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Bharatiya Swaroop

भारतीय स्वरुप एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र है। सम्पादक मुद्रक प्रकाशक अतुल दीक्षित (published from Uttar Pradesh, Uttrakhand & maharashtra) mobile number - 9696469699

केंद्र सरकार ने 17 सितंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई

संसद सत्र से पहले, संसदीय कार्य मंत्रालय ने रविवार 17 सितंबर, 2023 को संसद, नई दिल्ली में राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं की एक बैठक बुलाई है।

उल्लेखनीय है कि संसद का सत्र 18 सितंबर से 22 सितंबर, 2023 तक आयोजित होने वाला है।

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अल्जाइमर रोग के संभावित इलाज का रास्ता प्राकृतिक पॉलिफेनॉल में पाया गया

वैज्ञानिकों ने पाया है कि चेस्टनट और ओक जैसे पेड़ों की टहनियों में पाया जाने वाले टेनिक एसिड जैसे प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में उपलब्ध पौधा- आधारित पॉलिफेनॉल (पीपी) से फेरोप्टोसिस-एडी एक्सिस को नियंत्रित किया जा सकता है और इसके परिणामस्वरूप अल्जाइमर रोग (एडी) का मुकाबला करने के लिये एक सुरक्षित, लागत प्रभावी रणनीति उपलब्ध हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप दिमागी विकृति जैसे सामाजिक बोझ को कम करने में मदद मिल सकती है।

एडी एक तेजी से फैलती दिमाग में विकृति लाने वाली बीमारी है जो चीजों को याद रखने और ज्ञानात्मक क्षमता को कमजोर करती है। दशकों के शोध के बाद भी इस बीमारी को पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। यही वजह है कि इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक करने का इलाज उपलब्ध नहीं हो पाया है। फेरोप्टोसिस, पूर्वनिर्धारित कोशिका-मृत्यु की लौह-निभर्रता वाला स्वरूप है, जो एडी विकास में एक उल्लेखनीय योगदानकर्ता के तौर पर सामने आया है। एडी के कई तरह के लक्षण जैसे कि असामान्य लौह-निर्माण, लिपिड पैरोक्सीडेशन, प्रतिक्रियाशील आक्सीजन वर्ग (आरओएस) और एंटीआक्सीडेंट एंजाइम ग्लूटाथियोन पेरोक्सिीडेस4 (जीपीएक्स4) की कमजोर गतिविधि यह सब फेरोप्टोसिस के लक्षणों से मेल खाती हैं। फरोप्टोसिस का मास्टर नियामक जीपीएक्स4 पॉलिअनसेचुरेटिड फैट्टी एसिड (पीयूएफएएस) का आरओएस के साथ आयरन- उत्प्रेरित प्रतिक्रिया से लिपिड एल्कोहल, जहरीले लिपिड पेरोक्साइड को कम करता है जो कि फेरोप्टोसिस की रोकथाम के लिये पहली सुरक्षा दीवार के तौर पर काम करता है। इसे जीपीएक्स4 मार्ग कहा जाता है। जहां फेरोप्टोसिस का मुकाबला करने के परंपरागत तरीकों में प्राथमिक तौर पर चिलेटिंग आयरन और आरओएस के असर को समाप्त करने पर ध्यान दिया जाता था उसमें भी एडी में फेरोप्टोसिस को कम करने के लिये जीपीएक्स4 मार्ग को लक्षित करने की संभावित चिकित्सीय रणनीतियों पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया। जीपीएक्स4 प्रोटीन संशलेषण अपने आप में एक उर्जावान, कम दक्षता वाली प्रक्रिया है और इसलिये जीपीएक्स4 स्तर को बढ़ाने और सक्रिय करने वाले मालिक्यूल्स लंबे समय से चले आ रहे विकारों में आक्सीडेटिव तनाव से बचाव की कुंजी हो सकते हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायतशासी निकाय जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर), के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये एक अध्ययन में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले पॉलीफेनोल्स (पीपीएस) को फेरोप्टोसिस और एडी में सुधार लाने की दोहरी क्षमताओं के साथ नवीन और बहुरूपीय चिकित्सीय एजेंट के तौर पर प्रस्तुत किया गया है। इसमें जो अंतरनिहित तंत्र है उसमें अमालॉयड (अंगों और उत्तकों में पाया जाने वाला असामान्य रेशेदार, प्रोटीनयुक्त कोष) और टाउ प्रोटीन (मध्य तंत्रिका प्रणाली की तंत्रिका कोशिका में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला) को एकत्रित होने से रोकने, आक्सीडेटिव तनाव को कम करने, माइटोकोन्ड्रियल क्रिया को बचाना और फेरोप्टोसिस को रोकना शामिल है। उनके अध्ययन में यह सामने आया है कि प्राकृतिक पालिफोनॉल, टैनिक एसिड (टीए) जीपीएक्स4 को चालू करने और बढ़ाने वाला दोनों के तौर पर काम कर सकता है। इस नवीन विचार से जीपीएक्स4 – फेरोप्टोसिस- एडी एक्सिस में नरमी लाकर एडी का मुकाबला करने की वैचारिक तौर पर उन्नत और वृहद रणनीति उपलब्ध कराता है। फेरोप्टोसिस और एडी के बीच आंतरिक तौर पर होने वाली गतिविधियों से निपटने के वादे को कायम रखते हुये एडी की हैतुकी में नवीन मार्ग को लक्षित करते हुये एडी पैथोलॉजिकल परिस्थितियों की मौजूदगी में भी जीपीएक्स4 स्तर को उठाने की टीए की क्षमता नये उत्साहवर्धक रास्तों की पेशकश करती है।

यह अध्ययन केमिकल साइंसेज पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। यह फेरोप्टोसिस अवरोधकों के मामले में शोध को आगे बढ़ाते हुये दवाओं के विकास की दिशा में एक नया आयाम प्रस्तुत करता है। इस खोज से दवा रासायनज्ञों को एडी जैसी बीमारी के खिलाफ चिकित्सकीय प्रभाविता बढ़ाने के लिये प्राकृतिक योगिकों के नये और व्युत्पन्न खोज की प्रेरणा मिलेगी।

एडी और फेरोप्टोसिस दोनों को एक साथ लक्षित करने के तर्क के साथ इस टीम ने फे-चेलशन और अंटीआक्सीडेंट क्षमताओं के लिये प्राकृतिक पाॅलिफेनाॅल्स की एक लाइब्रेरी को खंगाला जिसमें उन्होंने टैनिक एसिड को एक बहुपरिचालन वाले अणु के तौर पर अलग किया जो कि सभी पहलुओं में उत्साहवर्धक क्षमता प्रदर्शित करता है। इससे यह एडी और फरोप्टोसिस के मार्ग को संकरा करने के एक प्रभावकारी उम्मीदवार के तौर पर स्थापित हो जाता है। जीपीएक्स4 को सक्रिय करने और बढ़ाने दोनों तरह से फेरोप्टोसिस के अवरोधक के तौर पर टीए यानी टेनिक एसिड की खोज एडी के खिलाफ एक नवीन और समग्र रणनीति प्रस्तुत करती है। इससे एडी और फेरोप्टोसिस के बीच एक यांत्रिक जुड़ाव भी स्थापित होता है जो कि अब तक पता नहीं था।

जीपीएक्स4 सक्रियकर्ता के तौर पर प्राकृतिक पोलिफोनॉल के रूप में टीए की खोज, जो कि एडी प्रसारित फेरोप्टोसिस में सुधार लाता है, अपने आप में अति महत्वपूर्ण है और इस अध्ययन से एडी में फेरोप्टोसिस के तौर पर सहक्रियाशील अवरोध के मामले में नये अवसर प्रस्तुत होते हैं। अल्जाइमर डिजीज (एडी) और फेरोप्टोसिस की जटिलताओं को सामने लाकर इस शोध कार्य ने न केवल विशिष्ट तंत्रिका संबंधी चुनौतियों का समाधान किया है बल्कि वैज्ञानिक ज्ञान बढ़ाने, नई रोग प्रणाली के वैद्यीकरण, वैश्विक स्वास्थ्य में भी योगदान किया है। इसके साथ ही यह पागलपन के रोगियों की बेहतरी और शोधकर्ताओं को तंत्रिका प्रणाली विकृत होने संबंधी रोगों के मामले में इस वैकल्पिक उपचारात्मक आधार को अपनाने के लिये भी प्रेरित करता है।

 

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लद्दाख में राष्ट्रीय राजमार्ग 301 पर 230 किलोमीटर लंबी कारगिल-जेंस्कर सड़क का उन्नयन एवं चौड़ीकरण कार्य शुरू हुआ: गडकरी

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा है कि लद्दाख में राष्ट्रीय राजमार्ग 301 के महत्‍वपूर्ण खंड पर 230 किलोमीटर लंबी कारगिल-जेंस्कर सड़क का उन्नयन एवं चौड़ीकरण कार्य शुरू किया गया है। उन्होंने ट्वीट्स की एक श्रृंखला में कहा कि इस विस्‍तृत परियोजना को 8 पैकेज में विभाजित किया गया है। इसके 5वें पैकेज को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है जबकि पैकेज 6 और पैकेज 7 इसी वित्‍त वर्ष के लिए निर्धारित हैं। उन्‍होंने कहा कि इन 3 पैकेजों के तहत 97.726 किलोमीटर लंबी सड़क में 13 प्रमुख पुल, 18 छोटे पुल और 620 पुलिया शामिल हैं।

श्री गडकरी ने कहा कि यह काफी चुनौतियों वाला इलाका है जहां एक ओर गहरी खाई है तो दूसरी ओर खड़ी पहाड़ी है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कम वनस्‍पतियों और कम ऑक्‍सीजन स्‍तर के साथ ही वातावरण काफी सख्‍त है। साथ ही अत्यधिक ठंडी जलवायु चुनौतियों को कहीं बढ़ा देती है। इस इलाके के आधे से अधिक हिस्से में बस्ती और नेटवर्क कनेक्टिविटी का अभाव है।

श्री गडकरी ने कहा कि कार्य पूरा होने पर सभी मौसम के अनुकूल यह सड़क एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परिसंपत्ति के रूप में काम करेगी। इससे सेना और भारी सैन्‍य साजोसामान की आवाजाही में सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि अपने सामरिक महत्‍व से इतर यह परियोजना आसपास के क्षेत्र में आर्थिक विकास और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में की गई यह महत्‍वपूर्ण पहल सीमावर्ती इलाकों में कुशल, सुगम एवं पर्यावरण के अनुकूल मोबिलिटी सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता दर्शाती है।

 

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प्रधानमंत्री ने बीआरओ द्वारा निर्मित 90 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सराहना की, जिन्हें आज राष्ट्र को समर्पित किया गया

प्रधानमंत्री मोदी ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा निर्मित 2,900 करोड़ रुपये से अधिक की 90 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सराहना की है। ये परियोजनाएं 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में फैली हुई हैं। इन परियोजनाओं को आज रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया ।

प्रधानमंत्री ने एक्स पर किए गए अपने पोस्ट में कहा-

“ये महत्वपूर्ण परियोजनाएं हैं  सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में काफी सहायता करेंगी!

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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मैसर्स सुवेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड में 9589 करोड़ रुपये तक के विदेशी निवेश को स्वीकृति दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आज मैसर्स बरहयांदा लिमिटेड, साइप्रस द्वारा मैसर्स सुवेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड में 9589 करोड़ रुपये तक के विदेशी निवेश के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी अनिवार्य ओपन ऑफर के माध्यम से मौजूदा प्रमोटर शेयरधारकों और सार्वजनिक शेयरधारकों से शेयरों के हस्तांतरण के माध्यम से मैसर्स बरहयांदा लिमिटेड, साइप्रस द्वारा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड में सूचीबद्ध एक सार्वजनिक लिमिटेड भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनी मैसर्स सुवेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड के 76.1 प्रतिशत इक्विटी शेयरों के अधिग्रहण के लिए है। मैसर्स सुवेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड में कुल विदेशी निवेश 90.1 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।

इस प्रस्ताव का मूल्यांकन सेबी, आरबीआई, सीसीआई और अन्य संबंधित एजेंसियों द्वारा किया गया है। संबंधित विभागों, आरबीआई और सेबी द्वारा प्रस्ताव की जांच के बाद स्वीकृति दी गई है और यह इस संबंध में लागू सभी नियमों और विनियमों की पूर्ति के अधीन है।

विदेशी निवेशक कंपनी, मैसर्स बरहयांदा लिमिटेड में संपूर्ण निवेश एडवेंट फंड्स के पास है, जो विभिन्न लिमिटेड पार्टनर्स (एलपी) से निवेश एकत्र करता है। एडवेंट फंड का प्रबंधन एडवेंट इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन द्वारा किया जाता है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका की एक निगमित इकाई है। 1984 में स्थापित एडवेंट इंटरनेशनल कॉरपोरेशन ने 42 देशों में लगभग 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है। एडवेंट इंडिया ने 2007 से भारत में निवेश का शुभारंभ किया है और अब तक इसने स्वास्थ्य सेवा, वित्तीय सेवाओं, औद्योगिक विनिर्माण, उपभोक्ता वस्तुओं और आईटी सेवा क्षेत्रों की 20 भारतीय कंपनियों में लगभग 34000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

स्वीकृत निवेश का लक्ष्य नये रोजगारों का सृजन करना, संयंत्र और उपकरणों में निवेश के माध्यम से भारतीय कंपनी की क्षमता का विस्तार करना है। एडवेंट ग्रुप के साथ साझेदारी से व्यवसाय संचालन का विस्तार करके मैसर्स सुवेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड को बड़ा मंच प्रदान करने की उम्मीद है। इससे परिचालन उत्कृष्टता प्राप्त करने के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ाने और विकास में तेजी लाने के अलावा भारतीय कंपनी के पर्यावरण, स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों में सुधार और प्रबंधन में वैश्विक सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के मौजूदा पेशेवरों के लिए उत्कृष्ट प्रशिक्षण के अवसर प्राप्त होंगे।

सरकार ने त्वरित आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए प्रौद्योगिकी, नवाचार और कौशल के माध्यम से अन्य लाभों के साथ-साथ घरेलू उत्पादकता बढ़ाने, प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने और रोजगार सृजन के लिए पूरक पूंजी हेतु वैश्विक सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को अपनाने के लिए फार्मास्युटिकल क्षेत्र में एक निवेशक-अनुकूल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) नीति व्यवस्था कार्यान्वित की है।

मौजूदा एफडीआई नीति के अनुसार, ग्रीनफील्ड फार्मास्युटिकल परियोजनाओं में स्वचालित व्यवस्था के तहत 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है। ब्राउनफील्ड फार्मास्युटिकल परियोजनाओं में, स्वचालित व्यवस्था के तहत 74 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति है और 74 प्रतिशत से अधिक निवेश के लिए सरकार की मंजूरी आवश्यक है। पिछले पांच वर्षों (2018-19 से 2022-23 तक) के दौरान फार्मास्युटिकल क्षेत्र में कुल एफडीआई प्रवाह 43,713 करोड़ रुपये रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में इस क्षेत्र में एफडीआई में 58 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।

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आईआईसीए और यूनिसेफ ने संयुक्त रूप से बिजनेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग (बीआरएसआर) पर कार्यशाला का आयोजन किया

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (आईआईसीए) ने 12 सितंबर, 2023 को मुंबई में एनएसई परिसर में यूनिसेफ और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के सहयोग से बिजनेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग (बीआरएसआर) पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में प्रमुख कॉरपोरेट घरानों से स्‍थायित्‍व (सस्टेनेबिलिटी), सीएसआर (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व), ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) और बीएचआर (व्यावसायिक मानवाधिकार) से जुड़े 50 से अधिक पेशेवरों ने भाग लिया।

कार्यशाला का उद्देश्य बीआरएसआर की संरचना की व्यापक समझ प्रदान करना है, जो जिम्मेदार व्यवसाय आचरण के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देश (एनजीआरबीसी) के नौ सिद्धांतों पर आधारित है। बीआरएसआर संरचना शीर्ष 1000 सूचीबद्ध कंपनियों और व्यवसायों के लिए पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) पहलुओं पर अपने प्रदर्शन की रिपोर्ट करने और जिम्मेदार व्यावसायिक प्रथाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के लिए एक अनिवार्य प्रकटीकरण तंत्र है। कार्यशाला में जिम्मेदार ब्रांडों की स्थापना के लिए उपकरण के रूप में सीएसआर और ईएसजी, प्रभावी बीआरएसआर प्रकटीकरण, डिजिटल उपकरण, बीआरएसआर के लिए आईटी पोर्टल/सॉफ्टवेयर और व्यवसाय में परिवार के अनुकूल नीतियों के पालन जैसे विभिन्न विषयों को भी शामिल किया गया। कार्यशाला ने प्रतिभागियों को बीआरएसआर और इसके कार्यान्वयन में अपना ज्ञान और कौशल को बढ़ाने में सक्षम बनाया।

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कार्यशाला का उद्घाटन एसवीपी और हेड पीएसडी – पावर एंड कार्बन मार्केट्स, इन्वेस्टर अवेयरनेस, एनएसई डॉ. हरीश आहूजा ने किया, जिन्होंने निवेशकों और हितधारकों के लिए बीआरएसआर के महत्व पर अपना विचार साझा किया। उन्होंने व्यवसायों के मूल्य और प्रतिष्ठा को बढ़ाने और गैर-अनुपालन तथा नकारात्मक बाह्य कारकों से जुड़े जोखिमों को कम करने में ईएसजी कारकों की भूमिका पर जोर दिया। कार्यशाला का संचालन ईएसजी, सीएसआर, बीएचआर और कॉर्पोरेट स्‍थायित्‍व के क्षेत्र के अग्रणी संस्थान यूनिसेफ, स्टेपचेंज और आईआईसीए के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने किया। प्रसिद्ध संकाय और विशेषज्ञ वक्ताओं में प्रोफेसर गरिमा दधीच, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख, एसओबीई, आईआईसीए; श्री अशोक कुमार गुप्ता, पूर्व ग्रुप जनरल काउंसिल, आदित्य बिड़ला ग्रुप; श्री अंकित जैन, सीईओ, स्टेपचेंज; डॉ. रवि राज अत्रे, सीपीई, एसओबीई, आईआईसीए, और श्री शुभ्रज्योति भौमिक, पार्टनरशिप ऑफिसर, प्राइवेट एंड पब्लिक सेक्‍टर मैनेजमेंट्स, यूनिसेफ शामिल रहे।

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कार्यशाला एक इंटरैक्टिव लर्निंग रिकैप, पीयर नेटवर्किंग वे फॉरवर्ड और ओपन हाउस सत्र के साथ संपन्न हुई। कार्यशाला को प्रतिभागियों की तरफ से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। प्रतिभागियों ने सामग्री और वितरण की गुणवत्ता और प्रासंगिकता की सराहना की। यह कार्यशाला भारत में कॉरपोरेट्स और प्रासंगिक हितधारकों के बीच जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण को बढ़ावा देने के लिए आईआईसीए और यूनिसेफ के बीच चल रहे सहयोग का हिस्सा थी। देश के विभिन्न शहरों में बीआरएसआर पर अधिक कार्यशालाएं निर्धारित हैं। इंदौर में 20 सितंबर, दिल्ली में 26 सितंबर, और बेंगलुरु 29 सितंबर को बीआरएसआर पर कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।

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शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग, द्वारा लंबित मामलों के निपटारे के लिए विशेष अभियान आयोजित किया गया

लंबित मामलों के निपटान के लिए विशेष अभियान (एससीडीपीएम) के अंतर्गत दिसंबर 2022 से अगस्त 2023 की अवधि के दौरान शिक्षा मंत्रालय का उच्च शिक्षा विभाग विभिन्न लंबित मामलों को कम करने में सक्षम रहा
  • लोक शिकायत रसीदें और निपटान: 95.71 प्रतिशत लोक शिकायतों का निपटान किया गया है (27600 शिकायतों में से 26417)।
  • सांसदों से प्राप्त संदर्भ: सांसदों से प्राप्त 75.10 प्रतिशत संदर्भों का निपटारा किया गया है (466 प्राप्तियों में से 350)।
  • संसदीय आश्वासन: 59.50 प्रतिशत संसदीय आश्वासनों का निपटान किया गया है (79 प्राप्तियों में से 47)।
  • पीजी अपील: 90.50 प्रतिशत लोक शिकायत अपीलों का निपटान किया गया है (6588 प्राप्तियों में से 5962)।
  • कुल फाइलें जो हटाई गईं: 79.87 प्रतिशत फाइलें (कुल 8329 में से 6652) जिन्हें चिन्हित करके हटा दिया गया है।
  • 189 उच्च शिक्षण संस्थानों में स्वच्छता अभियान चलाया गया।

मंत्रालय अपने परिसरों और उच्चतर शिक्षा संस्थानों में लंबित मामलों की संख्या को कम करने और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। अभियान का उद्देश्य लंबित मामलों को कम करना, स्वच्छता को संस्थागत बनाना, आंतरिक निगरानी तंत्र को मजबूत करना, रिकॉर्ड प्रबंधन में कर्मियों को प्रशिक्षित करना, बेहतर रिकॉर्ड प्रबंधन के लिए भौतिक रिकॉर्ड को डिजिटल बनाना और सभी मंत्रालयों/विभागों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाना है।

शास्त्री भवन, नई दिल्ली, जहां कई मंत्रालयों/विभागों स्थित है, में भी कई नई शुरुआत की गई हैं। गलियारों को व्यवस्थित करने और डंप किए गए फर्नीचर और बेकार पड़े सामान को लॉबी से हटाने के लिए, अहाते के अंदर एक केंद्रीकृत डम्पयार्ड बनाया गया है जहां ऐसे बेकार पड़े सामान को समय-समय पर पर ले जाया जाता है और निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार उसका निपटान किया जाता है। इस पहल ने जहां गलियारों को खाली कर दिया है, वहीं अनावश्यक सामग्री से  लॉबी को भी मुक्त कर दिया है। इससे आने-जाने वाली जगहों के अंदर सुचारू आवागमन के साथ-साथ आग के खतरों को कम किया जा सकता है। परिसर में एक रिसायकल इकाई स्थापित करने का भी प्रस्ताव है।

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सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने अपने एक सप्ताह, एक प्रयोगशाला (वन वीक वन लैब) कार्यक्रम के अंतर्गत “भारत की स्टार्ट-अप्स क्रांति – एक विचार से बाजार तक एक रोमांचक यात्रा” पर एक कार्यशाला का आयोजन किया

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय विज्ञान  संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च-एनआई एससीपीआर) के एक सप्ताह – एक प्रयोगशाला (वन वीक वन लैब- ओडब्ल्यूओएल) कार्यक्रम के दूसरे दिन आज  12 सितंबर 2023 को  सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला सभागार, नई दिल्ली में “भारत की स्टार्ट-अप्स  क्रांति- एक विचार से बाजार तक एक रोमांचक यात्रा” पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों को ऐसी रोमांचक संभावनाओं और मार्गों से अवगत कराना है जो उन्हें अपने विचारों को एक वाणिज्यिक उत्पाद/प्रक्रिया में परिवर्तित करने में सहायक बनने के साथ ही  उभरते स्टार्ट-अप्स  के लिए दृश्यता बढ़ाने और नेटवर्किंग को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान कर सकते हैं।

स्टार्टअप कार्यशाला के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन (बाएं) और कार्यशाला के मुख्य अतिथि स्टार्टअप ओडिशा के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. ओंकार राय अपना भाषण देते हुए

कार्यशाला में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने में सम्मिलित उद्योग, स्टार्ट-अप, उद्योग सहयोगियों, अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों और प्रमुख सरकारी निकायों तथा प्रौद्योगिकी व्यवसाय ऊष्मायकों (इनक्यूबेटर्स) का व्यापक प्रतिनिधित्व था। इसमें छात्रों को स्टार्ट-अप के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराने, सफल स्टार्ट-अप द्वारा अनुभव साझा करने और स्टार्ट-अप द्वारा नवीन समाधान (उत्पाद) प्रदर्शित करने के लिए किसी  एक निर्धारित  स्थान पर सत्र शामिल थे।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय विज्ञान  संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च-एनआई एससीपीआर की निदेशक प्रोफेसर रंजना अग्रवाल ने उद्घाटन सत्र में अपने स्वागत भाषण में सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों के प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (टेक्नोलॉजी रेडीनेस लेवल – टीआरएल) और सामाजिक- आर्थिक प्रभाव मूल्यांकन सहित सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की गतिविधियों का संक्षिप्त विवरण दिया। प्रोफेसर अग्रवाल ने आशा व्यक्त की कि ऐसी कार्यशालाओं में हितधारकों, विशेष रूप से युवाओं की भागीदारी से देश में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में उनके लिए विद्यमान रोमांचक संभावनाओं का पता चलेगा। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक और स्टार्टअप कार्यशाला के समन्वयक डॉ. सुजीत भट्टाचार्य ने प्रतिभागियों को कार्यक्रम और इसके उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक हितधारक से जुड़ना और भविष्य का रोडमैप तैयार करना है।

उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि, स्टार्टअप ओडिशा के कार्यकारी अध्यक्ष, डॉ. ओंकार राय ने इस बात की झलक दी कि कैसे भारत का डिजिटलीकरण देश के सबसे सुदूरवर्ती भागों तक प्रौद्योगिकी की पहुंच में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है, जिससे टियर -2 और 3 शहरों से उभरते नए स्टार्ट -अप्स को सहायता  मिल रही है। सम्मानित अतिथि, भारतीय उद्योग परिसंघ (कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया इंडस्ट्रीज -सीआईआई) की दिल्ली राज्य परिषद दिल्ली स्टेट काउंसिल के अध्यक्ष और सैमटेल एवियोनिक्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), श्री पुनेट कौरा ने विकास की मानसिकता बनाकर और अनुभवों से सीखकर व्यवसाय को बढ़ाने के दृष्टिकोण को साकार करने के बारे में बात की। उन्होंने व्यावसायिक रणनीतियों में बदलाव जारी रखने के लिए प्रतिस्पर्धी परिदृश्य का आकलन और विश्लेषण करने पर भी जोर दिया। आगे बढ़ने और विकास के रास्ते खोजने के उनके सुझावों में निरंतर सीखना और विकास, नेटवर्किंग के साथ-साथ सलाहकारों, साथियों और संभावित भागीदारों के साथ जुड़ना शामिल था।

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के एक सप्ताह एक  प्रयोगशाला (वन वीक वन लैब) कार्यक्रम के दूसरे दिन आयोजित स्टार्ट-अप कार्यशाला के दौरान पुस्तक विमोचन की झलकियाँ

उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान गणमान्य व्यक्तियों द्वारा तीन पुस्तकें जारी की गईं: प्रौद्योगिक तत्परता : कृषि और पर्यावरण विषयों के अंतर्गत सीएसआईआर नवाचारों का मूल्यांकन (टेक रेडीनेस – इवैल्यूएटिंग सीएसआईआर इनोवेशन्स अंडर एग्रीकल्चरल एंड एन्वार्न्मेंटल थीम्स); शोध (पीएचडी) कार्यक्रम के लिए एसीएसआईआर अकादमिक हैंडबुक; और संश्लेषण रिपोर्ट: कोविड-19 के संदर्भ में जीवन विज्ञान संकुल का अध्ययन (सिन्थेसिस रिपोर्ट – स्टडी ऑफ़ लाइफ साइंसेज क्लस्टर्स इन द कॉन्टेक्स्ट ऑफ़ कोविड -19), जीनोम वैली का एक केस अध्ययन। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक और कार्यशाला सह-समन्वयक डॉ. नरेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। दिन भर का कार्यक्रम स्टार्ट-अप्स पर केंद्रित था जिसमें “स्टार्टअप पारिस्थितिकी तन्त्र (इकोसिस्टम)  का निर्माण” और “सफल स्टार्टअप के लिए मॉडल” पर तकनीकी सत्र, स्टार्टअप इकोसिस्टम के विभिन्न पहलुओं पर परस्पर संवाद (इंटरैक्टिव)  सत्र और पैनल चर्चाएं शामिल थीं।

इस स्टार्टअप कार्यशाला के सबसे रोमांचक हिस्सों में से एक उच्च प्रौद्योगिकी से लेकर ग्रामीण विकास को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने का आश्वासन देने  वाले 30 से अधिक स्टार्ट- अप्स की प्रदर्शनी थी। हाइड्रोजन से चलने वाली कार पर ध्यान केंद्रित करने वाले स्टार्ट-अप, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)  का उपयोग करने वाले खिलौना निर्माता और एक बीज स्टार्टअप इस प्रदर्शनी के कुछ मुख्य आकर्षण थे। उद्योग विशेषज्ञों और विश्वविद्यालय संचालित ऊष्मायन (इनक्यूबेशन) केंद्रों के प्रमुखों ने भी देश भर  में स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया।

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कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय में लंबित मामलों के निपटारे (एससीडीपीएम) और स्वच्छता अभियान के लिए विशेष अभियान 2.0 का संचालन

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय में लंबित मामलों के निपटारे (एससीडीपीएम) और स्वच्छता अभियान के लिए विशेष अभियान 2.0 का संचालन तीव्र गति से जारी है।

इस अभियान का उद्देश्य लंबित मामलों को कम करना, स्वच्छता को संस्थागत बनाना, आंतरिक निगरानी तंत्र को मजबूत करना, रिकॉर्ड प्रबंधन में अधिकारियों को प्रशिक्षित करना, बेहतर रिकॉर्ड प्रबंधन के लिए भौतिक रिकॉर्ड को डिजिटल बनाना और सभी मंत्रालयों/विभागों को एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म www.pgportal.gov.in/scdpm. पर लाना है।

उपरोक्त अवधि के दौरान, 11,000 फाइलों की समीक्षा की गई और 864 फाइलों को निपटारा किया गया, 61,380 लोक शिकायतों और अपीलों का निवारण किया गया, 35 स्वच्छता अभियान चलाए गए, 5,054 वर्ग फुट जगह खाली कराई गई और स्क्रैप निपटान से 24,49,293/- रुपये का राजस्‍व अर्जित किया गया।

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पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय लंबित मामलों के निष्पादन एवं स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए 2 से 31 अक्टूबर 2023 तक विशेष अभियान 3.0 में शामिल होगा

विशेष अभियान 3.0 के समन्वय और संचालन के लिए नोडल विभाग प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने स्वच्छता को संस्थागत रूप देने और सरकारी कार्यालयों में लंबित मामलों को कम करने के वास्ते 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर, 2023 तक चलाये जाने वाले विशेष अभियान के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। तदनुसार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय लंबित मामलों के निष्पादन और स्वच्छता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2023 तक चलने वाले विशेष अभियान 3.0 में शामिल हो रहा है। मंत्रालय अभियान के 15 सितंबर 2023 से शुरू होने वाले प्रारंभिक चरण में भी शामिल हो रहा है। यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय स्वच्छता को संस्थागत बनाने और मंत्रालय में लंबित मामलों को कम करने के उद्देश्य से 2 से 31 अक्टूबर, 2022 तक चलाये गये विशेष अभियान 2.0 में भी शामिल हुआ था। इस अभियान में मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय, अधीनस्थ कार्यालय, स्वायत्त निकाय भी शामिल हुए थे।

दिसंबर 2022 से अगस्त 2023 के दौरान पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा उसके संगठनों द्वारा हासिल की गयी उपलब्धियों के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं….

 

  •  58,433 जन शिकायतों का निपटारा किया गया।
  •  14,886 वर्ग फुट जगह खाली कराई गई।
  •  21,15,174 रुपये स्क्रैप निस्तारण से राजस्व अर्जित किया गया।
  •  5028 फाइलें हटाई गईं।
  •  182 स्वच्छता अभियान।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय पिछले अभियानों के उद्देश्यों और उपलब्धियों को आगे बढ़ाने और विशेष अभियान 3.0 के प्रमुख उद्देश्यों को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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