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जन कल्याणकारी नीतियों एवं योजनाओं से उत्तर प्रदेश बना अग्रणी प्रदेश

भारतीय स्वरूप संवददाता, उत्तर प्रदेश आबादी की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है। इसकी जनसंख्या विश्व के अनेक देशों से भी बहुत ज्यादा है। इस दृष्टिकोण से देंखें तो प्रदेश की वर्तमान सरकार के विगत साढ़े चार वर्षों के कार्यकाल में प्रदेश ने विकास के नए कीर्तिमान गढ़े हैं एवं अनेक क्षेत्रों में प्रदेश ने प्रथम स्थान प्राप्त कर सफलता हासिल की है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विजन ’सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास’ को प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देशन में ’विकास की रीत-सबकी जीत’ के माध्यम से पूर्णता हासिल हो रही है। यह प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी की ही मेहनत तथा सरकार के सम्मिलित प्रयासों का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश विभिन्न केन्द्रीय योजनाओं में नम्बर एक बना है। साथ ही उत्तर प्रदेश में सरकार द्वारा कई नई पहलें की गयी हैं जो अन्य प्रदेशों के लिए नजीर बन रही है।

उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार के अबतक के साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अन्तर्गत 17.23 लाख से भी ज्यादा आवास बनाए जा चुके हैं एवं इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश को देश में प्रथम स्थान पर है। इसी प्रकार ग्रामीण स्वच्छ शौचालय निर्माण में भी उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में सर्वाधिक आवास निर्माण में उत्तर प्रदेश देश में अग्रणी राज्य है। प्रदेश के लाखों लोगों के पास अब अपना पक्का मकान है।
कृषि एवं कृषकों के हित में भी उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं और योजनाएं लागू की गई हैं। जिसके कारण कृषि निवेशों पर किसानों को देय अनुदान को डी0बी0टी0 के माध्यम से भुगतान करने वाला, उत्तर प्रदेश देश में पहला राज्य बना है। इस प्रकार कृषको को देय विभिन्न अनुदानों में पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है एवं बिचौलियों की भूमिका को समाप्त कर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया गया है। इसी प्रकार किसानों के लिए बाजार को व्यापक बनाने के दृष्टिकोण से मण्डी अधिनियम में संशोधन करने वाला उत्तर प्रदेश देश में पहला राज्य बना है। इस संशोधन से कृषकों के लिए उपज को कहीं भी बेचने की आजादी मिली है एवं उनकी आय में वृद्धि होने की संभावनाएं भी बलवती हुयी हैं। दुग्ध उत्पादन, गन्ना एवं चीनी उत्पादन तथा तिलहन उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन जारी है तथा इन क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अब तक 1,38,000 करोड़ रूपये से अधिक का गन्ना मूल्य, गन्ना किसानों को भुगतान किया गया है जो एक रिकार्ड है। समाज के निर्धनतम वर्ग को पेंशन की सुविधा दिलाने हेतु केन्द्र सरकार द्वारा चलायी जा रही अटल पेंशन योजना के अन्तर्गत पंजीकरण कराने में उत्तर प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है। इसी प्रकार पिछड़े, वंचित लोगों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा चलायी जा रही बीमा योजना प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना में भी उत्तर प्रदेश देश में अग्रणी है। देश भर में सर्वाधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की स्थापना, उत्तर प्रदेश में की गई है और लोगों को रोजगार एवं स्वरोजगार से जोड़ा गया है। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को पारम्परिक चूल्हों के स्थान पर गैस कनेक्शन प्रदान करने वाली उज्ज्वला योजना के अन्तर्गत भी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के 1.47 करोड़ परिवारों को गैस कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। जो देश में सर्वाधिक है। इस प्रकार प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के स्वास्थ्य एवं सम्मान की दिशा में बहुत बड़ा कदम उठाया गया है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा प्रदेश के महोबा जनपद से उज्ज्वला 2.0 की शुरूआत की गई है जिसके अन्तर्गत गैस कनेक्शन प्रदान करने के लक्ष्य को और बढ़ा दिया गया है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देशन में उत्तर प्रदेश में कई नीतियां ऐसी लागू की गयी हैं जो देश में किसी राज्य सरकार द्वारा प्रथम बार लागू की गयी है। इनमें कौशल विकास नीति तथा राज्य स्वास्थ्य नीति प्रमुख है। इन नीतियों के माध्यम से प्रदेश के व्यापक वर्ग के विकास के माध्यम से राज्य के समग्र विकास का लक्ष्य रखा गया है। यह प्रदेश सरकार के विगत साढ़े चार वर्ष के कार्यों का ही प्रतिफल है कि प्रदेश सरकार को कई अवार्ड से सम्मानित किया गया है। इनमें ई-टेन्डरिंग प्रणाली में सर्वोत्तम परफारमेंस के लिए बेस्ट परफार्मेन्स अवार्ड, ईज आफ डूइंग बिजनेस में उ0प्र0 को देश में द्वितीय स्थान साथ ही सूचनाओं के आदान-प्रदान एवं पारदर्शिता में अग्रणी राज्य, उ0प्र0 परिवहन निगम को सर्वश्रेष्ठ प्राफिट मेंकिंग एस0टी0यू0 का राष्ट्रीय पुरस्कार, भारत सरकार द्वारा स्टार्टअप रैकिंग के तहत उ0प्र0 एस्पायरिंग लीडर का पुरस्कार, उ0प्र0 के खाद्य एवं रसद विभाग को राष्ट्रीय स्तर पर एक्सीलेंस इन डिजीटल गवर्नेंस स्टेट श्रेणी में राज्य पुरस्कार आदि प्रमुख है। इसके अतिरिक्त मत्स्य उत्पादन में उ0प्र0 को ’देश का बेस्ट स्टेट फार इनलैण्ड फिशरीज’ घोषित करते हुए भारत सरकार द्वारा प्रथम पुरस्कार दिया गया है। उत्तर प्रदेश में मैनुअल चालान व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है एवं अब ई-पेमेन्ट से जुर्माना भुगतान की सुविधा हेतु ई-चालान व्यवस्था लागू कर उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है। वृक्षारोपण को अभियान के रूप में शुरूकर प्रदेश की वर्तमान सरकार के अबतक के कार्यकाल में 100 करोड़ से अधिक पौधों का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण तथा पारिस्थितिकी संतुलन की दिशा में सराहनीय कार्य किया गया है।
अयोध्या में आयोजित भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम में 6.06 लाख से अधिक दीप जलाकर प्रदेश सरकार द्वारा इस आयोजन को गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज किया गया। वर्ष 2019 में प्रयागराज में आयोजित ’दिव्यकुम्भ-भव्य कुम्भ’ के अन्तर्गत तीन-तीन विश्व रिकार्ड बनाकर प्रदेश की वर्तमान सरकार ने प्रदेश सरकार को विश्वपटल पर गौरवान्वित किया है।
उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों एवं योजनाओं से प्रदेश को न केवल देश के स्तर पर वरन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान व सम्मान मिल रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी की है। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी की प्रेरणा, मार्गदर्शन व दिशा-निर्देशन में प्रदेश लगातार अच्छा प्रदर्शन करते हुए शीर्ष स्थान प्राप्त कर रहा है।

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कोविड-19 के कारण लगे प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने अप्रैल-जून (2021-22)तिमाही में कृषि तथा प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में 44.3प्रतिशतसे अधिक का रिकॉर्ड निर्यात अर्जितकरना जारी रखा

कोविड-19 के कारण लगेप्रतिबंधों के बावजूद, विशेष रूप से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान,महामारी की दूसरी लहर केप्रकोप के कारण, भारत ने 2021-22 (अप्रैल-जून) में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में2020-21 की इसी अवधि की तुलना में 44.3 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की।

चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों के दौरान कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में तेज बढ़ोत्तरी, वित्तीय वर्ष 2020-21 में निर्यात मेंआईवृद्धि की निरंतरता में है।

विश्व व्यापार संगठन के व्यापार मानचित्र के अनुसार, वर्ष 2019 में 37 बिलियन अमेरिकीडॉलर के कुल कृषि निर्यात के साथ, भारत विश्व रैंकिंग में 9वें स्थान पर है।

वाणिज्य मंत्रालय के तहत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा)द्वारा की गई पहलों ने देश को ऐसे समय में इस उपलब्धि को अर्जित करने में मदद की जब महामारी का प्रकोप अपने चरमपर था।

वाणिज्यिक आसूचनाऔर सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएंडएस) द्वारा जारी त्वरित अनुमानों के अनुसार, अप्रैल-जून 2021 के दौरान एपीडा उत्पादों के कुल निर्यात में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अमेरिकी डॉलर के हिसाब से44.3प्रतिशतकी वृद्धि देखी गई है। एपीडा उत्पादों का कुल निर्यात अप्रैल-जून 2020 में 3338.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल-जून 2021 में 4817.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।

भारतीय कृषि-निर्यात केहिसाब से, देश ने पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में वित्त वर्ष 2020-21 (अप्रैल-मार्च) में डॉलर के हिसाब से 25.02 प्रतिशत और रुपये के हिसाब से 29.43 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। हालांकि, यह अनुमान लगाया गया है कि चालू वर्ष (2021-22) में भी देश के कृषि निर्यात में लगभग 15 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की जाएगी।

त्वरित अनुमानों के अनुसार, ताजे फलों और सब्जियों के निर्यात में 9.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों जैसे सुखाए या फुलाए गए अनाजों(सीरियल प्रीपेरेशन)और विविध प्रसंस्कृत वस्तुओं के निर्यात में 69.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। अप्रैल-जून, 2020-21 में, ताजे फल और सब्जियों का निर्यात 584.5 मिलियन अमेरिकीडॉलर का था जो अप्रैल-जून 2021-22 में बढ़कर 637.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

भारत ने अन्य अनाजों के निर्यात में 415.5 प्रतिशत की तेज बढ़ोतरीदर्ज की, जबकि मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों के निर्यात में चालू वित्त वर्ष (2021-22) के पहले तीन महीनों में 111.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। अन्य अनाजों का निर्यात अप्रैल-जून 2020 में 44.9 मिलियन अमेरिकीडॉलर से बढ़कर अप्रैल-जून 2021 में 231.4 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया और मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात अप्रैल-जून 2020 में 483.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल-जून 2021में 1022.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

 

चावल का निर्यात, जिसने 25.3 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की, अप्रैल-जून 2020 के 1914.5 मिलियन अमेरिकीडॉलर से बढ़कर अप्रैल-जून 2021 में 2398.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि,कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों में बी 2 बी प्रदर्शनियों का आयोजन भारतीय दूतावासों की सक्रिय भागीदारीसे उत्पाद विशिष्ट और सामान्य विपणन अभियानों के माध्यम से नए संभावित बाजारों की खोज जैसी एपीडा की विभिन्न पहलों का परिणाम है।

एपीडा ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ कृषि और खाद्य उत्पादों पर और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ हस्तशिल्प सहित जीआई उत्पादों पर वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठकका आयोजन करके भारत में पंजीकृत भौगोलिक संकेत (जीआई) वाले उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए भी कई पहल की हैं। एपीडानेनिर्यात की जाने वाली प्रमुख कृषि वस्तुओं के जीआई उत्पादों को लोकप्रिय बनाने के लिए संभावित आयातक देशों के साथ वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठक (वीबीएसएम) आयोजित करने की अपनी पहल जारी रखी है।

निर्यात किए जाने वाले उत्पादों के निर्बाध गुणवत्ता प्रमाणन को सुनिश्चित करने के लिए, एपीडा ने उत्पादों और निर्यातकों की एक विस्तृत श्रृंखला को परीक्षण की सेवाएं प्रदान करने के लिए पूरे भारत में 220 प्रयोगशालाओं को मान्यता दी है।

एपीडा निर्यात परीक्षण और अवशेष निगरानी योजनाओं के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं के उन्नयन और सुदृढ़ीकरण में भी सहायता करता है। एपीडा कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचा विकास, गुणवत्ता सुधार और बाजार विकास की वित्तीय सहायता योजनाओं के तहत भी सहायता प्रदान करता है।

एपीडाअंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में निर्यातकों की भागीदारी का आयोजन करता है, जिसने निर्यातकों को वैश्विक बाजार में अपने खाद्य उत्पादों के विपणन के लिए एक मंच प्रदान कियाहै। एपीडा कृषि-निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आहार, ऑर्गेनिक वर्ल्ड कांग्रेस, बायोफैच इंडिया आदि जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों का भी आयोजन करता है।

एपीडा ने अंतरराष्ट्रीय बाजार की गुणवत्ता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बागवानी उत्पादों के लिए पैक-हाउस का पंजीकरण भी शुरू कियाहै।उदाहरण के लिए,मूंगफली के छिलके और ग्रेडिंग तथा प्रसंस्करण इकाइयों के लिए निर्यात इकाइयों केपंजीकरणका उद्देश्य यूरोपीय संघ और गैर-यूरोपीय संघ के देशों के लिए गुणवत्ता पालन सुनिश्चित करना है।

एपीडा वैश्विक खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आवश्यकताओं के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए मांस प्रसंस्करण संयंत्रों और बूचड़खानों का पंजीकरण करता है। एक अन्य प्रमुख पहल में ट्रेसिएबिलिटी सिस्टम का विकास और कार्यान्वयन शामिल है जो आयात करने वाले देशों की खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता अनुपालन सुनिश्चित करता है। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय व्यापार विश्लेषणात्मक सूचनाओं का संकलन और प्रसार, निर्यातकों के बीच बाजार पहुंच की जानकारी साझा करना और व्यापार पूछताछका समाधानकरना भी उसी समग्र प्रेरकबल का हिस्सा हैजो एपीडा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उपलब्धकराता है।

भारत के निर्यात का तुलनात्मक विवरण एपीडा उत्पाद
उत्पाद शीर्ष जून, 2020 अप्रैलजून, 2020 जून, 2021 अप्रैलजून, 2021 बदलाव (जून,2021) बदलाव (अप्रैलजून,2021)
मिलियन अमेरिकी डॉलर मिलियन अमेरिकी डॉलर मिलियन अमेरिकी डॉलर मिलियन अमेरिकी डॉलर अमेरिकी डॉलर अमेरिकी डॉलर
फल एवं सब्जियां 189.8 584.5 204.9 637.7 8.0 9.1
सूखाए या फुलाए अनाज (सीरियल प्रीपरेशन तथा विविध प्रसंस्कृत मदें 143.2 311.1 198.0 527.7 38.3 69.6
मांस, डेयरी एवं पोल्ट्री उत्पाद 203.7 483.5 329.6 1022.5 61.8 111.5
चावल 681.3 1914.5 741.0 2398.5 8.8 25.3
अन्य अनाज 25.2 44.9 84.4 231.4 235.3 415.5
कुल 1243.1 3338.5 1558.0 4817.9 25.3 44.3
स्रोत:डीजीसीआईएस,त्वरित आकलन      

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एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में छोटे व मझोले वर्ग के समाचारपत्रों की समस्याओं पर हुई चर्चा।

भारतीय स्वरूप संवाददाता, जयपुर। एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक व अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन राजस्थान इकाई के तत्वावधान में होटल वेस्टा मौर्या में किया गया। इस अवसर पर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव दत्त चंदोला ने कहा कि छोटे व मझोले समाचार पत्रों पर शिकंजा कसने के लिए केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकारों ने जो कदम उठाए हैं वो छोटे व मझोले समाचार पत्रों पर अप्रत्यक्ष रूप से आघात है । चंदोला ने साफ तौर पर कहा कि जिस सरकार ने जब भी छोटे व मझोले समाचार पत्रों के विरुद्ध काम किया है। वो सफल नहीं हुआ है, बल्कि उन्होंने बुरा अंजाम भुगता है। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा बताया। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि छोटे व मझोले समाचार पत्रों के विरुद्ध बनाई गईं गलत नीतियों को तुरंत खत्म किया जाए। उ0प्र0 राज्य के अध्यक्ष श्याम सिंह पंवार ने कहा कि डी ए वी पी की नई नीति में कई ऐसे मानक बनाये गए हैं। जिनसे साफ तौर पर जाहिर होता है कि वो छोटे और मझोले समाचार पत्रों के विरुद्ध एक साजिश है जिसे खत्म किया जाए। पंवार ने कहा कि डी ए वी पी की नई नीति से मार्किग सिस्टम को हटाया जाए व रीडर शिप प्रोफाइल के फार्म को हटाया जाए। यह भी मांग की कि विज्ञापन के निर्धारित कोटे के मुताबिक विज्ञापन जारी किए जाएं। एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव शंकर कतीरा ने केंद्र सरकार से अखबारी कागज न्यूज प्रिंट से जी एस टी हटाने की मांग रखी।
वहीं राजस्थान इकाई के अध्यक्ष डॉ अनंत शर्मा ने कहा कि कोविड के कारण छोटे व मझोले समाचार पत्र बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। अतः छोटे व मझोले वर्ग के समाचार पत्रों के उत्थान के लिए आर्थिक पैकेज जारी किया जाए।
कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य अशोक चतुर्वेदी ने कहा कि कहा कि केंद्र सरकार को बेमतलब के नियमों को छोटे व मझोले वर्ग के समाचार पत्रों पर ना थोपा जाए। अनिल यादव ने कहा कि केंद्र सरकार ने छोटे व मझोले वर्ग के समाचार पत्रों का गला घोंटने का काम किया है। जबकि छोटे अखबार ही सच्ची व जमीनी खबरों को सबके सामने लाते हैं।इस मौके पर राजस्थान इकाई के द्वारा एसोसिएशन के सभी पदाधिकारियों को स्मृति चिन्ह भेंट किये गए। और भव्य स्वागत किया गया। साथ ही छोटे व मझोले वर्ग के समाचार पत्रों के मालिकों की समस्याओं को हल कराने के लिए हेल्पलाइन नम्बर की घोषणा की गई। वहीं बृजेन्द्र प्रकाश हलचल ने उपसमितियां बनाने की बात रखी।इस मौके पर मध्यप्रदेश से राजेन्द्र प्रसाद बिंजवे, गुजरात से शंकर कतीरा, मयूर बोरीचा, असम से किरी रॉन्ग हेंग, राजस्थान से डॉक्टर अनंत शर्मा, अमृता मौर्य, अशोक चतुर्वेदी, अनिल यादवए ब्रजेन्द्र प्रकाश हलचल, उप्र से इकाई अध्यक्ष श्याम सिंह पंवार, डी के मैथानी, शलभ जायसवाल, अरविंद्र यादव, भगवती चंदोला, के. सी. चंदोला, राजस्थान से गोपाल गुप्ता, अशोक सिंघल सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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