Breaking News

विविधा

वायुसेना स्टेशन सरसावा में कारगिल विजय दिवस रजत जयंती 2024 का आयोजन किया गया

भारतीय वायुसेना के पास अपने वीर वायु योद्धाओं के साहस और बलिदान की एक गौरवशाली विरासत है, जिन्होंने वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में अदम्य साहस से लड़ाई लड़ी थी, जो वास्तव में सैन्य विमानन के इतिहास में एक मील का पत्थर था। कारगिल युद्ध (ऑपरेशन सफेद सागर) में भारतीय वायुसेना के ऑपरेशन, 16000 फीट से अधिक की खड़ी ढलान और चक्करदार ऊंचाइयों की चुनौतियों का सामना करने की भारतीय वायुसेना की सैन्य क्षमता का प्रमाण हैं, जो युद्ध में दुश्मन को निशाना बनाने में अद्वितीय परिचालन बाधाएं हैं। दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में लड़े गए इस युद्ध को जीतने के लिए वायु शक्ति के अपने उपयोग में तेजी से किए गए तकनीकी संशोधनों और ऑन-द-जॉब-ट्रेनिंग ने भारतीय वायुसेना का स्थान श्रेष्ठ रहा। कुल मिलाकर, भारतीय वायुसेना ने लगभग 5000 स्ट्राइक मिशन, 350 टोही/ईएलआईएनटी मिशन और लगभग 800 एस्कॉर्ट उड़ानें भरीं। भारतीय वायुसेना ने घायलों को निकालने और हवाई परिवहन कार्यों के लिए 2000 से अधिक हेलीकॉप्टर उड़ानें भी भरीं।

कारगिल युद्ध में विजय के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, भारतीय वायुसेना 12 जुलाई से 26  जुलाई 24 तक वायुसेना स्टेशन सरसावा में ‘कारगिल विजय दिवस रजत जयंती’ का आयोजन कर रही है, जिसमें देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को सम्मानित किया जाता है। वायुसेना स्टेशन सरसावा की 152 हेलीकॉप्टर यूनिट, ‘द माइटी आर्मर’ ने ऑपरेशन सफेद सागर के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 28 मई 99 को, 152 एचयू के स्क्वाड्रन लीडर आर पुंडीर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एस मुहिलान, सार्जेंट पीवीएनआर प्रसाद और सार्जेंट आरके साहू को टोलोलिंग में दुश्मन के ठिकानों पर लाइव स्ट्राइक के लिए ‘नुबरा’ फॉर्मेशन के रूप में उड़ान भरने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस हवाई हमले को सफलतापूर्वक करने के बाद, उनके हेलीकॉप्टर को दुश्मन की स्टिंगर मिसाइल ने टक्कर मार दी, जिसमें चार वीर सैनिकों ने प्राणों का बलिदान दिया। असाधारण साहस के इस कार्य के लिए, उन्हें मरणोपरांत वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया। उनके सर्वोच्च बलिदान ने सुनिश्चित किया कि उनका नाम हमेशा के लिए भारतीय वायुसेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जायेगा।

13 जुलाई 24 को, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी ने वरिष्ठ गणमान्य अधिकारियों, बहादुरों के परिवारों, दिग्गजों और सेवारत भारतीय वायुसेना अधिकारियों के साथ स्टेशन युद्ध स्मारक पर राष्ट्र की सेवा में अपने प्राणों की बलिदान देने वाले सभी वायु सैनिकों को पुष्पांजलि अर्पित की। इस आयोजित कार्यक्रम के दौरान कार्यक्रम के दौरान वायु सेना प्रमुख ने उनके परिजनों को सम्मानित किया और उनसे बातचीत की।

एक शानदार एयर शो का आयोजन किया गया जिसमें आकाश गंगा टीम द्वारा प्रदर्शन और जगुआर, एसयू-30 एमकेएल और राफेल लड़ाकू विमानों द्वारा हवाई प्रदर्शन शामिल थे। शहीद नायकों की पुण्य स्मृति में एमआई-17 वी5 द्वारा “मिसिंग मैन फॉर्मेशन” ने उड़ान भरी। इस अवसर पर भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों जैसे एमआई-17 वी5, चीता, चिनूक का स्थिर प्रदर्शन भी किया गया। इस अवसर पर एयर वॉरियर ड्रिल टीम और वायुसेना बैंड ने भी अपनी प्रस्तुतियां दी।

इस कार्यक्रम को 5000 से अधिक दर्शकों ने देखा, जिनमें स्कूली बच्चे, सहारनपुर क्षेत्र के स्थानीय निवासी, भूतपूर्व सैनिक, गणमान्य नागरिक और रुड़की, देहरादून और अंबाला के रक्षा बलों के कार्मिक गण शामिल थे।

Read More »

उपराष्ट्रपति ने साइबर अपराध के शिकार लोगों के लिए तत्काल कानूनी सहायता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज साइबर अपराध के शिकार लोगों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, को कानूनी सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया। देश में बढ़ती डिजिटल पहुंच के साथ-साथ साइबर अपराध की घटनाओं में वृद्धि का संज्ञान लेते हुए उन्होंने कहा कि यह एजेंसियों, जांचकर्ताओं, नियामकों और कानूनी समुदाय के लिए चिंता का एक नया क्षेत्र है, और इससे निपटने के लिए तकनीकी और मानवीय विशेषज्ञता विकसित करने का आह्वान किया।

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आज वैश्विक आतंकवाद निरोधक परिषद (जीसीटीसी) द्वारा आयोजित तीसरे साइबर सुरक्षा सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि निर्दोष लोगों को धोखेबाज तत्वों द्वारा ठगा जा रहा है, और उन्होंने देश के सुदूर कोने में भी डेटा सुरक्षा जागरूकता के महत्व पर जोर दिया।

वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी डिजिटल सोसाइटियों में से एक के रूप में भारत की प्रमुख स्थिति पर प्रकाश डालते हुए, श्री धनखड़ ने जोर देकर कहा कि भारत में 820 मिलियन से अधिक सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं और इसने 500 मिलियन से अधिक व्यक्तियों के लिए बैंकिंग समावेशन हासिल किया है। उन्होंने इस तथ्य की ओर भी ध्यान आकर्षित किया कि वर्ष 2023 तक वैश्विक डिजिटल लेन-देन में देश की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत होगी।

प्रौद्योगिकी की पहुंच सुनिश्चित करने में भारत की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज दुनिया भारत में सेवा वितरण में प्रौद्योगिकी के बड़े पैमाने पर उपयोग को देखकर दंग है, निस्सन्देह गांव स्तर तक भी। उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी आम आदमी के बीच एक प्रचलित शब्द बन रहा है, वह अपने लेन-देन को डिजिटल होने का आनंद लेता है।”

बाधाकारी प्रौद्योगिकियों की अपार संभावनाओं की चर्चा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी प्रौद्योगिकी का न केवल अर्थव्यवस्था, व्यवसाय या व्यक्तिगत उत्पादकता पर बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी प्रभाव पड़ सकता है। यह कहते हुए कि इन उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न चुनौतियों को अवसरों में बदला जाना चाहिए, श्री धनखड़ ने उनकी सकारात्मक क्षमता का दोहन करने के लिए प्रणालियों को अद्यतन करने का आह्वान किया। उन्होंने देश के लाभ के लिए इन प्रगतियों को एकीकृत करने के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता पर भी जोर दिया

आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए, श्री धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध पारंपरिक सीमाओं को पार कर गया है, जो भूमि, अंतरिक्ष और समुद्र से आगे बढ़कर नए तकनीकी क्षेत्रों में फैल गया है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्नत प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में किसी राष्ट्र की तैयारी उसकी वैश्विक क्षमता और रणनीतिक ताकत को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने यह भी बताया कि नरम कूटनीतिक शक्ति तेजी से किसी राष्ट्र की तकनीकी क्षमता पर निर्भर करती है।

भारत की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार के सक्रिय उपायों पर प्रकाश डालते हुए, श्री धनखड़ ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम की स्थापना और सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 को अपडेट करने सहित महत्वपूर्ण पहलों के कार्यान्वयन का उल्लेख किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये पहल, बढ़ी हुई सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ, देश के डिजिटल बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत देती हैं।

इस अवसर पर जीसीटीसी के सलाहकार प्रोफेसर वी.एम.बंसल, जीसीटीसी के कार्यकारी परिषद सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल के.जे.सिंह और सुश्री नीरू अबरोल तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

Read More »

फूलों का अपशिष्ट सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा दे रहा है

जैसे-जैसे भारत स्थिरता और सर्कुलर इकोनॉमी की ओर बढ़ रहा है, अपशिष्ट से संपदा बनाने पर ध्यान केंद्रित करना ही रास्ता है। मंदिरों में खाद बनाने के गड्ढे बनाने और पुनर्चक्रण प्रयासों में मंदिर ट्रस्टों तथा स्वयं सहायता समूहों को शामिल करने से रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा हो सकते हैं। पुजारियों और भक्तों को नदियों में फूलों का कचरा न डालने को लेकर उन्हें शिक्षित करने के लिए आउटरीच कार्यक्रम से कचरे में कमी लाने में मदद मिल सकती है। “हरित मंदिर” अवधारणा को मंदिरों को पर्यावरण के अनुकूल स्थानों में बदलने की नीतियों में एकीकृत किया जा सकता है। पारंपरिक फूलों के बजाय डिजिटल प्रसाद या स्वाभाविक तरीके से सड़नशील सामग्रियों को बढ़ावा देने से भी फूलों के कचरे को कम करने में मदद मिल सकती है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड को पार्कों आदि जैसे हरे भरे स्थानों में फूलों के कचरे का पता लगाने और उसे प्रबंधित करने में शामिल किया जा सकता है।

भारत में फूलों के अपशिष्ट का क्षेत्र नई वृद्धि का अनुभव कर रहा है, जिसका इसके बहुआयामी लाभों से पता चलता है। यह न केवल महिलाओं के लिए सार्थक रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है, बल्कि कचरे को कूड़ा-स्थलों से प्रभावी ढंग से हटाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा है।

आध्यात्मिक स्थलों से एकत्र किया गया फूलों का अपशिष्ट, जो कि ज्यादातर स्वाभाविक तरीके से सड़नशील होता है, अक्सर लैंडफिल या जल निकायों में समाप्त हो जाता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा होते हैं और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचता है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट के अनुसार, अकेले गंगा नदी सालाना 8 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक फूलों के कचरे को सोख लेती है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत, कई भारतीय शहर अभिनव समाधान ला रहे हैं। सामाजिक उद्यमी फूलों से जैविक खाद, साबुन, मोमबत्तियां और अगरबत्ती जैसे मूल्यवान उत्पाद बनाने के लिए आगे आ रहे हैं।

स्वच्छ भारत मिशन स्थिरता की ओर एक परिवर्तनकारी यात्रा का नेतृत्व कर रहा है, जहां सर्कुलर इकोनॉमी और अपशिष्ट से संपदा का सिद्धांत सर्वोच्च है। इस बदलाव के बीच, फूलों का अपशिष्ट कार्बन फुटप्रिंट में महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं में से एक के रूप में उभर रहा है जिससे इस चुनौती से निपटने के लिए शहरों और स्टार्टअप्स के बीच सहयोगात्मक प्रयास हो रहे हैं।

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में हर रोज़ 75,000 से 100,000 तक दर्शनार्थी आते हैं, जिससे प्रतिदिन लगभग 5-6 टन फूल और अन्य अपशिष्ट उत्पन्न होता है। इसके लिए खास ‘पुष्पांजलि इकोनिर्मित’ वाहन हैं, जो इस कचरे को एकत्र करते हैं और फिर इसे थ्रीटीपीडी प्लांट में संसाधित करके पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों में बदल दिया जाता है। शिव अर्पण स्व-सहायता समूह की 16 महिलाएं फूलों के कचरे से विभिन्न उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुएं बनाती हैं और इसके लिए उन्हें रोजगार भी दिया गया है। इसके अलावा, इस कचरे से स्थानीय किसानों के लिए खाद बनाया जाता है और यह जैव ईंधन के रूप में भी काम करता है। उज्जैन स्मार्ट सिटी 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 2,200 टन फूलों के कचरे से कुल 3,02,50,000 स्टिक का उत्पादन किया गया है।

मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में रोजाना करीब 40,000-50,000 श्रद्धालु आते हैं। कुछ खास दिनों में तो यह आंकड़ा 1,00,000 तक पहुंच जाता है, जो 120 से 200 किलोग्राम फूल चढ़ाते हैं। मुंबई स्थित डिजाइनर हाउस ‘आदिव प्योर नेचर’ ने एक स्थायी उद्यम शुरू किया है, जो मंदिर में अर्पित किये गए फूलों को प्राकृतिक रंगों में बदलकर कपड़े के टुकड़े, परिधान, स्कार्फ, टेबल लिनेन और बड़े थैले के रूप में अलग-अलग वस्त्र बनाता है। वे सप्ताह में तीन बार फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करते हैं, जो 1000-1500 किलोग्राम/सप्ताह होता है। इस कचरे की छंटाई के बाद कारीगरों की एक टीम सूखे फूलों को प्राकृतिक रंगों में बदल देती है। आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले गेंदा, गुलाब और अड़हुल के अलावा, टीम प्राकृतिक रंग बनाने और भाप के माध्यम से बनावट वाले प्रिंट बनाने के लिए नारियल के छिलकों का भी उपयोग करती है।

तिरुपति नगर निगम हर दिन मंदिरों से 6 टन से ज़्यादा फूलों का अपशिष्ट उठाता है। वहां फूलों के कचरे को इकट्ठा करके उसे दोबारा इस्तेमाल करने योग्य मूल्यवान उत्पादों में बदल दिया जाता है। इसके ज़रिए स्वयं सहायता समूहों की 150 महिलाओं को रोज़गार मिला है। रीसाइकिलिंग का यह काम तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम अगरबत्ती के 15 टन क्षमता वाले निर्माण संयंत्र में किया जाता है। इन उत्पादों को रीसाइकिल किए गए कागज़ और तुलसी के बीजों से भरे कागज़ से पैक किया जाता है ताकि कार्बन उत्सर्जन शून्य हो।

फूलों के कचरे की रीसाइकिलिंग करने वाले कानपुर स्थित फूल, प्रतिदिन विभिन्न शहरों के मंदिरों से फूलों का अपशिष्ट एकत्र करके बड़े-बड़े मंदिरों को इस कचरे की समस्या से निजात दिला रहा है। यह फूल’ भारत के पांच प्रमुख मंदिर शहरों अयोध्या, वाराणसी, बोधगया, कानपुर और बद्रीनाथ से लगभग 21 मीट्रिक टन फूलों का अपशिष्ट प्रति सप्ताह (3 टीपीडी) एकत्र करता है। इस कचरे से अगरबत्ती, धूपबत्ती, बांस रहित धूपबत्ती, हवन कप आदि जैसी वस्तुएं बनाई जाती हैं। फूल’ द्वारा नियोजित महिलाओं को सुरक्षित कार्य स्थान, निश्चित वेतन, भविष्य निधि, परिवहन और स्वास्थ्य सेवा जैसे लाभ मिलते हैं। गहन तकनीकी शोध के साथ, स्टार्टअप ने ‘फ्लेदर’ विकसित किया है, जो पशु चमड़े का एक व्यवहार्य विकल्प है और इसे हाल ही में पेटा (पीईटीए) के सर्वश्रेष्ठ नवाचार शाकाहारी दुनिया से सम्मानित किया गया था।

हैदराबाद स्थित स्टार्टअप, होलीवेस्ट ने ‘फ्लोरजुविनेशन’ नामक एक अनूठी प्रक्रिया के माध्यम से फूलों के कचरे को पुनर्जीवित किया है। 2018 में स्थापित कंपनी के संस्थापक माया विवेक और मनु डालमिया ने विक्रेताओं, मंदिरों, कार्यक्रम आयोजकों, सज्जाकारों और फूलों का अपशिष्ट  पैदा करने वालों के साथ भागीदारी की। वे 40 मंदिरों, 2 फूल विक्रेताओं और एक बाजार क्षेत्र से फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करते हैं और खाद, अगरबत्ती, सुगंधित शंकु और साबुन जैसे पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बनाते हैं। वर्तमान में, होलीवेस्ट‘ 1,000 किलोग्राम/सप्ताह फूलों के कचरे को जल निकायों में जाने से रोक रहा है या लैंडफिल में सड़ने से बचा रहा है।

पूनम सहरावत का स्टार्टअप ‘आरुही’ दिल्ली-एनसीआर में 15 से अधिक मंदिरों से फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करता है, 1,000 किलोग्राम कचरे को रिसाइकिल करता है और हर महीने 2 लाख रुपये से अधिक कमाता है। सहरावत ने फूलों के कचरे से उत्पाद बनाने के लिए 3,000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया है।

Read More »

प्रधानमंत्री मोदी को सर्वोच्च रूसी नागरिक पुरस्कार मिलना अंतरराष्ट्रीय संबंधों को कुशलता से संचालित करने की भारत की क्षमता को दर्शाता है: पीयूष गोयल

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में फिक्की की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की बैठक में अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के रूस के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल’ से सम्मानित होने की उपलब्धि की सराहन की। श्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भारत किस तरह से अंतरराष्ट्रीय संबंधों को कुशलता से संचालित करने में सक्षम रहा है। श्री गोयल ने उद्योग जगत से भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 100 बिलियन डॉलर तक ले जाने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने को कहा।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि वे हाल ही में हस्ताक्षरित भारत-ईएफटीए व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते के तहत 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लक्ष्य की दिशा में काम करने के लिए स्विट्जरलैंड का दौरा करेंगे। श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि यह प्रतिबद्धता पूरी तरह से एफडीआई को लेकर हमारी प्रतिबद्धता है और इसमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेश शामिल नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि साझेदारी बनाने में भारतीय उद्योग के सामूहिक प्रयास से एफडीआई से जुड़ी प्रतिबद्धता पर ईएफटीए समझौते से भी आगे बढ़कर कार्य किया जा सकता है।

श्री पीयूष गोयल ने कहा कि उद्योग के तेजी से विकास के साथ-साथ सरकार 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात के लक्ष्य के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। श्री गोयल ने कहा, “यह संभव है, इसे हासिल किया जा सकता है। हमारे पास सही आधारशिलाएं हैं, हमारे पास हमारा समर्थन करने के लिए मजबूत मैक्रोइकॉनॉमिक्स हैं। देश की मुद्रा स्थिर है और इसने अधिकांश अन्य उभरते बाजारों से बेहतर प्रदर्शन किया है।” उन्होंने कहा कि स्थिर सरकार, स्थिर बाजार, स्थिर अर्थव्यवस्था और सामूहिक ऊर्जा में पुनरुत्थान के साथ, देश को वैश्विक अर्थव्यवस्था में अधिकांश वैश्विक मंचों पर एक उज्ज्वल स्थान के रूप में महत्व दिया जा रहा है।

श्री पीयूष गोयल ने कहा कि पिछले एक साल में 1 लाख से अधिक पेटेंट पंजीकृत किए गए हैं, जो 2014 से पेटेंट पंजीकरण में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में नवाचार के साथ-साथ अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय प्रतिस्पर्धी मानकों के साथ गुणवत्ता मानक और गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जुड़े हुए हैं, जो भारत को लागत की दृष्टि से प्रतिस्पर्धी बनाने में सक्षम साबित करेंगे और सरकार को घटिया उत्पादों को भारतीय बाजार में प्रवेश करने से रोकने में मदद करेंगे।

श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए तीन गुना अधिक गति, तीन गुना अधिक काम और तीन गुना अधिक परिणाम लाने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि सरकार सुधार के कार्य पर दृढ़ता से प्रतिबद्ध है, जो नागरिकों की आय के स्तर को बढ़ाने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को विकसित करने में मदद करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि अगले पांच वर्षों के लिए जल जीवन मिशन के माध्यम से नागरिकों को बेहतर सड़क और रेल संपर्क, बिजली, पाइप्ड गैस कनेक्शन, प्रत्येक घर के लिए पानी की कनेक्टिविटी जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया जा रहा है।

श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि बुनियादी ढांचे का तेजी से रोलआउट उद्योग की जरूरतों के साथ गहराई से मेल खाता है, क्योंकि रोजगार, अर्थव्यवस्था और विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के उपभोग पर इसका कई गुना प्रभाव पड़ता है। उन्होंने विस्तार से बताया कि बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने से विनिर्माण और रसद में तेजी के मामले में भारत की अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है, लेकिन इससे सरकार को कम सुविधा प्राप्त वर्गों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाकर समाज में एक बेहतर संतुलन लाने में मदद मिलेगी। यह एक एक ऐसा विजन है, जिस पर प्रधानमंत्री श्री मोदी पिछले दस वर्षों से काम कर रहे हैं।

श्री गोयल ने कहा कि 70 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवा का विस्तार, जल जीवन मिशन की सफलता, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तीन करोड़ मुफ्त घर और शहरी क्षेत्रों में मलिन बस्तियों के इन-सीटू पुनर्वास के प्रयास इस कार्यकाल के दौरान सरकार के एजेंडे का हिस्सा हैं। श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि तेजी से बढ़ते स्टार्टअप इंडिया पहल और विनिर्माण में निवेश से मिलने वाले रोजगार या उद्यमिता के अवसरों के साथ ये बुनियादी सुविधाएं जल्द ही भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना देंगी।

उन्होंने कहा कि सरकार अनुपालन संबंधी अत्यधिक बोझ को कम करने, जन विश्वास अधिनियम के माध्यम से कानूनों को अपराधमुक्त करने और कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के ऐसे अन्य उपायों के माध्यम से भारतीय निवेश यात्रा को आसान बनाने की कोशिश कर रही है। श्री गोयल ने उद्योग जगत से और अधिक सक्रिय होने तथा हितधारकों के समक्ष आने वाली बाधाओं को सामने लाने तथा भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सरकार के साथ जुड़ने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री श्री मोदी के ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के बारे में चर्चा करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि सरकार स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है तथा उन्होंने उपस्थित लोगों से पेड़ लगाने का आग्रह किया। श्री गोयल ने यह भी कहा कि बांस का स्थिरता पर कितना जबरदस्त प्रभाव है, क्योंकि यह ऑक्सीजन पैदा कर सकता है तथा कार्बन का अवशोषण भी करता है। उन्होंने प्रतिभागियों को व्यावहारिक पहलों पर गौर करने के लिए प्रोत्साहित किया, जो प्लास्टिक के उपयोग को कम करने में मदद करेंगे तथा उद्योग जगत से इस आंदोलन को देश के अंतिम व्यक्ति तक ले जाने के प्रयास में भागीदार बनने का आग्रह किया।

Read More »

केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि भारत अपने संपूर्ण जीव-जंतुओं की सूची तैयार करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है, जिसमें 104,561 प्रजातियां शामिल हैं

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री (एमओईएफसीसी) श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत अपने संपूर्ण जीव-जंतुओं की सूची तैयार करने वाला दुनिया का पहला देश है। सूची में कुल 1,04,561 प्रजातियाँ शामिल हैं। उन्होंने कहा, इस सफलता के कारण, भारत ने खुद को जैव विविधता संरक्षण में ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित किया है।

उन्होंने कहा कि जैव विविधता के संरक्षण के मामले में भारत हमेशा से दुनिया में अग्रणी देश रहा है। हमारी परंपराएं, सिद्धांत और मूल्य प्रकृति का सम्मान करते हैं और जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देते हैं।

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) के 109वें स्थापना दिवस के अवसर पर, श्री यादव ने आज कोलकाता में भारतीय जीव-जंतुओं को सूचीबद्ध करने वाला एक पोर्टल लॉन्च किया। अपने उद्घाटन भाषण में श्री यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का प्रकृति के प्रति दृष्टिकोण और मिशन तब प्रतिबिंबित होता है जब तीसरी बार ऐतिहासिक जनादेश मिलने के बाद पहला बड़ा कार्यक्रम ‘एक पेड़ मां के नाम’ शुरू किया गया। यादव ने कही कि प्रधानमंत्री के ‘मिशन लाइफ’ ने दुनिया के सामने सतत उपभोग और संरक्षण की उपयोगिता को उजागर किया है। उन्होंने कहा, हम प्रकृति से जो कुछ भी लेते हैं, हमें उसे उसके शुद्ध रूप में प्रकृति को वापस देने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने जैव विविधता और प्रजातियों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस जैसी सरकार की पहलों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि सफल परियोजनाओं के रूप में चीतों को भारत में स्थानांतरित करना इसका एक उदाहरण है।  यादव ने कहा कि भारत के जीव-जंतुओं का चेकलिस्ट पोर्टल देश के संपूर्ण जीव-जंतुओं का पहला व्यापक दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि जीवों की सूची वर्गीकरण वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, शिक्षकों, संरक्षण प्रबंधकों और नीति निर्माताओं के लिए अमूल्य जानकारी के भंडार के रूप में काम करेगा। इसमें 121 सूचियाँ हैं। इस सूची में लुप्तप्राय, स्थानिक और अनुसूचित प्रजातियाँ भी शामिल हैं।

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के जूलॉजिकल टैक्सोनॉमी समिट 2024 का उद्घाटन करते हुए, श्री यादव ने संगठन को जैव विविधता संरक्षण के लिए समर्पित 109 गौरवशाली वर्ष पूरे करने के लिए बधाई दी। 109 की संख्या पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, बौद्ध प्रार्थना माला का 109वां मनका कृतज्ञता, स्वीकृति और मौन का प्रतीक है।

एडवर्ड कान की पुस्तक हाउ फॉरेस्ट्स थिंक: टुवार्ड्स एन एंथ्रोपोलॉजी बियॉन्ड द ह्यूमन की सराहना करते हुए श्री यादव ने कहा, इस पुस्तक में, कहन ने बताया है कि किसी विशेष क्षेत्र में कुछ प्रकार के पेड़ क्यों उगते हैं, इसके तर्कसंगत कारण हैं। ये पौधे विशेष गुणों के माध्यम से पर्यावरण से संपर्क बनाये रखते हैं। कीट प्रतिरोध इन विशेषताओं का एक उदाहरण है। उन्होंने समझाया कि पेड़ इसी तरह सोचते हैं। उन्होंने सभी से एडुआर्डो कोहन की इस अद्भुत पुस्तक को पढ़ने का आग्रह किया।

एनिमल टैक्सोनॉमी समिट-2024 जेडएसआई द्वारा आयोजित किया जा रहा दूसरा शिखर सम्मेलन है। शिखर सम्मेलन के दौरान, तीन व्यापक विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा, 1)वर्गीकरण, पद्धति और विकास, 2) पारिस्थितिकी और पशु व्यवहार; 3) जैव विविधता और संरक्षण। शिखर सम्मेलन में चार देशों के 350 प्रतिनिधि भाग लेंगे, जिनमें नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, लंदन के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में भारत और विदेशों के प्रख्यात वक्ताओं/विशेषज्ञों के 21 पूर्ण/मुख्य व्याख्यान और 142 मौखिक/पोस्टर प्रस्तुतियाँ होंगी। शिखर सम्मेलन का समापन 3 जुलाई 2024 को होगा। जैव विविधता के संरक्षण की दृष्टि से इस सम्मेलन से निकलने वाली सिफारिशों से भारत सरकार को अवगत कराया जाएगा।

इससे पहले, बच्चों ने अपनी माताओं के साथ ‘एक पेड़ मां के नाम’ कार्यक्रम में भाग लिया जहां उन्होंने केंद्रीय मंत्री की उपस्थिति में पौधे लगाए।

कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री, प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री के कार्यक्रम मन की बात को भी सुना।

श्री यादव ने जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ‘एनिमल डिस्कवरीज 2023’ नामक पुस्तक का आधिकारिक विमोचन किया। इसमें  भारत से 641 नई पशु प्रजातियाँ और नए रिकॉर्ड शामिल हैं। उन्होंने भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण  (बीएसआई) की प्लांट डिस्कवरीज 2023 नामक पुस्तक का आधिकारिक विमोचन भी किया जिसमें भारत के वैज्ञानिकों, संकायों और शोधकर्ताओं द्वारा प्रकाशित 339 नई पौधों की प्रजातियां और देश से नए रिकॉर्ड शामिल हैं। इसके अलावा कुछ अन्य महत्वपूर्ण पुस्तकें भी आधिकारिक तौर पर प्रकाशित हुईं।

केंद्रीय मंत्री द्वारा अन्य महत्वपूर्ण प्रकाशनों में ‘फौना ऑफ इंडिया-109 बारकोड’, ‘कैटलॉग ऑफ होवरफ्लाइज’, ‘कैटलॉग ऑफ मस्किडे’ और ‘फ्लोरा ऑफ इंडिया सीरीज’ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर आईसीएआर-एनबीएफजीआर, लखनऊ और जेडएसआई, कोलकाता द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित पहली ‘बारकोड एटलस ऑफ इंडियन फिश’ और शिलादित्य चौधरी और केतन सेनगुप्ता द्वारा लिखित पुस्तक ‘आरओएआर-सेलिब्रेटिंग 50 इयर्स ऑफ प्रोजेक्ट टाइगर’ का भी विमोचन किया गया।

इस अवसर पर वन विभाग के महानिदेशक और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव श्री जितेंद्र कुमार ने ‘इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ जूलॉजी’ (आईएसजेड) का उद्घाटन किया जो जैव विविधता की वैश्विक समझ और संरक्षण में योगदान करने के लिए व्यक्तियों और संस्थानों की क्षमता को बढ़ाएगा।

इस कार्यक्रम में देश में जीव-जंतुओं के संसाधनों की खोज और सुरक्षा, हमारे पर्यावरण की महत्ता और सुरक्षा तथा इसमें जेडएसआई और बीएसआई के योगदान के संदेश शामिल थे। जेडएसआई ने बेहतर समन्वय और आम जनता को लाभ पहुँचाने के लिए विश्वविद्यालयों/कॉलेजों (जैसे विद्यासागर विश्वविद्यालय, बरहामपुर विश्वविद्यालय, मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, हिमालयन विश्वविद्यालय, फर्ग्यूसन कॉलेज और कोंगुनाडु कला एवं विज्ञान महाविद्यालय) और राष्ट्रीय संस्थानों (आईसीएआर-एनबीएफजीआर, आईसीएआर-एनबीएआईआर, आईसीएआर-सीआईएफए, बीआईटीएस, पिलानी) के साथ 10 समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया।

कार्यक्रम में जेडएसआई निदेशक धृति बनर्जी ने स्वागत भाषण दिया, जिसमें जेडएसआई, बीएसआई के अधिकारी, वैज्ञानिक और शोधकर्ता तथा कई विश्वविद्यालयों और भारतीय और विदेशी संस्थानों के कुलपति भी शामिल हुए। कार्यक्रम का समापन सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ हुआ।

Read More »

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने महाराष्ट्र में जीका वायरस के मामलों को देखते हुए राज्यों को परामर्श जारी किया है

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. अतुल गोयल ने महाराष्ट्र में जीका वायरस के कुछ दर्ज किए गए मामलों को देखते हुए राज्यों को एक परामर्श जारी किया है। इसमें देश में जीका वायरस की स्थिति पर निरंतर सतर्कता बनाए रखने की जरूरत पर प्रकाश डाला गया है।

चूंकि जीका संक्रमित गर्भवती महिला के भ्रूण में माइक्रोसेफली और न्यूरोलॉजिकल प्रभाव आ जाता है, इसलिए राज्यों को सलाह दी गई है कि वे चिकित्सकों को कड़ी निगरानी के लिए सचेत करें। राज्यों से आग्रह किया गया है कि वे संक्रमित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं या प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले मामलों की देखभाल करने वाले लोगों को निर्देश दें कि वे गर्भवती महिलाओं की जीका वायरस संक्रमण के लिए जांच करें, जीका से संक्रमित पाई गईं गर्भवती माताओं के भ्रूण के विकास की निगरानी करें और केंद्र सरकार के दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करें। राज्यों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे स्वास्थ्य सुविधाओं/अस्पतालों को एक नोडल अधिकारी की पहचान करने की सलाह दें जो अस्पताल परिसर को एडीज मच्छर से मुक्त रखने के लिए निगरानी और कार्य करें।

राज्यों को कीट विज्ञान निगरानी को मजबूत करने और आवासीय क्षेत्रों, कार्यस्थलों, स्कूलों, निर्माण स्थलों, संस्थानों और स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों में वेक्टर नियंत्रण गतिविधियों को तेज करने के महत्व पर जोर देते हुए निर्देश दिया गया है। राज्यों से समुदाय के बीच घबराहट को कम करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर एहतियाती आईईसी संदेशों के माध्यम से जागरूकता को बढ़ावा देने का भी आग्रह किया गया है, क्योंकि जीका किसी भी अन्य वायरल संक्रमण की तरह ही है जिसके अधिकांश मामले लक्षणहीन और हल्के होते हैं। हालांकि, इसे माइक्रोसेफली से जुड़ा मामला बताया जाता है, लेकिन 2016 के बाद से देश में जीका से जुड़े माइक्रोसेफली की कोई रिपोर्ट नहीं आई है।

किसी भी आसन्न उछाल/प्रकोप का समय पर पता लगाने और नियंत्रण के लिए, राज्य अधिकारियों को सतर्क रहने, तैयार रहने और सभी स्तरों पर उचित रसद की उपलब्धता सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है। राज्यों से यह भी आग्रह किया गया है कि वे पहचान में आए जीका के किसी भी मामले के बारे में तुरंत एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) और राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीवीबीडीसी) को बताएं।

जीका परीक्षण सुविधा राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे; राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), दिल्ली और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की कुछ चुनिंदा वायरस अनुसंधान और नैदानिक ​​प्रयोगशालाओं में उपलब्ध है। जीका संक्रमण के बारे में उच्च स्तर पर समीक्षा की जा रही है।

डीजीएचएस ने इस साल की शुरुआत में 26 अप्रैल को एक एडवाइजरी भी जारी की थी। एनसीवीबीडीसी के निदेशक ने भी फरवरी और अप्रैल, 2024 में दो एडवाइजरी जारी की हैं ताकि राज्यों को एक ही वेक्टर मच्छर से फैलने वाली जीका, डेंगू और चिकनगुनिया बीमारी के बारे में पहले से चेतावनी दी जा सके।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय स्थिति पर लगातार नज़र रख रहा है।

पृष्ठभूमि:

डेंगू और चिकनगुनिया की तरह जीका भी एडीज मच्छर जनित वायरल बीमारी है। यह एक गैर-घातक बीमारी है। हालांकि, जीका संक्रमित गर्भवती महिलाओं से पैदा होने वाले शिशुओं में माइक्रोसेफली (सिर का आकार कम होना) से जुड़ा है, जो इसे एक बड़ी चिंता का विषय बनाता है।

भारत में 2016 में गुजरात राज्य में जीका का पहला मामला सामने आया था। तब से, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक जैसे कई अन्य राज्यों में भी बाद में जीका मामले दर्ज किए हैं।

वर्ष 2024 में (2 जुलाई तक), महाराष्ट्र के पुणे में 6, कोल्हापुर में 1 और संगमनेर 1 यानी पूरे आठ मामले दर्ज किए गए हैं।

Read More »

केरल में पंचायतों को (2020-21 से 2026-27 तक) 15वें वित्त आयोग के अनुदान के रूप में 5337.00 करोड़ रुपये जारी किए हैं

केरल मीडिया के कुछ वर्गों में आई रिपोर्टों का संदर्भ लें। केरल में ग्राम पंचायतों को 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुदान जारी करने में केंद्र सरकार की कथित लापरवाही पर पंचायती राज मंत्रालय ने निम्नलिखित जानकारी दी हैं :

(i) भारत सरकार ने केरल में ग्राम पंचायतों को 14वें वित्त आयोग (2015-16 से 2019-20 तक) के अनुदान के रूप में 3,774.20 करोड़ रुपये और इन पंचायतों को 15वें वित्त आयोग (2020-21 से 2026-27 तक) के अनुदान के रूप में 5,337.00 करोड़ रुपये (28.06.2024 तक) जारी किए हैं।

(ii) 15वें वित्त आयोग की अवधि के लिए, केरल को ग्रामीण स्थानीय निकायों को बिना शर्त (बेसिक) और सशर्त अनुदान के रूप में धनराशि जारी की गई। 15वें वित्त आयोग के तहत आवंटन और धनराशि जारी करने का विस्तृत वर्षवार सारांश नीचे दी गई तालिका 1 में दिया गया है :

तालिका नंबर-एक

ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए केरल राज्य को पंद्रहवें वित्त आयोग की धनराशि के आवंटन और धनराशि जारी करने की स्थिति

(करोड़ रुपए में)

क्रम सं. वर्ष बिना शर्त (बेसिक) अनुदान राशि सशर्त अनुदान राशि कुल
आवंटन जारी करना आवंटन जारी करना आवंटन जारी करना
1 2020–21 814.00 814.00 814.00 814.00 1628.00 1628.00
2 2021–22 481.20 481.20 721.80 721.80 1203.00 1203.00
3 2022–23 498.40 498.40 747.60 747.60 1246.00 1246.00
4 2023–24 504.00 504.00 756.00 756.00 1260.00 1260.00

(iii) 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, राज्यों के लिए यह अनिवार्य शर्त है कि वे राज्य वित्त आयोग (एसएफसी) का गठन करें, उनकी सिफारिशों पर कार्य करें और मार्च 2024 तक या उससे पहले राज्य विधानमंडल के समक्ष की गई कार्रवाई के संबंध में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें। मार्च 2024 के बाद, उस राज्य को कोई अनुदान जारी नहीं किया जाएगा, जिसने राज्य वित्त आयोग और इन शर्तों के संबंध में संवैधानिक प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया है।

(iv) मंत्रालय ने 11 जून, 2024 और 24 जून, 2024 के अपने पत्र के माध्यम से राज्यों से राज्य वित्त आयोग का विवरण उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।

(v) राज्य सरकार ने 7 जून 2024 के पत्र के माध्यम से वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बिना शर्त अनुदान की दूसरी किस्त का अनुदान हस्तांतरण प्रमाणपत्र (जीटीसी) प्रस्तुत किया है। इसकी जांच पंचायती राज मंत्रालय कर रहा है और वित्त मंत्रालय को अगली किस्त (वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पहली किस्त) जारी करने की सिफारिश की जा रही है। हालांकि, 28 जून 2024 तक मंत्रालय को केरल से राज्य वित्त आयोग पर विवरण प्रस्तुत करने से संबंध में जवाब प्राप्त होना बाकी है, जो मार्च 2024 के बाद अनुदान जारी करने के लिए एक अनिवार्य शर्त है।

Read More »

दोनों सदनों के अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने के साथ संसद सत्र समाप्त

18वीं लोकसभा के लिए हुए आम चुनावों के बाद, लोकसभा का पहला सत्र और राज्यसभा का 264वां सत्र क्रमशः 24 और 27 जून से बुलाया गया था। लोकसभा को कल 2 जुलाई, 2024 को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया, जबकि राज्यसभा को आज 3 जुलाई, 2024 को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है। आज नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने संसद के इस सत्र की कार्यवाही का विवरण प्रस्तुत किया। लोकसभा में पहले दो दिन 18वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ/प्रतिज्ञान के उद्देश्य के लिए विशेष रूप से समर्पित थे। सत्र के दौरान कुल 542 सदस्यों में से 539 ने शपथ/प्रतिज्ञान लिया।

शपथ/प्रतिज्ञान की सुविधा के लिए, भारत की राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 95(1) के तहत श्री भर्तृहरि मेहताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया तथा श्री सुरेश कोडिकुन्निल, श्री राधा मोहन सिंह, श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, श्री टी.आर. बालू और श्री सुदीप बंद्योपाध्याय को ऐसे व्यक्तियों के रूप में नियुक्त किया, जिनके समक्ष सदस्य संविधान के अनुच्छेद 99 के तहत शपथ/प्रतिज्ञान ले सकते हैं और उन पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।

26 जून, 2024 को लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव हुआ और लोकसभा के सदस्य श्री ओम बिरला को ध्वनि मत से अध्यक्ष चुना गया। इसी दिन, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में अपने मंत्रिपरिषद का परिचय कराया। 27 जून, 2024 को राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 87 के तहत संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित किया, जिसमें सरकार की पिछली उपलब्धियों का ब्यौरा दिया गया और साथ ही राष्ट्र के भविष्य के विकास के लिए रोडमैप का भी विवरण दिया गया।

27 जून, 2024 को प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रिपरिषद का राज्यसभा में परिचय कराया। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा 28 जून, 2024 को दोनों सदनों में शुरू होनी थी।

लोकसभा में व्यवधानों के कारण इस विषय पर बहस 1 जुलाई, 2024 को ही शुरू हो सकी। श्री अनुराग ठाकुर, सांसद ने बहस की शुरुआत की, जबकि सुश्री बांसुरी स्वराज, सांसद ने लोकसभा में चर्चा का समर्थन किया। कुल 68 सदस्यों ने बहस में हिस्सा लिया, जबकि 50 से अधिक सदस्यों ने अपने भाषण सदन के पटल पर रखे। 2 जुलाई, 2024 को 18 घंटे से अधिक चली चर्चा के बाद प्रधानमंत्री द्वारा बहस का उत्तर दिया गया। लोकसभा में लगभग 34 घंटे की अवधि में 7 बैठकें हुईं और एक दिन के व्यवधान के बावजूद उत्पादकता 105 प्रतिशत रही। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा 28 जून, 2024 को श्री सुधांशु त्रिवेदी, सांसद द्वारा शुरू की गई, जिसका समर्थन सुश्री कविता पाटीदार, सांसद द्वारा किया गया। कुल 76 सदस्यों ने 21 घंटे से अधिक चली बहस में भाग लिया, जिसका उत्तर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 3 जुलाई, 2024 को दिया गया। राज्यसभा की कुल उत्पादकता 100 प्रतिशत से अधिक रही।

Read More »

भारतीय खाद्य निगम ने रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2024-25 के दौरान 266 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं खरीदा

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने चालू रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2024-25 के दौरान 266 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं की सफलतापूर्वक खरीद की है, जो पिछले साल के 262 एलएमटी के आंकड़े को पार कर गया है और देश में खाद्यान्न को सुनिश्चित किया है। आरएमएस 2024-25 के दौरान गेहूं की खरीद के लिए 22 लाख से अधिक भारतीय किसान लाभान्वित हुए हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत गेहूं की खरीद पर लगभग 0.61 लाख करोड़ रुपये सीधे इन किसानों के बैंक खातों में जमा किए गए हैं।

आरएमएस के तहत गेहूं की खरीद आम तौर पर हर साल 1 अप्रैल को शुरू होती है। हालांकि, किसानों की सुविधा के लिए, इस साल अधिकांश खरीद करने वाले राज्यों में इसे लगभग एक पखवाड़े पहले कर दिया गया था। यह उपलब्धि किसानों के हितों की रक्षा और सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

विभिन्न गेहूं खरीद करने वाले राज्यों से एकत्र किए गए अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, आरएमएस 2024-25 के दौरान कुल गेहूं खरीद 266 एलएमटी है, जो आरएमएस 2023-24 के 262 एलएमटी के आंकड़े और आरएमएस 2022-2023 के दौरान दर्ज 188 एलएमटी से अधिक है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्यों ने अपनी गेहूं खरीद की मात्रा में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है। उत्तर प्रदेश ने पिछले साल 2.20 एलएमटी की तुलना में 9.31 एलएमटी की खरीद दर्ज की है, जबकि राजस्थान ने पिछले सीजन के 4.38 एलएमटी से 12.06 एलएमटी हासिल किया है।

पर्याप्त मात्रा में गेहूं की खरीद ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में खाद्यान्न का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित करने में मदद की है। यह पूरी खरीद प्रक्रिया पीएमजीकेएवाई सहित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत लगभग 184 एलएमटी गेहूं की वार्षिक आवश्यकता को पूरा करने में महत्वपूर्ण रही है।

भारत सरकार ने आरएमएस 2024-25 के लिए गेहूं के लिए 2275 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित किया। एमएसपी एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है, यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को उचित मूल्य मिले। इसके अलावा, अगर किसानों को बेहतर कीमत मिलती है, तो वे खुले बाजार में अपना अनाज बेचने के लिए स्वतंत्र हैं, जिससे प्रतिस्पर्धी बाजार का माहौल बनता है। एमएसपी का आश्वासन और खुले बाजार में बेचे जाने के उतार-चढ़ाव से सामूहिक रूप से किसानों के लिए बेहतर आय सुरक्षा हुई है।

गेहूं के अलावा, खरीफ विपणन सीजन 2023-24 के दौरान इन किसानों के बैंक खातों में एमएसपी पर धान की खरीद के लिए 1.74 लाख करोड़ रुपये भेजे गए। ये किसान ज्यादातर देश भर में फैले सीमांत किसान हैं। धान की वर्तमान खरीद ने केंद्रीय पूल चावल के स्टॉक को 490 एलएमटी से अधिक कर दिया है, जिसमें मिलिंग के बाद प्राप्त होने वाला 160 एलएमटी चावल भी शामिल है। चावल की वार्षिक आवश्यकता लगभग 400 एलएमटी है, जबकि 1 जुलाई के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित बफर मानदंड 135 एलएमटी है। चावल के वर्तमान स्टॉक स्तर के साथ, देश न केवल अपने बफर स्टॉक मानदंडों को बल्कि अपनी पूरी वार्षिक आवश्यकता को भी पार कर गया है। इसके अलावा अगले खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2024-25 के तहत खरीद भी अक्टूबर 2024 में शुरू होने की संभावना है।

इस सीजन में गेहूं और धान की पर्याप्त खरीद सरकार, एफसीआई, राज्य एजेंसियों, किसानों और अन्य हितधारकों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है, जिनमें कमीशन एजेंट, हैंडलिंग और परिवहन ठेकेदार और सड़क परिवहन ठेकेदार शामिल हैं। यह उपलब्धि एफसीआई की खरीद और भंडारण संबंधी सुविधाओं की मजबूती पर भी जोर देती है, जो देश में खाद्य सुरक्षा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। एफसीआई पूरे भारत में खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करने, कृषक समुदाय का समर्थन करने और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के अपने मिशन के प्रति प्रतिबद्ध है।

Read More »

नीट परीक्षा विवाद… आखिर क्यों?

UGC-NET परीक्षा की नई तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बताया है कि UGC-NET की परीक्षा 21 अगस्त से 4 सितंबर के बीच में होने वाली है, इसके साथ-साथ ज्वाइंट CSIR-UCG NET की परीक्षा जुलाई 25 से 27 जुलाई के बीच में होने वाली है। इसी कड़ी में NCET परीक्षा 10 जुलाई को करवाई जाएगी। बड़ी बात यह है कि इन परीक्षाओं को इस बार ऑनलाइन करवाया जा रहा है क्योंकि पिछली बार  UGC-NET की परीक्षा ऑफलाइन करवाई गई थी।

हर साल लाखों छात्र मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए Neet की परीक्षा देते हैं। Neet परीक्षा विवाद के बाद लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। 5 मई को देशभर से करीब 23 लाख स्टूडेंट्स ने यह परीक्षा दी थी, लेकिन पेपरों की बिक्री से लेकर अंकों के अवैध वितरण की ग्रेस पद्धति और परिणामों की घोषणा तक हर स्तर पर घोटाला हुआ।
नीट परीक्षा मानसिक योग्यता का परिक्षण होता है।
एक परीक्षा 23 लाख छात्र और बहुत से सवाल। 50 हजार रूपए की पुस्तकें, लाखों रुपए कोचिंग फीस के बाद 12-12 घंटे तक बच्चों की पढ़ाई और उसके बाद हजारों प्रश्नों में से 180 प्रश्न पूछे जाते हैं जिनके उत्तर छात्रों को देने होते हैं। फिर मेरिट लिस्ट बनने के बाद छात्रों को मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलता है।
इन घोटालों के चलते इस साल नीट परीक्षा में टॉपर्स की संख्या 67 तक पहुंच गई जबकि पिछले साल टॉपर्स की यही संख्या सिर्फ दो थी। गुजरात के गोधरा में जय जलाराम स्कूल में नीट परीक्षा केंद्र पाने के लिए 10 लाख रुपए की बोली लगाई गई, क्योंकि वड़ोदरा में एक कोचिंग क्लासेज के संचालक ने नीट पेपर को लीक करने और अधिकतम अंक लाने की जिम्मेदारी ली थी।
पैसे फेंककर उपलब्ध कराई गई नीट में सफलता की गारंटी वाला गुजरात का शॉर्टकट एजेंटों के माध्यम से देश के कई छात्रों तक पहुंच गया। इसलिए बिहार, झारखंड, ओडिशा, कर्नाटक आदि राज्यों के छात्रों ने अपने घर के पास परीक्षा केंद्र का विकल्प छोड़कर हजारों किलोमीटर दूर गुजरात के गोधरा के परीक्षा केंद्र को चुना। इसके लिए इन छात्रों के अभिभावकों ने एजेंटों को लाखों रुपए की रिश्वत दी। अभिभावकों से 12 करोड़ रुपए ऐंठने के बाद छात्रों को सफलता का रास्ता बताया गया। विद्यार्थियों को आश्वस्त किया गया कि जिन प्रश्नों के उत्तर आपको नहीं आते, उस स्थान को खाली छोड़ दें, परीक्षा के बाद हम उत्तर पुस्तिका में आपके द्वारा छोड़े गए प्रश्नों के सही उत्तर भर देंगे और यह धांधली उन शासकों की नाक के नीचे हुआ जो सुशासन और पारदर्शिता जैसी बड़ी बड़ी बातें करते हैं।
नीट पेपर लीक में सीबीआई ने झारखंड से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल अपराध मे शामिल पाये गये।
इस विवाद में आम जनता ने भी ख़ुद को शामिल कर लिया है जिसका इस परीक्षा से कुछ लेना देना नहीं है। हरदयाल पब्लिक स्कूल के पास एक दुकानदार ने बताया कि मेडिकल परीक्षा हुई थी और वहां लोग कह रहे थे कि पेपर लीक हो गया है, क्योंकि बहुत सारे बच्चों ने टॉप कर लिया है।
इससे पहले शिक्षा मंत्रालय ने पेपर लीक के आरोपों के बाद यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द कर दिया था। यह परीक्षा 18 जून को हुई थी और अगले ही दिन इसे रद्द कर दिया गया था।
10 दिनों में 4 परीक्षाएं स्थगित कर दी गई। पेपर लीक, भ्रष्टाचार, अनियमितताएं और शिक्षा माफ़िया ने हमारी शिक्षा प्रणाली में घुसपैठ कर ली है। देर से की गई कार्रवाई से कोई फ़ायदा नहीं होने वाला है क्योंकि अनगिनत युवा इससे परेशान हो रहे हैं। फ़िलहाल ये साफ़ नहीं है कि इस परीक्षा के साथ आगे क्या होगा?
सबसे अहम सवाल कि इतनी चुस्त सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद पेपर लीक कैसे हुआ और जब व्यवस्था के ही लोग लिप्त पाये जा रहे हैं तो न्याय की किसी भी तरह की उम्मीद करना बेकार है? बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और उनकी मेहनत कैरियर और खुद उनके साथ-साथ माता-पिता की अपेक्षाओं के साथ खिलवाड़ करना है। इस तरह की धांधली के शिकार वो बच्चे ज्यादा होते हैं जो मेहनत करके परीक्षा देने आते हैं। दोबारा परीक्षा देना मतलब फिर से उतनी तैयारी करना जोकि समय की बर्बादी भी है हालांकि कुछ छात्र दोबारा परीक्षा की मांग कर रहे हैं। महत्वपूर्ण बात कि संसद में इस मुद्दे को उठाने नहीं दिया जा रहा है जबकि यह शिक्षा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और महत्वपूर्ण सवाल यह भी है केंद्र चुप्पी क्यों लगाए हुए हैं? परीक्षाओं में धांधली होना अब आम हो चला है। देश में पिछले 7 सालों में पेपर लीक की तकरीबन 70 घटनाएं सामने आई हैं। इस सबसे बच्चों का मनोबल गिरते जा रहा है। क्या जरूरी नहीं हो जाता है कि सरकार शिक्षा जैसे मुद्दों पर थोड़ा गंभीर हो जाए?

Read More »