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नए ऊंचाईंयां को छू रही है पीएलआई योजना

भारत का विनिर्माण क्षेत्र एक बदलावकारी यात्रा की राह पर है, जिसका मकसद दूरदर्शी नीतियों के माध्यम से वैश्विक जगत में अपनी मौजूदगी दर्ज करना है.  इस विकास का केंद्रबिंदु उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना है, जो नवाचार को बढ़ावा देते हुए, दक्षता में वृद्धि करते हुए, और महत्वपूर्ण उद्योगों में प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देते हुए देश को एक अग्रणी वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के सरकार के साहसिक दृष्टिकोण की आधारशिला है।

पीएलआई योजना ने निवेश, उत्पादन और रोजगार सृजन के मामले में शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं। अगस्त 2024 तक 14 क्षेत्रों में 1.46 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप 12.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक का क्रमागत उत्पादन/बिक्री , 9.5 लाख से अधिक रोजगार सृजन और 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात हुआ है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। वित्त वर्ष 2022-23 और वित्त वर्ष 23-24 के दौरान क्रमशः 8 क्षेत्रों में 2,968 करोड़ रुपये और 9 क्षेत्रों में 6,753 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया गया।

2020 में शुरू की गई पीएलआई योजना सिर्फ़ एक नीति ही नहीं है बल्कि यह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक रणनीतिक छलांग है। आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल के दृष्टिकोण के साथ तैयार की गई पीएलआई योजना विनिर्माण की रीढ़ को मज़बूत करने, आयात पर निर्भरता कम करने और विकास को स्थिरता के साथ संतुलित करने का प्रयास करती है। यह उत्पादन उत्कृष्टता में अग्रणी होने, नवाचार को बढ़ावा देने और एक संपन्न औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के राष्ट्र के संकल्प को रेखांकित करती है जो स्थानीय प्रगति और वैश्विक प्रतिस्पर्धा दोनों को शक्ति प्रदान करती है। भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाने के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं की घोषणा की गई है । ये 14 क्षेत्र हैं:

  1. मोबाइल विनिर्माण और निर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट,
  2. महत्वपूर्ण प्रमुख शुरूआती सामग्री/ड्रग इंटरमीडियरीज एंड एक्टिव
  3. चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण
  4. ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट
  5. फार्मास्यूटिकल्स ड्रग्स
  6. स्पेशलिटी स्टील
  7. दूरसंचार एवं नेटवर्किंग उत्पाद
  8. इलेक्ट्रॉनिक/ प्रौद्योगिकी उत्पाद
  9. व्हाइट गुड्स(एसी और एलईडी)
  10. खाद्य उत्पाद
  11. वस्त्र उत्पाद: एमएमएफ सेगमेंट और टेक्निकल टेक्सटाइल्स
  12. उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल
  13. उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी
  14. ड्रोन और ड्रोन कंपोनेंट।

पीएलआई योजनाओं में उत्पादन को बढ़ावा देने, विनिर्माण गतिविधियों में वृद्धि करने और अगले पांच वर्षों में आर्थिक विकास में योगदान करने की क्षमता है। अभी तक, 14 क्षेत्रों में पीएलआई योजनाओं के तहत 764 आवेदनों को मंजूरी दी गई है। इन 764 में से, खाद्य उत्पाद क्षेत्र 182 मंजूरी के साथ शीर्ष पर बना हुआ है, इसके बाद ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट क्षेत्र 95 मंजूरी के साथ दूसरे स्थान पर है। कपड़ा उत्पाद: एमएमएफ सेगमेंट और टेक्निकल टेक्सटाइल्स के लिए 74 आवेदन स्वीकृत हुए  है जबकि, स्पेशलिटी स्टील के लिए67 प्रस्ताव मंजूर हुए हैं  और व्हाइट गुड्स (एसी और एलईडी) के लिए 66 आवेदन मिल चुके हैं।इसके अतिरिक्त, महत्वपूर्ण प्रमुख शुरूआती सामग्री/ड्रग इंटरमीडियरीज एंड एक्टिव दवा सामग्री जैसे क्षेत्रों के लिए51 कोफार्मास्युटिकल ड्रग्स के लिए 5, दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए42, ड्रोन और ड्रोन घटकों जैसे उभरते क्षेत्रों के लिए23, उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के लिए 14 और उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी के लिए4 को मंजूरी मिली है। मंजूरी में विविधता भविष्य के लिए तैयार उद्योगों पर योजना के फोकस को उजागर करती है, जो वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए इसके व्यापक दृष्टिकोण को रेखांकित करती है।

निष्कर्ष निकाला जाए तो पीएलआई योजना मुख्य रूप से एमएसएमई क्षेत्र के भीतर मूल्य श्रृंखलाओं में सहायक इकाइयों के विकास को बढ़ावा देकर भारत के एमएसएमई पारिस्थितिकी तंत्र पर व्यापक प्रभाव डालने के लिए पूरी तरह तैयार है। आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के साथ, पीएलआई योजना न केवल औद्योगिक विकास को बढ़ावा दे रही है, बल्कि विनिर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता और वैश्विक अगुवाई करने का मार्ग भी प्रशस्त कर रही है।