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हमें ही सोचना है कि हमें क्या माँगना है।

हमारी हर ख्वाहिश पूरी होती है आज नही तो कल, ये कुदरत का नियम है। इसीलिए विवेकशील लोग कहते है।अपनी ख्वाहिश करते समय ज़रा सावधान रहे।इच्छा तो सब पूरी होगी हमें ही सोचना है कि हमें क्या माँगना है।
इक बार किसी ने मुझ से कहा कि उन्हें इक डर रहता है वो अकसर सोचते है कि इस जन्म मे हमे बहुत कुछ मिला।मान सम्मान ,पैसा ऐश्वर्य ,अच्छी सेहत ,अच्छा घर अच्छे बच्चे ,मगर आगे क्या होगा ?पता नही हम कहा जन्म लेंगे ?कही हम दोबारा किसी ग़रीब के यहाँ पैदा न हो जाये।कही हम किसी रोग से ग्रसित न हो जाये।वग़ैरह वग़ैरह तरह तरह के नाकारातमक विचारों से घिरें रहते है ।
मेरे विचार से हमारा सिर्फ़ अपने करमो पर या हम किस तरह से चीजों को देखते है हमारी वाणी पर और विचारों पर ही इख़्तियार है बाकि सब तो अपने आप ही होता चला जाता है आप इस तरह न सोच कर पाजीटिव ,ऊँचे,सुविचार ही सोचे अच्छा करम ही करे तो सब आगे भी अच्छा ही रहेगा ।
हमारे विचारों से बहुत शक्तिशाली चुम्बकीय तरंगे निकलती है और उन के ज़रिये ही हम अच्छा या बुरा अपनी ओर आकर्षित करते है।जो हम सोचते है वही फलने फूलने लगता है अगर पहले ही कह दिया जाये कि ये नही होगा या हो ही नहीं सकता तो यकीन मान कर चले वो नहीं होगा।
विपरीत इसके,हालात कैसे भी हो मगर बोलना अच्छा ही चाहिए और हमेशा ये ही कहना चाहिए..कि ये होगा ही होगा।मुझे करना ही है।दुनिया की कोई ताक़त मुझे रोक नहीं सकती।दोस्तों!
इक बात शेयर करना चाहूँगी।
ये सच पर आधारित भी है।
इक बार दो दोस्त अपने गुरू जी के पास जा रहे थे रास्ते में गली से गुजरते हुए उन्हें इक घर दिखा।जो बहुत ही सुन्दर था।उनमें से एक लड़का जो साफ़ मन,सुन्दर चित का स्वामी था ,जो सब मे अच्छाई ही देखता था हालाँकि बेहद गरीब था।मुश्किल से रोज़मर्रा की ज़रूरतें ही पूरी कर पाता था। कहने लगा !वाह !
कितना सुन्दर किसी का महल है जैसे किसी राजा का हो ।
मैं कल्पना कर सकता हूँ कि भीतर से भी घर बहुत ही सुन्दर होगा। आज तो मन बहुत ख़ुश हो गया।
वाह वाह ! क्या नजारा होगा ।
ये कह कर वो एक मीठी मुस्कान और असीम श्रद्धा से भर गया। उसके चेहरे से लग रहा था जैसे उसका रोम रोम खिल उठा हो।
दूसरी तरफ़ दूसरा दोस्त वो मध्यम वर्ग के परिवार से ताल्लुक़ रखता था।काम भी ठीक ठाक था।
कहने लगा !छोड़ो यार !
ऐसे लाले बहुत देखे हैं ।जो बेईमानी से धन कमाते हैं ।
बात करते करते गुरू जी का घर भी आ गया। गुरू जी को प्रणाम किया और दोनों बैठ गए।
गुरू जी ने बड़े प्यार से उन्हें देखा
और पूछा !सब ठीक तो है घर मे?
रास्ते में कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई ?दोनों को बड़े प्यार से अपने पास बिठा लिया।वो लड़का जो सच्चे मन का स्वामी था ,बोला !
गुरू जी यहाँ आते आते रास्ते में इक घर देखा।
वाह वाह !! क्या महल था !
मैं तो सोच रहा था जैसे किसी राजा का महल देख लिया हो।उसके खिड़की दरवाज़े देखने लायक़ थे बड़े बड़े गेट ,गमलों की क़तारें और फुववारा तो सच मे देखने लायक़ था गुरूजी ।
उत्तेजित हो कर अपनी धुन मे बोले ही जा रहा था।
कहने लगा !गुरू जी !
यू आभास हो रहा था जैसे उस घर के अंदर इक बड़ी सी खाने की मेज़ होगी।सोने चाँदी के बरतनो से सजी हुई।इक लाला जी वहाँ अपने बेटों के साथ बैठे खाना खा रहे होंगे और बहुयें खाना परोस रही होगीं ।
आ हा हा !
पूरा घर पोते पोतियों की हंसी से गूंज रहा होगा।
गुरू जी !आज तो आनन्द आ गया।वाह वाह !क्या घर था।
गुरू जी उस की मन की स्थिति को देख मुस्कुराये और उसका हाथ अपने हाथ मे ले लिया।
दूसरे लड़के ने भी अपने विचार कह डालें जो उसने महसूस किया।कि ऐसे लोग कैसे लोगों को लूट कर धन इकट्ठा करते हैं फिर किस तरह अस्पतालो में रोगों से मरते है फिर कैसे रो रो कर अकेले ही ज़िन्दगी गुज़ार देते है।अंत में न तो पैसा ही इनके काम आता है न ही परिवार ।सब छोड़ जाते हैं इन्हें।
वग़ैरह वग़ैरह !अपनी ही धुन मे नेगेटिव बातें कहता ही जा रहा था।
ऐसी बातें कह रहा था जिसको सुनने मात्र से भी मन अशांत हो जाये।
गुरूजी शांत मन से मुस्कुराये।दोनों के सिर पर हाथ रख दिया और लम्बी गहरी साँस ले कर उस लड़के को ,जो सब में अच्छाई ही देखता था कहने लगें! बेटा जैसे तुम सोच रहे हो ,जो तुम ने महसूस किया।जिस को देख कर तुम इतने आनंदित हुए हो,तुम्हारे लिए ये
सब कभी न कभी,आज नहीं तो कल,ज़रूर फलीभूत होगा ही होगा
दूसरे लड़के को देख कर कहने लगे बेटा !जो तुमने देखा ,महसूस किया या बता रहे हो।कभी न कभी आज नहीं तो कल ,तुम्हारे साथ भी वैसा ही होगा।तुम भी ऐसे ही पैसा कमाओगे।ऐसी ही दशा में खुद को पाओगे।
कहने का भाव ये है हमारी सोच कितनी साफ़ सुथरी और बड़ी होनी चाहिए इसका अन्दाज़ा आप खुद ही लगा सकते है।हमारी इक सोच हमारी जीवन शैली को बिगाड़ या बना सकती हैं ।हर बात को नाप तोल कर ही बोले अन्यथा नही बोले।तभी तो कहा जाता रहा है कि हम अपनी ही सोच और करमो से अपने भावी जीवन का निर्माण करते है ।
दोस्तों ! हमें कैसे और क्या बोलना
चाहिए ।ये फ़ैसला मैं आप पर ही छोड़ती हूँ ।आप सब बेहद समझदार है 🙏और मुझ से कहीं बेहतर मन के स्वामी भी 🙏🙏 स्मिता