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कैबिनेट ने राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के अंतर्गत 12 औद्योगिक नोड/शहरों को मंजूरी दी

भारत जल्द ही औद्योगिक स्मार्ट शहरों की एक भव्य श्रृंखला स्‍थापित करेगा। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज एक ऐतिहासिक निर्णय में, राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (एनआईसीडीपी) के तहत 28,602 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ 12 नए परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। यह कदम देश के औद्योगिक परिदृश्य को बदलने के लिए तैयार है, जिससे औद्योगिक नोड्स और शहरों का एक मजबूत नेटवर्क तैयार होगा जो आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा।

10 राज्यों में फैले और रणनीतिक रूप से नियोजित 6 प्रमुख गलियारों के साथ ये परियोजनाएं भारत की विनिर्माण क्षमताओं और आर्थिक विकास को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग लगाएंगी। ये औद्योगिक क्षेत्र उत्तराखंड में खुरपिया, पंजाब में राजपुरा-पटियाला, महाराष्ट्र में दिघी, केरल में पलक्कड़, उत्‍तर प्रदेश में आगरा और प्रयागराज, बिहार में गया, तेलंगाना में जहीराबाद, आंध्र प्रदेश में ओरवाकल और कोप्पर्थी और राजस्थान में जोधपुर-पाली में स्थित हैं।

मुख्य विशेषताएं:

रणनीतिक निवेश: एनआईसीडीपी को बड़े एंकर उद्योगों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) दोनों से निवेश की सुविधा प्रदान करके एक जीवंत औद्योगिक इकोसिस्‍टम को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है। ये औद्योगिक नोड 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर निर्यात प्राप्त करने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेंगे, जो सरकार के आत्मनिर्भर और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी भारत के विजन को दर्शाता है।

स्मार्ट शहर और आधुनिक बुनियादी ढांचा: नए औद्योगिक शहरों को वैश्विक मानकों के ग्रीनफील्ड स्मार्ट शहरों के रूप में विकसित किया जाएगा, जिन्हें ‘प्लग-एन-प्ले’ और ‘वॉक-टू-वर्क’ अवधारणाओं पर “मांग से पहले” बनाया जाएगा। यह दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि शहर उन्नत बुनियादी ढांचे से लैस हों जो टिकाऊ और कुशल औद्योगिक कार्यों का समर्थन करते हैं।

पीएम गतिशक्ति पर क्षेत्रीय दृष्टिकोण: पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप परियोजनाओं में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी बुनियादी ढांचा होगा, जो लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करेगा। औद्योगिक शहरों को पूरे क्षेत्र के परिवर्तन के लिए विकास केन्‍द्र बनाने की परिकल्पना की गई है।

एक विकसित भारत‘ का विजन:

इन परियोजनाओं की मंजूरी ‘विकसित भारत’ – एक विकसित भारत के विजन को साकार करने की दिशा में एक कदम है। वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) में भारत को एक मजबूत प्रतिस्‍पर्धी के रूप में स्थापित करके, एनआईसीडीपी आवंटन के लिए तत्काल उपलब्‍ध उन्‍नत विकसित भूमि प्रदान करेगा, जिससे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के लिए भारत में विनिर्माण इकाइयां स्थापित करना आसान हो जाएगा। यह एक ‘आत्मनिर्भर भारत’ या स्‍वालंबी भारत बनाने के व्यापक उद्देश्य के अनुरूप है, जो बढ़े हुए औद्योगिक उत्पादन और रोजगार के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।

आर्थिक प्रभाव और रोजगार सृजन:

एनआईसीडीपी से महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है, जिसमें अनुमानित 1 मिलियन प्रत्यक्ष नौकरियां और नियोजित औद्योगीकरण के माध्यम से 3 मिलियन तक अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी। इससे न केवल आजीविका के अवसर उपलब्ध होंगे, बल्कि उन क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में भी योगदान मिलेगा जहां ये परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं।

स्‍थायी विकास के प्रति प्रतिबद्धता:

एनआईसीडीपी के तहत परियोजनाओं को स्‍थायित्‍व पर ध्यान केन्‍द्रित करते हुए तैयार किया गया है, जिसमें पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए आईसीटी-सक्षम उपयोगिताओं और हरित प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है। गुणवत्तापूर्ण, विश्वसनीय और टिकाऊ बुनियादी ढांचा प्रदान करके, सरकार का लक्ष्य ऐसे औद्योगिक शहर बनाना है जो न केवल आर्थिक गतिविधि के केंद्र हों, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के मॉडल भी हों।

एनआईसीडीपी के तहत 12 नए औद्योगिक नोड्स की स्वीकृति भारत की वैश्विक विनिर्माण शक्ति बनने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। एकीकृत विकास, टिकाऊ बुनियादी ढाँचे और निर्बाध कनेक्टिविटी पर रणनीतिक ध्यान देने के साथ, ये परियोजनाएं भारत के औद्योगिक परिदृश्य को फिर से परिभाषित करने और आने वाले वर्षों में देश की आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए तैयार हैं।

इन नई मंजूरियों के अलावा, एनआईसीडीपी ने पहले ही चार परियोजनाओं को पूरा होते देखा है, और चार अन्य वर्तमान में कार्यान्वयन के अधीन हैं। यह निरंतर प्रगति भारत के औद्योगिक क्षेत्र को बदलने और एक जीवंत, टिकाऊ और समावेशी आर्थिक वातावरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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उच्च शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी) 2024 के लिए उच्च शैक्षिक संस्थानों और पॉलिटेक्निक से 16 शिक्षकों का चयन किया

शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी) 2024 के लिए उच्च शैक्षिक संस्थानों (एचईआईएस) और पॉलिटेक्निक के 16 शिक्षकों का चयन किया है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुसार विद्यार्थियों, संस्थान और शिक्षा व्यवसाय की उन्नति के लिए प्रेरित, ऊर्जावान और सक्षम संकाय महत्वपूर्ण है।  इसमें शिक्षा इकोसिस्टम में उत्कृष्टता की संस्कृति विकसित करने के लिए पुरस्कार और मान्यता जैसे प्रोत्साहनों की भी परिकल्पना की गई है। ऐसे में, वर्ष 2023 में, राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी) की छत्रछाया में उच्च शैक्षिक संस्थानों (एचईआई) और पॉलिटेक्निक के लिए पुरस्कारों की दो श्रेणियां स्थापित करने का निर्णय लिया गया। अब तक यह पुरस्कार केवल स्कूल शिक्षकों तक ही सीमित थे।

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी) निम्नलिखित श्रेणियों के अनुसार उच्च शिक्षा संस्थानों और पॉलिटेक्निक के अनुकरणीय शिक्षकों/संकाय सदस्यों को प्रदान किया जाता है:

श्रेणी I: उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षक:

उप-श्रेणी (i): इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी, वास्तुकला।

उप-श्रेणी (ii): गणित, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, चिकित्सा, फार्मेसी सहित शुद्ध विज्ञान

उप-श्रेणी (iii): कला और सामाजिक विज्ञान, मानविकी, भाषाएँ, कानूनी अध्ययन, वाणिज्य, प्रबंधन।

श्रेणी II: पॉलिटेक्निक संस्थानों के शिक्षक: कुल 10 पुरस्कार

चयनित 16 शिक्षक पॉलिटेक्निक, राज्य विश्वविद्यालयों और केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों से हैं।

चयन शिक्षण अधिगम प्रभावशीलता, जनसंपर्क गतिविधियों, अनुसंधान और नवाचार, प्रायोजित अनुसंधान / संकाय विकास कार्यक्रम / परामर्श शिक्षण जैसे मापदंडों के आधार पर शिक्षक के प्रदर्शन पर आधारित है। उपरोक्त में से, सीखने की प्रभावशीलता और जनसंपर्क गतिविधियों का प्रमुख महत्व है।

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी)-2024 के लिए चयन प्रक्रिया में दो चरणों वाली प्रक्रिया शामिल है; (i) नामांकित व्यक्तियों की प्रारंभिक छंटनी के लिए प्रारंभिक खोज-सह-स्क्रीनिंग समिति द्वारा मूल्यांकन और (ii) छंटनी किए गए नामांकित व्यक्तियों में से पुरस्कार विजेताओं के चयन के लिए ‘निर्णायक’ समिति द्वारा मूल्यांकन।

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी), 2024 के लिए नामांकन राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल @www.awards.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन माध्यम से आमंत्रित किए गए थे और इसमें जनभागीदारी के हिस्से के रूप में स्वयं, संस्थागत और सहकर्मी नामांकन के प्रावधान शामिल थे।

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी) 2024 के पुरस्कार विजेताओं का विवरण – उच्च शिक्षा विभाग(डीओएचई)

 

क्रम संख्या संस्थान का नाम राज्य
1 डॉ. गांधीमठी ए

 

त्यागराजर पॉलिटेक्निक कॉलेज, जंक्शन मेन रोड, सेलम- 636005, तमिलनाडु

 

तमिलनाडु
2. प्रोफेसर परमार रंजीतकुमार खिमजीभाई

राजकीय पॉलिटेक्निक खड़िया, बिलखा रोड, जूनागढ़, गुजरात-362263

 

गुजरात
3. प्रो. निधि जैन

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली,

हौज़ खास, नई दिल्ली-110016

 

 

दिल्ली
4. डॉ. स्मिलाइन गिरिजा

सविता डेंटल कॉलेज और अस्पताल, सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज [एसआईएमएटीएस], सविता यूनिवर्सिटी

नंबर 162: पीएच रोड, वेलप्पन्चवाडी, चेन्नई, तमिलनाडु- 600077

तमिलनाडु
5. प्रो. बिरिंची कुमार सर्मा

कवक विज्ञान और पादप रोग विज्ञान विभाग, कृषि विज्ञान संस्थान,

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश- 221005

 

उत्तर प्रदेश
6. प्रो. श्रीनिवास होथा

 

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान पुणे,

डॉ. होमी भाभा रोड, पुणे, महाराष्ट्र- 411 008

 

महाराष्ट्र
7. डॉ. एसआर केशव

 

अर्थशास्त्र विभाग,

बैंगलोर विश्वविद्यालय, ज्ञान भारती परिसर, केंगेरी, बैंगलोर, कर्नाटक – 560056

 

कर्नाटक
8. प्रो. शिल्पागौरी प्रसाद

गणपुले

 

पुणे जिला शिक्षा संघ के प्रो. रामकृष्ण मोरे कला, वाणिज्य और विज्ञान

कॉलेज, गंगानगर, सेक्टर नंबर 28, निगड़ी प्राधिकरण, पुणे, महाराष्ट्र- 411044

 

महाराष्ट्र
9. डॉ. छायापुरम जया शंकर बाबू

 

पांडिचेरी विश्वविद्यालय, आर. वेंकट रमन नगर, कलापेट, पुद्दुचेरी – 605 014

 

पुद्दुचेरी
10. प्रो. नीलाभ तिवारी

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय

भोपाल परिसर

बागसेवनिया, भोपाल, मध्य प्रदेश

पिन -462043

 

मध्य प्रदेश
11। प्रो. विनय शर्मा

 

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की, रुड़की, हरिद्वार, उत्तराखंड-247667

 

उत्तराखंड
12. डॉ. नंदवरम मृदुला

राजकीय महिला महाविद्यालय, मयूर मार्ग, बेगमपेट, हैदराबाद, तेलंगाना 500016

तेलंगाना
13. डॉ. शिमी एस.एल.

 

पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (मानद विश्वविद्यालय), विद्या पथ, सेक्टर 12, चंडीगढ़ 160012

चंडीगढ़
14. प्रो. कपिल आहूजा

 

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर, खंडवा रोड, सिमरोल, इंदौर, मध्य प्रदेश 453552

 

मध्य प्रदेश
15. डॉ. अनिता सुसीलन

 

स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, केंगेरी कैंपस, क्राइस्ट डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी, केंगेरी-कैंपस, कनमिनिके, कुंबलगोडु, मैसूर रोड, बैंगलोर, कर्नाटक- 560074

 

कर्नाटक
16. प्रो. डॉ. शाहनाज़ अयूब

 

बुंदेलखंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कानपुर रोड, झांसी-284128, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश

 

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मुख्य मंत्री द्वारा राजकीय इण्टर कॉलेज चुन्नीगंज में एक दिवसीय वृहद रोजगार मेला, ऋण मेला व टेबलेट वितरण

*◆ एक दिवसीय वृहद रोजगार मेला, ऋण मेला, टेबलेट वितरण का किया गया भव्य आयोजन-*
*◆ 745 करोड़ की विभिन्न विकास परियोजनाओं को हुआ शिलान्यास व लोकार्पण*
*◆ 01 हजार से अधिक युवाओं को वितरित किया गया नियुक्ति पत्र-*
*◆ 5027 लाभार्थियों को 191 करोड़ का ऋण वितरित किया गया-*
*◆ *8087 युवाओं टेबलेट वितरित किया गया। **

कानपुर दिनांक 29 अगस्त, 2024 (सू0वि0)* मा0 मुख्यमंत्री उ0प्र0 योगी आदित्यनाथ द्वारा आज राजकीय इण्टर कालेज लाल इमली, चुन्नीगंज में एक दिवसीय वृहद रोजगार मेला, ऋण मेला व टेबलेट वितरण किया गया तथा 745 करोड़ रूपये की विभिन्न विकासपरक परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया गया। रोजगार मेले के अन्तर्गत 01 हजार से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरण, 5027 लाभार्थियों को रोजगार हेतु 191 करोड़ का ऋण वितरण एवं 8087 युवाओं को टेबलेट वितरण किया गया।
मा0 मुख्यमंत्री जी ने बटन दबाकर 745 करोड़ रूपये की विभिन्न विकास परक परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया। इस अवसर पर मा0 मुख्यमंत्री जी द्वारा मुदिता मिश्रा, आकाश कुमार पटेल, अंजलि भारतीय , नरेन्द्र प्रताप सिंह, उत्कर्ष सिंह, पंकज सोनकर, सक्षम सिंह राजावत, आसमा बानो, महक दुबे, आरूषी गौतम को टेबलेट प्रदान किया, साथ ही अमर नाथ रावत को 80.83 लाख, पारूल पटेल को 09 लाख, सीमा द्विवेदी को 02 लाख, पप्पी सचान को 04 करोड़ 47 लाख, रविन्द्र पाल सिंह को 01 करोड का ऋण योजना के अन्तर्गत चेक तथा अभिषेक सिंह, सूरज पाल सिंह, रवि कुमार, मोनी देवी, स्वामी वर्मा को रोजगार मेले के अन्तर्गत नियुक्ति पत्र प्रदान किया।
मा0 मुख्यमंत्री उ0प्र0 योगी आदित्यनाथ जी ने कानपुर की जनता को धन्यवाद देते हुये कहा कि प्रदेश सरकार कानपुर वासियों व नौजवानों की आकांक्षाओं को पूरा करने हेतु लगातार प्रयास कर रही है, इसी क्रम में आज जनपद कानपुर नगर को विभिन्न विकास परक परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य 01 हजार से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरण, 5027 लाभार्थियों को 191 करोड़ का ऋण वितरण एवं 8087 युवाओं को टेबलेट प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि लाल इमली का पुनरुद्धार करने के बड़े पैकेज के साथ हमारी सरकार आगे बढ़ने जा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित इन्वेस्टर्स समिट में 40 लाख करोड़ के निवेश के प्रस्ताव उ0प्र0 सरकार के साथ हुये हैं। मा0 प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में अब तक 6.5 लाख नौजवान सरकारी नौकरी प्राप्त कर चुके हैं। कहा कि जो भी युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करेगा उसे बख्शा नहीं जायेगा। परीक्षा में धांधली करने वाले आरोपियों को आजीवन कारावास, एक करोड़ का जुर्माने के साथ सम्पत्ति की जब्तीकरण कार्यवाही के साथ जोड़ा जायेगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार मा0 प्रधानमंत्री के मिशन रोजगार के अनुरूप अगले दो वर्षों में दो लाख सरकारी नौकरी देगी जिसमें से 60 हजार 02 सौ पदों पर पुलिस भर्ती की परीक्षा प्रक्रियाधीन है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार 50 लाख युवाओं को प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, एक जिला एक उत्पाद योजना, पी0एम0 विश्वकर्मा योजना, पी0एम0 स्वनिधि योजना और उ0प्र0 विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के माध्यम से रोजगार की योजना के साथ जोड़ने के बड़े कार्यक्रम के साथ आगे बढ़ रही है।
आज कानपुर नगर में ट्रैफिक जाम से मुक्ति की ओर आगे बढ रहा है। आज कानपुर नगर मेट्रो का संचालन किया जा रहा है। सीसामऊ और जाजमऊ के सीवर का नाला गंगा में बहने से रोका जा रहा है, जिससे कि मां गंगा की अविरल व निर्मल धारा को पवित्र बनाये रखा जा सके। प्रदेश सरकार सुरक्षा, विकास, सुशासन के मॉडल को अपना रही है, लखनऊ व कानपुर के बीच बन रहा ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे इस विकास की गति की ओर तेज करेगा। गंगा एक्सप्रेसवे बनने से भी कानपुर का चौमुखी विकास होगा, कानपुर की विकास परियोजनाओं को और आगे बढ़ाया जायेगा। प्रदेश सरकार गुण्डागर्दी व अराजकता से मुक्ति दिलाने हेतु प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि मुझे अत्यन्त हर्ष है कि मैं कानपुर को 745 करोड़ की परियोजनाओं की सौगात दे रहा हूं। वे नौजवान जिन्हें आज रोजगार, टेबलेट व जिन्हें रोजगार हेतु ऋण प्राप्त हुये है उन्हें मैं बधाई देता हूं।
इस अवसर पर मा0 मंत्री वित्त एवं संसदीय कार्य सुरेश कुमार खन्ना, मा0 मंत्री सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम, खादी एवं ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग राकेश सचान, मा0 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आबकारी एवं मध्य निषेध नितिन अग्रवाल, मा0 राज्यमंत्री विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रानिक तथा सूचना प्रौद्योगिकी अजीत सिंह पाल, मा0 राज्यमंत्री महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार प्रतिभा शुक्ला, मा0 सांसद कानपुर रमेश अवस्थी, मा0 सांसद अकबरपुर देवेन्द्र सिंह भोले, मा0 जिला पंचायत अध्यक्ष स्वप्निल वरूण, मा0 महापौर प्रमिला पाण्डेय, मा0 विधायक सरोज कुरील, सुरेन्द्र मैथानी, मोहित सोनकर (राहुल बच्चा), महेश त्रिवेदी, नीलिमा कटियार, अभिजीत सिंह सांगा, मा0 विधान परिषद सदस्य अरूण पाठक, मानवेन्द्र सिंह चौहान, सलिल विश्नोई, अविनाश सिंह चौहान तथा अन्य गणमान्य महानभावों, लाभार्थीगण सहित जन सामान्य उपस्थित रहे।

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किदवई नगर में बढ़ी चोरियो की संख्या सीसीटीवी कैमरे में कैद हुए चोर

भारतीय स्वरूप संवाददाता त्यौहार की शुरुआत होते ही एच ब्लॉक किदवई नगर में बढी चोरियो की संख्या, कहीं यह किसी बड़ी घटना का आगाज तो नहीं… जी हां पिछले कई दिनों से किदवई नगर बाईपास किनारे स्थित एच ब्लॉक में ग्रीन बेल्ट से लगे हुए घरों के बाहर प्रायः चोरियो की घटनाएं हो रही है। चूंकि सभी वारदाते बड़े स्तर की न होकर छोटी छोटी चोरिया जैसे जाली, ग्रिल, लोहे की रॉड आदि है इसलिए लोग इन्हें लेकर पुलिस के पास नही जाते जिससे चोरों के हौसले दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहे है। ऐसा ही वाकया आज सबेरे तकरीबन 3 बजकर चालीस मिनट पर देखने में आया जब स्वैच्छिक दुनिया समाचार पत्र के ऑफिस के सामने लगे हुए स्टील के रॉड को तोड़ते हुए दो चोर दिखाई दिए। दिन में उस रॉड के टुकड़े आगे फुटपाथ पर नमकीन की दुकान पर दिखाई दिए। सीसीटीवी फुटेज किदवई नगर थाना प्रभारी बहादुर सिंह को भेज दी गई और उन्हें पूरे मामले से अवगत करा दिया गया है। उन्होंने संजय वन चौकी इंचार्ज को कार्यवाही के लिए आदेशित भी किया है। बताते चलें कि पिछले वर्ष इसी समय एच ब्लॉक दो बड़ी चोरियां हुई थी। अब देखना है कि पुलिस किस चुस्ती फुर्ती से चोरों का हौसला पस्त करने हेतु कदम उठाती है वर्ना गणेश पूजन और राम लीला आदि त्योहारों में चोरी एक बड़ी समस्या हो सकती है।

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सरकार ने टेक्निकल टेक्सटाइल के क्षेत्र में 4 स्टार्ट-अप को मंजूरी दी

वस्त्र मंत्रालय के सचिव ने आज नई दिल्ली स्थित उद्योग भवन में राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन के तहत आठवीं अधिकार प्राप्त कार्यक्रम समिति (ईपीसी) की बैठक की अध्यक्षता की। समिति ने ‘तकनीकी वस्त्र के क्षेत्र में उभरते अन्वेषकों के लिए अनुसंधान एवं उद्यमिता हेतु अनुदान (ग्रेट)’ योजना के तहत 4 स्टार्ट-अप को मंजूरी दी है और प्रत्येक स्टार्ट-अप को लगभग 50 लाख रुपये के अनुदान प्रदान किया है।

समिति ने ‘तकनीकी वस्त्रों से संबद्ध शैक्षणिक संस्थानों को सक्षम बनाने हेतु सामान्य दिशानिर्देश’ के तहत 5 शिक्षा संस्थानों को तकनीकी वस्त्रों से संबंधित पाठ्यक्रम शुरू करने हेतु लगभग 20 करोड़ रूपये के अनुदान को भी मंजूरी दे दी है।

अनुमोदित स्टार्ट-अप परियोजनाएं कंपोजिट्स, सस्टेनेबल टेक्सटाइल्स और स्मार्ट टेक्सटाइल्स के प्रमुख रणनीतिक क्षेत्रों पर केन्द्रित हैं। अनुमोदित शिक्षा संस्थानों ने जियोटेक्सटाइल्स, जियोसिंथेटिक्स, कंपोजिट्स, सिविल स्ट्रक्चर्स आदि सहित तकनीकी वस्त्रों के विभिन्न क्षेत्रों और अनुप्रयोगों में नए बी.टेक पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव दिया है।

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह कल नई दिल्ली के विज्ञान भवन में अनुभव पुरस्कार 2024 प्रदान करेंगे

प्रधानमंत्री के निर्देश पर, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने मार्च 2015 में ‘अनुभव’ नामक एक ऑनलाइन मंच शुरू किया। यह सेवानिवृत्त होने वाले/सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए अपनी सेवा अवधि के दौरान की गई महत्वपूर्ण उपलब्धियों को प्रदर्शित करने का एक माध्यम है।

28 अगस्त, 2024 को डीओपीपीडब्ल्यू 2016 में अपनी स्थापना के बाद से 7वें अनुभव पुरस्कार समारोह का आयोजन करेगा। उल्लेखनीय है कि अब तक 6 समारोहों में 54 अनुभव पुरस्कार और 09 जूरी प्रमाण पत्र प्रदान किए जा चुके हैं।

इस वर्ष 22 मंत्रालयों/विभागों के लेख प्रकाशित किए गए हैं, जिनमें से 5 अनुभव पुरस्कार और 10 जूरी प्रमाण पत्र कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा उत्कृष्ट लेखों के लिए प्रदान किए जाएंगे। यह पुरस्कार समारोह अभूतपूर्व है, क्योंकि कुल 15 पुरस्कार विजेताओं में से 33 प्रतिशत महिला कर्मचारी हैं, जो ‘अनुभव’ के इतिहास में अब तक की सर्वाधिक संख्या है। यह शासन में उनकी बढ़ती भूमिका और योगदान को दर्शाता है। डीओपीपीडब्ल्यू 15 पुरस्कार विजेताओं की व्यावसायिक उपलब्धियों का समारोह मनाने और उन्हें रेखांकित करने के लिए एक लघु फिल्म और प्रशस्ति पुस्तिका भी जारी करेगा।

पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग 28 अगस्त, 2024 को विज्ञान भवन के प्लेनरी हॉल में कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में 55वीं सेवानिवृत्ति पूर्व परामर्श (पीआरसी) कार्यशाला का आयोजन करेगा ।

पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग, सुशासन के एक हिस्से के रूप में, सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों को सेवानिवृत्ति प्रक्रिया में सुविधा प्रदान करने के लिए, पूरे देश में सेवानिवृत्ति-पूर्व परामर्श (पीआरसी) कार्यशालाएं आयोजित कर रहा है। भारत सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लाभ के लिए आयोजित की जा रही यह कार्यशाला, पेंशनभोगियों के ‘जीवन को सुगम बनाने’ की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इस कार्यशाला में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति लाभों और पेंशन स्वीकृति प्रक्रिया से संबंधित सुसंगत जानकारी प्रदान की जाएगी।

सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के लिए सुचारू बदलाव की सुविधा के लिए, भविष्य पोर्टल, एकीकृत पेंशनर्स पोर्टल, सेवानिवृत्ति लाभ, पारिवारिक पेंशन, सीजीएचएस नियम, आयकर नियम, अनुभव, डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र, निवेश के अवसर आदि पर विभिन्न सत्र आयोजित किए जाएंगे। इन सभी सत्रों को सेवानिवृत्त लोगों को अपनाई जाने वाली प्रक्रिया और सेवानिवृत्ति से पहले भरे जाने वाले फॉर्म के बारे में जागरूक करने और सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें मिलने वाले लाभों के बारे में जानकारी देने के लिए तैयार किया गया है।

विभिन्न निवेश मोड, उनके लाभ और योजना पर एक विस्तृत सत्र आयोजित किया जाएगा ताकि सेवानिवृत्त लोग समय रहते अपने रिटायरमेंट फंड के निवेश की योजना बना सकें। सीजीएचएस प्रणाली, सीजीएचएस पोर्टल, प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के साथ-साथ सीजीएचएस लाभ प्राप्त करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं पर भी एक विस्तृत सत्र आयोजित किया जाएगा।

पीआरसी कार्यशाला के दौरान “बैंकों की प्रदर्शनी” आयोजित करने का भी निर्णय लिया गया है, जिसमें सभी 18 पेंशन वितरण बैंक भाग लेंगे। प्रतिभागियों को पेंशनभोगियों से संबंधित सभी बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। बैंक सेवानिवृत्त लोगों को पेंशन खाता खोलने और उनके लिए उपयुक्त विभिन्न योजनाओं में पेंशन कोष का निवेश करने के बारे में भी मार्गदर्शन करेंगे।

उम्मीद है कि 31.03.2025 तक सेवानिवृत्त होने वाले लगभग 1,200 अधिकारियों को इस पूर्व-सेवानिवृत्ति परामर्श (पीआरसी) कार्यशाला से अत्यधिक लाभ होगा। विभाग सुशासन के हिस्से के रूप में ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन करना जारी रखेगा, ताकि केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए एक सहज और आरामदायक बदलाव सुनिश्चित किया जा सके। विभाग उन्हें सरकार द्वारा की जा रही पहलों के बारे में अद्यतन रखने के लिए सभी प्रयास कर रहा है ताकि वे सेवानिवृत्ति के बाद भी सभी लाभों का लाभ उठा सकें।

पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग 28 अगस्त, 2024 को नई दिल्ली में कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में 11वीं राष्ट्रव्यापी पेंशन अदालत का आयोजन करेगा।

पेंशनभोगियों की शिकायतों का निवारण सरकार के लिए उच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र है। पेंशनभोगियों की शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए पेंशन अदालतों का आयोजन डीओपीपीडब्ल्यू द्वारा किया जा रहा है, जिसमें कई हितधारकों को मौके पर ही निवारण के लिए एक ही प्लेटफार्म पर लाया जाता है। देश भर में आयोजित सभी पेंशन अदालतों में 17,760 (74 प्रतिशत निवारण दर) मामलों का समाधान किया गया।

11वीं पेंशन अदालत में लंबे समय से लंबित वरिष्ठ नागरिकों के पेंशन मामलों के समाधान पर ध्यान दिया जाएगा। पेंशन अदालत में गृह मंत्रालय, रक्षा वित्त विभाग, वाणिज्य मंत्रालय, भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, रेल मंत्रालय आदि सहित 22 मंत्रालय/विभाग भाग लेंगे। मंत्रालयों से संबंधित 298 मामलों पर चर्चा की जाएगी।

पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने पेंशनभोगियों और बुजुर्ग नागरिकों के लिए एक साझा एकल खिड़की पोर्टल प्रदान करने के लिए भविष्य मंच को आधार के रूप में उपयोग करते हुए एक “एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल” विकसित किया है। भारतीय स्टेट बैंक, केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया पहले से ही अपने पेंशन पोर्टल को एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल के साथ एकीकृत कर रहे हैं। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया कल इस वर्ग में शामिल हो जाएगा। वर्तमान में, इन बैंकों द्वारा 4 सुविधाएं अर्थात् मासिक पेंशन पर्ची, जीवन प्रमाण पत्र की स्थिति, पेंशनभोगी का फॉर्म 16 जमा करना और भुगतान किए गए पेंशन बकाया का देय और आहरित विवरण प्रदान की जा रही हैं। इसका लक्ष्य एकीकृत उपयोगकर्ता अनुभव के लिए सभी पेंशन संवितरण बैंकों को इस पोर्टल के साथ एकीकृत करना है।

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अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ बिहार के नालंदा में गुरु पद्मसंभव के जीवन और विरासत पर दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित करेगा

अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ बिहार के नालंदा में नव नालंदा महाविहार के सहयोग से गुरु पद्मसंभव के जीवन और उनके जीवंत विरासत पर 28 और 29 अगस्त, 2024 को दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करेगा। गुरु रिनपोछे नाम से भी प्रसिद्ध गुरु पद्मसंभव आठवीं शताब्दी में प्राचीन भारत में रहते थे। बुद्ध धम्म में आज सबसे सम्मानित लोगों में से एक गुरु पद्मसंभव को हिमालय क्षेत्र में बुद्ध धम्म के प्रसार का श्रेय दिया जाता है।

बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे। लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट, नेपाल के उपाध्यक्ष परम श्रद्धेय खेनपो चिमेद और रॉयल भूटान मंदिर, सेंट्रल मोनास्टिक बॉडी, भूटान के सचिव/मुख्य भिक्षु खेनपो उगयेन नामग्याल सम्मेलन में सम्मानित अतिथि होंगे। दूसरे बुद्ध के रूप में माने जाने वाले गुरु पद्मसंभव को गुरु रिनपोछे भी कहा जाता है, वे हिमालय के प्रसिद्ध ऋषि रहे जो प्राचीन भारत में आठवीं शताब्दी में रहते थे।

इस सम्मेलन के प्रमुख विषयों में उनका जीवन और शिक्षाएं, हिमालय भर में उनकी यात्राएं और, सबसे खास, वर्तमान समय में उनकी प्रासंगिकता शामिल होगी। गुरु पदमसंभव योगिक और तांत्रिक प्रथाओं से लेकर ध्यान, कला, संगीत, नृत्य, जादू, लोककथाओं और धार्मिक शिक्षाओं तक संस्कृति के कई पहलुओं के एकीकरण का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। सम्मेलन में पांडुलिपियों, अवशेषों, चित्रों और स्मारकों के माध्यम से उनकी धम्म विरासत का जश्न मनाने का एक ठोस प्रयास किया जाएगा।

सम्मेलन के प्रमुख विषयों में शामिल हैं:

1. जीवनी संबंधी अंतर्दृष्टि और पौराणिक कथाएं

2. वज्रयान बुद्ध धम्म और तंत्र की शिक्षाएं

3. सांस्कृतिक एवं कलात्मक योगदान

4. यात्राएं और क्षेत्रीय प्रभाव

5. विरासत और समसामयिक प्रासंगिकता

बुद्ध धम्म के मूल सिद्धांतों को फैलाने का प्रयास करते हुए गुरु पदमसंभव ने एक स्थान की विशिष्टताओं और लोगों की संवेदनाओं को समझा। इस प्रकार, उन्होंने अपनी शिक्षाओं को स्थानीय मुहावरे और संस्कृति में ढाला, जिससे आस्था को आत्मसात करना बहुत आसान हो गया। उनके जीवन और समय को याद करते हुए, सम्मेलन में भगवान बुद्ध के उत्कृष्ट संदेश को प्रसारित करने के लिए स्थानीय प्रतीकों और यहां तक ​​कि अनुष्ठानों को माध्यम के रूप में उपयोग कर विभिन्न संस्कृतियों और धार्मिक परंपराओं के साथ उनके तालमेल बिठाने का जो दृष्टिकोण था, उसकी अंतर्दृष्टि मिलने की उम्मीद है।

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पार्किंसंस रोग के प्रबंधन के लिए दवा की खुराक के समायोजन के लिए नया स्मार्ट सेंसर विकसित

वैज्ञानिकों ने एक किफायती, उपयोगकर्ता के अनुकूल, पोर्टेबल स्मार्टफोन-आधारित फ्लोरोसेंस टर्न-ऑन सेंसर प्रणाली विकसित की है जो पार्किंसंस बीमारी की रोकथाम में सहायता प्रदान कर सकती है। यह सेंसर शरीर में एल-डोपा की सांद्रता का सटीक पता लगाने में मदद करेगा, जिससे इस रोग की प्रभावी रोकथाम के लिए आवश्यक सटीक खुराक का निर्धारण करने में मदद मिलेगी।

पार्किंसंस रोग को न्यूरॉन कोशिकाओं में लगातार गिरावट से पहचाना जाता है जिससे हमारे शरीर में डोपामाइन (न्यूरोट्रांसमीटर) के स्तर में काफी कमी आ जाती है। एल-डोपा एक रसायन है जो हमारे शरीर में डोपामाइन में परिवर्तित हो जाता है, इसलिए यह एंटी-पार्किंसंस दवाओं के रूप में कार्य करता है।

यह डोपामाइन की कमी को पूरा करने में मदद करता है। जब तक शरीर को एल-डोपा की सही मात्रा दी जाती है, तब तक यह रोग नियंत्रण में रहता है। हालांकि, पार्किंसंस की प्रगामी प्रकृति के कारण, जैसे-जैसे रोगी की उम्र बढ़ती है, न्यूरॉन्स की निरंतर हानि को पूरा करने के लिए अधिक एल-डोपा की आवश्यकता होती है।

हालांकि, एल-डोपा की अधिक मात्रा से रोगी में डिस्केनेसिया, गैस्ट्राइटिस, साइकोसिस, पैरानोया ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन जैसे गंभीर दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जबकि एल-डोपा की बहुत कम मात्रा से पार्किंसंस के लक्षण वापस आ सकते हैं।

इस रोग की चिकित्सा में एल-डोपा के अधिकतम स्तर की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, जैविक तरल पदार्थों में एल-डोपा की निगरानी के लिए एक सरल, किफायती, संवेदनशील और त्वरित विधि विकसित करने की आवश्यकता है।

अभी हाल में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उन्नत अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) ने जैविक नमूनों में एल-डोपा के निम्न स्तर का तुरंत पता लगाने के लिए फ्लोरोसेंस टर्न-ऑन मैकेनिज्म का उपयोग करते हुए एक किफायती, उपयोगकर्ता के अनुकूल, पोर्टेबल स्मार्टफोन-आधारित ऑप्टिकल सेंसर प्रणाली विकसित की है।

सेंसर को कम ग्रेफीन ऑक्साइड नैनोकणों की सतह पर बॉम्बेक्स मोरी सिल्क कोकून से प्राप्त किए गए सिल्क-फाइब्रोइन प्रोटीन नैनो-लेयर की कोटिंग करके बनाया गया है। यह प्रणाली उत्कृष्ट फोटोलुमिनेसेंस गुणों के साथ कोर-शेल ग्रेफीन-आधारित क्वांटम डॉट्स का निर्माण करती है, जो इसे 5 μM से 35 μM की रैखिक सीमा के अंदर रक्त प्लाज्मा, पसीने और मूत्र जैसे वास्तविक नमूनों में एल-डोपा का पता लगाने के लिए एक प्रभावी फ्लोरोसेंट टर्न-ऑन सेंसर जांच बनाती है। समतुल्‍य पहचान सीमा का निर्धारण क्रमशः 95.14 एनएम, 93.81 एनएम और 104.04 एनएम किया गया है।

शोधकर्ताओं ने एक स्मार्टफोन-आधारित इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तैयार किया है जिसमें एक इलेक्ट्रिक सर्किट 5 वी स्मार्टफोन चार्जर द्वारा संचालित 365 एनएम एलईडी से जुड़ा है। पूरे सेटअप को बाहरी प्रकाश से अलग करने के लिए एक अंधेरे कक्ष में रखा जाता है। यह सरल, किफायती और त्वरित स्क्रीनिंग उपकरण उन्नत उपकरणों की कमी वाले दूरदराज के क्षेत्रों में मौके पर ही विश्लेषक का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है।

रोगी के जैविक नमूनों में यह पता चलने पर कि क्या एल-डोपा का स्तर कम है, यह सेंसर रोग के प्रभावी नियंत्रण के लिए आवश्यक खुराक को समायोजित करने में मदद कर सकता है।

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देश में कोयला उत्पादन सालाना आधार पर 7.12 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 370 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा

कोयला मंत्रालय ने 25 अगस्त 2024 तक कोयले के समग्र उत्पादन में वृद्धि हासिल की है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 25.08.24 तक संचयी कोयला उत्पादन में महत्‍वपूर्ण वृद्धि होने से यह  370.67 मिलियन टन हो गया है जो वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि में हुए 346.02 मिलियन टन उत्‍पादन की तुलना में 7.12 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

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इसके अलावा कोयले की कुल आवाजाही में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 25 अगस्त, 2024 तक 397.06 मिलियन टन तक पहुंच गई है। यह पिछले वर्ष के 376.44  मिलियटन टन आवाजाही की तुलना में 5.48 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय वृद्धि दर को दर्शाती है।

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बिजली क्षेत्र को कोयले के प्रेषण के संदर्भ में, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 25 अगस्त 2024 तक संचयी उपलब्धि 325.97 मिलियन टन है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान यह 313.44 मिलियन टन थी। यह वृद्धि 01.04.2024 के अनुसार टीपीपी में 47 मिलियन टन के विशाल शुरुआती भंडारण के बावजूद हासिल की गई है। यह बिजली क्षेत्र की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोयले की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करता है।

खानों, टीपीपी और पारगमन में पिटहेड्स सहित कोयले के कुल स्टॉक की स्थिति 25 अगस्त 2024 तक 121.57 मिलियन टन तक पहुंच गई। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के 89.28 मिलियन टन के स्टॉक की तुलना में 36.2 प्रतिशत की पर्याप्त वृद्धि को दर्शाती है। इसके अतिरिक्त, 25 अगस्त, 2024 तक ताप विद्युत संयंत्रों (डीसीबी) में कोयले का स्टॉक 37.55 मिलियन टन है, जबकि पिछले वर्ष यह 29.47 मिलियन टन था, जो लगभग 27.41 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है।

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कोयला स्टॉक की यह उच्च स्थिति कोयला मंत्रालय की कोयले की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उत्पादन, प्रेषण और स्टॉक स्तरों में निरंतर वृद्धि, देश के ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों का समर्थन करते हुए एक विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के बारे में मंत्रालय के प्रयासों को दर्शाती है।

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केन्द्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह से मिला भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ का प्रतिनिधिमंडल

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 24 अगस्त सरकारी कर्मचारियों के वेतन संबंधित एवम लंबित पड़े कई प्रमुख विषयो को लेकर केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह के कार्यालय पर भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के महामंत्री मुकेश सिंह ने डा. जितेंद्र सिंह के समक्ष विस्तार से विषयो को रखा जिसने उन्होंने पुरानी पेंशन को लागू करना, 8वां वेतन आयोग का गठन,, सभी शहरों में सीजीएचएस की सुविधा उपलब्ध कराना, विभागो में रिक्त पदों को भरना, मृतक आश्रितों को नौकरी प्रदान करना , आयकर की सीमा को बढ़ाना , कम्युटेशन पेंशन को कटौती अवधि को कम करना इत्यादि प्रमुख विषय थे । इस बैठक में माननीय जितेंद्र सिंह ने भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के प्रतिनिधी मण्डल को आश्वासन भी दिया कि कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखा जाएगा तथा उचित फोरम पर इसका समाधान भी कराया जायेगा । तथा उन्होंने यह भी कहा की रक्षा संस्थानों से संबंधित विषयो को रक्षामंत्री महोदय के समक्ष भी रखा जाएगा, जिससे की मजदूरों को मांगो का शीघ्र समाधान हो सकें । वार्ता में विस्तार से चर्चा हुए विषय निम्नवत है –

1. नई पेंशन योजना (एनपीएस) को समाप्त करना तथा पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करना क्योंकि पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की तुलना में एनपीएस कम सुरक्षित तथा अधिक अनिश्चित साबित हुई है । ओपीएस की बहाली से सरकारी कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा तथा स्थिरता सुनिश्चित होगी।
2. आठवें केंद्रीय वेतन आयोग का गठन किया जाना चाहिए क्योंकि वेतन आयोग न केवल वेतन तथा भत्तों की समीक्षा करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए सेवा शर्तों का मूल्यांकन भी करता है l
3. बड़े पैमाने पर सेवानिवृत्ति और पदों को न भरने के कारण विभिन्न केंद्र सरकार के विभागों/संस्थाओं में कई पद रिक्त पड़े हैं। इससे सरकारी विभागों की कार्यकुशलता बुरी तरह प्रभावित होती है। इसलिए केंद्र सरकार के विभागों/संस्थाओं में रिक्त पदों को भरा जाना चाहिए।
4. आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 800,000 रुपये किया जाना चाहिए और मानक कटौती को बढ़ाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी और 80डी के अंतर्गत मौद्रिक सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए।
5. केंद्रीय कर्मचारी समूह बीमा योजना 1980 का संशोधन: 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सीजीईजीआईएस को संशोधित किया जाना चाहिए। तथा15 हजार,30 हजार,60 हजार एवम 1 लाख 20 हजार रुपए बीमा राशि के स्थान पर न्यूनतम 15 लाख रुपये लागू करने की मांग करते हैं।
6. माननीय सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों और कैट के अनुकूल निर्णयों के बावजूद, केवल उन कर्मचारियों को यह लाभ मिला है जिन्होंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। हम सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, इन तिथियों पर सेवानिवृत्त होने वाले सभी कर्मचारियों को पेंशन लाभ के लिए नोटेशनल इंक्रीमेंट प्रदान करने के लिए एक समान कार्यकारी आदेश जारी करने की मांग करते हैं।
7. पेंशन के कम्यूटेशन के लिए रिकवरी अवधि को 15 वर्ष से घटाकर 12 वर्ष किया जाना चाहिए। क्योंकि यह रिकवरी 12 वर्ष में पूर्ण हो जाती है।
8. रक्षा मंत्रालय में समान रूप से स्थित गैर-याचिकाकर्ताओं के लिए न्यायालय के निर्णयों का काल्पनिक विस्तार करना ,एमईएस, डीजीओएस, आयुध कारखानों आदि के औद्योगिक कर्मचारियों को ड्रेस भत्ते का भुगतान, आयुध कारखानों में ओवरटाइम भत्ते का भुगतान (01.01.2006 से बकाया सहित), जिसमें एचआरए, परिवहन भत्ता और लघु परिवार भत्ता,रेलवे कर्मचारियों के बराबर रात्रि ड्यूटी भत्ते का भुगतान और 01.01.1996 से बकाया भुगतान किया जाना चाहिए।
9. आयुध कारखानों के कर्मचारियों के लिए प्रसार भारती मॉडल का क्रियान्वयन करना क्योंकि इस मॉडल को अपनाने से आयुध कारखानों की दक्षता और उत्पादकता बढ़ेगी और कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करके रक्षा क्षेत्र के समग्र विकास में योगदान मिलेगा।
10. रक्षा प्रतिष्ठानों के विघटन, जनशक्ति में कमी, ठेकाकरण,निजीकरण को रोका जाना चाहिए क्योंकि इस तरह के उपायों से रक्षा नागरिकों की नौकरी की सुरक्षा और कल्याण पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इसलिए इसके स्थान पर स्थाई रोजगार प्रदान किया जाना चाहिए।
11. रक्षा प्रतिष्ठानों में अनुकंपा नियुक्तियों के लिए 5% की अधिकतम सीमा पर एक बार छूट देकर सामाजिक सुरक्षा और कल्याण का विस्तार होना चाहिए जिससे रक्षा नागरिकों की असामयिक मृत्यु से प्रभावित परिवारों को राहत और सहायता मिलेगी तथा ऐसे कठिन समय में उनका वित्तीय बोझ कम होगा।
12. स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे जिनमे सेवारत कर्मचारियों के लिए कैशलेस उपचार सुविधा का विस्तार ,निजी नर्सिंग होम को CGHS से मान्यता, सीएस (एमए) लाभार्थियों को पहचान पत्र जारी करना, मेडिकल इम्प्लांट के मापदंडों को तय करना, पुरानी बीमारियों के लिए रेफरल वैधता को न्यूनतम 6 माह करना इत्यादि मांग प्रमुख रूप से है ।

इस बैठक में प्रमुख रूप से बी. सुरेंद्रन,अखिल भारतीय संगठन मंत्री भारतीय मजदूर संघ, देवेन्द्र पाण्डेय, मुकेश सिंह, अखिल भारतीय महामंत्री, भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ उपस्थित थे।

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