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पर्यटन

मोतियों का शहर….. हैदराबाद

सफर की शुरुआत अगर अच्छी हो तो पूरा सफर अच्छा बीतता है और सफर में उत्साह भी बना रहता है। जब हम हैदराबाद घूमने के लिए रवाना हुए तो कुछ ऐसा ही उत्साह और मंजिल पर पहुंचने की बेचैनी हमारे सफर को खुशनुमा बनाए हुए थी। हमारी यात्रा की मंजिल हैदराबाद से ढाई सौ किलोमीटर कुरनूल के पास स्थित श्रीशैलम में स्थित मल्लिकार्जुन मंदिर था। गोल पहाड़ियों वाला रास्ता बहुत रोमांचक था। सधे हुए हाथों से गाड़ी चलाना आसान नहीं था, हर समय एक डर बना रहता था किसी दुर्घटना का। श्रीशैलम पहुंचने का रास्ता पैदल नहीं है, आपको या तो बस, टैक्सी करनी पड़ती है या फिर खुद का वाहन रखना पड़ता है।रास्ता घने जंगल से होकर गुजरता है। रास्ते भर बंदरों का जमघट दिखाई पड़ता है और रात में वापसी की कोई गुंजाइश नहीं रहती है। जंगली जानवरों का डर, अंधेरा और खतरनाक रास्ते रात में गाड़ी चलाने की इजाजत नहीं देते।

श्रीशैलम पहुंचने के बाद हम होटल में रूकने के बजाय मंदिर के प्रांगण में ही रुके और वहां प्रकृति और मंदिर की सुंदरता का आनंद लेने लगे। मंदिर में दर्शन का समय सुबह 6:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और शाम को 5:00 से 6:00 बजे तक रहता है। शीघ्र दर्शन के लिए रूपया महत्वपूर्ण तो हो ही गया है। बिचौलियों ने अपनी घुसपैठ हर जगह बना रखी है। बहरहाल हम सादी लाइन में खड़े हो गये और कुछ देर बाद करीब 4:30 बजे के आसपास मंदिर का दरवाजा खुला और हम सब अंदर जाने लगे। अंदर पड़ी हुई बेंच पर बैठकर बाबा के दर्शन का इंतजार करने लगे। कुछ समय बाद बाबा के दर्शन के लिए धीरे-धीरे भीड़ छोड़ी जाने लगी। यह सत्य है कि ईश्वर के सामने अमीर गरीब सब एक समान हो जाते हैं। उस समय भी ऐसा ही था। बाबा के दर्शन के समय शीघ्र दर्शन वालों की लाइन और आम लोगों की लाइन सब मिलकर एक हो गए और सभी दर्शनार्थी एक साथ दर्शन लाभ ले रहे थे। सबसे अच्छी बात यह लगी की भीड़भाड़ होने के बावजूद सब लोग एक जगह पर बैठे हुए थे और थोड़ी-थोड़ी देर से लोग दर्शन के लिए भेजे जा रहे थे। सावन के महीने में यहाँ बहुत ज्यादा भीड़ रहती है। बाबा का फूलों से श्रंगार देखकर मेरी नजर हट ही नहीं रही थी अगर मन में कुछ मांगने की इच्छा हो तो शायद वह भी भूल जाते हैं बाबा को देख कर। सिर्फ सुंदर अलौकिक रूप दर्शन ही दिखाई देता है।
उसके बाद हम लोगों ने मां पार्वती के दर्शन किये। दक्षिण संस्कृति की छाप के कारण मंदिर का एक अलग सौंदर्य देखने को मिल रहा था। मल्लिकार्जुन मंदिर की स्थापत्य कला ने मुझे बहुत आकर्षित किया। पुराने पत्थर, पुराना ढांचा, पुराने खंभे और उन पर बनी आकृति कहीं कोई नवनिर्माण नहीं। मैं कुछ देर तक मंदिर की बनावट और पत्थरों को देखती रही। वहाँ की स्थानीय भाषा तेलुगु होने के कारण लोग क्या बोलते थे वह समझ से बाहर था लेकिन जरूरत पड़ने पर वह लोग हिंदी भाषा का इस्तेमाल करते थे।
ऐसा माना जाता है कि शैल पर्वत पर स्थित होने के कारण इसे श्रीशैलम पर्वत भी कहते हैं। शिवपुराण के आधार पर मल्लिकार्जुन का अर्थ मल्लिका मां पार्वती और अर्जुन भगवान शिव को माना गया है मल्लिकार्जुन की कहानी शिव पार्वती के पुत्र गणेश और कार्तिकेय की कहानी है जो गणेश जी अपने माता-पिता की परिक्रमा पूरी करते हैं. ऐसी मान्यता है कि जब गणेश जी के परिक्रमा पूरी करने पर कार्तिकेय जी नाराज हो गये तो माता पार्वती भगवान शिव के साथ क्रौंच पर्वत पर कार्तिकेय जी को मनाने पहुंची। माता पिता के आगमन को सुन कार्तिकेय जी बारह कोस दूर चले गए, तब भगवान शिव वहां पर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए और तभी से वह स्थान मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हो गया। ऐसा कहा जाता है कि वहां पर पुत्र स्नेह में माता पार्वती हर पूर्णिमा और भगवान शिव हर अमावस्या को आते हैं।
इसके बाद हम सब रामोजी सिटी घूमने गए। रामोजी सिटी घूमने में पूरा दिन लग गया। मुझे सबसे ज्यादा अच्छा रामोजी सिटी का प्रबंधन लगा। हर व्यवस्था बहुत कायदे से की गई थी और घूमने आए पर्यटकों का ध्यान भी बहुत अच्छे से रखा जा रह था। कई प्रोग्राम जो मूवी से ही जुड़े हुए थे जिससे यह पता चलता है कि कार्टून कैसे बनते हैं, मूवी कैसे बनती है इसकी जानकारियां दी गई थी। जिसे जानकर आप आश्चर्य करेंगे। नई – पुरानी फिल्मों के सेट देखे बाहुबली, केजीएफ, आरआर, पुष्पा जैसी मूवी के सेट देखकर बहुत आश्चर्य हुआ। बाहुबली का सेट जब देखा तो महसूस हुआ कि व्यक्ति मूवी देखने में इतना गुम जाता है कि पीछे लगा सेट जिसमें हाथी घोड़े हिल रहे हैं या नहीं वह भी मालूम नहीं पड़ता। वैसे भी तकनीकी दौर है और अब सबकुछ टेक्निकल हो गया है। रामोजी में ही हम लखनऊ, आगरा, मुंबई, दिल्ली, लंदन, रेलवे स्टेशन, ताजमहल वगैरह वगैरह सब घूम लिए। रामोजी सिटी 2,500 एकड़ में डिज़ाइन किया गया है, इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा दुनिया के सबसे बड़े स्टूडियो कॉम्प्लेक्स के रूप में प्रमाणित किया गया है।
बर्ड पार्क, एडवेंचर पार्क, जापानी गार्डन, मुगल गार्डन, सन फाउंटेन गार्डन और एंजल्स फाउंटेन गार्डन मुख्य आकर्षण हैं। वाइल्ड वेस्ट स्टंट शो, रामोजी स्पिरिट और कई तरह के स्ट्रीट इवेंट जैसे आकर्षक और रोमांचकारी लाइव शो हैं।
उसके बाद हम सालार जंग म्यूजियम जो हैदराबाद का इतिहास बयां करता है। म्यूजियम की जैपनीज गैलरी बहुत सुंदर है। पुराने गहने, बर्तन, हाथी को पहनाने वाले गहने, हथियार वगैरह सब कुछ बहुत दिलचस्प था। म्यूजियम में चीन, जापान, ईरान, पर्शिया और भारतीय सभ्यताओं का मिलाजुला इतिहास दिख रहा था।
बात करती हूँ अब चारमीनार की… चारमीनार यूं तो बहुत खूबसूरत दिखता है लेकिन वहां फैला हुआ बाजार उसकी सुंदरता को खत्म कर रहा है। चारमीनार हैदराबाद का सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण का केंद्र है। यह स्मारक 1591 में मोहम्मद कुली कुतुब शाह द्वारा बनाया गया था और इसका नाम चारमीनार रखा गया था। इसे ‘पूर्व का आर्क डी ट्रायम्फ’ भी कहा जाता है। चारमीनार की ऊपरी मंजिल पर एक छोटी सी मस्जिद है। शाम की रोशनी इसे देखने लायक बनाती है। चारमीनार भीड़-भाड़ वाले इलाके में खड़ा है, जहां बाजार अस्त-व्यस्त हैं, जहां फेरीवाले, चूड़ी बेचने वाले और खाने-पीने की दुकानें हैं। फिर भी, यह हैदराबाद में एक लोकप्रिय यात्रा स्थल बना हुआ है।
इसके बाद हम सब सेवेन टोमब्स देखने गये। सात मकबरे काफी बड़े एरिया में फैला हुआ है और मैं दो ही मकबरे तक घूम सकी क्योंकि मेरे पैरों ने जवाब दे दिया था। मैंने वहां पर लोगों को पिकनिक मनाते हुए देखा। वो जगह हैदराबाद की विरासत को अब भी संभाले हुए हैं। कुतुब शाही मकबरा कुतुब शाही शासकों का शाही कब्रिस्तान है।
फिर निजाम पैलेस दिखा जो अब होटल के रूप में तब्दील हो चुका है। रास्ते से गुजरते हुए धूलपेट नाम की एक जगह थी। जिसके बारे में मालूम हुआ कि वहां पर मौजूद मस्जिद जिसमें एक मंदिर भी है जहां दोनों समय आरती और नमाज होती है और मस्जिद के बाहरी हिस्सों में लगी दुकानों में पूजा की सामग्री मिलती है। कहीं कोई बैरभाव नहीं दिखता। यह भाईचारा देखकर दिल बहुत खुश हो गया और अच्छा भी लगा कि अब भी ऐसी जगह मौजूद है।
हैदराबाद के खास पर्यटन स्थलों में गोलकुंडा किला बहुत मशहूर है। 170 सालों तक यहां के निजाम ने गोलकुंडा पर शासन किया। गोल आकार का किला, हैदराबाद का एक दर्शनीय पर्यटन स्थल है। किला 300 फीट की ग्रेनाइट पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। 87 बुर्जों के साथ गोलकुंडा किले में मंदिर, मस्जिद, महल, हॉल, अपार्टमेंट और अन्य संरचनाएं हैं। शानदार डिजाइन के साथ-साथ यह किला अपनी ध्वनि से भी पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। हमलों के दौरान राजा को सचेत करने के लिए किले को एक किलोमीटर की दूरी तक ध्वनि ले जाने के लिए बनाया गया था। गोलकुंडा खदानें अपने हीरे जैसे कोहिनूर, नासक डायमंड और होप डायमंड के लिए भी प्रसिद्ध हैं। गोलकुंडा का किला शहर के बाकी हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। किले के ऊपर से सूर्यास्त देखने लायक होता है।
फिर वहां का संघी मंदिर हैदरबाद के बाहरी क्षेत्र संघी नगर में स्थित है। यह मंदिर ऊंचे बने राजा गोपुरम के लिए जाना जाता है, जो कि स्थानीय लोगों के बीच काफी पवित्र है। अपनी ऊंचाई के कारण गोपुरम को काफी दूर से भी देखा जा सकता है। यह मंदिर सुंदर ढंग से परमानंद गिरि नामक एक छोटी सी पहाड़ी पर बना है। मंदिर की बनावट विशिष्ट दक्षिण भारतीय वास्तुशिल्प की याद दिलाती है। यहां हर साल हजारों की तादाद में लोग अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं। मंदिर में पत्थर से बने एक हाथी से खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। संघी मंदिर में कुल तीन गोपुरम है, जिसे देखकर लगता है कि यह आसमान को छू रहा है।
उसके बाद हम सब चिल्कुर मंदिर गये। वहाँ बालाजी को वीजा देने वाले भगवान भी कहते हैं। इस विश्वास की जड़ें एक घटना की जानकारी के रूप में मिलती हैं जब कुछ छात्र जिनके वीज़ा का आवेदन खारिज कर दिया गया था, वो यहाँ मंदिर में आए और प्रार्थना की कि केवल उनके आवेदन स्वीकार किए जाएं। खास बात यह है कि यह मंदिर किसी भी तरह का धन या दान स्वीकार नहीं करता है और यहाँ भगवान के दर्शन करते समय आंखें बंद नहीं की जाती है। यह बहुत पुराना मंदिर है और अभी भी अपनी वास्तविकता को बरकरार रखे हुए है।
इसके बाद नंबर बिड़ला मंदिर का जो अपने आप में बहुत खूबसूरत है। शांत वातावरण और बालाजी को देखकर शांति महसूस की। प्रभू का चेहरा निहारना अत्यंत सुखद लगा।
कोई भी घुमक्कड़ी हो बिना खरीदारी के पूरी नहीं होती। हैदराबाद को मोती की नगरी भी कहते हैं। तरह तरह के आकर्षक मोती के गहने मन को लुभाते हैं। लाख की चूड़ियाँ, मोजड़ी और हैदराबाद की पोचमपल्ली साड़ी बहुत मशहूर है। हैदराबाद एक ऐसा शहर है जो अपनी पारंपरिक संस्कृति के लिए जाना जाता है और वह संस्कृति निज़ामी विशेष खानपान की चीजों में दिखती है। खानपान में हैदराबादी बिरयानी, ईरानी चाय बहुत मशहूर है।

~प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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प्रधानमंत्री ने असारवा, अहमदाबाद में 2900 करोड़ रुपये से अधिक की रेल परियोजनाओं को देश को समर्पित किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज असारवा, अहमदाबाद में 2900 करोड़ से अधिक की दो रेल परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात के विकास के लिए, गुजरात की कनेक्टिविटी के लिए आज बहुत बड़ा दिन है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गुजरात के लाखों लोग जो एक बड़े क्षेत्र में ब्रॉड गेज लाइन न होने की वजह से परेशान रहते थे, उन्हें आज से बहुत राहत मिलने जा रही है। दशकों के इंतजार के बाद लाइन को समर्पित करने का अवसर मिलने पर प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पूरे रूट का कायाकल्प हो गया है। अब असारवा से हिम्‍मतनगर होते हुए उदयपुर तक मीटर गेज लाइन, ब्रॉड गेज में बदल गई है। उन्होंने बताया कि गुजरात का यह हिस्सा अब सीधे पड़ोसी राज्य राजस्थान के साथ-साथ पूरे देश से जुड़ जाएगा। लूणीधर-जेतलसर के बीच जो गेज परिवर्तन का काम हुआ है, वह भी इस क्षेत्र में रेलवे कनेक्टिविटी को आसान करेगा। यहां से निकली ट्रेनें देश के किसी भी हिस्से में जा सकेंगी।प्रधानमंत्री ने कहा कि जब किसी रूट पर मीटर गेज की लाइन, ब्रॉड गेज में बदलती है, तो वह अपने साथ अनेक नई संभावनाएं लेकर आती है। असारवा से उदयपुर तक लगभग 300 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का ब्रॉड गेज में बदलना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे गुजरात और राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र दिल्ली और उत्तर भारत से जुड़ जाएंगे। इस रेल लाइन के ब्रॉड गेज में बदलने के कारण अहमदाबाद और दिल्ली के लिए एक वैकल्पिक रूट भी मिल गया है। अब कच्‍छ के पर्यटन स्थल और उदयपुर के पर्यटन स्थलों के बीच भी एक डायरेक्ट रेल कनेक्टिविटी स्थापित हो गई है। इससे कच्‍छ, उदयपुर, चित्तौड़गढ़ और नाथद्वारा के पर्यटन स्थलों को बहुत बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद जैसे बड़े औद्योगिक केंद्रों से सीधे जुड़ने का लाभ यहां के व्यापारियों को मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘विशेषकर हिम्मतनगर के टाइल्स उद्योग को तो बहुत मदद मिलने वाली है।’ इसी प्रकार, लूणीधर-जेतलसर रेल लाइन के ब्रॉड गेज में बदलने से अब ढसा-जेतलसर खंड पूरी तरह से ब्रॉडगेज में परिवर्तित हो गया है। ये रेल लाइन बोटाद, अमरेली और राजकोट जिलों से होकर गुजरती है, जहां अब तक सीमित रेल कनेक्टिविटी रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस लाइन का कार्य पूरा होने से अब भावनगर और अमरेली के लोगों को सोमनाथ और पोरबंदर से सीधी कनेक्टिविटी का लाभ मिलने वाला है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस रूट से भावनगर और वेरावल की दूरी करीब 470 किलोमीटर से घटकर करीब 290 किमी से भी कम रह गई है। इस वजह से यात्रा का समय भी 12 घंटे से घटकर साढ़े छह घंटे रह जाएगा। इसी तरह, भावनगर-पोरबंदर के बीच की दूरी करीब 200 किलोमीटर और भावनगर-राजकोट के बीच की दूरी करीब 30 किलोमीटर कम हो गई है। ब्रॉड गेज रूट पर चलने वाली ट्रेनें गुजरात के औद्योगिक विकास को भी गति देंगी, पर्यटन को आसान बनाएंगीं और जो क्षेत्र देश से कटे हुए थे, उन्हें जोड़ देंगी। उन्होंने कहा कि आज राष्ट्रीय एकता दिवस पर इस परियोजना का लोकार्पण करना इसे और विशेष बना देता है।

उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘जब डबल इंजन की सरकार काम करती है, तो उसका असर सिर्फ डबल नहीं होता, बल्कि कई गुना ज्यादा होता है। एक और एक मिलकर 2 नहीं बल्कि 1 के बगल में 1, 11 की शक्ति धारण कर लेते हैं।’ पीएम ने कहा, ‘डबल इंजन की सरकार बने रहने से गुजरात में काम की रफ्तार तो तेज हुई ही, उसका विस्तार करने की ताकत भी तेज हुई है।’ उन्होंने कहा कि 2009 से 2014 के बीच 125 किलोमीटर से भी कम रेलवे लाइन का दोहरीकरण हुआ था, जबकि 2014 से 2022 के बीच साढ़े पांच सौ से ज्यादा किलोमीटर रेलवे लाइन का दोहरीकरण हुआ है। इसी तरह, गुजरात में 2009 से 2014 के बीच करीब 60 किलोमीटर ट्रैक का विद्युतीकरण हुआ था। जबकि 2014 से 2022 के बीच 1700 किलोमीटर से अधिक ट्रैक का विद्युतीकरण किया जा चुका है।

उन्होंने कहा कि हमने सिर्फ स्केल और स्पीड को ही बेहतर नहीं किया, बल्कि अनेक स्तरों पर सुधार किया है। ये सुधार क्वालिटी, सुविधा, सुरक्षा, स्वच्छता में हुआ है। देशभर में रेलवे स्टेशनों की स्थिति में सुधार आज स्पष्ट दिखता है। पीएम ने कहा, ‘गरीब और मध्यम वर्ग को भी आज वही माहौल दिया जा रहा है, जो कभी साधन-संपन्न लोगों की पहुंच में ही होता था। गांधीनगर स्टेशन की तरह अहमदाबाद, सूरत, उधना, साबरमती, सोमनाथ और न्यू भुज स्टेशन को भी आधुनिक तरीके से विकसित किया जा रहा है।’ डबल इंजन वाली सरकार के कारण मिली उपलब्धियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने वंदे भारत एक्सप्रेस सेवा का उदाहरण दिया जो गांधीनगर से मुंबई के बीच शुरू हुई है। प्रधानमंत्री ने बताया कि पश्चिम रेलवे के विकास को नया आयाम देने के लिए 12 गति शक्ति कार्गो टर्मिनल की योजना भी बनाई गई है। उन्होंने कहा, ‘वडोदरा सर्कल में पहला गति शक्ति मल्टीमॉडल कार्गो टर्मिनल शुरू हो चुका है। जल्द ही बाकी टर्मिनल भी अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार हो जाएंगे।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद दशकों तक हमारे देश में अमीर-गरीब की खाई, गांव-शहर की खाई, असंतुलित विकास बहुत बड़ी चुनौती रहे हैं। सरकार इस चुनौती का समाधान करने में जुटी है। ‘सबका विकास’ की हमारी नीति एकदम साफ है। इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य सुविधाएं मध्यम वर्ग और गरीबों को गरीबी से लड़ने का साधन उपलब्ध कराती हैं। उन्होंने कहा, ‘गरीब के लिए पक्का घर, टॉयलेट, बिजली, पानी, गैस, मुफ्त इलाज और बीमा की सुविधाएं, ये आज सुशासन की पहचान हैं।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए अप्रोच में बड़ा बदलाव आया है। अब बिना योजना के निर्माण नहीं होता बल्कि रेल, मेट्रो और बसों जैसी सुविधाओं को कनेक्ट करने का समन्वित दृष्टिकोण अपनाया जाता है। उन्होंने कहा कि अब कनेक्टिविटी का संपूर्ण सिस्टम तैयार किया जा रहा है यानी यातायात के अलग-अलग माध्यम एक दूसरे से भी कनेक्ट हों, ये सुनिश्चित किया जा रहा है। गुजरात के औद्योगिक स्वरूप को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब गुजरात के पोर्ट्स सशक्त होते हैं, तो इसका सीधा असर पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। पीएम ने बताया, ‘पिछले 8 वर्षों में गुजरात के पोर्ट्स की क्षमता लगभग दोगुनी हो चुकी है।’ विकास की सतत प्रक्रिया का जिक्र करते हुए, प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि विकसित भारत के लिए विकसित गुजरात का निर्माण, यही हमारा ध्येय है।

आखिर में, प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल की जयंती पर उन्हें याद करते हुए कहा कि वह देश के पहले गृहमंत्री थे। देश को जोड़ने का काम किया था। हर हिन्‍दुस्‍तानी को सरदार पटेल पर गर्व होता है। प्रधानमंत्री ने राजस्थान सरकार द्वारा कुछ गुजराती अखबारों में दिए विज्ञापनों में सरदार पटेल का नाम और तस्वीर न होने पर आलोचना की। श्री मोदी ने कहा, ‘गुजरात इन चीजों को कभी माफ नहीं करता है और देश भी कभी माफ नहीं करता है।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सरदार पटेल की तरह रेलवे भी भारत को जोड़ने का काम करती है। यह प्रक्रिया निरंतर तेज गति से चलती है।’

इस अवसर पर केंद्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना जरदोश, सांसद और राज्य के मंत्री उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने असारवा, अहमदाबाद में आज 2900 करोड़ से अधिक की दो रेल परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। इन परियोजनाओं में नए गेज में परिवर्तित असरवा-हिम्मतनगर- उदयपुर और लूणीधर-जेतलसर लाइन शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने भावनगर-जेतलसर और असरवा-उदयपुर के बीच नई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई।

पूरे देश में एक यूनी-गेज (एक समान गेज) रेल प्रणाली के दृष्टिकोण के साथ रेलवे मौजूदा गैर- ब्रॉड गेज रेलवे लाइनों को ब्रॉड गेज में बदल रहा है। प्रधानमंत्री द्वारा समर्पित की गई परियोजनाएं इस दिशा में एक और कदम हैं। अहमदाबाद (असारवा)- हिम्मतनगर- उदयपुर गेज परिवर्तित लाइन लगभग 300 किलोमीटर लंबी है। इससे कनेक्टिविटी में सुधार होगा और क्षेत्र में पर्यटकों, व्यापारियों, विनिर्माण इकाइयों और उद्योगों के लिए लाभदायक साबित होगा। यह रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी करेगा और क्षेत्र के सामाजिक- आर्थिक विकास में सहायता करेगा। 58 किलोमीटर लंबी लूणीधर-जेतलसर गेज परिवर्तित लाइन वेरावल और पोरबंदर से पीपावाव पोर्ट और भावनगर के लिए कम दूरी का रास्ता उपलब्ध कराएगी। यह परियोजना इस खंड पर माल ढुलाई की क्षमता को बढ़ाएगी, जिससे व्यस्त कनालुस – राजकोट – वीरमगाम मार्ग पर यातायात में कमी होगी। यह गिर अभयारण्य, सोमनाथ मंदिर, दीव व गिरनार पहाड़ियों के साथ- साथ सहज संपर्क की सुविधा प्रदान करेगी, जिससे इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

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सीमा सड़क संगठन ने स्वच्छता पर विशेष अभियान 2.0 के दौरान सड़क निर्माण में प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़ों का इस्तेमाल किया

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) पूरे देश में चलाये जा रहे स्वच्छता अभियान 2.0 को तकनीकी प्रोत्साहन प्रदान कर रहा है। संगठन ने भारत के साथ-साथ भूटान में भी बिटुमिनस से सड़क के निर्माण में बड़े पैमाने पर कटे हुए प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़ों का इस्तेमाल करने के लिए परीक्षण किए हैं। बीआरओ सड़कों की ऊपरी परत के निर्माण और पुनर्निर्माण के लिए कटे हुए प्लास्टिक के छोटे टुकड़ों का अधिकतम उपयोग करने के प्रयास कर रहा है।

बीआरओ ने विशेष अभियान 2.0 के दौरान, दंतक परियोजना के तहत फुएंत्शोलिंग-थिम्फू रोड पर 4.5 किलोमीटर की रिसर्फेसिंग में इस तकनीक का इस्तेमाल किया है। दूसरी परियोजना वर्तक के अंतर्गत बालीपारा-चारदुआर-तवांग सड़क पर 2.5 किलोमीटर और अरुणाचल प्रदेश में परियोजना उदयक के तहत रोइंग-कोरोनू-पाया सड़क पर 1.0 किलोमीटर की रिसर्फेसिंग के लिए भी इसी प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है। इसका इस्तेमाल मिजोरम में पुष्पक परियोजना के अंतर्गत हनथियाल-संगौ-सैहा रोड पर 5.22 किलोमीटर और अरुणाचल प्रदेश में अरुणांक परियोजना के तहत हापोली-सरली-हुरी रोड पर 2.0 किलोमीटर के रिसर्फेसिंग में किया गया है।

स्वच्छ भारत मिशन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में वर्ष 2014 में लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने के लिए महात्मा गांधी को उचित श्रद्धांजलि के रूप में शुरू किया गया था। गांधीजी ने स्वच्छता को जीवन में एक महत्वपूर्ण आदत के रूप में अपनाने की वकालत की थी। बाद में, सरकारी विभागों और मंत्रालयों में 2021 में लंबित कार्यों को पूरा करने और स्वच्छता के लिए निपटान पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया था। पिछले वर्ष के दौरान विशेष अभियान की सफलता के बाद, 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर, 2022 तक केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों, संबद्ध/अधीनस्थ कार्यालयों में स्वच्छता पर विशेष अभियान 2.0 आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।

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‘ब्लू बीच’ की सूची में शुमार हुए दो और भारतीय समुद्र तट

संसाधनों के व्‍यापक प्रबंधन के जरिए अतिप्राचीन तटीय और समुद्री पारिस्थितिकीय तंत्र के रक्षण और संरक्षण की भारत की प्रतिबद्धता की एक बार फिर से सराहना करते हुए लक्षद्वीप स्थि‍त उसके दो नए समुद्र तटों – मिनिकॉय थुंडी तट और कदमत तट को वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त और प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय इको-लेबल “ब्लू फ्लैग” प्रदान किया गया है। इसके साथ ही भारत में ब्लू फ्लैग प्रमाणन के तहत प्रमाणित समुद्र तटों की संख्या बारह (12) हो गई है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक ट्विटर संदेश के माध्‍यम से इस गौरवशाली क्षण की घोषणा करते हुए प्रसन्‍नता व्यक्त की । उन्‍होंने सभी को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में चिरस्‍थायी पर्यावरण के निर्माण की दिशा में भारत की अथक यात्रा का एक भाग है।  https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001SM3H.jpg

कदमत तट

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002KIYJ.jpghttps://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003OUAI.jpg

थुंडी तट

थुंडी बीच लक्षद्वीप द्वीपसमूह के सबसे प्राचीन और मनोरम समुद्र तटों में से एक है। यहां पर बिछी सफेद रेत, खाड़ी या लैगून के फ़िरोज़ा नीले पानी से घिरी है। यह तैराकों और पर्यटकों दोनों के ही लिए स्वर्ग के समान है। कदमत तट विशेष रूप से क्रूज पर्यटकों में लोकप्रिय है, जो वॉटर स्‍पोर्ट्स के लिए इस द्वीप पर आते हैं। सफेद मोतियों सी रेत, खाड़ी का नीला पानी, मध्यम जलवायु और मैत्रीपूर्ण स्थानीय लोगों वाला यह तट प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है। दोनों तटों पर साफ-सफाई और रखरखाव; तथा तैराकों की रक्षा और सुरक्षा के लिए नामित कर्मचारी हैं। दोनों समुद्र तट फाउंडेशन फॉर एनवायरनमेंट एजुकेशन (एफईई) द्वारा अधिदेशित समस्‍त 33 मानदंडों का अनुपालन करते हैं।

ब्लू बीच में शामिल अन्य भारतीय समुद्र तटों में – शिवराजपुर-गुजरात, घोघला-दीव, कासरकोड और पदुबिद्री-कर्नाटक, कप्पड-केरल, रुशिकोंडा- आंध्र प्रदेश, गोल्डन-ओडिशा, राधानगर- अंडमान और निकोबार, तमिलनाडु में कोवलम और पुडुचेरी में ईडन शामिल हैं।

पृष्‍ठभूमि:

डेनमार्क की फाउंडेशन फॉर एनवायरनमेंट एजुकेशन (एफईई) की ओर से वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त इको-लेबल-ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्रदान किया जाता है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की पात्रता हासिल करने के लिए, कड़े पर्यावरण, शैक्षिक, सुरक्षा-संबंधी और पहुंच-संबंधी मानदंडों की एक श्रृंखला को पूरा करना चाहिए और उन्‍हें बरकरार रखा जाना चाहिए। ब्लू फ्लैग का मिशन पर्यावरणीय शिक्षा, पर्यावरणीय संरक्षण और अन्य चिरस्‍थायी विकास पद्धतियों के माध्यम से पर्यटन क्षेत्र में निरंतरता को बढ़ावा देना है।

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नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कोल्हापुर और मुंबई के बीच सीधी उड़ानों का उद्घाटन किया

नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राज्य मंत्री जनरल विजय कुमार सिंह (सेवानिवृत्त) के साथ आज कोल्हापुर से मुंबई के लिए एक सीधी उड़ान का उद्घाटन किया। इस उड़ान को नागर विमानन मंत्रालय की महत्वाकांक्षी आरसीएस उड़ान योजना के तहत टियर-2 और टियर-3 शहरों को हवाई संपर्क प्रदान करने और सभी के लिए सस्ती हवाई यात्रा उपलब्‍ध कराने के लिए लॉन्च किया गया है। यह उड़ान निम्नलिखित कार्यक्रम के अनुसार सप्ताह में तीन बार मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को कोल्हापुर तथा मुंबई के बीच संचालित होगी:

 

फ्लाइट नं. कहां से

 

कहां तक

 

फ्रीक्‍वेंसी

 

प्रस्‍थान का समय   आगमन का समय प्रभावी तिथि
एस5 161 मुम्‍बई

 

कोल्‍हापुर

 

2,4,6 1030 बजे

 

  1125 घंटे 4 अक्टूबर 2022

 

एस5 162 कोल्‍हापुर

 

मुम्‍बई

 

2,4,6 1150 बजे

 

  1245 घंटे

 

4 अक्टूबर 2022

अपने उद्घाटन संबोधन में श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि उड़ान योजना देश के आम नागरिक के लिए हवाई यात्रा सस्ती बनाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साकार कर रही है। इस योजना के तहत अब तक 433 नए रूट शुरू किए गए हैं और एक करोड़ से अधिक यात्री इससे लाभान्वित हुए हैं। श्री सिंधिया ने यह भी आश्वासन दिया कि कोल्हापुर हवाई अड्डे के एप्रन का विस्तार नवंबर में शुरू किया जाएगा और मार्च 2023 में घरेलू टर्मिनल भवन का भी उद्घाटन किया जाएगा।

नागर विमानन राज्‍य मंत्री जनरल विजय कुमार सिंह (सेवानिवृत्त) ने कोल्हापुर और मुंबई के लोगों को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि इस उड़ान से न केवल यात्रा में आसानी होगी बल्कि कई क्षेत्रों में व्यापार और वाणिज्य गतिविधियों को भी काफी बढ़ावा मिलेगा।

इस उद्घाटन कार्यक्रम में श्री संजय मांडलिक सांसद (कोल्हापुर), श्री धैर्यशील माने, सांसद (हटकानगले), श्री धनंजय महादिक, सांसद (राज्यसभा), श्री चंद्रकांत पाटिल कैबिनेट मंत्री (महाराष्ट्र सरकार) की गरिमामयी उपस्थिति रही। इसके अलावा श्रीमती उषा पाधी अपर सचिव, नागर विमानन मंत्रालय, श्री संजय घोड़ावत अध्यक्ष – स्टार एयर, कैप्टन सिमरन सिंह तिवाना, सीईओ, स्टार एयर और नागर विमानन मंत्रालय, एएआई तथा स्टार एयर के अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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गुजरात के दौरे पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु; साबरमती आश्रम का दौरा किया; स्वास्थ्य, सिंचाई, जल आपूर्ति और बंदरगाह विकास से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन/ शिलान्यास किया

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने स्वास्थ्य, सिंचाई, जल आपूर्ति से संबंधित गुजरात सरकार की विभिन्न परियोजनाओं और दीनदयाल बंदरगाह, कांडला के उन्नयन से संबंधित पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय की परियोजनाओं का आज (3 अक्टूबर, 2022) को जीएमईआरएस, गांधीनगर से उद्घाटन और शिलान्यास किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात के लोगों में उद्यम और नवाचार की संस्कृति है। गुजरात के उद्यमियों ने गुजरात और भारत को एक विशेष पहचान दी है। गुजरात विकास के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में से एक है। उन्होंने कहा कि गुजरात ने औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ प्राकृतिक खेती और पर्यावरण संरक्षण की मिसाल पेश की है। उन्होंने कहा कि जहां देश की लगभग 5 प्रतिशत आबादी गुजरात में रहती है, वहीं यह कुल राष्ट्रीय कृषि उत्पादन में लगभग 20 प्रतिशत का योगदान करती है। उन्होंने कहा कि गुजरात के कृषि विकास के सफल प्रयोग पूरे देश में अपनाए जा रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि बहुत लंबे समय से, गुजरात की भौगोलिक स्थिति, विशेष रूप से उत्तरी गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ के कुछ हिस्सों में, पानी की कमी ने लोगों के सामने बड़ी समस्याएँ खड़ी की हैं। लेकिन आज वह स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। ‘सरदार सरोवर परियोजना’ के तहत एक विशाल नहर नेटवर्क से लोगों को सिंचाई का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे लाखों लोगों की जिंदगी बदल गई है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि नीति आयोग के ‘समग्र जल प्रबंधन सूचकांक’ के अनुसार, गुजरात पिछले तीन वर्षों से जल प्रबंधन में देश में पहले स्थान पर है।

राष्ट्रपति ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में गुजरात ने प्रभावशाली उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य कार्ड जारी करने वाला भारत का पहला राज्य है। उन्हें यह जानकर भी खुशी हुई कि 2020-21 में जारी नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, सतत विकास लक्ष्य “अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण” को प्राप्त करने में गुजरात देश में पहले स्थान पर है।

राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि जिन परियोजनाओं का आज उद्घाटन किया गया और जिनकी आधारशिला रखी गई, वे किसानों और उद्यमियों के लिए रोजगार और व्यापार के नए अवसर पैदा करेंगी। उन्हें यह भी विश्वास था कि सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज, जिसका आज शिलान्यास किया गया, नर्मदा जिले की आदिवासी आबादी की जरूरतों को पूरा करेगा।

इससे पहले अहमदाबाद पहुंचने के बाद राष्ट्रपति ने साबरमती आश्रम का दौरा किया जहां उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी और चरखा भी काता।

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नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) ने तीन महत्वपूर्ण सड़क संपर्क परियोजनाओं की सिफारिश की

‘पीएम गतिशक्ति’ के संस्थागत ढांचे के तहत गठित नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) ने 3 महत्वपूर्ण सड़क संपर्क परियोजनाओं की सिफारिश की है ये परियोजनाएं हैं गाजीपुर-बलिया-उत्‍तर प्रदेश/बिहार राज्य सीमा से फोर लेन हाईवे का निर्माण, उत्तर प्रदेश में मौजूदा सड़क का 2-लेन से 4-लेन में सुधार और अपग्रेड करना एवं उत्‍तर प्रदेश, उत्तराखंड में मुरादाबाद और काशीपुर बाईपास का निर्माण।

मल्‍टीमोड, आसान आवागमन और भूमि अधिग्रहण की दृष्टि से सड़क मार्गों के सुधार और उन्नयन के लिए ये तीनों परियोजनाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं।

एनपीजी की 33वीं बैठक में प्रस्ताव के एक भाग के रूप में, 3 महत्वपूर्ण एजेंडों पर चर्चा की गई और निम्नलिखित सिफारिशें की गईं:

  1. गाजीपुर-बलिया-उत्‍तर प्रदेश/बिहार राज्य सीमा से फोर लेन हाईवे का निर्माण

उत्तर प्रदेश में बेहतर माल ढुलाई और अंतरराज्यीय मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी एवं लखनऊ, वाराणसी, आजमगढ़ और मऊ शहरों के आर्थिक केंद्रों को जोड़ने के लिए एक 4-लेन राजमार्ग (ग्रीनफील्ड में) का प्रस्ताव किया गया था। यह दक्षिण बिहार से दिल्ली तक सबसे छोटी कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा। बक्सर में गंगा नदी पर एक पुल का निर्माण (स्पर) छोटे रास्‍ते के साथ किया जा रहा है जो दक्षिण बिहार से दिल्ली की कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा। यह राजमार्ग दो बिंदुओं (बनारस और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे) पर लखनऊ रक्षा गलियारे की सेवा करेगा।

ii. उत्तर प्रदेश में मौजूदा सड़क का 2-लेन से 4-लेन में सुधार और उन्नयन करना

सड़कों के उन्नयन और सुधार के लिए 2 लेन की सड़कों को 4 लेन बनाने का प्रस्ताव था। पलिया-शाहजहांपुर-हरदोई-लखनऊ के लिए 4 लेन बाइपास का प्रस्ताव है। यह परियोजना गृह मंत्रालय की भारत-नेपाल सीमा सड़क परियोजना (आईएनबीआरपी) की रणनीतिक सीमा सड़कों का एक हिस्सा है जो भारत-नेपाल सीमा से संपर्क प्रदान करती है। यह एसएसबी गतिशीलता को सुविधाजनक बनाती है। यह बारदोई राष्ट्रीय उद्यान से कनेक्टिविटी भी सुनिश्चित करेगा। इससे माल ढुलाई और यातायात की आवाजाही भी बढ़ेगी।

  1. उत्‍तर प्रदेश, उत्तराखंड में मुरादाबाद और काशीपुर बाईपास का निर्माण

भीड़-भाड़ कम करने और यात्रा के समय को कम करने के लिए एक 4-लेन बाईपास परियोजना (ब्राउनफील्ड) का प्रस्ताव था। यह परियोजना क्षेत्र के प्रमुख आर्थिक केंद्रों को जोड़ने वाले उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड-बाईपास के बीच अंतरराज्यीय संपर्क प्रदान करती है। यह भारत-बांग्लादेश और भारत-भूटान-बांग्लादेश के लिए एक व्यापार मार्ग के रूप में सेवा प्रदान करेगा। यह जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क को कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।

नेटवर्क प्‍लानिंग ग्रुप के सदस्यों ने आगे एकीकृत योजना और समकालिक कार्यान्वयन अवधारणाओं के कुछ घटकों का सुझाव दिया है और परियोजनाओं के लिए तेजी से मंजूरी और समर्थन सुनिश्चित किया है। पीएम गतिशक्ति एनएमपी के माध्यम से आने वाले वर्षों में इन परियोजनाओं को लागू करना संभव होगा।

एनपीजी में रेल मंत्रालय, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, ऊर्जा, पीएनपी, डीओटी, सीए, पीएसडब्‍ल्‍यू, परिवहन विभाग, बंदरगाह एवं जलमार्ग, पीडब्ल्यूडी, पीएसयू, पीएमटी, डीएसएसएम और पीपीपी सहित बुनियादी ढांचा मंत्रालयों के योजना प्रभागों के प्रमुख और नीति आयोग तथा ईएफ एंड सीसी के लॉजिस्टिक प्रभाग के विशेष प्रतिनिधि शामिल हैं। डीपीआईआईटी पीएम गतिशक्ति के सचिवालय के रूप में कार्य करता है

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फिल्म रायबरेली का ट्रेलर धूमधाम से हुआ लांच

कानपुर 1 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, मैनपुरी के रहने वाले प्रोड्यूसर विनीत यादव की चर्चित फिल्म रायबरेली का ऑफिशियल ट्रेलर धूमधाम से आज नावेल्टी होटल लाटूश रोड में मेयर प्रमिला पांडे व मशहूर कॉमेडियन अन्नू अवस्थी के हाथों लॉन्च हुआ इस अवसर पर प्रमिला पांडे ने बताया कि प्रदेश सरकार फिल्म उद्योग को बहुत बढ़ावा दे रही है इसलिए अरबों रुपया खर्च करके प्रदेश सरकार नोएडा में फिल्म सिटी ला रही है अनु अवस्थी ने बताया कि कानपुर में टैलेंट की कमी नहीं है और कानपुर के कलाकार मुंबई में छाए हुए हैं फिल्म प्रोड्यूसर विनीत यादव ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि इसके पहले उनकी फिल्म शूटआउट एट इटावा सफारी रिलीज हो चुकी है। कानपुर के चर्चित कलाकार अजय त्रिपाठी ने बताया की अब वह जमाने चले गए जब लोग घरों से भाग भाग कर बॉलीवुड में अपना भाग्य आजमाने जाते थे आप यूपी और खास तौर पर कानपुर में ही बड़े बड़े निर्माता आ रहे हैं और नई नई प्रतिभाओं को चांस मिल रहा है राजू श्रीवास्तव मरने से 2 महीने पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले थे और उनको उन्नाव और कानपुर के बीच फिल्म सिटी विकसित करने की सलाह दी थी। इस अवसर पर मेयर प्रमिला पाण्डेय, विधायक अमिताभ बाजपेयी, मशहूर कॉमेडियन अन्नू अवस्थी, पूर्व विधायक सतीश निगम, फिल्म के मुख्य विलेन गौरव कुमार, फिल्म के निर्माता और हीरो विनीत यादव फिल्म के लेखक इनायत अली और हीरोइन इस्मत आदि उपस्थित थे।

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भारतीय रेलवे “रेलगाड़ियां एक नजर में(टीएजी)” के रूप में जानी जाने वाली अपनी नई अखिल भारतीय रेलवे समय सारणी जारी करेगा, जो 1 अक्टूबर, 2022 से लागू होगी

रेल मंत्रालय “रेलगाड़ियां एक नजर में (टीएजी)” के रूप में जानी जाने वाली अपनी नई अखिल भारतीय रेलवे समय सारणी जारी करेगा, जो 1अक्टूबर, 2022 से लागू होगी। नई ‘रेलगाडि़यां एक नज़र में ‘1 अक्टूबर, 2022 से भारतीय रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट अर्थात www.indianrailways.gov.in पर भी उपलब्ध होगी।

नई समय सारिणी की मुख्य विशेषताएं निम्‍नलिखित हैं:

  1. भारतीय रेलवे लगभग 3,240 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन करता है, जिनमें वंदे भारत एक्सप्रेस, गतिमान एक्सप्रेस, राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, हमसफ़र एक्सप्रेस, तेजस एक्सप्रेस, दुरंतो एक्सप्रेस, अंत्योदय एक्सप्रेस, गरीब रथ एक्सप्रेस, संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, युवा एक्सप्रेस, उदय एक्सप्रेस, जनशताब्दी एक्सप्रेस और अन्य प्रकार की रेलगाडि़यां शामिल हैं। इसके अलावा, भारतीय रेलवे नेटवर्क पर लगभग 3,000 यात्री रेलगाडि़यों और 5,660 उपनगरीय रेलगाडि़यों  का भी परिचालन किया जाता है। इन पर प्रतिदिन यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या लगभग 2.23 करोड़ है।
  • II. अतिरिक्त भीड़भाड़ को कम करने और यात्रियों की मांग को पूरा करने के लिए, 2021-22 के दौरान 65,000 से अधिक विशेष ट्रेन यात्राएं संचालित की गईं। रेलगाडि़यों की वहन क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग 566 कोचों को स्थायी रूप से संवर्धित किया गया।

III. ट्रेन के इंजन और डिब्‍बों का अधिकतम उपयोग करना:

  1. रेकस के लाइ ओवर की समीक्षा के दौरान पाया गया कि मौजूदा सेवाओं के विस्तार या आवृत्ति बढ़ाने के लिए इन रेक का बेहतर उपयोग किया जा सकता है। यह इंजन और डिब्‍बों के उपयोग को अधिकतम करेगा और यात्रियों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
  • ii. वर्ष 2021-22 के दौरान, 106 नई सेवाएं शुरू की गईं, 212 सेवाओं का विस्तार किया गया और 24 सेवाओं की आवृत्ति बढ़ाई गई।
  1. प्रीमियम ट्रेनों का प्रसार:
  1. वर्तमान में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें नई दिल्ली-वाराणसी और नई दिल्ली-श्री माता वैष्णो देवी कटरा के बीच चलाई जा रही हैं। एक और वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन गांधीनगर कैपिटल और मुंबई सेंट्रल के बीच 30.09.2022 से शुरू की गई है। भारतीय रेलवे नेटवर्क पर और वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है।
  • ii. मनोरंजन, स्थानीय व्यंजन, वाईफाई आदि जैसी ऑनबोर्ड सेवाओं की पेशकश करने वाली तेजस एक्सप्रेस सेवाओं का भी भारतीय रेलवे नेटवर्क पर प्रसार किया जा रहा है। वर्तमान में भारतीय रेलवे में 7 जोड़ी तेजस एक्सप्रेस सेवाएं परिचालित की जा रही हैं।
  1. मंडलों की कार्यशील समय-सारणी में कॉरिडोर ब्लॉक का प्रावधान:

पटरियों की संरचना, सिग्नलिंग गियर, ओवरहेड उपकरण आदि जैसे स्थिर बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिए पर्याप्त समय प्रदान करने के लिए, फिक्स्ड कॉरिडोर ब्लॉक का प्रावधान  सुनिश्चित करने की योजना बनाई गई है। इन कॉरिडोर ब्लॉकों की अवधि प्रत्येक खंड में 3 घंटे से होगी। इससे न केवल इन परिसंपत्तियों की विश्वसनीयता में सुधार होगा बल्कि यात्रियों की सुरक्षा में भी वृद्धि होगी।

  1. आईसीएफ डिजाइन के रेक का एलएचबी में रूपांतरण:

यात्री सुरक्षा में सुधार लाने और बेहतर सवारी की सुविधा के साथ तेज पारगमन प्रदान करने के लिए आईसीएफ डिजाइन के रेक के साथ परिचालित की जाने वाली मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों का रूपांतरण किया जा रहा है। भारतीय रेलवे ने वर्ष 2021-2022 की अवधि के लिए आईसीएफ के 187 रेक एलएचबी में परिवर्तित किये।

  1. विलंब से चलने वाली रेलगाडि़यों के समयपालन में सुधार लाने के प्रयास:

समय की पाबंदी में सुधार लाने के लिए समय सारिणी में आवश्यक परिवर्तन शामिल किए गए हैं। ठोस प्रयासों की बदौलत मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के समयपालन में कोविड से पूर्व (2019-20) की समय की पाबंदी की तुलना में लगभग 9 प्रतिशत सुधार हुआ है।

  1. रेकों का मानकीकरण:

विभिन्न रखरखाव डिपो में रेक लिंक के एकीकरण द्वारा रेकों को मानकीकृत किया गया है, ताकि परिचालन में बेहतर लचीलेपन लाया सके और इस प्रकार समयपालन में सुधार लाने में भी मदद मिलती है।

  1. पारंपरिक यात्री ट्रेनों का एमईएमयू/डीईएमयू से प्रतिस्‍थापन

वर्ष 2021-22 में, 60 पारंपरिक यात्री सेवाओं को एमईएमयू द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है, जिससे प्रणाली की समग्र गतिशीलता में वृद्धि हुई है।

X. ‘रेलगाडि़यां एक नज़र में’ की ई-बुक‘ के रूप में उपलब्धता:

ट्रेन समय सारणी के डिजिटलीकरण के अंग के रूप में, ‘रेलगाडि़यां एक नज़र में’(टीएजी) अब ‘ई-बुक’ के  रूप में भी उपलब्ध होगी, जिसे आईआरसीटीसी की वेबसाइट (www.irctc.co.in & www.irctctourism.com) से डाउनलोड किया जा सकता है।

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केन्‍द्रीय खेल और युवा कार्यक्रम मंत्री अनुराग ठाकुरअमृतसर में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू) के खिलाड़ियों को सम्मानित करेंगे

केन्‍द्रीय सूचना एवं प्रसारण और खेल एवं युवा कार्यक्रम मंत्री श्री अनुराग ठाकुर गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू), अमृतसर के वार्षिक खेल पुरस्कार वितरण समारोह में 20 सितम्‍बर को विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों का अभिनंदन/सम्मानित करेंगे।

केन्‍द्रीय सूचना एवं प्रसारण और खेल एवं युवा कार्यक्रम मंत्री श्री अनुराग ठाकुर 20 सितंबर, 2022 को 52वें वार्षिक खेल पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान अंतर्राष्ट्रीय स्‍तर पर, खेलो इंडिया और अखिल भारतीय अंतर विश्‍वविद्यालय स्‍तरों पर विभिन्न खेल विधाओं में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू), अमृतसर को ख्याति दिलाने वाले खिलाड़ियों का अभिनंदन/सम्मानित करेंगे। उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन करने वाले एथलीटों को नकद पुरस्कार और विश्वविद्यालय स्तर पर समग्र रूप से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले कॉलेजों को ट्राफियां प्रदान की जाएंगी।

इस अवसर पर श्री अनुराग ठाकुर मुख्य अतिथि होंगे और पंजाब के खेल और युवा सेवा विभाग के कैबिनेट मंत्री श्री गुरमीत सिंह मीत हेयर अध्यक्षीय भाषण देंगे। इसके अलावा, कुलपति प्रो. जसपाल सिंह संधू इस अवसर पर खिलाड़ियों और मेहमानों को संबोधित करेंगे।

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय ने खेल के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है और भारत की प्रतिष्ठित मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी 23 बार जीती है। इसने 35 अर्जुन पुरस्कार विजेता, 6 पद्म श्री पुरस्कार विजेता और 2 द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता दिए हैं। प्रत्‍येक वर्ष शारीरिक शिक्षा विभाग (संबद्ध शिक्षण) 90 से अधिक गुरु नानक देव विश्वविद्यालय इंटर-कॉलेज (पुरुष और महिला) चैंपियनशिप आयोजित करता है और विश्वविद्यालय की 70 से अधिक टीमों (पुरुषों और महिलाओं) को अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए भेजता है। भारतीय खेल प्राधिकरण ने खेल विषयों हॉकी और हैंडबॉल में खेलो इंडिया केन्‍द्रों की तथा तलवारबाजी (फेन्सिंग) और तीरंदाजी में खेलो इंडिया अकादमियों की स्थापना की है।

विश्वविद्यालय हर साल वार्षिक खेल पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित करता है, जिसमें लगभग 250 खिलाड़ियों (अंतर्राष्ट्रीय/खेलो इंडिया/अंतर-विश्वविद्यालय स्तरों) को लगभग 2.00 करोड़ रुपये के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।

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