प्रधानमंत्री ने एक्स पर किए गए अपने पोस्ट में कहा-
“ये महत्वपूर्ण परियोजनाएं हैं सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में काफी सहायता करेंगी!
प्रधानमंत्री ने एक्स पर किए गए अपने पोस्ट में कहा-
“ये महत्वपूर्ण परियोजनाएं हैं सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में काफी सहायता करेंगी!
इस प्रस्ताव का मूल्यांकन सेबी, आरबीआई, सीसीआई और अन्य संबंधित एजेंसियों द्वारा किया गया है। संबंधित विभागों, आरबीआई और सेबी द्वारा प्रस्ताव की जांच के बाद स्वीकृति दी गई है और यह इस संबंध में लागू सभी नियमों और विनियमों की पूर्ति के अधीन है।
विदेशी निवेशक कंपनी, मैसर्स बरहयांदा लिमिटेड में संपूर्ण निवेश एडवेंट फंड्स के पास है, जो विभिन्न लिमिटेड पार्टनर्स (एलपी) से निवेश एकत्र करता है। एडवेंट फंड का प्रबंधन एडवेंट इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन द्वारा किया जाता है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका की एक निगमित इकाई है। 1984 में स्थापित एडवेंट इंटरनेशनल कॉरपोरेशन ने 42 देशों में लगभग 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है। एडवेंट इंडिया ने 2007 से भारत में निवेश का शुभारंभ किया है और अब तक इसने स्वास्थ्य सेवा, वित्तीय सेवाओं, औद्योगिक विनिर्माण, उपभोक्ता वस्तुओं और आईटी सेवा क्षेत्रों की 20 भारतीय कंपनियों में लगभग 34000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
स्वीकृत निवेश का लक्ष्य नये रोजगारों का सृजन करना, संयंत्र और उपकरणों में निवेश के माध्यम से भारतीय कंपनी की क्षमता का विस्तार करना है। एडवेंट ग्रुप के साथ साझेदारी से व्यवसाय संचालन का विस्तार करके मैसर्स सुवेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड को बड़ा मंच प्रदान करने की उम्मीद है। इससे परिचालन उत्कृष्टता प्राप्त करने के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ाने और विकास में तेजी लाने के अलावा भारतीय कंपनी के पर्यावरण, स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों में सुधार और प्रबंधन में वैश्विक सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के मौजूदा पेशेवरों के लिए उत्कृष्ट प्रशिक्षण के अवसर प्राप्त होंगे।
सरकार ने त्वरित आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए प्रौद्योगिकी, नवाचार और कौशल के माध्यम से अन्य लाभों के साथ-साथ घरेलू उत्पादकता बढ़ाने, प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने और रोजगार सृजन के लिए पूरक पूंजी हेतु वैश्विक सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को अपनाने के लिए फार्मास्युटिकल क्षेत्र में एक निवेशक-अनुकूल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) नीति व्यवस्था कार्यान्वित की है।
मौजूदा एफडीआई नीति के अनुसार, ग्रीनफील्ड फार्मास्युटिकल परियोजनाओं में स्वचालित व्यवस्था के तहत 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है। ब्राउनफील्ड फार्मास्युटिकल परियोजनाओं में, स्वचालित व्यवस्था के तहत 74 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति है और 74 प्रतिशत से अधिक निवेश के लिए सरकार की मंजूरी आवश्यक है। पिछले पांच वर्षों (2018-19 से 2022-23 तक) के दौरान फार्मास्युटिकल क्षेत्र में कुल एफडीआई प्रवाह 43,713 करोड़ रुपये रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में इस क्षेत्र में एफडीआई में 58 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।
मंत्रालय अपने परिसरों और उच्चतर शिक्षा संस्थानों में लंबित मामलों की संख्या को कम करने और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। अभियान का उद्देश्य लंबित मामलों को कम करना, स्वच्छता को संस्थागत बनाना, आंतरिक निगरानी तंत्र को मजबूत करना, रिकॉर्ड प्रबंधन में कर्मियों को प्रशिक्षित करना, बेहतर रिकॉर्ड प्रबंधन के लिए भौतिक रिकॉर्ड को डिजिटल बनाना और सभी मंत्रालयों/विभागों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाना है।
शास्त्री भवन, नई दिल्ली, जहां कई मंत्रालयों/विभागों स्थित है, में भी कई नई शुरुआत की गई हैं। गलियारों को व्यवस्थित करने और डंप किए गए फर्नीचर और बेकार पड़े सामान को लॉबी से हटाने के लिए, अहाते के अंदर एक केंद्रीकृत डम्पयार्ड बनाया गया है जहां ऐसे बेकार पड़े सामान को समय-समय पर पर ले जाया जाता है और निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार उसका निपटान किया जाता है। इस पहल ने जहां गलियारों को खाली कर दिया है, वहीं अनावश्यक सामग्री से लॉबी को भी मुक्त कर दिया है। इससे आने-जाने वाली जगहों के अंदर सुचारू आवागमन के साथ-साथ आग के खतरों को कम किया जा सकता है। परिसर में एक रिसायकल इकाई स्थापित करने का भी प्रस्ताव है।
स्टार्टअप कार्यशाला के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन (बाएं) और कार्यशाला के मुख्य अतिथि स्टार्टअप ओडिशा के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. ओंकार राय अपना भाषण देते हुए
कार्यशाला में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने में सम्मिलित उद्योग, स्टार्ट-अप, उद्योग सहयोगियों, अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों और प्रमुख सरकारी निकायों तथा प्रौद्योगिकी व्यवसाय ऊष्मायकों (इनक्यूबेटर्स) का व्यापक प्रतिनिधित्व था। इसमें छात्रों को स्टार्ट-अप के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराने, सफल स्टार्ट-अप द्वारा अनुभव साझा करने और स्टार्ट-अप द्वारा नवीन समाधान (उत्पाद) प्रदर्शित करने के लिए किसी एक निर्धारित स्थान पर सत्र शामिल थे।
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च-एनआई एससीपीआर की निदेशक प्रोफेसर रंजना अग्रवाल ने उद्घाटन सत्र में अपने स्वागत भाषण में सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों के प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (टेक्नोलॉजी रेडीनेस लेवल – टीआरएल) और सामाजिक- आर्थिक प्रभाव मूल्यांकन सहित सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की गतिविधियों का संक्षिप्त विवरण दिया। प्रोफेसर अग्रवाल ने आशा व्यक्त की कि ऐसी कार्यशालाओं में हितधारकों, विशेष रूप से युवाओं की भागीदारी से देश में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में उनके लिए विद्यमान रोमांचक संभावनाओं का पता चलेगा। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक और स्टार्टअप कार्यशाला के समन्वयक डॉ. सुजीत भट्टाचार्य ने प्रतिभागियों को कार्यक्रम और इसके उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक हितधारक से जुड़ना और भविष्य का रोडमैप तैयार करना है।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि, स्टार्टअप ओडिशा के कार्यकारी अध्यक्ष, डॉ. ओंकार राय ने इस बात की झलक दी कि कैसे भारत का डिजिटलीकरण देश के सबसे सुदूरवर्ती भागों तक प्रौद्योगिकी की पहुंच में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है, जिससे टियर -2 और 3 शहरों से उभरते नए स्टार्ट -अप्स को सहायता मिल रही है। सम्मानित अतिथि, भारतीय उद्योग परिसंघ (कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया इंडस्ट्रीज -सीआईआई) की दिल्ली राज्य परिषद दिल्ली स्टेट काउंसिल के अध्यक्ष और सैमटेल एवियोनिक्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), श्री पुनेट कौरा ने विकास की मानसिकता बनाकर और अनुभवों से सीखकर व्यवसाय को बढ़ाने के दृष्टिकोण को साकार करने के बारे में बात की। उन्होंने व्यावसायिक रणनीतियों में बदलाव जारी रखने के लिए प्रतिस्पर्धी परिदृश्य का आकलन और विश्लेषण करने पर भी जोर दिया। आगे बढ़ने और विकास के रास्ते खोजने के उनके सुझावों में निरंतर सीखना और विकास, नेटवर्किंग के साथ-साथ सलाहकारों, साथियों और संभावित भागीदारों के साथ जुड़ना शामिल था।
सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के एक सप्ताह एक प्रयोगशाला (वन वीक वन लैब) कार्यक्रम के दूसरे दिन आयोजित स्टार्ट-अप कार्यशाला के दौरान पुस्तक विमोचन की झलकियाँ
उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान गणमान्य व्यक्तियों द्वारा तीन पुस्तकें जारी की गईं: प्रौद्योगिक तत्परता : कृषि और पर्यावरण विषयों के अंतर्गत सीएसआईआर नवाचारों का मूल्यांकन (टेक रेडीनेस – इवैल्यूएटिंग सीएसआईआर इनोवेशन्स अंडर एग्रीकल्चरल एंड एन्वार्न्मेंटल थीम्स); शोध (पीएचडी) कार्यक्रम के लिए एसीएसआईआर अकादमिक हैंडबुक; और संश्लेषण रिपोर्ट: कोविड-19 के संदर्भ में जीवन विज्ञान संकुल का अध्ययन (सिन्थेसिस रिपोर्ट – स्टडी ऑफ़ लाइफ साइंसेज क्लस्टर्स इन द कॉन्टेक्स्ट ऑफ़ कोविड -19), जीनोम वैली का एक केस अध्ययन। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक और कार्यशाला सह-समन्वयक डॉ. नरेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। दिन भर का कार्यक्रम स्टार्ट-अप्स पर केंद्रित था जिसमें “स्टार्टअप पारिस्थितिकी तन्त्र (इकोसिस्टम) का निर्माण” और “सफल स्टार्टअप के लिए मॉडल” पर तकनीकी सत्र, स्टार्टअप इकोसिस्टम के विभिन्न पहलुओं पर परस्पर संवाद (इंटरैक्टिव) सत्र और पैनल चर्चाएं शामिल थीं।
इस स्टार्टअप कार्यशाला के सबसे रोमांचक हिस्सों में से एक उच्च प्रौद्योगिकी से लेकर ग्रामीण विकास को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने का आश्वासन देने वाले 30 से अधिक स्टार्ट- अप्स की प्रदर्शनी थी। हाइड्रोजन से चलने वाली कार पर ध्यान केंद्रित करने वाले स्टार्ट-अप, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करने वाले खिलौना निर्माता और एक बीज स्टार्टअप इस प्रदर्शनी के कुछ मुख्य आकर्षण थे। उद्योग विशेषज्ञों और विश्वविद्यालय संचालित ऊष्मायन (इनक्यूबेशन) केंद्रों के प्रमुखों ने भी देश भर में स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया।
इस अभियान का उद्देश्य लंबित मामलों को कम करना, स्वच्छता को संस्थागत बनाना, आंतरिक निगरानी तंत्र को मजबूत करना, रिकॉर्ड प्रबंधन में अधिकारियों को प्रशिक्षित करना, बेहतर रिकॉर्ड प्रबंधन के लिए भौतिक रिकॉर्ड को डिजिटल बनाना और सभी मंत्रालयों/विभागों को एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म www.pgportal.gov.in/scdpm. पर लाना है।
उपरोक्त अवधि के दौरान, 11,000 फाइलों की समीक्षा की गई और 864 फाइलों को निपटारा किया गया, 61,380 लोक शिकायतों और अपीलों का निवारण किया गया, 35 स्वच्छता अभियान चलाए गए, 5,054 वर्ग फुट जगह खाली कराई गई और स्क्रैप निपटान से 24,49,293/- रुपये का राजस्व अर्जित किया गया।
दिसंबर 2022 से अगस्त 2023 के दौरान पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा उसके संगठनों द्वारा हासिल की गयी उपलब्धियों के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं….
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय पिछले अभियानों के उद्देश्यों और उपलब्धियों को आगे बढ़ाने और विशेष अभियान 3.0 के प्रमुख उद्देश्यों को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बालिका महाविद्यालय में दिनाँक 09/09/2023 से दिनाँक 12/09/2023 तक सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया गया। इसीमें विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस (World First Aid Day) के अवसर पर छात्राओं हेतु एक कार्यशाला का आयोजन किया गया
जिसका संयोजन व संचालन महाविद्यालय की शारीरिक शिक्षा विभाग की प्रोफेसर प्रीति पांडे तथा उनकी वैष्णवी रेंजर्स टीम के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के समापन समारोह का शुभारंभ आज मुख्य अतिथि डॉ. आर. के. सफर, प्राचार्य प्रोफेसर सुमन तथा प्रोफेसर प्रीति पांडेय द्वारा मां शारदे को माल्यार्पण कर किया गया। कार्यशाला में छात्रों को प्राथमिक चिकित्सा से संबंधित व्यावहारिक जानकारी दी गई कि किसी भी व्यक्ति को हार्ट अटैक के समय CPR देकर कैसे सुरक्षित किया जा सकता है, सड़क पर किसी घायल व्यक्ति की कैसे मदद की जा सकती है, जलने पर कैसे उपचार किया जाए की व्यक्ति की जान पर कोई खतरा न आए। इसी तरह की और व्यवहारिक जानकारियां छात्रों को दी गई| रेड क्रॉस मास्टर ट्रेनर और डिजास्टर मैनेजर लखन शुक्ला ने प्राथमिक चिकित्सा सहायता के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की पट्टियों को बाँधना सिखाया तथा आकस्मिकता में First Aid Use करने की विभिन्न प्रायोगिक विधियां छात्राओं को सिखाई| इस अवसर पर प्रीति तिवारी (लाइफ मेंबर रेड क्रॉस सोसाइटी), राम (सदस्य, रेड क्रॉस), तथा राम प्रकाश, (कार्यकर्ता) कार्य शाला में उपस्थित रहें। छात्राओं ने उत्साहपूर्ण सहभागिता की तथा समस्त शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं|
कानपुर 13 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, विकास भवन सभागार में सोमवार को मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में ‘आयुष्मान भवः’ अभियान की तैयारियों को लेकर एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि 13 सितंबर को राष्ट्रपति द्वारा इसका वर्चुअल शुभारम्भ किया जाएगा तथा 17 सितंबर से अभियान शुरू होगा जो दो अक्तूबर तक संचालित किया जायेगा। चिकित्सा व स्वास्थ्य देखभाल संबंधी गतिविधियाँ सेवा पखवाड़ा, आयुष्मान आपके द्वार 3.0, आयुष्मान सभा, आयुष्मान मेला का आयोजन जनपद, विकासखण्ड, ग्राम पंचायत स्तरों पर किया जाएगा।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी द्वारा निर्देश दिए गए कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लक्ष्य को ध्यान में रखते और विभिन्न स्वास्थ्य सेवा योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाने और हर गांव तक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुगम बनाने के उद्देश्य से आयुष्मान भवः अभियान का आयोजन किया जाये क्योंकि प्रत्येक ग्राम सभा, वार्ड और गाँव को स्वस्थ रखना सरकार की प्राथमिकता है। विभिन्न स्वास्थ्य सेवा योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाने और हर गांव तक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुगम बनाने के लिए ‘आयुष्मान भवः’ अभियान की योजना बनाई गई है। अभियान में स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। केंद्र व प्रदेश सरकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने का काम किया जाये। अभियान के दौरान सेवा पखवाड़ा, आयुष्मान आपके द्वार 3.0, आयुष्मान सभा, आयुष्मान मेला, आयुष्मान ग्राम पंचायत, आयुष्मान अर्बन, आंगनवाड़ी एवं शासकीय विधयलयो में बच्चों की स्क्रीनिंग, आयुष्मान ग्राम व वार्ड पंचायत इत्यादि गतिविधियां आयोजित की जाये। आयुष्मान आपके द्वार 3.0 के तहत विशेष अभियान 17 सितम्बर से संचालित कर आयुष्मान भारत योजना के पात्रहित लाभार्थियों का आयुष्मान कार्ड बनाया जायेगा। समस्त अधिकारियों को निर्देशित किया कि इस अभियान को सफल बनाने में अपनी भूमिका का ईमानदारी से निर्वहन किया जाए। 15 सितंबर तक माइक्रोप्लान एवं सभी प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरे कर लिए जाएं। अभियान में आयुष्मान भारत योजना के सौ फीसदी पात्र लाभार्थियों के आयुष्मान कार्ड बनाए जाएंगे। नगर निगम और पंचायती राज स्वच्छता का सघन अभियान चलाने के लिए पूरा ज़ोर देंगे।
इस मौके पर अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक किया जाएगा एवं 18 वर्ष से ऊपर के इच्छुक लोगों को अंगदान करने के लिए शपथ दिलाई जाएगी। स्वैच्छिक रक्तदान की जरूरत के बारे में भी बताया जाए। रक्तदान शिविर लगाए जाएं। विधायक, प्रधान व स्थानीय जन प्रतिनिधियों की भागीदारी भी हो। दो अक्तूबर से आयुष्मान सभा का आयोजन किया जाएगा। यह ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति द्वारा चलाया जाने वाला ग्राम स्तरीय अभियान होगा जो यह सुनिश्चित करेगा कि केंद्र और राज्य सरकार की सभी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ वांछित लाभार्थियों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि इनसे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना कार्ड और उनके वितरण की महत्ता के बारे में जागरूकता बढ़ेगी तथा आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता संख्या (एबीएचए) सृजित होगी।
बताया गया कि प्रत्येक शनिवार को आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर आयुष्मान मेला लगाया जाए। इसके माध्यम से प्रथम सप्ताह गैर संचारी रोगों, दूसरे सप्ताह संचारी रोगों जैसे टीबी, कुष्ठ व अन्य संक्रामक बीमारियों, तीसरे सप्ताह मातृ-बाल स्वास्थ्य एवं पोषण और चौथे सप्ताह नेत्रदान देखभाल सम्बन्धी गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। आयुष्मान सभा हर गांव में आयोजित की जाएगी, जहां आयुष्मान गोल्डन कार्ड वितरित किये जाएंगे और लोगों को उस क्षेत्र में आयुष्मान भारत योजना से जुड़े अस्पतालों और इस योजना के तहत मिलने वाले उपचार पैकेज की जानकारी दी जाएगी। आयुष्मान सभा, ग्राम स्वास्थ्य और स्वच्छता एवं पोषण समिति के द्वारा चलाया जाने वाला ग्राम स्तरीय अभियान होगा जो यह सुनिश्चित करेगा कि केंद्र और राज्य सरकार की सभी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ वांछित लाभार्थियों तक पहुंचे।
बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 आलोक रंजन ने अभियान के सफल क्रियान्वयन व संचालन के बारे में विस्तार से अवगत कराया।
इस मौके पर आयुष्मान योजना कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ आरपी मिश्रा, जिला चिकित्सालय के एसआईसी, सीएमएस, समस्त डिप्टी सीएमओ, एसीएमओ, चिकित्सा अधीक्षक, जिला कार्यक्रम प्रबंधन इकाई, आयुष्मान भारत की डिस्ट्रिक्ट इम्प्लीमेंट इकाई, पंचायती राज, पूर्ति, नगर निगम विभाग के प्रमुख, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी समेत अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।
आज के तेजी से विकसित हो रहे मीडिया परिदृश्य में पत्रकारिता की स्थिति चिंता का विषय बन गई है। कई लोग पत्रकारिता की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सत्यनिष्ठा में कथित गिरावट पर अफसोस जताते हैं। जबकि पत्रकार निस्संदेह पत्रकारिता के सिद्धांतों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि पत्रकारिता की स्थिति की जिम्मेदारी केवल उनके कंधों पर नहीं है। मीडिया पारिस्थितिकी तंत्र में उपभोक्ताओं और प्रतिभागियों के रूप में जनता भी पत्रकारिता के भविष्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाती है। यह एक साझा जिम्मेदारी है, और चुनौतियों से निपटने और एक स्थायी और मजबूत पत्रकारिता पारिस्थितिकी तंत्र की दिशा में काम करने के लिए पत्रकारों और जनता दोनों की भूमिका को समझना आवश्यक है।
पत्रकार की भूमिका:
पत्रकार परंपरागत रूप से सूचना के द्वारपाल रहे हैं, जिनका काम जांच करना, रिपोर्टिंग करना और जनता के सामने समाचार प्रस्तुत करना है। वे सत्य की खोज करने, सटीकता सुनिश्चित करने और नैतिक मानकों को बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाते हैं। पत्रकार लोकतंत्र के संरक्षक हैं, जो सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेह बनाते हैं और समाज को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर प्रकाश डालते हैं। हालाँकि, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि ऐसे उदाहरण हैं जहाँ पत्रकार इन आदर्शों से पीछे रह गए हैं, दबावों, पूर्वाग्रहों के आगे झुक गए हैं, या ईमानदारी से समझौता कर लिया है। इन मामलों ने निस्संदेह पत्रकारिता में जनता के विश्वास को कम करने में योगदान दिया है। बहरहाल, यह समझना महत्वपूर्ण है कि कुछ लोगों के कार्यों से कई पत्रकारों द्वारा प्रदर्शित समर्पण और व्यावसायिकता पर असर नहीं पड़ना चाहिए जो उत्कृष्टता के लिए प्रयास करना जारी रखते हैं।
जनता की भूमिका:
समाचार के उपभोक्ता के रूप में जनता, मीडिया परिदृश्य को आकार देने में अपार शक्ति रखती है। सोशल मीडिया और नागरिक पत्रकारिता के युग में, व्यक्ति समाचार प्रसार और उपभोग में सक्रिय भागीदार बन गए हैं। हालाँकि, इस नई शक्ति के साथ प्रस्तुत की गई जानकारी के साथ आलोचनात्मक ढंग से जुड़ने की जिम्मेदारी भी आती है। हालांकि यह सच है कि कुछ मीडिया आउटलेट्स द्वारा गलत सूचना और सनसनीखेज फैलाया जा सकता है, जनता के लिए विवेक का प्रयोग करना और विश्वसनीय स्रोतों की तलाश करना आवश्यक है। विश्वसनीय पत्रकारिता का समर्थन करके, प्रतिष्ठित समाचार आउटलेट्स की सदस्यता लेकर और सटीक जानकारी साझा करके, जनता एक स्वस्थ मीडिया वातावरण में योगदान कर सकती है।
मीडिया साक्षरता और सहभागिता:
जनता की ज़िम्मेदारी का एक महत्वपूर्ण पहलू मीडिया साक्षरता कौशल विकसित करना है। मीडिया साक्षरता व्यक्तियों को समाचार सामग्री का आलोचनात्मक विश्लेषण, मूल्यांकन और व्याख्या करने का अधिकार देती है। पत्रकारिता प्रथाओं पर खुद को शिक्षित करके, तथ्य-जांच और पूर्वाग्रहों को समझकर, व्यक्ति समाचार स्रोतों की विश्वसनीयता और विश्वसनीयता के बारे में सूचित निर्णय ले सकते हैं। इसके अलावा, पत्रकारों और समाचार संगठनों के साथ रचनात्मक बातचीत में शामिल होने से पारदर्शिता, जवाबदेही और मीडिया और जनता के बीच मजबूत रिश्ते को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता का समर्थन:
वित्तीय स्थिरता पत्रकारिता का एक और महत्वपूर्ण पहलू है। जैसे-जैसे मीडिया परिदृश्य महत्वपूर्ण परिवर्तनों से गुजर रहा है, पारंपरिक राजस्व मॉडल बाधित हो गए हैं। विज्ञापन राजस्व कम हो गया है, जिसके कारण बजट में कटौती, छँटनी और पत्रकारिता की गुणवत्ता में संभावित समझौता हुआ है। इसका प्रतिकार करने के लिए, जनता प्रतिष्ठित समाचार आउटलेट्स की सदस्यता लेकर, डिजिटल सामग्री के लिए भुगतान करके, या गैर-लाभकारी समाचार संगठनों को दान करके सक्रिय रूप से गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता का समर्थन कर सकती है। ऐसा करके, व्यक्ति पत्रकारिता की वित्तीय व्यवहार्यता में योगदान करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि पत्रकारों के पास उच्च गुणवत्ता वाली, स्वतंत्र रिपोर्टिंग करने के लिए संसाधन और स्वतंत्रता है।
कुल मिलाकर, पत्रकारिता की गिरावट के लिए केवल पत्रकारों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। जहां वे पेशेवर मानकों और नैतिकता को बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाते हैं, वहीं जनता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आलोचनात्मक ढंग से संलग्न होकर, मीडिया साक्षरता को बढ़ावा देकर और प्रतिष्ठित समाचार आउटलेटों का समर्थन करके, व्यक्ति पत्रकारिता के पुनरुद्धार में योगदान दे सकते हैं। एक जीवंत और मजबूत मीडिया पारिस्थितिकी तंत्र के लिए पत्रकारों और जनता के बीच साझेदारी की आवश्यकता होती है, जो सटीक, विश्वसनीय और सार्थक जानकारी के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करते हैं। केवल सामूहिक प्रयासों से ही हम चुनौतियों से निपट सकते हैं और एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जहां पत्रकारिता लोकतंत्र के स्तंभ और सकारात्मक बदलाव के लिए एक आवश्यक शक्ति के रूप में विकसित हो। –द हरिश्चंद्र
Read More »(भारत की लोकतांत्रिक विशेषता के इतिहास को 26 इंटरैक्टिव पैनलों के माध्यम से विभिन्न भाषाओं में प्रदर्शित किया गया।)
(बीच में सिंधु-सरस्वती सभ्यता की लड़की की मूर्ति)
(स्वागत कक्ष के पीछे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के दृश्य प्रदर्शित करती एक विशाल वीडियो स्क्रीन)
(आईजीएनसीए के सदस्य सचिव श्री सच्चिदानंद जोशी ‘भारत: लोकतंत्र की जननी‘ प्रदर्शनी के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए)
केंद्र में सिंधु-सरस्वती संस्कृति की एक लड़की की मूर्ति है। वह आत्मविश्वास से खड़ी है और दुनिया को देख रही है। वह स्वतंत्र, मुक्त, आश्वस्त, आत्मविश्वास से परिपूर्ण है और दुनिया को आंखों से आंखें मिलाकर देख रही है। वह अपने शरीर पर आभूषण पहनती है, जो पश्चिमी भारत की महिलाओं द्वारा प्रतिदिन पहने जाने वाले आभूषणों से काफी मिलते-जुलते हैं। कलाकृति की वास्तविक ऊंचाई 10.5 सेमी है लेकिन प्रतिकृति 5 फीट ऊंचाई और 120 किलोग्राम वजन के साथ कांस्य में बनाई गई थी।
यहां भारत के लोकतांत्रिक इतिहास को विभिन्न भाषाओं में 26 इंटरैक्टिव पैनलों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है, जहां आगंतुक 16 विभिन्न भाषाओं में सामग्री पढ़ सकते हैं और ऑडियो द्वारा सुन सकते हैं। पैनल में स्थानीय स्वशासन, आधुनिक भारत में चुनाव, कृष्ण देव राय, जैन धर्म सहित अन्य चीजें शामिल हैं। प्रदर्शनी को जी-20 एप्लिकेशन पर डिजिटल रूप से एक्सेस किया जा सकता है।
भारत में लोकतंत्र एक सदियों पुरानी अवधारणा है। भारतीय लोकाचार के अनुसार, लोकतंत्र में समाज में स्वतंत्रता, स्वीकार्यता, समानता और समावेशिता के मूल्य शामिल होते हैं और यह अपने आम नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण और सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर देता है। सबसे पहले उपलब्ध पवित्र ग्रंथ – ऋग्वेद और अथर्ववेद की पंक्तियों में सभा, समिति और संसद जैसी सहभागी संस्थाओं का उल्लेख किया गया है। अंतिम शब्द ‘संसद’ हमारे देश की संसद को दर्शाते हुए प्रचलित है। इस भूमि के महान महाकाव्य रामायण और महाभारत भी निर्णय प्रक्रिया में लोगों को समावेशित करने की बात करते हैं। भारतीय लिखित उदाहरणों में यह भी पाया जाता है कि शासन करने का अधिकार योग्यता या आम सहमति के माध्यम से अर्जित किया जाता है और यह वंशानुगत नहीं है। परिषद और समिति जैसी विभिन्न लोकतांत्रिक संस्थाओं में मतदाता की वैधता पर लगातार चर्चा होती रही है। भारतीय लोकतंत्र वास्तव में लोगों की सत्यता, सहयोग, समन्वय, शांति, सहानुभूति और सामूहिक शक्ति का उत्सवपूर्ण उद्घोष है।