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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्रीअमित शाह ने आज राज्य सभा में भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 पर चर्चा का जवाब दिया, सदन ने चर्चा के बाद तीनों विधेयकों को पारित किया

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लगभग 150 वर्ष पुराने आपराधिक न्याय प्रणाली को चलाने वाले तीनों कानूनों में पहली बार भारतीयता, भारतीय संविधान और भारत की जनता की चिंता करने वाले परिवर्तन किए गए हैं

अब भारत के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में एक नए युग की शुरूआत होगी, जो पूर्णतया भारतीय होगा

हमारी आपराधिक न्यायिक प्रणाली भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानूनों से चलेगी

मोदी जी ने देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाई है और आने वाले इन नए कानूनों की आत्मा, सोच, शरीर सब भारतीय है

मोदी सरकार द्वारा लाए इन कानूनों से संगठित अपराध पर नकेल कसी जाएगी

नए कानूनों के आने के बाद गरीब से गरीब व्यक्ति को जल्दी न्याय मिलेगा

इन कानूनों पर पूरी तरह अमल होने के बाद तारीख पर तारीख का ज़माना खत्म हो जाएगा

भारतीय न्याय के मूल विचार विश्व के सभी न्यायिक विचारों में सबसे उदार और महान हैं और ये नए कानून उन्ही विचारों से प्रेरित हैं

स्वराज का मतलब स्वशासन नहीं होता, बल्कि स्वधर्म, स्वभाषा, स्वसंस्कृति और स्वशासन को प्रस्थापित करना है

हमारा इतिहास नहीं है बोल कर भूल जाना… मोदी जी जो कहते हैं, वह करके दिखाते हैं

हमने विक्टिम-सेन्ट्रिक कानून बनाए हैं, इसका उद्देश्य पीड़ित को न्याय देने और उसके आत्मसम्मान व गरिमा को पुनर्स्थापित करना है

इन कानूनों पर अमल होने के बाद FIR से लेकर फैसले तक पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी

इनमें जीरो एफआईआर, ई-एफआईआर और 2027 तक देशभर के सभी मामलों के रिकॉर्ड्स को डिजिटाइज़ करने का प्रावधान भी किया गया है

मोदी सरकार ने आज इस देश के कानून में से राजद्रोह को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया है, लेकिनभारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ कोई कुछ करेगा तो उसे कठोरतम सजा मिलेगी

मोदी जी ने आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए आतंकवाद की परिभाषा को इसमें शामिल किया है

तकनीक के उपयोग के साथ पुलिस, वकील और कोर्ट के लिए समयसीमा तय कर जल्द न्याय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है

आजादी के बाद सबसे कम मॉब लिंचिंग की घटनाएं मोदी जी के कार्यकाल में हुई है

हमने कहा था कि न्याय मिलने की गति बढ़ाएंगे, कानूनों का सरल, भारतीय बनाएंगे और न्यायिक और न्यायालय प्रबंधन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाएंगे और मोदी जी ने आज ये भी कर दिखाया है

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज राज्य सभा में भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 पर चर्चा का जवाब दिया। सदन ने चर्चा के बाद तीनों विधेयकों को पारित कर दिया। लोक सभा ने बुधवार, 20 दिसंबर 2023 को इन विधेयकों को पारित कर दिया था।

चर्चा का जवाब देते हुए श्री अमित शाह ने कहा किसंसद से ये तीनों विधेयक पारित होने पर भारत के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में एक नए युग की शुरूआत होगी, जो पूर्णतया भारतीय होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज़ादी के 75 सालों बाद इस देश में सारे कोलोनियल कानूनों में बदलाव कर या समाप्त कर भारत की आत्मा को प्रस्थापित करने की शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि इन तीनों कानूनों को वर्ष 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेज़ों के शासन की रक्षा के लिए बनाया गया था और इनमें कहीं भारतीय नागरिकों, उनके सम्मान, मानवाधिकारों की सुरक्षा और निर्बल को संरक्षण देने की व्यवस्था नहीं थी। श्री शाह ने कहा कि पुराने कानूनों में मानव वध और महिला के साथ दुर्व्यवहार को प्राथमिकता न देकर खज़ाने की रक्षा, रेलवे की रक्षा और ब्रिटिश ताज की सलामती को प्राथमिकता दी गई थी। उन्होंने कहा कि आज प्रस्तुत इन तीनों विधेयकों का उद्देश्य दंड देना नहीं बल्कि न्याय देना है। उन्होंने कहा कि भारतीय आत्मा वाले इन तीन कानूनों से हमारी आपराधिक न्यायिक प्रणाली भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानूनों से चलेगी। उन्होंने कहा कि हमारे पुराणों में स्थापित न्याय की कल्पना विश्व की सभी न्यायिक कल्पनाओं में सबसे अधिक उदार है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इन कानूनों पर अमल होने के बाद FIR से लेकर फैसले तक पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी और तकनीक का सबसे अधिक उपयोग अगर किसी देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में होगा, तो वो भारत में होगा। उन्होंने कहा कि इनमें ज़ीरो एफआईआर, ई-एफआईआर और 2027 तक देशभर के सभी मामलों के रिकॉर्ड्स को डिजिटाइज़ करने का प्रावधान भी किया गया है। उन्होंने कहा कि स्वराज का मतलब स्वशासन नहीं होता, बल्कि स्वधर्म, स्वभाषा, स्वसंस्कृति और स्वशासन को प्रस्थापित करना है। श्री शाह ने कहा कि 2014 से श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश की महान आत्मा को जागृत करने का काम किया है और वही आज भारत के उत्थान का कारण बना है। गृह मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में बैलेंस ऑफ वर्क को बहुत महत्व दिया जाता है और हमारी वर्तमान आपराधिक न्यायिक प्रणाली में ये बिगड़ गया है, लेकिन इन नए कानूनों में हमने इसका खास ध्यान रखा है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों पर पूरी तरह अमल होने के बाद तारीख पर तारीख का ज़माना खत्म हो जाएगा और 3 सालों में पीड़ित को न्याय देने वाली न्यायिक प्रणाली देश में स्थापित होगी।

श्री अमित शाह ने कहा कि संसद से ये विधेयक पारित होने के बाद हमारी आपराधिक न्यायिक प्रणाली 19वीं सदी से निकलकर 2 सदियों का फासला तय कर सीधे 21वीं सदी में प्रवेश करेगी। उन्होंने कहा कि इन कानूनों से भारतीय न्याय की मूल अवधारणा से हम पूरे विश्व को परिचित करा सकेंगे और इनके सुफल इस देश की जनता को मिलेंगे। गृह मंत्री ने  कहा कि विश्व की सबसे आधुनिक और वैज्ञानिक न्याय प्रणाली भारत की 140 करोड़ जनता को उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि आज और आने वाले 100 सालों की तकनीक को नियमों में परिवर्तित कर समाहित किया जा सके, इतनी दूरदृष्टि के साथ तकनीक को इन कानूनों में समाहित किया गया है। श्री शाह ने कहा कि 7 साल से अधिक सज़ा वाले सभी अपराधों में फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री की विज़िट को अनिवार्य किया है जिससे कन्विक्शन रेश्यो बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि ये नए कानून पारित होने के बाद कश्मीर से कन्याकुमारी औऱ द्वारका से असम तक पूरे देश में एक ही न्याय प्रणाली होगी। श्री शाह ने कहा कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए हम परंपरागत सम्मान को कानून का स्वरूप देने में सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज़ादी के 75 वर्षों औऱ 4 दशकों से आतंकवाद का दंश झेलने के बाद इस देश के कानून में आतंकवाद की परिभाषा ही नहीं थी, लेकिन मोदी जी ने आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए आतंकवाद की परिभाषा को इसमें शामिल किया है।

गृह मंत्री ने कहा कि इस कानून से राजद्रोह अब देशद्रोह में बदल दिया गया है। उन्होने कहा किमहात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, वीर सावरकर जैसे लोग राजद्रोह के आरोप में कई साल जेल में रहे और विपक्ष ने भी इसका उपयोग करते हुए आपातकाल के दौरान कई लोगों को जेल में डाल दिया। अब मोदी सरकार राजद्रोह के अंग्रेज़ी कॉन्सेप्ट को समाप्त कर दिया है, शासन के खिलाफ कोई भी बोल सकता है, लेकिन देश के खिलाफ अगर कोई बोलेगा या कुछ करेगा तो इन कानूनों में कठोरतम दंड का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि देश महान होता है और इस विचार को इसमें लाया गया है। संगठित अपराध के लिए हमने एक नई व्याख्या जोड़कर इस पर नकेल कसने का काम किया है। छोटे और पहली बार किए गए अपराधों के लिए जेल की जगह पछतावे के लिए सामुदायिक सेवा का प्रावधान इसमें किया गया है। उन्होंने कहा कि नए कानूनों के आने के बाद गरीब से गरीब व्यक्ति को जल्दी न्याय मिलेगा। तकनीक के उपयोग के साथ पुलिस, वकील औऱ कोर्ट के लिए समयसीमा तय कर जल्द न्याय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि ज़िलास्तर पर डायरेक्टर ऑफ प्रॉसीक्यूशन रहेगा और जो प्रक्रिया से अलग रहकर अपील की योग्यता पर निर्णय करेगा। श्री शाह ने कहा कि ब्रिटिश संसद द्वारा बनाए कानूनों को समाप्त कर मोदी जी ने भारतीय संसद के गौरव को बढ़ाया है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 484 धाराओं वाले CrPC को रिप्लेस करने वाली भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में अब 531 धाराएं रहेंगी, 177 धाराओं को बदल दिया गया है, 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 14 धाराओं को निरस्त किया गया है। भारतीय न्याय संहिता, जो IPC को रिप्लेस करेगी, में पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब 358 धाराएं होंगी, 20 नए अपराध जोड़े गए हैं, 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सज़ा रखी गई है, 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड रखा गया है और 19 धाराओं को निरस्त किया गया है। इसी प्रकार, भारतीय साक्ष्य विधेयक, जो Evidence Act को रिप्लेस करेगा, में  167 के स्थान पर अब 170 धाराएं होंगी, 24 धाराओं में बदलाव किया गया है, 2 नई धाराएं जोड़ी गई है और 6 धाराएं निरस्त की गई हैं।

श्री अमित शाह ने कहा कि ये नरेन्द्र मोदी सरकार है, जो कहती है वो करती है। हमने कहा था कि धारा 370 और 35ए को हटा देंगे, हटा दिया, आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएंगे औऱ सुरक्षाबलों को फ्री हैंड देंगे, हमने किया। उन्होंने कहा कि इन नीतियों के कारण जम्मू औऱ कश्मीर, वामपंथी उग्रवाद-प्रभावित क्षेत्रों और नॉर्थईस्ट में हिंसक घटनाओं में 63 प्रतिशत और मृत्यु में 73 प्रतिशत की कमी आई है।हमने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर बनाएंगे और 22 जनवरी, 2024 को राम मंदिर में राम लला विराजमान होंगे। हमने कहा था कि संसद औऱ विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देंगे, हमने सर्वानुमति से देकर देश की मातृशक्ति को सम्मानित करने का काम किया। हमने कहा था कि न्याय मिलने की गति बढ़ाएंगे, कानूनों का सरल, भारतीय बनाएंगे और न्यायिक और न्यायालय प्रबंधन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाएंगे और मोदी जी ने आज ये भी कर दिखाया है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी जी ने देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाई है और आने वाले इन नए कानूनों की आत्मा, सोच, शरीर सब भारतीय है। गृह मंत्रालय ने 2019 से इन तीनों पुराने कानूनों में परिवर्तन लाने के लिए गहन विचार-विमर्श शुरू किया था। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के संबंध में कुल 3200 सुझाव प्राप्त हुए थे और इन तीनों कानूनों पर विचार के लिए उन्होंने स्वयं 158 बैठकें कीं। श्री शाह ने कहा कि 11 अगस्त, 2023 को इन तीनों नए विधेयकों को गृह मंत्रालय की स्थायी समिति के विचारार्थ भेजा गया था और समिति के 72 प्रतिशत अराजनीतिक सुझावों को स्वीकार किया गया है। उन्होंने कहा कि अब तक ICJS के माध्यम से देश के 97% पुलिस स्टेशन को कम्‍प्‍यूराइज्‍ड करने का काम समाप्त कर दिया गया है और 82 प्रतिशत पुलिस स्टेशन्स का रिकॉर्ड भी डिजिटाइज़ हो चुका है। श्री शाह ने कहा कि अब तक ICJS के माध्यम से 8 करोड़ जितनी एफआईआर का डेटा ऑनलाइन कर लिया है, ई-कोर्ट, ई-प्रिज़न, ई-प्रॉसीक्यूशन औऱ ई-फॉरेन्सिक का प्रोजेक्ट शुरू हो चुके हैं। आईसीजेएस के माध्यम से फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, थाना, गृह विभाग, पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ऑफिस, जेल और कोर्ट एक ही सॉफ्टवेयर के तहत ऑनलाइन होने जा रहे हैं। सभी प्रकार के डेटाबेस को इंटीग्रेट करने का काम भी हो रहा है जिससे सभी प्रकार के अपराधों पर नकेल कसी जा सकेगी। उन्होंने कहा कि ये नरेन्द्र मोदी सरकार है जो प्लानिंग और नतीजे के साथ काम करती है। हर जिले और थाने में पुलिस अधिकारी को पदनामित किया है जो गिरफ्तार लोगों की सूची बनाकर उनके संबंधियों को इन्फॉर्म करेगा।3 वर्ष से कम कारावास के मामलों में 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले व्यक्तियों और महिलाओं की गिरफ्तारी के नियम भी पुख्ता किए हैं। उन्होंने कहा कि हमने विक्टिम-सेन्ट्रिक कानून बनाए हैं, इसका उद्देश्य पीड़ित को न्याय देने, उसके आत्मसम्मान और गरिमा को पुनर्स्थापित करना है। एवीडेंस, तलाशी और जब्ती में वीडियो रिकॉर्डिंग का कंपलसरी प्रोविजन किया गया है, जिससे किसी को फ्रेम करने की संभावनाओं में बहुत कमी आएगी।

श्री अमित शाह ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने आज इस देश के कानून में से राजद्रोह को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया है। गृह मंत्री ने कहा कि भारत की एकता, अखंडता औऱ संप्रभुता के खिलाफ कोई कुछ करेगा तो उसे कठोरतम सज़ा मिलेगी। उन्होंने कहा कि हमने देशद्रोह की परिभाषा में उद्देश्य और आशय की बात की है और अगर उद्देश्य देशद्रोह का है, तो आरोपी को कठोर से कठोर दंड मिलना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए भी इन कानूनों में कई प्रावधान किए गए हैं।18 वर्ष से कम उम्र की महिला के बलात्कार के अपराध में आजीवन कारावास औऱ मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि गैंगरेप के मामलों में 20 साल या ज़िंदा रहने तक की सज़ा का प्रावधान किया गया है। श्री शाह ने कहा कि आज़ादी के 75 सालों के बाद पहली बार आतंकवाद को आपराधिक न्याय प्रणाली में जगह देने का काम नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है। डायनामाइट, विस्फोटक पदार्थ, ज़हरीली गैस, न्यूक्लीयर का उपयोग जैसी घटनाओं में कोई भी मृत्यु होती है, तो इसका ज़िम्मेदार आतंकवादी कृत्य में लिप्त माना जाएगा। गृह मंत्री ने कहा कि इस परिभाषा से इस कानून के दुरुपयोग की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती है, लेकिन जो आतंकवादी कृत्य करते हैं उन्हें कठोर से कठोर सज़ा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 70 हज़ार से अधिक लोग आतंकवाद की बलि चढ़े हैं और अब इसमें 70 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहा कि गैरइरादतन हत्या के मामले में पुलिस के पास जाने और पीड़ित को अस्पताल  ले जाने के मामले में कम सज़ा का प्रावधान किया है। श्री शाह ने  कहा कि हिट एंड रन केस में हमने 10 साल की सज़ा का प्रावधान किया है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज़ादी के बाद सबसे कम मॉब लिंचिंग के अपराध नरेन्द्र मोदी जी के साढ़े 9 सालों में हुए हैं। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के माध्यम से जल्द न्याय मिले, इसके लिए इन कानूनों में पुलिस, वकील और न्यायाधीश के लिए समयसीमा रखने का काम भी किया गया है। गृह मंत्री ने कहा कि अब पुलिस को शिकायत के 3 दिनों में ही FIR दर्ज करनी होगी और 3 से 7 साल की सज़ा वाले मामले में प्रारंभिक जांच करके एफआईआर दर्ज करनी होगी। जांच की रिपोर्ट 24 घंटे में और तलाशी की रिपोर्ट ज़्यादा से ज़्यादा 24 घंटे में कोर्ट के सामने रखना होगा। उन्होंने कहा कि अब हमने बिना किसी देर के बलात्कार पीड़िता की मेडिकल जांच रिपोर्ट को 7 दिनों के अंदर पुलिस थाने और न्यायालय में सीधे भेजने का प्रावधान किया है। अब चार्जशीट दाखिल करने की समयसीमा तय कर इसे 90 दिन रखा गया है और इसके बाद और 90 दिन ही आगे जांच हो सकेगी। उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट को 14 दिनों में मामले का संज्ञान लेना ही होगा औऱ कार्रवाई शुरू हो जाएगी। श्री शाह ने कहा कि आरोपी द्वारा आरोपमुक्त होने का निवेदन भी 60 दिनों में ही करना होगा। कई मामले ऐसे हैं जिनमें 90 दिनों में आरोपी की अनुपस्थिति में भी ट्रायल कर उन्हें सज़ा सुनाई जा सकेगी और अब मुकदमा खत्म होने के 45 दिनों में ही न्यायाधीश को निर्णय देना होगा। ट्रायल इन एब्सेंशिया के तहत अब अपराधियों को सज़ा भी होगी और उनकी संपत्ति भी कुर्क होगी। इसके साथ ही निर्णय औऱ सज़ा के बीच 7 ही दिनों का समय मिलेगा। उन्होने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा अपील खारिज करने के 30 दिनों के अंदर ही दया याचिका दाखिल की जा सकती है।

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हर शय “इश्क़ नहीं “…

वक़्त से पूछा मैने .. अब इसका हल क्या है ? …
वक़्त ने कहा … मुझे गुज़र जाने दे ..
मैंने पूछा !! इस दर्द का इलाज क्या है ?
वक़्त ने हसं कर कहा .. .. “थोड़ा सब्र रख “
संभलने में वक़्त तो लगेगा.. इस जहान में हर शय
“इश्क़ नहीं “ जो पल भर में हो जाये….
🌹❤️🌹
दोस्तों ! समुद्र में तूफ़ान आने से कई बार बड़े बड़े

जहाज़ डूब ज़ाया करते हैं
मगर इक लकड़ी का टुकड़ा जो हमे समुद्र से बाहर निकालने की

क्षमता रखता है। किसी ने ठीक ही कहा है कि “सह ले !
हँस कर ,हर सितम ज़िन्दगी का ..
न कर शिकायत … न शिकवा किसी से …बस मान कर चल …तेरे
सब्र में ही तेरा सकून छिपा है।
🌹🌹🌹
जो इन्सान अपनी ज़ुबान से किसी को ग़लत नहीं कहता, गाली गलौज नहीं करता ।अच्छा सोचता है ,हर लम्हा मालिक की याद में रहकर मालिक का नाम जिस की ज़ुबान पर रहे ।ऐसे इन्सान की ज़ुबान में ताक़त आ जाती है उसी ताक़त को वाणी की सिद्धि कहते है और ऐसा इन्सान किसी को कुछ कह दे तो वो सच होने लगता है,
और अगर हाथ सब को देने के लिए ही उठे, सब की मदद करे तो हाथों में बरकत आ जाती है।ऐसे लोग जब दूसरों को आशीर्वाद देते हैं तो वो फलीभूत होने लगता है।
इसी तरह जब आँखे दूसरों मे सिर्फ़ अच्छाई ही देखती है ,कुछ बुरा दिखाई ही नही देता , जिनकी आँखों में सदा करूणा रहती है उनकी नज़र में ताक़त आ जाती है इसी को ही सिद्धी पाना कहते हैं हम ने अक्सर ये सुना होगा कि फ़लाह इन्सान की नज़र हम पर क्या पड़ी ,मेरी तकलीफ़ दूर हो गई।
कभी-कभी हम ये भी कह देते है ,किसी ने हमे जो कहा था ,देखो आज मेरे साथ हो रहा है।
ये सब ताक़ते है ज़रूरी नहीं कि मंत्रों से ही हम सिद्धि पा सकते हैं ।अपने मन करम विचारों से भी हम सिद्धियो के स्वामी बन सकते है। भगवान के यहाँ बस यहीं नियम है कि इन्सान को इन्सान बन कर रहना चाहिए।
मगर काम क्रोध लोभ मोह हम इन्सानों को, इन्सानियत से हैवानियत की तरफ़ मोड़ देता है।
दोस्तों !
इक औरत
बहुत कमाई वाली थी।उसे मै साध्वी कह सकती हूँ
उसके यहाँ उसकी सेवा मे इक औरत रहा करती थी जिसका नाम लौरा था
लौरा आये दिनों बिमार रहने लगी .. वो साध्वी से कहती ,आप मुझे किसी तरह ठीक कर दो .. साध्वी बस मुस्कुरा देती .. और कहती !
लौरा “सह लो अभी “..
मगर लौरा की बिमारी में कोई सुधार नहीं आ रहा था।
इक दिन फिर लौरा ने साध्वी से कहा !
मैंने कितने साल आप की सेवा की है ।आप मुझे ठीक क्यों नहीं करती ।साध्वी ने फिर बड़े प्यार से लौरा के सिर पर हाथ फेर कर कहा!
तभी कह रही हूँ तुम से कि अभी तुम इस बिमारी को सह लो।
लौरा सोचने लगी मैंने ऐसे ही अपना वक़्त बर्बाद कर दिया, इस साध्वी के पीछे लग कर ..
दिन पर दिन लौरा की बिमारी तेज़ी से बढ़ने लगी।
लौरा फिर साध्वी के पास आ कर रो कर कहने लगी अब ये दर्द मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा ,मेरी मदद किजीए ।
मुझे ठीक कर दो .. मै बहुत तकलीफ़ में हूँ ।
इस बार साध्वी ने आँखें बंद करके लौरा के लिए प्रार्थना की और इक पुड़िया लौरा के हाथ में रख दी और कहा !
ये लो विभूति ,इसका सेवन रोज़ करना।मेरे गुरू की किरपा से तुम जल्दी ठीक हो जाओगी.. लौरा को दस बाहर दिनों मे ही असर होने लगा और वो धीरे धीरे ठीक होने लगी ।
कुछ साल लौरा के अच्छे गुज़र गये मगर कुछ सालों बाद लौरा की बीमारी फिर ज़ोरों से आई और लौरा इस संसार को छोड़ कर चली गई।
वक़्त गुजरने लगा।
अब जब भी साध्वी अपने ध्यान में बैठती तो उसे लौरा दिखने लगी ..जो साध्वी के सामने रोया करती ।साध्वी ने कहा !
अब कंयू रोती हो लौरा ?
लौरा कहती !
यहाँ इक दरवाज़ा है सब जीवात्माये अन्दर जा रही है ।जब भी वो दरवाज़ा खुलता है, बहुत अच्छी सुगंध बाहर तक आती है।मै भी वहाँ जाना चाहती हूँ मगर मुझे अन्दर नहीं जाने देते।
बाहर ही रोक लेते हैं ।
जब वजह पूछती हूँ तो कहते हैं कि तुम्हारे करमो की वजह से वो बिमारी आई थी और उन्हीं करमो का तुम्हें भुगतान करना था मगर तुमने उस बिमारी को सहा नहीं , रब की रजा को न मान कर अपनी दख़लंदाज़ी की और रब की रजा में ख़लल डाला। इसी लिए तुम अन्दर नहीं जा सकती ।
लौरा कहने लगी जब आप को सब पता था फिर मुझे उस वक़्त आपने कंयू ठीक किया था।
अब मै जहां हूँ ,वहाँ कुछ भी अच्छा नही है
इक अजीब सी गंध है वहाँ जो असहनीय है।
साध्वी ने लौरा से कहा !
तभी मै कहा करती थी ,अभी यहाँ सह लो ..ताकि तुम्हारा आगे का रास्ता सुखमय हो जाये मगर तुम ही ज़िद्द किया करती थीं अगर उस वक़्त मेरा कहा मान लेती तो तुम भी आज उस ..दरवाज़े से अन्दर जा सकती।
.. दोस्तों
जैसे किसी परिन्दे के पंखों पर बहुत बड़े बड़े पत्थर रख दिये जाये तो वो परिन्दा आसानी से उड़ नहीं सकता है और जब हम करमो को हँस कर सह लेते है
तो करम रूपी पत्थर पँखो से हटने लगते है और रूह हल्की महसूस करने लगती हैं और जब इस संसार को छोडने का वक़्त आता है आसानी से उड़ जाती है .. करमो का यहीं बोझ हमें यहाँ भी तंग करता है और वहाँ भी …..।

जो मिल रहा है उसी में ही शुक्र
करें ।
“दुख सुख उसका ही भेजा हुआ है प्रशाद है “ऐसा मान कर उसे ह्रदय से ग्रहण करें तो ही हम सकून से रह सकते हैं यहाँ भी और फिर आगे के संसार मे भी

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डी जी कॉलेज में सड़क सुरक्षा पखवाड़ा आरंभ

डी जी कॉलेज, कानपुर में रोड सेफ्टी क्लब के द्वारा सड़क सुरक्षा पखवाड़े के अंतर्गत प्रभारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में रैली निकाल कर जनमानस में जागरूकता लाने का कार्य किया गया। इस अभियान में महाविद्यालय की समस्त छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस अवसर पर छात्राओं को सड़क सुरक्षा की शपथ भी दिलवायी गई।प्राचार्य जी के द्वारा अपने वक्तव्य में छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा गया कि हमें स्वयं तो यातायात व सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करना ही चाहिए अपने परिवार, आस-पड़ोस तथा अन्य व्यक्तियों को भी इन नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अत्यंत कारगर उपाय साबित हो सकता है, हमें किशोर विभिन्न गतिविधियों के द्वारा गतिशीलता लाने चाहिए। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय एन सी सी इंचार्ज डॉ मनीष पांडे, कार्यालय अधीक्षक श्री कृष्णेंद्र श्रीवास्तव तथा अनुराधा सिंह का विशेष योगदान रहा।

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पूर्वोत्तर क्षेत्र में 11,703 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली बिजली परियोजनाएं शुरू की गई हैं: केंद्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री

केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने सूचित किया है कि हमारे देश के उत्तर पूर्वी हिस्से में राज्य बड़ी जलविद्युत क्षमता से संपन्न हैं और सरकार ने क्षेत्र में जलविद्युत विकास में निवेश बढ़ाने के लिए निम्नलिखित पहल की है।

• बड़े हाइड्रो पावर (एलएचपी) (> 25 मेगावाट परियोजनाओं) को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत घोषित करना।

• हाइड्रो खरीद दायित्व (एचपीओ) लागू करना।

• पनबिजली टैरिफ को कम करने के लिए टैरिफ युक्तिकरण उपाय।

• जल विद्युत परियोजनाओं (एचईपी) में बाढ़ नियंत्रण/भंडारण के लिए बजटीय सहायता।

• सक्षम बुनियादी ढांचे, यानी सड़कों/पुलों की लागत के लिए बजटीय सहायता।

• नई पनबिजली परियोजनाओं के लिए अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) शुल्क की पूर्ण 100% छूट, जिसमें निर्माण कार्य सौंपा गया है और पावर खरीद समझौते (पीपीए) पर 30.06.2025 को या उससे पहले हस्ताक्षर किए गए हैं।

जहां निर्माण कार्य सौंपा गया है और 30.06.2025 के बाद पीपीए पर हस्ताक्षर किए गए हैं, वहां आईएसटीएस शुल्क प्रक्षेपवक्र की छूट का विवरण नीचे दिया गया है।

छूट आईएसटीएस शुल्क प्रक्षेप पथ का विवरण जहां निर्माण कार्य सौंपा गया है और पीपीए पर 30.06.2025 के बाद हस्ताक्षर किए गए हैं

 

 

क्रम संख्या निर्माण कार्य का आवंटन+ पीपीए पर हस्ताक्षर आईएसटीएस शुल्क प्रक्षेपवक्र की छूट
1 01.07.2025 to 30.06.2026 75%
2 01.07.2026 to 30.06.2027 50%
3 01.07.2027 to 30.06.2028 25%

छूट कमीशनिंग के 18 साल बाद तक लागू रहेगी

 

पूर्वोत्तर क्षेत्र में 11,703 मेगावाट (ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों से 6,760 मेगावाट और ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों से 4,943 मेगावाट) की कुल स्थापित क्षमता वाली परियोजनाएं शुरू की गई हैं। विवरण नीचे दिया गया है।

 

उत्तर पूर्वी क्षेत्र में स्थित चालू बिजली परियोजनाओं (ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों से) का विवरण (31.10.2023 तक)

 

राज्य परियोजना का नाम ईंधन क्षमता (मेगावाट)
अरुणाचल प्रदेश कामेंग एचपीएस हाइड्रो 600
पारे हाइड्रो 110
रंगनाडी एचपीएस हाइड्रो 405
असम कार्बी लांपी एचपीएस हाइड्रो 100
लकवा जीटी गैस 97
लकवा रिप्लेसमेंट पावर प्रोजेक्ट गैस 70
नामरूप सीसीपीपी गैस 139
कथलगुड़ी सीसीपीपी गैस 291
खोंडोंग एचपीएस हाइड्रो 50
कोपिली एचपीएस हाइड्रो 200
बोंगाईगांव टीपीपी कोयला 750
मणिपुर लीमाखोंग डीजी डीजल 36
लोकतक एचपीएस हाइड्रो 105
मेघालय किर्डेमकुलई एचपीएस हाइड्रो 60
मायटंडू (लेशक)एसट-1 एचपीएस हाइड्रो 126
न्यू उम्त्रू एचपीएस हाइड्रो 40
उमियाम एचपीएस एसटी-I हाइड्रो 36
उमियाम एचपीएस एसटी- IV हाइड्रो 60
मिजोरम तुइरियल एचपीएस हाइड्रो 60
नगालैंड डोयांग एचपीएस हाइड्रो 75
त्रिपुरा अगरतला जीटी गैस 135
मोनारचक सीसीपीपी गैस 101
त्रिपुरा सीसीपीपी गैस 727
बरमुरा जीटी गैस 42
रोखिया जीटी गैस 63
सिक्किम रंगीत एचपीएस हाइड्रो 60
तीस्ता वी एचपीएस हाइड्रो 510
तीस्ता -III एचपीएस हाइड्रो 1,200
ताशीडिंग एचपीएस हाइड्रो 97
रोंगनीचू एचपीएस हाइड्रो 113
चुज़ाचेन एचपीएस हाइड्रो 110
जोरेथांग लूप हाइड्रो 96
डिक्चु एचपीएस हाइड्रो 96

एचपीएस – हाइड्रो पावर स्टेशनजीटी – गैस टर्बाइनसीसीपीपी – कंबाइन साइकल पावर प्लांटएसटी – स्टीम टर्बाइन

 

पूर्वोत्तर क्षेत्र में 30.11.2023 तक ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों की राज्य-वार स्थापित क्षमता

(मेगावाट में)

  राज्य लघु जल विद्युत जैव शक्ति सौर ऊर्जा बड़ी जल विद्युत कुल क्षमता
1 अरुणाचल प्रदेश 133 12 1,115 1,260
2 असम 34 2 156 350 542
3 मणिपुर 5 13 105 123
4 मेघालय 55 14 4 322 395
5 मिजोरम 45 30 60 136
6 नगालैंड 33 3 75 111
7 सिक्किम 55 5 2,282 2,342
8 त्रिपुरा 16 18 34

 

वर्तमान में, देश के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में 6,037 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता वाली आठ जलविद्युत परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। विवरण नीचे दिया गया है।

उत्तर पूर्वी क्षेत्र में निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं (25 मेगावाट से अधिक) की सूची

क्रम संख्या परियोजना का नाम क्षेत्र क्षमता निष्पादन के तहत (मेगावाट) समापन का अनुमानित वर्ष
अरुणालच प्रदेश      
1 सुबनसिरी लोअर केंद्रीय 2,000 2023-26 (मई 25)
2 दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना केंद्रीय 2,880 2031-32
(फरवरी 32)
असम      
3 लोअर कोपली राज्य 120 2024-25
(मई 25)
सिक्किम      
4 तीस्ता एसटी VI केंद्रीय 500 2026-27
(अगस्त 26)
5 रंगीत-IV केंद्रीय 120 2024-25 (अगस्त 24)
6 भस्मेय निजी 51
7 रंगीत-II निजी 66
8 पैनन निजी 300

 

इसके अलावा, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने उत्तर पूर्वी क्षेत्र में सत्रह जलविद्युत योजनाओं (कुल 14,589 मेगावाट) को सहमति दे दी है। विवरण नीचे दिया गया है।

उत्तर पूर्वी क्षेत्र में जलविद्युत योजनाओं के विवरण को केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा सहमति प्रदान की गई

 

क्रम संख्या परियोजना का नाम राज्य स्थापित क्षमता (मेगावाट) समापन का अनुमानित वर्ष
तीस्ता एसटी-IV सिक्किम 520 2031-32
तवांग एसटी -I अरुणाचल प्रदेश 600 2031-32 से आगे
वाह-उमियम चरण-III मेघालय 85 2029-30
तवांग एसटी-II अरुणाचल प्रदेश 800 2031-32 से आगे
हेओ अरुणाचल प्रदेश 240 2028-29
ताटो-I अरुणाचल प्रदेश 186 2028-29
ताटो-II अरुणाचल प्रदेश 700 2031-32 से आगे
डेमवे लोअर अरुणाचल प्रदेश 1750 2031-32
कलाई-II अरुणाचल प्रदेश 1200 2031-32 से आगे
तालोंग लोंडा अरुणाचल प्रदेश 225 2031-32
एटालिन अरुणाचल प्रदेश 3,097 2030-31
नफरा अरुणाचल प्रदेश 120 2027-28
हीरोंग अरुणाचल प्रदेश 500 2031-32 से आगे
नायिंग अरुणाचल प्रदेश 1,000 2031-32 से आगे
अटुनली अरुणाचल प्रदेश 680 2030-31
लोअर सियांग अरुणाचल प्रदेश 2,700 2031-32 से आगे
दिखू नगालैंड 186 2030-31

 

यह जानकारी केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह ने आज, 12 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है।

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छत्रपति साहू जी महाराज यूनिवर्सिटी में आयोजित अंतरमहाविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता 2023 में क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज के आयुष बर्धंन ने जीता स्वर्ण एवं रजत पदक

भारतीय स्वरूप संवाददाता, सी. एस. जे. एम यूनिवर्सिटी में अंतरमहाविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता 2023 का आयोजन किया गया जिसमे क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज के छात्र एवं छात्राओं ने भाग लिया. जिसमे शॉट पुट एवं जेवेलीन थ्रो( पुरुष) वर्ग में आयुष बर्धंन ने स्वर्ण एवं रजत पदक प्राप्त किया , 100 मीटर महिला स्पर्धा मे क्राइस्ट चर्च कॉलेज की शैली ने रजत पदक, एवं ज़ोया ने कांस्य पदक प्राप्त किया, 200 मीटर स्पर्धा में ज़ोया ने रजत पदक एवं अलीशा ने कांस्य पदक प्राप्त किया। 100×4 रिले रेस मे क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज ने कांस्य पदक प्राप्त किया।
क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज के प्राचार्य एवं मुख्य संरक्षक प्रो. जोज़ेफ डेनियल ने सभी विजेताओं को कॉलेज में बुलाकर विजेताओं का स्वागत किया। उक्त अवसर पर कॉलेज के शारीरिक शिक्षा शिक्षक डॉ आशीष कुमार दुबे, प्रो. सत्य प्रकाश सिंह, डॉ हिमांशु , एवं एथलेटिक्स कोच डोंडियाल जी उपस्थित रहे। सभी ने विजेताओं को बधाई देकर उनका स्वागत किया।

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उड़ान योजना के अंतर्गत 9 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रम सहित 76 हवाई अड्डों को जोड़ने वाले 517 हवाई मार्ग शुरू किए गए

क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस)-उड़ान के माध्यम से देश के दूरदराज इलाकों में अब तक अप्रयुक्त/अपेक्षाकृत कम प्रयुक्त हवाई अड्डों को जोड़कर क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ाया गया है। उड़ान योजना के अंतर्गत पांच दौर की बोली के आधार पर, अब तक 517 मार्गों के लिए 76 हवाई अड्डों को जोड़ कर परिचालन शुरू किया गया है, जिसमें 9 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रम शामिल हैं। उड़ान योजना के अंतर्गत उड़ान शुरू होने से 130 से ज्यादा शहरों की जोड़ी बन गई है। उड़ान योजना के अंतर्गत अब तक 2.47 लाख उड़ानें संचालित की गई है, जिसमें 1.3 करोड़ से ज्यादा लोगों ने यात्रा की है।

इस योजना के अंतर्गत प्रदान की जा रही रियायतें निम्नानुसार हैं:

हवाईअड्डा ऑपरेटर:

  1. हवाईअड्डा ऑपरेटर आरसीएस उड़ानों पर लैंडिंग और पार्किंग कर न लगाएं।
  2.  भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण आरसीएस उड़ानों पर कोई टर्मिनल नेविगेशन लैंडिंग शुल्क (टीएनएलसी) नहीं लगाएं।
  3. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा रूट नेविगेशन और सुविधा शुल्क (आरएनएफसी) आरसीएस उड़ानों पर सामान्य दरों के  42.50% पर रियायती आधार पर लगाया जाए।
  4. चयनित एयरलाइन प्रचालकों (एसएओ) ने सभी हवाईअड्डों पर इस योजना के अंतर्गत ऑपरेटरों को स्व-ग्राउंड हैंडलिंग की अनुमति दी है।

केंद्र सरकार:

  1. इस योजना की अधिसूचना जारी होने की तारीख से तीन वर्ष की प्रारंभिक अवधि के लिए आरसीएस हवाईअड्डों से एसएओ द्वारा खरीदे गए हवाई र्इंधन (एटीएफ) पर 2% की दर से उत्पाद शुल्क लगाया जाएगा।
  2. एसएओ को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइंस दोनों के साथ कोड साझाकरण व्यवस्था में प्रवेश करने की स्वतंत्रता है।

राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों के आरसीएस हवाई अड्डों पर:

  1. राज्यों में स्थित आरसीएस हवाईअड्डों पर एटीएफ पर वैट को 10 वर्षों की अवधि के लिए घटाकर 1 प्रतिशत या उससे कम करना।
  2. आरसीएस हवाई अड्डों के विकास के लिए अगर आवश्यक हो, तो न्यूनतम भूमि को निशुल्क और बाधाओं से मुक्त करना एवं आवश्यकतानुसार मल्टी-मॉडल भीतरी इलाकों को संपर्क प्रदान करना।
  3. आरसीएस हवाई अड्डों पर सुरक्षा और अग्निशमन सेवाएं मुफ्त प्रदान करना।
  4. आरसीएस हवाई अड्डों पर रियायती दरों पर बिजली, पानी और अन्य उपयोगिता सेवाएं प्रदान करना या उपलब्ध कराना।

इस योजना से अब तक 1.3 करोड़ से ज्यादा यात्री लाभान्वित हुए हैं।

यह जानकारी नागर विमानन राज्य मंत्री, जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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संस्कृति मंत्रालय ने मेरा गांव मेरी धरोहर परियोजना लांच की

भारत सरकार ने मेरा गांव, मेरी धरोहर (एमजीएमडी) कार्यक्रम के अंतर्गत सभी गांवों की मैपिंग और प्रलेखन तैयार करने का निर्णय लिया है। संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) के समन्वय से सांस्कृतिक मैपिंग पर राष्ट्रीय मिशन चलाया जाता है। 27 जुलाई, 2023 को एमजीएमडी पर एक वेब पोर्टल भी लॉन्च किया गया है। एमजीएमडी कार्यक्रम भारतीय गांवों के जीवन, इतिहास और लोकाचार का विवरण देने वाली व्यापक जानकारी संकलित करना चाहता है तथा इसे वर्चुअल और वास्तविक समय के आगंतुकों के लिए उपलब्ध कराना चाहता है। एमजीएमडी के अंतर्गत नीचे दी गई सात व्यापक श्रेणियों के अंतर्गत जानकारी एकत्र की जाती है-
  • कला और शिल्प गांव
  • पर्यावरणीय दृष्टि से उन्मुख गांव
  • भारत की पाठ्य और शास्त्र सम्मत परंपराओं से जुड़ा शैक्षिक गांव
  • रामायण, महाभारत और/या पौराणिक किंवदंतियों और मौखिक महाकाव्यों से जुड़ा महाकाव्य गांव
  • स्थानीय और राष्ट्रीय इतिहास से जुड़ा ऐतिहासिक गांव
  • वास्तुकला विरासत गांव

कोई अन्य विशेषता जिसे उजागर करने की आवश्यकता हो सकती है जैसे मछली पकड़ने का गांव, बागवानी गांव, चरवाहा गांव आदि।

यह जानकारी आज राज्यसभा मेंकेन्द्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने दी।

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राष्ट्रपति ने लक्ष्मीपत सिंघानिया-आईआईएम लखनऊ राष्ट्रीय लीडरशीप पुरस्कार प्रदान किए

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु  नई दिल्ली में लक्ष्मीपत सिंघानिया-आईआईएम लखनऊ राष्ट्रीय लीडरशीप पुरस्कार प्रदान किए।

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की आपाधापी ने मानवता को नुकसान पहुंचाया है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय गड़बड़ी उसी का परिणाम है। आज पूरा विश्व इस चुनौती से जूझ रहा है। लाभ अधिक से अधिक बढ़ाने की अवधारणा पश्चिमी संस्कृति का एक हिस्सा हो सकती है लेकिन भारतीय संस्कृति में इसे प्राथमिकता नहीं दी गई है। लेकिन भारतीय संस्कृति में उद्यमिता का स्‍थान प्रमुख है।

राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्‍यक्‍त की कि हमारे युवा स्वरोजगार की संस्कृति को अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्‍टम है। भारत विश्‍व के सर्वश्रेष्ठ यूनिकॉर्न हब में शामिल है। यह हमारे देश के युवाओं के तकनीकी ज्ञान के अतिरिक्‍त उनके प्रबंधन कौशल और व्यावसायिक नेतृत्व का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भारतीय युवा विश्‍व की अग्रणी तकनीकी कंपनियों का नेतृत्व भी कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमें प्रबंधन शिक्षण संस्थानों की शिक्षा प्रणाली में कुछ परिवर्तन लाने होंगे ताकि देश का अधिक प्रभावी और समावेशी विकास हो सके। उन्होंने प्रबंधकों, शिक्षाविदों और संगठनात्मक प्रमुखों से भारतीय प्रबंधन अध्ययन को भारतीय कंपनियों, उपभोक्ताओं और समाज से जोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विदेश स्थित व्यवसायों पर केस स्टडी और लेखों के बजाय भारत स्थित भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर केस स्टडी लिखी और सिखाई जानी चाहिए। हमारे प्रबंधन संस्थानों को अपने शोध का फोकस भी भारत की पत्रिकाओं पर करना चाहिए। उन भारतीय पत्रिकाओं पर विशेष फोकस किया जाना चाहिए जो ओपन एक्सेस डोमेन में हैं और जो देश के विभिन्न हिस्सों में पढ़ने वाले सभी श्रेणी के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए सुलभ हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हाल में उत्तराखंड में सिल्कयारा सुरंग से जिस तरह 41 श्रमिकों को निकाला गया है, उसकी न केवल सराहना हो रही है, बल्कि इस पर नेतृत्व अध्ययन की भी बात की जा रही है। यह एक बहुत अच्छा और जीवंत विषय है, विशेषकर संकट में नेतृत्व और टीमवर्क के लिए।

राष्ट्रपति ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में कहा कि अनेक लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी खोने के बारे में भी चिंतित हैं। उन्होंने आग्रह किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सभी पक्षों को प्रबंधन शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जानता है और इसका सही इस्तेमाल करता है उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी खोने का भय नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आईआईएम लखनऊ जैसे संस्थानों को भी अमृत काल में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम बनाना चाहिए।

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प्रधानमंत्री ने ‘उत्तराखंड वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन 2023’ का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री  मोदी ने आज वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून, उत्तराखंड में आयोजित ‘उत्तराखंड वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन 2023’ का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने एक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया और ग्राउंड ब्रेकिंग वॉल का अनावरण किया। प्रधानमंत्री मोदी ने  सशक्त उत्तराखंड’ पुस्तक और ब्रांड हाउस ऑफ हिमालयाज को लॉन्च किया। शिखर सम्मेलन का विषय ‘शांति से समृद्धि’ है।

इस अवसर पर उद्योग जगत की हस्तियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। अदानी समूह के निदेशक और प्रबंध निदेशक (कृषि, तेल और गैस) श्री प्रणव अदानी ने कहा कि उत्तराखंड हाल के दिनों में निजी क्षेत्र के निवेश के लिए सबसे आकर्षक स्थल बन गया है, क्योंकि राज्य में एकल अनूठे तालमेल के साथ राज्य के विकास के दृष्टिकोण के कारण- एकल बिंदु स्वीकृति, भूमि की सस्ती कीमतें, किफायती बिजली व कुशल वितरण, अत्यधिक कुशल जनशक्ति और राष्ट्रीय राजधानी के साथ निकटता और एक स्थिर कानून-व्यवस्था का माहौल मौजूद है। श्री अदानी ने राज्य में अपना विस्तार करने, अधिक निवेश और नौकरियों का सृजन करनी की अपनी योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने उत्तराखंड राज्य को लगातार समर्थन देने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया और कहा कि भारत के लोगों ने उनमें अभूतपूर्व विश्वास व भरोसा जताया है।

जेएसडब्ल्यू के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री सज्जन जिंदल ने उत्तराखंड राज्य के साथ प्रधानमंत्री के उन संबंधों के बारे में प्रकाश डाला, जिसे उन्‍होंने केदारनाथ और बद्रीनाथ की विकास परियोजनाओं के दौरान अनुभव किया था। उन्होंने देश की तस्वीर बदलने के लिए प्रधानमंत्री के प्रयासों की प्रशंसा सराहना की और सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के मापदंडों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत जल्द ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। श्री जिंदल ने भारत की वैश्विक महाशक्ति बनने की यात्रा में प्रधानमंत्री को उनके नेतृत्व के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने पूरे देश में धामिर्क तीर्थ स्थलों की कनेक्टिविटी बेहतर बनाने के बारे में सरकार के प्रयास का भी उल्लेख किया। उन्होंने उत्तराखंड में मोटेतौर पर 15,000 करोड़ रुपये का निवेश लाने के लिए कंपनी की योजना का जिक्र किया और नवंबर में शुरू की गई ‘स्वच्छ केदारनाथ परियोजना’ के बारे में भी बात की। उन्होंने उत्तराखंड सरकार को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और प्रधानमंत्री को भारत की विकास यात्रा में कंपनी के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया।

आईटीसी के प्रबंध निदेशक श्री संजीव पुरी ने जी-20 शिखर सम्मेलन की सफलता स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री की वैश्विक राजनीति कौशल और ग्लोबल साउथ के लिए उनकी तरफदारी की सराहना की। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कई उद्देश्यपूर्ण नीतिगत पहलों ने भारत को बहुआयामी चुनौतियों का सामना करने वाली विश्व की अनुकूल स्थिति में ला दिया है। उन्होंने कहा, अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में बदलाव और जीडीपी के आंकड़े स्वयं स्थिति का उल्लेख करते हैं। नेतृत्व ने ऐसी स्थिति का निर्माण कर दिया है जहां कुछ लोग कह रहे हैं, कि विश्व स्तर पर यह दशक और सदी भारत की है।

पतंजलि के संस्थापक और योग गुरु श्री बाबा रामदेव ने प्रधानमंत्री को ‘विकसित भारत’ और भारत के 140 करोड़ नागरिकों के परिवारों के साथ-साथ दुनिया का स्वप्नद्रष्टा बताया। उन्होंने 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने के प्रधानमंत्री के लक्ष्य पर प्रकाश डाला और देश में निवेश लाने और रोजगार के अवसर पैदा करने में पतंजलि के योगदान का भी उल्लेख किया। उन्होंने प्रधानमंत्री को आने वाले समय में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश और 10,000 से अधिक नौकरियों का आश्वासन दिया। उन्होंने नये भारत के निर्माण में प्रधानमंत्री के संकल्प और इच्छाशक्ति की भी सराहना की। उन्होंने राज्यों में कानून व्यवस्था बनाए रखने में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के प्रयासों की भी सराहना की और कॉर्पोरेट घरानों से राज्य में एक इकाई स्थापित करने का आग्रह किया। श्री बाबा रामदेव ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राज्य के पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों के विकास की भी सराहना की। उन्होंने निवेशकों से भारत को वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनाने और विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने के प्रधानमंत्री के संकल्प को मजबूत करने का भी आग्रह किया।

एम्मार इंडिया के सीईओ श्री कल्याण चक्रवर्ती ने देश के विकास के लिए दिशा, दृष्टि और दूरदर्शिता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने भारत के विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा में भागीदार बनने के लिए कॉर्पोरेट जगत की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने भारत-संयुक्त अरब अमीरात के बीच संबंधों में नई जीवंतता की ओर भी इशारा किया। एम्मार का मुख्यालय संयुक्त अरब अमीरात में है। श्री कल्याण चक्रवर्ती ने भारत के प्रति वैश्विक दृष्टिकोण में आए सकारात्मक बदलाव पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने जीएसटी और फिनटेक क्रांति जैसे कई नीतिगत सुधारों के बारे में बताया, जो उद्योग जगत के लिए नए अवसर पैदा कर रहे हैं।

टीवीएस सप्लाई चेन सॉल्यूशंस के अध्यक्ष श्री आर दिनेश ने प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने उत्तराखंड की विकास गाथा में संगठन के योगदान के बारे में बताया और टायर एवं ऑटो के पुर्जों की विनिर्माण इकाइयों व लॉजिस्टिक तथा ऑटो क्षेत्र में सेवाओं का उदाहरण दिया। उन्होंने विनिर्माण क्षेत्र और भंडारण क्षमता में निवेश को आगे बढ़ाने के लिए कंपनी की योजनाओं का विस्तार किया, जिससे सभी कंपनियों में 7,000 से अधिक रोजगार के अवसर तैयार हुए। उन्होंने विश्व के बदलते वर्तमान परिदृश्यों के कारण डिजिटल और स्थायित्व संबंधी सुधार को लेकर वित्तीय सहायता और कौशन उन्न्यन प्रदान करके ऑटो मार्केट क्षेत्र में भागीदारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कंपनी की तत्परता पर जोर दिया। सीआईआई के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने 1 लाख से अधिक लोगों को परामर्श और सहायता प्रदान करने के लिए 10 मॉडल कैरियर केंद्र स्थापित करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड आतिथ्य, स्वास्थ्य देखभाल और उन्नत विनिर्माण क्षेत्रों को कवर करने वाले 10,000 लोगों को प्रशिक्षित करने की क्षमता वाला स्पेशलिटी मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करने वाला पहला राज्य होगा।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने देवभूमि उत्तराखंड में होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और सदी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक होने के बारे में अपने कथन को याद किया। श्री मोदी ने कहा कि यह संतोष की बात है कि यह कथन धरातल पर साकार हो रहा है। प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार और सिलक्यारा में सुरंग से श्रमिकों के सफलतापूर्वक बचाव के कार्यों में शामिल सभी लोगों की सराहना की।

उत्तराखंड के साथ अपने घनिष्ठ संबंध को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां दिव्यता और विकास एक साथ महसूस होता है। प्रधानमंत्री ने इस भावना को और विस्तार देने के लिए अपनी एक कविता सुनाई।

इस अवसर पर उपस्थित निवेशकों को उद्योग के दिग्गजों के रूप में संदर्भित करते हुए, प्रधानमंत्री ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किए गए एसडब्ल्यूओटी विश्लेषण की उपमा दी और राष्ट्र के लिए इस कार्य को करने पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि एसडब्ल्यूओटी विश्लेषण के परिणाम देश में आकांक्षाओं, आशा, आत्मविश्वास, नवाचार और अवसरों की प्रचुरता का संकेत देंगे। उन्होंने नीति-संचालित शासन के संकेतकों और राजनीतिक स्थिरता के लिए नागरिकों के संकल्प के बारे में भी बताया। प्रधानमंत्री ने हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के बारे में चर्चा करते हुए कहा, “आकांक्षी भारत अस्थिर के बजाय एक स्थिर सरकार चाहता है।” साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोगों ने सुशासन और उसके ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर मतदान किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड महामारी और अस्थिर भू-राजनीतिक परिदृश्य के बावजूद रिकॉर्ड गति से आगे बढ़ने की देश की क्षमता पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने कहा, “चाहे वह कोरोना वैक्सीन हो या आर्थिक नीतियां, भारत को अपनी क्षमताओं और नीतियों पर भरोसा था।” प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप दुनिया की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत एक नई ऊंचाइयों पर पहुंचा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सहित भारत का हर राज्य इस ताकत का लाभ उठा रहा है।

प्रधानमंत्री ने डबल इंजन सरकार के लाभों को दोहराया जिसके दोहरे प्रयास हर जगह दिखाई दे रहे हैं। राज्य सरकार जहां स्थानीय वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए काम कर रही है, वहीं भारत सरकार उत्तराखंड में अभूतपूर्व निवेश कर रही है। दोनों सरकार एक-दूसरे के प्रयासों को आगे बढ़ा रही हैं। प्रधानमंत्री ने ग्रामीण इलाकों से चारधाम तक जाने के काम का जिक्र करते हुए कहा कि वह दिन दूर नहीं जब दिल्ली-देहरादून के बीच की दूरी ढाई घंटे की रह जायेगी। देहरादून और पंतनगर हवाई अड्डे के विस्तार से हवाई कनेक्टिविटी मजबूत होगी। प्रदेश में हेली-टैक्सी सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है तथा रेल कनेक्टिविटी को सुदृढ़ किया जा रहा है। ये सभी कृषि, उद्योग, लॉजिस्टिक, भंडारण, पर्यटन और आतिथ्य के लिए नए अवसर पैदा कर रहे हैं।

सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित स्थानों तक सीमित पहुंच प्रदान करने वाली पिछली सरकारों के दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए, प्रधानमंत्री ने उन्हें देश के पहले गांव के रूप में विकसित करने के लिए डबल इंजन सरकार के प्रयासों के बारे में बताया। उन्होंने आकांक्षी जिलों और आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम के बारे में चर्चा की, जहां उन गांवों और क्षेत्रों पर जोर दिया जा रहा है जो विकास मानकों में पीछे हैं। श्री मोदी ने उत्तराखंड की अप्रयुक्त क्षमता पर प्रकाश डाला और निवेशकों से इसका अधिकतम लाभ उठाने का आग्रह किया।

उत्तराखंड के पर्यटन क्षेत्र पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत आने के लिए देश के साथ-साथ दुनिया भर के लोगों के उत्साह पर भी ध्यान दिलाया, जिसे डबल इंजन सरकार का लाभ मिला है। उन्होंने पर्यटकों को प्रकृति के साथ-साथ भारत की विरासत से परिचित कराने के उद्देश्य से थीम आधारित पर्यटन सर्किट बनाने की जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि प्रकृति, संस्कृति और विरासत को अपने में समेटे उत्तराखंड एक ब्रांड के रूप में उभरने जा रहा है। उन्होंने निवेशकों से योग, आयुर्वेद, तीर्थ और साहसिक खेल के क्षेत्रों में अवसर तलाशने और नये अवसर पैदा करने को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने देश के अमीरों, संपन्न लोगों और युवाओं से ‘मेक इन इंडिया’ की तर्ज पर ‘वेड इन इंडिया’ आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया। उन्होंने उनसे अगले पांच वर्षों में उत्तराखंड में कम से कम एक विवाह समारोह आयोजित करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने किसी भी संकल्प को हासिल करने की भारत की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “अगर उत्तराखंड में एक साल में 5000 शादियां भी होती हैं, तो एक नया बुनियादी ढांचा तैयार हो जाएगा और राज्य को दुनिया के लिए एक विवाह स्थल में बदल देगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में बदलाव की तेज हवा चल रही है। पिछले 10 वर्षों में एक आकांक्षी भारत का निर्माण हुआ है। पहले से वंचित आबादी के एक बड़े हिस्से को योजनाओं और अवसरों से जोड़ा जा रहा है। गरीबी से बाहर आए करोड़ों लोग अर्थव्यवस्था को नई गति दे रहे हैं। श्री मोदी ने कहा, “नव मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग दोनों अधिक खर्च कर रहे हैं। हमें भारत के मध्यम वर्ग की क्षमता को समझना होगा। उत्तराखंड में समाज की यह शक्ति आपके लिए एक बड़ा बाज़ार भी तैयार कर रही है।”

प्रधानमंत्री ने हाउस ऑफ हिमालयाज ब्रांड लॉन्च करने के लिए उत्तराखंड सरकार को बधाई दी और इसे उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों को विदेशी बाजारों तक ले जाने का एक अभिनव प्रयास बताया। श्री मोदी ने कहा, “हाउस ऑफ हिमालयाज वोकल फॉर लोकल एवं लोकल फॉर ग्लोबल की हमारी अवधारणा को और मजबूत करता है।” उन्होंने कहा कि भारत के हर जिले और ब्लॉक के उत्पादों में वैश्विक बनने की क्षमता है। उन्होंने विदेशों में मिट्टी के महंगे बर्तनों को बनाकर विशेष तरीके से पेश किये जाने का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने भारत के विश्वकर्माओं के कौशल और शिल्प को ध्यान में रखते हुए, ऐसे स्थानीय उत्पादों के लिए वैश्विक बाजार की खोज के महत्व पर जोर दिया, जो पारंपरिक रूप से ऐसे कई उत्कृष्ट उत्पाद बनाते हैं, और निवेशकों से विभिन्न जिलों में ऐसे उत्पादों की पहचान करने का आग्रह किया। उन्होंने उनसे महिला स्वयं सहायता समूहों और एफपीओ के साथ जुड़ने की संभावनाएं तलाशने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, “स्थानीय-वैश्विक बनाने के लिए यह एक अद्भुत साझेदारी हो सकती है।” लखपति दीदी अभियान पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों से दो करोड़ लखपति दीदी बनाने के अपने संकल्प को दोहराते हुए कहा कि हाउस ऑफ हिमालयाज़ के ब्रांड के लॉन्च के साथ इस पहल को गति मिलेगी। उन्होंने इस पहल के लिए उत्तराखंड सरकार को भी धन्यवाद दिया।

राष्ट्रीय चरित्र को मजबूत करने के बारे में लाल किले से किए गए अपने आह्वान का उल्‍लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने सभी से आग्रह किया, “हम जो भी करें, वह विश्व में सर्वश्रेष्ठ होना चाहिए। विश्व में हमारे मानकों का अनुसरण होना चाहिए।’ हमारा विनिर्माण जीरो इम्पैक्ट, जीरो डिफैक्ट के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए। हमें अब निर्यातोन्मुख विनिर्माण को बढ़ावा देने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि महत्वाकांक्षी पीएलआई अभियान महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए इकोसिस्टम बनाने का संकल्प प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने नए निवेश के माध्यम से स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं और एमएसएमई को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सस्ते निर्यात और क्षमता निर्माण को प्राथमिकता देने की मानसिकता से बाहर आने की आवश्यकता है। उन्होंने पेट्रोलियम के लिए 15 लाख करोड़ रुपये के आयात बिल और कोयले के लिए 4 लाख करोड़ रुपये के आयात बिल का उल्लेख किया। उन्होंने दालों और तिलहनों के आयात को कम करने के प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया क्योंकि आज भी भारत 15 हजार करोड़ रुपये की दालों का आयात करता है।

प्रधानमंत्री ने पोषण के नाम पर डिब्बाबंद भोजन के प्रति आगाह किया जबकि भारत मोटे अनाजों जैसे पौष्टिक भोजन की दृष्टि से बहुत समृद्ध है। उन्होंने आयुष से संबंधित जैविक भोजन की संभावनाओं और उनके द्वारा राज्य के किसानों व उद्यमियों को प्रदान किये जाने वाले अवसरों को रेखांकित किया। यहां तक कि डिब्बाबंद भोजन के संबंध में भी, उन्होंने उपस्थित लोगों से स्थानीय उत्पाद को वैश्विक बाजारों तक पहुंचने में मदद करने के लिए कहा।

अपने संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा की कि वर्तमान समय भारत, उसकी कंपनियों और उसके निवेशकों के लिए एक अभूतपूर्व समय है। उन्होंने कहा, “अगले कुछ वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है।” उन्होंने इसका श्रेय स्थिर सरकार, सहयोगपूर्ण नीतिगत प्रणाली, सुधार और परिवर्तन की मानसिकता व विकास में विश्वास के संयोजन को दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, “यही समय है, सही समय है। यह भारत का समय है।” उन्होंने निवेशकों से उत्तराखंड का साथ देने और इसकी विकास यात्रा में भाग लेने की अपील की।

इस अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

‘उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023’ उत्तराखंड को एक नए निवेश गंतव्य-स्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में उठाया गया एक कदम है। दो दिवसीय शिखर सम्मेलन 8 और 9 दिसंबर, 2023 को “शांति से समृद्धि” थीम के साथ आयोजित किया जा रहा है।

इस शिखर सम्मेलन में दुनिया भर से हजारों निवेशक और प्रतिनिधि भाग लेंगे। इसमें केंद्रीय मंत्रियों, विभिन्न देशों के राजदूतों के साथ-साथ प्रमुख उद्योगपतियों सहित अन्य लोग भाग लेंगे।

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पीएम-दक्ष के तहत वर्ष 2025 तक 1,69,300 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण मिलेगा, इन प्रशिक्षणों पर 286.42 करोड़ रुपये व्यय होने की संभावना है

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता सम्पन्न हितग्राही (पीएम-दक्ष) योजना केंद्र सरकार की योजना है, जिसे 2020-21 में शुरू किया गया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य लक्षित समूहों यानी अनुसूचित जाति, ओबीसी, ईबीसी, डीएनटी, कचरा बीनने वालों सहित सफाई कर्मचारियों आदि के योग्यता स्तर को बढ़ाना है ताकि उनके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए उन्हें स्व-रोजगार के साथ-साथ मजदूरी/रोजगार दोनों के लिए ही योग्य बनाया जा सके।

वर्ष 2020-21 के दौरान लगभग 32,097 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया गया, जिनमें से 24,652 प्रशिक्षुओं को नौकरी पर रखा गया। इन प्रशिक्षणों पर कुल व्यय 44.79 करोड़ रूपये रहा। इसी प्रकार वर्ष 2021-22 में 42,002 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया गया, जिसमें से 31,033 प्रशिक्षुओं को रोजगार प्राप्‍त हुआ। इन प्रशिक्षणों पर 68.22 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई। वर्ष 2022-23 में 33,021 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया गया, जिनमें से 21,552 प्रशिक्षुओं को नौकरी मिली। इन प्रशिक्षणों के लिए 14.94 करोड़ रुपये जारी किये गये थे। इस प्रकार वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2022-23 तक 1,07,120 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण दिया गया, जिनमें से 77,237 प्रशिक्षुओं को लाभकारी रोजगार प्राप्‍त हुए। इन प्रशिक्षणों पर कुल व्यय राशि 127.95 करोड़ रूपए रही।

इसी प्रकार, वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक 1,69,300 प्रशिक्षुओं (वर्ष 2023, 2024 और 2025 में क्रमशः 53,900, 56,450 और 58,950 प्रशिक्षुओं सहित) को प्रशिक्षित किए जाने का अनुमान है। इन प्रशिक्षणों पर 286.42 करोड़ रुपये की कुल राशि खर्च होने की संभावना है।

वर्ष 2023-24 के दौरान, 28 सरकारी और 84 निजी प्रशिक्षण संस्थानों को इस योजना के कार्यान्वयन के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इन 112 सूचीबद्ध प्रशिक्षण संस्थानों में 95,000 से अधिक प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है।

वार्षिक आधार पर संस्थानों को सूचीबद्ध करने की प्रथा को अब बंद कर दिया गया है और अब संस्थानों को उनकी भौतिक और वित्तीय प्रगति तथा इस योजना के कार्यान्वयन से संबंधित किसी भी कदाचार में इन संबंधित संस्थानों की लिप्‍तता न होने की शर्त पर न्यूनतम तीन साल की अवधि के लिए सूचीबद्ध किया जाता है।

पहली बार, राज्यों, जिलों, जॉब रॉल आदि को आवंटित करते समय एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई, जिसके कारण 82 आकांक्षी जिलों सहित 411 जिलों को योजना के कार्यान्वयन में शामिल किया गया है। इसके अलावा, इन प्रशिक्षण संस्थानों को नवीनतम जॉब रॉल्स आवंटित किए गए हैं।

मौजूदा 38 प्रशिक्षण क्षेत्रों में से 32 क्षेत्रों को कवर किया गया है, जिसके कारण इच्छुक प्रशिक्षु उम्मीदवारों के लिए प्रशिक्षण के अवसरों में विविधता आने की संभावना है। इससे उन्हें बेहतर रोजगार के अवसर भी प्राप्‍त होंगे।

247 विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण चाहने वाले 821 केंद्रों के लिए 55,000 से अधिक आवेदक पहले ही पीएम-दक्ष पोर्टल पर आवेदन कर चुके हैं।

इन 55,000 से अधिक आवेदकों में से 37,000 से अधिक आवेदक महिलाएं हैं जो प्रशिक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण लक्ष्य समूह हैं। प्रशिक्षण के लिए 574 बैच पहले ही गठित किए जा चुके हैं और जिनका प्रशिक्षण शुरू होने वाला है। सभी स्वीकृत केंद्रों पर दिसंबर, 2023 में ही प्रशिक्षण शुरू होने की संभावना है।

पीएम-दक्ष योजना

योजना: प्रधानमंत्री दक्ष और कुशलता सम्पन्न हितग्राही (पीएम-दक्ष) योजना, एक केंद्रीय क्षेत्र योजना जो 2020-21 के दौरान शुरू की गई थी।

योजना का उद्देश्य: इस योजना का मुख्य उद्देश्य लक्षित समूहों के योग्यता स्तर को बढ़ाना है ताकि उन्हें सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए स्व-रोजगार और मजदूरी-रोजगार दोनों के लिए ही योग्य बनाया जा सके।

लक्ष्य समूह: एससी, ओबीसी, ईबीसी, डीएनटी सफाई कर्मचारी जिनमें कचरा बीनने वाले आदि शामिल हैं।

आयु मानदंड: 18-45 वर्ष

आय मानदंड: अनुसूचित जाति, कचरा बीनने वाले और डीएनटी सहित सफाई कर्मचारी: कोई आय सीमा नहीं

ओबीसी: पारिवारिक वार्षिक आय 3 लाख रुपये से कम।

ईबीसी: पारिवारिक वार्षिक आय 1 लाख रुपये से कम।

यह योजना उन भारतीय नागरिकों के लिए है, जो 18-45 वर्ष आयु वर्ग के हैं।

अनुसूचित जाति, कचरा बीनने वाले और डीएनटी सहित सफाई कर्मचारियों के लिए कोई आय सीमा नहीं है, ओबीसी के लिए वार्षिक पारिवारिक आय 3 लाख रुपये से कम होनी चाहिए और ईबीसी के लिए वार्षिक पारिवारिक आय 1 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम होनी चाहिए।

पीएम-दक्ष योजना के तहत लक्ष्य समूहों को मोटे तौर पर निम्नलिखित उप श्रेणियों में प्रशिक्षित किया गया :

  • अप-स्किलिंग/रीस्किलिंग (35 से 60 घंटे/5 दिन से 35 दिन):-रु.3000/- से रु.8000/-
  • अल्पावधि प्रशिक्षण (300 घंटे/3 महीने) :- रु.22,000/-
  • उद्यमिता विकास कार्यक्रम (90 घंटे/15 दिन): रु.7000/-
  • दीर्घकालिक प्रशिक्षण (650 घंटे/7 महीने) :- रु.45,000/-
  • कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा जारी सामान्य मानदंडों के अनुसार प्रशिक्षण की लागत पाठ्यक्रम की अवधि के अनुसार अलग-अलग होती है। कचरा बीनने वालों सहित सफाई कर्मचारियों के लिए कौशल उन्नयन 35 घंटे/5 दिनों के लिए है, जिसकी औसत लागत प्रति उम्मीदवार 3000/- रुपये है।

प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण की लागत: निःशुल्क

वजीफा: अनुसूचित जाति और सफाई कर्मचारियों को रु. 1,500/- प्रति माह की दर से वजीफा और गैर-आवासीय अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के लिए ओबीसी/ईबीसी/डीएनटी को रु. 1,000/- प्रति माह की दर से वजीफा।

अपस्किलिंग/रीस्किलिंग कार्यक्रम के लिए एससी/ओबीसी/ईबीसी/डीएनटी उम्मीदवारों को प्रति उम्मीदवार 2500/- रुपये की दर से वजीफा दिया जाता है। अपस्किलिंग कार्यक्रम के लिए सफाई कर्मचारी आवेदकों को प्रति उम्मीदवार 500- रुपये की दर से वेतन मुआवजा दिया जाता है।

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