल चेयरमैन, एचएएल, एडीए, डीआरडीओ प्रयोगशाला, डीपीएसयू, एमएसएमई और सभी एजेंसियों की सराहना की।

इस अवसर पर, एचएएल के सीएमडी द्वारा वायुसेना प्रमुख को तेजस एफओसी संस्करण के विमान दस्तावेज प्रस्तुत किया जाना उल्लेखनीय रहा। जिसके बाद, वायुसेना प्रमुख ने यूनिट के लिए औपचारिक चाबियों के साथ इन विमानों को 18 स्‍क्‍वैड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन मनीष तोलानी को सुपुर्द किया। इस कार्यक्रम की शुरुआत, एक विमान-परेड के साथ हुई, जिसमें एमआई 17 वी 5 का निर्माण और एएलएच, एएन-32 परिवहन विमान और तेजस एमके-1 लड़ाकू विमान भी शामिल हुए।

18 स्‍क्‍वैड्रन का गठन, 15 अप्रैल 1965 को अंबाला में फोलैंड जीनेट एयरक्राफ्ट के साथ किया गया था। भारतीय वायु सेना के एकमात्र परमवीर चक्र विजेता, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों, 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान इस स्‍क्‍वैड्रन का हिस्सा थे। इस स्‍क्‍वैड्रन को एचएएल निर्मित दो एयरक्राफ्ट, तेजस और अजीत का संचालन करने का भी अनूठा गौरव प्राप्त है, जिसका उसने एक ही स्टेशन से संचालन किया था। इन वर्षों में, इसने देश भर के विभिन्न एयरबेसों से मिग-27 एमएल विमानों का भी संचालन किया है। इस स्‍क्‍वैड्रन को अप्रैल 2016 में नंबर प्लेटेड किया गया था। यह स्‍क्‍वैड्रन, दक्षिणी वायु कमान के परिचालन नियंत्रण में आता है, जो कि इस स्‍क्‍वैड्रन को भारतीय वायु सेना के परिचालन की अवधारणा में एकीकृत करने के लिए उत्तरदायी है।

अधिष्ठापन समारोह से पहले, वायु सेना प्रमुख (सीएएस), एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया, पीवीएसएम एवीएसएम वीएम एडीसी ने 45 स्क्वाड्रन के साथ तेजस एमके-1 लड़ाकू विमान में उड़ान भरी।

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भारतीय रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 50 लाख प्रवासियों को 85 लाख से भी अधिक ‘मुफ्त भोजन’ और 1.25 करोड़ ‘मुफ्त पानी की बोतलें’ वितरित कीं

भारतीय रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रा करने वाले लगभग 50 लाख प्रवासियों को 85 लाख से भी अधिक ‘मुफ्त भोजन’ और लगभग 1.25 करोड़ ‘मुफ्त पानी की बोतलें’ वितरित कीं

भारतीय रेलवे (Indian Railway) का दावा-  3,276 'श्रमिक स्पेशल ट्रेनों' से करीब 42 लाख प्रवासी मजदूरों को पहुंचाया गया

 भारतीय रेलवे ने 1 मई, 2020 से ही श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रा करने वाले लगभग 50 लाख प्रवासियों को 85 लाख से भी अधिक ‘मुफ्त भोजन’ और लगभग 1.25 करोड़ ‘मुफ्त पानी की बोतलें’ वितरित की हैं। इसमें भारतीय रेलवे के पीएसयू आईआरसीटीसी द्वारा तैयार किए जा रहे और जोनल रेलवे द्वारा वितरित किए जा रहे भोजन शामिल हैं।सभी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रा कर रहे प्रवासियों को भोजन और पानी की बोतलें उपलब्‍ध कराई जा रही हैं। आईआरसीटीसी यात्रा कर रहे प्रवासियों को रेल नीर पानी की बोतलों के साथ भोजन के रूप में पुरी-सब्जी-अचार, रोटी-सब्जी-अचार, केला, बिस्कुट, केक, बिस्कुट-नमकीन, केक-नमकीन, शाकाहारी पुलाव, पाव भाजी, नींबू-चावल-अचार, उपमा, पोहा-अचार, इत्‍यादि उपलब्‍ध करा रही है।

विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी श्रमिकों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, विद्यार्थियों और अन्य व्यक्तियों की विशेष रेलगाड़ियों से आवाजाही के संबंध में गृह मंत्रालय के आदेश के बाद भारतीय रेलवे 1 मई 2020 से ही ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनों का परिचालन कर रही है। 28 मई 2020 तक देश भर के विभिन्न राज्यों से 3736 ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनें चलाई गई हैं, जबकि लगभग 67 ट्रेनें पाइपलाइन में हैं। 27 मई 2020 को 172 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें रवाना की गईं। अब तक 27 दिनों में लगभग 50 लाख प्रवासियों को श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से उनके गृह राज्‍यों में ले जाया गया है। उल्लेखनीय है कि आज चलने वाली ट्रेनों को किसी भी तरह के ट्रैफि‍क जाम (कंजेशन) का सामना नहीं करना पड़ रहा है।

ये 3736 ट्रेनें विभिन्न राज्यों से रवाना हुई थीं। जिन शीर्ष पांच राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों से अधिकतम ट्रेनें रवाना हुई हैं, उनमें गुजरात (979 ट्रेनें), महाराष्ट्र (695 ट्रेनें), पंजाब (397 ट्रेनें), उत्तर प्रदेश (263 ट्रेनें) और बिहार (263 ट्रेनें) शामिल हैं।

इन ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनों का परिचालन देश भर के विभिन्न राज्यों में समाप्त हुआ। जिन शीर्ष पांच राज्यों में अधिकतम ट्रेनों का परिचालन समाप्त हुआ है, उनमें उत्तर प्रदेश (1520 ट्रेनें), बिहार (1296 ट्रेनें), झारखंड (167 ट्रेनें), मध्य प्रदेश (121 ट्रेनें) और ओडिशा (139 ट्रेनें) शामिल हैं।

श्रमिक स्‍पेशल ट्रेनों के अलावा, रेलवे नई दिल्ली से जुड़ने वाली 15 जोड़ी स्पेशल ट्रेनें चला रही है। रेलवे ने समय सारणी के अनुसार 1 जून से 200 और ट्रेनें चलाने की योजना बनाई है।

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उत्तरी भारत भर में विशाल टिड्डी दलों के पहुंचने के बीच राजस्थान, पंजाब और मध्य प्रदेश जैसे प्रभावित राज्यों में नियंत्रण अभियानों में तेजी लाई गई

टिड्डी दल का आक्रमण: टिड्डियों से ...

पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी भारत भर में विशाल टिड्डी दलों के पहुंचने के बीच, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएसी एंड एफडब्ल्यू) राजस्थान, पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे प्रभावित राज्यों में टिड्डियों पर नियंत्रण पाने की कार्रवाइयों में तेजी लाए हैं। आज तक, ये टिड्डी दल राजस्थान के बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर, जयपुर जिलों और मध्य प्रदेश के सतना, ग्वालियर, सीधी, राजगढ़, बैतूल, देवास, आगर मालवा जिलों में सक्रिय हैं।

वर्तमान में 200 टिड्डी सर्कल कार्यालय (एलसीओ) प्रभावित राज्यों के जिला प्रशासन और कृषि फील्‍ड मशीनरी के साथ तालमेल कायम करते हुए सर्वेक्षण और नियंत्रण कार्य कर रहे हैं। राज्य कृषि विभागों और स्थानीय प्रशासन के समन्वय के साथ टिड्डी नियंत्रण का कार्य जोरों पर हैं। अब तक राजस्थान के 21 जिलों, मध्य प्रदेश के 18 जिलों, पंजाब के एक जिले और गुजरात के 2 जिलों में टिड्डी नियंत्रण कार्य किया गया है। अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्रों से परे टिड्डियों पर प्रभावी रूप से नियंत्रण पाने के लिए, राजस्थान के अजमेर, चित्तौड़गढ़ और दौसा; मध्य प्रदेश के मंदसौर, उज्जैन और शिवपुरी तथा उत्तर प्रदेश के झांसी में अस्थायी नियंत्रण शिविर स्थापित किए गए हैं।

अब तक (26.05.2020 तक), राजस्थान,पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश में जिला प्रशासन और राज्य कृषि विभाग के साथ समन्वय करते हुए एलसीओ द्वारा कुल 303 स्थानों के 47,308 हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डियों पर  नियंत्रण पाने की कार्रवाइयां की गई हैं। टिड्डियों पर प्रभावी रूप से नियंत्रण पाने के लिए कीटनाशकों के छिड़काव के लिए 89 दमकल गाडि़यों; 120 सर्वेक्षण वाहनों; छिड़काव करने वाले उपकरणों और 810 ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर युक्‍त 47 नियंत्रण वाहनों को आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग दिनों के दौरान तैनात किया गया।

आमतौर पर, टिड्डी दल पाकिस्तान के रास्‍ते से भारत के अनुसूचित रेगिस्तान क्षेत्र में जून / जुलाई के महीने में मानसून के आगमन के साथ ग्रीष्‍मकालीन प्रजनन के लिए प्रवेश करते हैं। इस वर्ष हालांकि इन हॉपर और गुलाबी रंग की टिड्डियों का प्रवेश समय से काफी पहले हो गया है, जिसकी वजह पाकिस्तान में पिछले सीजन में टिड्डियों की अवशिष्ट आबादी की उपस्थिति बताई गई हैं, जिन्‍हें वह नियंत्रित नहीं कर सका था। राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती जिलों में 11 अप्रैल, 2020 से टिड्डी हॉपर और 30 अप्रैल, 2020 से गुलाबी अपरिपक्व वयस्क टिड्डियों के प्रवेश की सूचना मिल रही है, जिन्हें नियंत्रित किया जा रहा है। गुलाबी अपरिपक्व वयस्क ऊंची उड़ान भरते हैं और पाकिस्तान की तरफ से आने वाली पश्चिमी हवाओं के साथ एक दिन में एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक की लंबी दूरी तय करते हैं। इनमें से अधिकांश गुलाबी अपरिपक्व वयस्क रात को पेड़ों पर ठहरते हैं और ज्यादातर दिन में उड़ान भरते हैं।

इस वर्ष समय से पहले टिड्डी दलों के हमले से चिंतित केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने प्रभावित राज्‍यों में टिड्डियों पर नियंत्रण पाने की तैयारियों की समीक्षा के लिए 6 मई, 2020 को कीटनाशक निर्माताओं और सभी संबंधित हितधारकों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की। कृषि मंत्री श्री तोमर के निर्देशों का पालन करते हुए 22 मई, 2020 को सचिव (डीएसी एंड एफडब्ल्यू) श्री संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में पंजाब, राजस्थान, गुजरात मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के टिड्डियों के खतरे वाले जिलों के जिला प्रशासन और जिला कृषि अधिकारियों और एनडीएमए  के प्रतिनिधियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। बैठक में राज्यों के साथ टिड्डी के बारे में जागरूकता फैलाने वाला साहित्य, एसओपी, स्‍वीकृत कीटनाशक और जागरूकताफैलाने वाले वीडियो साझा किए गए। इससे पहले, 5 मई, 2020 को राजस्थान, गुजरात और पंजाब के टिड्डी दल के हमले की आशंका वाले जिलों के प्रधान सचिव (कृषि) और डीएम के साथ सचिव, डीएसी एंड एफडब्ल्यू की अध्यक्षता में एक वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इसमें आवश्‍यक कार्रवाई करने के लिए टिड्डी दल के हमले की आशंका वाले राज्यों के साथ तैयारियों और तालमेल बनाए रखने की समीक्षा की गई। 

भारत में एफएओ प्रतिनिधि के कार्यालय में 11 मार्च, 2020 को दक्षिण-पश्चिम एशियाई देशों में डेजर्ट लोकस्ट के बारे में एक उच्च-स्तरीय वर्चुअल  बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में चार सदस्य देशों (अफगानिस्तान, भारत, ईरान और पाकिस्तान) और एफएओ, रोम के प्लांट प्रोटेक्शन डिवीजन के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया था। इस बैठक में कृषि एवं किसान कल्‍याण राज्‍य मंत्री श्री कैलाश चौधरी और सचिव, डीएसी एंड एफडब्ल्यू ने भाग लिया था। इस बैठक में सदस्य देशों के तकनीकी अधिकारियों की स्काइप के माध्यम से प्रत्येक सोमवार को वर्चुअल  बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया था और अब तक ऐसी नौ बैठकें हो चुकी हैं। राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और पंजाब राज्यों को टिड्डी दल के हमले तथा उन पर प्रभावी नियंत्रण के लिए आवश्यक उपायों और फसल वाले क्षेत्रों में असरदार कीटनाशकों के उपयोग के बारे में परामर्श जारी किए गए हैं।

वर्तमान में टिड्डी नियंत्रण कार्यालयों में 21 माइक्रोनेयर और 26 उल्‍वामास्ट (47 छिड़काव उपकरण) हैं, जिनका उपयोग टिड्डियों पर नियंत्रण पाने के लिए किया जा रहा है। कृषि मंत्री श्री तोमर के अनुमोदन पर, अतिरिक्त 60 स्प्रेयर्स के लिए मेसर्स माइक्रोन, ब्रिटेन को सप्‍लाई ऑर्डर दिया गया है। ऊंचे पेड़ों और दुर्गम क्षेत्रों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए कीटनाशकों के एरियल स्‍प्रे हेतु ड्रोन सेवाएं प्रदान करने वाली एजेंसियों को सूचीबद्ध करने के लिए ई-निविदा आमंत्रित की गई है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 21 मई, 2020 को ‘’टिड्डियों पर नियंत्रण पाने संबंधी कार्रवाइयों के लिए रिमोट पाइलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम के उपयोग के लिए सरकारी इकाई (डीपीपीक्‍यूएस) को सशर्त छूट” को मंजूरी प्रदान की है और इस आदेश के अनुसार, टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए कीटनाशकों के छिड़काव हेतु ड्रोन के उपयोग के लिए निविदा के जरिए दो कम्‍पनियां तय की गई हैं।  

इस बीच, नियंत्रण क्षमता को मजबूत बनाने के लिए अतिरिक्त 55 वाहनों की खरीद के लिए आपूर्ति आदेश दिया गया है। टिड्डी नियंत्रण संगठनों के पास कीटनाशकों का पर्याप्त  भंडार (53,000 लीटर मैलाथियान) बनाए रखा जा रहा है। कृषि यांत्रिकीकरण पर उप-मिशन के तहत, राजस्थान के लिए 2.86 करोड़ रुपये की लागत से 800 ट्रेक्टर माउंटेड स्प्रे उपकरणों की सहायता स्वीकृत की गई है। इसके अलावा, वाहनों, ट्रैक्टरों को भाड़े पर लेने और कीटनाशकों की खरीद के लिए आरकेवीवाई मंजूरी के तहत 14 करोड़ रुपये मूल्‍य राजस्थान के लिए जारी किए गए हैं। वाहनों, छिड़काव उपकरणों, सेफ्टी यूनिफॉर्म, एंड्रॉइड एप्लिकेशन की खरीद और प्रशिक्षण के लिए 1.80 करोड़ रुपये की लागत से आरकेवीवाई मंजूरी गुजरात के लिए भी जारी की गई है।

एफएओ के 21 मई, 2020 के लोकस्‍ट स्‍टेट्स अपडेट के अनुसार, पूर्वी अफ्रीका में वर्तमान स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है जहां यह खाद्य सुरक्षा और आजीविका के लिए एक अभूतपूर्व खतरा बना हुआ है। नए टिड्डी दल  भारत-पाकिस्तान सीमा के दोनों ओर के साथ-साथ सूडान और पश्चिम अफ्रीका के ग्रीष्मकालीन प्रजनन क्षेत्रों में दाखिल होंगे। जैसे-जैसे वनस्पति सूखती जाएगी, इनके और अधिक झुंड और दल तैयार होंगे और इन क्षेत्रों से भारत-पाकिस्तान सीमा के दोनों ओर ग्रीष्‍म प्रजनन क्षेत्रों का रुख करेंगे। भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे क्षेत्रों में जून के शुरुआती दिनों के दौरान अच्छी बारिश का पूर्वानुमान व्‍यक्‍त किया गया है, जो इनके लिए अंडे देने हेतु अनुकूल है ।

वर्ष 2019-20 के दौरान, भारत में बड़े पैमाने पर टिड्डियों का हमला हुआ, जिसे सफलतापूर्वक नियंत्रित किया गया। 21 मई, 2019 से लेकर 17 फरवरी 2020 तक, कुल 4,03,488 हेक्टेयर क्षेत्र का उपचार किया गया और टिड्डियों को नियंत्रित किया गया। इसके साथ ही, राजस्थान और गुजरात के राज्य कृषि विभाग ने राज्य के फसल वाले क्षेत्रों में टिड्डियों पर नियंत्रण पाने के लिए तालमेल किया। वर्ष 2019-20 के दौरान, राजस्थान के 11 जिलों के 3,93,933 हेक्टेयर क्षेत्र; गुजरात के 2 जिलों के 9,505 हेक्टेयर क्षेत्र और पंजाब के 1 जिले के 50 हेक्टेयर क्षेत्र में नियंत्रण कार्य किए गए । 16-17 जनवरी 2019 को भारत का दौरा करने वाले एफएओ के सीनियर लोकास्‍ट फोरकास्टिंग ऑफिसर ने टिड्डियों को नियंत्रित करने में भारत की ओर से किए गए प्रयासों की सराहना भी की।

टिड्डी नियंत्रण संगठन और जिला प्राधिकरण तथा राज्य कृषि विभाग के अधिकारी प्रतिदिन प्रातकाल के समय एलसीओ के कंट्रोल स्प्रे व्‍हीकल्‍स,  ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर्स  और दमकल गाडि़यों  के साथ टिड्डी नियंत्रण कार्य कर रहे हैं। अपरिपक्व टिडि्डयां बहुत सक्रिय हैं और उनकी गतिशीलता इस दल को एक स्थान पर नियंत्रित करना मुश्किल बना देती है और विभिन्न स्थानों पर किसी विशेष टिड्डी दल को नियंत्रित करने में 4 से 5 दिन का समय लगता है।

 टिड्डी एक सर्वाहारी और प्रवासी कीट है और इसमें सामूहिक रूप से सैकड़ों किलोमीटर उड़ने की क्षमता होती है। यह दो देशों की सीमाओं के आर-पार जाने वाला या ट्रांस-बॉर्डर कीट है और विशाल दल  में फसल पर हमला करता है। अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया में पाया जाने वाला यह कीट करीब 60 देशों में पाया जाता है और यह पृथ्वी की भू सतह के वन-फिफ्थ हिस्से को कवर कर सकते हैं। डेजर्ट लोकस्ट की विपत्ति विश्‍व की मानव आबादी के दसवें हिस्से की आर्थिक आजीविका के लिए खतरा बन सकती है। ग्रीष्‍म  मानसून सीजन के दौरान अफ्रीका / खाड़ी / दक्षिण पश्चिम एशिया से ये टिड्डी दल भारत में दाखिल होते हैं और वसंतकालीन प्रजनन के लिए ईरान, खाड़ी और अफ्रीकी देशों की ओर लौट जाते हैं।

भारत में 2 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र अनुसूचित रेगिस्तान क्षेत्र के अंतर्गत आता है। टिड्डी चेतावनी संगठन और भारत सरकार के 10 टिड्डी सर्कल कार्यालय (एलसीओ) राजस्थान (जैसलमेर, बीकानेर, फलोदी, बाड़मेर, जालौर, चुरू, नागौर, सूरतगढ़) और गुजरात (पालमपुर और भुज) राज्य सरकारों के साथ समन्वय करते हुए अनुसूचित रेगिस्तान क्षेत्र में डेजर्ट लोकस्‍ट के नियंत्रण, निगरानी, सर्वेक्षण के लिए उत्‍तरदायी हैं।

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भारतीय दवा और चिकित्सा उपकरण उद्योग में निवेश करने के लिए जापानी कंपनियों को आमंत्रित किया गया

कोविड – 19 के बाद के परिदृश्य में भारत और जापान के बीच व्यापार सहयोग के लिए “चिकित्सा उपकरण और एपीआई सेक्टर: चुनौतियाँ तथा उभरते अवसर” विषय पर 22 मई, 2020 को सुबह 11.30 बजे एक वेबिनार आयोजित किया गया। इस वेबिनार को औषध विभाग, रसायन और उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से भारत के दूतावास, टोक्यो द्वारा आयोजित किया गया किया गया था।

जापान में भारत के राजदूत श्री संजय कुमार वर्मा ने कोविड – 19 संकट के संदर्भ में आपसी संबंधों को और बढ़ावा देने के लिए भारत और जापान के लिए मौजूद इस सुनहरे अवसर पर अपने बहुमूल्य विचार साझा किए। फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव डॉ. पी डी वाघेला ने भारत में दवा और चिकित्सा उपकरण उद्योग पर तथा क्षेत्र में निवेश के अवसरों पर प्रस्तुति दी। उन्होंने देश में व्यापार और व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों को भी प्रस्तुत किया। फार्मास्यूटिकल्स विभाग के संयुक्त सचिव श्री नवदीप रिणवा ने बल्क ड्रग और चिकित्सा उपकरणों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए विभाग की योजनाओं जैसे उत्पादन से जुडी प्रोत्साहन योजनाएँ, बल्क ड्रग / चिकित्सा उपकरण पार्कों को प्रोत्साहन आदि के बारे में बताया। उन्होंने प्रतिनिधियों से योजनाओं का लाभ उठाने का अनुरोध किया।

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फार्मास्यूटिकल ट्रेडर्स एसोसिएशन और जापान फेडरेशन ऑफ मेडिकल डिवाइसेस एसोसिएशन ने कोविड – 19 के बाद की स्थिति में दवा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र की चुनौतियों एवं अवसरों तथा वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर इसके प्रभाव के बारे में विचार – विमर्श किया। दोनों संगठनों ने सुझाव दिया कि दोनों देशों के बीच सहयोग आपूर्ति-श्रृंखला विशेष रूप से एपीआई और चिकित्सा उपकरणों को स्थिरता प्रदान करने में योगदान दे सकता है। जेईटीआरओ, चेन्नई के प्रतिनिधि ने एपीआई क्षेत्र और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में चुनौतियों और उभरते अवसरों पर अपने विचार व्यक्त किये।

सुश्री मोना के सी खानधर, मंत्री (आर्थिक और वाणिज्य), ईओआई, टोक्यो ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन और मजबूती के बारे में उल्लेख किया और कोविड -19 संकट को दूर करने और निवेश में सुधार के लिए भारत सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन और सुधार पैकेजों पर विस्तृत जानकारी दी। भारतीय अर्थव्यवस्था में लाभ, एफडीआई पारितंत्र और जापान के लिए विशिष्ट सुविधाओं का भी उल्लेख किया गया।

जापानी सहायक कंपनियों, निप्रो इंडिया कॉर्प और ईसाइ फार्मास्यूटिकल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधियों ने मेक इन इंडिया ’कार्यक्रम के बारे में एक विस्तृत प्रस्तुति दी और अपने अनुभव साझा किये।

प्रमुख भारतीय फार्मास्यूटिकल और मेडिकल डिवाइस एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने भारत में दवा और चिकित्सा उपकरण उद्योग में भविष्य के अवसरों पर अपने विचार साझा किये।

​गुजरात, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और गोवा की राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने राज्यों में निवेश के अवसरों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किये, जिसमें प्रोत्साहन पैकेज और टैक्स लाभ, कारोबार शुरू करने में आसानी, भूमि उपलब्धता, ढांचागत सुविधाएं, नियामक ढांचा आदि शामिल थे। प्रतिनिधियों ने अपने-अपने राज्यों में निवेश के लिए जापानी कंपनियों को आमंत्रित किया।

वेबिनार में जी2बी और बी2बी नेटवर्किंग के हिस्से के रूप में आंध्र प्रदेश मेडटेक ज़ोन, वॉकहार्ट, सन फार्मा, पैनासिया बायोटेक और बड़ी संख्या में जापानी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

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गृह मंत्रालय ने देश के बाहर फंसे भारतीय नागरिकों के साथ-साथ भारत में फंसे उन लोगों की आवाजाही के लिए भी ‘एसओपी’ जारी किया है जो जरूरी कारणों से विदेश यात्रा करने के इच्छुक हैं

केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने देश के बाहर फंसे भारतीय नागरिकों के साथ-साथ भारत में फंसे उन लोगों की आवाजाही के लिए भी एक मानक परिचालन प्रोटोकॉल (एसओपी) जारी किया है जो जरूरी कारणों से विदेश यात्रा करने के इच्छुक हैं। यह आदेश इसी विषय पर एमएचए के 05 मई, 2020 के आदेश का अधिक्रमण करेगा यानी उसका स्‍थान लेगा। ये एसओपी भूमि सीमाओं के जरिए आने वाले यात्रियों पर भी लागू होंगे।

कोविड-19 महामारी के फैलाव को रोकने के उद्देश्‍य से लॉकडाउन उपायों के तहत यात्रियों की अंतर्राष्ट्रीय यात्रा पर पाबंदी लगा दी गई है। उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार, ऐसे कई भारतीय नागरिक हैं जो रोजगार, अध्ययन/इंटर्नशिप, पर्यटन एवं व्यवसाय (बिजनेस) जैसे विभिन्न उद्देश्यों से लॉकडाउन लागू किए जाने से पहले ही अलग-अलग देशों में गए थे और अब वे विदेश में फंसे हुए हैं। लंबे समय तक विदेश में रहने के कारण वे मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और तत्काल भारत लौटने के इच्छुक हैं। उपर्युक्त लोगों के अलावा भी ऐसे कई अन्य भारतीय नागरिक हैं जिनके लिए चिकित्सकीय आपात स्थिति या परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु के कारण भारत आना अत्‍यंत आवश्यक है। इसी तरह भारत में भी ऐसे कई लोग फंसे हुए हैं, जो विभिन्न उद्देश्यों से तत्‍काल विदेश यात्रा करने के इच्छुक हैं।

विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों की यात्रा के लिए, ऐसे लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो भारी संकट से जूझने के कारण स्‍वदेश आने के लिए विवश हो गए हैं। इनमें ये लोग शामिल हैं- प्रवासी कामगार/श्रमिक जिनकी छंटनी कर दी गई है;  वीजा की अवधि की समाप्ति की समस्‍या से जूझ रहे अल्पकालिक वीजा धारक; आपातकालीन चिकित्सा की जरूरत वाले लोग/गर्भवती महिलाएं/बुजुर्ग;  परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु के कारण भारत लौटने के इच्‍छुक लोग; और विद्यार्थी।

इस तरह के व्यक्तियों को उस देश में स्थित भारतीय मिशन में विदेश मंत्रालय द्वारा निर्धारित आवश्यक विवरण के साथ खुद को पंजीकृत कराना होगा जहां वे फंसे हुए हैं। ये लोग नागरिक उड्डयन मंत्रालय की अनुमति के अनुसार गैर अनुसूचित वाणिज्यिक उड़ानों और सैन्य कार्य विभाग (डीएमए)/शिपिंग मंत्रालय की अनुमति के अनुसार जहाज से भारत की यात्रा करेंगे। यात्रा का खर्च यात्रियों को ही वहन करना होगा। इसके अलावा, केवल उन्‍हीं लोगों को भारत की यात्रा करने की अनुमति दी जाएगी जिनमें कोविड बीमारी का कोई भी लक्षण नहीं है।

विदेश मंत्रालय (एमईए) इस तरह के सभी यात्रियों के प्रासंगिक विवरण सहित उड़ान/जहाज वार डेटाबेस तैयार करेगा और इसे संबंधित राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश के साथ अग्रिम रूप से साझा करेगा। इसके अलावा, विदेश मंत्रालय हर राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश के लिए अपने प्रमुख (नोडल) अधिकारियों को निर्दिष्‍ट करेगा, जो संबंधित राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा इस उद्देश्य के लिए निर्दिष्‍ट किए गए नोडल अधिकारियों के साथ समन्वय स्‍थापित करेंगे। आने वाली उड़ान/जहाज की समय-सारणी (आगमन का दिन, स्थान और समय) को विदेश मंत्रालय द्वारा अपने ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कम से कम दो दिन के नोटिस पर दर्शाया जाएगा।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी ‘क्‍वारंटाइन व्यवस्था सहित अंतर्राष्ट्रीय आगमन से जुड़े दिशा-निर्देश’ भी गृह मंत्रालय के एसओपी के साथ नीचे दिए गए लिंक में संलग्न किए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सभी यात्रियों को विमान/जहाज पर सवार होने से पहले 14 दिनों के लिए अनिवार्य क्‍वारंटाइन का वचन देना होगा जिसमें स्व-भुगतान पर 7-दिवसीय संस्थागत क्‍वारंटाइन और इसके बाद अपने घर पर 7-दिवसीय  आइसोलेशन शामिल है।

भारत में फंसे ऐसे लोगों के लिए, जो विदेश यात्रा करने के इच्छुक हैं, उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए) या इस प्रयोजन के लिए एमओसीए द्वारा निर्दिष्ट किसी भी एजेंसी के यहां प्रस्थान और आगमन के स्थानों सहित आवश्यक विवरणों के साथ आवेदन करना होगा, जैसा कि एमओसीए द्वारा निर्दिष्‍ट किया गया है। भारत से इनकी यात्रा गैर-अनुसूचित वाणिज्यिक उड़ानों के जरिए होगी जिन्हें एमओसीए द्वारा विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए अनुमति दी गई है। यात्रा का खर्च यात्रियों को ही वहन करना होगा।

उन लोगों को गंतव्य देशों की यात्रा करने की अनुमति होगी जो उस देश के नागरिक हैं; जिनके पास उस देश का कम से कम एक वर्ष की अवधि वाला वीजा है; और ग्रीन कार्ड या ओसीआई कार्ड धारक हैं। चिकित्सा संबंधी आपात स्थिति या परिवार में किसी की मृत्यु होने की स्थिति में छह माह का वीजा रखने वाले भारतीय नागरिकों को भी अनुमति दी जा सकती है। ऐसे व्यक्तियों के टिकट के कन्फर्म होने से पहले ही एमओसीए यह सुनिश्चित करेगा कि गंतव्य देश अपने यहां ऐसे व्यक्तियों के प्रवेश की अनुमति अवश्‍य देगा।

ऐसे भारतीय समुद्री नाविक/चालक दल, जो विदेश में जहाजों पर अपनी सेवाएं देने के लिए अनुबंध स्वीकार करने के इच्‍छुक हैं, वे वंदे भारत मिशन के तहत भारत से प्रस्थान करने वाली गैर-अनुसूचित वाणिज्यिक उड़ानों या अपने नियोक्ताओं द्वारा व्यवस्‍था की गई अन्य उड़ानों के जरिए यात्रा कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए शिपिंग मंत्रालय की मंजूरी आवश्‍यक होगी।

विमान पर सवार होते समय एमओसीए यह सुनिश्चित करेगा कि स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के अनुसार सभी यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग अवश्‍य हो। विमान पर केवल ऐसे ही यात्रियों को सवार होने की अनुमति होगी जिनमें कोविड का कोई भी लक्षण नहीं होगा। विमान पर सवार होते ही सभी यात्रियों को मास्क लगाने, पर्यावरणीय स्वच्छता, श्वसन स्वच्छता एवं हाथ की स्वच्छता जैसी आवश्यक सावधानियां अवश्‍य बरतनी होंगी।

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प्रवासी श्रमिकों की सुव्यवस्थित आवाजाही हेतु कई और ट्रेनें चलाने के लिए राज्यों एवं रेलवे के बीच सक्रिय समन्वय आवश्यक

केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने राज्‍यों को भेजे पत्र में यह बात रेखांकित की है कि मुख्‍यत: कोविड-19 के संक्रमण के भय और आजीविका छिनने की आशंका की वजह से ही विभिन्‍न स्‍थानों पर फंसे श्रमिक अपने-अपने घरों की ओर अग्रसर होने के लिए व्‍याकुल हैं। प्रवासी श्रमिकों की कठिनाइयों को कम करने के लिए इस पत्र में उन उपायों या कदमों पर विशेष जोर दिया गया है जिन्‍हें राज्य सरकारों को केंद्र के साथ सक्रियतापूर्वक समन्वय कर उठाना चाहिए। ये कदम निम्‍नलिखित हैं:

  • राज्यों एवं रेल मंत्रालय के बीच सक्रिय समन्वय सुनिश्चित कर कई और स्‍पेशल ट्रेनें चलाएं;
  • प्रवासियों की आवाजाही के लिए अधिक बसें चलाएं; प्रवासियों को ले जाने वाली बसों को अंतर-राज्य सीमा पर प्रवेश की अनुमति दें;
  • ट्रेनों/बसों के प्रस्थान के बारे में और भी अधिक स्पष्टता सुनिश्चित करें, क्योंकि अफवाहों और अस्पष्टता के कारण श्रमिकों का मन अशांत हो जाता है;  
  • स्वच्छता, भोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं के पर्याप्त इंतजाम के साथ निर्दिष्ट विश्राम स्थलों की व्यवस्था उन मार्गों पर राज्यों द्वारा की जा सकती है जहां प्रवासियों के पैदल यात्रा करने की सूचना है;
  • जिला अधिकारी परिवहन की व्यवस्था करके पैदल चल रहे श्रमिकों का मार्गदर्शन कर उन्‍हें निर्दिष्ट स्थानों, पास के बस टर्मिनलों या रेलवे स्टेशनों पर ले जा सकते हैं;  
  • प्रवासी श्रमिकों के बीच महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की विशिष्ट आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है; 
  • विश्राम स्थलों पर दीर्घकालिक क्‍वारंटाइन की आशंका को दूर करने के लिए जिला प्राधिकरण विश्राम स्थलों, इत्‍यादि पर गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रतिनिधियों की सेवाएं ले सकते हैं। श्रमिकों को उन्‍हीं स्थानों पर बने रहने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा सकता है जहां अभी वे हैं;
  • प्रवासियों के पते और संपर्क नंबर एक सूची में नोट किए जा सकते हैं। यह उचित समय पर उनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाने में सहायक हो सकता है।

इस पत्र में यह बात दोहराई गई है कि जिला अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी प्रवासी श्रमिक को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए विवश होकर सड़कों या रेलवे पटरियों पर चलने की जरूरत ही न पड़े। वे आवश्यकतानुसार रेलगाड़ियों को चलाने के लिए रेल मंत्रालय से अनुरोध कर सकते हैं।

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पश्चिम बंगाल और उत्तर ओडिशा तटों के लिए तूफान की चेतावनी:

सुपर चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ दक्षिण बंगाल की खाड़ी के पश्चिम-मध्य और आसपास के मध्य क्षेत्रों में: पश्चिम बंगाल और उत्तर ओडिशा तटों के लिए तूफान की चेतावनी

भारतीय मौसम विभाग के चक्रवात चेतावनी प्रभाग द्वारा जारी ताजा विज्ञप्ति (भारतीय मानक समय 2100 बजे) के अनुसार:

NBT

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की कुल 19 टीमें पश्चिम बंगाल में सहायता के लिए तैनात।

सुपर चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ (उच्चारण यूएम-पीयूएन) दक्षिण बंगाल की खाड़ी के पश्चिम मध्य और आसपास के मध्य क्षेत्र के ऊपर बीते 6 घंटे के दौरान करीब 11 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उत्तर की तरफ बढ़ा है। यह आज 18 मई 2020 को 1730 बजे आईएसटी पर 14.0 डिग्री उत्तर अक्षांश और 86.3 डिग्री पूर्व देशांतर में पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर पारादीप (ओडिशा) के दक्षिण में करीब 700 किमी, दीघा (पश्चिम बंगाल) के दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में 860 किमी और खेपूपुरा (बांग्लादेश) के दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में 980 किमी दूर स्थित है।

इसके उत्तर-उत्तरपूर्व की ओर बढ़ते हुए उत्तर पश्चिम बंगाल की खाड़ी की तरफ पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश के तटीय क्षेत्रों दीघा (पश्चिम बंगाल) और हटिया द्वीप समूह (बांग्लादेश) के बीच सुंदरबन के करीब से 20 मई 2020 को दोपहर/शाम में गुजरने की संभावना है। यह भयानक चक्रवाती तूफान तटीय क्षेत्रों से 165-175 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से टकरा सकता है। हवाओं की अधिकतम रफ्तार 195 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है।

तूफान के रास्ते का पूर्वानुमान और तीव्रता निम्न तालिका में दी गई है:

तिथि/समय (भारतीय मानक समय) स्थिति (अक्षांश डिग्री उत्तर/ देशांतर डिग्री पूर्व)निरंतर सतह पर हवा की अधिकतम गति (किमी प्रति घंटे)  चक्रवातीय विक्षोभ का वर्ग 
18.05.20/1730   14.0/86.3230 से 240 किमी प्रति घंटे की गति से 265 तकसुपर चक्रवाती तूफान
18.05.20/2330   15.2/86.5240 से 250 किमी प्रति घंटे की गति से 275 तकसुपर चक्रवाती तूफान
19.05.20/0530   15.9/86.7240 से 250 किमी प्रति घंटे की गति से 275 तकसुपर चक्रवाती तूफान
19.05.20/1130   17.1/87.0230 से 240 किमी प्रति घंटे की गति से 265 तकसुपर चक्रवाती तूफान
19.05.20/1730   17.7/87.2200 से 210 किमी प्रति घंटे की गति से 230 तकअत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान 
20.05.20/053019.6/87.7180 से 190 किमी प्रति घंटे की गति से 210 तकअत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान 
20.05.20/1730   21.8/88.5135 से 145 किमी प्रति घंटे की गति से 160 तककाफी गंभीर चक्रवाती तूफान 
20.05.20/0530   23.8/89.180 से 90 किमी प्रति घंटे की गति से 100 तकचक्रवाती तूफान
21.05.20/1730   25.9/89.840 से 50 किमी प्रति घंटे की गति से 60 तकदबाव

(1) भारी बारिश की चेतावनी:

ओडिशा

ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में आज 18 मई 2020 को रात से ही हल्की से मध्यम बारिश शुरू हो सकती है। तटीय ओडिशा (गजपति, गंजम, पुरी, जगतसिंहपुर और केंद्रपाड़ा जिलों में) में अलग-अलग जगहों पर भारी बारिश के आसार हैं। बारिश ज्यादातर क्षेत्रों में लेकिन उत्तरी तटीय ओडिशा (जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, जाजपुर, बालासोर, भद्रक और मयूरभंज जिलों में) में कुछ जगहों पर भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। 19 मई को खोरधा और पुरी जिलों में भारी बारिश और उत्तरी ओडिशा (भद्रक, बालासोर, मयूरभंज, जाजपुर, केंद्रपाड़ा और क्योंझर जिलों) में 20 मई 2020 को भारी बारिश की संभावना है।

पश्चिमबंगाल

पश्चिम बंगाल में गंगा के तटीय जिलों (पूर्वी मेदिनीपुर, दक्षिण एवं उत्तर 24 परगना) में 19 मई को कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश और कुछ जगहों पर भारी वर्षा का अनुमान है। 20 मई को अधिकांश स्थानों पर वर्षा और कुछ स्थानों पर भारी वर्षा तथा पश्चिम बंगाल में गंगा के आसपास (पूर्वी एवं पश्चिमी मेदिनीपुर, दक्षिण एवं उत्तर 24 परगना, हावड़ा, हुगली, कोलकाता एवं समीपवर्ती जिलों) में बहुत भारी वर्षा हो सकती है एवं 21 मई 2020 को अंदरूनी जिलों में कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है।

उप-हिमालयी पश्चिमबंगाल एवं सिक्किम

20 मई को ज्यादातर जगहों पर हल्की से मध्यम वर्षा तथा माल्दा एवं दिनाजपुर जिलों में कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने का अनुमान है और 21 मई 2020 को उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल एवं सिक्किम के अधिकांश जिलों में भारी वर्षा का अनुमान है।

असम एवं मेघालय

21 मई को असम एवं मेघालय के पश्चिमी जिलों में अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा तथा कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने का अनुमान है।

(2) वायु चेतावनी

पश्चिमबंगालऔरओडिशा

  • 18 मई की शाम से दक्षिण ओडिशा के तट के साथ एवं आसपास के क्षेत्रों में हवा 45 से 55 किमी प्रति घंटे की गति (जो बढ़कर 65 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है) से चलने का अनुमान है, जो  19 मई की सुबह से उत्तर ओडिशा तट के साथ एवं आसपास और 19 मई की दोपहर से पश्चिम बंगाल तट के साथ एवं आसपास बढ़कर 55 से 65 किमी प्रति घंटे तथा आगे 75 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है।
  • उत्तरी ओडिशा (जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, बालासोर, भद्रक एवं मयूरभंज जिलों) तथा पश्चिम बंगाल (पूर्वी एवं पश्चिमी मेदिनीपुर, दक्षिण एवं उत्तर 24 परगना, हावड़ा, हुगली, कोलकाता जिलों) के तटीय जिलों में हवाओं की गति 20 मई की सुबह से धीरे-धीरे बढ़कर आंधी के रूप में तब्दील हो जाएगी और 75 से 85 किमी प्रति घंटे तथा आगे 95 किमी प्रति घंटे तक पहुंच जाएगी। धीरे-धीरे यह बढ़कर उत्तर ओडिशा के उपरोक्त उल्लिखित जिलों में 110 से 120 किमी प्रति घंटे तथा आगे बढ़कर 135 किमी प्रति घंटे तक पहुंच जाएगी।
  • जमीन पर वर्षा के पहुंचने के दौरान (20 मई की दोपहर से रात तक) 165 से 175 किमी प्रति घंटे तथा बढ़कर 195 किमी प्रति घंटे तक पहुंचने वाली आंधी वाली हवाओं के पूर्वी मेदिनीपुर एवं उत्तर तथा दक्षिण 24 परगना जिलों तथा 100 से 110 किमी प्रति घंटे तथा आंधी वाली हवाओं के पश्चिमी बंगाल के कोलकाता, हुगली एवं पश्चिम मेदिनीपुर में बढ़कर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने का अनुमान है।
  • 20 मई 2020 को ओडिशा के पुरी, खोरधा, कटक, जाजपुर जिलों में 55 से 65 किमी प्रति घंटे तथा बढ़कर 75 किमी प्रति घंटे तक चक्रवाती हवाओं के चलने की संभावना है।

गहरा समुद्री क्षेत्र

  • पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर 230 से 240 किमी प्रति घंटे तथा बढ़कर 265 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आंधी वाली हवाओं के चलने का अनुमान है। आज रात से 19 मई की सुबह तक मध्य बंगाल की खाड़ी के उत्तरी हिस्सों तथा आसपास के उत्तरी बंगाल की खाड़ी में 230 से 240 किमी प्रति घंटे तथा बढ़कर 265 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं।
  • 200 से 210 किमी प्रति घंटे तथा बढ़कर 230 किमी प्रति घंटे तक पहुंचने वाली आंधी के 19 मई की सुबह तक उत्तर बंगाल की खाड़ी के ऊपर चलने का अनुमान है और फिर धीरे-धीरे घटकर 20 मई की शाम तक 165 से 175 किमी प्रति घंटे तथा बढ़कर 195 किमी प्रति घंटे तक पहुंचने का अनुमान है।

(3) समुद्र की स्थिति

पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी क्षेत्रों में समुद्र की स्थिति असाधारण हैं और अगले 24 घंटों तक ऐसे ही बनी रह सकती है। यह 19 मई को मध्य बंगाल की खाड़ी के उत्तरी भागों तथा आसपास के उत्तरी बंगाल की खाड़ी में जबकि 20 मई 2020 को उत्तरी बंगाल की खाड़ी के ऊपर असाधारण बन जाएगी।

(4) मछुआरों के लिए चेतावनी

  • मछुआरों को अगले 24 घंटों के दौरान दक्षिण बंगाल की खाड़ी के पश्चिम-मध्य एवं समीपवर्ती मध्य भागों, 19 मई को मध्य बंगाल की खाड़ी एवं 19 से 20 मई 2020 के दौरान उत्तर बंगाल की खाड़ी में न जाने का सुझाव दिया गया है।
  • इसके साथ ही मछुआरों को 18 से 20 मई के दौरान उत्तर बंगाल की खाड़ी एवं उत्तर ओडिशा, पश्चिम बंगाल और समीपवर्ती बांग्लादेश के तटों एवं क्षेत्रों में भी न जाने का सुझाव दिया गया है।

(5) तूफान बढ़ने के आसार

  • तटीय क्षेत्रों में तूफान के टकराने के दौरान करीब 3-4 मीटर तक खगोलीय ज्वार के कारण पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले के निचले इलाकों में पानी भरने और 4-6 मीटर खगोलीय ज्वार के कारण दक्षिण और उत्तर 24 परगना के निचले इलाकों में पानी भरने की संभावना है। (चित्र संलग्न है)

(6) नुकसान की आशंका एवं सुझाई गई कार्रवाई

(पश्चिमबंगाल (पूर्वमेदिनीपुरदक्षिणएवंउत्तर 24 परगनाहावड़ाहुगलीकोलकाताजिलोंमें)

अपेक्षित नुकसान:

  • सभी प्रकार के कच्चे मकानों को भारी नुकसान, पुराने ठीक से रखरखाव न किए गए पक्के ढांचों को भी कुछ नुकसान, उड़ने वाली वस्तुओं से संभावित खतरा।
  • संचार और बिजली के खंभों का बड़ी संख्या में उखड़ना।
  • कई स्थानों पर रेल/सड़क संपर्क में बाधा।
  • खड़ी फसलों, बागानों, उद्यानों को व्यापक नुकसान।
  • ताड़ एवं नारियल के पेड़ों को नुकसान।
  • बड़े झाड़ी वाले पेड़ों का उखड़ना।
  • बड़ी नौकाओं और जहाजों के लंगर को नुकसान।

मछुआरों को चेतावनी और सुझाए गए कदम:

  • 18 से 20 मई 2020 तक मछली पकड़ने का काम पूरी तरह स्थगित।
  • रेल और सड़क यातायात का डायवर्जन या स्थगन।
  • प्रभावित क्षेत्रों के लोग घरों के भीतर रहें। निचले इलाकों से लोगों की निकासी करना।
  • मोटर बोट और छोटे जहाजों में आवाजाही उचित नहीं।

(ओडिशा (जगतसिंहपुरकेंद्रपाड़ाभद्रकबालासोरजाजपुरएवंमयूरभंज)

नुकसान का खतरा:

  • छप्पर वाले मकानों को पूरा नुकसान/कच्चा घरों को व्यापक नुकसान। उड़ने वाली वस्तुओं से संभावित खतरा।
  • बिजली और संचार के खंभों का मुड़ना/उखड़ना।
  • कच्ची एवं पक्की सड़कों को भारी नुकसान। रेलवे, ओवरहेड पावर लाइनों एवं सिगनलिंग प्रणालियों में कुछ नुकसान।
  • खड़ी फसलों, बागों, उद्यानों को व्यापक नुकसान, हरे नारियल के पेड़ों के गिरने और ताड़ के पत्तों के फटने की आशंका, आम जैसे बड़ी झाड़ी वाले पेड़ों को नुकसान।
  • छोटी नौकाएं, कंट्री क्राफ्ट लंगर से अलग हो सकते हैं।

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कोरोना संकटकाल, प्रवसन और प्रवासी मजदूर एक समाजशास्त्रीय विश्लेषण

‘‘जिन्दगी क्या किसी मुफलिस की कबा है, जिसमें हर घड़ी दर्द के पैबन्द लगे जाते है’’ -फैज 

अपनी अस्मिता और पहचान के संकट, बेहतर आर्थिक दशाओं की उम्मीद और आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ करने के सपनों को लेकर जन्म स्थान से दूर किसी अन्य सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक क्षेत्र में सामूहिक रूप से स्थायी-अस्थायी रूप से बसने की स्थिति को सामान्यतया आप्रवास/प्रव्रजन/देशान्तरण कहते हैं। किसी एक भौगोलिक/राष्ट्रीय क्षेत्र से दूसरे भौगोलिक/राष्ट्रीय क्षेत्र में सापेक्षतः स्थाई गमन की प्रक्रिया प्रव्रजन/देशान्तरण के नाम से जानी जाती हैं। इसी से मिलती-जुलती दो अन्य अवधारणायें यथा उत्प्रवास और आव्रजन हैं। किसी व्यक्ति द्वारा अपने देश को छोड़कर दूसरे देश में जाने की प्रक्रिया ‘उत्प्रवास’ (एमिग्रेशन) कहलाती  हैं। इसके विपरीत, देश में आने की प्रक्रिया को ‘आव्रजन’ या आप्रवास (इमिग्रेशन) कहते हैं। इसके अतिरिक्त प्रव्रजन का एक दूसरा रूप भी है जिसे ‘आन्तरिक प्रव्रजन’ कहते हैं। इस प्रकार प्रव्रजन में एक ही देश में एक स्थान से दूसरे स्थान जैसे गाँव से शहर की ओर निष्क्रमण अथवा शहर के मध्य क्षेत्र से उपनगरों की ओर गमन की प्रक्रियायें भी सम्मिलित की जाती हैं। आप्रवास की प्रकृति के अनुसार भी इसके कई रूप है जैसे चयनित या मौसमी, स्थायी या अस्थायी। प्रवसन की प्रक्रिया प्रारम्भ में भले ही कम रही हो लेकिन सभी देशों और सभी समयों में रही हैं।

औद्योगिक क्रान्ति के पूर्व प्रवसन का मुख्य कारण राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक आप्रवास की स्थितियां ही दृष्टिगोचर होती है लेकिन 11वीं शताब्दी की औद्योगिक क्रान्ति ने समस्त समाज को नयी परिस्थितियों से रूबरू कराया जिसमें आर्थिक आयाम के विभिन्न नये वर्ग का उदय हुआ जिसे माक्र्स ने ‘सर्वहारा’ कहा। औद्योगिक क्रान्ति के पश्चात् उद्योग एवं व्यापार आधारित आप्रवास क्रमशः तीव्र और प्रमुख हो गया।

कुछ बेहतर पाने की आस में या कृषि से बेदखली के पश्चात जीविकोपार्जन के अन्तिम विकल्प के रूप में मिलों, कारखानों में काम करने हेतु बढ़ी संख्या में गाँवों से लोगों ने शहरों की ओर पलायन करना प्रारम्भ किया तो कहीं-कहीं सस्ते श्रम की जुगाड़, आर्थिक शोषण की प्रवृत्ति और अपनी औद्योगिक श्रम की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने अपने अधीन रहे राष्ट्रों से बढ़ी संख्या में इस पलायन को स्वीकारोक्ति एवं संरक्षण प्रदान किया।विश्वव्यापीकरण, उदारीकरण और निजीकरण की प्रक्रिया तथा सूचना संचार क्रान्ति के तालमेल से इसके अन्तर्राष्ट्रीय स्तर विभिन्न सकारात्मक एवं नकारात्मक आयाम एक साथ देखने को मिले। आज वैश्विक त्रासदी कोविड-19 महामारी के प्रभाव में नकारात्मक पहलू ज्यादा सामने आ रहा है क्योंकि बाजारवादी/उपभोगवादी समाज में चाहे बात श्रमिकों के पलायन की हो या प्रतिभाओं के निरन्तर पलायन की हो, प्रत्येक सन्दर्भ में हमें पक्ष एवं विपक्ष में अपने-अपने मत व्यक्त करने वालो के दो स्पष्ट समूह दिख जायेंगे। इन समस्याओं पर तटस्थ होकर एक भारतीय के रूप में विचार करना ही इस लेख का उद्देश्य है। उन तथ्यों पर भी विचार करना होगा जिनके कारण आज कुछ राज्यों में प्रवसन दर अधिक है तो उसके क्या कारण है। पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और कुछ समय से गुजरात भी अब इस सूची में शामिल हुआ है जिनकी ैण्क्ण्च्ण् ;ैजंजम क्वउमेजपब च्तवकनबजपवदद्ध अर्थात राज्य के सकल घरेलू उत्पादन में प्रति व्यक्ति सूची में सबसे ऊपर है और वहाँ गरीबी का प्रतिशत कम होने के कारण अन्य राज्यों के प्रवासी आकर्षित होते हैं। उदाहरण के लिये बिहार जो उच्च जनसंख्या वृद्धि दर, अत्यधिक गरीबी और खराब एस.डी.पी. वाला प्रदेश है, वहा के लोग पलायन के प्रति अधिक आकर्षित होते है। इस कारण वहा प्रवसन 1000 व्यक्तियों पर 31 से अधिक है। पश्चिम बंगाल एक और ऐसा राज्य है जहाँ दूसरे राज्यों के प्रवासी जाते है परन्तु कुछ समय से यह दर कम हुई हैं। कुछ नये अध्ययनों में सामने आया है कि महाराष्ट्र पूरे देश से विशेषतः उत्तर प्रदेश एवं बिहार से प्रवासियों को आकर्षित करता है। यू.पी. और बिहार से निकलती प्रवासी धारा प्रायः पूरे भारतवर्ष में फैल चुकी है। अगर हम नीतियों की बात करें तो बिहार अब तक कई बार विभाजन की नीति से प्रभावित हुआ हैं। 1911 में तत्कालीन बंगाल प्रेसीडेन्सी से उड़ीसा एवं बिहार को पृथक किया गया; 1136 में बिहार को एक पृथक प्रशासकीय प्रान्त के रूप में स्थापित किया गया। स्वतन्त्र भारत में 15 नवम्बर 2000 को खनिज एवं वन सम्पदा से समृद्ध छोटा नागपुर एवं संथाल परगना परिक्षेत्र को झारखण्ड के रूप में बिहार से अलग कर दिया गया। स्वतन्त्रतापूर्व से अब तक बिहार में उत्प्रवास (आउट माइग्रेशन) की प्रक्रिया सतत रूप से चलती रही। भारत के दुर्गम से दुर्गम स्थान पर बिहारी आप्रवासी दिख जाते है लेकिन चर्चा में तब आते है जब किसी प्राकृतिक आपदा या मानवीय संवेदनहीनता के शिकार बनते है या दुर्घटनाओं का शिकार होते है। उत्तर प्रदेश उभरता उत्तम प्रदेश हो या बिहार (घर) से बाहर काम की तलाश जिसमें रोटी हाथ में हो, इस उम्मीद से शारीरिक तथा मानसिक स्तर पर कठोर एवं अमानवीय कार्य हेतु बाध्य है। कठिन परिस्थितियों में महज जीवनयापन के उद्देश्य से निकल पड़ते हैं। सामाजिक तथा आर्थिक स्तर पर प्रताड़क असुरक्षा का भाव लिये, जीवन को बनाये और बचाने रखने के क्रम में पेन्डुलम की तरह झूलते हुए व्यवस्थित जीवन की लय खो चुके होते है। इतना ही नहीं घर से दूर होकर प्रायः विभिन्न कारणों से ये अपनी पैतृक सम्पत्ति (घर-बार, जानवर, खेत-खलिहान) और सांस्कृतिक पूँजी के रूप में स्थानीय तीज-त्यौहारों से भी दूर हो जाते है, जो इनमें उत्साह और उमंग का संचार करते थे। घर-द्वार छूटते ही सब छूट जाता है और यन्त्रवत कार्यशैली जीवन का हिस्सा बन जाती है। शोषण या अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में रहने से, लगातार 10-12 घंटे काम करने साथ ही अपर्याप्त भोजन जैसी समस्याओं के कारण जल्दी ही रुग्ण, अक्षम और कमजोर हो जाते हैं। इन तमाम परिस्थितियों को फिर चाहे कोरोना संक्रमणकाल से जनित लाॅकडाउन (तालाबन्दी) हो, रोजगार का संकट, घर-वापसी हेतु कोई समुचित साधन न होना, जेब और पेट दोनों खाली इसी को नियति मानकर सबकुछ गवाँ देते हैं। प्रश्न उठता है कि ऐसा क्यों होता हैं? क्यों वे हजारों किमी दूर जाते है? क्यों आज जब हम बैठे है घरों में वे सड़कों पर सपरिवार, ससामान, चिलचिलाती धूप में, कई-कई दिनों तक घर वापसी का सफर तय करते है कि जो देहरी कई वर्षों से छूट गयी उसे अनिश्चितता के दौर में चूम तो सकें? इनके अनेक उत्तर हो सकते है। इन उत्तरों में सर्वाधिक जटिल यदि राजनीतिक बौद्धिकता के उत्तर है तो सर्वाधिक सरल रूप में सामाजिक परिस्थितियों का आंकलन करते हुए समाजशास्त्रीय उत्तर है। अपने पैतृक (मूल) स्थान में उपलब्ध संसाधनों, सेवाओं एवं आय के स्रोतों के प्रति सापेक्ष वंचना अर्थात दूसरे की तुलना में कमी का भाव। अपेक्षाकृत बेहतर संसाधनों, साधनों, सेवाओं एवं आय के नये-नये स्रोतों की प्राप्ति के अवसर उपलब्ध होने पर व्यक्ति अपना मूल स्थान छोड़कर परदेश या अन्य क्षेत्रों में जाता है। यह प्रत्येक कोण से सही हैं।

जब राज्यों में परिस्थितियाँ नागरिकों की जीवन-प्रत्याशा के अनुकूल नहीं रहती तब रोजगार का संकट उन्हें राज्य से पलायन हेतु विवश करता है। उनके पास वर्तमान परिस्थितियों में कोई अन्य उचित एवं सम्मानजनक विकल्प शेष नहीं बचता। वे राज्य जिनको सर्वोच्च बनाने में इन्हीं आप्रवासियों ने अहम भूमिका अदा की अपने सस्ते श्रम से, सहज उपलब्धता से। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में वही राज्य इनसे पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं। मजबूरन घर-वापसी हेतु मीलों चलते, दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे है। एक बात ये भी सच है कि किसी राज्य पर मंडरानेवाला कोई भी काला बादल देर-सबेर अन्यों को भी आच्छादित कर सकता हैं इसलिए आवश्यकता हैं इस सन्दर्भ में तार्किक, सहिष्णु, ईमानदार और वस्तुतः बौद्धिक दृष्टिकोण की। ‘‘श्रमेव जयते।’’

लेखिका डाॅ. नेहा जैन, पं. दीनदयाल उपाध्याय राज.म.स्ना. महाविद्यालय लखनऊ में समाजशास्त्र की विभागाध्यक्ष हैै

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