कानपुर 26 जनवरी, एसएन सेन बालिका विद्यालय पीजी कॉलेज में हर साल की तरह इस साल भी पूरे जोश के साथ 26 जनवरी को 73 वा गणतंत्र दिवस मनाया गया, इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री पी के मिश्रा, सचिव श्री पी के सेन ,संयुक्त सचिव श्री शुब्रो सेन, सदस्या श्रीमती दीपाश्री सेन, प्राचार्य डॉ निशा अग्रवाल ने ध्वजारोहण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया lइसके बाद सभी ने राष्ट्रगान गाया l संगीत विभाग की छात्राओं ने देशभक्ति से सराबोर गीत प्रस्तुत किए जिसे सुनकर सभी लोग भावविभोर हो गए कैप्टन ममता अग्रवाल ने अपनी एनसीसी कैडेट के छात्राओं द्वारा अतिथियों को सलामी दी l गणतंत्र दिवस पर निदेशक उच्च शिक्षा विभाग का प्रेषित विशेष संदेश समाजशास्त्र की विभागाध्यक्क्षा डॉ निशी प्रकाश ने पढ़ा, महाविद्यालय की प्राचार्य ने सभी को गणतंत्र दिवस का महत्व बताया और सभी से कोरोनावायरस से बचाव हेतु दिशा निर्देशों को पालन करने का आग्रह किया ताकि महाविद्यालय में होने वाली परीक्षाएं एवं सभी महत्वपूर्ण कार्य सुचारू रूप से संपन्न हो सके, महाविद्यालय के संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन जी ने अपने ओजस्वी वक्तव्य के माध्यम से सभी को संकल्प लेने को प्रेरित किया कि हम अपने देश की रक्षा ,गौरव और उत्थान के लिए सदा समर्पित रहेंगे l कार्यक्रम का सफल संचालन शिक्षा शास्त्र की प्रवक्ता एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ चित्रा सिंह तोमर ने किया, महाविद्यालय के सभी प्रवक्ता गण डॉ अलका टंडन, डॉ रचना शर्मा, डॉ मोनिका सहाय, डॉ प्रीति सिंह एवं सभी शिक्षणेत्तर कर्मचारी उपस्थित थे कार्यक्रम का समापन मिष्ठान वितरण के साथ हुआ।
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जिलाधिकारी जिला निर्वाचन अधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा ने आज जनपद कानपुर नगर की दसों विधानसभाओं की फ्लाइंग स्कॉट टीम के साथ कलेक्ट्रेट सभागार में समीक्षा बैठक
lकानपुर नगर। जिलाधिकारी जिला निर्वाचन अधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा ने आज जनपद कानपुर नगर की दसों विधानसभाओं की फ्लाइंग स्कॉट टीम के साथ कलेक्ट्रेट सभागार में समीक्षा बैठक की। जिलाधिकारी/ जिला निर्वाचन अधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा ने फ्लाइंग स्कॉट टीम को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि आदर्श आचार संहिता का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए ,इसके लिए आपकी पैनी निगाह 24 घंटे रहनी चाहिए। बिना अनुमति के कोई भी होडिंग, बैनर, पोस्टर ,झंडे इत्यादि को तत्काल हटाया जाए ।किसी भी वाहन पर यदि कोई झण्डा मिलता तो तत्काल उसकी परमिशन मांगी जाए यदि बिना परमिशन के कोई भी झंडा किसी भी वाहन में लगा मिले तो तत्काल उसे हटाया जाए। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि फ्लाइंग स्कॉट टीमें पैनी निगाह रखते हुए निर्भीक होकर प्रभावी कार्यवाही करें ।उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि समस्त फ्लाइंग स्कॉट टीमें अपनी- अपनी विधानसभाओं में भ्रमण शील रहते हुए आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले लोगों पर कठोरतम कार्यवाही सुनिश्चित करें, किसी भी स्थिति में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नही होना चाहिए। बैठक में अपर जिलाधिकारी वित्त राजस्व , उप निदेशक कृषि कंट्रोल रूम प्रभारी उपस्थित रहे।
Read More »कलेक्ट्रेट सभागार में राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर उपस्थित अधिकारियों/कर्मचारियों को मतदाताओं द्वारा ली जाने वाली शपथ दिलाई गई
कानपुर 25जनवरी उप जिला निर्वाचन अधिकारी/अपर जिलाधिकारी (वि./रा.) श्री दयानन्द प्रसाद की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर उपस्थित अधिकारियों/कर्मचारियों को मतदाताओं द्वारा ली जाने वाली शपथ दिलाई। उन्होंने स्लोगन देते हुये कहा कि सही लोकतंत्र की क्या पहचान, जागरुक मतदाता, नैतिक मतदान, आइए लोकतंत्र का जश्न मनायें, राष्ट्रीय मतदाता दिवस को सफल बनायें, इसके उपरान्त शपथ दिलाते हुये कहा कि हम, भारत के नागरिक, लोकतंत्र में अपनी पूर्ण आस्था रखते हुए यह शपथ लेते हैं कि हम अपने देश की लोकतांत्रिक परम्पराओं की मर्यादा को बनाए रखंेगे तथा स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निर्वाचन की गरिमा को अक्षुण्ण रखते हुये, निर्भीक होकर, धर्म, वर्ग, जाति, समुदाय, भाषा अथवा अन्य किसी भी प्रलोभन से प्रभावित हुए बिना सभी निर्वाचनों में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि आज हम सब लोगो ने जो शपथ ली है उसे शतप्रतिशत पालन करते हुये विधान सभा सामान्य निर्वाचन-2022 को स्वतंत्र, निष्पक्ष व निर्वाचन आयोग की मंशा के अनुरुप सकुशल सम्पन्न करायें और अपने-अपने क्षेत्रो में जिन्हे जो कार्य/दायित्व सौपे गये उनका भली प्रकार से निर्वहन करें।
इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी (एल.ए.) श्री सतेन्द्र कुमार सिंह, ए.सी.एम. सहित अनेक पटलों के अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित रहे।
स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज के ऍन एस एस यूनिट कादम्बिनी देवी द्वारा ऑनलाइन वेबिनार और पोस्टर कम्पीटीशन आयोजित
कानपुर 24 जनवरी स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत राष्ट्रीय बालिका दिवस एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज के ऍन एस एस यूनिट कादम्बिनी देवी के द्वारा एक ऑनलाइन वेबिनार और पोस्टर कम्पीटीशन का आयोजन किया गया,कार्यक्रम का शुभ आरम्भ महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ निशा अग्रवाल के स्वागत भाषण से हुआ । प्राचार्य ने छात्राओं का आवाहन करते हुए कहा की आज के परिदृश्य में बालिकाओं को बालकों से काम न आंक कर उन्हें आगे बढ़ने के सामान अवसर प्रदान करने चाहिए । ऍन एस एस की कार्यक्रम अधिकारी तथा संयोजिका डॉ चित्रा सिंह तोमर ने कहा की बालिकाओं को न सिर्फ सामान अवसर प्रदान करना सर्कार का दायित्व है वरन समाज का भी, इस दिशा में सहयोग होना इस दिशा में आव्यशक है । १०० से अधिक छात्राओं ने इस कार्यक्रम में अपनी उपस्तिथि दर्ज कराई । कार्यक्रम की मुख्य वक्ता, महिला जाग्रति संस्था की अध्यक्षा, श्रीमती विजेता श्रीवास्तव ने छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुए कहा के समाज में फैली कुरीतिओं के प्रति कार्य करने से पहले समाज में बालिकाओं एवम महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना आव्यशक है । कार्यक्रम की सेह-प्रभारी डॉ प्रीति सिंह ने ऍन एस एस यूनिट द्वारा किये गए कार्यों की आख्या प्रस्तुत की । शिक्षा शास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर, श्रीमती ऋचा सिंह और श्रीमती रीता ने भी कार्यक्रम में अपने विचार रखे। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम अधिकारी डॉ चित्रा सिंह तोमर ने किया ।
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नंदा लेट हो रहा है जल्दी चलो हम वैसे ही लेट हो गये हैं। मूवी निकल जाएगी
नंदा:- “हां! बस आ रही लॉक लगाकर।”
नितिन जल्दी-जल्दी गाड़ी ड्राइव कर रहा थे ताकि समय पर पहुंच कर मूवी शुरू से देख सके।
नितिन:- “तुम्हारी भी बड़ी खराब आदत है एकआध काम छोड़ दिया करो, बाद में कर लेना था। जब पता था कि मूवी जाना है तो समय से काम निपटा लेना था। इस तरह से भाग दौड़ तो नहीं होती।”
नंदा:- “अब तुम मुझे ही दोष दो, सुबह से लगी हुई हूं काम में। जल्दी-जल्दी सब काम निपटा तो रही थी। घर में पचासों काम होते हैं। वापस आने में देर हो जाएगी तो बाद के काम भी निपटा रही थी।”
नितिन:- “अच्छा छोड़ो! इस बहस में मूड खराब हो रहा है। निकले हैं मूवी देखने और इस बहस से मूवी देखने के मूड का सत्यानाश हो रहा है।”
नंदा कुछ बोली नहीं लेकिन उसका मूड खराब हो गया था यह बात नितिन ने भांप लिया था। पार्किंग में गाड़ी खड़ी रखकर दोनों जल्दी-जल्दी थिएटर हॉल में पहुंचे। आधी मूवी नंदा ने अनमने ढंग से देखी। ब्रेक में नितिन दो कॉफी और पॉपकॉर्न ले आया। थोड़ी देर बाद नंदा नॉर्मल हो गई। दोनों मूवी देख कर बाहर निकले तो नितिन बोला, “चलो डोसा खाने चलते हैं।”
नंदा:- “और जो घर पर बनाया है वह?”
नितिन:- “अरे बाबा वह सुबह खा लेंगे, अभी डोसा खाने का मन है तो बोलो।”
नंदा:- ” ठीक है! चलो।”
एक साउथ इंडियन रेस्त्रां में दोनों गए और डोसे का आर्डर दिया। आर्डर आने में समय था तो नितिन ने पूछा, “नीलू का कुछ फोन आया क्या ?”
नंदा:- “हां आया था तो मैंने कह दिया था कि तेरे जीजा जी से बात करके बताऊंगी। क्या सोचा आपने उस बारे में?”
नितिन:- “तुम बताओ जैसा कहोगी हो जाएगा।”
नंदा:- “दो लाख मांग रहा है नीलू, इस कोविड में काम धंधा पूरी तरह चौपट हो गया है। मदद तो करनी ही चाहिए लेकिन पैसे जल्दी वापस नहीं आएंगे यह बात तय है।”
नितिन:- “ठीक है। वह कोई चिंता नहीं। देखता हूं कि क्या कर सकता हूं मैं।”
दोनों डोसा खाकर घर आ गये। दूसरे दिन सुबह नाश्ते की टेबल पर नंदा ने नितिन से कहा कि, “तुम सोच समझकर ही पैसे देना, बाद में परेशान मत होना।”
नितिन:- “वह मैं देख लूंगा, तुम परेशान मत हो उसके लिए। मैं नीलू से बात करके उसे रुपए भिजवा देता हूं।” नंदा सिर हिला कर किचन में चली गई।
घर के काम निपटा कर नंदा अपने मायके चली गई। नंदा:- “मम्मी नीलू कहां है? मुझे उससे बात करनी है।” मां:- “ऊपर कमरे में है। क्या हुआ?”
नंदा:- “कुछ नहीं! बस ऐसे ही। आती हूं उससे मिलकर।” और वह ऊपर जाने लगी।
नंदा:- ” नीलू तुम्हें तुम्हारे जीजा जी का फोन आया था क्या?”
नीलू:- “हां दीदी आया था। उन्हीं के पास जाने के लिए तैयार हो रहा हूं लेकिन तुम इस वक्त यहां? कुछ काम था क्या?”
नंदा:- “नहीं! कुछ काम नहीं था, बस तुमसे यही कहने आई थी कि कोशिश करना कि समय से पैसे वापस कर दो ताकि भविष्य में वह फिर से मदद कर सके।” नीलू:- “हां दीदी कोशिश तो पूरी रहेगी बाकी देखते हैं।” और नीलू चला जाता है।
नंदा भी मम्मी, भाभी से मिलकर घर वापस आ जाती है।
कुछ समय बाद नितिन नंदा से पूछता है, “अरे नंदा! नीलू का काम कैसा चल रहा है? इस बीच उसका कोई फोन भी नहीं आया और मैं भी जरा काम में व्यस्त रहा तो बात ही नहीं हो पाई।”
नंदा:- “हां…. ठीक है। अब गाड़ी पटरी पर तो आ गई है। फिर से काम जमा रहा है तो थोड़ा वक्त तो लगेगा ही।”
नितिन:- “हम्म। अरे कभी अपने जीजा जी को भी याद कर लिया करे। सिर्फ काम के समय ही याद करेगा क्या?”
बात सही थी लेकिन यह व्यंग्य नंदा को चुभ गया वह मुस्कुरा कर बोली, “सही है। अब मेहनत कर रहा है तो समय नहीं मिलता होगा उसे लेकिन उसे बोलूंगी कि आप से बात कर ले।”
नितिन:- “अरे नहीं! मैंने तुमसे मजाक में कही यह बात। अब क्या तुमसे मस्ती भी नहीं कर सकता।” नंदा हंसकर रह गई।
दिवाली का त्यौहार करीब आ रहा था और मेरा काम भी बढ़ता जा रहा था। एक पैर घर में तो एक बाजार में रहता। दिन कैसे जा रहे थे मालूम ही नहीं पढ़ रहा था। दोपहर में आराम करने लेटी तो ध्यान आया कि इस बीच घर से कोई फोन नहीं आया। मम्मी का भी नहीं। भाभी भी शायद काम में बिजी होंगी। शाम को चाय पीते हुए घर पर फोन लगाया।
मैं:- “हेलो, हां भाभी कैसी हो? क्या बात है बहुत व्यस्त हो? एक फोन भी नहीं!”
भाभी:- “हां… नंदा दीवाली करीब आ रही है तो घर की साफ सफाई चल रही है। साथ में घर के पचासों और काम तो रहते ही है। बच्चों को भी ट्यूशन छोड़ने जाना लाने जाना यह भी तो एक काम ही रहता है। कितनी बार तुम्हारे भैया से कहा है कि एक गाड़ी दिला दो बच्चों को। बच्चे अपने आप ट्यूशन आना जाना कर लेंगे, मगर वह सुनते ही नहीं। अब देखो कल अम्मा की तबीयत भी खराब हो गई। डॉक्टर के पास ले गए थे चेकअप चल रहा है, पैरों में दर्द बहुत था। उनके घुटने में सूजन थी चल ही नहीं पा रही थी। तुम्हारे भैया गए हैं एक्सरे निकलवाने फिर डॉक्टर के पास जाएंगे। देखो रिपोर्ट में क्या आता है?
मैं:- “अरे ! आपने कुछ बताया ही नहीं! रिपोर्ट आए तो मुझे भी बताना। मैं कल आती हूं।”
भाभी:- “हां ठीक है।”
फोन काट कर मैं सोचने लगी कि एक ना एक परेशानी लगी रहती है। अब यह नई परेशानी और मैं अपने काम में बिजी हो गई। रात के खाने पर मैंने नितिन से कहा, “सुनो! मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है उन्हें पैरों में तकलीफ है तो मैं कल उनसे मिलने घर जा रही हूं।” नितिन:- “हां ठीक है।”
सुबह होते ही घर के सारे काम जल्दी जल्दी निपटा कर मैं मम्मी के पास जाने के लिए तैयार होने लगी। बच्चे स्कूल से दोपहर तक आएंगे तो निश्चिंत थी मैं।
घर पहुंच कर मैं मां के पास गई। मम्मी लेटी हुई थी और उनके कराहने की आवाज आ रही थी।
मैं:- “मम्मी अचानक घुटने में दर्द क्यों होने लगा?”
मम्मी:- “अरे बेटा, बुढ़ापा है तो कुछ ना कुछ तो लगा ही रहेगा। एक घुटना घिस गया हैं इसी से बहुत दर्द है। डॉक्टर ने ऑपरेशन बताया है। अब डॉक्टर को कैसे बोलूं कि अभी ऑपरेशन नहीं करवा सकते। पास में इतने पैसे नहीं है। तीन लाख का खर्चा बता रहा है। कैसे हो पाएगा यह सब। मैं भी यह सब सुनकर परेशान हो गई लेकिन मां को तसल्ली दी, “सब हो जाएगा परेशान मत हो।” घर वापस आते समय रास्ते भर यही सोचती रही कि भैया कैसे कर पाएंगे ये सब? नीलू ने नितिन से अभी-अभी आर्थिक मदद ली थी, अब वापस नितिन को कैसे बोलूं?
रात में खाना परोसते समय नितिन ने पूछा, “घर गई थी क्या?”
मैं:- “हां गई थी। मम्मी के घुटने में दर्द है। डॉक्टर ने ऑपरेशन बताया है आपरेशन का खर्चा भी बहुत ज्यादा है।”
नितिन:- “हम्म…. कितना बताया है?”
नंदा:- “तीन लाख बोल रहा डॉक्टर।”
नितिन कुछ बोले नहीं और सोचनीय मुद्रा में बैठे रहते हैं। हम दोनों ही कुछ कह नहीं पा रहे थे। सुबह नितिन ने भैया से बात की।
नितिन:- “हेलो! नीलू अरे भाई कैसे हो? बिल्कुल भूल ही गए? अरे कुछ खोज खबर अपने जीजा जी की भी ले लिया करो।
नीलू:- “अरे जीजा जी! प्रणाम! सब ठीक है। बस ऑफिस ही जा रहा था। नंदा ने बताया होगा कि मम्मी के बारे में, बस उसी में परेशान लगा पड़ा हूं।”
नितिन:- “हां बताया मुझे। कितनी रकम है तुम्हारे पास?
नीलू:- “पौने दो लाख तक जैसे-तैसे अरेंज कर लूंगा। बाकी का देखता हूं कि कैसे अरेंज होता है।”
नितिन:- “ठीक है। ऑपरेशन कब करवाना है।”
नीलू:- “डाक्टर महीने के आखिर में बोला है तभी तारीख भी देंगे।”
नितिन:- “ठीक है।”
अगले दिन सुबह नंदा भाभी से पूछती है।
नंदा:- “भाभी! मम्मी कैसी है? और भैया ने कितना जमा कर लिया है?”
भाभी:- “मम्मी ऐसे तो ठीक है, बस चलना फिरना दूभर है। तुम्हारे भैया टेंशन में दुबले हुए जा रहे हैं इस बीमारी और पैसे के कारण। अभी तक कुछ भी व्यवस्था नहीं हो पाई है।”
नंदा:- “देखती हूं इनसे बात करके लेकिन हिम्मत नहीं होती, इतनी बड़ी रकम जो है।”
भाभी:- “हां यह बात तो है। जमाई बाबू पहले ही इतनी मदद कर चुके हैं कि अब और कैसे कहें मदद के लिए फिर भी एक बार बात करके देखो।”
नंदा:- “हां भाभी देखती हूं।”
नंदा:- “एक हफ्ता बचा है मम्मी के ऑपरेशन को और भैया अभी तक पूरा पैसा नहीं जमा कर सके हैं। भैया भाभी दोनों बहुत परेशान लग रहे थे।”
नितिन:- “तुम परेशान मत हो वह जो डेढ़ लाख की एफडी पड़ी है उसे तोड़ दो और नीलू को दे दो। पैसा जमा ही इसीलिए किया जाता है कि वक्त पर काम आ सके। रखे रखे तो कुछ काम आएगा नहीं।”
नंदा रोने लगती है। नितिन का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा कि, “मैं कितनी खुशनसीब हूं कि आप जैसा पति मिला। मेरे पीहर के दुख को अपना दुख समझकर मेरा साथ देते हैं और मुझे समझते हैं।”
नितिन:- “तुम मेरी अर्धांगिनी हो मतलब आधा अंग हो तो मैं मेरे आधे अंग को कष्ट में कैसे देख सकता हूं। तुम्हारा दुख मेरा दुख है और यह जरूरी नहीं कि बेटी की शादी हो गई तो वह मायके से संबंध तोड़ दे या मायके की तकलीफ में काम ना आये या मायके के लोग बेटी से मदद की अपेक्षा नहीं रख सकते। तुम वह पैसे ले जाओ और नीलू को दे दो तो उसे राहत मिलेगी। नंदा खुशी-खुशी घर जाने के लिए तैयार होने लगी। उसके चेहरे पर संतोष था।
प्रियंका वर्मा महेश्वरी
Read More »गडकरी ने उत्तर प्रदेश में 12981 करोड़ रुपये की लागत वाली 572 किलोमीटर लंबी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज उत्तर प्रदेश के कौशांबी, अयोध्या और बस्ती में 12981 करोड़ रुपये की लागत वाली 572 किलोमीटर लंबी राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।
श्री गडकरी ने कौशांबी में 2659 करोड़ रुपये की लागत वाली 6 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उन्होंने अयोध्या में 8,698 करोड़ रुपये की लागत वाली 6 एनएच परियोजनाओं की आधारशिला रखी और बस्ती में मंत्री महोदय ने 1,624 करोड़ रुपये की लागत वाली 3 एनएच परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।
अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा मार्ग बन जाने से श्रद्धालुओं को काफी सुविधा होगी और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। अयोध्या रिंग रोड बनने से ट्रैफिक जाम की समस्या दूर हो जाएगी। भगवान श्री राम वन गमन मार्ग के निर्माण से महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल प्रयागराज, चित्रकूट, कौशांबी और श्रृंगवेरपुर धाम जुड़ जाएंगे। एनएच-233 के निर्माण से लुम्बिनी स्थित भगवान बुद्ध की जन्मस्थली वाराणसी और सारनाथ से जुड़ जाएगी।
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केन्द्रीय गृह अमित शाह ने आज वीडियो कॉन्फ़्रेन्सिंग के माध्यम से मणिपुर में 2,450 करोड़ रूपए के 29 विकास कार्यों का उद्घाटन किया और आधारशिला रखी
नरेन्द्र मोदी सरकार ने पूरे पूर्वोत्तर के विकास के लिए कई आयाम खोले हैं और प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि 8 राज्य भारत की अष्टलक्ष्मी हैं
पिछले साढ़े सात सालों में 1500 बार मंत्रियों का और अनेक बार प्रधानमंत्री जी का दौरा हुआ है
कई समस्याएं थीं, जैसे, बांग्लादेश के साथ लैंड बाउंड्री विवाद थे जिन्हें समझौतों के ज़रिए सुलझाया गया, ब्रू-रियांग समझौता किया गया, बोडो समझौता किया गया, 8 उग्रवादी समूहों से समझौता किया गया
लगभग 3000 उग्रवादी हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए हैं और ये युवा आज देश के विकास में लगे हैं
पिछली सरकार के तीन आई (I) थे, Instability (अस्थिरता), Insurgency (उग्रवाद) and Inequality (असमानता), हमने तीन नए आई (I) बनाए, Innovation, Infrastructure and Integration
Integration से ही देश एक हो सकता है और पूर्वोत्तर एक हो सकता है
मणिपुर की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए रानी मां का और सारे जनजाति नेताओं का संग्रहालय निर्माण करने का काम किया, 31 जनजातीय संग्रहालय देशभर में बनेंगे जिनमें से एक मणिपुर में बनेगा
मोदी जी ने हम सबके सामने एक कल्पना रखी है कि एक विकसित नॉर्थईस्ट हो, जो पूरे पूर्वी भारत के विकास का आधार बने और इसी के माध्यम से ही पूर्वी भारत और पूरे भारत का विकास होगा
अंडमान में महाराजा कुलचंद्र और उनके साथियों ने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी थी और उन्हें जहां रखा गया था उस जगह का नाम माउंट मणिपुर रखकर मोदी सरकार ने उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने का काम किया है
ये मणिपुर ही है जिसे नेताजी ने स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष में स्वतंत्रता का प्रवेश द्वार बनाया था और आईएनए का पहला झंडा फहराने का मौक़ा भी मणिपुर को ही मिला
आज़ादी के 75 वर्ष और मणिपुर के 50 वर्ष सभी मणिपुरवासियों के लिए नए संकल्प और नई ऊर्जा के वर्ष हैं
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज वीडियो कॉन्फ़्रेन्सिंग के माध्यम से मणिपुर में 2,450 करोड़ रूपए के 29 विकास कार्यों का उद्घाटन किया और आधारशिला रखी। इस अवसर पर मणिपुर के मुख्यमंत्री श्री एन बिरेन सिंह भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ये मणिपुर ही है जिसे नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष में स्वतंत्रता का प्रवेश द्वार बनाया था और आईएनए का पहला झंडा फहराने का मौक़ा भी मणिपुर को ही मिला। ये वर्ष देश की आज़ादी का 75वां वर्ष है और पूरा देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और मणिपुर भी अपने गठन के 50 वर्ष पूरे करेगा। एक मायने में आज़ादी के 75 वर्ष और मणिपुर के 50 वर्ष सभी मणिपुरवासियों के लिए नए संकल्प और नई ऊर्जा के वर्ष हैं।
श्री अमित शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री एन बिरेन सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार बड़े मनोयोग के साथ पांच साल से मणिपुर के चप्पे-चप्पे के विकास के लिए प्रतिबद्ध दिखाई पड़ती है। पहाड़ हो, घाटी हो, वन हो, गांव हो या शहर हो, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व हर जगह विकास पहुंचाने में मुख्यमंत्री श्री एन बिरेन सिंह ने सफलता प्राप्त की है। जब भी मणिपुर का इतिहास लिखा जाएगा, इन पांच सालों को एक स्वर्णिम युग के रूप में लिखा जाएगा। इन पांच सालों में विकास तो हुआ ही है, ना कभी ब्लॉकेड हुआ, ना बंद हुआ और हिंसा पर भी काफ़ी हद तक क़ाबू पा लिया गया है। जब तक स्थिरता और शांति नहीं होती, तब तक विकास असंभव है और बिरेन सिंह सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि इसने स्थिरता, स्थायित्व, शांति के साथ-साथ विकास के रास्ते भी मणिपुर के लिए खोल दिए हैं। पिछली सरकारों की ब्लॉकेड, हिंसा, भ्रष्टाचार, बंद, ड्रग्स के व्यापार की परंपरा से बाहर निकलने के लिए मणिपुर ने एक सफल प्रयास किया है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कल ही 3000 करोड़ रूपए से अधिक की 21 परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया और पांच राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला रखी। पेयजल आपूर्ति, स्वास्थ्य, शहरी विकास, सूचना प्रौद्योगिकी, कौशल विकास, कला और संस्कृति जैसे क्षेत्रों को समाहित करते हुए अनेक योजनाएं शुरू कीं। आज इस कार्यक्रम के माध्यम से 265 करोड़ रुपए से अधिक लागत की 15 परियोजनाओं का उद्घाटन और 2194 करोड़ रुपए की 14 परियोजनाओं का भूमिपूजन हुआ है। लगभग 2450 करोड़ रूपए की लागत की परियोजनाओं की भेंट नरेन्द्र मोदी जी और बिरेन सिंह जी ने मणिपुर को दी है। दो ही दिनों में लगभग 5500 करोड़ रूपए की लागत के काम मणिपुर की जनता के लिए शुरू हुए हैं। पिछली सरकारों के लंबे शासन में ऐसे दो दिन बता दीजिए जब 5500 करोड़ रूपए के कामों का उद्घाटन और शिलान्यास हुआ हो।
श्री अमित शाह ने कहा कि आने वाले समय में ऑर्गेनिक खाद्य उत्पादों का महत्व बहुत बढ़ने वाला है। इसी दिशा में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए आर्गेनिक मिशन की विशेष योजना के तहत सैनजेनथोंग में ऑर्गेनिक आउटलेट, कोल्ड रूम और पैकिंग यूनिट का उद्घाटन हुआ है। उन्होंने मणिपुर के सभी किसानों से कहा कि ऑर्गेनिक खेती को उन्होंने जिस प्रकार स्वीकार किया है और आपको उपज के ज़्यादा से ज़्यादा दाम मिल पाएं, इसके लिए भारत सरकार और मणिपुर सरकार कटिबद्ध हैं और इसी दिशा में आज ये नई शुरूआत हुई है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 8 करोड़ रूपए की लागत से 75 ट्यूबवेल भी आज शुरू हुए। 16 करोड़ रुपए की लागत से पशुपालन क्षेत्र की पांच परियोजनाओं की शुरूआत हुई है, 21 करोड़ करोड़ रुपए की लागत से चार पुलों और सड़कों का निर्माण होने वाला है, 36 करोड़ रुपए की कुल लागत से तैयार चार जलापूर्ति परियोजनाओं से करीब 31,000 लोगों को कल से ही पेयजल की आपूर्ति होगी। पर्यटन स्थल के लिए भी काम हुआ है, मणिपुर विश्वविद्यालय परिसर में अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास भवन समर्पित हुआ है और आज
पुलिस स्मारक का भी उद्घाटन हुआ है। इसके साथ ही 46 करोड़ रुपए की लागत से सिरूई महोत्सव के लिए अवसंरचना विकास परियोजना की घोषणा, ‘हुनर हब’ का विकास, इम्फाल में ‘ओलंपियन पार्क’ की आधारशिला, लुवांगसांगबाम में क्रिकेट स्टेडियम में विस्तारित सुविधाएं, सेनापति, नोनी और काकचिंग ज़िलों में 108 करोड़ रुपए की लागत से जिला न्यायालय परिसरों की आधारशिला, 22 करोड़ रुपए की लागत से थंगापत में पांच जलाशयों और दो प्रमुख परियोजनाएं और ढेर सारे वॉटर बॉडी के लिए ख़र्च, 450 एकड़ के लम्फेलपत वाटरबॉडी के विकास की योजना भी बनाई है। न्यू डेवलपमेंट बैंक से 650 करोड़ रुपए के वित्त पोषण के साथ 450 एकड़ के लम्फेलपत वाटरबॉडी के कायाकल्प की परियोजना और न्यू डेवलपमेंट बैंक से लगभग 1149 करोड़ रुपए के वित्त पोषण से इंफाल शहर के लिए एकीकृत सीवरेज प्रणाली के दूसरे चरण का काम शुरू होगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पहले सरकारें 24 घंटे राजनीति करती थीं, हथियारबंद समूहों का साथ देती थीं, फ़िरौती, अपहरण, ड्रग्स का व्यापार और बंद के नाम पर जनता को परेशान करती थीं। लेकिन अब केन्द्र में मोदी सरकार और मणिपुर में बिरेन सिंह सरकार, दोनों ने मिलकर डबल इंजिन विकास से मणिपुर का परिचय कराया है। अंडमान में महाराजा कुलचंद्र और उनके साथियों ने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी थी और उन्हें जहां रखा गया था उस जगह का नाम माउंट मणिपुर रखकर मोदी सरकार ने उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने का काम किया है। हमने राज्य की सभी मांगों को समझा, स्वीकारा और आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने पूरे पूर्वोत्तर के विकास के लिए कई आयाम खोले हैं और प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि 8 राज्य भारत की अष्टलक्ष्मी हैं। मोदी जी ने भारत सरकार के सभी मंत्रियों को आदेश दिया है कि 15 दिन में हर मंत्री एक ना एक राज्य में उपस्थित हो और ज़िला कक्षा का कार्यक्रम करे। पिछले साढ़े सात सालों में 1500 बार मंत्रियों का और अनेक बार प्रधानमंत्री जी का दौरा हुआ है। श्री शाह ने कहा कि कई समस्याएं थीं, जैसे, बांग्लादेश के साथ लैंड बाउंड्री विवाद थे जनिहें समझौतों के ज़रिए सुलझाया गया, ब्रू-रियांग समझौता किया गया, बोडो समझौता किया गया, 8 उग्रवादी समूहों से समझौता किया गया। लगभग 3000 उग्रवादी हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए हैं और ये युवा आज देश के विकास में लगे हैं।
श्री अमित शाह ने कहा कि पिछली सरकार के समय में तीन आई (I) थे, Instability (अस्थिरता), Insurgency (उग्रवाद) and Inequality (असमानता)। हमने तीन नए आई (I) बनाए हैं, Innovation, Infrastructure and Integration। Integration से ही देश एक हो सकता है और पूर्वोत्तर एक हो सकता है। उन्होंने कहा कि तीन आई के फ़ॉर्म्यूला और प्रधानमंत्री जी के अष्टलक्ष्मी के आह्वान को हम ज़मीन पर उतारें। मणिपुर को हमने ब्लॉकेड फ्री किया है, बंद फ्री किया है और विकास के रास्ते पर चलाया है और मौका मिलने पर मणिपुर को हम ड्रग फ्री बनाने का काम भी सुनिश्चित करेंगे। मणिपुर की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए रानी मां का और सारे जनजाति नेताओं का संग्रहालय निर्माण करने का काम किया, 31 जनजातीय संग्रहालय देशभर में बनेंगे जिनमें से एक मणिपुर में बनेगा। उन्होंने बहुत अच्छे कोविड मैनेजमेंट के लिए भी मुख्यमंत्री और मणिपुर सरकार को बधाई दी और कहा कि सभी 16 जिलों में ऑक्सीजन संयंत्र भी लग गए हैं। मोदी जी ने हम सबके सामने एक कल्पना रखी है कि एक विकसित नॉर्थईस्ट हो, जो पूरे पूर्वी भारत के विकास का आधार बने और इसी के माध्यम से ही पूर्वी भारत और पूरे भारत का विकास होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश के मेरठ में मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के मेरठ में मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी। खेल विश्वविद्यालय लगभग 700 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से स्थापित किया जाएगा और सिंथेटिक हॉकी मैदान, फुटबॉल मैदान, बास्केटबॉल / वॉलीबॉल / हैंडबॉल / कबड्डी मैदान, लॉन टेनिस कोर्ट, जिमनैजियम हॉल, सिंथेटिक रनिंग स्टेडियम, स्विमिंग पूल, बहुउद्देशीय हॉल और एक साइकिलिंग वेलोड्रोम सहित आधुनिक और अत्याधुनिक खेल बुनियादी ढांचे से लैस होगा। इस विश्वविद्यालय में निशानेबाजी, स्क्वॉश, जिम्नास्टिक, भारोत्तोलन, तीरंदाजी, कैनोइंग और कयाकिंग सहित अन्य सुविधाएं भी होंगी। विश्वविद्यालय में 540 महिला और 540 पुरुष खिलाड़ियों सहित 1080 खिलाड़ियों को प्रशिक्षण प्रदान करने की क्षमता होगी।
एक जनसभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरठ और आसपास के इस क्षेत्र ने स्वतंत्र भारत को भी नई दिशा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्ररक्षा के लिए सीमा पर बलिदान हों या फिर खेल के मैदान में राष्ट्र के लिए सम्मान, राष्ट्रभक्ति की अलख को इस क्षेत्र ने प्रज्ज्वलित रखा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “भारतीय इतिहास में मेरठ सिर्फ एक शहर नहीं बल्कि संस्कृति और शक्ति का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।” स्वतंत्रता संग्रहालय, अमर जवान ज्योति और बाबा औघर नाथ जी के मंदिर की भावना को महसूस करने पर प्रधानमंत्री ने अपनी खुशी का इजहार किया।
प्रधानमंत्री ने मेरठ में सक्रिय रहे मेजर ध्यानचंद को याद किया। उन्होंने कहा कि मेरठ, देश की एक और महान संतान, मेजर ध्यान चंद जी की भी कर्मस्थली रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ महीने पहले केंद्र सरकार ने देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार का नाम दद्दा के नाम पर किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज मेरठ की स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी मेजर ध्यान चंद जी को समर्पित की जा रहीहै।
प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश राज्य में लोकाचार में बदलाव का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले की सरकारों में यूपी में अपराधी अपना खेल खेलते थे, माफिया अपना खेल खेलते थे। उन्होंने उस दौर को याद करते हुए कहा कि पहले यहां अवैध कब्जे के टूर्नामेंट होते थे, बेटियों पर फब्तियां कसने वाले खुलेआम घूमते थे। उन्होंने पहले के समय की असुरक्षा और अराजकता को याद किया। हमारे मेरठ और आसपास के क्षेत्रों के लोग कभी भूल नहीं सकते कि लोगों के घर जला दिए जाते थे और पहले की सरकार अपने खेल में लगी रहती थी। पहले की सरकारों के खेल का ही नतीजा था कि लोग अपना पुश्तैनी घर छोड़कर पलायन के लिए मजबूर हो गए थे। उन्होंने कहा कि अब योगी जी की सरकार ऐसे अपराधियों के साथ जेल-जेल खेल रही है।पांच साल पहले इसी मेरठ की बेटियां शाम होने के बाद अपने घर से निकलने से डरती थीं। आज मेरठ की बेटियां पूरे देश का नाम रौशन कर रही हैं। इस बदलाव से बेटियों में पूरे देश का नाम रौशन करने का विश्वास पैदा हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा नए भारत का कर्णधार भी है, विस्तार भी है। युवा नए भारत का नियंता भी है, नेतृत्वकर्ता भी है। हमारे आज के युवाओं के पास प्राचीनता की विरासत भी है, आधुनिकता का बोध भी है। और इसलिए, जिधर युवा चलेगा उधर भारत चलेगा। और जिधर भारत चलेगा उधर ही अब दुनिया चलने वाली है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले कुछ वर्षों में, उनकी सरकार ने भारतीय खिलाड़ियों को चार उपकरण प्राप्त करने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को चाहिए- संसाधन, खिलाड़ियों को चाहिए- ट्रेनिंग की आधुनिक सुविधाएं, खिलाड़ियों को चाहिए- अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर, खिलाड़ियों को चाहिए- चयन में पारदर्शिता, हमारी सरकार ने बीते वर्षों में भारत के खिलाड़ियों को ये चार शस्त्र जरूर मिलें, इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि देश में खेलों के लिए जरूरी है कि हमारे युवाओं में खेलों को लेकर विश्वास पैदा हो, खेल को अपना प्रॉफ़ेशन बनाने का हौसला बढ़े। यही मेरा संकल्प भी है, और सपना भी! मैं चाहता हूँ कि जिस तरह दूसरे प्रॉफ़ेशन्स हैं, वैसे ही हमारे युवा स्पोर्ट्स को भी देखें। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार खेलों को रोजगार से जोड़ती है। लक्ष्य ओलंपिक पोडियम (टॉप्स) जैसी योजनाएं शीर्ष खिलाड़ियों को उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए सभी सहायता प्रदान कर रही हैं। खेलो इंडिया अभियान बहुत जल्दी प्रतिभा को पहचान रहा है और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने के लिए सभी समर्थन दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ओलंपिक और पैरा-ओलंपिक में भारत का हालिया प्रदर्शन, खेल के मैदान में एक नए भारत के उदय का प्रमाण है। गांवों और छोटे शहरों में खेल के बुनियादी ढांचे के आगमन के साथ, इन शहरों से खिलाड़ियों की संख्या बढ़ रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी लागू हो रही है, उसमें भी खेल को प्राथमिकता दी गई है। स्पोर्ट्स को अब उसी श्रेणी में रखा गया है, जैसे साईंस, कॉमर्स या दूसरी पढ़ाई हो। पहले खेल को एक्स्ट्रा एक्टिविटी माना जाता था, लेकिन अब स्पोर्ट्स स्कूल में बाकायदा एक विषय होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्पोर्टिंग इको-सिस्टम में शामिल स्पोर्ट्स, स्पोर्ट्स प्रबंधन खेल लेखन, खेल मनोविज्ञान आदि नई संभावनाएं पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि इससे समाज में विश्वास पैदा होता है कि खेलों की ओर बढ़ना सही फैसला है। उन्होंने कहा कि संसाधनों से खेल संस्कृति आकार लेती है और खेल विश्वविद्यालय इसमें बड़ी भूमिका निभाएगा। मेरठ की खेल संस्कृति के बारे में बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि शहर 100 से अधिक देशों में खेल के सामान का निर्यात करता है। प्रधानमंत्री ने उभरते खेल समूहों के माध्यम से देश को आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इस तरह, मेरठ न केवल लोकल फॉर वोकल यानी स्थानीय के लिए मुखर है, बल्कि लोकल फॉर ग्लोबल यानी स्थानीय को वैश्विक में बदल रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में डबल इंजन वाली सरकार कई विश्वविद्यालयों की स्थापना कर रही है। उन्होंने गोरखपुर में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, प्रयागराज में डॉ. राजेंद्र प्रसाद विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ में राज्य फोरेंसिक विज्ञान संस्थान, अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय, सहारनपुर में मां शाकुंबरी विश्वविद्यालय और मेरठ में मेजर ध्यानचंद विश्वविद्यालय को सूचीबद्ध किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारा लक्ष्य स्पष्ट है। युवाओं को न केवल रोल मॉडल बनना चाहिए, बल्कि अपने रोल मॉडल को भी पहचानना चाहिए।”
प्रधानमंत्री ने बताया कि स्वामित्व योजना के अंतर्गत 75 जिलों में 23 लाख से अधिक कागजात (घरौनी) दी जा चुकी हैं। पीएम किसान सम्मान निधि के अंतर्गत राज्य के किसानों के खाते में करोड़ों रुपये आ चुके हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि गन्ना किसानों को रिकॉर्ड भुगतान से राज्य के किसानों को भी फायदा हुआ है। इसी तरह उत्तर प्रदेश से 12 हजार करोड़ रुपये का एथेनॉल खरीदा गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकारों की भूमिका अभिभावक की तरह होती है। योग्यता होने पर बढ़ावा भी दे और गलती होने पर ये कहकर ना टाल दे कि लड़कों से गलती हो जाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज योगी जी की सरकार, युवाओं की रिकॉर्ड सरकारी नियुक्तियां कर रही है। आईटीआई से ट्रेनिंग पाने वाले हजारों युवाओं को बड़ी कंपनियों में रोज़गार दिलवाया गया है। नेशनल अप्रेंटिसशिप योजना हो या फिर प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, लाखों युवाओं को इसका लाभ दिया गया है। श्री मोदी ने कहा कि मेरठ गंगा एक्सप्रेसवे, रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम और मेट्रो से कनेक्टिविटी का हब भी बनता जा रहा है।
Read More »‘काशी फ़िल्म महोत्सव’ की रंगारंग शुरुआत हुई
सदियों से अपनी समृद्ध परंपराओं और संस्कृति के लिए विख्यात रही नगरी काशी में इस सप्ताह तीन दिवसीय काशी फ़िल्म महोत्सव की शुरुआत के साथ एक नया अध्याय लिखा जाएगा।
ये महोत्सव न केवल हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और नृत्य की झलक दिखाएगा, बल्कि प्रसिद्ध दार्शनिक कवियों, लेखकों, संगीतकारों और बनारस घराने की यादों को भी ताजा करेगा।
उद्घाटन समारोह में बोलते हुए उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति, धर्मार्थ कार्य एवं प्रोटोकॉल राज्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि इस महोत्सव के माध्यम से लोग इस अद्भुत शहर की संस्कृति को और करीब से जानेंगे।
उन्होंने कहा कि पुर्नोद्धार के बाद काशी विश्वनाथ धाम लोगों को समर्पित करके प्रधानमंत्री ने काशी के प्रति अपना स्नेह दिखाया। ये उनके बहुत से दूसरे प्रयासों में से ही एक था जैसे कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य सुविधाएं और गरीबों के लिए विभिन्न योजनाएं। उन्होंने कहा कि इस तरह के महोत्सव वाराणसी की सांस्कृतिक विरासत को और प्रदर्शित करेंगे।
मशहूर स्टैंड-अप कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ने कहा कि प्रस्तावित फ़िल्म सिटी उनके जैसी नई और पुरानी प्रतिभाओं के लिए मील का पत्थर साबित होगी। बाद में उन्होंने अपने लाइव परफॉर्मेंस के जरिए संपूर्णानंद स्टेडियम में मौजूद जनता को खूब गुदगुदाया, वहीं प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर ने अपने गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी की प्रस्तुतियां भी इस महोत्सव को यादगार बनाएंगी। ये पहली बार है कि भगवान शिव की इस नगरी में इस तरह का फ़िल्म महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। इस महोत्सव का आयोजन फ़िल्म बंधु, उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सहयोग से किया जा रहा है।
वाराणसी के अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र में मनोज जोशी की प्रस्तुति भी आकर्षण का केंद्र रही।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर 28 दिसंबर को वाराणसी में काशी फ़िल्म महोत्सव के मुख्य अतिथि होंगे। इस दौरान सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक “वाराणसी – एक सांस्कृतिक, पौराणिक और ऐतिहासिक विरासत से एक आधुनिक शहर तक की यात्रा” विषय पर एक पैनल चर्चा का आयोजन किया जाएगा। दूसरे पैनल की चर्चा का विषय “संगीत और गीत – बनारस की विरासत” होगा जिसका समय दोपहर 12:30 बजे से दोपहर 02 बजे तक होगा।
शाम 4 बजे समापन समारोह के साथ ही सब्सिडी का भी वितरण किया जाएगा। गुरुवार शाम को मशहूर फ़िल्म स्टार हेमा मालिनी अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेंगी। ये कार्यक्रम वाराणसी के अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र में ही होगा।
29 दिसंबर को “फ़िल्म निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र और क्षेत्रीय सिनेमा की संभावना के तौर पर उत्तर प्रदेश” विषय पर एक पैनल चर्चा आयोजित की जाएगी। और शाम को काशी में गायक रवि त्रिपाठी तथा अभिनेता रवि किशन की पेशकश के साथ इस पहले फ़िल्म महोत्सव का समापन होगा।
Read More »आजादी कितने प्रतिशत?
जहां आज महिलाएं इस डिजिटल युग में नित नई ऊंचाइयों को छू रही हैं और सबसे बड़ी बात कि गरीब तबकों से आई हुई महिलाएं, लड़कियां भी अपने सपनों को पंख लगा कर उड़ रही हैं ऐसे में महिलाओं की यह सोच एक सवाल खड़ा करती है कि आज भी पति द्वारा पीटा जाना जायज है। नेशनल फैमिली हेल्थ द्वारा एक सर्वे के दौरान यह खुलासा हुआ है और आंकड़ों पर गौर किया जाये तो घरेलू हिंसा को सही ठहराने वाली महिलाओं का प्रतिशत अधिक है. उनमें- आंध्र प्रदेश 83.6℅, कर्नाटक 76.9℅, मणिपुर 65.9℅ और केरल 52.4℅ शामिल हैं। जबकि हिमाचल प्रदेश, नागालैंड और त्रिपुरा में घरेलू हिंसा को लेकर स्वीकृति सबसे कम देखी गई। केवल 14.2℅, 21.3℅ ही सहमति व्यक्त की।
यह सोच फर्क पैदा करती है कि अभी महिलाओं को दासता की प्रवृत्ति से बाहर आना बाकी है। इसमें कोई शक नहीं कि आज महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही है लेकिन कहीं ना कहीं आज भी उन्हें नियंत्रित करने की चाबी पुरुष के हाथों में है। सर्वे के अनुसार घर से बिना बताए बाहर जाना, घर परिवार की उपेक्षा करना, खाना ठीक से ना बनाना, परसंबंध ऐसे तमाम कारण है जो घरेलू हिंसा की वजह बनते हैं। पर क्या यह कारण इतने अहम हैं कि इसके समाधान स्वरूप मारपीट की जाए ? पुरुषवादी सोच कि मैं स्त्री को आजादी देता हूं, कितना उचित है? मैं नौकरी करने की छूट देता हूं, घुमाना फिराना, सारी सुविधाएं मुहैया कराता हूं तो उस पर अपना आधिपत्य रखना, अपना अधिकार समझता हूं, यह कितना उचित है? आपसी मामले का हवाला देकर किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं करते और यदि पुलिस की मदद ली जाती है तो अलगाव की स्थिति आ जाती है। यह सोच क्यों नहीं पनपती यदि पुरुष सुविधाएं दे रहा है तो स्त्री भी समर्पित है परिवार के लिए।
घर गृहस्ती को गाड़ी के दो पहिए कहा गया है। फिर सब सामान हुए यह असमानता क्यों? आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के बावजूद कितनी महिलाएं हैं जो अपने निर्णय स्वतंत्र रूप से ले सकती हैं? आखिर महिलाएं इस दास प्रवृत्ति से बाहर क्यों नहीं आना चाहती? एक महिला का तर्क है कि परिवार में शांति बनाए रखने के लिए और शांति से जीने के लिए चुप रह जाना पड़ता है। घर का माहौल खराब होता है और बच्चों पर भी बुरा असर पड़ता है। एक और महिला से बातचीत के दौरान मालूम हुआ कि वह घरेलू हिंसा की शिकार थी लेकिन फिर भी वह उस जगह से पलायन नहीं कर रही थी क्योंकि उसे अपने मायके का सहयोग नहीं था जब स्थिति ज्यादा खराब हुई तब उसका भाई उसे लेने पहुंचा मगर उसने आने से मना कर दिया क्योंकि उसका कहना था कि आप लोग वापस यहीं पर छोड़ जाओगे फिर मैं वापस क्यों आऊं। अंततः मायके वालों की मदद से उसने अपना घर परिवार छोड़कर आत्मनिर्भर होना स्वीकार किया।
यह बात छोटे और अशिक्षित तबको में होती है तो समझ में आता है लेकिन शिक्षित परिवारों में भी ऐसा देखने को मिलता है तो किस सभ्य समाज की बात की करते हैं हम? इस सोच से बाहर आना होगा कि जिस घर में डोली गई है वहां से अर्थी निकलेगी। अपने आत्मसम्मान को जगाना होगा। जो गलत है कम से कम उसके लिए बोलना ही होगा। परिवार एक सामाजिक इकाई है जिसे स्त्री और पुरुष दोनों मिलकर चलाते हैं। आपसी सहयोग से इसमें कोई कम या ज्यादा का ना भाव है ना महत्व है
प्रियंका वर्मा महश्वरी
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