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पर्यटन

समुद्री पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने कई पहल शुरू की हैं।

समुद्री पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने कई पहलें शुरू की हैं। वे इस प्रकार हैं:-
  1. 19 अक्टूबर 2023 की अधिसूचना संख्या 60/2023-सीमा शुल्क के अनुसार, सरकार द्वारा विदेशी ध्वज वाले विदेशी जहाज़ों के लिए एकीकृत माल एवं सेवा कर (आईजीएसटी) छूट प्रदान की गई है, जब वे कोस्टल रन में परिवर्तित हो जाते हैं, बशर्ते छह महीने के भीतर उन्हें विदेश जाने वाले जहाज़ में पुन: परिवर्तित कर दिया जाए।
  1. लंगरगाह के लिए, क्रूज़ जहाज़ को मालवाहक जहाज पर प्राथमिकता दी जाती है।
  1. युक्तिसंगत क्रूज़ टैरिफ़ को शुरू किया गया है।
  1. बंदरगाह शुल्क 0.085 डॉलर/जीआरटी (निश्चित दर) पर वसूला जाता है और लंगरगाह  पर रहने के पहले 12 घंटों के लिए 6 डॉलर का नाममात्र यात्री हेड टैक्स लिया जाता है।
  2. क्रूज़ जहाजों को उनकी कॉल के परिमाण के आधार पर 10 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक की छूट दी जाती है।
  1. क्रूज जहाजों को आकर्षित करने के लिए ऑस्टिंग शुल्क हटा दिए गए हैं।
  2. ई-वीजा और आगमन पर वीजा सुविधाओं का विस्तार किया गया है।
  3. एकल ई-लैंडिंग कार्ड शुरू किया गया है, जो समुद्री पर्यटन कार्यक्रम में सभी बंदरगाहों के लिए मान्य है।
  1. विदेशी क्रूज जहाजों के लिए कॉबोटेज माफ कर दिया गया है। यह छूट विदेशी क्रूज जहाज को अपने घरेलू चरण के दौरान भारतीय नागरिकों को एक भारतीय बंदरगाह से दूसरे भारतीय बंदरगाह तक ले जाने की अनुमति देती है।
  1. वैश्विक समुद्री भारत शिखर सम्मेलन 2023 का आयोजन मुंबई में किया गया और इसे भारत के समुद्री उद्योग जगत में एक महत्वपूर्ण क्षण माना गया, जिसने अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की। इस आयोजन के दौरान, “2047 तक भारत में 50 मिलियन क्रूज यात्रियों को आकर्षित करने के लिए समुद्री यात्रा पर निकलें” पर एक समर्पित सत्र आयोजित किया गया, जिसमें दुनिया भर के प्रतिष्ठित क्रूज लाइनों के अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं ने भाग लिया।

यह जानकारी केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज (9 अगस्त 2024) लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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गंगा नदी के माध्यम से परिवहन

सरकार ने गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली के हल्दिया-वाराणसी खंड पर राष्ट्रीय जलमार्ग-I (एनडब्ल्यू-I) की क्षमता वृद्धि के लिए जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) 3 जनवरी 2018 को अनुमोदित की थी। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) विश्व बैंक की तकनीकी और वित्तीय सहायता से जेएमवीपी को कार्यान्वित कर रहा है।

जल मार्ग विकास परियोजना के तहत वाराणसी के मिल्कीपुर ग्रामसभा से सटे राल्हूपुर ग्रामसभा में मल्टीमॉडल टर्मिनल (एमएमटी) विकसित किया गया है। एमएमटी से कार्गो की ट्रायल मूवमेंट सफलतापूर्वक की गई है।

विश्व बैंक के परामर्श से जल मार्ग विकास परियोजना के कार्यान्वयन की अवधि दो वर्ष के लिए बढ़ा दी गई है।

यह जानकारी केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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बड़ी हिट होने की तैयारी में इंडिया इंटरनेशनल हॉस्पिटैलिटी एक्सपो 2024

दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के ग्रेटर नोएडा में 3 से 6 अगस्त 2024 तक इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में इंडिया इंटरनेशनल हॉस्पिटैलिटी एक्सपो (आईएचई 2024) के सातवें संस्करण का आयोजन किया जा रहा है। इसने हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में पूरे आतिथ्य उद्योग का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। यहां उद्योग जगत से जुड़े हितधारक स्टैंड-आउट इवेंट में भाग लेने की तैयारी कर रहे हैं। यह आयोजन पहले से ही एक बड़ा हिट होने की तैयारी में है। आईएचई 2024 भारत के प्रमुख हॉस्पिटैलिटी एक्सपो के रूप में अपनी विरासत को जारी रखते हुए अपना सातवां संस्करण लाने के लिए तैयार है। इसमें 1000 से अधिक प्रदर्शक (एग्जीबिटर्स) शामिल होंगे। इसके अलावा लग्जरी होटल, रिसॉर्ट्स, होमस्टे, रेस्तरां, क्लाउड किचन और एफएंडबी सेक्टर से 20,000 से अधिक बी2बी खरीदार आएंगे।

A large room with many people walking aroundDescription automatically generated with medium confidence इसके अलावा आईएचई का नवीनतम संस्करण आतिथ्य क्षेत्र से संबंधित चार संबद्ध शो से जुड़ा है। इसमें कैटरिंग एशिया, टेंट डेकोर एशिया और आयुष एक्सपो शामिल हैं। एक छत के नीचे आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम इस क्षेत्र की बहुआयामी जरूरतों के लिए वन-स्टॉप समाधान की पेशकश करके आतिथ्य उद्योग के समाभिरूपता को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है। यह सामूहिक आयोजन उद्योग जगत के पेशेवरों के लिए एक अमूल्य संसाधन होने का भरोसा दिलाता है, जो नवीनतम रुझानों, तकनीक और सेवाओं तक पहुंच प्रदान करता है। इसके साथ ही उन संबंधों को बढ़ावा देता है जो आतिथ्य उद्योग को आगे बढ़ाएंगे। आईएचई 2024 ने आतिथ्य उद्योग के भीतर सहयोग की श्रृंखला में एक कदम आगे बढ़ाते हुए वियतनाम के साथ भागीदार देश के रूप में साझेदारी की है। आईएचई 2024 में भारत और इसके आतिथ्य क्षेत्र के साथ व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए राजनयिक, आतिथ्य पेशेवर, शेफ और एसोसिएट्स शामिल होंगे। प्रसिद्ध वियतनामी शेफ फेम वान डोंग और गुयेन वान थोंग भारत के सेलिब्रिटी शेफ नंदलाल और गौतम के साथ अपने मास्टरक्लास आयोजित करने के लिए तैयार हैं। यह उत्साह तब और बढ़ जाएगा जब हिमाचल प्रदेश आईएचई 2024 में मुख्य केंद्र बिंदु राज्य के रूप में शामिल होगा। इस दौरान हिमाचल पर्यटन अपने अद्भुत पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देगा।

A large room with many booths and peopleDescription automatically generated with medium confidence इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि यह हम सभी के लिए एक-दूसरे से सीखने, नई साझेदारी बनाने और विकास और सहयोग के रास्ते तलाशने का अवसर है। उन्होंने सभी से आतिथ्य के भविष्य का पता लगाने और उसे आकार देने के लिए एक साथ आने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित हो कि हमारा उद्योग वैश्विक मंच पर अनुकूल माहौल बनाने के साथ विकास करे और फलता-फूलता रहे। आईएचई 2024 हमारा सबसे सफल संस्करण और एक मील का पत्थर होने का वादा करता है जो व्यवसाय के विकास में योगदान करने और आतिथ्य क्षेत्र की गतिशील और सुदृढ़ प्रकृति को प्रदर्शित करने के लिए तैयार है।

आईएचई 2024 ने कई अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों का विश्वास जीता है जिन्हें इस मंच पर अपने बेहतरीन उत्पादों और सेवाओं को प्रदर्शित करने के लिए शामिल किया गया है। प्रमुख प्रदर्शकों और सहयोगियों की सूची में टॉप्स इंडिया, वीनस, अनुपम रॉयल्स, बून, अल्फाड्रॉइड, करामत, एलई 5 स्टैगियोनी, आईएफबी, पतंजलि, नेचुरिन, कोहे, बोरेचा, वीएफआई ग्रुप आदि शामिल हैं। टॉप्स इंडिया सुविधाजनक और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे पाक सॉस, जैम, अचार आदि की रेंज प्रदर्शित करने के लिए तैयार है, जो गोल्डन पार्टनर के रूप में आईएचई 2024 में शामिल हो गया है।

चार संबद्ध शो के 1000 से अधिक प्रदर्शकों की संयुक्त भागीदारी के साथ आईएचई 2024 में विभिन्न प्रकार की श्रेणियां शामिल हैं। यह व्यवसायों के लिए उत्पादों और सेवाओं की एक व्यापक श्रृंखला पेश करती हैं।

नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों से लेकर पारंपरिक आतिथ्य पेशकशों तक आईएचई 2024 में उद्योग जगत के एक गतिशील मिश्रण को एक साथ लाकर एक ऐसा मंच बना रहा है जहां व्यवसाय खोज सकते हैं, जुड़ सकते हैं और फल-फूल सकते हैं।

इसके अलावा, द होटल एंड रेस्तरां इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एचओटीआरईएमएआई) एसोसिएशन ऑफ रिसोर्स कंपनीज फॉर द हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एआरसीएचआईआई) निप्पॉन ग्लोबल, इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन इंटीरियर डिजाइनर (आईआईआईडी) दिल्ली चैप्टर, परचेजिंग प्रोफेशनल फोरम (पीपीएफ) और होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ इंडिया (एचआरएएनआई) सहित आतिथ्य उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों से कई प्रसिद्ध आतिथ्य संघ और परिषदें  आईएचई 2024 में शामिल होने के लिए कृतसंकल्प हैं। वे सभी अपने सहयोगियों और सदस्यों को मेगा हॉस्पिटैलिटी एक्सपो में लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आईएचई 2024 में  एचआरएएनआई 5 और 6 अगस्त 2024 को इंडिया एक्सपो मार्ट लिमिटेड के हॉल 14 और हॉल 15 में अपना वार्षिक कॉन्क्लेव आयोजित करेगा। दूसरी ओर क्षेत्र-विशिष्ट ज्ञान प्रदान करने और अपने क्षेत्र में फलने-फूलने वाले अपार अवसरों का अवलोकन देने के लिए आईआईआईडी, दिल्ली क्षेत्रीय चैप्टर को ज्ञान भागीदार के रूप में शामिल किया गया है।

समग्र आयोजन को रोचक बनाने के लिए चार दिवसीय हॉस्पिटैलिटी सोर्सिंग गाला रोमांचक पाक शाला संबंधी प्रतियोगिताओं से भी भरा हुआ है, जिसमें शामिल हैं:

  • पेस्ट्री क्वीन इंडिया प्रतियोगित
  • मास्टर बेकर्स चैलेंज इंडिया 2024
  • इंडिया पिज्जा लीग चैंपियनशिप

इन पाक शाला (रसोई) संबंधी प्रतियोगिताओं के दौरान युवा आतिथ्य पेशेवरों और रसोइयों को भाग लेने और नवीनतम खाना बनाने के कौशल सीखने का शानदार मौका मिल सकता है।

आईएचई 2024 की प्रमुख श्रेणियों में हॉस्पिटैलिटी उद्योग के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जिसमें होरेका (होटल, रेस्तरां और खानपान) परिचालन आपूर्ति और उपकरण, आतिथ्य तकनीक, खाद्य और पेय पदार्थ, हाउसकीपिंग और चौकीदारी (जननिटरी), रखरखाव और इंजीनियरिंग, फर्नीचर, फिक्स्चर और उपकरण सुविधाएं प्रबंधन, और सफाई और स्वच्छता शामिल हैं।

आईएचई उनकी सभी सोर्सिंग जरूरतों को पूरा करने और आतिथ्य उद्योग में नवीनतम नवाचारों, रुझानों और प्रगति के बारे में जानने के लिए एक बहुप्रतीक्षित वार्षिक बी2बी एक्सपो है जो उद्योग में ऐतिहासिक ऊंचाइयों, मान्यता और उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए एक यात्रा के लायक है।

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दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 1386 किलोमीटर लंबाई वाले 53 पैकेजों में स्पर्स सहित दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य शुरू किया है। जून 2024 तक कुल 26 पैकेज पूरे हो चुके हैं। कार्य की भौतिक प्रगति 82 प्रतिशत है और कुल 1136 किलोमीटर लंबाई का निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है।

संशोधित निर्धारित समापन तिथि अक्टूबर, 2025 है।

यह कॉरिडोर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के प्रमुख आर्थिक केंद्रों को कनेक्टिविटी प्रदान करता है। विस्‍तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के अनुसार, दिल्ली से जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (जेएनपीटी) की दूरी में लगभग 180 किलोमीटर की कमी और जुड़े हुए गंतव्यों तक यात्रा के समय में 50 प्रतिशत तक की कमी शामिल है।

यह जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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भारत ने विश्व धरोहर समिति की 46वीं ऐतिहासिक बैठक की मेजबानी की

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने धरोहर के संरक्षण के प्रति भारत की संकल्‍पबद्धता को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत लंबे समय से विश्व धरोहर सम्मेलन के मूल्यों की वकालत करता रहा है। विश्व धरोहर समिति की 46वीं बैठक के सफल समापन पर आज यहां आयोजित प्रेस ब्रीफिंग में उन्होंने कहा, “हमारी प्रतिबद्धता सीमाओं से परे है, जो पड़ोसी देशों के साथ हमारे विभिन्न संरक्षण और क्षमता निर्माण संबंधी कदमों के माध्यम से परिलक्षित होती है।”

भारत ने 21 से 31 जुलाई, 2024 तक पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक के 46वें सत्र की मेजबानी की। नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम 1977 में आरंभ हुए विश्व धरोहर सम्मेलन के साथ भारत की दीर्घकालिक सहभागिता की दिशा में एक उपलब्धि साबित हुआ है। चार कार्यकालों तक विश्व धरोहर समिति में भारत की सक्रिय भागीदारी, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और क्षमता निर्माण के प्रति उसके समर्पण को रेखांकित करती है।

विश्व धरोहर समिति की बैठक के 46वें सत्र का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने 21 जुलाई 2024 को विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति में किया। “विकास भी, विरासत भी” के अपने विजन के अनुरूप प्रधानमंत्री श्री मोदी ने उद्घाटन सत्र में यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र को 1 मिलियन डॉलर के अनुदान की घोषणा की। यह योगदान क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता और संरक्षण के प्रयासों में सहायता देगा, जिससे विशेष रूप से ग्‍लोबल साउथ के देशों को लाभ होगा।

केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने अपनी ब्रीफिंग में कहा, “बीते 10 वर्षों में भारत ने आधुनिक विकास के नए आयाम छूए हैं, साथ ही ‘विरासत पर गर्व’ का संकल्प भी लिया है।” उन्होंने देश भर में चल रही काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, अयोध्या में राम मंदिर और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के आधुनिक परिसर के निर्माण जैसी कई धरोहर संरक्षण परियोजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में भारत के प्रयासों से पिछले दशक में 13 विश्व धरोहर संपत्तियों को सफलतापूर्वक सूचीबद्ध किया गया है, जिससे भारत सबसे अधिक विश्व धरोहर स्थलों के संबंध में दुनिया में छठे स्थान पर आ गया है।

श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सत्र के परिणामों के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि विश्व धरोहर सम्मेलन के 46वें सत्र में 24 नए विश्व धरोहर स्थलों को सूचीबद्ध किया गया, जिनमें 19 सांस्कृतिक, 4 प्राकृतिक और 1 मिश्रित संपत्ति शामिल हैं। असम का मोईदाम्स भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल बन गयाजो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि यह असम का पहला ऐसा सांस्कृतिक स्थल है जिसे यह मान्यता मिली है। चराईदेव जिले में स्थितमोईदाम्स अहोम राजवंश के दफनाने वाले पवित्र टीले हैंजो छह शताब्दियों के सांस्कृतिक और स्थापत्य विकास को दर्शाते हैं।

मोईदाम्स के बारे में अधिक जानकारी:

1. चराईदेव मोईदाम: भारत का 43वां यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल

2. मोईदाम्स – अहोम राजवंश की माउंड-दफन प्रणाली यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में भारत की 43 वीं प्रविष्टि के रूप में शामिल

केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने द्विपक्षीय बैठकों की चर्चा करते हुए बताया कि भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संपत्ति समझौते पर हस्ताक्षर किए गएजिससे सांस्कृतिक संपत्ति में अवैध व्यापार से निपटने की प्रतिबद्धता को बल मिला। इसके अतिरिक्तभारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने क्षमता निर्माण और मूर्त धरोहर पर शोध के लिए आईसीसीआरओएम के साथ समझौता किया। डब्ल्यूएचसी के 46वें सत्र में युवा धरोहर पेशेवर मंच और साइट प्रबंधक मंच भी शामिल हुएजिससे धरोहर संरक्षण में वैश्विक विशेषज्ञता में वृद्धि हुई। इस बैठक के दौरान अन्य 33 कार्यक्रम आयोजित किए गए।

केंद्रीय मंत्री ने विश्व धरोहर समिति की 46वीं बैठक के दौरान लगाई गई महत्‍वपूर्ण प्रदर्शनी का विशेष उल्लेख किया, जिसमें 25 प्रत्यावर्तित ऐतिहासिक वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया, जो सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के प्रति भारत के समर्पण को दर्शाता है।

वैश्विक धरोहर के संरक्षण में भारत के योगदान को रेखांकित करते हुए श्री शेखावत ने कंबोडिया के अंगकोर वात, वियतनाम के चाम मंदिरों और म्यांमार के बागान के स्तूपों में भारत के धरोहर संरक्षण प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि नए शामिल किए गए मोईदाम सहित 43 विश्व धरोहर स्थलों की उल्लेखनीय सूची के साथ, धरोहर संरक्षण के संबंध में भारत वैश्विक स्‍तर पर अग्रणी बना हुआ है। उन्होंने कहा कि 56 संपत्तियों की विशाल संभावित सूची भारत के सांस्कृतिक स्पेक्ट्रम का व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है।

संस्कृति के वैश्विक महत्व को बढ़ाने में भारत के विशिष्ट योगदान पर बल देते हुए केंद्रीय मंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि जी-20 की भारत की अध्यक्षता के तहत, नेताओं के नई दिल्ली घोषणापत्र 2023 (एनडीएलडी) ने 2030 के बाद के विकास के प्रारूप में संस्कृति को एक स्वतंत्र लक्ष्य के रूप में समर्थन दिया, जो वैश्विक विकास रणनीति में व्‍यापक बदलाव को दर्शाता है। यह ऐतिहासिक निर्णय संस्कृति की परिवर्तनकारी क्षमता को दर्शाता है, आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है, हाशिए पर पड़े समुदायों को सशक्त बनाता है और असु‍रक्षित धरोहर की रक्षा करता है। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि काशी संस्कृति पथ और एनडीएलडी 2023, संस्कृति लक्ष्य की अपनी आकर्षक अभिव्यक्ति के साथ दुनिया का पहला और एकमात्र दस्तावेज है, जो वैश्विक संस्कृति क्षेत्र के विमर्श को दिशा देता है।

विश्व धरोहर समिति की बैठक का 46वां सत्र संरक्षण, अंतर्राष्ट्रीय सहायता तथा विभिन्न देशों और संगठनों के साथ द्विपक्षीय बैठकों पर व्यापक चर्चा के साथ संपन्न हुआ। इस ऐतिहासिक आयोजन ने भारत की समृद्ध धरोहर को प्रदर्शित किया और भविष्य में वैश्विक धरोहर के संरक्षण के प्रयासों के लिए मंच तैयार किया।

केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री ने मीडिया को जानकारी दे रहे हैं:

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“भारत का लक्ष्य 2030 तक 4 बिलियन डॉलर के एमआरओ उद्योग के साथ अग्रणी विमानन केन्‍द्र बनना” – राममोहन नायडू

केन्‍द्रीय नागर विमानन मंत्री श्री किंजरापु राममोहन नायडू ने सभी विमानों और विमान इंजन के कलपुर्जों पर 5 प्रतिशत की एकसमान आईजीएसटी दर लागू करने की घोषणा की है, जो आज 15 जुलाई 2024 से प्रभावी होगी। यह निर्णय घरेलू रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक विमानन केन्‍द्र बनाना है।

इस प्रगति पर टिप्पणी करते हुए, श्री नायडू ने कहा, “एमआरओ वस्तुओं पर एक समान 5 प्रतिशत आईजीएसटी दर की शुरूआत विमानन क्षेत्र के लिए एक बड़ा प्रोत्‍साहन है। इससे पहले, विमान घटकों पर 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की अलग-अलग जीएसटी दरों ने चुनौतियां खड़ी की, जिसमें कर संरचना में भिन्‍नता और एमआरओ खातों में जीएसटी संचय शामिल था। यह नई नीति इन असमानताओं को समाप्त करती है, कर संरचना को सरल बनाती है और एमआरओ क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देती है।”

केन्‍द्रीय मंत्री ने इस बदलाव को संभव बनाने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में, हम आत्मनिर्भर भारत पहल के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत को एक प्रमुख विमानन केन्‍द्र में बदलने में उनका समर्थन इस नीति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण रहा है।”

केन्‍द्रीय मंत्री ने नागर विमानन मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और अन्य हितधारकों के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने 22 जून 2024 को अपनी 53वीं बैठक में जीएसटी परिषद द्वारा अनुशंसित इस नीति समायोजन को प्राप्त करने के लिए लगन से काम किया है, एक समान 5 प्रतिशत आईजीएसटी दर का उद्देश्य परिचालन लागत को कम करना, कर क्रेडिट के मुद्दों को हल करना और निवेश को आकर्षित करना है।

भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए, श्री राममोहन नायडू ने कहा, “हमारा दृष्टिकोण भारत को एक अग्रणी विमानन केन्‍द्र में बदलना है। भारतीय एमआरओ उद्योग के 2030 तक 4 बिलियन डॉलर का उद्योग बनने का अनुमान है। यह नीति परिवर्तन एमआरओ सेवाओं के लिए एक मजबूत इकोसिस्‍टम बनाने, नवाचार को बढ़ावा देने और स्‍थायी विकास सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

मंत्रालय को विश्वास है कि इस कदम से भारतीय एमआरओ क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, नवाचार और दक्षता को बढ़ावा मिलेगा तथा एक मजबूत और कुशल विमानन क्षेत्र का निर्माण होगा।

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पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण ने वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 100 दिनों में जलपोत पर लदे 41.12 मिलियन मीट्रिक टन सामान का उत्कृष्ट प्रबंधन करने के साथ नया रिकॉर्ड बनाया

पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण (पीपीए) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले 100 दिनों के भीतर जलपोत पर लदे अभूतपूर्व 41.12 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) सामान का गुणवत्तापूर्ण प्रबंधन करके अपने परिचालन इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इस बंदरगाह के लिए कार्य क्षमता का यह उत्कृष्ट प्रदर्शन एक नया रिकॉर्ड स्थापित करता है, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में इसी अवधि के दौरान प्राप्त 39.25 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो हैंडलिंग की तुलना में 4.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी को प्रदर्शित करता है।

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इस तरह की शानदार सफलता भारत के समुद्री बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाने में बंदरगाह की महत्वपूर्ण भूमिका तथा इसकी परिचालन दक्षता और क्षमता बढ़ाने के लिए प्राधिकरण की अटूट प्रतिबद्धता को उजागर करती है।

पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण ने केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल के गतिशील नेतृत्व व दूरदर्शी मार्गदर्शन में अपने परिचालन कार्यक्रम में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है और उत्कृष्ट दक्षता को प्रदर्शित करते हुए अपने पिछले मानदंडों को पार कर लिया है।

पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण के अध्यक्ष पी.एल. हरनाध ने केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री की कार्य कुशलता के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने इस अभूतपूर्व सफलता का श्रेय श्री सर्बानंद सोनोवाल के लगातार सहयोग और रणनीतिक मार्गदर्शन को दिया है।

यह उपलब्धि पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण की कार्गो हैंडलिंग व्यवस्था में नए मानक स्थापित करने और देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देने की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है। चूंकि पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण अपनी क्षमताओं को विस्तार देने तथा अपनी सेवाओं में सुधार करना जारी रखे हुए है, इसलिए यह भारत के समुद्री बुनियादी ढांचे को सहयोग देने और देश के आर्थिक विकास को गति प्रदान करने के लिए समर्पित है।

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फूलों का अपशिष्ट सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा दे रहा है

जैसे-जैसे भारत स्थिरता और सर्कुलर इकोनॉमी की ओर बढ़ रहा है, अपशिष्ट से संपदा बनाने पर ध्यान केंद्रित करना ही रास्ता है। मंदिरों में खाद बनाने के गड्ढे बनाने और पुनर्चक्रण प्रयासों में मंदिर ट्रस्टों तथा स्वयं सहायता समूहों को शामिल करने से रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा हो सकते हैं। पुजारियों और भक्तों को नदियों में फूलों का कचरा न डालने को लेकर उन्हें शिक्षित करने के लिए आउटरीच कार्यक्रम से कचरे में कमी लाने में मदद मिल सकती है। “हरित मंदिर” अवधारणा को मंदिरों को पर्यावरण के अनुकूल स्थानों में बदलने की नीतियों में एकीकृत किया जा सकता है। पारंपरिक फूलों के बजाय डिजिटल प्रसाद या स्वाभाविक तरीके से सड़नशील सामग्रियों को बढ़ावा देने से भी फूलों के कचरे को कम करने में मदद मिल सकती है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड को पार्कों आदि जैसे हरे भरे स्थानों में फूलों के कचरे का पता लगाने और उसे प्रबंधित करने में शामिल किया जा सकता है।

भारत में फूलों के अपशिष्ट का क्षेत्र नई वृद्धि का अनुभव कर रहा है, जिसका इसके बहुआयामी लाभों से पता चलता है। यह न केवल महिलाओं के लिए सार्थक रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है, बल्कि कचरे को कूड़ा-स्थलों से प्रभावी ढंग से हटाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा है।

आध्यात्मिक स्थलों से एकत्र किया गया फूलों का अपशिष्ट, जो कि ज्यादातर स्वाभाविक तरीके से सड़नशील होता है, अक्सर लैंडफिल या जल निकायों में समाप्त हो जाता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा होते हैं और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचता है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट के अनुसार, अकेले गंगा नदी सालाना 8 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक फूलों के कचरे को सोख लेती है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत, कई भारतीय शहर अभिनव समाधान ला रहे हैं। सामाजिक उद्यमी फूलों से जैविक खाद, साबुन, मोमबत्तियां और अगरबत्ती जैसे मूल्यवान उत्पाद बनाने के लिए आगे आ रहे हैं।

स्वच्छ भारत मिशन स्थिरता की ओर एक परिवर्तनकारी यात्रा का नेतृत्व कर रहा है, जहां सर्कुलर इकोनॉमी और अपशिष्ट से संपदा का सिद्धांत सर्वोच्च है। इस बदलाव के बीच, फूलों का अपशिष्ट कार्बन फुटप्रिंट में महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं में से एक के रूप में उभर रहा है जिससे इस चुनौती से निपटने के लिए शहरों और स्टार्टअप्स के बीच सहयोगात्मक प्रयास हो रहे हैं।

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में हर रोज़ 75,000 से 100,000 तक दर्शनार्थी आते हैं, जिससे प्रतिदिन लगभग 5-6 टन फूल और अन्य अपशिष्ट उत्पन्न होता है। इसके लिए खास ‘पुष्पांजलि इकोनिर्मित’ वाहन हैं, जो इस कचरे को एकत्र करते हैं और फिर इसे थ्रीटीपीडी प्लांट में संसाधित करके पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों में बदल दिया जाता है। शिव अर्पण स्व-सहायता समूह की 16 महिलाएं फूलों के कचरे से विभिन्न उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुएं बनाती हैं और इसके लिए उन्हें रोजगार भी दिया गया है। इसके अलावा, इस कचरे से स्थानीय किसानों के लिए खाद बनाया जाता है और यह जैव ईंधन के रूप में भी काम करता है। उज्जैन स्मार्ट सिटी 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 2,200 टन फूलों के कचरे से कुल 3,02,50,000 स्टिक का उत्पादन किया गया है।

मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में रोजाना करीब 40,000-50,000 श्रद्धालु आते हैं। कुछ खास दिनों में तो यह आंकड़ा 1,00,000 तक पहुंच जाता है, जो 120 से 200 किलोग्राम फूल चढ़ाते हैं। मुंबई स्थित डिजाइनर हाउस ‘आदिव प्योर नेचर’ ने एक स्थायी उद्यम शुरू किया है, जो मंदिर में अर्पित किये गए फूलों को प्राकृतिक रंगों में बदलकर कपड़े के टुकड़े, परिधान, स्कार्फ, टेबल लिनेन और बड़े थैले के रूप में अलग-अलग वस्त्र बनाता है। वे सप्ताह में तीन बार फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करते हैं, जो 1000-1500 किलोग्राम/सप्ताह होता है। इस कचरे की छंटाई के बाद कारीगरों की एक टीम सूखे फूलों को प्राकृतिक रंगों में बदल देती है। आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले गेंदा, गुलाब और अड़हुल के अलावा, टीम प्राकृतिक रंग बनाने और भाप के माध्यम से बनावट वाले प्रिंट बनाने के लिए नारियल के छिलकों का भी उपयोग करती है।

तिरुपति नगर निगम हर दिन मंदिरों से 6 टन से ज़्यादा फूलों का अपशिष्ट उठाता है। वहां फूलों के कचरे को इकट्ठा करके उसे दोबारा इस्तेमाल करने योग्य मूल्यवान उत्पादों में बदल दिया जाता है। इसके ज़रिए स्वयं सहायता समूहों की 150 महिलाओं को रोज़गार मिला है। रीसाइकिलिंग का यह काम तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम अगरबत्ती के 15 टन क्षमता वाले निर्माण संयंत्र में किया जाता है। इन उत्पादों को रीसाइकिल किए गए कागज़ और तुलसी के बीजों से भरे कागज़ से पैक किया जाता है ताकि कार्बन उत्सर्जन शून्य हो।

फूलों के कचरे की रीसाइकिलिंग करने वाले कानपुर स्थित फूल, प्रतिदिन विभिन्न शहरों के मंदिरों से फूलों का अपशिष्ट एकत्र करके बड़े-बड़े मंदिरों को इस कचरे की समस्या से निजात दिला रहा है। यह फूल’ भारत के पांच प्रमुख मंदिर शहरों अयोध्या, वाराणसी, बोधगया, कानपुर और बद्रीनाथ से लगभग 21 मीट्रिक टन फूलों का अपशिष्ट प्रति सप्ताह (3 टीपीडी) एकत्र करता है। इस कचरे से अगरबत्ती, धूपबत्ती, बांस रहित धूपबत्ती, हवन कप आदि जैसी वस्तुएं बनाई जाती हैं। फूल’ द्वारा नियोजित महिलाओं को सुरक्षित कार्य स्थान, निश्चित वेतन, भविष्य निधि, परिवहन और स्वास्थ्य सेवा जैसे लाभ मिलते हैं। गहन तकनीकी शोध के साथ, स्टार्टअप ने ‘फ्लेदर’ विकसित किया है, जो पशु चमड़े का एक व्यवहार्य विकल्प है और इसे हाल ही में पेटा (पीईटीए) के सर्वश्रेष्ठ नवाचार शाकाहारी दुनिया से सम्मानित किया गया था।

हैदराबाद स्थित स्टार्टअप, होलीवेस्ट ने ‘फ्लोरजुविनेशन’ नामक एक अनूठी प्रक्रिया के माध्यम से फूलों के कचरे को पुनर्जीवित किया है। 2018 में स्थापित कंपनी के संस्थापक माया विवेक और मनु डालमिया ने विक्रेताओं, मंदिरों, कार्यक्रम आयोजकों, सज्जाकारों और फूलों का अपशिष्ट  पैदा करने वालों के साथ भागीदारी की। वे 40 मंदिरों, 2 फूल विक्रेताओं और एक बाजार क्षेत्र से फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करते हैं और खाद, अगरबत्ती, सुगंधित शंकु और साबुन जैसे पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बनाते हैं। वर्तमान में, होलीवेस्ट‘ 1,000 किलोग्राम/सप्ताह फूलों के कचरे को जल निकायों में जाने से रोक रहा है या लैंडफिल में सड़ने से बचा रहा है।

पूनम सहरावत का स्टार्टअप ‘आरुही’ दिल्ली-एनसीआर में 15 से अधिक मंदिरों से फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करता है, 1,000 किलोग्राम कचरे को रिसाइकिल करता है और हर महीने 2 लाख रुपये से अधिक कमाता है। सहरावत ने फूलों के कचरे से उत्पाद बनाने के लिए 3,000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया है।

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दूरसंचार विभाग ने श्री अमरनाथजी यात्रा 2024 के लिए दूरसंचार अवसंरचना का विस्‍तार किया

दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने श्री अमरनाथजी यात्रा 2024 पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को निर्बाध मोबाइल कनेक्टिविटी सुनिश्चित कराने के लिए दूरसंचार बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण विस्‍तार की घोषणा की है। विभाग ने एयरटेल, बीएसएनएल और रिलायंस जियो सहित प्रमुख दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) के सहयोग से यात्रा मार्गों पर लगातार कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए बुनियादी ढांचे का उन्नयन किया है।

कनेक्टिविटी में वृद्धि:

  • कवरेज सुनिश्चित करने के लिए, कुल 82 साइटें (एयरटेल, आरजेआईएल और बीएसएनएल) सक्रिय होंगी। कवर किए गए प्रमुख स्थानों की सूची नीचे दी गई है।
  • यात्रा मार्गों पर कुल 31 नई साइटें स्थापित की गई हैं और इस तरह इनकी कुल संख्‍या 2024 में बढ़कर 82 हो गई है जबकि 2023 में इनकी संख्या 51 थी। इसका उद्देश्य तीर्थयात्रियों और जनता को निर्बाध मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्‍ध कराना है।
  • लखनपुर से काजीगुंड और काजीगुंड से पहलगाम और बालटाल तक के मार्ग पर तीर्थयात्रियों और जनता के लिए विभिन्‍न स्थानों पर 2जी, 3जी और  4जी तकनीक पूरी तरह उपलब्ध कराई गई है और कई जगहों पर 5जी तकनीक भी उपलब्‍ध कराई गई है।
  • यात्रियों की सुविधा के लिए अन्य स्थानों के अलावा कई जगह सिम वितरण केंद्र भी खोले गए हैं। इनकी सूची इस प्रकार है:
स्थान
लखनपुर
यात्री निवास भगवती नगर
चंदरकोट
अनंतनाग
श्रीनगर
श्रीनगर हवाई अड्डा
पहलगाम
सोनमर्ग
बालटाल

श्री अमरनाथजी यात्रा 2024 के दौरान मोबाइल सेवाओं की निरंतर कवरेज सुनिश्चित करने के लिए, टीएसपी ने नीचे दिए गए तरीके से बीटीएस स्थापित किए हैं:

ऑपरेटर-स्थान कनेक्टिविटी साइट मार्किंग
बेस कैंप (पहलगाम और बालटाल) से पवित्र गुफा तक
ऑपरेटर ऑपरेटर साइट (स्थान)
एयरटेल 19 स्थल (सोनमर्ग, नीलग्रथ आर्मी कैंप, बालटाल-1, बालटाल-2, डोमेल-1, डोमेल-2 आर्मी कैंप, रेल पटरी, बुराड़ी, संगम, पवित्र गुफा, पंचतरणी, पोषपटरी, शेषनाग, चंदनबाड़ी, नुनवान बेस कैंप और यात्रा मार्गों पर स्थित कई यात्री निवास) जिनमें 2जी, 4जी और 5जी कवरेज है
बीएसएनएल 27 बीटीएस (रंगा मोड़, बालटाल, डोमेल चेक पोस्ट, डोमेल, रेल पटरी-1 रेल पटरी-2, बरारी, वाई-जंक्शन, संगम, पवित्र गुफा, पंचतरणी, केलनार-1, केलनार-2, पोष पटरी, महागुनस टॉप, वबल, शेषनाग, नागाकोटी, जोजीबल-1, जोजीबल-2, पिस्सू टॉप, चंदनबाड़ी, पहलगाम, नुनवान बेस कैंप और यात्रा मार्गों पर स्थित कई यात्री निवास) जिनमें 2जी, 3जी और स्वदेशी 4जी कवरेज है
आरजेआईएल 36 साइटें (गांसिबल पहलगाम, नुनवान बेस कैंप, पहलगाम बस स्टैंड, पहलगाम मार्केट, लिद्दर पार्क पहलगाम, सर्किट रोड पहलगाम, लालीपोरा पहलगाम, लालीपोरा ईएससी, बेताब वैली, चंदनवारी, चंदनवारी पहलगाम, पिस्सू टॉप, जोजीबल, शेषनाग कैंप, शेषनाग पहलगाम, महागुनस पास, पोषपत्री, पंचतरणी-1 पंचतरणी-2, स्नागाम टॉप, पवित्र गुफा पहलगाम ईएससी, पवित्र गुफा पहलगाम, बरारीमार्ग, रेल पत्री, डोमेल कैंप, डोमेल, बालटाल बेस कैम-1,2,3,4, सारीबाल कंगन, नीलग्रथ सोनमर्ग, न्यू ट्रक यार्ड सोनमर्ग, सोनमर्ग मुख्य बाजार, सोनमर्ग रोड) 4जी, 5जी (30 साइटों पर  4जी और 5जी, और  6 साइटों पर 4 जी) कवरेज।

दूरसंचार विभाग श्री अमरनाथजी यात्रा 2024 में शामिल होने वाले सभी तीर्थयात्रियों के लिए सुचारू और सुगम दूरसंचार अनुभव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, तथा इस महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा को सहयोग देने के लिए उन्नत दूरसंचार प्रौद्योगिकी की सुविधा उपलब्‍ध करा रहा है।

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खेलो इंडिया महिला वुशू लीग के पटियाला में होने वाले उत्तरी क्षेत्रीय मुकाबले के लिए तैयारी पूरी

खेलो इंडिया महिला वुशु लीग का आगामी उत्तरी क्षेत्रीय दौर, बहुत से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने वाला है, क्योंकि इसमें प्रमुख अंतरराष्ट्रीय एथलीट आयरा चिश्ती और कोमल नागर अपना शानदार प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। यह प्रतियोगिता 9 से 13 जुलाई तक पटियाला के नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान में होगी, जिसमें सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर श्रेणियों के 350 एथलीट अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। एसएआई पटियाला द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में सांडा (लड़ाई) और ताओलू (रूप) दोनों शामिल होंगे और इसमें हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख की प्रतिभागी भाग लेंगी।

युवा मामले और खेल मंत्रालय का खेल विभाग भारतीय वुशु महासंघ द्वारा आयोजित 7.2 लाख रुपये की पुरस्कार राशि वाली इस प्रतियोगिता का वित्तपोषण करता है। सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर स्पर्धाओं के शीर्ष आठ वुशु एथलीटों को नकद प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

पिछले महीने कर्नाटक में हुए दक्षिण क्षेत्रीय मुकाबलों के बाद यह अगले दौर की क्षेत्रीय प्रतिस्‍पर्धा होगी। चार क्षेत्रीय मुकाबलों के बाद राष्ट्रीय रैंकिंग चैंपियनशिप आयोजित की जाएगी।

महिला वुशु लीग कई ऐसी नई खिलाड़ियों को मौका देगी जो अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता आयरा (18 वर्ष) और कोमल (19 वर्ष) की तरह बड़ा नाम कमाना चाहती हैं और  जो एनएसएनआईएस पटियाला सेंटर में प्रशिक्षण ले रही हैं।

2022 में इस प्रतियोगिता में पदार्पण करने वाली आयरा ने कहा, “मैं तीसरी खेलो इंडिया महिला वुशु लीग में अपने घरेलू मैदान में खेलने को लेकर बहुत उत्साहित हूं और पिछली दो चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुकी हूं।” आयरा ने कहा, “खेलो इंडिया महिला लीग उन बहुत सारी लड़कियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो खेलों में अपना भविष्य संवारना चाहती हैं और मैं इसके लिए सरकार की आभारी हूं। जहां तक ​मेरा सवाल है, मैं 52 किग्रा वर्ग में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना चाहती हूं और इस भार वर्ग में भारत के लिए यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली महिला बनना चाहती हूं। इससे पहले, मेरा लक्ष्य इस सितंबर में चीन में होने वाली सीनियर एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है।”

जम्मू-कश्मीर की आयरा चिश्ती खेलो इंडिया महिला वुशु लीग में लगातार तीसरा स्वर्ण पदक जीतने की कोशिश में हैं।

जम्मू-कश्मीर की आयरा, जो सीनियर 52 किग्रा सांडा वर्ग में हिस्सा लेंगी, ने 2022 में इंडोनेशिया में जूनियर वुशु विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने 2022 में जॉर्जिया में अंतर्राष्ट्रीय वुशु चैंपियनशिप में स्वर्ण और 2024 में रूसी मॉस्को स्टार्स वुशु अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता था।

चंडीगढ़ की कोमल सांडा में रूसी मॉस्को स्टार्स वुशु अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप 2023 की स्वर्ण पदक विजेता हैं। उन्‍होंने कहा, “कैलेंडर वर्ष में राष्ट्रीय टूर्नामेंट के अलावा एक और टूर्नामेंट खेलने का अवसर मिलने से हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है।”

कोमल ने 14 साल की उम्र में आत्मरक्षा तकनीक सीखना शुरू किया था, उन्‍होंने कहा, “खेलो इंडिया महिला लीग हमें अपने प्रदर्शन का आकलन करने, अपने खेल की खामियों और उसमें सुधार करने की दिशा में काम करने के लिए एक अच्छा मंच प्रदान करती है।”

चंडीगढ़ की कोमल ने रूसी मॉस्को स्टार्स वुशु इंटरनेशनल चैंपियनशिप 2023 में स्वर्ण पदक जीता

महिलाओं के लिए खेल के विषय में:

महिलाओं के लिए खेल विषय के तहत, खेलो इंडिया महिला लीग को दो मुख्य प्रारूपों में तय किया गया है: मेजर लीग और सिटी लीग। ये लीग विभिन्न खेल प्रारूपों में महिलाओं के प्रदर्शन को बढ़ावा देने के लिए मंच के रूप में काम करती हैं। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक खेल की आवश्यकताओं के अनुरूप विशिष्ट आयु श्रेणियों या भार श्रेणियों में लीग आयोजित की जाती हैं।

केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा समर्थित यह दृष्टिकोण न केवल महिला एथलीटों की व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है, बल्कि देश भर में विभिन्न कौशल स्तरों और आयु समूहों में प्रतिभा की पहचान और उसके विकास की सुविधा भी देता है। इन खेल प्रारूपों के माध्यम से, खेलो इंडिया पहल का उद्देश्य देश में एक जीवंत खेल संस्कृति को बढ़ावा देना और भारत की महिला एथलीटों के प्रदर्शन में सुधार करना है।

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