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जब तक हम इजाज़त न दे कोई “डर “हमें छू भी नहीं सकता।

क्यो डरते हो, किससे डरते हो और किस लिए।जब तक हम इजाज़त न दे कोई “डर “हमें छू भी नहीं सकता।हर डर का कारण ही “मोह” है अगर “मोह “को ही हटा दिया जाये तो सोचो ..दोस्तों ज़िन्दगी क्या होगी।
कई बार हम सोचते है मेरा घर परिवार, औलाद ,धन ,व्यापार ,मेरा वैभव ,मेरी गाड़ी ये सब मेरा है हम ही इसके स्वामी है ।
अगर देखा जाये तो ये हमारा ही इक तरफ़ा मोह होता है ।
ये सब दुनियावी चीज़ें ..
“हमारे लिए बहुत अहमियत रखते है।क्या वाक़ई में हम भी उनके लिए उतने ही अहम है ये सरासर हमारा वहम है”।
घर आज मेरा ,कल किसी और का होगा।आज चमचमाती महँगी गाड़ी हमारे घर के बाहर खड़ी है हम कहते है ये मेरी गाड़ी है
मगर सोचो दोस्तों !
जब इक रोज़ गाड़ी चोरी हो जाये तो दुख किसे हुआ आप को या गाड़ी को।आप को हुआ न,ये हमारा इक तरफ़ा मोह या लगाव ही था।यही हमे तंग करता है ।आप तो उसके मालिक थे।आप ने ही तो उसे ख़रीदा था मगर वो तो चुपचाप चोरों के साथ चली गई बिना बताए ,आप से इजाज़त भी नहीं ली।ऐसे ही ज़ेवर व्यापार मान सम्मान जो हमने ही बनाये होते है कई बार हमारे ही सामने हमारे हाथों से निकल कर दूसरे के हो जाते है।
दुनिया की ये मैटिरियल चीज़ें है हमें सुविधा तो दे सकती हैं मगर आनन्द नहीं दे सकती और हम सब अन्धाधुन्ध इन्हीं के पीछे भाग रहे हैं।इन्हीं को ही जुटाने में लगे हैं जो आज तक किसे के नही हुए।
अगर सच मे मालिक बनना चाहते हो तो अच्छे विचारों और अच्छे दिल के बने। वहाँ पर आप की मलकियत हमेशा बनी रहेंगी ।
दोस्तों!
इक बार इक मां बेटी किसी गाँव मे रहते थे।उसकी बेटी कई सालों से बीमार चल रही थी।डाक्टरों ने हर इलाज किया मगर कोई सुधार नही हो रहा था।माँ बेटी का बहुत प्यार था।हर वक़्त कहती!
हे भगवान !ये ठीक हो जाये इसकी जगह मुझे उठा लो। इक रात को कही से किसी का बैल खूँटी से छूट कर इधर-उधर भाग रहा था।कही पर बैल ने इक देग मे मुँह डाला तो उसके सींग उसमे फँस गये।देग नीचे से काली जली हुई थी।सींग फँसने पर बैल और भी घबरा कर इधर-उधर भागते भागते उस मां के दरवाज़े पर आ पहुँचा।माँ ने देख कर सोचा कि मौत का फ़रिश्ता आया है मेरी बेटी को लेने के लिये है।माँ डर गई और झट से हाथ जोड़ बोली,मै तो भली चंगी हूँ अभी जिस को लेने आये हो वो अन्दर कमरे मे लेटी हुई है।
दोस्तों ।
जब कभी रिश्तों में भी ऐसी स्थिति आती है तो पता लगता है कि हम वाक़ई मे किसी के लिए कितने अहम है माँ और बेटी का रिश्ता कितना गहरा होता है मगर जब वक़्त आया तो सब बदल गया ।
हम सोचते है हमारी बहुत अहमियत है किसी की ज़िन्दगी मे, मगर असलियत कुछ और ही निकलती है।
इक लड़का बहुत प्यार करता है इक लड़की से।इक दूजे के बग़ैर रह भी नही पाते।साथ रहने की ,साथ मरने की ,जन्मों जन्मों की क़समें खाते है मगर कई बार घर वालो के दवाब के कारण या कारण कोई भी हो सकता है या उन्हें कोई और आप से बेहतर रिश्ता मिल जाये तो अहमियत सामने आ ही जाती।वहाँ बहुतों का प्यार धरा का धरा रह जाता है …या अगर कोई पंडित जी कुंडली देख कर ये कह दे ,की अगर इन दोनों की शादी हो गई तो घर का सारा धन ,शोहरत ,व्यापार सब खतम हो जायेगा।ऐसी स्थिति मे भी लोग सब भूल कर रिश्ता तोड देते है।यहाँ पर भी हम इक वहम ही पाल कर बैठे होते है।
आज लोग रिश्ते बनाते हैं अपनी ज़रूरतों के हिसाब से।सच्चा प्यार तो किसी विरले शख़्स को ही मिल पाता है ।रिश्ते आज तराज़ुओं में तोले जाते है जो बहुत दुख की बात है।जैसे रिश्तो का बाज़ार लगा हो।ये नहीं तो और सही।ऐसे माहौल मे कोई कैसे सकून से रह सकता है। दोस्तों संसार कभी किसी का न हुआ ,न ही हो सकता है।
किसी पर भी अपना आधिपत्य न समझे, न ही जमाये ।
सुख से रहना है तो संसार मे निर्लेप हो कर रहे ,क्योंकि यहाँ हर कदम पर ,कोई आयेगा कोई जायेगा।अगर मोह मे रहेंगे तो दुख तकलीफ़ बैचेनी हमीं को होगी किसी और को नही। जुड़ाव दुख का कारण है जितना जितना लगाव होगा,उतना ज़्यादा दुख।
दोस्तों !आप सब समझदार है। रिश्तों मे इक बैलेंस बनाये।आज कहीं न कहीं रिश्तों मे बहुत अनिश्चितता है।जो लोगों को डिप्रेशन की ओर ले जा रही है।खुद पर नियंत्रण रखे।बंधन किसी को भी प्यारा नही।हर कोई ख़ुश रहना चाहता है।किसी को बांधने की कोशिश न करे।दूसरो को अहमियत दे मगर उतनी ,जितने के वो हक़दार है। कुछ लोग देना नही जानते .. सिर्फ़ लेना ही जानते है चाहे वो आप के अल्फ़ाज़ हो ,आप का वक़्त हो ,आप का प्यार हो ,आप की वफ़ा हो ,या फिर आप की निष्ठा हो।
दोस्तों।
अपने बहुमूल्य भावों को वही समर्पित करें जहां लोग इसकी क़दर करें ।उस की अहमियत समझे
🙏 स्मिता