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ख्वाहिशों के दौर में सुकून कहां

भारतीय स्वरूप 3 january, वक़्त बहुत तेज़ी से भाग रहा है और हम सब वक़्त के साथ भाग रहे है ,अपनी अपनी आकांक्षाओं के पीछे।
ये बात इश्क़ की हो, मोह की हो,या कोई दुनियावी लगाव,या हो सकता है कोई ख़ास इच्छा जिसको पाने के लिए हम सब पल पल मर रहे होते ख़ुवाईशो के इस दौर में ,कौन है ? जो आज ख़ुशी से रह पा रहा है।सुकून से जी पा रहा है।इतनी भागदौड़ करने के बाद भी सन्तोष ..तो कहीं भी नहीं नज़र नही आता। जैसे बाज़ार तो लगा हुआ हैअभिलाषाओं का, ख़ुवाईशो का ,आकांक्षाओं का..मगर उन्हें ख़रीद पाना..हर किसी के बस मे नहीं। जो होता है हमारे पास,उसकी क़दर नहीं ,कुछ और ,कहीं और ,ख़ुशी ढूँढने में लगे हैं सभी। दोस्तों !अगर कुछ और मिल भी जाये तो भी ख़ुवाईशे कहाँ ख़त्म होगी।हम सब रोज़ देख ही रहे हैं अपने आसपास।बहुत कुछ टूटा बहुत कुछ रूठा बहुत मिले ..बहुत गये .,बहुत बिछड़े भी ,इस गुजरते हुये सालों मे।वक़्त ने करवट ली और बहुतो के घर बने और बहुतों के उजड़ भी गये वक़्त है साहेब बदलेगा भी। हर हाल मे हमे मुस्कुराना है ..हर पल हमे ज़िन्दादिली से निभाना है।दोस्तों नया साल ,नया आग़ाज़ होगा, नया अंदाज़ होगा ,हर हाल मे ख़ुश रहने का नया अंदाज़ अपनाना होगा ,हर बात मे शुक्र करे क्यूँकि बहुत लोग तरसते है वो जीवन जीने के लिए,जो आप जी रहे है ..
दुनिया की कोई भी ताक़त आप को परेशान नही कर सकती ।किसी को खोने का दर्द ,किसी चीज़ को न पा सकने का गम।अगर दिल से ये दर्द ही निकल जाये तो यक़ीनन ज़िन्दगी बहुत ख़ुशनुमा हो सकती है बहुत कुछ हालात हमने ही खुद अपने लिए चुने होते है
दुख या डिप्रेशन के अहसास को अपनी इजाज़त के बग़ैर,अपने दिल मे कभी भी न पनपने दे .. “दिल “आप के बस मे हो ,न की “आप “दिल के बस मे हो ..कभी कभी दिल बहुत तकलीफ़ में होता है और तकलीफ़ देने वाला भी कोई और नही हमारे ही दिल मे होता है।वो कोई भी हो सकता है हमारे हालात ,हमारी खुवाईशे हमारी कमज़ोरियाँ ,हमारी खुद की आदतें।वो सब चीजे जो हमे तंग करती है उनमे से आप खुद ही,खुद को बाहर निकाल सकते है दूसरा और कोई नही।
दोस्तों कभी कभी खुद से बात किया करें अपने आप से भी हमें माफ़ी माँगनी चाहिए क्योंकि हम ही अक्सर खुद अपना दिल दुखा देते हैं किसी और को ख़ुश करते करते।कई रिश्तों को निभाते निभाते हम खुद ही टूट रहे होते है ।तो क्या बेहतर नही उन रिश्तों का टूट जाना,जिनसे आप अन्दर ही अन्दर टूट रहे होते है।
ख़ुद के लिये हम ही ऐसे हालात पैदा कर लेते हैं जिसकी वजह से हम अपनी ख़ुशी के मालिक हम न रह कर ..दूसरे के हाथों में दे देते हैं और फिर कोई भी हमारे लिये सजाये मुक़र्रर कर देता है। हमारी हंसी ,हमारी गमी ,दूसरों के व्यावहार पर निर्धारित हो जाती
है।ये कोई और नहीं करता हम ख़ुद ही उसे ऐसा करने की इजाज़त देते हैं।
आने वाले नये वर्ष में विचारे और सोचे कि आप को क्या करना है ।छोटी छोटी बातों के लिये उदास या डिप्रेशन मे जाना है या इक फ़ौजी की तरह हर हालात मे आगे बढ़ना है अपने दिल और दिमाग मे जो अव्यवस्था या हलचल है उसे परखे उसे शान्त करे या बाहर निकाल फेंके ।खुद मे नई ऊर्जा से भरीये।हँसिये हसांये..कुछ नये संकल्प ,कुछ नये लक्ष्य, कुछ नया ,कुछ अलग से जिससे आप भी सकून से रहे और दूसरे भी।हर समस्या का हल हमारे ही पास है आज नये साल मे हम सब को अपनी नाकारातमक ऊर्जाओं को सकारात्मक ऊर्जाओं मे बदलना है अपनी सकारात्मक ऊर्जा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड मे भेजनी है यही इस वक़्त सारे विश्व के कल्याण के लिये आवश्यक है नये वर्ष की ढेरों शुभ कामनाओं के साथ आप की अपनी दोस्त 🙏 स्मिता