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केंद्र ने सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) को चरणबद्ध रूप से खत्म करने के लिए राज्यों को पत्र लिखा

देश भर के राज्य/केंद्र शसित प्रदेश और शहरी स्थानीय निकाय “क्लीन एंड ग्रीन” के व्यापक जनादेश के तहत विश्व पर्यावरण दिवस पर 5 जून, 2022 को देश को सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) से मुक्त करने के साथ-साथ पर्यावरण को बेहतर बनाने में योगदान देने के लिए अभियान चलाएंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 29 मई, 2022 को राष्ट्र के नाम 89वें मन की बात संबोधन के बाद ऐसा हो रहा है, जिसमें उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर नागरिकों को एक साथ शामिल होने तथा स्वच्छता एवं वृक्षारोपण के लिए प्रयास करने का आह्वान किया था।

विश्व पर्यावरण दिवस के दोहरे जनादेश और 30 जून, 2022 तक भारत के एसयूपी पर प्रतिबंध के संकल्प को देखते हुए, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इन आदेशों को पूरा करने के लिए कई तरह की गतिविधियों को लेकर एक विस्तृत सलाह जारी की है। इनमें प्लास्टिक कचरा संग्रह पर विशेष जोर देने के साथ बड़े पैमाने पर सफाई और प्लॉगिंग अभियान शामिल होंगे, साथ ही, सभी नागरिकों  – छात्र, स्वैच्छिक संगठन, स्वयं सहायता समूह, स्थानीय गैर सरकारी संगठन/सीएसओ, एनएसएस और एनसीसी कैडेट, आरडब्ल्यूए, बाजार संघ, कॉर्पोरेट संस्थाएं, आदि की भागीदारी के साथ बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जाएगा।

राष्ट्रव्यापी एसयूपी प्रतिबंध के संकल्प को लागू करने के लिए परामर्श में सुझाई गई अनेक पहलें शामिल हैं। वर्तमान में आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा  स्वच्छ भारत मिशन – शहरी 2.0 कार्यान्वित किया जा रहा है। इसके तहत प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, जिसमें एसयूपी का उन्मूलन शामिल है – फोकस का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। मिशन के तहत, प्रत्येक शहरी स्थानीय निकाय को कचरे के  शत-प्रतिशत स्रोत पृथक्करण को अपनाने की आवश्यकता है, और सूखे कचरे (प्लास्टिक कचरे सहित) को रीसाइक्लिंग और/या मूल्य वर्धित उत्पादों के रूप में प्रसंस्करण के लिए आगे के अंशों में विभाजित करने के लिए एक सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधा (एमआरएफ) तक पहुंच हो, जिससे प्लास्टिक और सूखे कचरे की मात्रा कम से कम होकर डंपसाइट्स या जलाशयों में समाप्त हो जाए।

जबकि 2,591 शहरी स्थानीय निकायों (4,704 में से) ने पहले ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार अधिसूचना के तौर पर एसयूपी प्रतिबंध की सूचना दी है। इसके तहत राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी कि शेष 2,100 से अधिक  शहरी स्थानीय निकाय 30 जून, 2022 तक इसे अधिसूचित करें।  शहरी स्थानीय निकाय द्वारा एसयूपी ‘हॉटस्पॉट’ की पहचान करने और उन्हें खत्म करने की आवश्यकता होगी, जबकि समानांतर रूप से राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के समर्थन का लाभ उठाते हुए और विशेष प्रवर्तन दस्तों का गठन, औचक निरीक्षण करने और एसयूपी प्रतिबंधों को लागू करने के लिए चूककर्ताओं पर भारी जुर्माना और दंड लगाने की आवश्यकता होगी।

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन (पीडब्लूएम) (संशोधित) नियमावली, 2021 के अनुसार, पचहत्तर माइक्रोन (75 μ यानी 0.075 मिमी मोटाई) से कम नया या रीसायकल प्लास्टिक से बने कैरी बैग के निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जो प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियमावली, 2016 के तहत पहले अनुशंसित पचास माइक्रोन (50 μ) के स्थान पर 30 सितंबर, 2021 से प्रभावी है। इस नए प्रावधान के परिणामस्वरूप, नागरिकों को अब स्ट्रीट वेंडर, स्थानीय दुकानदारों, सब्जी विक्रेता आदि द्वारा प्रदान किए गए पतले प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग करने से रोकने और वैकल्पिक विकल्पों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन (संशोधित) नियम, 2021 के अनुसार प्रवर्तन को मजबूत करने के लिए कई पूरक पहल भी की जाएंगी। शहरी स्थानीय निकायों को बाजार में आसानी से उपलब्ध एसयूपी-विकल्पों (जैसे कपड़ा/जूट/प्लास्टिक बैग, सड़ने वाली कटलरी आदि) की पहचान करने और नागरिकों के बीच ऐसे विकल्पों के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता होगी। बोतलबंद पेय से निपटने वाली कॉर्पोरेट संस्थाओं से अनुरोध किया जा सकता है कि वे बोतल बैंक स्थापित करें (जहां उपयोगकर्ता पीईटी बोतलों को छोड़ने के लिए भुगतान प्राप्त कर सकते हैं), और उनके विस्तारित उत्पादकों की जिम्मेदारी के हिस्से के रूप में विभिन्न स्थानों पर सब्सिडी वाले पुन: प्रयोज्य प्लास्टिक बोतल बूथ भी स्थापित करें। साथ ही, शहरी स्थानीय निकाय नागरिकों को एसयूपी के विकल्प प्रदान करने के लिए  थैला (बैग)/बार्टन (बर्तन) कियोस्क या भंडार स्थापित कर सकते हैं, विशेष रूप से सार्वजनिक बैठकों और त्योहारों में उपयोग के लिए, जिससे एसयूपी खपत को कम करने में मदद मिलती है। इन पहलों को एसयूपी के उपयोग को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने और एसयूपी-विकल्पों का लाभ उठाने के लिए सभी सार्वजनिक स्थानों, बाजारों और अन्य उच्च फुटफॉल क्षेत्रों में तैनात किए जाने वाले ‘स्वच्छता रथ’ के माध्यम से मजबूत किया जा सकता है।

राज्यों और शहरी स्थानीय निकायों को भी पास के सीमेंट संयंत्रों या अन्य औद्योगिक इकाइयों के साथ समझौता कायम करने की सलाह दी गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उत्पन्न प्लास्टिक कचरे का एक हिस्सा या तो सीमेंट संयंत्रों में वैकल्पिक ईंधन के रूप में या सड़क निर्माण के उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। बाद के उद्देश्य के लिए, शहरी स्थानीय निकायों या उनके लोक निर्माण विभागों को सड़क निर्माण में एसयूपी/बहुस्तरीय प्लास्टिक के उपयोग के लिए विस्तृत दिशा-निर्देशों के साथ आगे आने की आवश्यकता होगी।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एडवाइजरी में बड़े पैमाने पर लोगों की भागीदारी पर जोर दिया गया है, जहां सभी नागरिक श्रेणियां – निर्वाचित प्रतिनिधि जैसे मेयर और वार्ड पार्षद, स्वैच्छिक संगठन, स्थानीय एनजीओ/सीएसओ, रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन, मार्केट एसोसिएशन, स्वयं सहायता समूह, छात्र और युवा एसयूपी प्रतिबंध और प्रवर्तन के संदेश को आगे बढ़ाने के लिए समूहों आदि की पहचान की जानी है और उन्हें शामिल किया जाना है। शहरी स्थानीय निकाय नागरिकों को प्लास्टिक न फैलाने और प्लास्टिक को लैंडफिल में जाने से रोकने के लिए संकल्प  करने हेतु प्रोत्साहित कर सकते हैं, साथ ही मीडिया या सोशल नेटवर्क में अच्छे निपटान व्यवहार को प्रचारित करने के लिए इनाम अभियान भी चला सकते हैं ताकि दूसरों को एसयूपी उपयोग को रोकने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

इन सभी पहलों को उच्चतम स्तर पर निगरानी के लिए प्रलेखन और रिपोर्टिंग के लिए एक विस्तृत प्रोटोकॉल के माध्यम से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और शहरी स्थानीय निकायों द्वारा दर्ज किया जाना है।

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा स्वच्छ भारत मिशन – शहरी कार्यान्वित किया जा रहा है, जो देश के सभी वैधानिक शहरों में व्यापक स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन उपायों के माध्यम से “कचरा मुक्त शहर” बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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राष्ट्रीय महिला आयोग ने ‘एनआरआई विवाहों में परित्यक्त महिलाओं को न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय पहुंच: नीति एवं प्रक्रिया संबंधी अंतर’ विषय पर परामर्श का आयोजन किया

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने ‘एनआरआई विवाहों में परित्यक्त महिलाओं को न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय पहुंच: नीति एवं प्रक्रिया संबंधी अंतर’ विषय पर एक परामर्श कार्यक्रम का आयोजन किया ताकि एनआरआई पतियों द्वारा परित्यक्त भारतीय महिलाओं को राहत प्रदान करने के लिए सभी संबंधित हितधारकों को एक प्‍लेटफॉर्म पर साथ लाया जा सके और एनआरआई वैवाहिक मामलों से निपटने में आने वाली चुनौतियों एवं तकनीकी मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा सके।

एनआरआई वैवाहिक मामलों में आने वाली वास्तविक चुनौतियों एवं तकनीकी मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए आयोग ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, गैर सरकारी संगठनों और संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों जैसे पुलिस, भारतीय दूतावासों/ विदेश में मिशनों, क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालयों, राष्ट्रीय/ राज्य / जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण आदि से विशेषज्ञों को आमंत्रित किया। परामर्श को तीन तकनीकी सत्रों में विभाजित किया गया था: ‘एनआरआई/ पीआईओ से विवाहित भारतीय महिलाओं के सामने आने वाली समस्याओं की पहचान’, ‘न्याय तक पहुंच: भारतीय न्‍याय प्रणाली में चुनौतियों का सामना’ और ‘विदेश में न्याय तक पहुंच: विदेशी न्‍याय प्रणाली में चुनौतियां’। सत्र का संचालन महिला संसाधन एवं वकालत केंद्र, चंडीगढ़ के कार्यकारी निदेशक डॉ. पाम राजपूत,  हरियाणा के डीआईजी (महिला सुरक्षा) आईपीएस सुश्री नाजनीन भसीन और एनआरआई के लिए पंजाब राज्‍य आयोग के पूर्व चेयरमैन न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राकेश कुमार गर्ग ने किया। एक खुली परिचर्चा के तहत विभिन्न संगठनों के विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। परिचर्चा के दौरान विभिन्न राज्यों के शिकायतकर्ताओं ने भी अपने अनुभव साझा किए। पैनलिस्टों द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण सुझावों में एनआरआई मामलों से निपटने वाली एजेंसियों/ पुलिस अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना, दूतावासों द्वारा संकटग्रस्त महिलाओं के मामले को प्राथमिकता के आधार पर उठाना, पीड़ितों के लिए एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन स्थापित करना और उन्हें विदेश कार्य मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के बारे में सूचित करना शामिल था। विशेषज्ञों ने तलाक, भरण-पोषण, बच्‍चों की परवरिश, उत्तराधिकार आदि के मामलों से संबंधित विदेशी अदालत द्वारा पारित आदेशों के पीड़ित महिलाओं पर प्रभाव के बारे में भी चर्चा की। साथ ही इस बात पर भी गौर किया गया कि भारतीय कानूनी व्‍यवस्‍था के मौजूदा प्रावधानों के तहत किस प्रकार ऐसी महिलाओं को राहत प्रदान की जा सकती है। राष्ट्रीय महिला आयोग का उद्देश्य इस विचार-विमर्श के जरिये पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने की दिशा में प्रभावी कानूनी उपाय करने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना है।

 

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मैडम सर’ ने 500 शानदार एपिसोड्स पूरे किए, शो के कलाकारों ने मनाया इस उपलब्धि का जश्‍न!

‘मैडम सर’ ने 500 शानदार एपिसोड्स पूरे किए, शो के कलाकारों ने अपने अंदाज में मनाया इस उपलब्धि का जश्‍न!

सोनी सब के शो ‘मैडम सर’ ने सफलतापूर्वक 500 एपिसोड पूरे कर लिए हैं। यही वह समय है कि भारत की सबसे चहेती महिला पुलिस अधिकारियों के लिये हम सब जमकर ताली बजाएं। दो साल पहले अपने लॉन्‍च के बाद से ही, इस शो ने महिलाओं के नेतृत्‍व वाले मजबूत किरदारों और सोच-विचार कर बनाई गईं कहानियों एवं प्‍लॉट के साथ दर्शकों को काफी लुभाया है। इस शो में एसएचओ हसीना मलिक (गुल्‍की जोशी), करिश्‍मा सिंह (युक्ति कपूर), संतोष (भाविका शर्मा), पुष्‍पा सिंह (सोनाली नाईक) और चीता चतुर्वेदी (प्रियांशु सिंह) मुख्‍य भूमिकाएं निभा रहे हैं। शो में बड़े आत्‍मविश्‍वास और बेहतरीन तरीके से एक महिला पुलिस थाने को संभालने में रोजाना आने वाली चुनौतियाँ दिखाई गई हैं। इसके किरदारों ने अजीब से अजीब मामलों को पूरे ‘जज्‍बात’ के साथ और सबसे अभिनव तरीकों से सुलझाया है। पिछले 500 एपिसोड्स में ‘मैडम सर’ ने अनगिनत सामयिक विषयों और निजी अनुभवों को छुआ है, जो ऐसी लड़कियों के लिये प्रेरक हैं, जिन्‍हें अपने काम में महारथ पाने और उसे सहजता से करने की आकांक्षा है। महिला सशक्तिकरण से लेकर, दबंगई, सामाजिक रूढि़यों, मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य, आदि तक इस शो ने प्रासंगिक मुद्दों को ऐसी कहानियों के जरिए दिखाया है जोकि एक सकारात्‍मक एवं महत्‍वपूर्ण असर पैदा करने के लिए समाधान प्रदान करती हैं। आज हासिल हुई उपलब्धि के साथ ‘मैडम सर’ नये रास्‍तों पर बढ़ने के लिये तैयार है, और यह दर्शकों को बांधकर रखने की कोशिश करता रहेगा।  इस उपलब्धि पर अपनी बात रखते हुए, हसीना मलिक की भूमिका निभा रहीं गुल्‍की जोशी ने कहा, “मुझे ‘मैडम सर’ का हिस्‍सा बनकर बहुत गर्व और खुशी है, क्‍योंकि यह शो समस्‍याओं को हल करने की नई-नई विधियों से दयालुता और हास्‍य के भाव को फैलाता है। एक एक्‍टर के तौर पर इसमें मैंने न केवल नये लुक्‍स और शख्सियतों को अपनाया, बल्कि परफॉर्मेंस के मामले में भी मेरा दायरा बढ़ा। हमारे शो को दर्शकों से अब तक मिली प्रतिक्रिया काफी संतोषजनक रही है और हम आगे और भी ज्‍यादा एडवेंचर्स लाकर दर्शकों का मनोरंजन जारी रखना चाहते हैं। 500 एपिसोड्स पूरे करने और यह बेजोड़ उपलब्धि हासिल करने के लिये पूरी टीम को शाबाशी मिलनी चाहिये। यह ‘मैडम सर’ की यात्रा में एक नये अध्‍याय की शुरूआत है।‘’ करिश्‍मा सिंह की भूमिका निभा रहीं युक्ति कपूर ने कहा, “मैं 500 शानदार एपिसोड्स पूरे होने पर पूरे दिल से हमारी टीम को बधाई देना चाहती हूँ। यह उपलब्धि हासिल करने का अनुभव सपने जैसा लग रहा है और यह हमारी उस कड़ी मेहनत को दिखाता है, जो इस कहानी को पर्दे पर जीवंत करने में लगी है। इस शो ने हमें एक्‍टर के तौर पर कई बारीकियाँ जानने का मौका दिया और इसके नेरेटिव भी आधुनिक समय के हैं। ऐसे बेहतरीन कलाकारों और क्रू के साथ काम करना मैं अपना सौभाग्‍य मानती हूँ, जिन्‍होंने हमेशा मेरा साथ दिया। मैं ऐसी और भी उपलब्धियों की कामना करती हूँ।” संतोष की भूमिका निभा रहीं भाविका शर्मा ने कहा, “इतनी बड़ी उपलब्धि का हिस्‍सा बनकर मैं बहुत खुश और आभारी हूँ। एक शो को इतने लंबे समय तक चलाना और दर्शकों के लिये प्रासंगिक बनाये रखना कठिन है, लेकिन ‘मैडम सर’ ने कौतुहल पैदा करने और मनोरंजन देने वाली कहानियों के साथ एक बदलाव करके दिखाया है। एक टीम के तौर पर हमने इस शो को सफल बनाने के लिये बड़ी कोशिश की है और मैं दर्शकों से आग्रह करती हूँ कि वे हमें अपना प्‍यार और सहयोग लगातार देते रहें।” देखते रहिये ‘मैडम सर’, सोमवार से शनिवार रात 10 बजे, सिर्फ सोनी सब पर!

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भ्रष्ट सरकारी तन्त्र को दुस्साहसी बनाने वाला शासनादेश -डॉ.दीपकुमार शुक्ल (स्वतन्त्र टिप्पणीकार)

लोकतान्त्रिक प्रक्रिया के तहत हर पांच वर्ष में एक सरकार जाती है और दूसरी आती है| प्रत्येक सरकार सरकारी तन्त्र से सुचारू रूप से काम करवाने का न केवल संकल्प बार-बार दोहराती है बल्कि हर सम्भव प्रयास करती है कि प्रथम श्रेणी से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक के कर्मचारी अपने दायित्व का ईमानदारी पूर्वक निर्वाहन करें| लेकिन दुर्भाग्य कहें या विडम्बना कि जैसे जैसे लोकतान्त्रिक भारत की आयु बढ़ रही है वैसे वैसे सरकारी तन्त्र निकम्मा और नैतिक आचरण से हीन होता जा रहा है| किसी भी शिकायत या समस्या का संज्ञान लेकर उस पर कार्यवाही करने की अपेक्षा शिकायतकर्ता को विभिन्न माध्यमों से परेशान करके हतोत्साहित करना ही पूरे तन्त्र का एकमात्र उद्देश्य बन चुका है| इसके मूल में 9 मई 1997 को उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी शासनादेश संख्या 13/1/97-का-1/1997 है| जो किसी भी अधिकारी के विरुद्ध की गयी शिकायत के परिप्रेक्ष्य में उसका पूर्ण रूपेण संरक्षण करता है| इस शासनादेश की भाषा इतनी सरल और भावपूर्ण है कि पूरा आदेश पढ़ने के बाद हर कोई इसे प्रथम दृष्टया उचित कहने में संकोच नहीं करेगा| परन्तु इसका व्यावहारिक पक्ष उतना ही जटिल और लोकतन्त्र को मुंह चिढ़ाने वाला है| यही वह शासनादेश है जिसके चलते सूचना अधिकार जैसा प्रभावी कानून मजाक बनकर रह गया है| सूचना आयुक्तों के यहाँ द्वितीय अपीलों की लम्बी श्रंखला का कारण यही शासनादेश है| यह वही शासनादेश है जिसके कारण प्रतिदिन उच्च अधिकारियों के कार्यालय से लेकर मुख्यमन्त्री के जनता दरबार तक अनगिनत फरियादियों की भीड़ जमा होती है| एक ही शिकायत के निस्तारण हेतु उच्च अधिकारियों से लेकर राष्ट्रपति तक को शिकायतकर्ताओं द्वारा पत्र-दर-पत्र प्रेषित किये जाते हैं| इसके बाद भी उनकी समस्या का समाधान नहीं होता है| वहीं जिस अधिकारी के विरुद्ध शिकायत की जाती है वह पूर्ण निर्भय होकर भ्रष्टाचार के निते नये कारनामे करता रहता है|

शासनादेश संख्या 13/1/97-का-1/1997, 9 मई 1997 को कार्मिक अनुभाग-1 उत्तर प्रदेश शासन के तत्कालीन विशेष सचिव के.एम.लाल की आज्ञा से सचिव जगजीत सिंह द्वारा प्रदेश के समस्त प्रमुख सचिवों/सचिवों, विभागाध्यक्षों/प्रमुख कार्यालयाध्यक्षों एवं सचिवालय के समस्त अनुभागों तथा सतर्कता विभाग के प्रमुख सचिव को प्रेषित किया गया था| “समूह ‘क’ (श्रेणी-1) के अधिकारियों के विरुद्ध प्राप्त शिकायती-पत्रों का निस्तारण” विषय वाले इस शासनादेश के अनुसार सामान्य व्यक्तियों से प्राप्त शिकायतों के सम्बन्ध में शिकायतकर्ता को शपथ-पत्र तथा शिकायत की पुष्टि हेतु समुचित साक्ष्य उपलब्ध कराने के साथ जाँच अधिकारी के समक्ष बयान देने हेतु प्रस्तुत होने का निर्देश दिया जाता है| इसके बाद जाँच की लम्बी प्रक्रिया कच्छप गति से आगे बढ़ती है| कहने को तो यह शासनादेश मात्र समूह ‘क’ (श्रेणी-1) के अधिकारियों के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों के सन्दर्भ में है| परन्तु इसका इस्तेमाल न केवल हर छोटे-बड़े अधिकारी को बचाने में होता है बल्कि शिकायत के निस्तारण को लम्बित और प्रभावहीन बनाने में भी इसको ढाल और तलवार के रूप में प्रयुक्त किया जाता है| गम्भीर से गम्भीर मामले का शिकायती-पत्र प्रेषित करने के बाद प्रथम दृष्टया उस पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता| लम्बी प्रतीक्षा के बाद जब शिकायतकर्ता उच्च अधिकारियों को पत्र लिखता है या सूचना अधिकार का प्रयोग करता है| तब उसको इस शासनादेश का हवाला देते हुए शपथ-पत्र एवं साक्ष्यों सहित बयान देने हेतु जाँच अधिकारी के समक्ष पेश होने का निर्देश मिलता  है| अनेक मामलों में हर किसी के पास साक्ष्य उपलब्ध नहीं होते और यदि हुए भी तो महीनों की समयावधि तक उन्हें सुरक्षित रख पाना मुश्किल होता है| इसके बाद पैसा तथा समय लगाकर शपथ-पत्र बनवाना और फिर बयान देने हेतु जाँच अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होना, सामान्य या रोज खाने-कमाने वाले व्यक्ति के लिए दुरूह कार्य जैसा है| कोई शिकायतकर्ता यदि साहस करके पूरी कवायद करता भी है तो उसे बयान के नाम पर उलझाने का प्रयास होता है| पहले एक अधिकारी बुलाता है फिर दूसरा बुलाता है| अवसर मिलते ही यह सिद्ध कर दिया जाता है कि शिकायतकर्ता की शिकायत के प्रति कोई रूचि नहीं है| इस बीच जिसके विरुद्ध शिकायत होती है वह साम, दाम, दण्ड, भेद द्वारा शिकायतकर्ता पर दबाव डालकर शिकायत वापस करवाने या फिर मामले को फर्जी सिद्ध करवाने का प्रयास करता है| कई मामलों में तो जाँच उसी अधिकारी को सौंप दी जाती है, जिसके विरुद्ध शिकायत होती है| कुल मिलाकर शिकायत को प्रभावहीन बनाकर दोषियों को बचाने का खुला खेल इस शासनादेश की आड़ में चल रहा है| इस सन्दर्भ में लेखक का निजी अनुभव है| बीते अगस्त माह में लेखक ने अपने पिताजी को खांसी की समस्या के चलते कानपुर के मन्नत हॉस्पिटल में भर्ती करवाया था| इस अस्पताल के संचालक मनीष सचान को क्षेत्रीय जनों की तरह लेखक भी एम.एम.बी.एस. डॉक्टर समझता था| मनीष सचान ने स्वयं को कानपुर के सरकारी अस्पताल के.पी.एम. हॉस्पिटल का सरकारी डॉक्टर बताया था| जबकि बाद में मालूम हुआ कि वह वहाँ चिकित्सक न होकर फार्मासिस्ट के पद पर कार्यरत है| क्षेत्रीय जनों को वेवकूफ बनाकर सुबह-शाम मन्नत हॉस्पिटल में ओपीडी करने वाले इस तथाकथित डॉक्टर के गलत इलाज से 30 अगस्त को लेखक के पिता की मृत्यु हो गयी| अतः लेखक ने अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को पत्र भेजकर उक्त चिकित्सक तथा ऐसे सभी चिकित्सकों को प्रश्रय देकर आम जन के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले चिकित्साधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करने की मांग की| इस बीच पिताजी को श्रद्धांजलि देने लेखक के घर पहुँचे क्षेत्रीय विधायक तथा वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को भी उक्त प्रकरण से अवगत कराया गया| उन्होंने तत्काल मुख्य चिकित्साधिकारी को फोन करके पन्द्रह दिनों में कार्यवाही करने का निर्देश दिया| इसके बाद भी जब कुछ नहीं हुआ तब लेखक ने सूचनाधिकार के तहत अपनी शिकायत के सन्दर्भ में जानकारी मांगी| तब अपर निदेशक कार्यालय द्वारा पत्र भेजकर उपरोक्त शासनादेश का हवाला देते हुए शपथ-पत्र एवं साक्ष्य सहित बयान देने हेतु उपस्थित होने का निर्देश दिया गया| इस खानापूर्ति के लगभग दो माह बाद अपर मुख्य चिक्तिसाधिकारी के कार्यालय में पुनः साक्ष्य सहित बयान हेतु बुलाया गया| इस दिन 23 दिसम्बर था| यहाँ गौरतलब है कि लेखक ने अपनी शिकायत में स्वास्थ्य विभाग के जिन अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की मांग की थी, उनमें अपर मुख्य चिकित्साधिकारी भी एक हैं| क्योंकि प्राईवेट अस्पतालों का नोडल अधिकारी प्रायः अपर मुख्य चिकित्साधिकारी को ही बनाया जाता है| जिनकी सहायता से मुख्य चिकित्साधिकारी प्राईवेट अस्पतालों के मानक की निगरानी करते हैं| लेखक के एक पत्रकार मित्र भी साथ गये थे| जो कि पिताजी की मृत्यु वाले दिन बराबर साथ थे| अपर मुख्य चिक्तिसाधिकारी के कार्यालय में पहुँचते ही सर्वप्रथम अकेले बयान देने का दबाव बनाया गया| जबकि लेखक चाहता था कि उसके मित्र साथ रहें| अतः बयान लेने वाले अधिकारी ने प्रोपेगंडा बनाते हुए बयान लेने से मना कर दिया| इसके बाद अपर मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा पत्र प्रेषित करके लेखक को पुनः बयान देने हेतु 17 जनवरी को बुलाया गया| जबकि यह पत्र 19 जनवरी को प्रेषित किया गया था| जो कि 20 जनवरी को प्राप्त हुआ| पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा गया था कि यदि आप नहीं आये तो समझा जायेगा कि शिकायत के सम्बन्ध में आपको कुछ नहीं कहना है| जाहिर है जब 17 तारीख को बुलावे की सूचना 20 तारीख को प्राप्त होगी तब वही होगा जो पत्र प्रेषक चाहेगा| हुआ भी वही| अगले ही दिन शिकायत को निराधार बताकर प्रकरण को समाप्त करने की संस्तुति कर दी गयी| जब एक पत्रकार के मामले में यह हो सकता है तब फिर सामान्य व्यक्ति के साथ क्या होता होगा, यह स्वतः समझा जा सकता है| आकण्ठ भ्रष्टाचार में डूबे सरकारी तन्त्र को दुस्साहसी बनाने वाले उपरोक्त शासनादेश संख्या 13/1/97-का-1/1997 के रहते क्या सामान्य व्यक्ति न्याय की अपेक्षा कर सकता है? यह प्रश्न उत्तर की प्रतीक्षा में है|

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केन्‍द्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कन्हेरी गुफाओं में विभिन्न सुविधाओं का उद्घाटन किया

केन्‍द्रीय पर्यटन, संस्कृति और उत्‍तर पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री (डोनर) श्री जी. किशन रेड्डी ने आज बोरीवली के नजदीक संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित कन्हेरी गुफाओं में पर्यटकों के लिए विभिन्न सुविधाओं का उद्घाटन किया। संस्‍कृति मंत्री ने कहा, “कन्हेरी गुफाएं हमारी प्राचीन विरासत का हिस्सा हैं क्योंकि वे हमारे उद्भव और अतीत का प्रमाण प्रदान करती हैं। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर किए गए कार्यों का उद्घाटन करना सौभाग्य की बात है। बुद्ध का संदेश संघर्ष और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए आज भी महत्‍वपूर्ण है।”

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श्री रेड्डी ने कहा कि हमारी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण में रुचि दिखाना और उसकी जिम्मेदारी लेना प्रत्येक नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है। संस्‍कृति मंत्री ने कहा कि हमारी विरासत की रक्षा, संरक्षण और प्रचार-प्रसार में सार्वजनिक-निजी भागीदारी, कॉरपोरेट और सिविल सोसाइटी संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ताकि आने वाली पीढ़ियां इन खजानों तक पहुंच सकें। इंडियन ऑयल फाउंडेशन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के साथ हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के हिस्से के रूप में कन्हेरी में उन्नत पर्यटक बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के कार्य में शामिल है। वर्तमान इमारत में आगन्‍तुक मंडप, रखवाली करने वालों के आवास, बुकिंग ऑफिस को अपग्रेड करने के साथ उनका नवीनीकरण किया गया है। बुकिंग काउंटर से लेकर कस्टोडियन क्वार्टर तक के क्षेत्र को प्राकृतिक दश्‍यों से सुशोभित किया गया है। चूंकि गुफाएं जंगल के मुख्य क्षेत्र में आती हैं, बिजली और पानी की आपूर्ति नहीं हो पाती है, इसके बावजूद सौर ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से बिजली की व्यवस्था की गई है। आगंतुकों की रुचि बनाए रखने के लिए सरल और सुविधाजनक विवेचना केन्‍द्र की स्‍थापना की गई है जिसमें ग्यारह व्‍याख्‍यात्‍मक पैनलों की मदद से प्रमुख गुफाओं की उत्कृष्ट विशेषताओं और अद्वितीयता को उजागर किया गया है। कन्हेरी का ट्रेल मैप यानी रास्‍ता दिखाने वाला नक्‍शा एक और महत्वपूर्ण विशेषता है जो आगंतुकों का समय बचाने में मदद करता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पूरे मठ परिसर के 3डी वर्चुअल टूर पर भी काम कर रहा है। कन्हेरी गुफाएं मुंबई के पश्चिमी बाहरी इलाके में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों में बड़े पैमाने पर बेसाल्ट आउटक्रॉप में गुफाओं का समूह और कटी हुई चट्टानों से बने स्मारकों का एक समूह है। इनमें बौद्ध मूर्तियां और राहत नक्काशी, पेंटिंग और शिलालेख हैं, जो पहली शताब्दी सीई से 10वीं शताब्दी सीई तक की हैं। पानी के अनेक जलाशयों के साथ खुदाई की सतह और क्षेत्र, शिलालेख, एक सबसे पुराना बांध, एक स्तूप दफन गैलरी और उत्कृष्ट वर्षा जल संचयन प्रणाली इसकी एक आश्रम और तीर्थ केन्‍द्र के रूप में लोकप्रियता का संकेत देती है। कन्हेरी सातवाहन, त्रिकुटक, वाकाटक और सिलहारा के संरक्षण में और क्षेत्र के धनी व्यापारियों द्वारा किए गए दान के माध्यम से फला-फूला।

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संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक महामहिम शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के असामयिक निधन पर सम्मान स्‍वरूप कल पूरे देश में एक दिवसीय राजकीय शोक मनाया जाएगा

संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक महामहिम शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान का असामयिक निधन हो गया है। भारत सरकार ने दिवंगत गणमान्य व्यक्ति के सम्मान में पूरे देश में एक दिन का राजकीय शोक मनाने की घोषणा की है।

राजकीय शोक के दिन पूरे देश में उन सभी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा, जहां राष्ट्रीय ध्वज नियमित रूप से फहराया जाता है। इस दिन कोई भी आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा।

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स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने के लिये असम और अरुणाचल प्रदेश में काष्ठशिल्प और अगरबत्ती उद्योग को गति देने में केवाईआईसी का बड़ा प्रयास

खादी और ग्रामीण उद्योग आयोग (केवाईआईसी)ने असम और अरुणाचल प्रदेश में 100 महिलाओं सहित 150 प्रशिक्षित खादी शिल्पकारों को स्व-रोजगार की विभिन्न गतिविधियों से जोड़ा है। केवाईआईसी के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में 50 शिल्पकारों को काष्ठकला की मशीनें वितरित कीं। इसी तरह उन्होंने गुवावाटी, असम में शिल्पकारों को अगरबत्ती बनाने वाली 50 मशीनें और अचार बनाने वाली 50 मशीनों का वितरण किया। पहली बार केवाईआईसी ने मशीनों द्वारा काष्ठकला का प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम शुरू किया है। यह कार्यक्रम अरुणाचल प्रदेश के स्थानीय युवाओं को दिया जा रहा है, जिसका उद्देश्य तवांग के स्थानीय जनजातीय युवाओं के लिये स्थायी रोजगार उत्पन्न हो सकें। इसका एक और उद्देश्य है राज्य की पारंपरिक काष्ठकला को दोबारा जीवित करना। सभी काष्ठ शिल्पकार बीपील परिवारों से सम्बंधित हैं तथा केवाईआईसी 20 दिनों का समग्र प्रशिक्षण देता है। प्रशिक्षण पूरा हो जाने के बाद इन शिल्पकारों को मशीनें प्रदान की जाती हैं।

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शनिवार को, श्री सक्सेना ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएम-ईजीपी) के तहत 50 महिला शिल्पकारों को अगरबत्ती बनाने वाली 50 मशीनें वितरित कीं, ताकि वे अपनी अगरबत्ती निर्माण इकाइयां स्थापित कर सकें। इसका एक और उद्देश्य है कि स्थानीय अगरबत्ती उद्योग को मजबूत किया जाये। उल्लेखनीय है कि असम में अगरबत्ती निर्माण में बहुत रोजगार हैं। केवाईआईसी ने इसके लिये एक व्यापारिक साझीदार को भी जोड़ा है, जो असम का सफल स्थानीय अगरबत्ती निर्माता है। वह कच्चा माल उपलब्ध करायेगा तथा इन 50 महिला उद्यमियों को मजदूरी चुकाते हुये उनके द्वारा बनाई गई समस्त अगरबत्तियां खरीदेगा। केवाईआईसी अध्यक्ष श्री सक्सेना ने कहा कि पूर्वोत्तर में युवाओं को आत्मनिर्भर बनाते हुये खादी गतिविधियों को प्रधानमंत्री की परिकल्पना “आत्मनिर्भर भारत” के साथ जोड़ा गया है। उन्होंने कहा, “केवाईआईसी ने पूर्वोत्तर में स्थायी रोजगार सृजन और पारंपरिक शिल्प को मजबूत करने पर लगातार जोर दिया है। केवाईआईसी के समर्थन से काष्ठशिल्प, अगरबत्ती निर्माण और अचार बनाने जैसे कृषि व खाद्य-आधारित उद्योगों के बल पर स्थानीय युवा व महिलायें सशक्त बनेंगी तथा उनके घर में ही रोजगार के अवसर मिलेंगे।” उल्लेखनीय है कि हाल में ही केवाईआईसी ने अरुणाचल प्रदेश में दो ‘अरि रेशम प्रशिक्षण और उत्पादन केंद्र’ खोलेहैं। साथ ही तवांग में मोनपा हस्तनिर्मित कागज उद्योग को दोबारा जीवित किया गया है। इसके अतिरिक्त केवाईआईसी ने पिछले दो वर्षों में अगरबत्ती और गोल बांस की छड़ी निर्माण सहित बांस उत्पादों की 430 इकाइयां असम और अरुणाचल प्रदेश में स्थापित की हैं।

 

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प्रधानमंत्री ने लुम्बिनी, नेपाल में मायादेवी मंदिर के दर्शन किये

गेट खुलने की आवाज़ सुन कर मीरा ने खिड़की से झांका तो देखा ,शेखर फ़ैक्ट्री से आ गये थे।शेखर मीरा के पति जो शहर के जाने माने बिज़नेसमैन है।मीरा एक घरेलू औरत जो नौकरों की मदद से घर को चला रही है।गर्मी से झुनझुनाइये शेखर ने अपने नौकर से पानी माँगा और सोफ़े पर बैठ गया।बाहर बहुत गर्मी है!ज़रा ऐ-सी तेज करो नौकर से ये कह कर आँखे बंद कर थोड़ा आराम करने के इरादे से लेट गया।सारा दिन काम करके थक जाता हूँ ,शेखर सोच रहा था कितने सालों से वो सारा बिज़नेस अकेले ही देख रहा है ,किस के लिए अपनी पत्नी और बच्चों

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तुम्हें रानी बनाने की चाह मे ,पता नही कब ..मै राजा से गुलाम हो गया”

गेट खुलने की आवाज़ सुन कर मीरा ने खिड़की से झांका तो देखा ,शेखर फ़ैक्ट्री से आ गये थे।शेखर मीरा के पति जो शहर के जाने माने बिज़नेसमैन है।मीरा एक घरेलू औरत जो नौकरों की मदद से घर को चला रही है।गर्मी से झुनझुनाइये शेखर ने अपने नौकर से पानी माँगा और सोफ़े पर बैठ गया।बाहर बहुत गर्मी है!ज़रा ऐ-सी तेज करो नौकर से ये कह कर आँखे बंद कर थोड़ा आराम करने के इरादे से लेट गया।सारा दिन काम करके थक जाता हूँ ,शेखर सोच रहा था कितने सालों से वो सारा बिज़नेस अकेले ही देख रहा है ,किस के लिए अपनी पत्नी और बच्चों के लिये।फिर सोचने लगा!
मेरे बच्चे सब अपनी मर्ज़ी ही करते है।मै उनकी हर ख्वाहिश पूरी करताहूँ,क्या वो भी मेरी कोई इच्छा या ज़रूरत पूरी कर पायेंगे?
ये कैसे कैसे सवाल आज मेरे मन मे आ रहे है ?शेखर ने सोचा।शायद थका हुआ हूँ तभी ऐसे विचार मेरे मन में आ रहे हैं।तभी मीरा आई और शेखर से कहा जल्दी से तैयार हो जाओ।आज पुनीत के यहाँ किटी पर जाना हैं।शेखर थका हुआ था सोचा कि बोल दूँ ,कि तुम ही हो आओ।फिर सोचा इस किटी में उसके दोस्त भी होगें।वो जायेगा तो अच्छा भी लगेगा।बेमन से उठा और तैयार होने के लिये अपने कमरे मे चला गया।दोनों थोड़ी ही देर मे पुनीत के यहाँ पहुँच गये।
सब से मिले ,बाते चली ,गाने बजाने नाचने का माहौल ने शेखर को तरोताज़ा कर दिया।रात को काफ़ी देर तक पार्टी चली।शेखर ने मीरा को चलने का इशारा किया और वो दोनों वहाँ से निकल पड़े।रास्ते में मीरा ने शेखर से पार्टी की बात छेड़ दी ,कहा आज सोनिया ने नये डायमंड के टॉपस पहने हुये थे।बता रही थी कि उसके पति ने उसे शादी की सालगिरह का तोहफ़ा दिया और ये भी कह रही थी, बारह लाख के बनवाये।तुनक कर बोली!पता नही,क्या समझती है खुद को और ज़िद्द करने के लहजे से शेखर से बोली !मुझे भी वैसे ही कानों के टॉपस चाहिए।शेखर ने कहा ,ले लेना।ये कौन सी बड़ी बात है। फिर मीरा ने इक और तीर चलाया।कहने लगी और देखा था,रश्मि ने इतना सुन्दर डायमंड का सैट पहना हुआ था।बता रही थी तीस लाख का लिया था।उसके पति ने उस को पचासवीं सालगिरह पर तोहफ़ा दिया है।वो भी चहक चहक कर सब को दिखा रही थी।शेखर मुझे भी वैसा ही सैट चाहिए । शेखर जो पीये हुये भी था कहने लगा !ले लेना।हम कौन सा कम है किसी से। जब सुबह दोनों चाय पीने बैठे तो भी मीरा ने फिर वही बातें दोहरा दी।शेखर ने कहा ! हाँ मैं भी देख रहा था पुनीत मित्तल अपनी फरारी गाड़ी की कितनी ढींगे मार रहा था।मैं भी लैमबरगीनी गाड़ी निकलवाता हूँ ताकि लोगों को भी पता लगना चाहिए कि हम भी किसी से कम नहीं।अपनी 4 कनाल की कोठी की बात ,पता नहीं कितनी दफ़ा अपने दोस्तों के सामने की उसने। क्या समझता है खुद को,हम भी अब 8 कनाल की कोठी लेंगे जल्दी ही, अब बडे लोगों के बीच रहना है तो ये सब तो करना ही पड़ेगा ।शेखर चाय पी कर जल्दी से फ़ैक्ट्री चला गया, दोस्तों कोई बड़ी बात नही।पैसा हो तो खर्च भी करना चाहिए।जो इच्छा हो, पूरी भी करनी चाहिए। देखा जाये ,तो औरतो का सपना होता है बड़ा घर ,पैसा ,गाड़ी और भी बहुत कुछ डिमांड करती रहती है पतियों से ।मगर देखने मे ये आता है जितनी बड़ी माँग को पूरा करना होता है ।पति को उतनी ही कड़ी मेहनत करनी पड़ती है ।कई बार तो साम दाम दंड भेद कोई भी तरीक़े से पैसा कमाया जाता है।ज़मीर तक दावँ पर लगा डालते हैं। शराफ़त से कमाई गई दौलत से इक सादा सच्चा जीवन जीया जा सकता है।बड़े बड़े शौक़ पूरे नही किये जा सकते। ये अलग बात है बड़ी बड़ी फ़ैक्टरियों की आमदनी से ये सब संभव भी है दोस्तों !
डायमंड जिसे मै सिर्फ़ इक चमकता हुआ पत्थर ही कह सकती हूँ और सोना जिसे पीले रंग की धातु मात्र ही समझती हूँ और इस बात से भी इनकार नहीं कर सकती ,ये सब चीज़ें हमारे दुख सुख मे काम भी आते है। ये बैंक बैलेंस ,ये ज़मीनें जायदाद जो हम पता नही ,कैसे कैसे किसी को दुख दे कर या किसी की आह ले कर ,बड़ी ख़ुशी के साथ इकट्ठा करते है जो अंत मे हमारा साथ न देंगी और मरने के बाद हमसे जब बल छल से किये गये करमो का हिसाब माँगा जायेगा तो कोई बच्चा या पत्नी इल्ज़ाम अपने सर नही लेगी कि मेरे कहने पर मेरे पति ने मुझे हीरे का सैट या जुलरी लेने के लिये ही ऐसा कोई करम बना लिया ।हमारी औरतों की बड़ी बड़ी इच्छायें आदमियों से ऐसे ऐसे काम करवा देती है जो उसके शरीर तो भुगतता ही है ,रूह पर भी दाग लग ज़ाया करते है। ये सोशल गैदरिगं मे यही सब हो रहा है आजकल।इक दूसरे से आगे निकलने की रेस। आनन्द लीजिए !इन सोशल नेटवर्किंग का ,मगर कोई ऐसी इच्छा अपने पति के सामने न रखे जिसे पूरा करते वक़्त वो अपना ईमान ही बेच डाले।
अग्नि के इर्द गिर्द फेरे लेने का मतलब ये नहीं ,उसे अपनी इच्छा पूर्ति का ज़रिया बना लिया जायें। उनकी भी अपनी इच्छा होती होगी ,पत्नियों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए। कई पुरुष औरत की हर इच्छा को पूरा करने के लिए कई हदें पार कर देता है और अगर पुरूष की ख़ास इच्छा हो ,जिसमें उसकी ख़ुशी हो ,तो पूरे परिवार को भी उस इच्छा का सम्मान भी करना चाहिए और कहीं न कहीं शायद हम सब ही अपने पिता या पति के प्रयासों के लिये ढंग से आभार भी प्रकट नही कर पाते। अगर आप सच में रानी बनना चाहतीं है तो अपने पति को राजा बनाये न कि अपना या अपनी इच्छायों का गुलाम। कहीं ऐसा न हो कि पति को ये लगने लगे।
“शौक़ तेरे भी थे और मेरे भी,मगर “ईमान”मेरा बिक गया ..तुम्हें रानी बनाने की चाह मे ,पता नही कब ..मै राजा से गुलाम हो गया”।

स्मिता केंथ

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स्वदेशी जागरण मंच के कानपुर प्रांत एक़ाई ने स्वावलंबी भारत अभियान के अंतर्गत ११ परिषदों ने संयुक्त रूप से देश को स्वावलंबी बनाने का बीड़ा उठाया है।

कानपुर 8 मई, भारतीय स्वरूप संवाददाता, दीनदयाल उपाध्याय सभागार, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्विद्यालय, कानपुर में स्वदेशी जागरण मंच के कानपुर प्रांत एक़ाई ने स्वावलंबी भारत अभियन के अंतर्गत ११ परिषदों अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद,विश्व हिंदू परिषद,लघु उद्योग भारती, वनवासी कल्याण आश्रम,ग्राहक पंचायत, भारतीय मज़दूर संघ,भारतीय किसान संघ, भारतीय जनता पार्टी, सहकार भारती एवं राष्ट्रीय सेवा भारती ने संयुक्त रूप से देश कोस्वावलंबी बनाने का बीड़ा उठाया है।
कार्यक्रम का शुभारंभ दूध दही के देश में पेप्सी कोला नहि चलेगा…के नारे के साथ हुआ। दीप प्रज्वलन तथा ज्ञान की देवी सरस्वती और पंडित दीं दयाल उपाध्याय के चित्र पर माल्यार्पण के साथ ही सभागार में स्वावलंबी स्वाभिमानी भाव जगाना है,चलो गाँव की ओर हमें फिर देश बनाना है- गीत गूँज उठा। नोयडा विश्वविद्यालय के कुलपति एवं प्रसिद्ध अर्थशास्त्रविद प्रोफ़ेसर भगवती शरण शर्मा ने देश की इकॉनमी का विश्लेषण किया उनके अनुसार विश्व की इकॉनमी में भारत का योगदान शून्य से १५०० ईश्वी तक ३४% था पर आज मात्र ३% है हमें वापस अपना स्वावलम्बन जगाना है। हमारा देश १४० करोड़ जनसंख्या वाला देश है और हमारे पास १८ करोड़ हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जो विश्व में सर्वाधिक है। दुनिय में पर कैपिटा मिल्क प्रडक्शन ३५० लीटर है जबकि हमारे भारत की पर कैपिटा प्रडक्शन ५०० ली है। हमें अपने देश में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके देश को स्वावलंबी बनाना है। इससे पहले भारत का युवा अलगाववादी ताक़तों के चंगुल में चला जाए उनको रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराना है और I HATE FOR APPLYING JOBS का भाव जगाकर रोज़गार दाता बनाना है।
ग्राहक पंचायत के श्री हरिभाऊ खांडेकर,बी जे पी के श्री राम किशोरसाह सहकार भारती के गजेंद्र जी कानपुर के ज़िला सम्पर्क प्रमुख श्री प्रवीण कुमार मिश्रा ,यू पी टेक्स्टायल के निदेशक श्री पी सी ठाकुर तथा एम एस एम ई के कमिशनर श्री सर्वेश्वर शुक्ला जी ,चंद्र शेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक श्री वी के यादव ने युवाओं को नयीं रोज़गारपरक योगनाओ की जानकारी दी|
धन्यवाद ज्ञापन श्री पी के मिश्रा ने दिया प्रांत महिला प्रमुख श्रीमती शलिनी कपूर,क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री अजय उपाध्याय जी तथा प्रांत के सभी कार्यकरता उपस्थित रहे, कार्यक्रम में मुख्य रूप से ड़ा सत्यनारायण मिश्रा को स्वदेशी जागरण मंच का समन्वयक मनोनीत किया गया जिससे मंच का कार्य तेज़ी से हो सकेगा

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