कानपुर 10 फरवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर की एनएसएस ईकाई द्वारा साप्ताहिक शिविर का औपचारिक उद्घाटन समारोह किया गया जिसमें अतिथि के रूप में विद्या देवी पार्षद वार्ड संख्या 16 के साथ पंकज त्रिवेदी जी और नगर निगम इंटर कॉलेज के वरिष्ठ शिक्षक अखिलेश कुमार सिंह जी ने उद्घाटन समारोह में सम्मिलित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रोग्राम ऑफिसर के स्वागत भाषण से हुआ इसके बाद अतिथि गण का स्वागत सुंदर पौधें देकर स्वागत किया गया फिर पार्षद जी द्वारा स्वयंसेवकों को संबोधित किया गया और शिविर के लिए शुभकामनाएं दी गई और इंटर कॉलेज के अध्यापक द्वारा भी बच्चों का उत्साहवर्धन किया कार्यक्रम का समापन स्वयंसेविका अनमता शहाबुद्दीन के धन्यवाद् ज्ञापन से हुआ उदघाटन समारोह के बाद पार्षद जी द्वारा उद्यान का निरीक्षण कराया गया जिसका उद्देश्य पेड़ पौधें की पहचान करना जिससे हम बस्ती में उपयोगी पौधे को लेके निवासी लोगो को जागरुक कर सके इस उद्देश्य से स्वयंसेवकों द्वारा उद्यान का निरीक्षण किया गया और साथ ही एक सप्ताह में लगने वाले कैंप के विवरण का पेम्प्लेट्स घर घर जाके वितरण किया गया परंपुरवा बस्ती छेत्र में लोगों को जागरुक भी किया गया। जिसके बाद लंच ब्रेक लिया गया जिसमें स्वयंसेवकों द्वारा स्वयं पूरी सब्जी बनाई गई और आनंद से सेवन किया गया। प्रोग्राम ऑफिसर डॉ अंकिता जैस्मीन लाल ,कृष्ण सिंह और विनय गौतम की उपस्थित में कार्यक्रम का सफल आयोजन हुआ। हेड आर्यन जायसवाल और आयुष कुमार भारती का अहम योगदान रहा।
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन तैयार: जल्द ही लंबी दूरी की आरामदायक यात्रा के एक नये युग की शुरूआत
यह उपलब्धि रेलवे के आधुनिकीकरण में एक महत्वपूर्ण छलांग है, जो यात्रियों के लिए एक बेरोकटोक और शानदार यात्रा के अनुभव का वादा करती है। आराम, गति और अत्याधुनिक तकनीक पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ, वंदे भारत स्लीपर ट्रेनें आने वाले दिनों में लोगों को रात भर की यात्राओं की नई परिभाषा देने के लिए तैयार हैं।
उत्पादन बढ़ाना: प्रगति की ओर
प्रोटोटाइप के सफल परीक्षण के बाद, अप्रैल से दिसम्बर 2025 के बीच नौ और वंदे भारत स्लीपर ट्रेन सेट का उत्पादन निर्धारित है। ये ट्रेनें लंबी दूरी के यात्रियों के लिए दक्षता और सुविधा के मामले में नए मानक स्थापित करेंगी।
इस स्लीपर ट्रेन को पहली बार उपलब्ध कराने के लिए, भारतीय रेलवे ने 17 दिसम्बर 2024 को 24 डिब्बों की वंदे भारत स्लीपर ट्रेन सेट के 50 रेक के लिए प्रोपल्शन इलेक्ट्रिक्स का एक बड़ा ऑर्डर दिया है। यह ऑर्डर दो प्रमुख भारतीय निर्माताओं को दिया गया है, जो 2 साल की समय सीमा में तैयार होने की संभावना है।
- मेसर्स मेधा 33 रेकों के लिए प्रोपल्शन प्रणाली की आपूर्ति करेगी
- मेसर्स अलस्टॉम 17 रेकों के लिए प्रोपल्शन प्रणाली की आपूर्ति करेगा
भविष्य की ओर देखते हुए, 24 डिब्बों वाली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का पूरे पैमाने पर उत्पादन 2026-27 में शुरू होगा, जिससे रेलवे प्रौद्योगिकी में भारत की आत्मनिर्भरता और मजबूत होगी।
गति और विलासिता के साथ रेल यात्रा में एक नया अध्याय
इन वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों को स्वचालित दरवाजों, बेहद आरामदायक बर्थ, ऑन बोर्ड वाईफ़ाई और विमान जैसी सुविधाओं के साथ डिज़ाइन किया गया है। भारत में यात्री पहले से ही मध्यम और छोटी दूरी पर देश भर में चलने वाली 136 वंदे भारत ट्रेनों के माध्यम से रिक्लाइनिंग सीटों और विश्व स्तरीय यात्रा अनुभव का आनंद ले रहे हैं। वंदे भारत स्लीपर के साथ, यात्री विश्वस्तरीय सुविधाओं और उन्नत सुरक्षा सुविधाओं से लैस एक शांत, सुगम और अधिक आरामदायक यात्रा की उम्मीद कर सकते हैं। मेक इन इंडिया पहल के तहत डिज़ाइन और निर्मित, यह ट्रेन भारत की इंजीनियरिंग उत्कृष्टता और रेल यात्रा में बदलाव लाने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
जैसे-जैसे भारतीय रेलवे इस परिवर्तनकारी परियोजना के साथ आगे बढ़ रहा है, वंदे भारत स्लीपर ट्रेन सेट आधुनिक, कुशल और यात्री-अनुकूल परिवहन की राष्ट्र की कल्पना का प्रमाण है।
ट्रेन की विशेषताएं
- ट्रेन में 16 डिब्बे हैं जिन्हें तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है: एसी प्रथम श्रेणी, एसी 2-टियर और एसी 3-टियर
- ट्रेन की कुल क्षमता 1,128 यात्रियों की है
- ट्रेन में क्रैश बफ़र्स, विरूपण ट्यूब और अग्नि अवरोधक दीवार है
- ट्रेन में स्वचालित दरवाजे, गद्देदार बर्थ और ऑनबोर्ड वाईफाई है
भारत की पहली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के परिचालन से पहले, अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) ट्रायल रन का विश्लेषण करने के बाद अंतिम प्रमाणपत्र जारी करेगा। रेलवे सुरक्षा आयुक्त ट्रेन की अधिकतम गति का मूल्यांकन करेंगे।
बाली जात्रा ओडिशा की समृद्ध समुद्री विरासत और संस्कृति की याद दिलाती है
यह उत्सव ओडिशा सरकार के संस्कृति और पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है। संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एक स्वायत्त संगठन, पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र (ईजेडसीसी), कोलकाता, जात्रा के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए सांस्कृतिक दल उपलब्ध कराकर इस आयोजन में भाग लेता है, जिसका विवरण इस प्रकार है:
वर्ष | कार्यक्रम का नाम | तारीख | कार्यक्रम का स्थान | प्रस्तुत कला रूप |
2022-23 | बालीजात्रा कटक उत्सव – 2022 | 8 से 16 नवंबर, 2022 | कटक | बिहू, नागारा, कुचिपुड़ी, पुरुलिया छऊ, और झूमर नृत्य |
2023-24 | बालीजात्रा कटक उत्सव – 2023 | 27 नवंबर से 4 दिसंबर, 2023 | कटक | पुरुलिया छाऊ, पाइका, समकालीन नृत्य और ओडिसी |
2024-25 | बालीजात्रा कटक उत्सव – 2024 | 15 से 22 नवंबर, 2024 | कटक | बिहू, कथक, पुरुलिया छाऊ और रफ/डोगरी |
आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत, राज्य के गौरवशाली समुद्री इतिहास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कटक स्थित ओडिशा समुद्री संग्रहालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय धारा कार्यक्रम ‘समुद्रमंथन’ का आयोजन किया गया, जो ऐतिहासिक बाली जात्रा के उद्घाटन के साथ ही शुरू हुआ। इस कार्यक्रम में देश के समुद्री इतिहास के स्थानों, परंपराओं, जहाज निर्माण, नौवहन, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान, समुद्री सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय कानून पर पैनल और गोलमेज चर्चाएँ शामिल थीं।
जात्रा ओडिशा और अन्य राज्यों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुगम बनाता है, जिससे अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा मिलता है। जात्रा पारंपरिक ओड़िया कलाकारों, शिल्पकारों और संगीतकारों को अपने कौशल का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच भी प्रदान करता है जो ओड़िया संस्कृति को पुनर्जीवित करने और बढ़ावा देने में मदद करता है।
यह जानकारी केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।
अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों ने अंतरिक्ष में भारत की वाणिज्यिक संभावनाओं को बढ़ा दिया है”
अंतरिक्ष विभाग और मार्च 2019 के दौरान गठित इसरो की वाणिज्यिक शाखा के अंतर्गत आने वाला सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम (पीएसई) न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) मांग आधारित दृष्टिकोण पर एंड-टू-एंड वाणिज्यिक अंतरिक्ष व्यवसाय करने के लिए जिम्मेदार है और इसका काम अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियों में भारतीय उद्योगों की भागीदारी बढ़ाना है।
एनएसआईएल की उपलब्धियां इस प्रकार हैं:
- एनएसआईएल ने डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए जीएसएटी-एन1 [जीएसएटी-24] नाम से अपना पहला मांग आधारित संचार (डिमांड ड्रिवेन कम्युनिकेशन) उपग्रह मिशन शुरू किया। इस उपग्रह को 23 जून 2022 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया और इसने अपनी परिचालन सेवाएं शुरू कर दी हैं।
- एनएसआईएल ने ब्रॉडबैंड सेवा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अपना दूसरा मांग आधारित संचार उपग्रह मिशन, जीएसएटी-एन2 [जीएसएटी-20] शुरू किया। इस उपग्रह को 19 नवंबर 2024 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया और यह सैटेलाइट वर्तमान में इन-ऑर्बिट (कक्षीय) परीक्षण और स्थापित होने की प्रक्रिया से गुजर रहा है।
- आज तक, एनएसआईएल ने पीएसएलवी, एलवीएम3 और एसएसएलवी पर 124 अंतर्राष्ट्रीय और 3 भारतीय ग्राहकों के उपग्रहों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया है।
- एनएसआईएल वर्तमान में 15 इन-ऑर्बिट संचार उपग्रहों का स्वामित्व/संचालन कर रहा है और विभिन्न भारतीय उपयोगकर्ताओं को उनकी डीटीएच, वीसैट, टीवी, डीएसएनजी, आईएफएमसी, ब्रॉडबैंड और अन्य अनुप्रयोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अंतरिक्ष-आधारित सेवाएं प्रदान कर रहा है।
- एनएसआईएल मई 2023 से वैश्विक ग्राहकों को पृथ्वी अवलोकन (अर्थ ऑब्जर्वेशन) उपग्रह डेटा प्रसारित कर रहा है।
- मिशन सहायता सेवाओं के भाग के रूप में, एनएसआईएल ने भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों को ग्यारह (11) लॉन्च व्हीकल ट्रैकिंग सपोर्ट और नौ (9) लॉन्च और अर्ली ऑर्बिट फेज (एलईओपी) और टेलीमेट्री ट्रैकिंग और कमांड (टीटीसी) समर्थन प्रदान किया है, जिसमें एक डीप स्पेस मिशन सपोर्ट भी शामिल है।
- इसरो द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को भारतीय उद्योग को हस्तांतरित करने की दिशा में, एनएसआईएल ने 75 प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
- एनएसआईएल भारतीय और वैश्विक ग्राहकों की सेवा आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से संचार और पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों का निर्माण करने के लिए उनके साथ मिलकर काम कर रहा है ।
- एनएसआईएल एक लाभकारी कंपनी है। स्थापना के बाद से एनएसआईएल का राजस्व नीचे दर्शाया गया है:
(करोड़ रुपये में)
विवरण | वित्त वर्ष
2019-20 |
वित्त वर्ष
2020-21 |
वित्त वर्ष
2021-22 |
वित्त वर्ष
2022-23 |
वित्त वर्ष
2023-24 |
परिचालन से राजस्व | 314.52 | 513.31 | 1674.77 | 2842.26 | 2116.12 |
अन्य आय | 7.25 | 12.40 | 57.08 | 98.16 | 279.08 |
कुल राजस्व | 321.77 | 525.71 | 1731.84 | 2940.42 | 2395.20 |
कुल व्यय | 253.20 | 312.87 | 1272.69 | 2324.07 | 1591.60 |
कर पूर्व लाभ | 68.57 | 212.84 | 459.15 | 616.35 | 803.59 |
डॉ. सिंह ने बताया कि एनएसआईएल भारतीय सरकारी उपयोगकर्ताओं की एस-बैंड संचार आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपना तीसरा मांग आधारित संचार उपग्रह मिशन, जीएसएटी-एन3 शुरू करेगा। जीसैट-एन3 उपग्रह को 2026 की पहली तिमाही के दौरान प्रक्षेपित करने का प्रस्ताव है।
एनएसआईएल ने 5 ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के एंड-टू-एंड उत्पादन के लिए मेसर्स एचएएल [मेसर्स एचएएल और एलएंडटी कंसोर्टिया के प्रमुख भागीदार] के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। पहला पूर्ण रूप से भारतीय उद्योग द्वारा निर्मित पीएसएलवी 2025 की दूसरी तिमाही के दौरान प्रक्षेपित किए जाने की परिकल्पना की गई है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि आने वाले वर्षों में, एनएसआईएल उपग्रहों और प्रक्षेपण यानों के निर्माण, प्रक्षेपण सेवाएं प्रदान करने, ग्राउंड सेगमेंट की स्थापना, संचार और पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों का उपयोग करके अंतरिक्ष-आधारित सेवाएं प्रदान करने, मिशन सहायता सेवाएं और भारतीय उद्योगों को इसरो द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण सहित सभी क्षेत्रों में अपने वाणिज्यिक अंतरिक्ष व्यवसाय का और विस्तार करने का प्रयास करेगा। एनएसआईएल द्वारा परिकल्पित कुछ प्रमुख व्यावसायिक परियोजनाओं में मांग आधारित मॉडल पर कई संचार उपग्रहों का निर्माण, उभरते वैश्विक प्रक्षेपण सेवा बाजार का व्यावसायिक रूप से दोहन करने के लिए पीपीपी मोड की साझेदारी के तहत भारतीय उद्योग के माध्यम से एलवीएम3 रॉकेट को साकार करने की रणनीतियों की खोज, कई पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों के निर्माण में निजी भारतीय उद्योगों को सक्षम बनाना आदि शामिल हैं।
“अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की क्षमता को बढ़ाने” के तहत जून 2020 के दौरान सरकार द्वारा घोषित अंतरिक्ष क्षेत्र सुधारों की सराहना करते हुए, डॉ. सिंह ने कहा, “इसने एनएसआईएल को प्रभावी वाणिज्यिक दोहन के लिए मांग आधारित मॉडल में मिशन शुरू करने में सक्षम बनाया है। इसके अलावा, भारतीय उद्योग के माध्यम से पीएसएलवी, एलवीएम3 और एसएसएलवी जैसे इसरो के परिचालन प्रक्षेपण यानों के निर्माण के लिए एनएसआईएल के प्रयासों से भारतीय औद्योगिक क्षेत्र को उस स्तर तक बढ़ने में मदद मिलेगी, जहां भारतीय उद्योग एंड-टू-एंड रॉकेट का निर्माण कर सके। अंतरिक्ष राज्य मंत्री ने कहा कि इसरो द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को निजी कंपनियों को हस्तांतरित करने के एनएसआईएल के प्रयासों से देश में अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र को समृद्ध करने और वाणिज्यिक वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी।”
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत महिलाएं
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत राज्य/संघ राज्य क्षेत्रवार लक्ष्य और संगठित परिवारों की संख्या अनुलग्नक में दी गई है।
नेल्लोर जिले में 37 ग्रामीण ब्लॉक हैं। सभी 37 ब्लॉक डीएवाई-एनआरएलएम के अंतर्गत आते हैं।
. पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान आंध्र प्रदेश के लिए दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के अंतर्गत केन्द्रीय आवंटन 756 करोड़ रुपये था। हालांकि, केवल 377 करोड़ रुपये ही जारी किए गए, पूरी राशि जारी न किए जाने का कारण सरकारी खजाने से धन प्राप्ति में देरी के कारण राज्य द्वारा प्रस्ताव प्रस्तुत न करना है।
चालू वित्त वर्ष के लिए, आंध्र प्रदेश के लिए डीएवाई-एनआरएलएम के तहत स्वीकृत केन्द्रीय हिस्सा 307.69 करोड़ रुपये है, जिसमें से अब तक 76.92 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।
महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना (एमकेएसपी), डीएवाई-एनआरएलएम के तहत एक प्रमुख उप-योजना है जिसका उद्देश्य महिला किसानों की आजीविका और आय को बढ़ाना है। मंत्रालय ने 2011 में एमकेएसपी के तहत 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी, जिसमें आंध्र प्रदेश का नेल्लोर जिला भी शामिल है। दो बार विस्तार दिए जाने के बाद, ये परियोजनाएं वित्त वर्ष 2019 में बंद कर दी गईं।
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए, मंत्रालय ने एमकेएसपी के लिए 64 करोड़ रुपये की राशि के लिए वार्षिक कार्य योजना को मंजूरी दी, जिसमें केन्द्रीय हिस्सा 38.40 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा 25.60 करोड़ रुपये है। वर्ष के विशेष लक्ष्य में एमकेएसपी के तहत 160 एकीकृत कृषि क्लस्टर (आईएफसी) का निर्माण शामिल था। हालांकि, आंध्र प्रदेश एसआरएलएम ने वित्त वर्ष 2023-24 में एमकेएसपी के लिए योजना के लिए बजट नहीं खोला है। इसके अलावा, एमकेएसपी बजट प्रावधान वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) टीआरएसवाई-07 रिपोर्ट में परिलक्षित नहीं हुआ, जो व्यय विभाग के मानदंडों के अनुसार केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के तहत धन जारी करने के लिए अनिवार्य है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 15 करोड़ रुपये (9 करोड़ रुपये केन्द्रीय हिस्सा + 6 करोड़ रुपये राज्य हिस्सा) में से, केन्द्रीय हिस्से के एक हिस्से के रूप में 2.25 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।
स्टार्ट-अप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम (एसवीईपी) के संबंध में, जो एक मांग-संचालित योजना है, राज्य से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) प्रस्तुत करने के आधार पर धनराशि जारी की जाती है। हालांकि, आंध्र प्रदेश एसआरएलएम ने एसवीईपी घटकों के लिए आवश्यक डीपीआर और वित्तीय दस्तावेज प्रस्तुत करने में देरी की है, जिससे कार्यक्रम के लिए समय पर धनराशि जारी करने में भी देरी हुई है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 13.33 करोड़ रुपये (8 करोड़ रुपये केन्द्रीय हिस्सा + 5.33 करोड़ रुपये राज्य हिस्सा) के कुल आवंटन में से, 2 करोड़ रुपये की राशि केन्द्रीय हिस्से के रूप में जारी की गई है।
राज्य | एचएच संगठित करने का लक्ष्य | 24 मार्च तक संगठित किए गए |
अंडमान | 15000 | 13194 |
आंध्र प्रदेश | 8310437 | 9075289 |
अरूणाचल | 84623 | 86937 |
असम | 3593756 | 4111020 |
बिहार | 12332493 | 12713428 |
छत्तीसगढ़ | 3193288 | 3068427 |
दमन दीव और एनएच | 12469 | 12695 |
गोवा | 45947 | 50298 |
गुजरात | 3031245 | 2783006 |
हरियाणा | 730806 | 629094 |
हिमाचल प्रदेश | 338103 | 378542 |
जम्मू और कश्मीर | 950000 | 797805 |
झारखंड | 3446912 | 3589607 |
कर्नाटक | 3239273 | 4207374 |
केरल | 3644669 | 4002478 |
लद्दाख | 13315 | 11710 |
लक्षद्वीप | 3692 | 4363 |
मध्य प्रदेश | 6549384 | 5829972 |
महाराष्ट्र | 7109774 | 6525549 |
मणिपुर | 207481 | 99810 |
मेघालय | 418254 | 444264 |
मिजोरम | 73765 | 85934 |
नगालैंड | 121260 | 135261 |
ओडिशा | 6610605 | 5757107 |
पुदुच्चेरी | 45931 | 59714 |
पंजाब | 657609 | 543246 |
राजस्थान | 4600000 | 3804161 |
सिक्किम | 58557 | 56675 |
तमिलनाडु | 3675989 | 4023939 |
तेलंगाना | 4593482 | 4820573 |
त्रिपुरा | 460061 | 494675 |
उत्तर प्रदेश | 11807911 | 9507884 |
उत्तराखंड | 491114 | 497777 |
पश्चिम बंगाल | 11593207 | 12251533 |
कुल | 102060412 | 100473341 |
यह जानकारी ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री कमलेश पासवान ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
भारतीय डाक भुगतान बैंक ने डाकघर बचत खाते (पीओएसए) को अपने खातों से जोड़ने के लिए विभिन्न उपाय किए हैं
आईपीपीबी कई प्रकार की सेवाएं और उत्पाद प्रदान कर रहा है, जैसे बचत और चालू खाते, वर्चुअल डेबिट कार्ड, घरेलू धन हस्तांतरण सेवाएं, बिल और उपयोगिता भुगतान, आईपीपीबी ग्राहकों के लिए बीमा सेवाएं, आईपीपीबी खातों के साथ डाकघर बचत खाता (पीओएसए) लिंकेज, डाकघर बचत योजनाओं के लिए ऑनलाइन भुगतान, डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (डीएलसी), आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस), किसी भी नागरिक के लिए आधार में मोबाइल नंबर अपडेट और 0-5 वर्ष की आयु के किसी भी बच्चे के लिए बाल नामांकन सेवाएं।
आईपीपीबी ने डाकघर बचत खाता (पीओएसए) को आईपीपीबी खातों से जोड़ने के लिए विभिन्न उपाय किए हैं, जिनमें सभी प्रमुख डाकघरों में ब्रांडिंग सामग्री का प्रदर्शन और डाकघरों के अंदर और बाहर 25000 से अधिक वित्तीय साक्षरता और ग्राहक जागरूकता शिविरों का आयोजन शामिल है, ताकि ग्राहकों को पीओएसए-आईपीपीबी खाता जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
आईपीपीबी डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों के माध्यम से डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र और बाल नामांकन सहित आधार से संबंधित सेवाओं तक घर-घर पहुंच प्रदान करता है। इसने आम जनता, पेंशनभोगियों और बच्चों को ये सेवाएं प्रदान करने के लिए केंद्र/राज्य स्तर पर विभिन्न विभागों के साथ गठजोड़ किया है। 31.12.2024 तक बैंक ने 7.03 करोड़ आधार से जुड़े खाते खोले हैं, 7.68 करोड़ ग्राहकों के आधार में मोबाइल नंबर अपडेट किए हैं, 81.17 लाख ग्राहकों को बाल नामांकन सेवाएं प्रदान की हैं और पेंशनभोगियों को 24 लाख से अधिक डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जारी किए हैं।
संचार राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासनी चंद्रशेखर ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
आस्था की यात्रा पर 40 करोड़ श्रद्धालु
बसंत पंचमी ऋतु परिवर्तन का प्रतीक है और हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी के महत्व का सम्मान करने के लिए कल्पवासी चमकीले पीले रंग के परिधान पहनते हैं, जो इस शुभ अवसर के महत्व को दर्शाते हैं।
बसंत पंचमी पर पवित्र संगम का नजारा असाधारण था। संगम के तट श्रद्धालुओं से भरे हुए थे, और नदी की पवित्र रेत मुश्किल से दिखाई दे रही थी, मानवता के सागर में डूबी हुई थी। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, केरल, आंध्र प्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने विदेशी मेहमानों के साथ हाथ मिलाया और वैश्विक एकता की भावना में योगदान दिया, जिसके लिए महाकुंभ जाना जाता है। श्रद्धालुओं के भक्ति में डूबे नारों से हवा सामूहिक उत्साह से गूंज उठी, जो गंगा, सरस्वती और यमुना के तेज प्रवाह के साथ मिल गईं।
इस साल महाकुंभ के कई अनोखे पहलुओं में से एक इटली, ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया और इज़राइल जैसे देशों से आए विदेशी भक्तों की उल्लेखनीय भागीदारी थी। कई लोगों ने इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनने के अवसर पर अपनी विस्मय और खुशी व्यक्त की। एक इतालवी भक्त ने कहा,
“मैंने कुछ मिनट पहले ही पवित्र स्नान किया है, ऐसा लगता है कि यह जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर है। लोग इस क्षण का 144 वर्षों से इंतजार कर रहे थे और मैं इसका गवाह बनकर सचमुच धन्य महसूस कर रहा हूं।”
भारतीय आतिथ्य की गर्मजोशी से अभिभूत अंतर्राष्ट्रीय श्रद्धालु इस अनुभव में डूब गए। क्रोएशिया से आए एक पर्यटक एंड्रो ने कहा,
“यह सचमुच एक अद्भुत अनुभव है। महाकुंभ का माहौल शब्दों से परे है। यहां की व्यवस्थाएं और सुविधाएं बेहतरीन हैं।”
ऑस्ट्रिया की एक अन्य श्रद्धालु एविगेल अपनी खुशी रोक नहीं सकीं, उन्होंने कहा,
“यह महाकुंभ अविश्वसनीय और असाधारण है। जीवन में एक बार होने वाला अनुभव! इसके जरिए मैंने भारत की आत्मा को समझना शुरू कर दिया है।”
महाकुंभ 2025 के सबसे आकर्षक नजारों में से एक नागा साधुओं की उपस्थिति रही, जो अमृत स्नान के दौरान आकर्षण का केंद्र बन गए थे। इसके अलावा, बसंत पंचमी के दौरान अमृत स्नान के लिए शोभा यात्रा एक आनंद से भरा दृश्य था। कुछ नागा साधु राजसी घोड़ों पर सवार थे, तो कुछ अपने विशिष्ट परिधान और पवित्र आभूषणों से सजे हुए नंगे पैर चल रहे थे। फूलों और मालाओं से सजे उनके जटाजूट और उनके त्रिशूल ने महाकुंभ की पवित्रता को और बढ़ा दिया। अपने उग्र और स्वतंत्र स्वभाव के बावजूद, उन्होंने अपने अखाड़े के नेताओं के आदेशों का अत्यधिक अनुशासन के साथ पालन किया, जो विविधता में एकता का प्रतीक था। उनकी जीवंत ऊर्जा और भक्ति संक्रामक थी।
यह समानता और सद्भाव के मूल्यों का सच्चा प्रतीक है जो सदियों से भारत की सनातन संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। संगम पर पवित्र तटों ने सभी का स्वागत किया – चाहे उनकी भाषा, क्षेत्र या पृष्ठभूमि कुछ भी हो। एकता की यह भावना उन असंख्य भोजन रसोई (अन्नक्षेत्र) में भी परिलक्षित होती है, जो श्रद्धालुओं को एक साथ बैठाकर भोजन कराने के लिए चलाई जा रही है। इससे सभी सामाजिक और आर्थिक बाधाएं टूट गईं।
महाकुंभ सिर्फ एक उत्सव नहीं है; यह लाखों लोगों को भारत की आध्यात्मिक परंपराओं से जोड़ने वाला एक अटूट धागा है। संगम के तट पर, शैव, शाक्त, वैष्णव, उदासी, नाथ, कबीर पंथी, रैदास जैसी विभिन्न विचारधाराओं के तपस्वी एक साथ आए और भक्ति भाव से अपने अनूठे अनुष्ठान किए। तपस्वियों ने महाकुंभ का का स्पष्ट संदेश दिया: आध्यात्मिकता जाति, पंथ और भूगोल की सभी सीमाओं से परे है । आगे बढ़ता महाकुंभ 2025 सिर्फ़ धार्मिक समागम नहीं बल्कि उससे भी कहीं बढ़कर बनता जा रहा है। यह मानवीय एकता, प्रकृति और ईश्वर का जीवंत उत्सव है, जिसका अनुभव दुनिया भर के लाखों लोग कर रहे हैं। इसमें अब तक 35 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालु भाग ले चुके हैं और आने वाले दिनों में हज़ारों और श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। महाकुंभ आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता के प्रतीक के रूप में चमकता रहेगा।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत भुगतान
29.01.2025 तक सामग्री घटकों के लिए लंबित देनदारियों का राज्य/संघ राज्य क्षेत्र-वार ब्यौरा (करोड़ रुपए में) | ||
क्रम संख्या | राज्य/संघ शासित प्रदेश | सामग्री घटकों के लिए लंबित देनदारियां |
1 | आंध्र प्रदेश | 661.50 |
2 | अरूणाचल प्रदेश | 60.34 |
3 | बिहार | 802.12 |
4 | गुजरात | 11.79 |
5 | हरियाणा | 38.27 |
6 | हिमाचल प्रदेश | 24.07 |
7 | जम्मू और कश्मीर | 117.46 |
9 | झारखंड | 204.59 |
10 | मध्य प्रदेश | 290.93 |
11 | महाराष्ट्र | 1321.58 |
12 | मणिपुर | 131.51 |
13 | मेघालय | 71.66 |
14 | राजस्थान | 494.34 |
15 | सिक्किम | 10.11 |
16 | तमिलनाडु | 496.70 |
17 | तेलंगाना | 282.74 |
18 | उत्तर प्रदेश | 1010.49 |
19 | उत्तराखंड | 100.42 |
कुल | 6130.61 | |
लद्दाख पीएफएमएस डेटा उपलब्ध नहीं है।
वित्त वर्ष 2008-09 से 2009-10 एवं 2022-23 से 2023-24 के दौरान राजस्थान राज्य में महात्मा गांधी नरेगा के तहत श्रमिकों को उपलब्ध कराए गए रोजगार का जिलेवार विवरण (आंकड़ा लाख में) अनुबंध- II में दिया गया है। |
वित्त वर्ष 2008-09 से 2009-10 एवं 2022-23 से 2023-24 के दौरान राजस्थान राज्य में महात्मा गांधी नरेगा के तहत श्रमिकों को उपलब्ध कराए गए रोजगार का जिलेवार विवरण (आंकड़ा लाख में) |
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क्रम संख्या | जिला | 2008-09 | 2009-10 | 2022-23 | 2023-24 |
1 | अजमेर | 3.84 | 4.25 | 4.29 | 4.35 |
2 | अलवर | 3.26 | 2.78 | 1.59 | 1.39 |
3 | बांसवाड़ा | 5.06 | 4.11 | 5.89 | 5.98 |
4 | बारन | 2.36 | 1.74 | 2.15 | 2.00 |
5 | बाडमेर | 6.00 | 5.69 | 7.00 | 7.52 |
6 | भरतपुर | 3.33 | 3.09 | 1.31 | 1.12 |
7 | भीलवाड़ा | 5.00 | 6.40 | 5.18 | 5.46 |
8 | बीकानेर | 4.03 | 4.31 | 3.29 | 3.67 |
9 | बूंदी | 2.22 | 2.14 | 1.60 | 1.42 |
10 | चित्तौड़गढ़ | 3.36 | 3.72 | 1.64 | 1.55 |
11 | चुरू | 2.82 | 3.12 | 2.43 | 2.47 |
12 | दौसा | 3.32 | 2.42 | 1.02 | 0.78 |
13 | धौलपुर | 2.24 | 1.65 | 1.14 | 1.10 |
14 | डूंगरपुर | 4.72 | 4.05 | 4.66 | 4.82 |
15 | हनुमानगढ़ | 2.17 | 3.18 | 2.03 | 2.08 |
16 | जयपुर | 4.15 | 2.28 | 1.80 | 1.52 |
17 | जैसलमेर | 1.36 | 5.03 | 1.63 | 1.82 |
18 | जालौर | 2.41 | 1.41 | 2.12 | 1.77 |
19 | झालावाड़ | 2.87 | 2.38 | 4.11 | 4.38 |
20 | झुंझनू | 0.92 | 2.81 | 0.67 | 0.51 |
21 | जोधपुर | 4.40 | 1.19 | 4.35 | 4.20 |
22 | करौली | 2.64 | 4.64 | 2.00 | 1.69 |
23 | कोटा | 1.44 | 2.56 | 1.40 | 1.25 |
24 | नागौर | 4.65 | 1.25 | 5.29 | 5.39 |
25 | पाली | 3.24 | 5.27 | 2.55 | 2.17 |
26 | प्रतापगढ़ | 0.00 | 4.56 | 2.95 | 2.94 |
27 | राजसमंद | 2.05 | 0.00 | 1.86 | 1.81 |
28 | सवाई माधोपुर | 2.04 | 2.21 | 1.63 | 1.23 |
29 | सीकर | 1.94 | 2.99 | 0.91 | 0.88 |
30 | सिरोही | 1.51 | 2.15 | 1.38 | 1.28 |
31 | श्रीगंगानगर | 3.89 | 1.44 | 2.51 | 2.79 |
32 | टोंक | 3.37 | 2.86 | 1.82 | 1.73 |
33 | उदयपुर | 6.17 | 5.39 | 3.88 | 3.90 |
कुल | 102.81 | 103.05 | 88.08 | 86.97 |
यह जानकारी ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री कमलेश पासवान ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
क्राइस्ट चर्च कॉलेज की एनएसएस ईकाई के स्वयंसेवकों द्वारा बस्ती छेत्र में गंदगी से होने वाले कीड़ों की समस्या के निवारण के लिए जागरूक किया
कानपुर 6 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर की एनएसएस ईकाई द्वारा एक दिवसीय शिविर के अंतर्गत स्वयंसेवकों द्वार जूही परंपुरवा बस्ती छेत्र में गंदगी से होने वाले कीड़ों की समस्या के निवारण के लिए आज प्रकृति से मिलने वाली साम्रगी का उपयोग कर स्वयंसेवकों ने कीटनाशक बनाया और पूरी बस्ती के गली मोहले और तालाब में स्वयंसेवकों द्वारा छिड़काव किया गया | जिसके बाद लंच ब्रेक लिया गया जिसमें स्वयंसेवकों द्वारा स्वयं पोहा बनाया और आनंद से खाया गया इसके पश्चात अब इन समस्याओं के समाधान के लिए स्वयंसेवकों में विचार विमर्श हुआ जिससे अब आने वाले दिनों में इसका समाधान निकाला जाएगा और इसी के साथ एक दिवसीय शिविर का समापन हुआ | प्रोग्राम ऑफिसर डॉ अंकिता जैस्मीन लाल ,जॉय रसकिन वनस्पति विभाग और मोनिका डेनियल कार्यालय सहायक की उपस्थित में कार्यक्रम का सफल आयोजन हुआ| हेड आर्यन जायसवाल और आयुष कुमार भारती का अहम योगदान रहा |
दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार के मद्देनजर, जीआरएपी से संबंधित सीएक्यूएम की उप-समिति ने पूरे एनसीआर में जीआरएपी के चरण-III को तत्काल प्रभाव से रद्द किया
आज, दिल्ली के औसत एक्यूआई में उल्लेखनीय सुधार हुआ है क्योंकि आज केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा उपलब्ध कराए गए एक्यूआई बुलेटिन के अनुसार दिन का एक्यूआई 286 दर्ज किया गया, जो स्पष्ट रूप से गिरावट का संकेत देता है। दिल्ली के एक्यूआई स्तरों में गिरावट के रुझान को देखते हुए, जीआरएपी से संबंधित सीएक्यूएम की उप-समिति ने आज इस क्षेत्र में वर्तमान वायु गुणवत्ता परिदृश्य की समीक्षा करने के लिए बैठक की और साथ ही आईएमडी/आईआईटीएम द्वारा उपलब्ध कराई गई मौसम संबंधी स्थितियों और वायु गुणवत्ता सूचकांक के पूर्वानुमानों की समीक्षा की और तदनुसार 29 जनवरी 2025 से पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में जीआरएपी के चरण-III के तहत निवारक/प्रतिबंधात्मक कार्रवाइयों पर उचित निर्णय लिया।
दिल्ली-एनसीआर के समग्र वायु गुणवत्ता मानकों की व्यापक समीक्षा करते हुए उप-समिति ने निम्नलिखित टिप्पणियां कीं:
- मिक्सिंग हाइट व वेंटिलेशन गुणांक में सुधार और प्रदूषकों के फैलाव के लिए अनुकूल मौसम संबंधी स्थितियों के कारण, दिल्ली के एक्यूआई में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
- 03 फरवरी 2025 को दिल्ली का एक्यूआई 286 दर्ज किया गया जो माननीय सर्वोच्च न्यायालय के मौजूदा निर्देशों के अनुसार चरण-III को लागू करने के लिए 350 अंक से 64 अंक कम है। इसके अलावा, आईएमडी के पूर्वानुमान में आने वाले दिनों में बहुत हल्की बारिश/बूंदाबांदी और अनुकूल हवा की स्थिति की भविष्यवाणी की गई है।
इसलिए, जीआरएपी के चरण-III के तहत प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए, बड़ी संख्या में हितधारकों और जनता को प्रभावित करने के साथ-साथ दिल्ली के औसत एक्यूआई में सुधार की प्रवृत्ति व आईएमडी/आईआईटीएम द्वारा आने वाले दिनों में दिल्ली के औसत एक्यूआई के ‘खराब’/‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहने की संभावना का संकेत देने वाले पूर्वानुमानों पर विचार करते हुए, जीआरएपी से संबंधित सीएक्यूएम की उप-समिति ने आज सर्वसम्मति से पूरे एनसीआर में जीआरएपी की मौजूदा अनुसूची के चरण-III के तहत सभी कार्रवाइयों को तत्काल प्रभाव से रद्द करने का फैसला किया।
इसके अलावा, जीआरएपी की मौजूदा अनुसूची के चरण II और I के तहत सभी कार्रवाइयां जारी रहेंगी और पूरे एनसीआर में संबंधित सभी एजेंसियों द्वारा उनका क्रियान्वयन, निगरानी और समीक्षा की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आने वाले दिनों में एक्यूआई का स्तर और न बढ़े। एजेंसियों को सख्त निगरानी रखनी होगी और एनसीआर में जीआरएपी की मौजूदा अनुसूची के चरण II और I के तहत उपायों को विशेष रूप से तेज करना होगा ताकि जीआरएपी की कार्रवाई के चरण-III को फिर से लागू करने की स्थिति न बने।
कंस्ट्रक्शन एवं डिमोलेशन परियोजना स्थल आदि, जिन्हें विभिन्न वैधानिक निर्देशों, नियमों, दिशा-निर्देशों आदि के उल्लंघन/गैर-अनुपालन के कारण बंद करने के विशिष्ट आदेश जारी किए गए हैं, किसी भी परिस्थिति में आयोग से इस संबंध में कोई विशिष्ट आदेश प्राप्त किए बिना अपना परिचालन पुनः आरंभ नहीं करेंगे।
हालांकि जीआरएपी चरण-III को रद्द किया जा रहा है, लेकिन सर्दियों के मौसम को ध्यान में रखते हुए, जब मौसम की स्थिति हमेशा अनुकूल नहीं रहती है, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर और अधिक न गिरे, नागरिकों से अनुरोध है कि वे जीआरएपी की वर्तमान अनुसूची के चरण II एवं I के अंतर्गत नागरिक चार्टर का सख्ती से पालन करें।
उप-समिति वायु गुणवत्ता परिदृश्य पर कड़ी नजर रखेगी तथा दिल्ली में वायु गुणवत्ता और आईएमडी/आईआईटीएम द्वारा उपलब्ध कराई गई मौसम संबंधी स्थितियों एवं वायु गुणवत्ता सूचकांक के पूर्वानुमान के आधार पर आगे उचित निर्णय लेने के लिए समय-समय पर स्थिति की समीक्षा करेगी।