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​​​​​​​केंद्रीय मंत्री सी. आर. पाटिल ने गुजरात के नवसारी में जलवायु स्मार्ट कृषि-वस्त्र प्रदर्शन केंद्र का उद्घाटन किया

कपड़ा मंत्रालय ने सिंथेटिक एवं आर्ट सिल्क मिल्स रिसर्च एसोसिएशन (सास्मिरा) के सहयोग से भारत सरकार के माननीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की उपस्थिति में गुजरात के नवसारी में जलवायु स्मार्ट कृषि-वस्त्र प्रदर्शन केंद्र का शुभारंभ किया।

यह प्रदर्शन केंद्र देश के कृषि क्षेत्र में परिवर्तनकारी समाधान के रूप में कृषि-वस्त्रों को अपनाने को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन्हें किसानों को शिक्षित एवं सशक्त बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, इन नवाचारों को दैनिक कृषि प्रथाओं में एकीकृत करने में सहायता प्रदान करने के लिए कृषि-वस्त्र उत्पादों, उनके अनुप्रयोगों एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण मॉड्यूल का लाइव प्रदर्शन करने की सुविधा प्रदान करते हैं। 15,000 वर्ग मीटर में फैले इस केंद्र का रखरखाव सास्मिरा द्वारा तीन वरोषं तक किया जाएगा, जिसमें आठ फसल चक्र शामिल होंगे। इस सुविधा केंद्र में कृषि-वस्त्र प्रौद्योगिकियों जैसे शेड नेट (परफेक्ट, फोटो-सेलेक्टिव और वर्टिकल फार्मिंग एप्लिकेशन), औषधीय नर्सरी, शेड नेट के अंतर्गत वर्मीकम्पोस्टिंग, ग्राउंड कवर (प्राकृतिक एवं एचडीपीई), तालाब लाइनर और फसल कवर के लाइव अनुप्रयोग शामिल हैं।

श्री सीआर पाटिल ने अपने उद्घाटन भाषण में फसल उत्पादकता में सुधार, संसाधनों का संरक्षण और सतत खेती को सक्षम बनाने में कृषि-वस्त्रों की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। उन्होंने किसानों से प्रदर्शन केंद्र का दौरा करने और कृषि परिणामों को बढ़ावा देने के लिए कृषि-वस्त्र प्रौद्योगिकियों को अपनी प्रथाओं में शामिल करने का आग्रह किया।

यह पहल राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम) के अंतर्गत तकनीकी वस्त्रों को बढ़ावा देने यह पहल राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम) के अंतर्गत तकनीकी वस्त्रों को बढ़ावा देने और चिरस्थायी एवं अभिनव समाधानों की दिशा में देश की कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के मंत्रालय के दृष्टिकोण के अनुरूप है। यह प्रदर्शन केंद्र रियल-टाइम स्थितियों, फसल उपज एवं विकास प्रदर्शन को ट्रैक करने के लिए आईओटी-आधारित निगरानी प्रणालियों से सुसज्जित है। इसके अतिरिक्त, केंद्र किसानों एवं हितधारकों को शिक्षित करने के लिए नियमित अंतराल पर सेमिनारों का आयोजन करेगा।

गुजरात के कृषि मंत्री श्री राघवजीभाई पटेल ने इस पहल के लिए राज्य का पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया और कृषि-वस्त्रों को अपनाने का विस्तार करने के लिए राज्य सरकारों के साथ बैठकें आयोजित करने का सुझाव दिया। डॉ. जेड.पी. पटेल नवसारी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति ने अकादमिक एवं वास्तविक दुनिया की खेती के बीच अंतर को पाटने, किसानों को संसाधनों का संरक्षण करते हुए उत्पादकता बढ़ाने के लिए आवश्यक ज्ञान एवं उपकरणों से लैस करने की केंद्र की क्षमता के प्रति अपना उत्साह व्यक्त किया। श्री राजीव सक्सेना, कपड़ा मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने कृषि में तकनीकी वस्त्रों को अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला।

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खान मंत्रालय ने पोरबंदर, गुजरात में अपतटीय क्षेत्रों के खनिज ब्लॉकों की नीलामी पर ऐतिहासिक रोड शो का सफलतापूर्वक आयोजन किया

खान मंत्रालय ने आज भारत के पहले अपतटीय क्षेत्र खनिज ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया का अनावरणकरते हुए गुजरात के पोरबंदर में एक विशेष रोड शो का सफलतापूर्वक आयोजन किया। यह आयोजनअपतटीय क्षेत्रों की खनिज क्षमता को उजागर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसमें उद्योग जगत, प्रमुख हितधारकों और सरकारी प्रतिनिधियोंने भाग लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत संयुक्त सचिव श्री विवेक कुमार बाजपेयी के स्वागत भाषण से हुई और प्रशासनिक अधिकारी, खान मंत्रालय, भारत सरकार ने नवाचार और स्थिरता के माध्यम से खनन क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए सरकार के दृष्टिकोण को रेखांकित किया। उन्होंने भारत के आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे के विकास का समर्थन करने के लिए अपतटीय खनिज संसाधनों का उपयोग करने के महत्व पर जोर दिया।

खान मंत्रालय के सचिव श्री वीएल कांथा राव ने अपने संबोधन में अपतटीय क्षेत्रों में चूना-मिट्टी खनन की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने सीमेंट निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण कच्चे माल, चूना-मिट्टी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया, जो उद्योग के संसाधन आधार में विविधता लाने और आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। श्री राव ने विस्तार से बताया कि अपतटीय खनिज संसाधनों की खोज और सतत उपयोग किस तरह से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के राष्ट्र के दृष्टिकोण के अनुरूप है। उन्होंने यह सुनिश्चित करते हुए पारदर्शी और निवेशक-अनुकूल नीलामी प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया, कि इन संसाधनों का आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, बुनियादी ढांचे के विकास का समर्थन करने और नए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए उपयोग किया जाए।

गुजरात सरकार के भूविज्ञान एवं खान आयुक्त श्री धवल पटेल ने अपने भाषण में भारत के अपतटीय खनन क्षेत्र में गुजरात के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया। राज्य की विशाल खनिज क्षमता, विशेष रूप से अपतटीय क्षेत्रों में, पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने अन्वेषण और सतत संसाधन उपयोग के लिए व्यवसाय-अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने के लिए गुजरात की प्रतिबद्धता दोहराई।

एसबीआईसीएपीएस ने संभावित बोलीदाताओं के लिए स्पष्टता सुनिश्चित करते हुए नीलामी प्रक्रिया के लिए चरण-दर-चरण मार्गदर्शन प्रदान किया। जीएसआई ने गुजरात के तट पर विशाल चूना-कीचड़ भंडार पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रमुख तकनीकी बिंदु प्रस्तुत किए। एमएसटीसी ने निर्बाध भागीदारी के लिए डिज़ाइन किए गए मजबूत और पारदर्शी नीलामी मंच का प्रदर्शन किया।

यह रोड शो खनन में नवाचार और पारदर्शिता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, तथा अपतटीय संसाधनों के सतत उपयोग और नए सहयोग का मार्ग प्रशस्त करता है। नीलामी की सभी जानकारी, शर्तों और खनिज ब्लॉकों सहित, एमएसटीसी नीलामी मंच परदेखी जा सकती है।

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रक्षा राज्य मंत्री ने भारतीय नौसेना के दूसरे अत्याधुनिक सर्वेक्षण पोत आईएनएस निर्देशक के जलावतरण की अध्यक्षता की

सर्वेक्षण पोत (बड़े) परियोजना के दूसरे जहाज, आईएनएस निर्देशक को 18 दिसंबर 2024 को रक्षा राज्य मंत्रीश्री संजय सेठ की अध्यक्षता में विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्डमें एक समारोह मेंभारतीय नौसेना में शामिल किया गया। वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, पूर्वी नौसेना कमान ने मेसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) कोलकाता में निर्माणाधीन सर्वेक्षण पोत (बड़े) परियोजना के चार जहाजों में से दूसरे जहाज को औपचारिक रूप से शामिल करने के लिए कमीशनिंग समारोह की मेजबानी की। इस जहाज को हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने, नेविगेशन में सहायता और समुद्री संचालन का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

इस अवसर पर आरआरएम ने कहा कि अत्यधिक विशिष्ट जहाज – सर्वेक्षण जहाज – महासागरों का चार्ट बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, ये परिष्कृत प्लेटफॉर्म हैं जो समुद्री डेटा के अधिक सटीक संकलन, इसके सटीक प्रसंस्करण और परिणामस्वरूप अत्यधिक विश्वसनीय चार्ट की अनुमति देते हैं, जो समुद्री संचालन और सुरक्षा को बढ़ाते हैं।

आरआरएम ने आगे कहा कि सर्वेक्षण जहाज एक विश्वसनीय समुद्री कूटनीति उपकरण के रूप में भी काम करते हैं। “जब हमारे सर्वेक्षण जहाज किसी मित्र देश के समर्थन में मिशन चलाते हैं, तो वे भारत के उस विश्वास का प्रतीक होते हैं- बदले में बिना कुछ मांगे किसी जरूरतमंद मित्र की मदद करना। इससे हमारे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और लंबी अवधि में व्यापार के अवसरों को खोलने और बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, नए सर्वेक्षण जहाज हमें और अधिक शक्तिशाली बनाएंगे, क्योंकि विदेशी बेड़े हाइड्रोग्राफिक सहयोग के लिए भारतीय नौसेना की ओर देख रहे हैं।

80% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ निर्मित, ये जहाज उन्नत हाइड्रोग्राफिक सिस्टम जैसे मल्टी बीम इको साउंडर्स, साइड स्कैन सोनार, ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (एयूवी), रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (आरओवी) आदि से सुसज्जित है। ये सुरक्षित नेविगेशन के लिए सटीक मैपिंग मुमकिन करते हैं और गहरे समुद्र में परिचालन की योजना बनाना, खतरनाक और प्रतिबंधित क्षेत्रों में सर्वेक्षण क्षमताओं का विस्तार करना और मलबे की पहचान और पर्यावरण अध्ययन के लिए तेज़ और सुरक्षित डेटा संग्रह की सुविधा प्रदान करते है।

यह जहाज हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा और पर्यावरणीय स्वास्थ्य और क्षेत्रीय सहयोग, वैज्ञानिक अन्वेषण और शांति मिशनों में भारत के नेतृत्व को मजबूत करने में अहम योगदान देगा। इसके अलावा यह मित्र विदेशी देशों के साथ साझा समुद्री डेटा को बढ़ावा देकर सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) पहल को मजबूत करेगा।

जहाज का निर्माण भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो, जीआरएसई, एलएंडटी, सेल, आईआरएस और बड़ी संख्या में एमएसएमई का एक सहयोगात्मक प्रयास था, जो रक्षा विनिर्माण और समुद्री क्षमताओं में आत्मनिर्भरता के लिए भारत की प्रतिबद्धता का उदाहरण है।

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सामूहिक विवाह कार्यक्रम में लगभग 417 जोड़ों को किया जायेगा लाभान्वित- शिल्पी सिंह

*◆ सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन 14 दिसम्बर को

*◆ सामूहिक विवाह कार्यक्रम में लगभग 417 जोड़ों को किया जायेगा लाभान्वित- शिल्पी सिंह

*कानपुर नगर, 12 दिसम्बर, 2024* जिला समाज कल्याण अधिकारी शिल्पी सिंह ने बताया कि “मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना” गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले निराश्रित, जरूरतमन्द एवं निर्धन परिवारों की विवाह योग्य कन्या विधवा/परित्यक्ता/तलाकशुदा महिलाओं के विवाह हेतु सामूहिक विवाह योजना के माध्यम से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के माध्यम से सामूहिक विवाह सम्पन्न कराकर कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले लोगों को उनकी सामाजिक/धार्मिक मान्यता एवं परम्परा/रीति-रिवाज के अनुसार विवाह करने की व्यवस्था कराकर समाज में सर्वधर्म-समभाव एवं सामाजिक समरसता को बढावा देने के उद्देश्य से वैवाहिक कार्यकम जनपद कानपुर नगर में विकास खण्ड/नगर पंचायत के चयनित लगभग 417 जोड़ों का निम्न चयनित 06 स्थलों पर सामूहिक विवाह कार्यकम दिनांक 14 दिसम्बर, 2024 को प्रातः 10ः00 बजे से आयोजित किया जाना प्रस्तावित है। योजनान्तर्गत प्रतियुगल रू० 51,000/- व्यय किये जाने का प्राविधान है, जिसमें रू० 35,000/- कन्या के खाते में, रू० 10,000/- गृहस्थी की स्थापना हेतु उपहार सामग्री एवं रू० 6,000/- विवाह कार्यक्रम के आयोजन में प्रतिजोड़ा व्यय किया जाता है।

उन्होंने बताया कि जनपद में सामूहिक विवाह कार्यकम का आयोजन ब्लाक घाटमपुर/नगर पंचायत घाटमपुर एवं पतारा- कै० सुखवासी स्मारक इं०का० घाटमपुर में, ब्लाक बिल्हौर/नगर पंचायत बिल्हौर-विकास खण्ड बिल्हौर में, ब्लाक शिवराजपुर, चौबेपुर एवं कल्यानपुर-राम सहाय इं० का० बैरी, जी०टी० रोड, शिवराजपुर, कानपुर नगर में, ब्लाक सरसौल एवं भीतरगॉव जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट परिसर), नर्वल तहसील कानपुर में, ब्लाक ककवन-विकास खण्ड ककवन में, ब्लाक विधनू-विकास खण्ड विधनू में किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजनान्तर्गत समस्त जानकारी के लिए जिला समाज कल्याण अधिकारी, कानपुर नगर के कार्यालय, प्रथम तल विकास भवन, कानपुर नगर में किसी भी कार्यदिवस में सम्पर्क किया जा सकता है

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यूरिया क्षेत्र में नए निवेश को आसान बनाने के लिए नई निवेश नीति के तहत 12.7 लाख मीट्रिक टन उत्पादन क्षमता वाली 6 नई यूरिया इकाइयां स्थापित की गई हैं

सूक्ष्म पोषक तत्वों और कच्चे माल पर जीएसटी में कटौती के संबंध में रसायन और उर्वरक संबंधी स्थायी समिति की सिफारिशों को 53वीं जीएसटी परिषद के समक्ष रखा गया, जिसने युक्तिसंगत दरों के समग्र दृष्टिकोण के लिए मामले को मंत्रिसमूह (जीओएम) को भेज दिया है।

यूरिया क्षेत्र में नए निवेश को बढ़ावा देने और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नई निवेश नीति (एनआईपी) के तहत 12.7 लाख मीट्रिक टन उत्पादन क्षमता वाली 6 नई यूरिया इकाइयां स्थापित की गई हैं। इसके अलावा, तालचेर फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (टीएफएल) नामक नामित पीएसयू के संयुक्त उद्यम के माध्यम से एफसीआईएल की तालचेर इकाई के पुनरुद्धार के लिए एक विशेष नीति को भी मंजूरी दी गई है, जिसमें कोयला गैसीकरण मार्ग पर 12.7 एलएमटीपीए का नया ग्रीनफील्ड यूरिया संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा, सरकार ने 25 मई, 2015 को मौजूदा 25 गैस आधारित यूरिया इकाइयों के लिए नई यूरिया नीति (एनयूपी) – 2015 को भी अधिसूचित किया, जिसका एक उद्देश्य स्वदेशी यूरिया उत्पादन को अधिकतम करना है। इन कदमों से 2014-15 के 225 एलएमटी प्रति वर्ष यूरिया उत्पादन को बढ़ाकर 2023-24 तक 314.09 एलएमटी के रिकॉर्ड यूरिया उत्पादन तक पहुंचाने में मदद मिली है।

फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरकों (पीएंडके) के मामले में, कंपनियां अपने व्यवसाय की गतिशीलता के अनुसार उर्वरक कच्चे माल, बिचौलियों और तैयार उर्वरकों का आयात/उत्पादन करने के लिए स्वतंत्र हैं। अनुरोधों के आधार पर, नई विनिर्माण इकाइयों या मौजूदा इकाइयों की विनिर्माण क्षमता में वृद्धि को एनबीएस सब्सिडी योजना के तहत मान्यता दी गई है/रिकॉर्ड में लिया गया है, ताकि विनिर्माण को बढ़ावा दिया जा सके और देश को उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया जा सके। इसके अलावा, गुड़ (पीडीएम) से प्राप्त पोटाश को बढ़ावा देने के लिए, जो 100% स्वदेशी रूप से निर्मित उर्वरक है, इसे 13.10.2021 से पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) व्यवस्था के तहत अधिसूचित किया गया है। साथ ही, एसएसपी, जो एक स्वदेशी निर्मित उर्वरक है, पर माल ढुलाई सब्सिडी, को मिट्टी को फॉस्फेटिक या “पी” पोषक तत्व प्रदान करने के लिए एसएसपी के उपयोग को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए खरीफ 2022 से लागू किया गया है। इन कदमों से पीएंडके उर्वरकों का उत्पादन 2014-15 में 159.54 एलएमटी से बढ़कर 2023-24 में 182.85 एलएमटी हो गया है।

यह जानकारी केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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भारत ने पिछले दशक में परमाणु ऊर्जा के माध्यम से बिजली उत्पादन दोगुना कर दिया है: डॉ. जितेंद्र सिंह

भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता पिछले एक दशक में 2014 में 4,780 मेगावाट से लगभग दोगुनी होकर 2024 में 8,180 मेगावाट हो गयी है।

यह जानकारी आज लोक सभा में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन विभाग, डॉ. जितेंद्र सिंह ने परमाणु ऊर्जा पर चर्चा के जवाब में दी।

उन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की महत्वपूर्ण प्रगति और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रमुख विकासों पर विस्तार से चर्चा की और परमाणु ऊर्जा उत्पादन में अधिक आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए एक रोडमैप की रूपरेखा प्रस्तुत की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के बिजली वितरण ढांचे में संशोधन पर जोर दिया, जिसके तहत परमाणु संयंत्रों से बिजली में गृह राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाकर 50% कर दी गई है, जिसमें से 35% पड़ोसी राज्यों को और 15% राष्ट्रीय ग्रिड को आवंटित किया जाएगा। यह नया फॉर्मूला संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करता है और राष्ट्र की संघीय भावना को दर्शाता है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2014 में 4,780 मेगावाट से लगभग दोगुनी होकर 2024 में 8,180 मेगावाट हो गई है। उन्होंने कहा कि 2031-32 तक क्षमता तीन गुनी होकर 22,480 मेगावाट होने का अनुमान है, जो भारत की परमाणु ऊर्जा अवसंरचना को बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

केंद्रीय मंत्री ने इस प्रगति का श्रेय कई परिवर्तनकारी पहलों को दिया, जिसमें 10 रिएक्टरों की स्वीकृति, बढ़े हुए वित्त आवंटन, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के साथ सहयोग और सीमित निजी क्षेत्र की भागीदारी शामिल है। उन्होंने भारत के परमाणु बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए प्रौद्योगिकी में प्रगति और सुव्यवस्थित प्रशासनिक प्रक्रियाओं को श्रेय दिया।

ऊर्जा उत्पादन के अलावा, डॉ. जितेंद्र सिंह ने परमाणु ऊर्जा के विविध प्रयोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने कृषि में इसके व्यापक उपयोग का उल्लेख किया, जिसमें 70 उत्परिवर्तनीय फसल किस्मों का विकास भी शामिल है। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में, भारत ने कैंसर के उपचार के लिए उन्नत आइसोटोप पेश किए हैं, जबकि रक्षा क्षेत्र में, परमाणु ऊर्जा प्रक्रियाओं का उपयोग लागत प्रभावी, हल्के बुलेटप्रूफ जैकेट विकसित करने के लिए किया गया है।

केंद्रीय मंत्री ने भारत के प्रचुर थोरियम भंडार पर भी जोर दिया, जो वैश्विक कुल का 21% है। इस संसाधन का इस्तेमाल करने के लिए “भवानी” जैसी स्वदेशी परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं, जिससे आयातित यूरेनियम और अन्य सामग्रियों पर निर्भरता कम हो रही है। उन्होंने परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं को लागू करने में चुनौतियों को स्वीकार किया, जैसे भूमि अधिग्रहण, वन विभाग से मंजूरी और उपकरण खरीद, लेकिन इन मुद्दों से निपटने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में नौ परमाणु ऊर्जा परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, और कई अन्य परियोजना पूर्व चरण में हैं, जो परमाणु ऊर्जा क्षमता के विस्तार के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करते हुए कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र जैसी परियोजनाओं पर प्रकाश डाला, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2014 के बाद गति मिली। उन्होंने डॉ. होमी भाभा द्वारा परिकल्पित परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई और “एक राष्ट्र, एक सरकार” के दृष्टिकोण के साथ तालमेल बिठाते हुए सतत विकास के लिए परमाणु ऊर्जा का लाभ उठाने पर जोर दिया।

यह प्रगति ऊर्जा में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने, नवाचार को बढ़ावा देने तथा परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण अनुप्रयोगों के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देने के भारत के संकल्प को रेखांकित करती है।

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भारत की नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) की क्षमता में वर्ष-दर-वर्ष के आधार पर 14.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने नवंबर 2023 से नवंबर 2024 के दौरान भारत के नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की सूचना दी है। यह प्रगति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा निर्धारित ‘पंचामृत’ लक्ष्यों के अनुरूप स्वच्छ ऊर्जा से संबंधित अपने लक्ष्यों को हासिल करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

क्षमता में रिकॉर्ड वृद्धि

नवंबर 2024 तक, कुल गैर-जीवाश्म ईंधन पर आधारित स्थापित क्षमता 213.70 गीगावॉट तक पहुंच गई, जो पिछले वर्ष की 187.05 गीगावॉट की तुलना में 14.2 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि है। इस बीच कुल गैर-जीवाश्म ईंधन पर आधारित क्षमता, जिसमें स्थापित और पाइपलाइन परियोजनाएं दोनों शामिल हैं, बढ़कर 472.90 गीगावॉट हो गई जो पिछले वर्ष के 368.15 गीगावॉट की तुलना में 28.5 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि है।

वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान, नवंबर 2024 तक नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) की क्षमता में कुल 14.94 गीगावॉट की नई क्षमता जोड़ी गई, जो वित्तीय वर्ष 2023-24 में इसी अवधि के दौरान जोड़ी गई 7.54 गीगावॉट की क्षमता से लगभग दोगुनी है। अकेले नवंबर 2024 में, 2.3 गीगावॉट नई क्षमता जोड़ी गई – जो नवंबर 2023 में जोड़ी गई 566.06 मेगावाट से नाटकीय रूप से चार गुना की वृद्धि है।

सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि

भारत के नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में सभी प्रमुख श्रेणियों में व्यापक वृद्धि देखी गई है। सौर ऊर्जा अग्रणी बनी हुई है। इसकी स्थापित क्षमता 2023 में 72.31 गीगावॉट से बढ़कर 2024 में 94.17 गीगावॉट हो गई है, जो 30.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि है। पाइपलाइन परियोजनाओं सहित, कुल सौर क्षमता में 52.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 2023 में 171.10 गीगावॉट से बढ़कर 2024 में 261.15 गीगावॉट तक पहुंच गई। पवन ऊर्जा ने भी उल्लेखनीय योगदान दिया। इसकी स्थापित क्षमता 2023 में 44.56 गीगावॉट से बढ़कर 2024 में 47.96 गीगावॉट हो गई, जो 7.6 प्रतिशत की वृद्धि है। पाइपलाइन परियोजनाओं सहित कुल पवन क्षमता में 17.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 2023 में 63.41 गीगावॉट से बढ़कर 2024 में 74.44 गीगावॉट हो गई।

बायोएनर्जीजलविद्युत और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्रों से निरंतर योगदान

बायोएनर्जी और जलविद्युत परियोजनाओं ने भी नवीकरणीय ऊर्जा के मिश्रण में निरंतर योगदान दिया। बायोएनर्जी क्षमता 2023 में 10.84 गीगावॉट से बढ़कर 2024 में 11.34 गीगावॉट हो गई, जो 4.6 प्रतिशत की वृद्धि है। लघु जलविद्युत परियोजनाओं में मामूली वृद्धि देखी गई और यह वर्ष 2023 में 4.99 गीगावॉट से 2024 में 5.08 गीगावॉट हो गई। पाइपलाइन परियोजनाओं सहित इसकी कुल क्षमता 5.54 गीगावॉट तक पहुंच गई। बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में क्रमिक वृद्धि हुई और इसकी स्थापित क्षमता 2023 में 46.88 गीगावॉट से बढ़कर 2024 में 46.97 गीगावॉट हो गई तथा पाइपलाइन परियोजनाओं सहित कुल क्षमता पिछले वर्ष के 64.85 गीगावॉट से बढ़कर 67.02 गीगावॉट हो गई।

परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में, स्थापित परमाणु क्षमता 2023 में 7.48 गीगावॉट से बढ़कर 2024 में 8.18 गीगावॉट हो गई, जबकि पाइपलाइन परियोजनाओं सहित कुल क्षमता 22.48 गीगावॉट पर स्थिर रही।

ये प्रभावशाली आंकड़े नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता बढ़ाने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के भारत सरकार के निरंतर प्रयासों को रेखांकित करते हैं। केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी के अधीन एमएनआरई ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करते हुए और अपनी जलवायु संबंधी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के प्रति भारत के समर्पण को दर्शाते हुए विभिन्न महत्वपूर्ण पहल कर रहा है।

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भारत के 6जी विजन “भारत 6जी विजन” दस्तावेज में भारत को 2030 तक 6जी तकनीक के डिज़ाइन, विकास और स्थापना में अग्रणी योगदानकर्ता बनाने की परिकल्पना

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वर्तमान में, 6जी तकनीक विकास के चरण में है और 2030 तक उपलब्ध होने की उम्मीद है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 23 मार्च, 2023 को भारत के 6जी विजन “भारत 6जी विजन” दस्तावेज को जारी किया है, जिसमें 2030 तक 6जी तकनीक के डिज़ाइन, विकास और स्थापना में भारत को अग्रणी योगदानकर्ता बनाने की परिकल्पना की गई है। भारत 6जी विज़न सामर्थ्य, स्थिरता और सर्वव्यापकता के सिद्धांतों पर आधारित है। इसके अलावा, दूरसंचार विभाग ने ‘भारत 6जी गठबंधन’ की स्थापना की सुविधा प्रदान की है, जो भारत 6जी विजन के अनुसार कार्य योजना विकसित करने के लिए घरेलू उद्योग, शिक्षाविदों, राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों और मानक संगठनों का गठबंधन है।

अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल दूरसंचार (आईएमटी) के उपयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) में 4400-4800 मेगाहर्ट्ज, 7125-8400 मेगाहर्ट्ज (या उसके भाग) और 14.8-15.35 गीगाहर्ट्ज आवृत्ति बैंड का अध्ययन किया जा रहा है। इन अध्ययनों के परिणामों के आधार पर, वर्ष 2027 में विश्व रेडियो संचार सम्मेलन में आईएमटी उपयोग के लिए इन बैंड की पहचान पर निर्णय लिया जाएगा। इन आवृत्ति बैंडों पर ‘आईएमटी 2030’ के लिए विचार किया जाना है, जिसे ‘6जी’ के रूप में भी जाना जाता है।

वर्तमान में देश में आईएमटी आधारित सेवाओं के लिए 600 मेगाहर्ट्ज, 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज की पहचान की गई है। नीलामी में निर्धारित मूल्य का भुगतान करने के बाद इन बैंड में स्पेक्ट्रम हासिल करने वाले टीएसपी डिवाइस प्रणाली की उपलब्धता के आधार पर 2जी/3जी/4जी/5जी/6जी सहित किसी भी तकनीक को स्थापित कर सकते हैं।

संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासनी चंद्रशेखर ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।  PIB

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मिन वात्सल्य के तहत, बच्चों को संस्थागत देखभाल सेवाएं प्रदान करने के लिए वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 2450 बाल देखभाल संस्थानों को सहायताश

मिशन वात्सल्य योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) द्वारा देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों (सीएनसीपी) और कानूनी विवाद से जूझ रहे बच्चों (सीसीएल) की सहायता करने के उद्देश्य से लागू किया जाता है। मिशन वात्सल्य का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि परियोजनाओं तथा कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाते समय बच्चों के सर्वोत्तम हितों का हमेशा ध्यान रखा जाए। उद्देश्यों में बच्चों के लिए आवश्यक सेवाओं, आपातकालीन संपर्क सेवाओं की स्थापना और संस्थागत और गैर-संस्थागत देखभाल सेवाओं को बेहतर ढंग से लागू करना शामिल है। मिशन के तहत स्थापित बाल देखभाल संस्थान ( सीसीआई) अन्य बातों के साथ-साथ, आयु-उपयुक्त शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण तक पहुंच, मनोरंजन, स्वास्थ्य देखभाल और परामर्श सहयोग देते हैं।

पूर्वोत्तर राज्यों और पहाड़ी राज्यों – हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड तथा जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित राज्य को छोड़कर सभी राज्यों और विधायी सदन वाले राज्य क्षेत्रों के लिए केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 के अनुपात में धनराशि साझा की जाती है, जहां लागत साझा करने का अनुपात 90:10 है। विधायी सदन रहित केंद्रशासित राज्यों में, 100 प्रतिशत लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है।

मिशन के तहत, बच्चों को संस्थागत देखभाल सेवाएं प्रदान करने के लिए वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 2450 सीसीआई को सहायता प्रदान की गई है। कुल 1,21,861 बच्चों को गैर-संस्थागत देखभाल सहायता प्रदान की गई। इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान संस्थागत देखभाल के लिए 62,594 बच्चों को सहायता प्रदान की गई। वर्तमान में, राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में 762 जिला बाल संरक्षण इकाइयां, 781 बाल कल्याण समितियां और 774 किशोर न्याय बोर्ड हैं।

वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 3580 बच्चों को देश के भीतर और 449 बच्चों को विदेश में रहने वाले लोगों द्वारा गोद लिया गया।

महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी।

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कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय में “India’s Amrit Kaal:A Vision for dollar 5 trillion Economy” विषय पर गेस्ट लेक्चर कार्यक्रम आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा “India’s Amrit Kaal:A Vision for dollar 5 trillion Economy” विषय पर गेस्ट लेक्चर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्त के रूप में Prof.Vandana Dwivedi,Head of Economics department,PPN PG College Kanpur विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित होकर कार्यक्रम को सुशोभित किया एवं भारत की आर्थिक दृष्टि और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के मार्ग के बारे में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की।

कार्यक्रम की शुरुआत गेस्ट स्पीकर प्रोफेसर वंदना द्विवेदी एवं महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर पूनम विज के द्वारा दीप प्रज्वान करके की गई।इसके पश्चात कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत अर्थशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष,सुश्री नेहा सिंह के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने व्याख्यान के विषय का परिचय दिया और वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। इसके बाद अतिथि वक्ता का परिचय कराया गया। व्याख्यान में,गेस्ट स्पीकर प्रोफेसर वंदना द्विवेदी ने भारत की आर्थिक नीतियों में परिकल्पित अमृत काल की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की। वक्ता ने सरकार द्वारा किए जा रहे रणनीतिक उपायों पर चर्चा की, जिसमें बुनियादी ढांचे का विकास, डिजिटल परिवर्तन, कौशल वृद्धि और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नीति सुधार शामिल हैं। उन्होंने इस दृष्टि को साकार करने में सतत विकास, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के महत्व पर भी जोर दिया। व्याख्यान में शिक्षा ,निवेश,विनिर्माण, सेवा और कृषि जैसे विकास को गति देने वाले प्रमुख क्षेत्रों का विस्तृत विश्लेषण किया गया। वक्ता ने भारत के आर्थिक भविष्य को आकार देने में युवाओं और महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं, मुद्रास्फीति और बेरोजगारी जैसी चुनौतियों पर विचार किया गया और व्यावहारिक समाधान सुझाए गए। इसके बाद हुए संवादात्मक सत्र में छात्राओं और शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। भारत की अर्थव्यवस्था पर वैश्विक आर्थिक रुझानों के प्रभाव से लेकर $5 ट्रिलियन लक्ष्य को प्राप्त करने में स्टार्टअप और उद्यमिता की भूमिका तक के प्रश्न पूछे गए। वक्ता के जवाब व्यावहारिक और उत्साहवर्धक थे, जिससे श्रोता प्रेरित और सूचित हुए। कार्यक्रम का समापन डॉ० शोभा मिश्रा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने अतिथि वक्ता को उनके ज्ञानवर्धक व्याख्यान के लिए आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का कुशल संयोजन एवं संचालन अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष  नेहा सिंह के द्वारा किया गया कार्यक्रम में महाविद्यालय की कला, विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय की शिक्षिकाएं एवं कुल 67 छात्राएं उपस्थित रही।

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