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कानपुर

जेब्राफिश में पाया जाने वाला प्रोटीन, मानव के मेरुदण्ड अस्थिखण्ड में उम्रदराज डिस्क को फिर से पैदा कर सकता है

जेब्राफिश की रीढ़ की हड्डी में पाया जाने वाला एक प्रोटीन, जो डिस्क रखरखाव में सकारात्मक भूमिका निभाता है और मेरुदण्ड अस्थिखण्ड में उम्रदराज डिस्क को फिर से पैदा करने को बढ़ावा देता है, में कमजोर पड़ चुके मानव डिस्क फिर से पैदा करने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने संबंधी चिकित्सीय प्रभाव के मौजूद होने की संभावना हो सकती है।

मनुष्यों में, डिस्क स्वाभाविक रूप से कमजोर पड़ जाती है, जिससे पीठ के निचले हिस्से, गर्दन और उपांग में दर्द सहित कई संबंधित स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं। वर्तमान में, कमजोर पड़ चुके डिस्क के लिए केवल रोगसूचक उपचार उपलब्ध हैं, जिनमें दर्द निवारक या सूजन-रोधी दवाएं शामिल हैं। गंभीर मामलों में डिस्क विस्थापन या डिस्क फ्यूजन सर्जरी की जाती है। इस प्रकार, कमजोर होते डिस्क की गति को कम करने या मनुष्यों में डिस्क को फिर से पैदा करने पर आधारित एक उपचार प्रक्रिया को विकसित करने की तत्काल आवश्यकता है। चिकित्सा परीक्षण मानव डिस्क के कमजोर होते जाने के चरणों से सम्बंधित आवश्यक जानकारी प्रदान करते हैं, लेकिन डिस्क के रखरखाव में भूमिका निभाने वाली कोशिका और आणविक प्रक्रियाओं के बारे में सीमित जानकारी उपलब्ध है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कमजोर होते डिस्क की गति को कम करने या मनुष्यों में डिस्क को फिर से पैदा करने पर आधारित कोई चिकित्सा प्रक्रिया या उपचार ज्ञात नहीं है।

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विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान, आगरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट (एआरआई), पुणे द्वारा किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि अंतर-मेरुदंड डिस्क कोशिकाओं से स्रावित कोशिका कम्युनिकेशन नेटवर्क फैक्टर 2ए (सीसीएन2ए) नामक एक प्रोटीन, कमजोर व उम्रदराज होते डिस्क में डिस्क को फिर से पैदा करने को उत्प्रेरित करता है तथा इसके लिए एफजीएफआर 1-एसएचएच (फाइब्रोब्लास्ट ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर-सोनिक हेजहोग) पाथवे नामक तरीके को संशोधित करके कोशिका प्रसार करता है और कोशिका को संरक्षित करता है।

एक मॉडल जीव के रूप में ज़ेब्राफिश का उपयोग करने वाला यह अध्ययन विवो अध्ययन में पहला है, जो दिखाता है कि अन्तःविकसित सिग्नलिंग कैस्केड को सक्रिय करके कमजोर व उम्रदराज होते डिस्क में डिस्क को फिर से पैदा करने को उत्प्रेरित करना संभव है। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि सीसीएन2ए- एफजीएफआर 1-एसएचएच, सिग्नलिंग कैस्केड डिस्क के रखरखाव और डिस्क को फिर से पैदा करने की प्रक्रिया में सकारात्मक भूमिका निभाता है। जर्नल, डेवलपमेंट में प्रकाशित इस अध्ययन में आनुवांशिकी और जैव-रसायन दृष्टिकोण का उपयोग किया गया है और यह डिस्क के कमजोर होती प्रक्रिया की गति को धीमा करने या कमजोर हो चुके मानव डिस्क में डिस्क को फिर से पैदा करने की प्रक्रिया को उत्प्रेरित करने के लिए एक नई रणनीति तैयार करने में मदद कर सकता है।

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पिछले 8 वर्षों में किए गए संरचनात्मक सुधारों से भारत को विश्व की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में स्थान बनाने में मदद मिलेगी: गोयल

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने आज विश्वास जताया कि सरकार द्वारा पिछले 8 वर्षों में किए गए संरचनात्मक सुधारों से भारत को विश्व के शीर्ष तीन विकसित अर्थव्यवस्थाओं में उभरने में सहायता मिलेगी। वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से व्हार्टन इंडिया इकोनॉमिक फोरम के 27वें संस्करण के अवसर पर परस्पर बातचीत कर रहे थे। आज के कार्यक्रम का विषय था- अनिश्चितता के युग में भारत का अग्रणी नवाचार।

आने वाले वर्षों में भारत की विकास गाथा का मार्ग प्रशस्त करने वाले सबसे प्रभावशाली आर्थिक सुधारों की चर्चा करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में हुए कई संरचनात्मक परिवर्तनों का तेजी से आगे बढ़ने की भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। उन्होंने जीएसटी को महत्वपूर्ण सुधारों में से एक बताया और रेखांकित किया कि चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिदृश्य के बावजूद हाल के जीएसटी संग्रह बहुत मजबूत रहे हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत अब एक अधिक ईमानदार, पारदर्शी अर्थव्यवस्था है और लोग अब अपने करों का भुगतान करने के अभ्यस्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) भी एक महत्वपूर्ण सुधार उपाय है, जिसके परिणामस्वरूप भारत में मजबूत बैंकिंग प्रणाली का निर्माण हुआ है। ये बैंक उद्योग के विकास के लिए संसाधन प्रदान करने में सक्षम रहे हैं। उन्होंने निजीकरण, अर्थव्यवस्था विशेष रूप से, वित्तीय क्षेत्र के डिजिटलीकरण, कानूनों के गैर-अपराधीकरण, व्यापार करने में सुगमता में सक्षम बनाने के लिए अनुपालन के सरलीकरण जैसे सुधारों का भी उल्लेख किया।

इस प्रश्न के उत्तर में कि कौन से क्षेत्र सरकार के लिए रणनीतिक प्राथमिकताएं हैं, श्री गोयल ने कहा कि अवसंरचना, सेमीकंडक्टर, घरेलू विनिर्माण प्राथमिकता वाले कुछ क्षेत्र हैं। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री मोदी का फोकस भारत में एक सुदृढ़ अवसंरचना के निर्माण पर है। इस प्रयत्न में निजी क्षेत्र भी योगदान दे रहा है। श्री गोयल ने कहा कि सेमीकंडक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इसके अतिरिक्त, एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र घरेलू विनिर्माण है और सरकार ने 14 से अधिक क्षेत्रों में भारतीय विनिर्माण को आरंभ करने के लिए पीएलआई स्कीमों की शुरुआत की है। श्री गोयल ने उल्लेख किया कि सरकार निजी क्षेत्र/उद्योग संघों को भी खुद ही यह निर्धारित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है कि उन्हें किन क्षेत्रों में सरकार से सहायता की आवश्यकता है।

रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव के संबंध में मौजूदा भू-राजनीतिक माहौल पर अपने विचार साझा करते हुए श्री गोयल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के इस विश्वास को दोहराया कि वर्तमान युग युद्ध का युग नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का मानना है कि इस संकट को हल करने के लिए संवाद और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है और उन्होंने संघर्ष को अतिशीघ्र हल करने की अपील की। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस मुद्दे पर विश्व के नेताओं के साथ कई बार बातचीत की है। भारत ने बाली में जी-20 की बैठक में सर्वसहमति बनाने की कोशिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के हस्तक्षेप के कारण, विश्व अर्थव्यवस्थाएं जी20 में एक परिणाम पर पहुंचने में सक्षम रहीं और उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह रूस यूक्रेन युद्ध के समाधान खोजने के लिए आगे का रास्ता प्रशस्त करेगा। श्री गोयल ने कहा कि भारत में सरकार ने आम आदमी की आवश्यकताओं को पूरा करने, पर्याप्त खाद्य भंडार की उपलब्धता, ऊर्जा की आवश्यकता, पर्याप्त बीज, पर्याप्त उर्वरक सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया है।

श्री गोयल ने पिछले पांच वर्षों में मुक्त व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने में भारत के नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने की चर्चा करते हुए इस बात पर बल दिया कि भारत आज अतीत की छाया से बाहर निकल आया है। भारत ने माना है कि बहुपक्षीय सहयोग अक्सर आर्थिक साझेदारी की ओर ले जाते हैं जो सभी हितधारकों के सर्वोत्तम हित में नहीं भी हो सकते हैं। उन्होंने भारत के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) से बाहर निकलने का उदाहरण दिया क्योंकि यह एक बहुत ही अनुचित, असंतुलित समझौता था। उन्होंने कहा कि भारत की रूचि दोनों देशों के सर्वोत्तम हित में संतुलित द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते करने में है। हम समान विचारधारा वाले देशों, विशेष रूप से नियम आधारित आदेश, पारदर्शी आर्थिक प्रणाली वाले देशों के साथ जुड़ रहे हैं और ऐसे समझौते कर रहे हैं जो दोनों पक्षों के लिए लाभप्रद हैं।

कोविड महामारी से सीखे गए सबक का उल्लेख करते हुए हुए, श्री गोयल ने कहा कि स्वास्थ्य ढांचे का उन्नयन और विस्तार हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने रेखांकित किया कि सरकार ने अस्पताल अवसंरचना की गुणवत्ता में सुधार किया है, आईसीयू बेड और ऑक्सीजन क्षमता को कई गुना बढ़ाया है, देश में चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या लगभग दोगुनी कर दी है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि स्वास्थ्य कर्मियों के कौशल विकास प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। उन्होंने भारत के निशुल्क स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम की भी चर्चा की, जो विश्व का सबसे बड़ा कार्यक्रम है, जिसमें 500 मिलियन लोग सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के माध्यम से भारत में निशुल्क स्वास्थ्य देखभाल के पात्र हैं।

उन्होंने कहा कि लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं के महत्व को स्वीकार करना एक और सबक है। उन्होंने बेहतरीन प्रयासों के बावजूद कोविड महामारी के दौरान पीपीई जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों के लिए देश के संघर्ष का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि सरकार अब इन सभी क्षेत्रों में भारत की क्षमताओं को मजबूत करने पर ध्यान दे रही है। उन्होंने रेखांकित किया कि इन चुनौतियों को भारत के भविष्य- भारत की विकास गाथा के अवसरों में बदल दिया गया। हमारा भारतीय उद्योग वास्तव में इस अवसर पर आगे बढ़ा और भारत अब व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों का विनिर्माता है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, भारत एक मजबूत, नियम आधारित प्रणाली में विश्वास करने वाले निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सक्षम अवसंरचना, पर्यावरण के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान संरचनात्मक सुधारों, व्यापक स्तर पर अवसंरचना के विकास, डिजिटलीकरण और विशाल प्रतिभा पर है, जो भारत विश्व को उपलब्ध करा रहा है और यह भारत के भविष्य को फिर से लिखने में सहायता कर रहा है।

अगले 25 वर्षों के लिए चुनौतियों और अवसरों की चर्चा करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक- गुणवत्ता के महत्व को पहचानने और उसे महत्व देने के लिए राष्ट्र की मानसिकता को बदलना है। उन्होंने इसे भारत के भविष्य के लिए एक परिभाषित कारक करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार बड़ी संख्या में लोगों के लिए रोजगार सृजित करने, डिजिटलीकरण पर ध्यान केंद्रित करने, भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए विनिर्माण की सहायता करना जारी रखेगी। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत ने डिजिटल रूप से 74 बिलियन से अधिक वित्तीय लेनदेन किए, जो संयुक्त रूप से यूरोप, अमेरिका और चीन से अधिक है। उन्होंने कहा कि हमारी चुनौती राष्ट्र की मानसिकता को उच्च गुणवत्ता, उच्च प्रौद्योगिकी, उच्च सेवा उन्मुख होने की दिशा में कार्य करने की है, जो शेष विश्व की आवश्यकताओं को पूरा कर सके।

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समाचार कानपुर से

कानपुर 5 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता

कानपुरनगर-पनकी इंडस्ट्रियल एरिया साइट 3 के G-60 फैक्ट्री में भीषण अग्निकांड लगभग 3.30 बजे आज प्रातः हुआ_

_इस भीषण अग्निकांड में विभिन्न फायर स्टेशनों की 10 फायर टेंडर्स को प्रयोग करते हुए आग पर पूर्ण रूप से काबू पाया गया_

_इस घटना को सुरक्षित तरीके से बुझाया गया इसमें कोई जनहानि नहीं हुई।।_

_जिस फैक्ट्री में भीषण अग्निकांड हुआ उसमें रबर के सोल बनाने का कार्य होता था, आग लगने के कारण प्रथम दृष्टया शॉर्ट सर्किट प्रतीत होता है।।_

_इस भीषण अग्निकांड को नियंत्रित करने हेतु अग्निशमन अधिकारी फजलगंज,अग्निशमन द्वितीय अधिकारी मीरपुर और फायर सर्विस स्टाफ उपस्थित रहा_
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: *कानपुर में अटैक से 10 और ने तोड़ा दम*

तापमान पहुंचा 2°C, 50 साल का टूटा रिकॉर्ड; कोल्ड वेव का अलर्ट

मंगलवार की रात यूपी में सबसे ज्यादा ठंडी कानपुर में रही।

LPS कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट में 5 हार्ट पेशेंट्स ने दम तोड़ा। वहीं 5 पेशेंट्स ने कॉर्डियोलॉजी पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया।

परिजन जब तक उन्हें इंस्टीट्यूट लेकर पहुंचे मौत हो गई थी।

मंगलवार को इमरजेंसी में 118 पेशेंट्स पहुंचे जबकि ओपीडी में 609 हार्ट पेशेंट्स पहुंचे।

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*ककवन थाना क्षेत्र में संदिग्ध परिस्थियों में युवक ग़ायब होने का मामला*
विषधन क्षेत्र में शादी के कार्ड बाटने गया था युवक।
वापस ना आने पर परिजनों ने की तलाश तो नहर के किनारे खून से सने ग्लब्ज आदि मिले।
नहर में तलाश करने पर मोटर साइकिल हुई बरामद।
पास ही काफी मात्रा में खून पड़ा मिला।
परिजनों ने गांव के ही एक परिवार पर हत्या का शक ज़ाहिर किया।
लड़की के विवाह को लेकर एक युवक लगातार दे रहा था धमकी।
परिजनों ने ककवन थाने में युवक के गायब होने की दी सूचना।
पुलिस की सुस्त चाल से परिजनों में अनहोनी होने का डर।
काफी दिनों से नौशाद नाम का युवक कर रहा था परेशान।
*परिजनों ने ककवन थाना क्षेत्र पुलिस पर कार्यवाही ना करने का लगाया आरोप*
*ककवन पुलिस गायब 32 वर्षीय पुष्पेंद्र को अभी तक नही कर सकी है तलाश*
परिजनों को एसीपी बिल्हौर से न्याय की उम्मीद।

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एसजेवीएन द्वारा हिमाचल प्रदेश में 382 मेगावाट सुन्नी बांध जल विद्युत परियोजना के लिए निवेश को स्वीकृति

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2614.51 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एसजेवीएन लिमिटेड द्वारा हिमाचल प्रदेश में 382 मेगावाट सुन्नी बांध जल विद्युत परियोजना को स्वीकृति दे दी है। इसमें बुनियादी ढांचे को सक्षम बनाने के लिए भारत सरकार की बजटीय सहायता के रूप में 13.80 करोड़ रुपये के निवेश को भी स्वीकृति दी गई है। जनवरी, 2022 तक कुल 246 करोड़ रुपये के संचयी व्यय के लिए कार्योत्तर स्वीकृति भी दी गई है।

2,614 करोड़ रुपये की इस परियोजना लागत में 2246.40 करोड़ रुपये की वास्तविक लागत, निर्माण के दौरान ब्याज (आईडीसी) के तौर पर 358.96 करोड़ रुपये और वित्तपोषण शुल्क (एफसी) के रूप में 9.15 करोड़ रुपये शामिल हैं। मात्रा परिवर्तन (जोड़ने/बदलाव/अतिरिक्त मदों सहित) के कारण लागत भिन्नताओं के लिए संशोधित लागत स्वीकृतियां और निर्माणकर्ता के लिए देय समय सीमा स्वीकृत लागत के 10 प्रतिशत तक सीमित होगी।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के लक्ष्यों और उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, एसजेवीएन द्वारा 382 मेगावाट सुन्नी बांध एचईपी की स्थापना के लिए वर्तमान प्रस्ताव स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं/स्थानीय उद्यमों/एमएसएमई को विभिन्न लाभ प्रदान करेगा और रोजगार को बढ़ावा देने के अलावा देश के भीतर उद्यमशीलता के अवसरों को प्रोत्साहित करते हुए क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करेगा। इस परियोजना के कार्यान्वयन से इसके निर्माण की चरम अवस्था के दौरान लगभग 4000 लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार का सृजन होगा।

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वैज्ञानिक विभागों के प्रमुखों ने भारत को एक मजबूत ज्ञान अर्थव्यवस्था बनाने के तरीकों पर चर्चा की

भारत सरकार के वैज्ञानिक विभागों के प्रमुखों ने नागपुर में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के पहले पूर्ण सत्र में भारत को ज्ञान प्रधान अर्थव्यवस्था बनाने की रूपरेखा तैयार की और उसके रास्ते में आने वाली चुनौतियों तथा अवसरों पर विचार-विमर्श किया।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, प्रोफेसर ए के सूद ने रेखांकित किया कि भारत विश्व स्तर पर स्टार्ट-अप्स के लिए तीसरे सबसे बड़े पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में उभरा है और भारत के गहन प्रौद्योगिकी स्टार्टअप परिदृश्य में तेजी से वृद्धि देखी गई हैI विशेष रूप से इसे उपभोक्ता प्रौद्योगिकी, मोटर वाहन, मीडिया और मनोरंजन, कृषि प्रौद्योगिकी, ऊर्जा उपयोगिताओं और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में बढ़ावा देने के लिए अभी भी स्थान उपलब्ध है।

उन्होंने कहा कि क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी, उन्नत संचार प्रौद्योगिकियों, स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल परिवर्तन एवं एक स्वास्थ्य मिशन में तकनीकी क्रांति का कन्वर्जेन्स वैश्विक ज्ञान गहन अर्थव्यवस्था की दिशा में भारत की प्रगति को बढ़ावा दे रहा है।

“विज्ञान भारत के परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और यह परिवर्तन हमारी प्रयोगशालाओं के माध्यम से होगा। इसलिए यह हम वैज्ञानिकों का उत्तरदायित्व है कि हम यह सोचें कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए हमारा विज्ञान कितना प्रासंगिक होगा।“ विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. एस चंद्रशेखर ने कहा कि हमें भविष्य की समस्याओं के समाधान के लिए अपने प्रश्नों को तैयार करना ही होगा भले ही वह विनिर्माण या स्थिरता के विषयों में हों।

उन्होंने रेखांकित किया कि विज्ञान को भविष्य के कारखानों एवं ऐसी डिजाइन निर्माण विधियों के बारे में कल्पना करने की आवश्यकता है जो उनके अनुकूल एवं अनुरूप होने के अलावा  उत्पादन के साथ इनपुट का इस प्रकार मिलान करें जिससे अपशिष्ट को कम से कम किया जा सकेI साथ ही चक्रीय विज्ञान की अवधारणा विकसित करके कृषि प्रौद्योगिकियों का निर्माण करें जिससे सब्सिडी की आवश्यकता को समाप्त कर सकें और वैकल्पिक गतिशीलता विकल्प ढूंढ सकें। साथ ही ये कम प्रदूषण फैलाने वाले भी हों।

डॉ. चंद्रशेखर ने जमीनी-वैश्विक जुड़ाव को विकसित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला ताकि जमीनी स्तर से निकले समाधान वैश्विक समस्याओं को हल करने के लिए कुछ संकेत दे सकें।

सफल वैज्ञानिक समाधानों में स्थिरता की आवश्यकता पर जोर देते हुए, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसन्धान परिषद (सीएसआईआर) की महानिदेशक एन कलैसेल्वी ने अगले सात वर्षों में भारत के लिए महत्वपूर्ण पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा एवं गतिशीलता, खाद्य और पोषण, उद्योग 4.0/5.0, वैज्ञानिक कार्यों में सुगमता एवं वैज्ञानिक प्रतिभा को आकर्षित करने के साथ और उसे बनाए रखना जैसे कुछ क्षेत्रों में भारत की चुनौतियों तथा अवसरों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ये सभी भारत को एक विकसित देश बनाने के लिए अगले 17 वर्षों की नींव रखेंगे।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अलका शर्मा ने ऐसे जैव–विनिर्माण पर जोर दिया जो औद्योगीकरण की नई लहर के रूप में जीवाश्म ईंधन-व्युत्पन्न रसायनों के विनिर्माण के स्थान पर जैविक प्रणालियों का उपयोग करता हो। उन्होंने कहा कि इससे वायुमंडलीय कार्बन को उसके स्थिर रूप में इस प्रकार लॉक किया जा सकता है जिससे एक ऐसा मार्ग प्रशस्त होगा जो भारत को स्थिरता में दुनिया का अग्रणी देश बना देगा।

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एडीबी और भारत ने महाराष्ट्र में सुधार के लिए 350 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और भारत सरकार ने आज महाराष्ट्र राज्य में प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों की कनेक्टिविटी में सुधार के लिए 350 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

समावेशी विकास के लिए आर्थिक समूहों को जोड़ने की महाराष्ट्र परियोजना के हस्ताक्षरकर्ताओं में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग के अपर सचिव श्री रजत कुमार मिश्रा ने भारत सरकार की ओर से और एडीबी के इंडिया रेजिडेंट मिशन के प्रभारी अधिकारी श्री हो यून जियोंग ने एडीबी के लिए हस्ताक्षर किए।

ऋण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद श्री मिश्रा ने कहा कि परियोजना कनेक्टिविटी में सुधार, सेवाओं तक पहुंच की सुविधा और राज्य में पिछड़े जिलों के समावेशी आर्थिक विकास में तेजी लाकर अंतर-क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने में मदद करेगी।

श्री जियोंग ने कहा कि यह परियोजना महाराष्ट्र में राज्य राजमार्गों और प्रमुख जिला सड़कों के उन्नयन के लिए एडीबी के चल रहे समर्थन पर आधारित है। यह उन दृष्टिकोणों और प्रथाओं को प्रदर्शित करता है जो अभी तक सामान्य कार्याभ्यास नहीं रहा हैं। इसमें महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और दिव्यांगों की जरूरतों के प्रति उत्तरदायी सड़क सुरक्षा प्रदर्शन गलियारे, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और आपदा-जोखिम में कमी और राजमार्ग कार्य जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।

अहमदनगर, हिंगोली, जालना, कोहलपुर, नागुर, नांदेड़, नासिक, पुणे, सांगली और सतारा के 10 जिलों में राज्य के मुख्य सड़क नेटवर्क को मजबूत करने के लिए कम से कम 319 किलोमीटर (किमी) राज्य राजमार्ग और 149 किलोमीटर जिला सड़कों को जलवायु और आपदा-प्रतिरोधी सुविधाओं को शामिल करते हुए उन्नत किया जाएगा। यह अविकसित ग्रामीण समुदायों को गैर-कृषि अवसरों और बाजारों से जोड़ने में मदद करेगा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं तक पहुंच में सुधार करेगा और छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों के लिए परिवहन लागत को कम करके कृषि मूल्य श्रृंखला में सुधार करेगा।

इसके अलावा इस परियोजना में नांदेड़ और पड़ोसी राज्य तेलंगाना को जोड़ने वाली 5 किलोमीटर की प्रमुख जिला सड़कों का निर्माण किया जाएगा। यह परियोजना राजमार्ग कार्यक्रमों, स्कूलों, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं में लैंगिक समानता और सामाजिक समावेश को बढ़ावा देगी और बुनियादी स्वच्छता, शिक्षा और अन्य सेवाएं प्रदान करने के लिए एकीकृत सेवा केंद्र स्थापित करेगी। आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिए गरीब महिलाओं और वंचित समूहों के नेतृत्व वाले उद्यमों के लिए कौशल प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा। यह परियोजना बेहतर जीवन-चक्र गुणवत्ता और परिचालन दक्षता के लिए लंबी अवधि के सड़क रखरखाव में निजी क्षेत्र की प्रभावशीलता को प्रदर्शित करेगी। इससे सड़क डिजाइन और रखरखाव में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और आपदा जोखिम में कमी के लिए एक अच्छे अभ्यास के अनुभव भी विकसित होंगे।

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नई सुबह नई रोशनी नया आग़ाज़ नये साल की हार्दिक बधाई

तेरी बेपनहा मोहब्बत तेरी बेशुमार मेहरबानियाँ..

तेरी बरसती हुई रहमते.. तुम्हारी हर बात के लिए शुक्रगुज़ार हूँ ..
मेरे साईं 🌹
तू रोशनी है मेरी .. तू सकून है मेरा ..
तेरे ही नूर से महकती है रूह मेरी …
तुझ से ही तो ,मैं हूँ … तुझ से ही तो ,ये वजूद है मेरा …
आँखों को इन्तज़ार , बस अब तेरा ही है …🙏🌹
दिन गुजरे ,महीने गुजरे,साल गुजरे

कुछ भी रूकता नहीं यहाँ दोस्तों।
न गम ..न ही ख़ुशी रूकेगी कभी।
कोई लम्हा जो गुज़र गया।कभी लौट कर आता नहीं है यहाँ। अब नया साल आया है ..

बहुत सी ख़ुशियाँ ,बहुत सी यादें ,हर साल की तरह ,कुछ पढ़ा कर ..कुछ लिखा कर ,

मिलाजुला सा अनुभव दे कर ..ये भी गुज़र ही जायेगा।
वक़्त हमे कुछ न कुछ सिखाने की कोशिश में लगा रहता है, जो हम सभी अपनी मंदबुद्धि ,

अहंकार अपनी ही चालाकियों की वजह से सीख नहीं पाते और फिर वक़्त खुद अपने ही

ढंग से सिखाता है हमे और कई बार वक़्त के सिखाने का वो ढंग या तरीक़ा हमें क़तई पसंद नहीं आता
“ये जहान इक मुसाफ़िर घर हैं दोस्तों “
इसे भूल कर अपना घर न समझ बैठईये..
लेखिका स्मिता केंथ ✍️

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कानपुर में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ़ इंडिया की पहल से आई0टी0 क्षेत्र के विकास एवं बढ़ावे के लिए इंडस्ट्री/स्टार्ट अप, गवर्नमेंट तथा शिक्षण संस्थाओं का समागम

कानपुर नगर, दिनांक 30 दिसम्बर, 2022 (सू0वि0)*आज एच0बी0टी0यू0 स्थित डायरेक्टरेट ऑफ़ इंडस्ट्री एंड एंटरप्राइज प्रोमोशन के सभागार में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ़ इंडिया (एसटीपीआई), इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एक इंटरैक्टिव सेशन का आयोजन किया गया, जिसमे कानपुर जनपद के आईटी कंपनियों, इंडस्ट्री संघो, शिक्षण संस्थाओं ने प्रतिभाग किया।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में निदेशक एसटीपीआई, भारत सरकार डॉ0 रजनीश अग्रवाल ने एसटीपीआई द्वारा आईटी क्षेत्र में किये जा रहे विभिन्न कार्यों तथा नई योजनाओं जैसे कि सेण्टर ऑफ़ एक्सीलेंस, डेटा सेंटर्स, बीपीओ योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने यह भी बताया कि कानपुर में यू0पी0सी0डा0 मुख्यालय बिल्डिंग के आठवें तल पर एसटीपीआई का इन्क्यूबेशन केंद्र संचालित हो रहा है तथा पनकी इंडस्ट्रियल एरिया में भी एक आईटी पार्क्स/एसटीपीआई केंद्र की स्थापना की जाएगी, जिससे कि कानपुर व आस पास के क्षेत्रों के स्टार्ट अप, इंटरप्रेनुएर तथा आईटी कंपनियों को हाई टेक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया जा सकेगा।
सभी प्रतिभागी इंडस्ट्री प्रतिनिधियों द्वारा उठाये गए बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा हुई तथा उनके द्वारा कई सारे सुझाव दिए गए जिसे कि उचित स्तर पर समाधान करने का आश्वासन भी दिया गया।
हरकोर्ट बटलर तकनिकी विश्वविद्यालय के डॉ0 प्रवीण यादव ने इंडस्ट्री, शिक्षण संस्थाओं तथा गवर्नमेंट के आपसी समन्वय पर जोर डाला तथा यह भी कहा कि अगर इन तीनो स्तम्भों के बीच में आपस में समन्वय हो गया तो कानपुर भी अन्य शहरों की भांति आईटी क्षेत्र में विकास कर पायेगा।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए संयुक्त आयुक्त उद्योग कानपुर मंडल सर्वेश्वर शुक्ल ने आश्वाशन दिया कि कानपुर में आईटी क्षेत्र के विकास के लिए उद्योग विभाग की तरफ से पूरा सहयोग दिया जायेगा एवं भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा, जिससे कि उद्योग स्थापित करने के इच्छुक व्यकित्यों को समय समय पर उचित मार्गदर्शन मिल सके।
कार्यक्रम के अगले क्रम में संयुक्त निदेशक एवं प्रभारी अधिकारी एसटीपीआई कानपुर डॉ0 प्रवीण कुमार द्विवेदी द्वारा एसटीपीआई की विभिन्न योजनाओ, लाभ तथा भारत सरकार की नेक्स्ट जनरेशन इन्क्यूबेशन स्कीम के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। कार्यक्रम में विभिन्न उद्योग संघों के पदाधिकारी दिनेश बरसिया-आई0आई0ए0, लाडली प्रसाद-लघु उद्योग भारती, मनोज बांका-पी0आई0ए0, श्री शिव कुमार गुप्ता-फीटा, ब्रिजेश अवस्थी-पी0आई0ए0, हरेन्द्र मूर्जनी, आई0टी0 तथा आई00टी0ई0एस0 कम्पनीज, स्टार्टअप, इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का आयोजन एस0पी0 यादव सहायक आयुक्त उद्योग कानपुर मंडल की देखरेख में संपन्न हुआ।

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भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उत्तर प्रदेश विधान परिषद के कानपुर खण्ड स्नातक एवं कानपुर खण्ड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल दिनांक 12 फरवरी, 2023 को समाप्त होने के कारण होने वाली रिक्तियों को भरने के लिये कार्यक्रम घोषित

*कानपुर नगर, दिनांक 30 दिसम्बर, 2022 (सू0वि0)*
प्रभारी आयुक्त, कानपुर मण्डल कानपुर/रिटर्निंग आफिसर, कानपुर खण्ड स्नातक एवं शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र श्री विशाख जी ने बताया है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उत्तर प्रदेश विधान परिषद के कानपुर खण्ड स्नातक एवं कानपुर खण्ड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल दिनांक 12 फरवरी, 2023 को समाप्त होने के कारण होने वाली रिक्तियों को भरने के लिये कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि निर्वाचन की अधिसूचना का दिनांक 05 जनवरी 2023 (बृहस्पतिवार), नाम निर्देशन हेतु अन्तिम दिनांक 12 जनवरी 2023 (बृहस्पतिवार), नाम निर्देशन की जांच हेतु दिनांक 13 जनवरी 2023 (शुक्रवार), नाम वापसी हेतु अन्तिम दिनांक 16 जनवरी 2023 (सोमवार), मतदान का दिनांक 30 जनवरी 2023 (सोमवार), मतदान का समय पूर्वाह्न 08ः00 बजे से सायं 04ः00 बजे तक, मतगणना का दिनांक 02 फरवरी 2023 (बृहस्पतिवार) तथा वह तारीख जिससे पूर्व निर्वाचन समाप्त करा लिया जायेगा दिनांक 04 फरवरी 2023 (शनिवार) है।
उन्होंने बताया कि कानपुर खण्ड स्नातक एवं शिक्षक विधान परिषद द्विवार्षिक निर्वाचन जनपद कापुर नगर, कानपुर देहात एवं उन्नाव में होने हैं। अतः आदर्श आचार संहिता के सुसंगत उपलब्ध तत्कालिक प्रभाव से भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश में दिये गये प्राविधानों के अनुसार उपरोक्त जनपदों में लागू हो गयी हैं।

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जलवायु परिवर्तन कर रहा है मनुष्य को प्रभावित

कानपुर 30 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, डी जी कॉलेज, कानपुर के मनोविज्ञान तथा भूगोल विभाग के सम्मिलित प्रयास द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के गाइडलाइन के अनुसार, “जलवायु परिवर्तन का मनुष्य पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव” विषय एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय प्राचार्या प्रो. अर्चना वर्मा ने दीप प्रज्वलन कर किया। व्याख्यान की मुख्य वक्ता महिला महाविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय से पधारी डॉ. प्रमिला तिवारी ने जलवायु परिवर्तन मानव को किस प्रकार मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित कर रहा है, इसका विशद वर्णन अपने व्याख्यान में किया। जिससे छात्राएं लाभान्वित हुई। इस कार्यक्रम में मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ सुषमा शर्मा एवं भूगोल विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ संगीता सिरोही एवं सभी प्रवक्ताओं डॉ शशि बाला सिंह, डॉ शिप्रा श्रीवास्तव, डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ श्वेता गोंड़, डॉ साधना सिंह समेत सभी छात्राओं की उपस्थिति सराहनीय रहा।

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