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जुलाई 2023 के लिए सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1,65,105 करोड़ रुपये रहा; वर्ष-दर-वर्ष 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई

जुलाई, 2023 महीने में संग्रह किया गया सकल जीएसटी राजस्व 1,65,105 करोड़ रुपये रहा है, जिसमें सीजीएसटी 29,773 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 37,623 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 85,930 करोड़ रुपये (वस्तुओं के आयात पर एकत्र 41,239 करोड़ रुपये सहित) और उपकर 11,779 करोड़ रुपये है (वस्तुओं के आयात पर संग्रहित 840 करोड़ रुपये सहित) रहा है।

सरकार ने आईजीएसटी से सीजीएसटी में 39,785 करोड़ रुपये और एसजीएसटी को 33,188 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। नियमित भुगतान के बाद जुलाई 2023 महीने में केंद्र और राज्यों का कुल राजस्व सीजीएसटी के लिए 69,558 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के लिए 70,811 करोड़ रुपये है।

जुलाई 2023 महीने का राजस्व पिछले साल के इसी महीने में प्राप्त जीएसटी राजस्व से 11 प्रतिशत अधिक है। इस मास के दौरान, घरेलू लेनदेन (सेवाओं के आयात सहित) से प्राप्त राजस्व पिछले वर्ष के इसी महीने के दौरान इन स्रोतों से प्राप्त राजस्व से 15 प्रतिशत अधिक है। ऐसा पांचवीं बार है, जब सकल जीएसटी संग्रह 1.60 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है।

नीचे दिया गया चार्ट चालू वर्ष के दौरान मासिक सकल जीएसटी राजस्व में आए रुझान को दर्शाता है। तालिका-1 जुलाई 2022 की तुलना में जुलाई 2023 के महीने के दौरान प्रत्येक राज्य में संग्रहित जीएसटी के राज्य-वार आंकड़े दर्शाती है और तालिका-2 जुलाई 2023 में राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों को प्राप्त/भुगतान किए गए आईजीएसटी के एसजीएसटी और एसजीएसटी हिस्से को दर्शाती है।

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जुलाई 2023 के दौरान जीएसटी राजस्व की राज्यवार वृद्धि [1] (करोड़ रुपये में)

राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश जुलाई’22 जुलाई’23 विकास(प्रतिशत)
जम्मू एवं कश्मीर 431 549 27
हिमाचल प्रदेश 746 917 23
पंजाब 1733 2000 15
चंडीगढ़ 176 217 23
उत्तराखंड 1390 1607 16
हरियाणा 6791 7953 17
दिल्ली 4327 5405 25
राजस्थान 3671 3988 9
उत्तर प्रदेश 7074 8802 24
बिहार 1264 1488 18
सिक्किम 249 314 26
अरुणाचल प्रदेश 65 74 13
नगालैंड 42 43 3
मणिपुर 45 42 -7
मिजोरम 27 39 47
त्रिपुरा 63 78 23
मेघालय 138 175 27
असम 1040 1183 14
पश्चिम बंगाल 4441 5128 15
झारखंड 2514 2859 14
ओडिशा 3652 4245 16
छत्तीसगढ़ 2695 2805 4
मध्य प्रदेश 2966 3325 12
गुजरात 9183 9787 7
दमन और दीव 313 354 13
दादरा और नगर हवेली
महाराष्ट्र 22129 26064 18
कर्नाटक 9795 11505 17
गोवा 433 528 22
लक्षद्वीप 2 2 45
केरल 2161 2381 10
तमिलनाडु 8449 10022 19
पुदुचेरी 198 216 9
अंडमान व निकोबार द्वीप समूह 23 31 32
तेलंगाना 4547 4849 7
आंध्र प्रदेश 3409 3593 5
लद्दाख 20 23 13
अन्य क्षेत्र 216 226 4
केंद्र क्षेत्राधिकार 162 209 29
कुल योग 106580 123026 15
[1] इसमें माल के आयात पर जीएसटी शामिल नहीं है

जुलाई‘ 2023 में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को भुगतान किए गए आईजीएसटी के एसजीएसटी और एसजीएसटी हिस्से की राशि (करोड़ रुपये में)

राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश एसजीएसटी संग्रह आईजीएसटी का एसजीएसटी भाग कुल
जम्मू एवं कश्मीर 234 429 663
हिमाचल प्रदेश 233 285 518
पंजाब 727 1138 1865
चंडीगढ़ 57 133 190
उत्तराखंड 415 210 625
हरियाणा 1610 1256 2866
दिल्ली 1221 1606 2827
राजस्थान 1380 1819 3199
उत्तर प्रदेश 2751 3426 6176
बिहार 718 1469 2187
सिक्किम 30 53 83
अरुणाचल प्रदेश 37 113 150
नगालैंड 18 70 88
मणिपुर 23 58 80
मिजोरम 22 57 79
त्रिपुरा 40 86 125
मेघालय 50 99 149
असम 451 696 1146
पश्चिम बंगाल 1953 1531 3483
झारखंड 721 330 1051
ओडिशा 1300 416 1716
छत्तीसगढ़ 627 382 1009
मध्य प्रदेश 1045 1581 2626
गुजरात 3293 1917 5210
दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव 56 29 85
महाराष्ट्र 7958 4167 12124
कर्नाटक 3181 2650 5831
गोवा 173 146 320
लक्षद्वीप 2 13 14
केरल 1093 1441 2534
तमिलनाडु 3300 2119 5419
पुदुचेरी 41 57 99
अंडमान व निकोबार द्वीप समूह 11 25 37
तेलंगाना 1623 1722 3345
आंध्र प्रदेश 1199 1556 2755
लद्दाख 11 47 58
अन्य क्षेत्र 19 55 75
कुल योग 37623 33188 70811

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज में सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान के अंतर्गत सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा अर्थात सड़क सुरक्षा पखवाड़ा आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, विगत दिवस दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर में सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान के अंतर्गत महाविद्यालय में गठित किए गए रोड सेफ्टी क्लब तथा राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के संयुक्त तत्वाधान में रोड सेफ्टी क्लब की प्रभारी डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में *सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा अर्थात सड़क सुरक्षा पखवाड़े* के समापन 31 जुलाई, 2023 के अवसर पर छात्राओं के द्वारा निबंध लेखन व पोस्टर प्रतियोगिता, जन-जागरण रैली एवम् शपथ का आयोजन किया गया। जन–जागरण हेतु वॉलिंटियर्स के द्वारा महाविद्यालय के बाहर एवं मर्चेंट चेंबर चौराहे पर आने जाने वाले यात्रियों, वाहन चालको, विशेष रुप से ई- रिक्शा चालक को रोककर
रोड सेफ्टी तथा यातायात के नियमों के बारे में अवगत कराया गया ताकि दिन-प्रतिदिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सके तथा ट्रैफिक जाम की समस्या को भी समाप्त किया जा सके। छात्राओं के द्वारा जनसामान्य को रोड एक्सीडेंट के समय बरतने वाली सुविधाओं व किए जाने वाले प्राथमिक उपचार के बारे में भी बताया गया। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो अर्चना वर्मा ने रैली को झंडी दिखाकर रवाना किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय कार्यालय अधीक्षक कृष्णेंद्र कुमार श्रीवास्तव, प्रो मधुरिमा, डॉ अंजना श्रीवास्तव आदि प्राध्यापिकाओं का विशेष योगदान रहा।

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वीर शहीद पुरुषों और महिलाओं के सम्मान में ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान शुरू किया जाएगा: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री मोदी ने लोकप्रिय कार्यक्रम ‘मन की बात’ के दौरान देश के लोगों को अपने संबोधन में हमेशा देश के खूबसूरत सांस्कृतिक ताने-बाने को प्रमुखता दी है और बताया है कि विविधता भी एक एकीकृत शक्ति के रूप में कैसे काम करती है। मन की बात के अपने नवीनतम संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत महोत्सव की गूंज और 15 अगस्त करीब आने के बीच, देश में एक और महान अभियान शुरू होने की कगार पर है। हमारे वीर शहीपुरुषों और महिलाओं के सम्मान में ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान शुरू किया जाएगा।

उन्होंने यह भी बताया, “इसके तहत हमारे अमर शहीदों की याद में देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। इन विभूतियों की स्मृति में देश की लाखों ग्राम पंचायतों में विशेष शिलालेख भी लगाये जायेंगे। इस अभियान के तहत देशभर में ‘अमृत कलश यात्रा’ भी आयोजित की जाएगी।”

उन्होंने कहा कि यह ‘अमृत कलश यात्रा’ देश के कोने-कोने से 7500 कलशों में मिट्टी लेकर देश की राजधानी दिल्ली पहुंचेगी। यह यात्रा अपने साथ देश के विभिन्न हिस्सों से पौधे भी लेकर आएगी। 7500 कलशों में आने वाली मिट्टी और पौधों को मिलाकर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के पास ‘अमृत वाटिका’ बनाई जाएगी। ये ‘अमृत वाटिका’ एक भारत-श्रेष्ठ भारत का भी भव्य प्रतीक बनेगी।

एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के जुड़ाव की अवधारणा के माध्यम से विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लोगों के बीच बातचीत और आपसी समझ को बढ़ावा देना है।

अमृत सरोवरों के बारे में बोलते हुए श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि बारिश का यह चरण ‘वृक्षारोपण’ और ‘जल संरक्षण’ के लिए महत्वपूर्ण है। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के दौरान बने 60 हजार से ज्यादा अमृत सरोवर उदहारणस्वरुप हैं। वर्तमान में 50 हजार से अधिक अमृत सरोवरों के निर्माण का कार्य चल रहा है। हमारे देशवासी पूरी जागरूकता और जिम्मेदारी के साथ ‘जल संरक्षण’ के लिए नये प्रयास कर रहे हैं।

भविष्य की पीढ़ी के लिए जल संचयन और संरक्षण के उद्देश्य से 24 अप्रैल 2022 को मिशन अमृत सरोवर शुरू किया गया है। मिशन अमृत सरोवर की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-

  • मिशन अमृत सरोवर ग्रामीण विकास मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और तकनीकी संगठनों की भागीदारी के साथ “संपूर्ण सरकार” के दृष्टिकोण पर आधारित है।
  • मिशन के तहत देश के हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवरों का निर्माण या कायाकल्प किया जाएगा।
  • प्रत्येक अमृत सरोवर में कम से कम 1 एकड़ का तालाब क्षेत्र होगा और लगभग 10,000 घन मीटर जल धारण क्षमता होगी।
  • प्रत्येक अमृत सरोवर नीम, पीपल और बरगद आदि वृक्षों से घिरा होगा।
  • प्रत्येक अमृत सरोवर सिंचाई, मछली पालन, बत्तख पालन, सिंघाड़े की खेती, जल पर्यटन और अन्य गतिविधियों जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए पानी का उपयोग करके आजीविका सृजन का स्रोत होगा। अमृत सरोवर उस इलाके में एक सामाजिक मिलन स्थल के रूप में भी काम करेगा।
  • मिशन अमृत सरोवर आज़ादी का अमृत महोत्सव के दौरान किए गए कार्यों का एक सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।

कला और संस्कृति भारत की समृद्ध एवं विविध विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मन की बात के 103वें एपिसोड में भारत की समृद्ध विरासत के बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “आइए हम न केवल अपनी विरासत को अपनाएं, बल्कि इसे दुनिया के सामने जिम्मेदारी से पेश भी करें। और मुझे खुशी है कि ऐसा ही एक प्रयास इन दिनों उज्जैन में चल रहा है, यहां देशभर के 18 चित्रकार पुराणों पर आधारित आकर्षक चित्र कथा पुस्तकें बना रहे हैं। ये पेंटिंग कई विशिष्ट शैलियों जैसे बूंदी शैली, नाथद्वारा शैली, पहाड़ी शैली और अपभ्रंश शैली में बनाई जाएंगी। इन्हें उज्जैन के त्रिवेणी संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा।”

प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि प्राचीन काल से, हमारे धर्मग्रंथों और पुस्तकों को भोजपत्रों पर संरक्षित किया गया है। महाभारत भी भोजपत्र पर लिखा गया था। आज देवभूमि (उत्तराखंड) की महिलाएं भोजपत्र से बेहद खूबसूरत कलाकृतियां और स्मृति चिन्ह बना रही हैं। आज भोजपत्र के उत्पाद यहां आने वाले तीर्थयात्रियों को काफी पसंद आ रहे हैं और वे इसे अच्छे दामों पर खरीद भी रहे हैं। भोजपत्र की ये प्राचीन विरासत उत्तराखंड की महिलाओं के जीवन में खुशियों के नए रंग भर रही है।

प्रधानमंत्री ने इस बात का भी जिक्र किया कि पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पूरा देश ‘हर घर तिरंगा अभियान’ के लिए एक साथ आया था और कहा कि इसी तरह इस बार भी हमें हर घर पर तिरंगा फहराना है और इस परंपरा को जारी रखना है।

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प्रधानमंत्री महाराष्ट्र के पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित

प्रधानमंत्री को महाराष्ट्र के पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया प्रधानमंत्री मोदी को आज महाराष्ट्र के पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।Image लोकमान्य तिलक की विरासत का सम्मान करने के लिए तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट द्वारा 1983 में इस पुरस्कार की स्थापना गई थी। प्रधानमंत्री ने नकद पुरस्कार की धनराशि नमामि गंगे परियोजना को दान में दी।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर लोकमान्य तिलक की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने लोकमान्य तिलक को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि यह उनके लिए एक विशेष दिन है। इस अवसर पर अपनी भावनाओं के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि तथा अन्ना भाऊ साठे की जयंती है। प्रधानमंत्री ने कहा, “लोकमान्य तिलक जी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के ‘तिलक’ हैं।” उन्होंने समाज के कल्याण के लिए अन्ना भाऊ साठे के असाधारण और अद्वितीय योगदान को भी रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी, चापेकर बंधु, ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले की भूमि को श्रद्धांजलि दी। इसके पहले प्रधानमंत्री ने दगड़ूशेठ मंदिर में आशीर्वाद लिया।

प्रधानमंत्री ने आज लोकमान्य से सीधे जुड़े स्थान और संस्था द्वारा उन्हें दिए गए सम्मान को ‘अविस्मरणीय’ बताया। प्रधानमंत्री ने काशी और पुणे के बीच समानताओं का उल्लेख किया, क्योंकि दोनों स्थल ज्ञान-प्राप्ति के केंद्र हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कोई पुरस्कार प्राप्त करता है, तो उसकी जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं, विशेषकर जब पुरस्कार के साथ लोकमान्य तिलक का नाम जुड़ा हो। प्रधानमंत्री ने लोकमान्य तिलक पुरस्कार भारत के 140 करोड़ नागरिकों को समर्पित किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार उनके सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मदद करने में कोई कमी नहीं छोड़ेगी। प्रधानमंत्री ने नकद पुरस्कार की धनराशि नमामि गंगे परियोजना को दान करने के अपने फैसले की भी जानकारी दी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता में लोकमान्य तिलक के योगदान को कुछ शब्दों या कुछ घटनाओं तक सीमित नहीं किया जा सकता, क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम के सभी नेताओं और घटनाओं पर उनका स्पष्ट प्रभाव था। प्रधानमंत्री ने कहा, “यहां तक कि अंग्रेजों को भी उन्हें ‘भारतीय अशांति का जनक’ कहना पड़ता था।” श्री मोदी ने बताया कि लोकमान्य तिलक ने अपने ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ के दावे के साथ स्वतंत्रता संग्राम की दिशा बदल दी। तिलक ने अंग्रेजों द्वारा भारतीय परंपराओं को पिछड़ा बताने को भी गलत सिद्ध किया। प्रधानमंत्री ने याद किया कि महात्मा गांधी ने तिलक को आधुनिक भारत का निर्माता कहा था।

प्रधानमंत्री ने लोकमान्य तिलक की संस्था-निर्माण क्षमताओं को श्रद्धांजलि अर्पित की। लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल के साथ उनका सहयोग, भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक स्वर्णिम अध्याय है। प्रधानमंत्री ने तिलक द्वारा समाचार पत्रों और पत्रकारिता के उपयोग किये जाने को भी याद किया। ‘केसरी’ आज भी महाराष्ट्र में प्रकाशित होता है और पढ़ा जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “यह सभी लोकमान्य तिलक द्वारा मजबूत संस्था निर्माण के प्रमाण हैं।”

संस्था निर्माण से आगे बढ़ते हुए, प्रधानमंत्री ने तिलक द्वारा परंपराओं का पोषण किये जाने पर प्रकाश डाला और छत्रपति शिवाजी के आदर्शों का उत्सव मनाने के लिए गणपति महोत्सव तथा शिव जयंती की शुरुआत का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “ये आयोजन, भारत को एक सांस्कृतिक सूत्र में पिरोने तथा पूर्ण स्वराज की परिकल्पना से जुड़े अभियान भी थे। यह भारत की विशेषता रही है कि नेताओं ने स्वतंत्रता जैसे बड़े लक्ष्यों के लिए लड़ाई लड़ी और सामाजिक सुधार का अभियान भी चलाया।”

देश के युवाओं में लोकमान्य तिलक के विश्वास का जिक्र करते हुए, प्रधानमंत्री ने वीर सावरकर को मार्गदर्शन देने और श्यामजी कृष्ण वर्मा को सिफारिश करने को याद किया, जो लंदन में दो छात्रवृत्तियां चला रहे थे- छत्रपति शिवाजी छात्रवृत्ति तथा महाराणा प्रताप छात्रवृत्ति। पुणे में न्यू इंग्लिश स्कूल, फर्ग्यूसन कॉलेज और डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना इसी दृष्टिकोण के हिस्से हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “प्रणाली निर्माण से संस्था निर्माण, संस्था निर्माण से व्यक्ति निर्माण और व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का विजन, राष्ट्र के भविष्य के लिए एक रोडमैप की तरह है और देश इस रोडमैप का प्रभावी ढंग से पालन कर रहा है।”

लोकमान्य तिलक के साथ महाराष्ट्र के लोगों के विशेष बंधन पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात के लोग भी उनके साथ समान बंधन साझा करते हैं। उन्होंने उस समय को याद किया जब लोकमान्य तिलक ने अहमदाबाद की साबरमती जेल में लगभग डेढ़ महीने बिताए थे। उन्होंने बताया कि 1916 में 40,000 से अधिक लोग उनका स्वागत करने और उनके विचार सुनने के लिए इकट्ठा हुए थे। इन लोगों में सरदार वल्लभभाई पटेल भी शामिल थे। उन्होंने आगे कहा कि तिलक के भाषण के प्रभाव के कारण सरदार पटेल ने अहमदाबाद में लोकमान्य तिलक की एक प्रतिमा स्थापित की, जब वे अहमदाबाद नगर पालिका के प्रमुख थे। प्रधानमंत्री ने कहा, “सरदार पटेल में लोकमान्य तिलक के दृढ़ संकल्प को देखा जा सकता है।” यह प्रतिमा विक्टोरिया गार्डन में स्थापित की गई है। इस स्थल के बारे में प्रधानमंत्री ने बताया कि अंग्रेजों ने इस मैदान को 1897 में रानी विक्टोरिया के हीरक जयंती समारोह को मनाने के लिए विकसित किया था। उन्होंने लोकमान्य तिलक की प्रतिमा स्थापित करने में सरदार पटेल के क्रांतिकारी कार्य पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अंग्रेजों के विरोध के बावजूद महात्मा गांधी ने 1929 में इस प्रतिमा का अनावरण किया था। प्रतिमा के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक भव्य प्रतिमा है, जिसमें तिलक जी को आराम की मुद्रा में बैठे देखा जा सकता है। ऐसा महसूस होता है कि वे स्वतंत्र भारत के उज्ज्वल भविष्य पर विचार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “गुलामी के काल में भी सरदार पटेल ने भारत के सुपुत्र का सम्मान करने के लिए पूरे ब्रिटिश शासन को चुनौती दी थी।” प्रधानमंत्री ने आज की स्थिति पर अफसोस जताते हुए कहा कि जब सरकार एक विदेशी आक्रमणकारी के नाम के बदले एक भारतीय व्यक्तित्व का नाम देना चाहती है, तो कुछ लोग शोरगुल करते हैं।

प्रधानमंत्री ने गीता में लोकमान्य की आस्था का जिक्र किया। सुदूर मांडले में कारावास में रहते हुए भी लोकमान्य ने गीता का अध्ययन करना जारी रखा और ‘गीता रहस्य’ के रूप में एक अमूल्य उपहार दिया।

प्रधानमंत्री ने प्रत्येक व्यक्ति में आत्मविश्वास जगाने की लोकमान्य की क्षमता के बारे में बात की। तिलक ने स्वतंत्रता, इतिहास और संस्कृति की लड़ाई के प्रति लोगों में विश्वास पैदा किया। उन्हें लोगों, श्रमिकों और उद्यमियों पर भरोसा था। उन्होंने कहा, “तिलक ने भारतीयों की हीनभावना के मिथक को तोड़ा और उन्हें उनकी क्षमताओं से अवगत कराया।”

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अविश्वास के वातावरण में देश का विकास संभव नहीं है। उन्होंने पुणे के एक व्यक्ति श्री मनोज पोचट जी के ट्वीट को याद किया, जिन्होंने उल्लेख किया था कि पीएम के तौर पर उन्होंने 10 साल पहले पुणे की यात्रा की थी। प्रधानमंत्री ने तिलक जी द्वारा फर्ग्यूसन कॉलेज की स्थापना के समय को याद किया और कहा कि उस समय भारत में विश्वास की कमी के बारे में बात की गई थी। प्रधानमंत्री ने विश्वास की कमी का मुद्दा उठाने के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि देश विश्वास की कमी से अतिरिक्त विश्वास की ओर बढ़ गया है।

प्रधानमंत्री ने पिछले 9 वर्षों में हुए बड़े बदलावों में इस अतिरिक्त विश्वास का उदाहरण दिया। उन्होंने उल्लेख किया कि इस विश्वास के परिणामस्वरूप भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने देश के स्वयं पर विश्वास के बारे में बात की। उन्होंने मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन जैसी सफलताओं का उल्लेख किया और कहा कि इस उपलब्धि में पुणे ने एक बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने भारतीयों की कड़ी मेहनत और निष्ठा के प्रति विश्वास के बारे में कहा कि मुद्रा योजना के तहत गिरवी-मुक्त ऋण इसका एक प्रतीक है। इसी तरह, अधिकांश सेवाएं अब मोबाइल पर उपलब्ध हैं और लोग अपने दस्तावेज़ों को स्वयं सत्यापित कर सकते हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि व्यापार अधिशेष के कारण स्वच्छता अभियान और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जन आंदोलन बन गये हैं। ये सभी देश में एक सकारात्मक वातावरण बना रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने इस बात को याद करते हुए कि लाल किले से अपने संबोधन के दौरान जब उन्होंने लोगों से गैस सब्सिडी छोड़ने का आह्वान किया था, तो इसके बाद लाखों लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी थी। उन्होंने बताया कि कई देशों का एक सर्वेक्षण किया गया था, जिसमें पता चला कि भारत का सरकार के प्रति सबसे अधिक विश्वास है। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि बढ़ता जन-विश्वास भारत के लोगों की प्रगति का माध्यम बन रहा है।

संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि आजादी के 75 वर्षों के बाद देश अमृत काल को कर्तव्य काल के रूप में देख रहा है, जहां प्रत्येक नागरिक देश के सपनों और संकल्पों को ध्यान में रखते हुए अपने-अपने स्तर पर काम कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, इसीलिए पूरी दुनिया भी आज भारत में अपना भविष्य देख रही है, क्योंकि हमारे आज के प्रयास पूरी मानवता के लिए आश्वासन बन रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकमान्य तिलक के विचारों और आशीर्वाद की शक्ति से देशवासी निश्चित रूप से एक मजबूत और समृद्ध भारत के सपने को साकार करेंगे। प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि हिंद स्वराज्य संघ, लोगों को लोकमान्य तिलक के आदर्शों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।

इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस और श्री अजीत पवार, संसद सदस्य श्री शरदचंद्र पवार, तिलक स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. दीपक तिलक, तिलक स्मारक ट्रस्ट के उपाध्यक्ष डॉ. रोहित तिलक, तिलक स्मारक ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री सुशील कुमार शिंदे व अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

लोकमान्य तिलक की विरासत का सम्मान करने के लिए तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट द्वारा 1983 में इस पुरस्कार की स्थापना की गयी थी। यह उन लोगों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए काम किया है तथा जिनके योगदान को उल्लेखनीय और असाधारण कहा जा सकता है। यह हर साल लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि, 1 अगस्त को प्रदान किया जाता है।

प्रधानमंत्री इस पुरस्कार के 41वें प्राप्तकर्ता बने हैं। इससे पहले डॉ. शंकर दयाल शर्मा, श्री प्रणब मुखर्जी, श्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्रीमती इंदिरा गांधी, डॉ. मनमोहन सिंह, श्री एन.आर. नारायण मूर्ति और डॉ. ई. श्रीधरन जैसे प्रमुख व्यक्तियों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

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भारत रत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कर्मठ पत्रकार तेजस्वी वक्ता समाज सुधारक थे ~सतीश महाना

कानपुर 1 अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता, तुलसी उपवन मोतीझील में भारतरत्न राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन जी की 141वीं जयंती पर आयोजित संगोष्ठी में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन जी महान स्वतन्त्रता सेनानी, समर्पित राजनयिक, हिन्दी के अनन्य सेवक, कर्मठ पत्रकार, तेजस्वी वक्ता और समाज सुधारक थे, खत्री विनय माधव खन्ना अध्यक्ष खत्री सभा कानपुर में बताया प्रखर विद्वान हिंदी भाषा के शिखर पुरुष महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की जयंती पर आज श्रद्धा स्मरण किया गया, इस दौरान मुख्य रूप से विधायक सुरेंद्र मैथानी विजय कपूर विनय माधव खन्ना , दीपक खन्ना सुरेश चंद्र मेहरोत्रा गीता कपूर टंडन निम्मी खन्ना रवि कोहली संजय मेहरोत्रा निखिल टंडन राजीव मेहरोत्रा सुनील खन्ना अतुल मेहरोत्रा राकेश मेहरोत्रा,वीडी राय ,आशीष शर्मा सानू,अमित मेहरोत्रा बबलू, पूनम कपूर भरत सेठ पदम खन्ना रामजी कपूर मोहित अरोड़ा सुधीर मेहरोत्रा श्याम मेहरोत्रा आदि लोग मौजूद थे

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एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज ने शैक्षणिक विकास हेतु भारतीय विचारक समिति के साथ एक मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग (MoU) किया।

कानपुर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज कानपुर ने शैक्षणिक विकास हेतु भारतीय विचारक समिति कानपुर के साथ एक मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग (MoU) किया भारतीय विचारक समिति के सचिव उमेश कुमार दीक्षित तथा एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज की प्राचार्य प्रो. सुमन ने MoU पर हस्ताक्षर किए। समारोह का आयोजन के. डी. पैलेस कानपुर में किया गया | महाविद्यालय की assistant professor डॉ. अनामिका को भारतीय विचारक समिति ने अपनी समिति के साथ जोड़ते हुए सम्मानित किया, महाविद्यालय प्रबंध तंत्र एवं समस्त महाविद्यालय परिवार इस MoU से आशान्वित तथा हर्ष उल्लासित है। इस MoU सेरेमनी के अवसर पर महाविद्यालय की शिक्षिकाएं किरन तथा डॉ. प्रीति सिंह उपस्थित रहीं।

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भारतीय फुटवियर और चमड़ा उद्योग विदेशी मुद्रा का प्रमुख अर्जक है, यह 4.5 मिलियन लोगों को रोजगार देता है, जिनमें 40 प्रतिशत महिलाएं भी शामिल हैं: पीयूष गोयल

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय फुटवियर व चमड़ा उद्योग न केवल विदेशी मुद्रा का एक प्रमुख अर्जक है, बल्कि श्रम प्रधान क्षेत्र होने के कारण यह लगभग यह 4.5 मिलियन लोगों को रोजगार देता है, जिनमें 40 प्रतिशत महिलाएं भी शामिल हैं।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फुटवियर मेला 2023 (आईआईएफएफ) को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत में विश्व का सबसे बड़ा और सर्वोत्तम गुणवत्ता वाला फुटवियर निर्माता बनने की क्षमता निहित है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत विश्व में चमड़े से बने परिधानों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक, जीन बनाने के सामान और घोड़ो के साजो सामान का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातकर्ता तथा चमड़े उत्पादों का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। श्री गोयल ने इस तथ्य का उल्लेख किया कि इस क्षेत्र की उत्पादन वाली 95 प्रतिशत से अधिक इकाइयां वर्तमान में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) इकाइयां हैं। पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय फुटवियर को दुनिया भर में अलग पहचान दिलाने और विदेशी आकार-माप के प्रचलन पर निर्भरता कम करने के लिए देसी आकार व माप के फुटवियर बाजार में उतारे जाएंगे। उन्होंने इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए उद्योगपतियों को तकनीकी सहयोग तथा गैर-चमड़े के फुटवियर के संयुक्त उद्यमों के लिए मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) का पता लगाने का सुझाव दिया, जिससे देश के निर्यात में वृद्धि हो और भारतीय उत्पादों के साथ घरेलू बाजार में बढ़ोतरी भी हो। गोयल ने महाराष्ट्र की कोल्हापुरी चप्पल और राजस्थान के मोजरी फुटवियर की सुंदरता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के लिए आकर्षण का क्षेत्र होना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि फुटवियर क्षेत्र में भारत को सामर्थ्य स्थानीय कच्चे माल और इसके समृद्ध एवं विविध इतिहास से प्राप्त होती है। पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व का भी जिक्र किया, जो ‘भारत मंडपम्’ – अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र परिसर जैसे भव्य बुनियादी ढांचे का निर्माण जैसी पहल करने में अग्रणी है। उन्होंने बताया कि सितंबर 2023 में जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी ‘भारत मंडपम’ में होगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय फुटवियर और चमड़ा उद्योग के विकास कार्यक्रम के हिस्से के रूप में सरकार द्वारा जांच एवं परीक्षण सुविधाएं शुरू की जाएंगी। उन्होंने चमड़े उत्पाद व्यवसाय करने में आसानी के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर भी प्रकाश डाला, जिनमें कॉर्पोरेट अपराधों को अपराध मुक्त करना, अनुपालन बोझ को कम करना, सभी अनुमोदनों के लिए एक राष्ट्रीय सिंगल विंडो बनाना और विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करना आदि शामिल हैं। गोयल ने सभी हितधारकों से गुणवत्ता एवं स्थिरता, पर्यावरण-अनुकूल कार्य प्रणालियों, अपशिष्ट प्रबंधन और विद्युत ऊर्जा के लिए नवीकरणीय स्रोतों की खोज पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यवसाय का विस्तार करने का आग्रह किया। उन्होंने विस्तृत और बेहतर विकास के लिए नवीन डिजाइनों के रूप में प्रतिस्पर्धात्मकता को अपनाने पर बल दिया। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वैश्विक बाजार बहुत प्रतिस्पर्धी है। उन्होंने देश के निर्यातकों से नवीन व टिकाऊ उत्पादों को विकसित करने का आग्रह किया, जिनकी दुनिया में अत्यधिक तथा लगातार बढ़ती हुई मांग है। गोयल ने कहा कि हमें मूल्य श्रृंखला में आगे बढ़ने के लिए न केवल अपनी डिजाइन क्षमताओं को और बेहतर करने की जरूरत है, बल्कि उत्पादन को विस्तार देने तथा नवीन उत्पादों को बाजार में उतारने के लिए अधिक निवेश एवं नई प्रौद्योगिकी लाने की भी आवश्यकता है। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि सीएलआरआई, एफडीडीआई और निफ्ट जैसे संस्थान बाजार के बदलते रुझानों व आवश्यकताओं के अनुरूप नए उत्पादों तथा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में उद्योग जगत के साथ मिलकर कार्य करेंगे।

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2 वॉटर एयरोड्रोम और 9 हेलीपोर्ट सहित 74 हवाई अड्डों को जोड़ने वाले 479 आरसीएस-उड़ान मार्ग परिचालन में हैं

• आरसीएस-उड़ान से 123 लाख से अधिक यात्री लाभान्वित हुए हैं

 

क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस)- उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना के संचालन के लिए क्षेत्रीय एयर कनेक्टिविटी फंड ट्रस्ट (आरएसीएफटी) की ओर से 30 जून 2023 तक चयनित एयरलाइन ऑपरेटरों को व्यवहार्यता गैप फंडिंग (वीजीएफ) की 2729.11 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।

उड़ान के तहत चार चरण की बोलियों के आधार पर, 2 वॉटर एयरोड्रोम और 9 हेलीपोर्ट सहित 74 हवाई अड्डों को जोड़ने वाले 479 आरसीएस-उड़ान मार्ग परिचालन में हैं। इस योजना से 123 लाख से अधिक यात्री लाभान्वित हुए हैं।

नागरिक उड्डयन क्षेत्र में अगले पांच वर्षों में काफी वृद्धि होने की संभावना है। वृद्धि वाले कुछ क्षेत्र इस प्रकार हैं:

I. सरकार ने देश में 21 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों को चालू करने का निर्णय लिया है। इनमें से 11 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे पहले ही चालू हो चुके हैं। छह हवाई अड्डों पर निर्माण कार्य प्रगति पर है।

II. उद्योग के अनुमानों के अनुसार, अगले पांच वर्षों में भारत में प्रति वर्ष 1000 पायलटों की आवश्यकता हो सकती है। देश में पायलटों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए भारतीय विमानपत्‍तन प्राधिकरण (एएआई) ने उड़ान प्रशिक्षण संगठन नीति को उदार बनाया है।

III. उद्योग के अनुमानों के अनुसार, प्रमुख घरेलू एयरलाइनों द्वारा अपने बेड़े में 900 से अधिक का इजाफा किए जाने की संभावना है।

IV. सरकार ने योजना के दौरान 1000 उड़ान मार्गों को चालू करने और उड़ान की उड़ानों के परिचालन के लिए 2024 तक देश में 100 असेवित और कम सेवा वाले हवाई अड्डों/हेलीपोर्टों/ वॉटर एयरोड्रोम को पुन आरंभ करने/विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उड़ान वर्तमान में जारी बाजार संचालित योजना है, जिसके अंतर्गत अधिक गंतव्यों/स्टेशनों और मार्गों को कवर करने के लिए समय-समय पर बोलियों के चरण आयोजित किए जाते हैं। कुछ विशेष मार्गों पर मांग के आकलन के आधार पर, उड़ान के अंतर्गत बोली के समय इच्छुक एयरलाइंस अपने प्रस्ताव प्रस्तुत करती हैं। ऐसा हवाई अड्डा जिसे उड़ान को प्रदान किए गए मार्गों में शामिल किया गया है और जिसे उड़ान का परिचालन शुरू करने के लिए उन्नयन/विकास की आवश्यकता है, उसे ‘असेवित और कम सेवा वाले हवाई अड्डों का पुनरुद्धार’ योजना के तहत विकसित किया जाता है।

यह जानकारी नागर विमानन राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) वीके सिंह (सेवानिवृत्त) ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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स्ट्रीट वेंडरों के लिए विशेष रूप से मोबाइल ऐप डिजाइन किया गया

आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने 1 जून, 2023 को स्ट्रीट वेंडरों के लिए पीएम स्वनिधि का मोबाइल ऐप लॉन्च किया है। मोबाइल ऐप की मदद से, स्ट्रीट वेंडर पीएम स्वनिधि योजना के तहत ऋण और अनुशंसा पत्र (एलओआर) के लिए आवेदन कर सकते हैं। स्ट्रीट वेंडर उनके ऋण आवेदन की स्थिति और कैशबैक के विवरण की भी जांच कर सकता है।

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति के दिनांक 26 अप्रैल, 2022 के निर्णय के अनुसार, दिसंबर 2024 तक पीएम स्वनिधि योजना के तहत पहले, दूसरे और तीसरे ऋण के लिए निर्धारित लक्ष्य क्रमशः 42 लाख, 12 लाख और 3 लाख है।

प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना स्ट्रीट वेंडरों को अपना व्यवसाय फिर से शुरू करने के लिए कोलेटरल फ्री कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। 20 जुलाई, 2023 तक इस योजना ने 38.53 लाख स्ट्रीट वेंडरों को 50.63 लाख ऋण सफलतापूर्वक वितरित किए हैं, जिनकी राशि 6,492.02 करोड़ रुपये है।

पीएम स्वनिधि योजना शहरी क्षेत्रों में वेंडिंग करने वाले सभी स्ट्रीट वेंडरों के लिए उपलब्ध कराई गई है। इसके अलावा, योजना के तहत ऋण देने की अवधि को मार्च 2022 से दिसंबर 2024 तक बढ़ा दिया गया है। इससे अधिक से अधिक स्ट्रीट वेंडरों को योजना के दायरे में लाने में मदद मिलेगी।

पीएम स्वनिधि योजना के तहत ‘स्वनिधि से समृद्धि’ घटक, लाभार्थियों के परिवारों के रहन-सहन की स्थितियों में सुधार के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए 04 जनवरी, 2021 को शुरू किया गया।

यह लाभार्थियों के परिवारों को उनके समग्र विकास और सामाजिक-आर्थिक उत्थान को लक्षित करते हुए भारत सरकार की मौजूदा आठ कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ता है। इन योजनाओं में पीएम जीवन ज्योति बीमा योजना, पीएम सुरक्षा बीमा योजना, पीएम जन धन योजना, वन नेशन वन राशन कार्ड, पीएम श्रम योगी मानधन योजना, भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों (बीओसीडब्ल्यू) के तहत पंजीकरण, जननी सुरक्षा योजना और पीएम मातृ वंदना योजना शामिल हैं।

यह जानकारी आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री कौशल किशोर ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेवा शुल्क से संबंधित अपने निर्देशों का पालन न करने पर रेस्तरां और होटल एसोसिएशनों पर 1,00,000 रुपये का जुर्माना लगाया

माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने 24 जुलाई, 2023 को आदेश पारित कर नेशनल रेस्‍टोरेंट  एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्‍टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) को 12 अप्रैल , 2023 के अपने आदेश के अनुसार निर्देशों का पूर्ण गैर-अनुपालन करने पर जुर्माने के रूप में प्रत्येक को 1,00,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है। माननीय न्यायालय के निर्देश के अनुसार जुर्माने का भुगतान भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग को किया जाएगा ।

उल्लेखनीय है कि 12 अप्रैल, 2023 के आदेश के अनुसार न्यायालय ने निर्देश दिया था कि:-

(i) दोनों एसोसिएशन 30 अप्रैल 2023 तक अपने सभी सदस्यों की पूरी सूची दाखिल करेंगे जो वर्तमान रिट याचिकाओं का समर्थन कर रहे हैं।

(ii) दोनों एसोसिएशन निम्नलिखित पहलुओं पर अपना पक्ष रखेंगे और एक विशिष्ट हलफनामा दायर करेंगे: –

(ए) उन सदस्यों का प्रतिशत जो अपने बिलों में अनिवार्य शर्त के रूप में सेवा शुल्क लगाते हैं

(बी) क्या एसोसिएशन को सेवा शुल्क शब्द को वैकल्पिक शब्दावली से बदलने पर आपत्ति होगी ताकि उपभोक्ता के मन में यह भ्रम पैदा न हो कि यह ‘कर्मचारी कल्याण निधि’, ‘कर्मचारी कल्याण अंशदान’, ‘कर्मचारी शुल्क’, ‘कर्मचारी कल्याण शुल्क’ आदि जैसी सरकारी लेवी नहीं है।

(सी) उन सदस्यों का प्रतिशत जो सेवा शुल्क को स्वैच्छिक और अनिवार्य नहीं बनाने के इच्छुक हैं, उपभोक्ताओं को उस सीमा तक अपना अंशदान देने का विकल्प दिया जाता है, जिस सीमा तक वे स्वेच्छा से अधिकतम प्रतिशत के अधीन जो शुल्क चाहते हैं, उसकी वसूली की जा सकती है।

रेस्तरां संघों को उपर्युक्त निर्देशों के अनुसार आवश्यक अनुपालन करना आवश्यक था। हालांकि, किसी भी एसोसिएशन ने उक्त आदेश के संदर्भ में हलफनामा दाखिल नहीं किया।

न्यायालय ने कहा कि यह स्पष्ट धारणा है कि रेस्तरां संघ 12 अप्रैल, 2023 के आदेशों का पूरी तरह से पालन नहीं कर रहे हैं और उन्होंने उत्तरदाताओं को उचित रूप से सेवा दिए बिना हलफनामा दायर किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सुनवाई अदालत के समक्ष आगे न बढ़े।

न्यायालय ने प्रत्येक याचिका में लागत के रूप में 1,00,000/- रुपये के भुगतान की शर्त पर 4 दिनों के भीतर इन हलफनामों को ठीक से दाखिल करने का एक आखिरी मौका दिया, जिसका भुगतान वेतन और लेखा कार्यालय, उपभोक्ता मामले विभाग, नई दिल्ली को डिमांड ड्राफ्ट के रूप में किया जाना है। इस निर्देश का अनुपालन न करने पर हलफनामे को रिकॉर्ड पर नहीं लिया जाएगा। मामले की सुनवाई अब 5 सितंबर, 2023 को होनी है ।

विदित है कि कई उपभोक्ताओं ने राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता हेल्पलाइन (एनसीएच) पर सेवा शुल्‍क जबरन वसूलने की शिकायत की है। जुलाई, 2022 में सीसीपीए द्वारा जारी दिशानिर्देशों के बाद से, 4,000 से अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं :-

ए) रेस्तरां/होटल द्वारा प्रदान की गई सेवा से असंतुष्ट होने पर भी उपभोक्ताओं को सेवा शुल्क का भुगतान करने के लिए मजबूर करना।

बी) सेवा शुल्क का भुगतान अनिवार्य बनाना।

सी) सेवा शुल्क को ऐसे शुल्क के रूप में चित्रित करना, जो सरकार द्वारा लगाया जाता है या जिसे सरकार की मंजूरी प्राप्त है।

डी) सेवा शुल्क देने का विरोध करने पर बाउंसरों सहित उपभोक्ताओं को शर्मिंदा करना और परेशान करना।

ई) ऐसे शुल्‍क के नाम पर 15 प्रतिशत, 14 प्रतिशत तक अत्यधिक पैसे वसूलना।

एफ) ‘एस/सी.’, ‘एससी’, ‘एससीआर’ या ‘एस’ चार्ज’ आदि जैसे अन्य कपटपूर्ण नामों से सेवा शुल्क भी वसूला गया है।

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