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जून, 2023 तक कोयला उत्पादन में 8.51 प्रतिशत की वृद्धि

कोयला खदानें बंद होने पर किसी भी कामगार को कोयला कंपनियों (कोल इंडिया लिमिटेड/सिंगारेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड) की सेवाओं से नहीं हटाया जाएगा। श्रमिकों को पर्याप्त प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ, उनके प्रभावी उपयोग के लिए अन्य इकाइयों/प्रतिष्ठानों में स्थानांतरित किया जाता है।

देश में कोयले की ज्यादातर मांगों को स्वदेशी उत्पादन/आपूर्ति से पूरा किय जाता है। सरकार का ध्यान कोयले का घरेलू उत्पादन बढ़ाने और देश में कोयले के गैर-जरूरी आयात को खत्म करने पर है। वर्ष 2022-23 में कोयला उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 14.77 प्रतिशत बढ़ा है। चालू वर्ष के दौरान जून, 2023 तक कोयले का घरेलू उत्पादन पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 8.51 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है। देश को कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम निम्नलिखित हैं-

  1. कोयला ब्लॉकों के विकास में तेजी लाने के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा नियमित समीक्षा।
  2. खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2021 बनाया गया है जो कैप्टिव खान मालिकों (परमाणु खनिजों के अलावा) को अपने वार्षिक खनिज (कोयला सहित) उत्पादन का 50 प्रतिशत तक खुले बाजार में बेचने में सक्षम बनाता है, जो कि अंतिम उपयोग संयंत्र से जुड़ी खदान की आवश्यकता को पूरा करने के बाद केंद्र सरकार के द्वारा निर्धारित तरीके से ऐसी अतिरिक्त राशि का भुगतान किया जाता है।
  3. कोयला खदानों के परिचालन में तेजी लाने के लिए कोयला क्षेत्र के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस पोर्टल।
  4. कोयला खदानों के शीघ्र परिचालन के लिए विभिन्न अनुमोदन/मंजूरी प्राप्त करने के लिए कोयला ब्लॉक आवंटियों की मदद के लिए परियोजना निगरानी इकाई।
  5. राजस्व हिस्सेदारी के आधार पर सीआईएल की बंद पड़ी खदानों को फिर से खोलना और एमडीओ के माध्यम से सीआईएल की खदानों का संचालन।
  6. कोल इंडिया लिमिटेड अपनी भूमिगत (यूजी) खदानों, मुख्य रूप से सतत खनिकों (सीएम) में, जहां भी संभव हो, बड़े पैमाने पर उत्पादन प्रौद्योगिकियों (एमपीटी) को अपना रहा है। कोल इंडिया लिमिटेड ने छोड़ दी गईं या बंद खदानों की उपलब्धता को देखते हुए बड़ी संख्या में हाईवॉल (एचडब्ल्यू) खदानों में काम करने के बारे में भी परिकल्पना की है। कोल इंडिया लिमिटेड जहां भी संभव हो बड़ी क्षमता वाली भूमिगत खदानों की भी योजना बना रही है।
  7. अपनी खुली कटान वाली खदानों में, कोल इंडिया लिमिटेड के पास पहले से ही उच्च क्षमता वाले उत्खनकों, डंपर और सतह खनिकों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी मौजूद है।
  8. सीआईएल की 7 बड़ी खदानों में प्रायोगिक स्तर पर डिजिटलीकरण का कार्यान्वयन, जिसे आगे भी दोहराया जाएगा।
  9. एससीसीएल ने 2023-24 तक 67 मीट्रिक टन के वर्तमान स्तर से 75 मीट्रिक टन उत्पादन करने की योजना बनाई है। नई परियोजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए नियमित संपर्क किया जा रहा है। इसके अलावा, नई परियोजनाओं की गतिविधियों की प्रगति और मौजूदा परियोजनाओं के संचालन की नियमित निगरानी की जा रही है।

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“कचरा मुक्त शहरों की दिशा में तकनीकी प्रयास”

टीडीबी-डीएसटी ई-अपशिष्ट, ज्वैलर्स अपशिष्ट और ऑटोमोबाइल उपकरण अपशिष्ट से बहुमूल्य धातुओं की पुनःप्राप्ति के लिए एक एकीकृत संयंत्र के विकास के लिए मेसर्स अल्केमी रिसाइक्लर्स प्राइवेट लिमिटेड, गुजरात को समर्थन प्रदान करता है

प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड ने आज “कचरा मुक्त शहरों की दिशा में तकनीकी प्रयास” पहल के अंतर्गत दूसरे समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने ई-अपशिष्ट, ज्वैलर्स अपशिष्ट और ऑटोमोबाइल उपकरण अपशिष्ट से बहुमूल्य धातुओं को पुनः प्राप्त करने के लिए एक एकीकृत संयंत्र के विकास के लिए मेसर्स अल्केमी रिसाइक्लर्स प्राइवेट लिमिटेड, गुजरात के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। बोर्ड ने 1.90 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत में से 1.14 करोड़ रुपये का समर्थन मुहैया कराने पर सहमति व्यक्त की है।

प्रौद्योगिकी संबंधी प्रयास का उद्देश्य उन प्रस्तावों को बढ़ावा देना है, जो न केवल भारतीय शहरों से कचरे को खत्म करेंगे बल्कि कचरे से संपदा का सृजन करने के लिए तकनीकी उपायों को भी उपयोग में लाएंगे। प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रेरणा लेते हुए, स्वच्छ भारत मिशन: शहरी 2.0 का उद्देश्य हमारे सभी शहरों को कचरे से मुक्त बनाना है और स्वच्छता पर जोर देना है, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (डीएसटी, भारत सरकार का एक संवैधानिक निकाय) ने उन भारतीय कंपनियों से आवेदन आमंत्रित किए हैं, जिनके पास अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में व्यावसायीकरण चरण में नवीन स्वदेशी प्रौद्योगिकियां हैं। इस अवसर पर बोलते हुए प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के सचिव श्री राजेश कुमार पाठक ने कहा, “प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के “कचरा मुक्त शहरों” के लिए प्रौद्योगिकी संबंधी प्रयास के प्रस्तावों को देश भर में भारतीय कंपनियों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। इन कंपनियों के द्वारा दिखाया गया उत्साह व रुचि एक स्वच्छ और अधिक टिकाऊ भविष्य बनाने के प्रति इनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। बोर्ड को अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में व्यावसायीकरण चरण में नवीन और स्वदेशी प्रौद्योगिकियों की एक विस्तृत श्रृंखला प्राप्त हुई। इन प्रौद्योगिकियों में हमारे कचरे का निपटान करने के तरीके में आमूल-चूल बदलाव लाने और योगदान देने की क्षमता है ताकि कचरा-मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।”

कंपनी ने प्रसंस्करण के लिए अपनी नवीन पद्धति का उपयोग करके ई-अपशिष्ट, आभूषण से जुड़े अपशिष्ट और कार उपकरण अपशिष्ट से कीमती धातुओं को पुनः प्राप्त करने के लिए एक एकीकृत संयंत्र विकसित किया है। जब ई-अपशिष्ट, आभूषण अपशिष्ट और कार उपकरण अपशिष्ट को एक विशिष्ट अनुपात या संयोजन में मिलाया जाता है, तो पुनःप्राप्ति अनुपात बहुत बढ़ जाता है। इसके अलावा, कुछ अशुद्धियां फ्लक्स के रूप में कार्य करती हैं, जो पुनःप्राप्ति प्रक्रिया में मदद करती हैं। इस कंपनी ने 750 टीपीए की स्थापित क्षमता पर इन तीन अपशिष्टों के संयोजन से सोना, चांदी, पैलेडियम, प्लैटिनम और रोडियम जैसी बहुमूल्य धातुओं की पुनःप्राप्ति का प्रस्ताव दिया है।

यह नवोन्मेषी पद्धति न केवल कीमती धातुओं की पुनःप्राप्ति अनुपात को बढ़ाती है, बल्कि यह कचरा प्रबंधन के लिए एक स्थायी समाधान भी प्रदान करती है। यह पद्धति इन तीन प्रकार के अपशिष्ट से बहुमूल्य धातुओं को कुशलतापूर्वक निकालकर पारंपरिक खनन प्रथाओं से जुड़े पर्यावरणीय प्रभाव को कम करती है। इसके अलावा, फ्लक्स के रूप में अशुद्धियों का उपयोग न केवल पुनःप्राप्ति प्रक्रिया में सुधार करता है, बल्कि यह अतिरिक्त रसायनों की आवश्यकता को भी कम करता है, जो इसे पर्यावरण के अनुकूल दृष्टिकोण और किफायती बनाता है।

इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट व्यापार का मुख्य रूप से अनौपचारिक चैनलों के माध्यम से प्रबंध किया जाता है, जो पर्यावरणीय खतरों, सरकारी करों और संसाधन की कमी को उत्पन्न करते हैं। परियोजनाओं का लक्ष्य इस समस्या को कम करना तथा प्रभावी और किफायती अपशिष्ट संग्रह के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल को बढ़ावा देना है। प्रस्तावित प्रसंस्करण क्षमता 750 टीपीए है, जो भारतीय बाजार का 0.0187% है। वैश्विक ई-अपशिष्ट की मात्रा बढ़ने की उम्मीद है, जो स्थानीय और वैश्विक दोनों स्तर पर परियोजना की व्यवहार्यता की क्षमता को

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‘मेरी लाइफ, मेरा स्वच्छ शहर’ अभियान

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) के सहयोग से 15 मई 2023 से 5 जून, 2023, विश्व पर्यावरण दिवस तक की 3 सप्ताह की अवधि के लिए ‘मेरी लाइफ, मेरा स्वच्छ शहर’ अभियान शुरू किया। यह अभियान नागरिकों, संस्थानों, वाणिज्यिक उद्यमों आदि के लिए अप्रयुक्त या प्रयुक्त प्लास्टिक की वस्तुओं, कपड़ों, जूतों, किताबों और खिलौनों को जमा करने के वन-स्टॉप समाधान के रूप में ‘रिड्यूस, रीयूज़, रीसायकल’ (आरआरआर) केंद्र स्थापित करने के लिए शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को सशक्त बनाने पर केंद्रित है। आरआरआर केंद्रों का राज्यवार विवरण सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है और इसे http://sbmurban.org/rrr-centers पर देखा जा सकता है।

‘मेरी लाइफ, मेरा स्वच्छ शहर’ केवल एक योजना भर नहीं है,  बल्कि यह एसबीएम-यू 2.0 के तहत यूएलबी द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा एक सार्वजनिक आउटरीच और जनता को बड़े पैमाने पर संबद्ध करने से संबंधित अभियान है। इस अभियान के लिए भारत सरकार ने किसी अलग संगठन का गठन नहीं किया है।

इस अभियान का उद्देश्य मिशन लाइफ के बारे में जागरूकता फैलाना और अपशिष्ट उत्पादन में कमी लाने, संसाधन संरक्षण को बढ़ावा देने और अपने रोजमर्रा के जीवन में ‘रिड्यूस, रीयूज़, रीसायकल’ (आरआरआर) को अपनाकर स्वच्छ और हरित पर्यावरण में योगदान देने के लिए नागरिकों के व्यवहार में बदलाव लाना है। इसका उद्देश्य पद्धतियों को शहरी स्वच्छता इको-सिस्टम में एकीकृत करके चक्रीय अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है, जो अपशिष्ट में कमी लाती है, संसाधनों के उपयोग को अधिकतम करती है तथा वर्तमान और भावी पीढ़ियों दोनों का कल्याण सुनिश्चित करती है।

नागरिकों को इस मुहिम से जोड़ने के लिए घर-घर जाकर जागरूकता अभियान, सोशल मीडिया अभियान के साथ-साथ प्रभावशाली लोगों को इसमें शामिल करने जैसे उपाय किए गए हैं। एमओएचयूए ने शहरी स्थानीय निकायों के लिए अभियान संबंधी दिशानिर्देश भी जारी किए, जिन्हें http://sbmurban.org/storage/app/media/%20Meri-LiFE-Mera-Swachh-Shehar-SOP-for-States-and-Cities-12th-May-2023.pdf पर देखा जा सकता है।

यह जानकारी आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री कौशल किशोर ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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फाइलेरिया उन्मूलन में एनएसएस निभायेगा महत्वपूर्ण भूमिका

कानपुर 5 अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता, उत्तर प्रदेश के तीन लाख बीस हजार एनएसएस स्वयंसेवक फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएंगे । इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु राजधानी लखनऊ में प्रदेश के 27 जनपदों और विभिन्न विश्वविद्यालयों के एनएसएस समन्वयक , नोडल अधिकारियों, और कार्यक्रम अधिकारियों की प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमे एनएसएस राज्य संपर्क अधिकारी प्रो मंजू सिंह, युवा अधिकारी समरदीप सक्सेना के दिशानिर्देशन में छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कार्यक्रम अधिकारियों ने प्रतिभाग किया । समन्वयक प्रो के एन मिश्रा के नेतृत्व में जिला नोडल अधिकारी डॉ श्याम मिश्रा , डॉ संगीता सिरोही , डॉ नीरज कुमार , डॉ आशीष गुप्ता , डॉ यश कुमार , नोडल कानपुर देहात ने प्रशिक्षण प्राप्त किया । इस प्रशिक्षण में फाइलेरिया के फैलाव , एमडीए , क्यूलेक्स मच्छर की रोकथाम जैसे विषयों को पीसीआई, मिलिंडा गेट फाउंडेशन के अधिकारियों और डॉक्टर्स द्वारा विस्तार से समझाया गया । प्रशिक्षण के उपरांत अब कानपुर विश्वविद्यालय अंतर्गंत जनपदों के एनएसएस महाविद्यालयों और अन्य महाविद्यालयों में 10 अगस्त से प्रस्तावित एमडीए वितरण में सहयोग देंगे साथ ही साथ स्वयं दवा खायेंगे और परिवार एवं आसपास के लोगो को दवा सेवन हेतु प्रेरित करेंगे ।

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ग्राम पंचायतों का डिजिटलीकरण

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत पंचायती राज मंत्रालय देश के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ई-पंचायत मिशन मोड परियोजना का (एमएमपी) क्रियान्वयन कर रहा है। इसका उद्देश्य पंचायतों की कार्य प्रणाली में सुधार लाना और उन्हें अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी बनाना है। मंत्रालय ने योजना, लेखा और बजट जैसे पंचायत कार्यों को सरल बनाने के लिए एक लेखा अनुप्रयोग ई ग्राम स्वराज (eGramSwaraj) की शुरुआत की है। मंत्रालय ने विक्रेताओं/सेवा प्रदाताओं को वास्तविक समय पर भुगतान करने के लिए ग्राम पंचायतों (जीपी) के लिए सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के साथ ई-ग्राम स्वराज को भी एकीकृत किया है। पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष के दौरान ई-ग्राम स्वराज के अंतर्गत उत्तर प्रदेश सहित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा की गई प्रगति का ब्यौरा अनुलग्नक में दिया गया है।

इसके अलावा, दूरसंचार विभाग (डीओटी) देश में सभी ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए भारतनेट परियोजना को लागू कर रहा है। एक लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ने की परियोजना का पहला चरण दिसंबर 2017 में पूरा हो चुका है। भारतनेट के पहले चरण के तहत 1.23 लाख ग्राम पंचायतों में से लगभग 1.22 लाख ग्राम पंचायतों को सेवा के लिए तैयार किया गया था। शेष ग्राम पंचायतों से जुड़ने के लिए दूसरे चरण का कार्यान्वयन प्रगति पर है। भारतनेट के दूसरे चरण के अंतर्गत 1.44 लाख आबंटित ग्राम पंचायतों में से 77,000 से अधिक ग्राम पंचायतों को सेवा के लिए तैयार कर दिया गया है।

पंचायती राज मंत्रालय योजनाओं और कार्यक्रमों के तहत वित्तीय तथा तकनीकी सहायता के माध्यम और समय-समय पर सलाह जारी करके राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पीआरआई के सुदृढ़ीकरण और विकास के लिए कई अन्य कदम उठा रहा है। उठाए गए विभिन्न उपायों में अच्छा कार्य करने वाली पंचायतों को प्रोत्साहित करना, पंचायतों के क्षमता निर्माण के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना है ताकि वे प्रभावी ढंग और कुशलता से हस्तांतरित कार्यों को निष्पादित कर सकें। इसके अलावा, बजट, लेखांकन और लेखा परीक्षा की प्रणालियों को सुदृढ़ करना और पंचायतों द्वारा सहभागी ग्राम पंचायत विकास योजनाएं तैयार करने में राज्यों की सहायता करना शामिल है।

अनुलग्नक

वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान पंचायत स्तर पर अपनाया गया ईग्राम स्वराज

क्रं. संख्या राज्य का नाम 2020-21 2021-22 2022-23 2023-24
ग्राम पंचायतों की कुल संख्या और समतुल्य ग्राम पंचायत में लागू ऑनलाइन भुगतान सुविधा के साथ ग्राम पंचायत और समतुल्य ग्राम पंचायतों की कुल संख्या और समतुल्य ग्राम पंचायत में लागू ऑनलाइन भुगतान सुविधा के साथ ग्राम पंचायत और समतुल्य ग्राम पंचायतों की कुल संख्या और समतुल्य ग्राम पंचायत में लागू ऑनलाइन भुगतान सुविधा के साथ ग्राम पंचायत और समतुल्य ग्राम पंचायतों की कुल संख्या और समतुल्य ग्राम पंचायत में लागू ऑनलाइन भुगतान सुविधा के साथ ग्राम पंचायत और समतुल्य
1 आंध्र प्रदेश 13422 8843 0 13371 8840 0 13371 8763 2 13371 8763 0
2 अरुणाचल प्रदेश 2100 2068 0 2114 2096 0 2108 2096 1218 2108 2096 688
3 असम 2664 2197 2197 2664 2197 1973 2662 2197 2185 2662 2197 2111
4 बिहार 8387 8387 15 8221 8220 7924 8176 8175 7954 8176 8175 6782
5 छत्तीसगढ़ 11666 11663 11388 11658 11657 11303 11659 11658 11546 11659 11658 7405
6 गोवा 191 191 98 191 191 169 191 191 138 191 191 40
7 गुजरात 14308 14237 1 14343 14239 13168 14400 14272 13435 14589 14272 10616
8 हरियाणा 6304 6258 4497 6237 6204 3653 6230 6198 3768 6226 6188 4090
9 हिमाचल प्रदेश 3654 3613 29 3616 3613 1321 3615 3613 3563 3615 3613 2948
10 जम्मू और कश्मीर 4277 4276 4231 4291 4290 4251 4291 4290 4221 4291 4290 176
11 झारखंड 4364 4364 4268 4353 4352 4348 4345 4344 4338 4345 4344 4171
12 कर्नाटक 6008 6008 5940 5968 5967 5919 5958 5958 5942 5958 5958 5626
13 केरल 941 941 0 941 941 941 941 941 940 941 941 614
14 लद्दाख 193 193 173 193 193 151 193 193 82 193 193 0
15 मध्य प्रदेश 22813 22808 22496 23129 23069 22126 23032 22991 21495 23032 22991 18345
16 महाराष्ट्र 27903 27810 1264 27902 27813 18364 27900 27783 26185 27555 27448 18499
17 मणिपुर 3811 161 160 3812 161 153 3812 161 160 3812 161 0
18 मेघालय 6758 0 0 6760 0 0 6760 0 0 6760 0 0
19 मिजोरम 834 834 2 834 834 832 834 834 764 834 834 27
20 नागालैंड 1280 5 0 1293 5 0 1293 5 0 1293 5 0
21 ओडिशा 6798 6798 6714 6798 6798 6734 6798 6798 6773 6798 6798 6228
22 पंजाब 13270 13206 8082 13268 13207 10309 13241 13183 9813 13241 13183 7284
23 राजस्थान 11347 11314 3858 11343 11316 8493 11342 11315 11244 11342 11315 7936
24 सिक्किम 185 181 4 185 181 130 199 181 175 199 181 138
25 तमिलनाडु 12519 12490 7986 12525 12496 7783 12525 12494 12029 12525 12494 10835
26 तेलंगाना 12771 12765 0 12773 12767 0 12769 12767 12543 12769 12767 12451
27 दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव 38 0 0 38 0 0 38 0 0 38 0 0
28 त्रिपुरा 1178 1178 1176 1178 1178 1177 1178 1178 1158 1178 1178 911
29 उत्तराखंड 7791 7791 7763 7791 7791 6291 7812 7811 7730 7812 7811 7316
30 उत्तर प्रदेश 58984 58950 58425 58842 58810 57857 58842 58810 58151 58853 58821 51048
31 पश्चिम बंगाल 3340 3229 1863 3340 3229 3213 3340 3229 3223 3340 3229 3218
कुल 270099 252759 152630 269972 252655 198583 269855 252429 230775 269706 252095 189503

 

यह जानकारी केन्द्रीय पंचायती राज के राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर के रूप में दी।

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में भारत के पहले स्वदेशी रूप से विकसित, लागत प्रभावी, कम भार वाले, अत्यधिक तीव्र (अल्ट्राफास्ट), 1.5 टेस्ला के उच्च क्षेत्र (हाई फील्ड) वाले अगली पीढ़ी के मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग  (एमआरआई) स्कैनर का शुभारभ किया

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमन्त्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज नई दिल्ली में भारत के पहले स्वदेशी रूप से विकसित, लागत प्रभावी, कम भार वाले, अत्यधिक तीव्र (अल्ट्राफास्ट), 1.5 टेस्ला के उच्च क्षेत्र (हाई फील्ड) वाले अगली पीढ़ी के मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) स्कैनर का शुभारभ कियाI

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह एमआरआई स्कैनर देश में विकसित किया गया है, अतः आम आदमी के लिए एमआरआई स्कैनिंग की लागत बहुत कम होने की उम्‍मीद है, जिससे अभी तक अत्यधिक लागत वाले एमआरआई स्कैन तक भी सबकी पहुंच हो सकेगी। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, अंतरराष्ट्रीय बाजार से एमआरआई स्कैनर की खरीद में पूंजी निवेश भी बहुत हद तक तक कम हो जाएगा, जिसके कारण बहुत सारी विदेशी मुद्रा की भी बचत होगीI साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के भारत में नैदानिक ​​और चिकित्सीय विनिर्माण के दोहरे मिशन के उद्देश्य और आत्मनिर्भरता के समग्र उद्देश्य को भी अत्याधुनिक बनाया जा सकेगा। मंत्री महोदय ने कहा कि आने वाले वर्षों में, “भारत में बनाएं- विश्व के लिए बनाएं (मेक इन इंडिया-मेड फॉर द वर्ल्ड)” होगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वास्तव में यह राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (एनबीएम), जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के लिए एक अभूतपूर्व कीर्तिमान स्थापित करने वाली उपलब्धि है क्योंकि हम सार्वजनिक-निजी भागीदारी प्रारूप के अंतर्गत अपने पहले स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक एमआरआई स्कैनर को सामने लेकर आए हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के अंतर्गत वोक्सेलग्रिड्स इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड ने देश की अब तक अपूर्ण आवश्यकता को पूरा करने के लिए अपने आप में सम्पूर्ण (कॉम्पैक्ट), कम भार वाले, अगली पीढ़ी के एमआरआई स्कैनर विकसित किया है।

मंत्री महोदय ने रेखांकित किया कि विश्व स्तरीय एमआरआई विकसित करने के लिए व्यय किए गए 17 करोड़ रुपये में से 12 करोड़ रुपये जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के माध्यम से जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा प्रदान किए गए थे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सॉफ्टवेयर के साथ अगली पीढ़ी के हार्डवेयर के इस संयोजन ने नैदानिक छायांकन (डायग्नोस्टिक इमेजिंग) के क्षेत्र में एक अत्यधिक विघटनकारी उत्पाद को सफलतापूर्वक प्रस्तुत करने में सक्षम बनाया है, क्योंकि यह भारत सरकार के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से वाणिज्यिक बिक्री और निर्माण लाइसेंस प्राप्त करने वाली पहली भारतीय कंपनी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि विश्व की 70 प्रतिशत जनसंख्या की मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) की नैदानिक (डायग्नोस्टिक) पद्धति तक पहुंच नहीं है। कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी), एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड जैसी अन्य छायांकन (इमेजिंग) प्रविधियों की तुलना में एमआरआई स्कैनर तक पहुंच सामान्य रूप से  3 गुना कम है। इसका कारण इसकी अत्यधिक उच्च पूंजीगत लागत है जो भारत जैसे विकासशील देशों में एक समस्या है। भारत में वर्तमान अनुमान बताते हैं कि एमआरआई का कुल स्थापित आधार 4800 है, जो कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) से 3 गुना कम है और जो संभवतः इस उत्पाद की उच्च लागत एवं आयात पर निर्भरता के कारण भी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि वर्तमान में 350 से कम मशीनों की वार्षिक मांग है, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि जागरूकता बढ़ने के साथ-साथ प्रमुख आयुष्मान भारत पहल सहित स्वास्थ्य देखभाल पहुंच और समावेशन में सुधार के लिए सरकार की कई पहलों के कारण, ग्लोबल डाटा इंक के अनुमानों के आधार पर वर्ष 2030 तक मांग दोगुनी से अधिक होने की उम्‍मीद है)।

मंत्री महोदय ने कहा कि भारत स्वदेशी रूप से विकसित पहला एमआरआई स्कैनर उपलब्ध कराकर इनमें से कई समस्याओं का समाधान करेगा, जो पहले से उपलब्ध मशीनों की तुलना में अत्यधिक लागत प्रभावी है। उन्होंने कहा कि यह प्रयास इस सफलता को ग्लोबल साउथ में अन्य देशों के साथ साझा करने की संभावना भी प्रदान करता है ताकि उन्हें भी सस्ते और विश्वसनीय चिकित्सा इमेजिंग समाधानों तक पहुंच बनाने में सहायता मिल सके।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सभा को यह भी बताया कि संसद में प्रधानमन्त्री नरेन्‍द्र मोदी  जी के मष्तिष्क की परिकल्पना, राष्ट्रीय अनुसन्धान फाउंडेशन (नेशनल रिसर्च फाउंडेशन -एनआरएफ) विधेयक के पारित होने के बाद, यह वैज्ञानिक और संबंधित मंत्रालयों के अलावा उद्योगों और राज्य सरकारों की भागीदारी तथा योगदान के लिए तंत्र बनाने के लिए उद्योग, शिक्षा और सरकारी विभागों एवं अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग स्थापित करने के साथ ही एक इंटरफ़ेस भी विकसित  करेगा। उन्होंने कहा कि यह एक नीतिगत ढांचा बनाने और नियामक प्रक्रियाओं को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करेगा जो अनुसंधान एवं विकास पर उद्योग द्वारा सहयोग और बढ़े हुए परिव्यय को प्रोत्साहित कर सके।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस सफलता को प्राप्त करने में यूपी इंडिया और डिजिटल इंडिया हमें देश को प्रगति और अंतरराष्ट्रीय पहचान की दिशा में ले जाने के लिए प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में हमारे सक्षम नेतृत्व और इस सफलता को प्राप्त करने के लिए मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी राष्ट्रीय पहलों द्वारा निभाई गई भूमिका को स्वीकार करते हुए उनके प्रति आभार प्रकट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत, प्रौद्योगिकी  का मात्र उपभोक्ता बने रहने के स्थान पर अब नवप्रवर्तक बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

अपने संबोधन में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव, डीबीटी, डॉ. राजेश गोखले ने कहा कि उनके विभाग ने अपने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से भारत में उपकरणों और नैदानिक पारिस्थितिकी तंत्र पर ध्यान देने के साथ ही जैवऔषधि (बायोफार्मा) क्षेत्र को सशक्त करने के लिए जबरदस्त प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) द्वारा कार्यान्वित जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) का राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (एनबीएम) टीकों, समरूपजैव चिकित्सा उत्पादों (बायोसिमिलर्स), चिकित्सा उपकरणों और नैदानिकी (डायग्नोस्टिक्स) सहित जैव चिकित्सा शास्त्र   (बायोथेराप्यूटिक्स) में भारत की प्रौद्योगिक एवं उत्पाद विकास करने की क्षमताओं में तेजी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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मेजर जनरल अमिता रानी ने एमएनएस, अपर महानिदेशक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया

मेजर जनरल अमिता रानी ने 1 अगस्त, 2023 को मिलिट्री नर्सिंग सर्विस (एमएनएस) में अपर महानिदेशक के रूप में पदभार ग्रहण किया। जनरल ऑफिसर नर्सिंग कॉलेज, सेना अस्पताल (आर एंड आर), दिल्ली की पूर्व छात्र रही हैं। इस पद पर तैनात होने से पहले वह एमएनएस, मुख्यालय (एनसी) में ब्रिगेडियर थीं

जनरल ऑफिसर 1983 में मिलिट्री नर्सिंग सेवा में शामिल हुईं। मेजर जनरल अमिता रानी ने गुणवत्ता नियंत्रण, संक्रमण नियंत्रण और रोकथाम प्रबंधन, स्वास्थ्य देखभाल में सिक्स सिग्मा ग्रीन बेल्ट पर अल्पकालिक पाठ्यक्रम पूरा किया है। इसके अलावा उन्होंने नेशनल हेल्थ केयर एकेडमी, जिसका मुख्यालय सिंगापुर में स्थित है, वहां से अस्पताल और गुणवत्ता प्रबंधन में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम का  प्रमाणपत्र  हासिल किया है। एक सक्षम प्रशासक के रूप में उन्होंने डीपीएम सीएच (ईसी) कोलकाता, 154 जीएच में प्रिंसिपल मैट्रॉन, एमएच जालंधर, एमएच इलाहाबाद और कमांड हॉस्पिटल एयर फोर्स, बैंगलोर जैसे प्रमुख पदों पर काम किया है।

 

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प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के पुणे में विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री  मोदी ने आज पुणे मेट्रो के पूर्ण हो चुके खंडों के उद्घाटन के अवसर पर मेट्रो ट्रेनों को झंडी दिखाई। उन्होंने पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम (पीसीएमसी) द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित 1280 से अधिक घर और पुणे नगर निगम द्वारा निर्मित 2650 से अधिक पीएमएवाई के तहत तैयार किए गए घर भी लाभार्थियों को सौंपे। उन्होंने पीसीएमसी द्वारा निर्मित किए जाने वाले लगभग 1190 पीएमएवाई घरों और पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण द्वारा निर्मित किए जाने वाले 6400 से अधिक घरों की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने पीसीएमसी के तहत लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किए गए अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र का भी उद्घाटन किया।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अगस्त उत्सव और क्रांति का महीना है। स्वतंत्रता संग्राम में पुणे शहर के योगदान पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महानगर ने बाल गंगाधर तिलक सहित देश को कई स्वतंत्रता सेनानी दिए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आज महान अन्ना भाऊ साठे की जयंती है जो एक समाज सुधारक थे और डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के आदर्शों से प्रेरित थे। प्रधानमंत्री ने आज भी बताया कि कई छात्र और शिक्षाविद् उनके साहित्यिक कार्यों पर शोध करते हैं और उनके कार्य और आदर्श सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, “पुणे एक जीवंत शहर है जो देश की अर्थव्यवस्था को गति देता है और पूरे देश के युवाओं के सपनों को पूरा करता है। आज की लगभग 15 हजार करोड़ की परियोजनाएं इस पहचान को और मजबूत करेंगी।”

प्रधानमंत्री ने शहरी मध्यम वर्ग के जीवन की गुणवत्ता को लेकर सरकार की गंभीरता की ओर लोगों का ध्‍यान दिलाया। प्रधानमंत्री ने पांच साल पहले मेट्रो के काम की शुरुआत को याद करते हुए कहा कि इस अवधि में 24 किलोमीटर का मेट्रो नेटवर्क पहले ही काम करना शुरू कर चुका है।

श्री मोदी ने हर शहर में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सार्वजनिक परिवहन के बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कारण से मेट्रो नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है, नए फ्लाईओवर बनाए जा रहे हैं और ट्रैफिक लाइटों की संख्या कम करने पर जोर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 से पहले देश में केवल 250 किलोमीटर का मेट्रो नेटवर्क था और ज्यादातर मेट्रो लाइनें दिल्ली तक ही सीमित थीं, जबकि आज देश में मेट्रो नेटवर्क 800 किलोमीटर से ज्यादा हो गया है और 1000 किलोमीटर की नई मेट्रो लाइनों पर काम चल रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 से पहले मेट्रो नेटवर्क भारत के केवल 5 शहरों तक ही सीमित था, जबकि आज मेट्रो पुणे, नागपुर और मुंबई सहित 20 शहरों में काम कर रही है, जहां नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने पुणे जैसे शहर में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मेट्रो विस्तार की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, “मेट्रो आधुनिक भारत के शहरों के लिए एक नई जीवन रेखा बन रही है।”

श्री मोदी ने शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार में स्वच्छता की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, स्वच्छ भारत अभियान केवल शौचालय तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अपशिष्ट प्रबंधन भी एक बड़ा फोकस क्षेत्र है। मिशन मोड में कूड़े के पहाड़ हटाये जा रहे हैं। उन्होंने पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम (पीसीएमसी) के तहत अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र के लाभों के बारे में बताया।

प्रधानमंत्री ने अपनी टिप्पणी में कहा, “आजादी के बाद से ही महाराष्‍ट्र के औद्योगिक विकास ने भारत के औद्योगिक विकास को निरंतर गति दी है।” राज्य में औद्योगिक विकास को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र में सरकार द्वारा किए जा रहे अभूतपूर्व निवेश के बारे में चर्चा की। उन्होंने राज्य में नए एक्सप्रेसवे, रेलवे मार्गों और हवाई अड्डों के विकास का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि रेलवे के विस्तार के लिए 2014 से पहले की तुलना में खर्च में बारह गुना वृद्धि हुई है। महाराष्ट्र के विभिन्न शहर पड़ोसी राज्यों के आर्थिक केंद्रों से भी जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री ने मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल का उदाहरण दिया, जिससे महाराष्ट्र और गुजरात दोनों को लाभ होगा, दिल्ली-मुंबई आर्थिक गलियारा जो महाराष्ट्र को मध्य प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य राज्यों से जोड़ेगा, राष्ट्रीय समर्पित माल ढुलाई गलियारा जो बदलाव लाएगा। महाराष्ट्र और उत्तर भारत के बीच रेल संपर्क, और राज्य को छत्तीसगढ़, तेलंगाना, अन्य पड़ोसी राज्यों से जोड़ने के लिए ट्रांसमिशन लाइन नेटवर्क, जिससे उद्योगों, तेल और गैस पाइपलाइनों, औरंगाबाद औद्योगिक शहर, नवी मुंबई हवाई अड्डे और शेंद्रा बिडकिन औद्योगिक पार्क को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि ऐसी परियोजनाएं महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा का संचार करने की क्षमता रखती हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य के विकास से देश के विकास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा, “जब महाराष्ट्र विकसित होगा, तो भारत विकसित होगा। जब भारत बढ़ेगा, तो महाराष्ट्र को भी लाभ मिलेगा।” नवाचार और स्टार्टअप के केंद्र के रूप में भारत की बढ़ती पहचान के बारे में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने 9 साल पहले कुछ सौ की तुलना में 1 लाख स्टार्टअप को पार कर लिया है। उन्होंने इस सफलता के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे के विस्तार को श्रेय दिया और भारत के डिजिटल बुनियादी ढांचे की नींव में पुणे की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा, “सस्ता डेटा, किफायती फोन और हर गांव तक पहुंचने वाली इंटरनेट सुविधाओं ने इस क्षेत्र को मजबूत किया है। भारत 5जी सेवाओं के सबसे तेज़ रोलआउट वाले देशों में से एक है।” उन्होंने यह भी कहा कि फिनटेक, बायोटेक और एग्रीटेक में युवाओं द्वारा की गई प्रगति से पुणे को फायदा हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कर्नाटक और बेंगलुरु के लिए राजनीतिक स्वार्थ के परिणामों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कर्नाटक और राजस्थान में विकास ठप होने पर भी अफसोस जताया।

श्री मोदी ने कहा, “देश को आगे ले जाने के लिए नीति, नियत और नियम (नीति निष्ठा और नियम) भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।” उन्होंने कहा कि यह विकास के लिए एक निर्णायक शर्त है। उन्होंने बताया कि 2014 से पहले के 10 सालों में उस वक्त की दो योजनाओं में सिर्फ 8 लाख घर बने थे। उन्होंने बताया कि लाभार्थियों ने महाराष्ट्र में 50 हजार सहित 2 लाख से अधिक ऐसे घरों को खराब गुणवत्ता के कारण खारिज कर दिया।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि सरकार ने सही इरादे से काम करना शुरू किया और 2014 में सत्ता में आने के बाद नीति में बदलाव किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले 9 वर्षों में सरकार ने गांवों और शहरी गरीबों के लिए 4 करोड़ से अधिक पक्के घर बनाए हैं, जबकि शहरी गरीबों के लिए 75 लाख से अधिक घर बनाए गए हैं। उन्होंने निर्माण में लाई गई पारदर्शिता और उनकी गुणवत्ता में सुधार पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी बताया कि देश में पहली बार अधिकांश पंजीकृत घर आज महिलाओं के नाम पर हैं। यह देखते हुए कि इन घरों की लागत कई लाख रुपये है, प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले 9 वर्षों में देश में करोड़ों महिलाएं अब ‘लखपति’ बन गई हैं। प्रधानमंत्री ने उन सभी लोगों को बधाई और शुभकामनाएं दीं जिन्होंने अपना नया घर पाया है।

उन्होंने कहा, ”गरीब हो या मध्यमवर्गीय परिवार, हर सपने को पूरा करना मोदी की गारंटी है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि एक सपने के साकार होने से कई संकल्पों की शुरुआत होती है और यह उस व्यक्ति के जीवन में प्रेरक शक्ति बन जाती है। उन्होंने कहा, “हमें आपके बच्चों, आपकी वर्तमान और आपकी आने वाली पीढ़ियों की परवाह है।”

संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने एक मराठी कहावत उद्धृत करते हुए कहा कि सरकार का प्रयास न केवल आज को बेहतर बनाना है बल्कि कल को भी बेहतर बनाना है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के निर्माण का संकल्प इसी भावना की अभिव्यक्ति है। श्री मोदी ने महाराष्ट्र में एक ही उद्देश्य के साथ एक साथ आने वाली कई अलग-अलग पार्टियों की तरह एक साथ काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने अंत में कहा, “उद्देश्य यह है कि सभी की भागीदारी से महाराष्ट्र के लिए बेहतर काम किया जा सके, महाराष्ट्र का तेज गति से विकास हो।”

इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फड़नवीस और श्री अजीत पवार और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और अन्य लोग उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने पुणे मेट्रो चरण-I के दो गलियारों के पूर्ण खंडों पर सेवाओं के उद्घाटन के अवसर पर मेट्रो ट्रेनों को झंडी दिखाई। ये खंड फुगेवाड़ी स्टेशन से सिविल कोर्ट स्टेशन और गरवारे कॉलेज स्टेशन से रूबी हॉल क्लिनिक स्टेशन तक हैं। परियोजना की आधारशिला भी 2016 में प्रधानमंत्री द्वारा रखी गई थी। नए खंड पुणे शहर के महत्वपूर्ण स्थानों जैसे शिवाजी नगर, सिविल कोर्ट, पुणे नगर निगम कार्यालय, पुणे आरटीओ और पुणे रेलवे स्टेशन को जोड़ देंगे। यह उद्घाटन पूरे देश में नागरिकों को आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल व्यापक तीव्र शहरी परिवहन प्रणाली प्रदान करने के प्रधानमंत्री के विजन को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मार्ग पर कुछ मेट्रो स्टेशनों का डिज़ाइन छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरणा ग्रहण करता है। छत्रपति संभाजी उद्यान मेट्रो स्टेशन और डेक्कन जिमखाना मेट्रो स्टेशनों का अनोखा डिज़ाइन छत्रपति शिवाजी महाराज के सैनिकों द्वारा पहनी जाने वाली टोपी से मिलता-जुलता है – जिसे ‘मावला पगड़ी’ के नाम से भी जाना जाता है। शिवाजी नगर भूमिगत मेट्रो स्टेशन का एक विशिष्ट डिज़ाइन है जो छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित किलों की याद दिलाता है।

एक अनूठी विशेषता यह है कि सिविल कोर्ट मेट्रो स्टेशन देश के सबसे गहरे मेट्रो स्टेशनों में से एक है, जिसकी सबसे अधिक गहराई 33.1 मीटर है। स्टेशन की छत इस तरह बनाई गई है कि प्लेटफॉर्म पर सीधी धूप पड़े।

सभी के लिए आवास प्राप्त करने के मिशन की दिशा में आगे बढ़ते हुए, प्रधानमंत्री ने पीसीएमसी द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित 1280 से अधिक घरों के साथ-साथ पुणे नगर निगम द्वारा निर्मित 2650 से अधिक पीएमएवाई घरों को सौंप दिया। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने पीसीएमसी द्वारा निर्मित किए जाने वाले लगभग 1190 पीएमएवाई घरों और पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण द्वारा निर्मित 6400 से अधिक घरों की आधारशिला भी रखी।

प्रधानमंत्री ने पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम (पीसीएमसी) के तहत अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया। इसे लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है, जो बिजली उत्पादन के लिए सालाना लगभग 2.5 लाख मीट्रिक टन कचरे का इस्‍तेमाल करेगा।

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जुलाई 2023 के लिए सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1,65,105 करोड़ रुपये रहा; वर्ष-दर-वर्ष 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई

जुलाई, 2023 महीने में संग्रह किया गया सकल जीएसटी राजस्व 1,65,105 करोड़ रुपये रहा है, जिसमें सीजीएसटी 29,773 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 37,623 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 85,930 करोड़ रुपये (वस्तुओं के आयात पर एकत्र 41,239 करोड़ रुपये सहित) और उपकर 11,779 करोड़ रुपये है (वस्तुओं के आयात पर संग्रहित 840 करोड़ रुपये सहित) रहा है।

सरकार ने आईजीएसटी से सीजीएसटी में 39,785 करोड़ रुपये और एसजीएसटी को 33,188 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। नियमित भुगतान के बाद जुलाई 2023 महीने में केंद्र और राज्यों का कुल राजस्व सीजीएसटी के लिए 69,558 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के लिए 70,811 करोड़ रुपये है।

जुलाई 2023 महीने का राजस्व पिछले साल के इसी महीने में प्राप्त जीएसटी राजस्व से 11 प्रतिशत अधिक है। इस मास के दौरान, घरेलू लेनदेन (सेवाओं के आयात सहित) से प्राप्त राजस्व पिछले वर्ष के इसी महीने के दौरान इन स्रोतों से प्राप्त राजस्व से 15 प्रतिशत अधिक है। ऐसा पांचवीं बार है, जब सकल जीएसटी संग्रह 1.60 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है।

नीचे दिया गया चार्ट चालू वर्ष के दौरान मासिक सकल जीएसटी राजस्व में आए रुझान को दर्शाता है। तालिका-1 जुलाई 2022 की तुलना में जुलाई 2023 के महीने के दौरान प्रत्येक राज्य में संग्रहित जीएसटी के राज्य-वार आंकड़े दर्शाती है और तालिका-2 जुलाई 2023 में राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों को प्राप्त/भुगतान किए गए आईजीएसटी के एसजीएसटी और एसजीएसटी हिस्से को दर्शाती है।

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जुलाई 2023 के दौरान जीएसटी राजस्व की राज्यवार वृद्धि [1] (करोड़ रुपये में)

राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश जुलाई’22 जुलाई’23 विकास(प्रतिशत)
जम्मू एवं कश्मीर 431 549 27
हिमाचल प्रदेश 746 917 23
पंजाब 1733 2000 15
चंडीगढ़ 176 217 23
उत्तराखंड 1390 1607 16
हरियाणा 6791 7953 17
दिल्ली 4327 5405 25
राजस्थान 3671 3988 9
उत्तर प्रदेश 7074 8802 24
बिहार 1264 1488 18
सिक्किम 249 314 26
अरुणाचल प्रदेश 65 74 13
नगालैंड 42 43 3
मणिपुर 45 42 -7
मिजोरम 27 39 47
त्रिपुरा 63 78 23
मेघालय 138 175 27
असम 1040 1183 14
पश्चिम बंगाल 4441 5128 15
झारखंड 2514 2859 14
ओडिशा 3652 4245 16
छत्तीसगढ़ 2695 2805 4
मध्य प्रदेश 2966 3325 12
गुजरात 9183 9787 7
दमन और दीव 313 354 13
दादरा और नगर हवेली
महाराष्ट्र 22129 26064 18
कर्नाटक 9795 11505 17
गोवा 433 528 22
लक्षद्वीप 2 2 45
केरल 2161 2381 10
तमिलनाडु 8449 10022 19
पुदुचेरी 198 216 9
अंडमान व निकोबार द्वीप समूह 23 31 32
तेलंगाना 4547 4849 7
आंध्र प्रदेश 3409 3593 5
लद्दाख 20 23 13
अन्य क्षेत्र 216 226 4
केंद्र क्षेत्राधिकार 162 209 29
कुल योग 106580 123026 15
[1] इसमें माल के आयात पर जीएसटी शामिल नहीं है

जुलाई‘ 2023 में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को भुगतान किए गए आईजीएसटी के एसजीएसटी और एसजीएसटी हिस्से की राशि (करोड़ रुपये में)

राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश एसजीएसटी संग्रह आईजीएसटी का एसजीएसटी भाग कुल
जम्मू एवं कश्मीर 234 429 663
हिमाचल प्रदेश 233 285 518
पंजाब 727 1138 1865
चंडीगढ़ 57 133 190
उत्तराखंड 415 210 625
हरियाणा 1610 1256 2866
दिल्ली 1221 1606 2827
राजस्थान 1380 1819 3199
उत्तर प्रदेश 2751 3426 6176
बिहार 718 1469 2187
सिक्किम 30 53 83
अरुणाचल प्रदेश 37 113 150
नगालैंड 18 70 88
मणिपुर 23 58 80
मिजोरम 22 57 79
त्रिपुरा 40 86 125
मेघालय 50 99 149
असम 451 696 1146
पश्चिम बंगाल 1953 1531 3483
झारखंड 721 330 1051
ओडिशा 1300 416 1716
छत्तीसगढ़ 627 382 1009
मध्य प्रदेश 1045 1581 2626
गुजरात 3293 1917 5210
दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव 56 29 85
महाराष्ट्र 7958 4167 12124
कर्नाटक 3181 2650 5831
गोवा 173 146 320
लक्षद्वीप 2 13 14
केरल 1093 1441 2534
तमिलनाडु 3300 2119 5419
पुदुचेरी 41 57 99
अंडमान व निकोबार द्वीप समूह 11 25 37
तेलंगाना 1623 1722 3345
आंध्र प्रदेश 1199 1556 2755
लद्दाख 11 47 58
अन्य क्षेत्र 19 55 75
कुल योग 37623 33188 70811

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सहकारी आंदोलन की अग्रणी संस्था कानपुर क्रय विक्रय सहकारी समिति लिमिटेड के निर्वाचन की घोषणा

कानपुर सहकारी आंदोलन की अग्रणी संस्था कानपुर क्रय विक्रय सहकारी समिति लिमिटेड के निर्वाचन का क्रियान्वन घोषणा निर्वाचन अधिकारी दिग्विजय सिंह जिला उद्यान अधिकारी ने भाजपा के राहुल सिंह को सभापति श्रीमती श्वेता सिंह को उप सभापति घोषित किया तथा संचालक सर्वश्री ज्ञान पाल सिंह अभिलाष कुमार त्रिपाठी जयराम रोहित कुमार उमेश कुमार निषाद सुमन लता सिंह प्रताप सिंह रामचंद्र भारती नीरज सिंह को निर्वाचित घोषित किया निर्वाचन में सभापति हेतु राहुल सिंह ने अपने प्रतिद्वंदी  प्रताप सिंह को 5 वोटों से पराजित किया तथा उपसभापति में  श्वेता सिंह ने भी रामचंद्र भारती को 5 मतों से हराया निर्वाचन की घोषणा होते ही राहुल सिंह के कैंप व  श्वेता सिंह के कैंपों में खुशी की लहर दौड़ गई लोगों ने मालाओं से लाद दिया की जबकि नामांकन ज्ञातव्य हो ‌ कि जब नामांकन में प्रत्याशी सहित दो संचालकों के और हस्ताक्षर होते हैं कुल 3 मत की जगह दो मत ही मिले लगता है कि प्रस्तावक या समर्थक में कोई एक मत जो राहुल सिंह व श्वेता सिंह को प्राप्त हुआ!. ‌ ‌‌‌उक्त निर्वाचन में सहकारिता आंदोलन के खाटी नेता सुरेश गुप्ता की अहम भूमिका रही उक्त निर्वाचन के समय श्री अजय प्रताप सिंह चेयरमैन जिला सहकारी फेडरेशन शिव हर्षवर्धन सिंह शिव मोहन सिंह ए.पी.सिंह भदोरिया गंगाराम शर्मा पुष्पेंद्र सिंह आदित्य तिवारी संजय सिंह सत्यम सिंह संदीप गुप्ता शिवनाथ कुरील रमाशंकर अग्रहरि आदि प्रमुख थे

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