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Bharatiya Swaroop

भारतीय स्वरुप एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र है। सम्पादक मुद्रक प्रकाशक अतुल दीक्षित (published from Uttar Pradesh, Uttrakhand & maharashtra) mobile number - 9696469699

डॉ. शैली बिष्ट उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित

भारतीय स्वरूप संवाददाता डॉ. शैली बिष्ट निदेशक कैरियर दिशा को महर्षि सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, लखनऊ, नोएडा परिसर के सम्मानित कुलपति, प्रो. (डॉ.) भानु प्रताप सिंह, निदेशक डॉ. रतीश गुप्ता के साथ उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। एमयूआईटी में कॉर्पोरेट मामले, और एक्सिस ग्रुप ऑफ कॉलेजेज, कानपुर के महानिदेशक कर्नल (डॉ.) जाहिद सिद्दीकी। पुरस्कार समारोह रविवार, 15 सितंबर, 2024 को शिक्षक सम्मेलन और सम्मान समारोह के दौरान डीएनजी द ग्रैंड में हुआ। इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले 150 से अधिक प्राचार्यों और शिक्षाविदों के बीच होना सौभाग्य की बात थी, सभी शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध थे और पैनल चर्चा में भाग लेते थे। साथ में, हम #InnovateInEducation और #FosterLifelongLearning के लिए प्रयास करते हैं। निरंतर समर्थन और मान्यता के लिए धन्यवाद!

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज की एनएसएस इकाई द्वारा स्वच्छता पखवाड़ा शुभारंभ

भारतीय स्वरूप संवाददाता क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर की एनएसएस इकाई द्वारा स्वच्छता पखवाड़ा का शुभारंभ किया गया। जिसमें एनएसएस इकाई के राष्ट्रीय स्वयंसेवक एवं स्वयंसेविकाओं द्वारा स्वच्छता जागरूकता रैली का आयोजन किया गया| जिसमें विद्यार्थियों ने महाविद्यालय के परिसर के साथ-साथ आसपास के इलाकों में स्वच्छता को लेकर दुकानदारों और राहगीरों को जागरूक किया एवं सड़कों और बाकी जगहों से प्लास्टिक को इकट्ठा किया जिसमें विद्यार्थियों द्वारा 12 किलो प्लास्टिक से अधिक प्लास्टिक को एकत्रित किया गया | तत्पश्चात महाविद्यालय के प्राचार्य एवं सेक्रेटरी प्रो. जोसेफ डेनियल द्वारा बच्चों को स्वच्छ भारत अभियान के विषय पे बच्चों को जागरूक किया गया | और आज के इस सराहनीय कार्य के लिए बच्चो को प्रोत्साहित किया | इस कार्यक्रम को सफल बनाने मे कॉलेज की एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ अंकिता जैस्मिन लाल के साथ डॉ हिमांशु दीक्षित , डॉ आशीष कुमार दुबे , डॉ आशीष ओमर, डॉ पारुल गुप्ता , डॉ नाजिर हुसैन खान के साथ एनएसएस प्रमुख आर्यन जायसवाल और आयुष कुमार भारती का अहम योगदान रहा

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एस.एन.सेन बी वी पी जी कॉलेज में ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल एवं बैंक प्लस के सौजन्य से मेगा प्लेसमेंट ड्राइव आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता एस.एन.सेन बी वी पी जी कॉलेज में ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल एवं बैंक प्लस के सौजन्य से दिनांक 19.09.2024 दिन बृहस्पतिवार को मेगा प्लेसमेंट ड्राइव का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो सुमन एवं बैंक प्लस से आई हुई टीम ने दीप प्रज्वलन के साथ किया। जानकारी देते हुए मीडिया प्रसार प्रभारी डॉ प्रीति सिंह ने बताया इस प्लेसमेंट ड्राइव में ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट्स- सभी विषयों के 400 से अधिक छात्र छात्राओं ने पंजीकरण कराया एवं साक्षात्कार दिया। चयन के पश्चात छात्र छात्राओं की नियुक्ति कानपुर नगर के साथ साथ उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों के बैंकों/ ऐन.बी. एफ. सी. (एक्सिस बैंक/ ऐच डी ऐफ सी बैंक/कोटक बैंक आदि) में की जाएगी। बैंक प्लस से आई हुईएस टीम के इंचार्ज श्री गगन सिंह ने बताया कि जिन छात्राओं का चयन इस प्लेसमेंट ड्राइव में नहीं हो पाएगा वे ट्रेनिंग के लिए बैंक प्लस के संस्थान में सकेंगे । महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो.सुमन ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम छात्राओं का सर्वांगीण विकास करते हैं और इससे वे आर्थिक एवम बौद्धिक रूप से सुदृढ़ होते हैं। कार्यक्रम में ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल की इंचार्ज प्रो.गार्गी यादव,प्रो. निशा वर्मा, डॉ, कोमल सरोज , डॉ श्वेता रानी एवं समस्त शिक्षिकाएँ उपस्थित रहीं।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज, में हिंदी दिवस आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर के हिंदी विभाग द्वारा हिंदी दिवस का आयोजन किया गया। मंच पर विभाग के ही प्रोफेसर डॉ अरविंद सिंह तथा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर जोसेफ डेनियल अध्यक्ष की भूमिका में रहे। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉक्टर जोसेफ डेनियल ने कहा की हिंदी को ज्ञान की भाषा बनाए जाने के साथ-साथ अनुवाद की भाषा बनाया जाना भी जरूरी है।फैरी सिद्दीकी, विख्यात दुबे, नेहा अवस्थी ने अपने विचार हिंदी भाषा के संवर्धन व प्रसार के लिए व्यक्त किए। मुख्य वक्ता के तौर पर एसोसिएट प्रोफेसर अवधेश मिश्रा ने बताया कि हिंदी एक गतिमान भाषा है यह यह मेल-जल के माध्यम से ही अपना संवर्धन करती है। सृजनात्मक लेखन प्रतियोगिता में ऋतिक पाल ने प्रथम, अंजलि सचान ने द्वितीय, रम्शा नाज ने तृतीय तथा प्रज्ञा भाटिया ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया, इसी प्रकार पत्र लेखन प्रतियोगिता में सहस्त्रांशु मिश्रा ने प्रथम ,विख्यात दुबे ने द्वितीय,फैरी ने तृतीय तथा सची और उन्नति ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया।धन्यवाद ज्ञापन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अरुणेश शुक्ल ने किया, संचालन एम.ए. प्रथम वर्ष के छात्र सहस्त्रांशु मिश्र ने किया। शोध विद्यार्थी अर्जित पांडे बरखा सिंह प्रवेश सिंह, पल्लवी तिवारी आदि उपस्थित रहे।

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भारत के लिए नया पुन: उपयोग योग्य कम लागत वाला प्रक्षेपण यान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अगली पीढ़ी का प्रक्षेपण यान (एनजीएलवी) विकसित करने की मंजूरी दे दी है, जो भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और संचालन तथा 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय चालक दल के उतरने की क्षमता विकसित करने की सरकार की कल्पना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। एनजीएलवी की एलवीएम3 की तुलना में 1.5 गुना लागत के साथ वर्तमान पेलोड क्षमता का 3 गुना होगी और इसकी पुन: उपयोगिता भी होगी जिसके परिणामस्वरूप अंतरिक्ष और मॉड्यूलर ग्रीन प्रोपल्शन सिस्टम तक कम लागत में पहुंच होगी।

अमृत काल के दौरान भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लक्ष्यों के लिए उच्च पेलोड क्षमता और पुन: उपयोगिता वाले मानव रेटेड प्रक्षेपण वाहनों की एक नई पीढ़ी की आवश्यकता है। इसलिए, अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (एनजीएलवी) का विकास किया गया है, जिसे निम्न पृथ्वी कक्षा में अधिकतम 30 टन पेलोड क्षमता के लिए डिज़ाइन किया गया है वर्तमान में, भारत ने वर्तमान में प्रचालनरत पीएसएलवी, जीएसएलवी, एलवीएम3 और एसएसएलवी प्रक्षेपण वाहनों के माध्यम से 10 टन तक के उपग्रहों को निम्न पृथ्वी कक्षा (एलईओ) और 4 टन तक के उपग्रहों को जियो-सिन्क्रोनस ट्रांसफर ऑरबिट (जीटीओ) में प्रक्षेपित करने के लिए अंतरिक्ष परिवहन प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है।

एनजीएलवी विकास परियोजना को भारतीय उद्योग की अधिकतम भागीदारी के साथ क्रियान्वित किया जाएगा, जिनसे अपेक्षा है कि वे शुरू में ही विनिर्माण क्षमता में निवेश करेंगे, जिससे विकास के बाद परिचालन चरण में निर्बाध परिवर्तन हो सके। एनजीएलवी का प्रदर्शन तीन विकास उड़ानों (डी1, डी2 और डी3) के साथ किया जाएगा, जिसका लक्ष्य विकास चरण को पूरा करने के लिए 96 महीने (8 वर्ष) का है।

स्वीकृत कुल निधि 8240.00 करोड़ रुपये है और इसमें विकास लागत, तीन विकासात्मक उड़ानें, आवश्यक सुविधा स्थापना, कार्यक्रम प्रबंधन और लॉन्च अभियान शामिल हैं।

स्वीकृत कुल निधि 8240.00 करोड़ रुपये है और इसमें विकास लागत, तीन विकासात्मक उड़ानें, आवश्यक सुविधा स्थापना, कार्यक्रम प्रबंधन और प्रक्षेपण अभियान शामिल हैं।

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की ओर कदम

एनजीएलवी के विकास से भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन पर मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के प्रक्षेपण, चंद्र/अंतर-ग्रहीय अन्वेषण मिशनों के साथ-साथ संचार और पृथ्वी अवलोकन उपग्रह समूहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने सहित राष्ट्रीय और वाणिज्यिक मिशनों को सक्षम बनाया जा सकेगा, जिससे देश में संपूर्ण अंतरिक्ष इकोसिस्टम को लाभ होगा। यह परियोजना क्षमता और सामर्थ्य के मामले में भारतीय अंतरिक्ष इकोसिस्टम को बढ़ावा देगी।

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चंद्रमा और मंगल के बाद, भारत ने शुक्र ग्रह के संबंध में विज्ञान के लक्ष्य निर्धारित किए

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वीनस ऑर्बिटर मिशन (वीओएमके विकास को मंजूरी प्रदान की हैजो चंद्रमा और मंगल से परे शुक्र ग्रह के अन्वेषण और अध्ययन के सरकार के विजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। शुक्रपृथ्वी का सबसे निकटतम ग्रह है और माना जाता है कि इसका निर्माण पृथ्वी जैसी ही परिस्थितियों में हुआ हैयह इस बात को समझने का अनूठा अवसर प्रदान करता है कि ग्रहों का वातावरण किस प्रकार बहुत अलग तरीके से विकसित हो सकता है।

अंतरिक्ष विभाग द्वारा पूरा किया जाने वाला वीनस ऑर्बिटर मिशन’ शुक्र ग्रह की कक्षा में एक वैज्ञानिक अंतरिक्ष यान की परिक्रमा करने के लिए परिकल्पित हैताकि शुक्र की सतह और उपसतहवायुमंडलीय प्रक्रियाओं और शुक्र के वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझा जा सके। शुक्रजिसके बारे में माना जाता है कि यह कभी रहने योग्य हुआ करता था और काफी हद तक  पृथ्वी के समान थाऐसे में शुक्र के परिवर्तन के अंतर्निहित कारणों का अध्ययन शुक्र और पृथ्वी दोनों बहन ग्रहों के विकास को समझने में महत्वपूर्ण रूप से सहायक होगा।

इसरो इस अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण के लिए उत्तरदायी होगा। इस परियोजना का प्रबंधन और निगरानी इसरो में स्थापित प्रचलित प्रथाओं के माध्यम से प्रभावी ढंग से की जाएगी। इस मिशन से उत्पन्न डेटा को मौजूदा तंत्रों के माध्यम से वैज्ञानिक समुदाय तक पहुंचाया जाएगा।

इस मिशन के मार्च 2028 के दौरान उपलब्ध अवसर पर पूरा होने की संभावना है। भारतीय शुक्र मिशन से कुछ अनसुलझे वैज्ञानिक प्रश्नों के उत्तर मिलने की संभावना हैजिनकी परिणति विभिन्न वैज्ञानिक परिणामों में होगी। अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण यान का निर्माण विभिन्न उद्योगों के माध्यम से किया जा रहा है और इस बात की परिकल्पना की गई है कि इससे बड़ी संख्या में रोजगार के अवसरों का सृजन होगा और अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी का प्रसार होगा।

वीनस ऑर्बिटर मिशन” (वीओएमके लिए स्वीकृत कुल निधि 1236 करोड़ रुपये हैजिसमें से 824.00 करोड़ रुपये अंतरिक्ष यान पर खर्च किए जाएंगे। इस लागत में अंतरिक्ष यान का विकास और प्राप्तिइसके विशिष्ट पेलोड और प्रौद्योगिकी तत्वनेविगेशन और नेटवर्क के लिए ग्लोबल ग्राउंड स्टेशन सपोर्ट की लागत और प्रक्षेपण यान की लागत शामिल है।

शुक्र की ओर यात्रा

यह मिशन भारत को विशालतम पेलोडइष्टतम ऑर्बिट इन्सर्शन अप्रोच सहित भविष्य के ग्रह संबंधी मिशनों में सक्षम बनाएगा। अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण यान के विकास के दौरान भारतीय उद्योग की महत्वपूर्ण भागीदारी होगी। प्रक्षेपण से पहले के चरणजिसमें डिजाइनविकासपरीक्षणटेस्ट डेटा रिडक्शनकैलीब्रेशन आदि शामिल हैंमें विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी और छात्रों के प्रशिक्षण की भी परिकल्पना की गई है। अपने अनूठे उपकरणों के माध्यम से यह मिशन भारतीय विज्ञान समुदाय को नए और महत्वपूर्ण  विज्ञान डेटा प्रदान करता है और इस प्रकार उभरते हुए और नवीन अवसर प्रदान करता है।

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डॉ. एल. मुरुगन ने प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिनों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिनों की उपलब्धियों पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नई दिल्ली में मीडिया को संबोधित किया।

समावेशी विकास के लिए 15 लाख करोड़ रुपये का निवेश

ये प्रमुख उपलब्धियां राष्ट्र को विकसित भारत के विजन की दिशा में आगे बढ़ा रही हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि सिर्फ़ 100 दिनों के भीतर, अवसरंचना,  कृषि, महिला विकास और अनुसूचित जनजातियों (एसटी), अनुसूचित जातियों (एससी), अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) और गरीबों के उत्थान में 15 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कृषि, ग्रामीण क्षेत्रों, राजमार्गों, रेलवे, हवाई संपर्क और बंदरगाहों के विकास में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

कृषि को सुदृढ़ बनाना और महिला सशक्तिकरण

खास तौर पर, इन 100 दिनों के दौरान अवसंरचना में 3 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, जिसमें कृषि क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया है। डॉ. मुरुगन ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.7 प्रतिशत कर दिया गया है और इसके अलावा, पीएम-किसान योजना की 17वीं किस्त से 20,000 करोड़ रुपये 9.3 करोड़ किसानों को वितरित किए गए हैं। इसके अलावा, इन पहले 100 दिनों के दौरान देश भर में महिलाओं के लिए 3 करोड़ घरों को भी मंजूरी दी गई है, जिससे उन्हें सशक्त बनाया जा रहा है।

तमिलनाडु की उपलब्धियां :  वंदे भारत ट्रेनें, बंदरगाह संबंधी निवेश और तकनीकी विकास

डॉ. एल. मुरुगन ने बताया कि तमिलनाडु में इन 100 दिनों के भीतर प्रधानमंत्री द्वारा दो वंदे भारत ट्रेनों को मंजूरी दी गई है और उद्घाटन किया जिसमें पहली, चेन्नई से नागरकोइल और दूसरी, मदुरै से बेंगलुरु शामिल है।

तूतीकोरिन में, 100 दिवसीय योजना के तहत एक नए टर्मिनल बंदरगाह को 7,000 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है  और एफएम चैनल विस्तार के तहत 11 नए शहरों को कवर किया गया है। तमिलनाडु सेमीकंडक्टर मिशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जो देश के तकनीकी विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। मत्स्य पालन क्षेत्र में, नए एक्वा पार्क स्थापित किए जा रहे हैं।

सिर्फ 100 दिनों में हासिल की गई ये उपलब्धियां विभिन्न क्षेत्रों में तीव्र विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं जिसमें समाज के सभी वर्गों को सशक्त बनाने पर ध्यान केन्द्रित किया गया।

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भारत फिर चला चांद की ओर: इस बार चांद पर उतरने के बाद धरती पर वापस आएगा भारत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने चंद्रयान-4 नामक मिशन को मंजूरी दे दी है, जिसका मकसद चांद पर सफलतापूर्वक उतरने के बाद, पृथ्वी पर वापस आने में प्रयोग होने वाली प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करना है, साथ ही चंद्रमा से नमूने लाकर, पृथ्वी पर उनका विश्लेषण करना है। चंद्रयान -4 मिशन दरअसल, चंद्रमा पर भारत की लैंडिंग (वर्ष 2040 तक नियोजित) और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस आने के लिए मूलभूत प्रौद्योगिकी क्षमताओं को प्राप्त करेगा।  डॉकिंग/अनडॉकिंग, लैंडिंग, पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी और चंद्रमा के नमूना संग्रह और उनके विश्लेषण को पूरा करने के लिए ज़रुरी प्रमुख प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया जाएगा।

भारत सरकार ने अमृत काल के दौरान भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक विस्तारित दृष्टिकोण का खाका तैयार किया है, जिसके तहत वर्ष 2035 तक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन) और वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर भारत की लैंडिंग की परिकल्पना की गई है। इस परिकल्पना को साकार करने के लिए, गगनयान और चंद्रयान फॉलो-ऑन मिशनों की एक श्रृंखला की भी रुपरेखा तैयार की गई है, जिसमें संबंधित अंतरिक्ष परिवहन और बुनियादी ढांचे की क्षमताओं का विकास शामिल है। चंद्रयान -3 लैंडर की चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग के सफल प्रदर्शन ने कुछ अहम प्रौद्योगिकियों को स्थापित किया है और उन क्षमताओं का प्रदर्शन किया है जो केवल कुछ ही दूसरे देशों के पास है। चंद्रमा के नमूने एकत्र करने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता के प्रदर्शन से ही सफल लैंडिंग मिशन का अगला कदम निर्धारित हो सकेगा।

अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण की जिम्मेदारी इसरो की होगी। इसरो में मौजूद स्थापित कार्यप्रणाली के माध्यम से परियोजना को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जाएगा और उसकी निगरानी की जाएगी। उद्योग और शिक्षाविदों की भागीदारी की मदद से, अनुमोदन के 36 महीनों के भीतर मिशन के पूरा होने की उम्मीद है।

सभी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी रूप से विकसित करने की परिकल्पना की गई है। मिशन को विभिन्न उद्योगों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है और उम्मीद की जा रही है कि अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में भी इससे रोजगार की उच्च संभावना पैदा होगी और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा।

प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन “चंद्रयान -4” के लिए कुल 2104.06 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। लागत में अंतरिक्ष यान का निर्माण,  एलवीएम 3 के दो लॉन्च वाहन मिशन,  बाह्य गहन अंतरिक्ष नेटवर्क का समर्थन और डिजाइन सत्यापन के लिए विशेष परीक्षण आयोजित करना,  और अंत में चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के मिशन और चंद्रमा के नमूने एकत्रित कर उनकी पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी शामिल हैं।

यह मिशन भारत को मानवयुक्त मिशनों, चंद्रमा के नमूनों की वापसी और चंद्रमा के नमूनों के वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण मूलभूत प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भर होने में सक्षम बनाएगा। इसे साकार करने में भारतीय उद्योग की भी अहम भागीदारी होगी। चंद्रयान-4 विज्ञान बैठकों और कार्यशालाओं के माध्यम से भारतीय शिक्षा जगत को इससे जोड़ने की योजना पहले से ही तैयार है। यह मिशन पृथ्वी पर लाए गए नमूनों के क्यूरेशन और विश्लेषण के लिए बेहतर सुविधाएं भी सुनिश्चित करेगा, जोकि राष्ट्रीय संपत्ति होंगी।

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मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र महत्वपूर्ण वृद्धि के लिए तैयार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कंपनी अधिनियम2013 के अधीन  धारा कंपनी के रूप में एनीमेशनविजुअल इफेक्ट्सगेमिंगकॉमिक्स एंड एक्सटेंडेड रियलिटी (एवीजीसीएक्सआरके लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओईकी स्थापना को मंजूरी प्रदान की हैजिसमें फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और भारतीय उद्योग परिसंघ भारत सरकार के साथ भागीदार के रूप में उद्योग निकायों का प्रतिनिधित्व करेंगे। एनसीओई की स्थापना मुंबईमहाराष्ट्र में की जाएगी और यह देश में एक एवीजीसी कार्य बल की स्थापना के लिए केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री की वर्ष 2022-23 की बजट घोषणा के अनुसरण में है।

एवीजीसीएक्सआर क्षेत्र आज मीडिया और मनोरंजन के पूरे क्षेत्र में अपरिहार्य भूमिका निभाता हैजिसमें फिल्म निर्माणओवर द टॉप (ओटीटीप्लेटफॉर्म, गेमिंगविज्ञापन तथा  स्वास्थ्यशिक्षा और अन्य सामाजिक क्षेत्रों सहित कई अन्य क्षेत्र शामिल हैंइस प्रकार देश की विकास गाथा की समग्र संरचना को समेटे हुए है। तेजी से विकसित हो रही तकनीक और पूरे देश में इंटरनेट की बढ़ती पहुंच के साथसाथ सबसे सस्ती डेटा दरों सहितवैश्विक स्तर पर एवीजीसीएक्सआर का उपयोग तेजी से बढ़ने को तैयार है।

एवीजीसीएक्सआर क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देना

इस तेज गति को बनाए रखने के लिएदेश में एवीजीसीएक्सआर इकोसिस्टम को आगे बढ़ाने के शीर्ष संस्थान के रूप में कार्य करने के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की जा रही है। एनसीओई शौकिया और पेशेवर दोनों को अत्याधुनिक एवीजीसीएक्सआर तकनीकों के नवीनतम कौशलों से लैस करने के लिए विशेष प्रशिक्षणसहशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करने के साथसाथ,अनुसंधान एवं विकास को भी बढ़ावा देगा और कंप्यूटर विज्ञानइंजीनियरिंगडिजाइन और कला जैसे विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एक साथ लाएगा जो एवीजीसीएक्सआर क्षेत्र में बड़ी सफलताओं का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। यह राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र घरेलू उपयोग और वैश्विक आउटरीच दोनों के लिए भारत के आईपी के निर्माण पर भी व्यापक रूप से ध्यान केंद्रित करेगाजिससे कुल मिलाकर भारत की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत पर आधारित कॉन्टेंट का सृजन होगा। इसके अलावाएनसीओईएवीजीसीएक्सआर क्षेत्र में स्टार्टअप और शुरुआती अवस्था वाली  कंपनियों को प्रोत्साहन देने के लिए उन्हें संसाधन प्रदान करते हुए एक इनक्यूबेशन सेंटर के रूप में कार्य करेगा। साथ हीएनसीओई केवल एक अकादमिक उत्प्रेरक के रूप में ही नहींबल्कि उत्पादन/उद्योग उत्प्रेरक के रूप में भी काम करेगा।

एनसीओई को एवीजीसीएक्सआर उद्योग के विकास के लिए प्रेरक शक्ति के रूप में स्थापित किए जाने से यह देश के सभी हिस्सों के युवाओं के लिए रोजगार के सबसे बड़े स्रोतों में से एक के रूप में काम करेगा। इससे रचनात्मक कला और डिजाइन क्षेत्र को बहुत बढ़ावा मिलेगा और आत्मनिर्भर भारत पहल के लक्ष्यों को आगे बढ़ाते हुए भारत को एवीजीसीक्सआर गतिविधियों का केंद्र बनाया जा सकेगा।

एवीजीसीएक्सआर के लिए एनसीओई भारत को अत्याधुनिक कॉन्टेंट उपलब्ध कराने वाले कॉन्टेंट हब के रूप में स्थापित करेगाजिससे वैश्विक स्तर पर भारत की सॉफ्ट पावर बढ़ेगी और मीडिया एवं मनोरंजन क्षेत्र के प्रति विदेशी निवेश आकर्षित होगा।

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चौथे वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा निवेशक सम्मेलन और प्रदर्शनी (री-इन्वेस्ट) में आए 32.45 लाख करोड़ रुपये के निवेश आशय पत्र : श्री प्रह्लाद जोशी

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि री-इन्वेस्ट का चौथा संस्करण एक ऐतिहासिक घटना के रूप में याद किया जाएगा क्योंकि यह पहली बार है जब सभी हितधारकों ने एक सुनहरे कल के लिए इतने बड़े निवेश के लिए प्रतिबद्धता जताई है।  यह प्रधानमंत्री का दृढ़ संकल्प है जिसके परिणामस्वरूप कल यह ऐतिहासिक दिन आया जहाँ 2030 तक 32.45 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड निवेश का वचन शपथ पत्र के रूप में दिया गया है।

आज गुजरात के गांधीनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, डेवलपर्स ने 570 गीगावॉट (जीडब्लू) अतिरिक्त की प्रतिबद्धता जताई है, उत्पादकों ने सौर मॉड्यूल में 340 गीगावॉट, सौर सेल में 240 गीगावॉट, पवन टर्बाइनों में 22 गीगावॉट और इलेक्ट्रोलाइजर्स में 10 गीगावॉट की अतिरिक्त उत्पादन क्षमता की प्रतिबद्धता जताई है। श्री जोशी ने कहा, आंकड़ों और संख्याओं से परे, यह राज्यों, डेवलपर्स, बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा एक स्वच्छ और टिकाऊ भारत के लिए मिलकर काम करने का एक बड़ा संकल्प है। श्री जोशी ने डेवलपर्स, सौर मॉड्यूल और सौर सेल निर्माताओं, उपकरण निर्माताओं, इलेक्ट्रोलाइजर निर्माताओं, बैंक और वित्तीय संस्थानों को धन्यवाद दिया जो नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए बड़े पैमाने पर निवेश का वचन देने के लिए आगे आए हैं। यह डेस्टिनेशन इंडिया में, खासकर नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) के  क्षेत्र में, भारतीय और वैश्विक समुदाय के विश्वास और भरोसे का प्रमाण है। जब हम लोगों और इस धरती पर परिणाम देखना शुरू करेंगे तो इसका दूरगामी प्रभाव दिखाई देगा। नवीकरणीय ऊर्जा अर्थव्यवस्था की प्रेरणा शक्ति है। प्रधान मंत्री मोदी अग्रिम पंक्ति में नेतृत्व कर रहे हैं और अपने कहे को करके दिखा रहे हैं। दुनिया ऊर्जा क्षेत्र में अगली लहर परिवर्तन का नेतृत्व करने के लिए उनसे और भारत से उम्मीदें लगाए हुए हैं। इसके परिणाम देखने को मिल रहे हैं। श्री जोशी ने कहा, प्रधानमंत्री इस परिवर्तन के पीछे की प्रेरक शक्ति हैं, जो हमारे देश की नवीकरणीय ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं को साकार करने में साहस और नवाचार दोनों दिखाते हैं। उन्होंने सभी राज्यों और कंपनियों को बधाई दी जिन्हें नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सराहा गया है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, यह एक खास दिन है क्योंकि श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस नई सरकार के पहले 100 दिनों में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। यह इसलिए भी खास है क्योंकि मुझे आज दांडी कुटीर जाने का मौका मिला जहाँ महात्मा गांधी के स्वतंत्रता संग्राम के संघर्षों की यादें ताज़ा हो गईं। यह संरचना खूबसूरत है और प्रतीकात्मक रूप से नमक के ढेर का प्रतिनिधित्व करती है, जो दांडी मार्च और गांधीजी के नमक सत्याग्रह आंदोलन का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री का आभारी हूं कि उन्होंने गुजरात में चौथे री-इन्वेस्ट शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया, जहाँ से उन्होंने ऊर्जा क्रांति की अलख जगायी। अब, प्रधानमंत्री न केवल हमारे देश को 500 गीगावॉट लक्ष्य की ओर ले जा रहे हैं बल्कि दुनिया के लिए आशा की किरण हैं।

सीईओ राउंडटेबल

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी ने आज सीईओ राउंडटेबल की अध्यक्षता की जहाँ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 500 गीगावॉट सिर्फ एक संख्या नहीं है और हम इसके बारे में गंभीर हैं इसलिए सीईओ को यह साझा करना होगा कि उन्हें सरकार से किन सुविधाओं की आवश्यकता है। मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) ने विनिर्माण को बढ़ाने, आरपीओ को प्रभावी ढंग से लागू करने के साथ मांग पैदा करने, चक्रीय सिद्धांतों को शामिल करने और परियोजनाओं की जलवायु परक लचीलेपन को बढ़ाने के लिए इनपुट प्रदान किए।

नवीकरणीय ऊर्जा में विश्वव्यापी निवेश के लिए भारत-जर्मनी मंच, 16 सितंबर 2024 को 4वें री-इन्वेस्ट में लॉन्च किया गया था, ताकि नवीकरणीय ऊर्जा के त्वरित विस्तार के लिए ठोस और टिकाऊ समाधान विकसित किए जा सकें। यह मंच पूरे विश्व के अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों को एक साथ लाएगा, जिसमें निजी क्षेत्र (वित्तीय क्षेत्र और उद्योग दोनों), अंतर्राष्ट्रीय संगठन, विकास बैंक और द्विपक्षीय भागीदार शामिल हैं, ताकि पूंजी की बढ़ती मांग, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और अभिनव तकनीकी समाधानों को पूरा करने के लिए अवसर पैदा किए जा सकें।

सौर पीवी मॉड्यूल की स्थापित उत्पादन क्षमता-

2014 में भारत में स्थापित सौर पीवी मॉड्यूल उत्पादन क्षमता लगभग 2.3 गीगावॉट थी और 2014 में भारत में स्थापित सौर पीवी सेल उत्पादन क्षमता लगभग 1.2 गीगावॉट थी। वर्तमान में भारत में स्थापित सौर पीवी मॉड्यूल उत्पादन क्षमता लगभग 67 गीगावॉट है (एएलएमएम में सूचीबद्ध क्षमता और एएलएमएम में सूचीबद्धता के लिए प्राप्त अतिरिक्त आवेदनों के अनुसार) और वर्तमान में स्थापित सौर पीवी सेल उत्पादन क्षमता लगभग 8 गीगावॉट है।

सरकार के 100 दिनों में एमएनआरई की उपलब्धियां

  1. 4.5 गीगावॉट लक्ष्य के सापेक्ष जून, जुलाई एवं अगस्त 2024 में 6.0 गीगावॉट क्षमता नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) चालू की गई।
  2. गैर-जीवाश्म स्थापित क्षमता 207.76 गीगावाट तक पहुँच गई।
  3. जून 2024 से अगस्त 2024 तक, आरईआईए ने 10 गीगावाट के लक्ष्य के मुकाबले 14 गीगावाट के लिए आरई बिजली खरीद की निविदा जारी की।
  4. दो सौर पार्कों का निर्माण पूरा हुआ
  5. पीएम कुसुम योजना के तहत 1 लाख सौर पंप स्थापित किए गए।
  6. पीएम सूर्य घर योजना के तहत, 3.56 लाख रूफटॉप सौर प्रणालियाँ स्थापित की गईं।.
  7. सौर पीएलआई योजना में कुल मिलाकर 13.8 गीगावाट सौर मॉड्यूल उत्पादन शुरू हुआ।
  8. राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत, 11 कंपनियों को 1500 मेगावाट प्रति वर्ष की कुल क्षमता के लिए इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण के लिए दूसरे चरण में चुना गया।
  9. 19.06.2024 को कैबिनेट द्वारा आफशोर विंड योजना को मंजूरी दी गई, एसईसीआई द्वारा आरएफएस जारी किया गया।
  10. आईआरईडीए ने गिफ्ट सिटी में एक सहायक कंपनी “आईआरईडीए ग्लोबल ग्रीन एनर्जी फाइनेंस आईएफएससी लिमिटेड” को शामिल किया है।

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