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प्रधानमंत्री स्मृति चिन्हों की ई-नीलामी 31 अक्टूबर, 2024 तक बढ़ाई गई

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मिले स्मृति चिन्हों के अनूठे संग्रह की असाधारण ई-नीलामी को तिथि को आगे बढ़ा दिया है। यह नीलामी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत को दर्शाती है।

आरंभ में 17 सितंबर से 2 अक्टूबर, 2024 तक निर्धारित यह नीलामी अब 31 अक्टूबर 2024 तक भागीदारी के लिए खुली रहेगी। इच्छुक व्यक्ति आधिकारिक वेबसाइट: https://pmmementos.gov.in/ के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं और नीलामी में भाग ले सकते हैं।

इस नीलामी में प्रस्तुत की जाने वाली वस्तुओं में पारंपरिक कला रूपों की एक श्रृंखला है, जिसमें जीवंत चित्रकारी, भव्य मूर्तियां, स्वदेशी हस्तशिल्प, आकर्षक लोक और आदिवासी कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गई हैं। इन खजानों में पारंपरिक अंगवस्त्र, दुशाला, शिरोवस्ट्र और औपचारिक तलवारें सहित सम्मान और आदर के प्रतीक के रूप में पारंपरिक रूप से दी जाने वाली वस्तुएँ शामिल हैं।

खादी का दुशाला, चांदी की जरदोज़ी के वस्त्र, माता नी पचेड़ी कला, गोंड कला और मधुबनी कला जैसी उल्लेखनीय वस्तुएं भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करते हुए, इनमें चार चांद लगाती हैं । नीलामी की एक प्रमुख विशेषता पैरा ओलंपिक, 2024 से खेल स्मृति चिन्ह हैं। प्रत्येक खेल स्मृति चिन्ह एथलीटों के असाधारण एथलेटिकता और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है, जो उनकी कड़ी मेहनत और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता का प्रमाण है। यह स्मृति चिन्ह न केवल उनकी उपलब्धियों का सम्मान है बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा है।

वर्तमान ई-नीलामी सफल नीलामियों की श्रृंखला में छठा संस्करण है, जिसे शुरू में जनवरी 2019 में प्रारंभ किया गया था। पिछले संस्करणों की तरह, नीलामी के इस संस्करण से प्राप्त आय भी नमामि गंगे परियोजना में योगदान देगी। यह परियोजना केंद्र सरकार की प्रमुख पहल है जो हमारी राष्ट्रीय नदी, गंगा के संरक्षण और पुनरुद्धार और इसके कमजोर पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए समर्पित है। इस नीलामी के माध्यम से प्राप्त धन का उपयोग इस श्रेष्ठ कार्य में किया जाएगा जो पर्यावरण के संरक्षण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।  

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प्रौद्योगिकी आधारित युद्धक्षेत्र में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाने के लिए भविष्य के रणनीतिक नेतृत्व की आवश्यकता: सीडीएस जनरल अनिल चौहान

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने आज के प्रौद्योगिकी पर आधारित युद्धक्षेत्र में त्वरित निर्णय लेने के लिए भविष्य के रणनीतिक नेताओं की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जहां समयसीमा तेजी से कम होती जा रही है। 27 सितंबर 2024 को संपन्न हुए प्रथम ट्राई सर्विसेज फ्यूचर वारफेयर कोर्स में समापन भाषण देते हुए, सीडीएस ने इस बात पर जोर दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, स्टील्थ टेक्नोलॉजी और हाइपरसोनिक्स में प्रगति और रोबोटिक्स भी भविष्य के युद्धों के स्वरूप को निर्धारित करेंगे।

गतिशील सुरक्षा परिवेश के साथ-साथ विशिष्ट प्रौद्योगिकियों का प्रसार, युद्ध का बदलता स्वरूप तथा हाल के तथा वर्तमान में जारी संघर्षों से मिली सीखों के कारण भविष्य के ऐसे नेताओं को तैयार करना आवश्यक हो गया है, जो आधुनिक युद्ध की बारीकियों को समझने में सक्षम हों। इस क्रम में, पाठ्यक्रम में भविष्य के युद्ध; भविष्य के रुझान, वायु और अंतरिक्ष युद्ध, गैर-गतिज (काइनेटिक) युद्ध, समुद्री संचालन और बहु-डोमेन संचालन से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके प्रमुख परिणामों में एकीकृत परिचालन अवधारणाएं, बढ़ी हुई संयुक्त सैन्य क्षमताएं, भविष्य के युद्धक्षेत्रों के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियां और तीन सेनाओं के मजबूत सहयोग शामिल हैं। यह पाठ्यक्रम प्रतिभागियों को युद्ध के भविष्य का नेतृत्व करने और उसे आकार देने में सक्षम बनाएगा, जिससे उभरती चुनौतियों के लिए एकीकृत और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित होगी।

जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के उप प्रमुखों को सप्ताह भर चलने वाले इस कोर्स के परिणामों के बारे में जानकारी दी गई और बाद के कोर्स की रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया गया।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ द्वारा व्यक्तिगत रूप से संचालित होने के अलावा, इस कोर्स में रैंक की परवाह नहीं की गई, जिसमें प्रतिभागियों की सेवा अवधि 13 से 30 वर्ष तक थी। फ्यूचर वारफेयर कोर्स का उद्देश्य आधुनिक युद्धक्षेत्र की जटिलताओं से निपटने में सक्षम तकनीक रूप से कुशल सैन्य कमांडरों का एक कैडर तैयार करना है।

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एक पेड़ माँ के नाम: 80 करोड़ पौधे रोपे गए

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान की शुरुआत की थी। यह अभियान पर्यावरण के प्रति अपना दायित्व निभाने के साथ-साथ माताओं के प्रति श्रद्धा और समर्पण भाव दर्शाने की एक अनूठी पहल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 जून, 2024 को दिल्ली के बुद्ध जयंती पार्क में पीपल का पौधा लगाकर इस अभियान की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री ने पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों के महत्व पर ज़ोर दिया और पिछले एक दशक में भारत के वन क्षेत्र में हुई प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह अभियान देश के सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
‘एक पेड़ माँ के नाम’ एक संकेतिक भाव है – अपनी माँ के नाम पर एक पेड़ लगाने का उद्देश्य जहां, जीवन को पोषित करने में माताओं की भूमिका का सम्मान करना है, वहीं अपने ग्रह को स्वस्थ बनाए रखने में अपना योगदान देना भी है। पेड़ जीवन को बनाए रखते हैं और एक माँ की तरह ही पोषण, सुरक्षा और भविष्य प्रदान करते हैं। ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल के माध्यम से, कोई भी व्यक्ति एक पेड़ लगाकर अपनी माता को एक जीवंत श्रद्धांजलि और एक स्थायी स्मृति भेंट कर सकता है, इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता को भी पूरा किया जा सकता है।

80 करोड़ पौधा रोपण

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सितंबर 2024 तक ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत 80 करोड़ पौधे लगाने के अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक पूरा किया। यह लक्ष्य तय समय सीमा से 5 दिन पहले यानी 25 सितंबर 2024 को ही हासिल कर लिया गया। मंत्रालय की यह उपलब्धि सरकारी एजेंसियों, स्थानीय समुदायों और विभिन्न हितधारकों के सहयोग और प्रयासों का परिणाम है।

5 लाख से ज़्यादा पौधे लगाने का विश्व रिकॉर्ड

  • 22 सितंबर 2024 को, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत प्रादेशिक सेना की 128 इन्फैंट्री बटालियन और पारिस्थितिकी कार्य बल इकाई ने सिर्फ़ एक घंटे में 5 लाख से ज़्यादा पौधे लगाकर एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की। ​​जैसलमेर में “विशेष पौधारोपण अभियान” के अंतर्गत यह शानदार उपलब्धि, प्रधानमंत्री के “एक पेड़ माँ के नाम” और प्रादेशिक सेना की पहल, “भागीदारी और ज़िम्मेदारी” का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य पारिस्थितिकी को यथास्थिति में बनाए रखना और स्थानीय समुदायों के बीच पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। प्रादेशिक सेना की इकाई के इन प्रयासों को वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स, लंदन द्वारा निम्नलिखित विश्व रिकॉर्ड के साथ मान्यता दी गई :
  • एक घंटे में एक टीम द्वारा लगाए गए सबसे ज़्यादा पौधे।
  • एक घंटे में महिलाओं की एक टीम द्वारा लगाए गए सबसे ज़्यादा पौधे।
  • एक ही स्थान पर एक साथ सबसे अधिक संख्या में लोगों द्वारा पौधारोपण।

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के प्रतिनिधियों की मौजूदगी ने यह सुनिश्चित किया कि वृक्षारोपण को सावधानीपूर्वक सत्यापित और प्रमाणित किया गया था और इस उपलब्धि के लिए पारिस्थितिकी कार्य बल को पुरस्कार भी दिया गया। यह वृक्षारोपण अभियान, “जो लोग पेड़ों की रक्षा करते हैं, वे संरक्षित हैं,” आदर्श वाक्य का सर्वोत्तम उदाहरण है और जो भविष्य की पीढ़ियों की भलाई के लिए पर्यावरण संरक्षण के महत्व की पुष्टि भी करता है।

मंत्रालयों के सामूहिक प्रयास

प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान के अनुरूप, विभिन्न मंत्रालयों ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान में उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रत्येक मंत्रालय और विभाग का इस पहल में पर्याप्त योगदान सततता, हरित आवरण वृद्धि और सार्वजनिक जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।

रक्षा मंत्रालय ने इस अभियान के तहत स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 लाख पौधे लगाने की राष्ट्रव्यापी पहल की घोषणा की। इस प्रयास में भारतीय सशस्त्र बलों, रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों, राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) और अन्य संबद्ध निकायों ने एक हरित और स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए अपना महत्‍वपूर्ण सहयोग दिया।

कोयला मंत्रालय में सचिव श्री वी.एल. कांथा राव ने मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे पर्यावरणीय स्थिरता प्रयासों के हिस्से के रूप में मिलेनियम पार्क में एक पौधा रोपण अभियान का आयोजन किया। पिछले कुछ वर्षों में कोयला और लिग्नाइट क्षेत्र में सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा लगाए गए पौधे खनन क्षेत्रों में कार्बन के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

 इसके अतिरिक्त, सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से चलाए गए पौधा रोपण अभियान के अंतर्गत देश भर में शहरी और ग्रामीण स्थानों पर लगभग 7,000 पौधे लगाए गए हैं। अगस्त के मध्य में चलाए गए इस अभियान का उद्देश्य 17 सितंबर से 1 अक्टूबर, 2024 तक चलने वाले ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के दौरान पौधा रोपण के प्रयासों में तेज़ी लाना है।

केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने अपनी मां की याद में आंवले का पौधा लगाकर इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लिया। इस अभियान के महत्व का उल्लेख करते हुए श्री प्रतापराव ने कहा कि यह पहल अपनी मां और धरती माता दोनों के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने का एक अनोखा ढंग है।  

 कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने हैदराबाद के राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान में आयोजित किए गए एक वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान में भाग लिया। इसके अलावा, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने अपने विभिन्न कार्यालयों और अधीनस्थ निकायों को पौधा रोपण के इस व्यापक अभियान में शामिल किया।  

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ​​ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ और स्वच्छता ही सेवा 2024 अभियान के तहत नई दिल्ली के कोटा हाउस में पौधा रोपण अभियान में भाग लिया। मंत्रालय के अधिकारियों ने सरकार के पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ भारत के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप बड़े पैमाने पर सफाई अभियान भी चलाया।

 इस अभियान से प्रेरित होकर कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने श्री जयंत चौधरी के नेतृत्व में अपने संस्थानों में व्यापक पौधा रोपण गतिविधियों का आयोजन किया। प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों (पीएमकेके), राष्ट्रीय उद्यमिता और लघु व्यवसाय विकास संस्थान (एनआईईएसदीयूडी), औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई), राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (एनएसटीआई) और जन शिक्षण संस्थानों (जेएसएस) में 11,778 से अधिक पौधे लगाए गए। मंत्रालय के प्रयासों का उद्देश्य कौशल विकास के साथ पर्यावरण चेतना को एकीकृत करना, छात्रों, प्रशिक्षकों और स्थानीय आबादी के बीच समुदाय और स्थिरता की भावना को बढ़ावा देना था। पेयजल और स्वच्छता विभाग तथा आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के नेतृत्व में स्वच्छता ही सेवा 2024 अभियान ने सफाई और हरित आवरण वृद्धि पर जोर दिया। इस राष्ट्रव्यापी अभियान के हिस्से के रूप में पौधा रोपण से एक स्वच्छ और हरित भारत के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को बल मिला है। भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, सीमा सुरक्षा बल, गैर-सरकारी संगठन संकलपतरु और स्थानीय समुदायों आदि सभी एजेंसियों की भागीदारी ने इस अभियान की पहुंच और प्रभाव को बढ़ावा दिया।

तकनीकी प्रोत्साहन: ‘एक पेड़ माँ के नाम’ ऐप

इस पहल को बढ़ावा देने के लिए, केंद्रीय संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ ऐप की शुरुआत की। यह ऐप उपयोगकर्ताओं को अपनी माताओं के सम्मान में एक पेड़ लगाने और समर्पित करने संबंधी फोटो अपलोड करने, स्थान टैगिंग और कार्बन क्रेडिट ट्रैकिंग जैसी सुविधाएँ प्रदान करता है। इस ऐप के माध्यम से उपयोगकर्ता अपनी मां के लिए लगाए पेड़ को बढ़ता हुआ देखने के साथ पर्यावरण संरक्षण से जुड़े रह सकते हैं।

ऐप का उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफ़ेस पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने में सक्षम है। इस ऐप के माध्यम से उपयोगकर्ता पेड़ लगाकर, उसकी फोटो सोशल मीडिया पर साझा करके अन्य लोगों को भी इस सार्थक प्रयास से जुड़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

हरित भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण

‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान भारत की स्थायी और पर्यावरण के प्रति जागरूक भविष्य के लिए प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पर्यावरण संरक्षण के आह्वान और माताओं के प्रति सम्मान की भावना के साथ यह पहल नागरिकों को एक हरित ग्रह बनाने में अपना योगदान देने का अवसर प्रदान करती है।

इस अभियान की सफलता पूरे देश में लोगों को अपनी माताओं के सम्मान में एक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करने की भावना में निहित है। यह अभियान न सिर्फ प्रकृति और मातृत्व की पोषण शक्ति के सम्मान का प्रतीक है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और टिकाऊ विश्व का आश्वासन भी है।

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पति व पत्नी दोनों को अलग-अलग आवासीय योजना का लाभ देने में फंसा ग्राम विकास अधिकारी

आवासीय योजना में दो बार लाभ दिलाने वाले ग्राम विकास अधिकारी से वसूली व वेतन वृद्धि रोकने की हुई कार्यवाही

विकास खण्ड डेरापुर के ग्राम मिर्जापुर खुर्द में पति व पत्नी अर्थात दोनों को अलग-अलग आवासीय योजना का लाभ देने में फंसा ग्राम विकास अधिकारी।

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर देहात। जनपद में गरीबों के लिए संचालित आवासीय योजना में भ्रष्टाचार उजागर हो रहे हैं। जहां किसी को एक आवास की दरकार है तो किसी गाँव में एक ही परिवार (पति-पत्नी दोनों को) को एक की जगह दो-दो बार सरकारी आवासीय योजना का लाभ ग्राम विकास अधिकारी की मिलीभगत से दिया गया। इस बारे में की गई शिकायत की जांच के बाद खुलासा होने पर संबंधित तत्कालीन तैनात रहे ग्राम विकास अधिकारी पर विभागीय कार्यवाही के साथ एक वर्ष तक वेतन वृद्धि रोकी गयी है।
जनपद के डेरापुर विकासखंड के ग्राम पचायत-मझगवां के ग्राम मिर्जापुर खुर्द निवासी राजेन्द्र सिंह पुत्र इन्दपाल सिंह को वर्ष 1995-96 में उच्चीकृत आवासीय योजना से लाभान्वित किये जाने के बावजूद वर्ष 2017-18 में उनकी पत्नी शकुन्तला देवी को पुनः प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण से लाभान्चित किये जाने अर्थात शासनादेश के विपरीत एक ही परिवार को दो बार आवास योजना का लाभ प्रदान किये जाने के आरोप में तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी अधिकारी व वर्तमान में मलासा विकास खण्ड में तैनात रवि कुमार शुक्ला के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही प्रारम्भ करते हुए खण्ड विकास अधिकारी मैथा, को जाँच अधिकारी नामित किया गया था। ग्राम विकास अधिकारी के विरूद्ध गठित आरोप-पत्र, ग्राम सचिव द्वारा उपलब्ध कराये गये स्पष्टीकरण तथा जांच अधिकारी की जाँच आख्या दिनांक 28.03.2024 के क्रम में कार्यालय पत्र संख्या-635/विकास / स्था०/व्य० पत्रा0/2024-25 दिनांक 04.09.2024 के द्वारा रवि कुमार शुक्ला को नोटिस निर्गत करते हुए आवास योजना के नियमों की अनदेखी कर एक ही परिवार को नियम विपरीत आवास आवंटित कराये जाने के सम्बन्ध में विलम्बतम् दिनांक 10.09.2024 तक अनिवार्य रूप से स्पष्टीकरण प्रस्तुत किये जाने के निर्देश दिये गये थे किन्तु उनके द्वारा इस सम्बन्ध में कोई भी स्पष्टीकरण परियोजना निदेशक डीआरडीए व अतिरिक्त चार्ज जिला विकास अधिकारी बीरेंद्र सिंह को स्पष्टीकरण उपलब्ध नहीं कराया गया है। इस प्रकरण की समीक्षा करने पर यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रकरण में तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी रवि कुमार शुक्ला के साथ-साथ विकास खण्ड डेरापुर के तत्कालीन आवास पटल सहायक शैलेश कुमार गुप्त. कनिष्ठ सहायक की भी संलिप्तता / भूमिका पायी गयी है।
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अन्तर्गत दुरूपयोग की गयी कुल धनराशि 1 लाख 20 हजार की आधी धनराशि 60 हजार की वसूली रवि कुमार शुक्ला से वसूली की धनराशि की कटौती उनके मासिक वेतन से नियमानुसार की जायेगी। तथा ग्राम विकास अधिकारी की एक वार्षिक तक की वेतन वृद्धि स्थाई रूप से रोके जाने का भी आदेश जारी किया गया है।

गौरतलब हो कि रवि कुमार शुक्ला के विरुद्ध की गई अन्य शिकायतों पर अगर जाँच कर ली जाए तो और भी मामलों में किये गए भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है।

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डॉ. शैली बिष्ट उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित

भारतीय स्वरूप संवाददाता डॉ. शैली बिष्ट निदेशक कैरियर दिशा को महर्षि सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, लखनऊ, नोएडा परिसर के सम्मानित कुलपति, प्रो. (डॉ.) भानु प्रताप सिंह, निदेशक डॉ. रतीश गुप्ता के साथ उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। एमयूआईटी में कॉर्पोरेट मामले, और एक्सिस ग्रुप ऑफ कॉलेजेज, कानपुर के महानिदेशक कर्नल (डॉ.) जाहिद सिद्दीकी। पुरस्कार समारोह रविवार, 15 सितंबर, 2024 को शिक्षक सम्मेलन और सम्मान समारोह के दौरान डीएनजी द ग्रैंड में हुआ। इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले 150 से अधिक प्राचार्यों और शिक्षाविदों के बीच होना सौभाग्य की बात थी, सभी शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध थे और पैनल चर्चा में भाग लेते थे। साथ में, हम #InnovateInEducation और #FosterLifelongLearning के लिए प्रयास करते हैं। निरंतर समर्थन और मान्यता के लिए धन्यवाद!

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भारत फिर चला चांद की ओर: इस बार चांद पर उतरने के बाद धरती पर वापस आएगा भारत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने चंद्रयान-4 नामक मिशन को मंजूरी दे दी है, जिसका मकसद चांद पर सफलतापूर्वक उतरने के बाद, पृथ्वी पर वापस आने में प्रयोग होने वाली प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करना है, साथ ही चंद्रमा से नमूने लाकर, पृथ्वी पर उनका विश्लेषण करना है। चंद्रयान -4 मिशन दरअसल, चंद्रमा पर भारत की लैंडिंग (वर्ष 2040 तक नियोजित) और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस आने के लिए मूलभूत प्रौद्योगिकी क्षमताओं को प्राप्त करेगा।  डॉकिंग/अनडॉकिंग, लैंडिंग, पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी और चंद्रमा के नमूना संग्रह और उनके विश्लेषण को पूरा करने के लिए ज़रुरी प्रमुख प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया जाएगा।

भारत सरकार ने अमृत काल के दौरान भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक विस्तारित दृष्टिकोण का खाका तैयार किया है, जिसके तहत वर्ष 2035 तक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन) और वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर भारत की लैंडिंग की परिकल्पना की गई है। इस परिकल्पना को साकार करने के लिए, गगनयान और चंद्रयान फॉलो-ऑन मिशनों की एक श्रृंखला की भी रुपरेखा तैयार की गई है, जिसमें संबंधित अंतरिक्ष परिवहन और बुनियादी ढांचे की क्षमताओं का विकास शामिल है। चंद्रयान -3 लैंडर की चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग के सफल प्रदर्शन ने कुछ अहम प्रौद्योगिकियों को स्थापित किया है और उन क्षमताओं का प्रदर्शन किया है जो केवल कुछ ही दूसरे देशों के पास है। चंद्रमा के नमूने एकत्र करने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता के प्रदर्शन से ही सफल लैंडिंग मिशन का अगला कदम निर्धारित हो सकेगा।

अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण की जिम्मेदारी इसरो की होगी। इसरो में मौजूद स्थापित कार्यप्रणाली के माध्यम से परियोजना को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जाएगा और उसकी निगरानी की जाएगी। उद्योग और शिक्षाविदों की भागीदारी की मदद से, अनुमोदन के 36 महीनों के भीतर मिशन के पूरा होने की उम्मीद है।

सभी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी रूप से विकसित करने की परिकल्पना की गई है। मिशन को विभिन्न उद्योगों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है और उम्मीद की जा रही है कि अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में भी इससे रोजगार की उच्च संभावना पैदा होगी और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा।

प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन “चंद्रयान -4” के लिए कुल 2104.06 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। लागत में अंतरिक्ष यान का निर्माण,  एलवीएम 3 के दो लॉन्च वाहन मिशन,  बाह्य गहन अंतरिक्ष नेटवर्क का समर्थन और डिजाइन सत्यापन के लिए विशेष परीक्षण आयोजित करना,  और अंत में चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के मिशन और चंद्रमा के नमूने एकत्रित कर उनकी पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी शामिल हैं।

यह मिशन भारत को मानवयुक्त मिशनों, चंद्रमा के नमूनों की वापसी और चंद्रमा के नमूनों के वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण मूलभूत प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भर होने में सक्षम बनाएगा। इसे साकार करने में भारतीय उद्योग की भी अहम भागीदारी होगी। चंद्रयान-4 विज्ञान बैठकों और कार्यशालाओं के माध्यम से भारतीय शिक्षा जगत को इससे जोड़ने की योजना पहले से ही तैयार है। यह मिशन पृथ्वी पर लाए गए नमूनों के क्यूरेशन और विश्लेषण के लिए बेहतर सुविधाएं भी सुनिश्चित करेगा, जोकि राष्ट्रीय संपत्ति होंगी।

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मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र महत्वपूर्ण वृद्धि के लिए तैयार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कंपनी अधिनियम2013 के अधीन  धारा कंपनी के रूप में एनीमेशनविजुअल इफेक्ट्सगेमिंगकॉमिक्स एंड एक्सटेंडेड रियलिटी (एवीजीसीएक्सआरके लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओईकी स्थापना को मंजूरी प्रदान की हैजिसमें फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और भारतीय उद्योग परिसंघ भारत सरकार के साथ भागीदार के रूप में उद्योग निकायों का प्रतिनिधित्व करेंगे। एनसीओई की स्थापना मुंबईमहाराष्ट्र में की जाएगी और यह देश में एक एवीजीसी कार्य बल की स्थापना के लिए केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री की वर्ष 2022-23 की बजट घोषणा के अनुसरण में है।

एवीजीसीएक्सआर क्षेत्र आज मीडिया और मनोरंजन के पूरे क्षेत्र में अपरिहार्य भूमिका निभाता हैजिसमें फिल्म निर्माणओवर द टॉप (ओटीटीप्लेटफॉर्म, गेमिंगविज्ञापन तथा  स्वास्थ्यशिक्षा और अन्य सामाजिक क्षेत्रों सहित कई अन्य क्षेत्र शामिल हैंइस प्रकार देश की विकास गाथा की समग्र संरचना को समेटे हुए है। तेजी से विकसित हो रही तकनीक और पूरे देश में इंटरनेट की बढ़ती पहुंच के साथसाथ सबसे सस्ती डेटा दरों सहितवैश्विक स्तर पर एवीजीसीएक्सआर का उपयोग तेजी से बढ़ने को तैयार है।

एवीजीसीएक्सआर क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देना

इस तेज गति को बनाए रखने के लिएदेश में एवीजीसीएक्सआर इकोसिस्टम को आगे बढ़ाने के शीर्ष संस्थान के रूप में कार्य करने के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की जा रही है। एनसीओई शौकिया और पेशेवर दोनों को अत्याधुनिक एवीजीसीएक्सआर तकनीकों के नवीनतम कौशलों से लैस करने के लिए विशेष प्रशिक्षणसहशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करने के साथसाथ,अनुसंधान एवं विकास को भी बढ़ावा देगा और कंप्यूटर विज्ञानइंजीनियरिंगडिजाइन और कला जैसे विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एक साथ लाएगा जो एवीजीसीएक्सआर क्षेत्र में बड़ी सफलताओं का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। यह राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र घरेलू उपयोग और वैश्विक आउटरीच दोनों के लिए भारत के आईपी के निर्माण पर भी व्यापक रूप से ध्यान केंद्रित करेगाजिससे कुल मिलाकर भारत की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत पर आधारित कॉन्टेंट का सृजन होगा। इसके अलावाएनसीओईएवीजीसीएक्सआर क्षेत्र में स्टार्टअप और शुरुआती अवस्था वाली  कंपनियों को प्रोत्साहन देने के लिए उन्हें संसाधन प्रदान करते हुए एक इनक्यूबेशन सेंटर के रूप में कार्य करेगा। साथ हीएनसीओई केवल एक अकादमिक उत्प्रेरक के रूप में ही नहींबल्कि उत्पादन/उद्योग उत्प्रेरक के रूप में भी काम करेगा।

एनसीओई को एवीजीसीएक्सआर उद्योग के विकास के लिए प्रेरक शक्ति के रूप में स्थापित किए जाने से यह देश के सभी हिस्सों के युवाओं के लिए रोजगार के सबसे बड़े स्रोतों में से एक के रूप में काम करेगा। इससे रचनात्मक कला और डिजाइन क्षेत्र को बहुत बढ़ावा मिलेगा और आत्मनिर्भर भारत पहल के लक्ष्यों को आगे बढ़ाते हुए भारत को एवीजीसीक्सआर गतिविधियों का केंद्र बनाया जा सकेगा।

एवीजीसीएक्सआर के लिए एनसीओई भारत को अत्याधुनिक कॉन्टेंट उपलब्ध कराने वाले कॉन्टेंट हब के रूप में स्थापित करेगाजिससे वैश्विक स्तर पर भारत की सॉफ्ट पावर बढ़ेगी और मीडिया एवं मनोरंजन क्षेत्र के प्रति विदेशी निवेश आकर्षित होगा।

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शान ए अवध के बैनर तले संगीत का समागम हुआ

भारतीय स्वरूप संवाददाता लखनऊ स्थित होटल पिनेकल में शान ए अवध के बैनर तले नए पुराने गीतों के साथ संगीत की बेहतरीन महफिल सजी, जिसमे गायकी के शौकीनों ने अपनी कला से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस संगीतमय कार्यक्रम में हिंदुस्तान के विभिन्न कोनो से लोग आए और अपनी कला का जौहर दिखाया

संगीत के इस कार्यक्रम का शुभारम्भ माता सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया, सूरों  के महारथियों ने गायकी के जलवे बिखेरे। नए पुराने गीतों के साथ पूरे दिन सुरों की गंगा यमुना बही,

अत्यंत ही खुशनुमा माहौल में गायक गायिका अपने गीत गाने के बाद दूसरों के लिए श्रोता भी थे एक दूसरे की गायकी को मंत्रमुग्ध से सुनते साथ में नाचते गाते रहे, अलग अलग गायकों के गाए गीतों से पूरा प्रांगण संगीतमय हो गया लोगों से बात करने पे उन्होंने कहा कि वक्त का पता ही नहीं चला कब सुबह से रात हो गई।

 

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पी०के० इण्डस्ट्रीज में दादू ब्रांड नाम से बनाया जा रहा था अत्यंत गन्दगी के साथ सेंधा नमक, काला नमक एवं साधारण नमक

कानपुर 03 सितम्बर, (सू0वि0) सहायक आयुक्त खाद्य-II, कानपुर नगर संजय प्रताप सिंह ने बताया है कि खाद्य सुरक्षा अधिकारी धर्मेन्द्र प्रताप सिंह, संजय वर्मा एवं डा० अजय कुमार मौर्य के द्वारा हंसपुरम नौबस्ता कानपुर नगर स्थित पी०के० इण्डस्ट्रीज में औचक छापेमारी की गयी उक्त इण्डस्ट्री में अत्यन्त गन्दगी के साथ सेंधा नमक, काला नमक एवं साधारण नमक दादू ब्राण्ड के नाम से पैकिंग कर मानव उपभोग हेतु विक्रयार्थ भण्डारित करते हुए पाया गया। काला नमक में साधारण नमक की मिलावट की जा रही थी। कार्यस्थल पर कार्मिको द्वारा तैयार व पैक्ड नमक पर जूते पहनकर चला जा रहा था। तत्क्रम में उपरोक्त खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम द्वारा मौके पर ही सेंधा नमक, काला नमक एवं साधारण नमक के तीन नमूने संग्रहित किये गये एवं साथ ही 25 कुन्टल काला नमक, कीमत 1,99,680/- (रू० एक लाख निन्याबे हजार छः सौ अस्सी) तथा 50 कुन्टल साधारण नमक कीमत 24,995/- (रू० चौबीस हजार नौ सौ पन्चानबे) को सीज कर दिया गया। निर्माणस्थल की साफ-सफाई व अन्य कार्यों के सुधार करने तक वहां पर निर्माण कार्य को रोक दिया गया।

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प्रदेश सरकार के ‘‘हर घर को नल से जल’’ कार्यक्रम के अन्तर्गत लगभग 2.25 करोड़ आबादी को जलापूर्ति

लखनऊ: 02 सितम्बर, प्रदेश में ग्रामीण पेयजल आपूर्ति हेतु केन्द्र सहायतित राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम का संचालन केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा 50ः50 प्रतिशत वित्त पोषण के आधार पर किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत ‘‘हर घर को नल से जल‘‘ उपलब्ध कराये जाने की कार्यवाही तेजी से की जा रही है। भारत सरकार द्वारा प्रदेश के समस्त अनाच्छादित बस्तियों को पाइप पेयजल योजनाआंे से वर्ष 2024 तक आच्छादित किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के क्षेत्र मंे तेजी से कार्य किये गये है। प्रदेश में कुल 2.6584 करोड़ घरों को वर्ष 2024 तक शुद्ध पाइप पेयजल से आच्छादित किया जाना लक्षित है।

प्रदेश में अब तक लगभग 2.2359 करोड़ (84.10ः) फन्कशनल हाउसहोल्ड टैप कनेक्शन (एफ0एच0टी0सी0) के माध्यम से ग्रामीण आबादी को पाइप पेयजल योजना से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा चुका है तथा अवशेष लगभग 42.25 लाख घरों में एफ0एच0टी0सी0 का कार्य वर्ष 2024 तक पूर्ण किया जा रहा है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 41 सतही स्रोत जल आधारित एवं 423 भूजल आधारित पाइप पेयजल परियोजना के माध्यम से कुल 3748 राजस्व ग्रामों में 11,22,994 एफ0एच0टी0सी0 के माध्यम से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति किये जाने के सापेक्ष बुन्देलखण्ड क्षेत्र में अद्यतन 10,92,000 एफ0एच0टी0सी0 उपलब्ध कराया जा चुका है।
विन्ध्य क्षेत्र में 21 सतही स्रोत जल परियोजनाओं एवं 140 भूजल आधारित परियोजनाओं के माध्यम से 2998 राजस्व ग्रामों में 5,98,999 एफ0एच0टी0सी0 के माध्यम से शुद्ध पेयजल की आपूति दिसम्बर, 2024 तक किये जाने के सापेक्ष अद्यतन 5,27,230 एफ0एच0टी0सी0 उपलब्ध कराया जा चुका है। प्रदेश के अन्य जनपदों हेतु 33 कार्यदायी फर्मों को सूचीबद्ध करते हुए समस्त राजस्व ग्रामों में कार्य आवंटित किया गया है। प्रदेश के गुणता प्रभावित जनपदों आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, बलिया, उन्नाव, प्रयागराज एवं चन्दौली के 6439 राजस्व ग्रामों में 14 सतही स्त्रोत आधारित योजनाओं का कार्य चयनित फर्मों द्वारा किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के समस्त 75 जनपदों की 58,287 ग्राम पंचायतों में कुल 163 आई0एस0ए0 संस्थाओं को कार्य आवंटित किया गया था। आई0एस0ए0 द्वारा तीन चरणों में जन जागरूकता संबंधित कार्य संपादित किए जा रहें है- योजना चरण, कार्यान्यवयन चरण, पोस्ट कार्यान्वयन चरण पर कार्य किये गये है।
जल जीवन मिशन के अन्तर्गत प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक राजस्व ग्राम में 05 महिलाओं को जल गुणवत्ता की जांच हेतु को एफ0टी0के0 के माध्यम से अब तक कुल 5,57,958 महिलाओें को प्रशिक्षित किया गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 36,73,192 एवं चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 18,01,841 पेयजल स्रोतों की जांच की गयी है। प्रदेश में जल जीवन मिशन एवं अन्य योजनाओं के माध्यम से कुल 1,14,807 स्कूलों एवं 1,51,258 आंगनबाड़ी केन्द्रों मेें पाइप द्वारा पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित कराई गयी है।
योजना के सुचारू रूप से संचालन एवं रखरखाव हेतु प्रदेश में प्रति ग्राम पंचायत 06 ट्रेड मेें 13 व्यक्तियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। प्रदेश में अब तक 1,16,037 प्लम्बर, 116007 पम्प ओपरेटर, 1,15,505 मोटर मैकैनिक 1,16,078 फिटर, 1,16667 इलेक्ट्रीशियन तथा 175880 मेशन, कुल 756174 कर्मियों को प्रश्क्षिित करते हुये स्वरोजगार उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है।
योजना को भविष्य मेें सही दिशा में चलाये रखने हेतु पंचायती राज इंस्टीट्यूशन का प्रशिक्षण वर्तमान में चल रहा है जिसमें प्रधान, वार्ड मेम्बर्स, बी0डी0सी0 मेम्बर्स, जिला पंचायत सदस्य, सचिव, लेखपाल तथा रोजगार सेवक को प्रशिक्षित किया जा रहा है। अब तक 945959 हितग्राहियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में जल जीवन मिशन के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा धनराशि रू0 22000.00 करोड़ का बजट प्राविधान किया गया है। भारत सरकार द्वाररा केन्द्रांश में आवंटित धनराशि रू012621.95 करोड़ के सापेक्ष वर्तमान वित्तीय वर्ष में धनराशि रू03786.58 करोड़ की धनराशि अवमुक्त की गयी है। राज्य सरकार द्वारा मैचिंग राज्यांश/शार्ट फॉल/सेन्टेज के सापेक्ष अब तक कुल धनराशि रू0 2498.80 करोड़ अवमुक्त की जा चुकी है। कुल उपलब्घ धनराशि के सापेक्ष अद्यतन रू0 4684.41 करोड़ व्यय किया गया है।

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