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केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति ने एचएएल से भारतीय वायु सेना (10) और भारतीय सेना (05) के लिए 15 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) सीमित श्रृंखला उत्पादन (एलएसपी) की खरीद को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री  मोदी की अध्यक्षता में 30 मार्च 2022 को नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति (सीसीएस) की बैठक हुई। इस समिति ने 3,887 करोड़ रुपये की लागत से 15 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) सीमित श्रृंखला उत्पादन की खरीद के अनुमोदन को मंजूरी दी है। इसके अलावा ढांचागत सुविधा के निर्माण के लिए भी 377 करोड़ रूपये स्वीकृत किए गए हैं।

हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर सीमित श्रृंखला उत्पादन (एलएसपी) एक स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित अत्याधुनिक लड़ाकू हेलीकॉप्टर है। मूल्य के हिसाब से देश में ही बनाये जाने वाले इन हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टरों में 45 प्रतिशत सामान स्वदेशी होगा, जिसे बाद में धीरे-धीरे 55 फीसदी तक किया जाएगा। ये हेलीकॉप्टर आवश्यक दक्षता, कौशल व दांव पेंच, गतिशीलता, विस्तारित रेंज, ऊंचाई पर भी दिन-रात बेहतर प्रदर्शन, सभी तरह के मौसम में खोज, राहत और बचाव अभियान (सीएसएआर) में सक्षम, शत्रु की वायु रक्षा प्रणाली को ध्वस्त करने (डीईएडी) में चपल, आतंकवाद रोधी (सीआई) अभियान, धीमी गति से उड़ने वाले विमान और दूर से आने वाले विमान (आरपीए) के खिलाफ कार्रवाई, अत्यधिक ऊंचाई वाले बंकर नष्ट करने वाले ऑपरेशन, जंगल एवं शहरी क्षेत्रों में विद्रोहियों की कार्रवाई का जवाब देने तथा जमीनी सैन्य बलों को सहायता करने में उपयोगी हैं। ये हेलीकॉप्टर भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना की परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए काफी प्रभावकारी साबित होंगे।अगले 3 से 4 दशकों के लिए उभर कर आने वाली सैन्य आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु लड़ाकू भूमिकाओं में तैनाती के लिए एलसीएच को कम रौशनी, श्रव्य, रडार और आईआर सिग्नेचर्स और बेहतर तरीके से बचे रहने के लिए क्रैश-वर्दीनेस सुविधाओं जैसी अत्याधुनिक तकनीकों एवं प्रणालियों को एकीकृत किया गया है। ग्लास कॉकपिट और समग्र एयरफ्रेम संरचना जैसी कई प्रमुख विमानन प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी बनाया गया है। भविष्य की श्रृंखला के उत्पादन संस्करण में और आधुनिक तथा स्वदेशी प्रणालियां शामिल होंगी। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत, भारत रक्षा क्षेत्र में उन्नत अत्याधुनिक तकनीकों और प्रणालियों को स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित तथा निर्मित करने की अपनी क्षमता का लगातार विस्तार कर रहा है। एचएएल द्वारा एलसीएच का निर्माण आत्मनिर्भर भारत पहल को और बढ़ावा देगा तथा देश में रक्षा उत्पादन एवं रक्षा उद्योग के स्वदेशीकरण को प्रमुखता देगा। एलसीएच के उत्पादन से देश में लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के लिए आयात पर निर्भरता कम होगी। हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर पहले से ही आयात प्रतिबंध सूची में हैं। लड़ाकू अभियानों के लिए उन्नत अपनी बहुमुखी विशेषताओं के साथ, एलसीएच में बेहतरीन निर्यात क्षमता है।

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सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी हाइड्रोजन संचालित कार में संसद पहुंचे, सतत विकास के लिए हरित हाइड्रोजन के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने की जरूरत पर जोर दिया

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज हाइड्रोजन आधारित ईंधन बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (एफसीईवी) से संसद भवन पहुंचे। श्री गडकरी ने ‘हरित हाइड्रोजन’ से संचालित कार को दिखाते हुए भारत के लिए हाइड्रोजन आधारित समाज की सहायता करने को लेकर हाइड्रोजन, एफसीईवी तकनीक और इसके लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत पर जोर दिया। श्री गडकरी ने आश्वासन दिया कि भारत में हरित हाइड्रोजन का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि देश में स्थायी रोजगार के अवसर उत्पन्न करने वाले हरित हाइड्रोजन ईंधन स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत जल्द ही हरित हाइड्रोजन निर्यातक देश बन जाएगा।

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श्री गडकरी ने कहा कि भारत में स्वच्छ और अत्याधुनिक मोबिलिटी (परिवहन) के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सोच के अनुरूप हमारी सरकार ‘राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन’ के जरिए हरित व स्वच्छ ऊर्जा पर अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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रक्षा मंत्रालय और मेसर्स भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बेंगलुरु ने लड़ाकू विमानों के लिए उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूइट की खरीद के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए

रक्षा मंत्रालय एवं भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों के लिए उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) सूइट की आपूर्ति के लिए एक अनुबंध पूरा किया। रक्षा मंत्रालय और मैसर्स बीईएल के बीच आज यहां इस अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। अनुबंध की कुल लागत ₹ 1993 करोड़ होने का अनुमान है।

उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) सूइट सिस्टम की आपूर्ति से वायुसेना के लड़ाकू विमानों की युद्ध की स्थितियों में प्रतिद्वंद्वियों के ज़मीन आधारित रडार के साथ-साथ एयरबोर्न फायर कंट्रोल और निगरानी रडार के विरुद्ध अभियानों के दौरान उत्तरजीविता में काफी वृद्धि होगी।

इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) सुइट को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। परियोजना अनिवार्य रूप से आत्मनिर्भर भारत की भावना की प्रतीक है और आत्मनिर्भरता की ओर यात्रा साकार करने में मदद करेगी।

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रक्षा मंत्री की इजरायल के रक्षा मंत्री के साथ टेलीफोन पर बातचीत

रक्षा मंत्री  ने इज़राइल के रक्षा मंत्री श्री बेंजामिन गैंज़ से टेलीफोन पर बात की। इस टेलीफोन कॉल की शुरुआत तेल अवीव की ओर से की गई थी। श्री राजनाथ सिंह ने इज़राइल में हाल ही में हुए आतंकवादी हमलों के कारण निर्दोष नागरिकों की जान चली जाने पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की और कहा कि आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए खतरा है और सभ्य दुनिया में इसका कोई स्थान नहीं है। श्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, “इजरायल के रक्षा मंत्री श्री बेंजामिन गैंट्ज़ के साथ टेलीफोन पर बातचीत हुई। इज़राइल में आतंकवादी हमलों के कारण निर्दोष लोगों की जान जाने पर अपनी संवेदना साझा की। आतंकवाद एक वैश्विक खतरा है जिसका आज की सभ्य दुनिया में कोई स्थान नहीं है।”

श्री गैंज़ ने श्री राजनाथ सिंह के नज़रिए की सराहना की और रक्षा मंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने श्री राजनाथ सिंह को आगे बताया कि उनकी 30-31 मार्च, 2022 तक प्रस्तावित भारत यात्रा कुछ अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर दी गई है एवं राजनयिक चैनलों के माध्यम से नई तारीखें निर्धारित करने पर काम किया जाएगा। यात्रा का इंतज़ार व्यक्त करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह भारत और इज़राइल के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करेगा।

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति ने पांच राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता के रूप में 1,887.23 करोड़ रुपये की मंजूरी दी

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) ने 2021 के दौरान बाढ़/भूस्खलन/ओलावृष्टि से प्रभावित पांच राज्यों को राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (एनडीआरएफ) के तहत अतिरिक्त केंद्रीय सहायता की मंजूरी दी है। यह निर्णय, इन प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने वाले पांच राज्यों के लोगों की मदद करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के संकल्प को दर्शाता है।

एचएलसी ने एनडीआरएफ से पांच राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता के रूप में 1,887.23 करोड़ रुपये की मंजूरी दी।

बिहार को 1,038.96 करोड़ रुपयेहिमाचल प्रदेश को 21.37 करोड़ रुपयेराजस्थान को 292.51 करोड़ रुपयेसिक्किम को 59.35 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल को 475.04 करोड़ रुपये।

यह अतिरिक्त सहायता; केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) में जारी की गई धनराशि के अलावा है, जो पहले से ही राज्यों के पास उपलब्ध है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान केंद्र सरकार ने 28 राज्यों को उनके एसडीआरएफ में 17,747.20 करोड़ रुपये और एनडीआरएफ से नौ राज्यों को 6,197.98 करोड़ रुपये जारी किये हैं।

केंद्र सरकार ने आपदाओं के तुरंत बाद इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए उनसे ज्ञापन प्राप्त होने की प्रतीक्षा किए बिना, अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीमों (आईएमसीटी) की प्रतिनियुक्ति की थी।

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भारत वर्तमान में यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, इज़राइल और अन्य देशों के साथ एफटीए पर बातचीत करने की प्रक्रिया में है

वस्त्र राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना जरदोश ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने हाल ही में एक मुक्त व्यापार समझौते-एफटीए पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे भारतीय वस्त्र और परिधानों के निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना है। भारत, वर्तमान में यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, इज़राइल और अन्य देशों/क्षेत्रों के साथ एफटीए पर बातचीत करने की प्रक्रिया में है।
बांग्लादेश, कंबोडिया और श्रीलंका आदि जैसे पड़ोसी प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में भारत कुछ बाजारों जैसे यूरोपीय संघ, ब्रिटेन आदि में शुल्क हानि का सामना कर रहा है। सरकार अपनी बाज़ार पहुंच पहल (एमएआई) योजना के अंतर्गत विभिन्न निर्यात को व्यापार मेलों, प्रदर्शनियों, क्रेता-विक्रेता बैठकों आदि के आयोजन तथा भाग लेने के लिए कपड़ा और वस्त्र निर्यात को बढ़ावा देने में लगे प्रमोशन काउंसिल (ईपीसी) तथा व्यापार निकाय को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के समय में, वैश्विक बाजारों में अवसरों का उपयोग करने के लिए ईपीसी विपणन के एक वैकल्पिक तरीके के रूप में वर्चुअल माध्यम से प्रदर्शनियों का भी आयोजन किया गया था।

कपड़ा उत्पादों को लागत प्रतिस्पर्धी बनाने और शून्य रेटेड निर्यात के सिद्धांत को अपनाने के लिए, सरकार ने परिधान / वस्त्र (अध्याय -61 और 62) और (अध्याय-63) मेड-अप के निर्यात पर राज्य और केंद्रीय कर तथा लेवी (आरओएससीटीएल) की छूट को 31 मार्च 2024 तक जारी रखा है। अन्य वस्त्र उत्पाद (अध्याय 61, 62 और 63 को छोड़कर) जो आरओएससीटीएल के अंतर्गत शामिल नहीं हैं, अन्य उत्पादों के साथ निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों (आरओडीटीईपी) के अंतर्गत शामिल किए गए हैं।

संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (एटीयूएफएस) जनवरी 2016 में पात्र बेंचमार्क मशीनरी के लिए एकमुश्त पूंजी सब्सिडी के लिए शुरू की गई थी। परिधान और तकनीकी वस्त्र जैसे उच्च रोजगार और निर्यात क्षमता वाले खंड पूंजीगत सब्सिडी के लिए पात्र हैं। वस्त्र उद्योग के रोजगार सृजन के अपने प्रयासों को पूरा करने के लिए और उद्योग की कौशल युक्त जनशक्ति की जरूरतों को पूरा करने के लिए, वस्त्र मंत्रालय कताई को छोड़कर वस्त्रों की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला और संगठित क्षेत्र में बुनाई के लिए कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण (एससीबीटीएस) योजना को लागू कर रहा है। मंत्रालय मौजूदा और संभावित कपड़ा इकाइयों के लिए एक एकीकृत कार्यक्षेत्र तथा लिंकेज-आधारित ईकोसिस्टम बनाने के लिए 2021-22 से 2025-26 तक कपड़ा समूह विकास योजना (टीसीडीएस) लागू कर रहा है ताकि उन्हें परिचालन और वित्तीय रूप से व्यवहार्य बनाया जा सके। इसमें हस्तक्षेपों के अनुकूलन, संचालन में पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं, विनिर्माण में प्रतिस्पर्धा, कम लागत, प्रौद्योगिकी और सूचना तक बेहतर पहुंच आदि के लिए लोगों को महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करना है। इसके अलावा, एमएमएफ परिधान, एमएमएफ कपड़े और तकनीकी वस्त्रों के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कपड़ा के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की गई है। सरकार ने प्लग एंड प्ले सुविधा सहित विश्व स्तर के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए ग्रीनफील्ड / ब्राउनफील्ड साइटों में 7 (सात) पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन और अपैरल (पीएम मित्रा) पार्क स्थापित करने को भी मंजूरी दी है।

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पांचवां बिम्सटेक शिखर सम्मेलन

प्रधानमंत्री मोदी आज पांचवें बिम्सटेक (बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन) शिखर सम्मेलन में सम्मिलित हुये, जिसकी मेजबानी वर्चुअल माध्यम से श्रीलंका ने की, जो इस समय बिम्सटेक का अध्यक्ष है। पांचवें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के पूर्व, वरिष्ठ अधिकारियों और विदेश मंत्रियों के स्तर पर एक तैयारी बैठक हाइब्रिड पद्धति से कोलंबो में 28 और 29 मार्च को आयोजित की गई थी। शिखर-सम्मेलन की विषयवस्तु “टूवर्ड्स ए रेजीलियंट रीजन, प्रॉस्पेरस इकोनॉमीज़, हेल्दी पीपुल” सदस्य देशों के लिये प्राथमिकता विषय है। इसके अलावा बिम्सटेक के प्रयासों से सहयोगी गतिविधियों को विकसित करना भी इसमें शामिल है, ताकि सदस्य देशों के आर्थिक तथा विकास पर कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभावों से निपटा जा सके। शिखर वार्ता का प्रमुख कदम बिम्सटेक चार्टर पर हस्ताक्षर करना और उसे मंजूरी देना है, जिसके तहत उन सदस्य देशों के संगठन को आकार देना है, जो बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित हैं तथा उस पर निर्भर हैं। शिखर सम्मेलन में बिम्सटेक कनेक्टीविटी एजेंडा को पूरा करने की उल्लेखनीय प्रगति का जायजा लिया गया। राष्ट्राध्यक्षों ने ‘यातायात संपर्कता के लिये मास्टरप्लान’ पर विचार किया, जिसके तहत भविष्य में इस इलाके में संपर्कता सम्बंधी गतिविधियों का खाका तैयार करने के दिशा-निर्देश निहित हैं। अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री ने बिम्सटेक की क्षेत्रीय संपर्कता, सहयोग और सुरक्षा को बढ़ाये जाने के महत्त्व को रेखांकित किया। इस सम्बंध में उन्होंने अनेक सुझाव दिये। प्रधानमंत्री ने अपने समकक्ष राष्ट्राध्यक्षों का आह्वान किया कि वे बंगाल की खाड़ी को बिम्सटेक सदस्य देशों के बीच संपर्कता, समृद्धि और सुरक्षा सेतु में बदलने का प्रयास करें। प्रधानमंत्री श्री मोदी तथा अन्य राष्ट्राध्यक्षों के समक्ष तीन बिम्सटेक समझौतों पर हस्ताक्षर हुये। इन समझौतों में वर्तमान सहयोग गतिविधियों में हुई प्रगति के विषय शामिल हैः 1). आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता पर बिम्सटेक समझौता, 2). राजनयिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में आपसी सहयोग पर बिम्सटेक समझौता-ज्ञापन, 3). बिम्सटेक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुविधा की प्रतिस्थापना के लिये प्रबंध-पत्र।

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एस. एन. सेन बालिका विद्यालय पी. जी. कॉलेज कानपुर में ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा सेमिनार का आयोजन

कानपुर 30 मार्च, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बालिका विद्यालय पी. जी. कॉलेज कानपुर में छात्राओं के लिए ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा एक सेमिनार का आयोजन किया गया कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ रेड्डी फाउंडेशन के ट्रेनिंग मैनेजर श्री सैफ खान ,शहजाद शमीम, कु. नीतिका त्रिवेदी , प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल, ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल की इंचार्ज डा गार्गी यादव और डा निशा वर्मा ने किया। प्राचार्या डा निशा अग्रवाल ने सभी का स्वागत किया. ट्रेनिंग मैनेजर श्री सैफ खान ने बताया कि डॉ रेड्डी संस्था किशोर वर्ग ,युवा वर्ग, महिला वर्ग और किसानों के लिए कार्य कर रही है । संस्था का उद्देश्य पिछड़े वर्ग के युवाओं को प्रशिक्षण के बाद रोजगार के अवसर सुनिश्चित करना है । उन्होंने टेक्निकल , समुन्नत भाषा और सॉफ्ट स्किल के बारे में विस्तार से बताया तथा इंडस्ट्री में कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिए फोकस , कंसंट्रेशन और एक्यूरेसी की महत्ता के बारे में बताया, श्री सैफ ने डॉ रेड्डी फाउंडेशन के अंतर्गत कार्यरत युवाओं के प्रशिक्षण हेतु चलाए जाने वाले प्रोग्राम जैसे ऑफिस ऑटोमेशन , रेज्यूमे, ऑटोमैटिक प्रेजेंटेशन देना ,क्वांटिटेव ट्रेनिंग के बारे में छात्राओं को जानकारी दी। प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल ने बताया कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत महाविद्यालय में स्थापित ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा छात्राओं के ज्ञानवर्धन, विकास और रोजगार से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम करवाता रहता है, जिससे छात्राओं का सर्वांगीण विकास हो सके। कार्यक्रम का संचालन ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल की प्रभारी डॉ. गार्गी यादव ने औऱ धन्यवाद ज्ञापन डॉ. निशा वर्मा ने किया कार्यक्रम में डा प्रभात,डॉ प्रीता अवस्थी, सौम्या चतुर्वेदी ,सपना रॉय, कु वर्षा सिंह कु तैय्यबा आदि प्रवक्ताए और छात्राएं उपस्थित रहीं.

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 देश का लक्ष्य दुनिया में सबसे बड़ा स्टार्टअप ईकोसिस्टम बनने का है- पीयूष गोयल

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता कार्य और खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण और वस्त्र मंत्री, श्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि देश का लक्ष्य दुनिया में सबसे बड़ा स्टार्टअप ईकोसिस्टम बनने का है। संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में ‘गेटवे टू ग्रोथ – राउंडटेबल ऑन इंडियन स्टार्टअप इकोसिस्टम’ पर एक सत्र को संबोधित करते हुए, श्री गोयल ने कहा, “आज हम तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम हैं, लेकिन हमारी आकांक्षा दुनिया का नंबर एक स्टार्टअप केंद्र बनने की है। स्टार्टअप बग ने भारत की कल्पना को पहचान लिया है। संपूर्ण नवाचार ईकोसिस्टम जिसका स्टार्टअप उद्योग प्रतिनिधित्व करता है, भारत को एक नई दिशा, नई गति दे रहा है।” संयुक्त अरब अमीरात के उद्यमिता और एसएमई राज्य मंत्री, अहमद बेलहौल अल फलासी (वर्चुअल माध्यम से), डॉ. थानी ज़ायौदी, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्री, मोहम्मद अल शराफ, अध्यक्ष, अबू धाबी आर्थिक विकास विभाग ने सत्र की सह-अध्यक्षता की। एडीजीएम, एडीक्यू, मुबाडाला, मसदर, एडीआईओ, एडी रेजिडेंट्स ऑफिस, जी-42, हब-71, अर्देंट एडवाइजरी, चिमेरा इनवेस्टमेंट आदि के प्रतिनिधियों ने भी सत्र में भाग लिया। श्री गोयल ने कहा, “भारत स्टार्टअप के लिए एक विशेष ‘जुगलबंदी’ या निवेशकों और उद्यमियों के बीच तालमेल के साथ एक संतुलित परिणाम प्राप्त करने और सभी के लिए उत्तम समाधान प्राप्त करने के लिए सबसे अच्छा ईकोसिस्टम प्रदान करता है। मैंने दुबई एक्सपो में जबरदस्त प्रतिक्रिया देखी है जहां हमारे स्टार्टअप्स को धन जुटाने, समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करने और एंजेल निवेश प्राप्त करने का अवसर मिला है। ये सभी पहलू यूएई के साथ भारत की दोस्ती के मजबूत बंधन को सुदृण करने में मदद करेंगे।” मंत्री ने इंडिया पवेलियन के अंतर्गत इंडिया इनोवेशन हब प्लेटफॉर्म द्वारा भारतीय स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने की सराहना की। मंत्री ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि एक्सपो 2020 दुबई में अपने इनोवेशन का प्रदर्शन करने वाले 700 स्टार्टअप भविष्य के लिए नए अवसरों और विचारों से समृद्ध होकर वापस गए होंगे। मुझे विश्वास है कि भारत और यूएई के बीच नवाचार और भविष्य की प्रौद्योगिकियों पर यह पहल व्यवसायों के विकास को गति देगी और आगे बढ़ने में सहायता करेगी।” उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स को प्रयोग करने, असफल होने और अपने अनुभवों से सीखने की जरूरत है। श्री गोयल ने कहा, “मैं स्टार्टअप जगत के सभी लोगों से अतिरिक्त प्रयास करने और स्टार्टअप की गाथा को सभी दूरस्थ स्थानों, गांवों, छोटे शहरों, पूर्वोत्तर भारत और अन्य क्षेत्रों में ले जाने का आग्रह करूंगा।” स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने में सरकार की भूमिका के बारे में मंत्री ने कहा कि भारत का लक्ष्य स्टार्टअप्स को एक समान अवसर और सर्वोत्तम व्यावसायिक ईकोसिस्टम प्रदान करना है। मंत्री ने कहा, “हमने हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात के साथ व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) को अंतिम रूप दिया है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार, बी2बी जुड़ाव और आकर्षक निवेश के अवसरों का पता लगाने की आशा है। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि हम इस साझेदारी को स्थिरता, एयरोस्पेस, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, संपर्क, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स, 5जी, मेटावर्स आदि के क्षेत्रों में नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। हम एक-दूसरे की पेशकशों और विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए तत्पर हैं।”

श्री गोयल ने कहा कि यूएई भारत साझेदारी वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने और दुनिया भर के अरबों लोगों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए तैयार है। मंत्री ने कहा, “यह 21वीं सदी के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदारी होगी।”

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भारतीय नौसेना के लिए दो बहुउद्देश्यीय पोतों के अधिग्रहण को लेकर मुबंई स्थित मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए

रक्षा मंत्रालय ने 25 मार्च, 2022 को मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ “खरीदें-भारतीय” श्रेणी के तहत 887 करोड़ रुपये की कुल लागत से भारतीय नौसेना के लिए दो बहुउद्देश्यीय पोतों (एमपीवी) के अधिग्रहण के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे और अतिरिक्त सचिव व महानिदेशक (अधिग्रहण) श्री पंकज अग्रवाल की उपस्थिति में इस अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। नौसेना को मई, 2025 से इन पोतों को सौंपे जाने का समय तय किया गया है।

एमपीवी अपनी तरह का पहला पोत होगा, जिसका निर्माण भारतीय नौसेना की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने को लेकर लागत प्रभावी समाधान प्रदान करने के लिए किया जाएगा। मेसर्स एलएंडटी शिपयार्ड इन जहाजों का निर्माण कट्टुपल्ली (चेन्नई) में करेगी। यह गनरी/एएसडब्ल्यू फायरिंग अभ्यासों के लिए समुद्री निगरानी व गश्ती, टारपीडो की लॉन्चिंग/रिकवरी और विभिन्न प्रकार के हवाई, सतह व जल के नीचे के लक्ष्यों के परिचालन जैसे विविध भूमिकाओं में सहायता करने का काम करेगा। ये पोत जहाजों को खींचने और सीमित अस्पताल जहाज क्षमता के साथ मानवीय सहायता व आपदा राहत (एचएडीआर) समर्थन प्रदान करने में भी सक्षम होंगे। इसके अलावा ये पोत विकास के तहत नौसेना के हथियारों व सेंसर के परीक्षण मंच, आईएसवी व बचाव कार्यों के लिए समर्थन मंच और हमारे द्वीपीय क्षेत्रों में लॉजिस्टिक (रसद) सहायता प्रदान करने का भी काम करेंगे।  यह अनुबंध भारत सरकार की “आत्मनिर्भर भारत” पहल के अनुरूप भारतीय पोत निर्माण उद्योग की सक्रिय भागीदारी को और अधिक बढ़ावा देगा व प्रोत्साहित करेगा। इसके अलावा अधिकांश उपकरण व प्रणाली स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त होने के चलते ये पोत रक्षा मंत्रालय की “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” पहल के एक गौरवशाली ध्वजवाहक होंगे।

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