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प्रधानमंत्री ने भुज में लगभग 4400 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज भुज में लगभग 4400 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इससे पहले, उन्होंने भुज जिले में स्मृति वन स्मारक का भी उद्घाटन किया।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भुज में स्मृति वन स्मारक और अंजार में वीर बाल स्मारक गुजरात के कच्छ जिले और पूरे देश के साझा दर्द के प्रतीक हैं। उन्होंने उस पल को याद किया जब अंजार स्मारक की अवधारणा सामने आई और स्वैच्छिक कार्य ‘कार सेवा’ के माध्यम से स्मारक को पूरा करने संकल्प लिया गया था। उन्होंने कहा कि इन स्मारकों को विनाशकारी भूकंप में मारे गए लोगों की याद में भारी मन से समर्पित किया जा रहा है। उन्होंने आज लोगों के गर्मजोशी से स्वागत के लिए भी उन्‍हें धन्यवाद दिया।

उन्होंने आज अपने दिल में उतरी अनेक भावनाओं को याद किया और पूरी विनम्रता के साथ कहा कि दिवंगत आत्माओं की स्मृति में, स्मृति वन स्मारक 9/11 स्मारक और हिरोशिमा स्मारक के बराबर है। उन्होंने लोगों और स्कूली बच्चों से स्मारक का दौरा करते रहने को कहा ताकि प्रकृति का संतुलन और व्यवहार सबके लिए साफ रहे।

प्रधानमंत्री ने विनाशकारी भूकंप की पूर्व संध्या को याद किया। उन्होंने कहा “मुझे याद है जब भूकंप आया था तो उसके दूसरे दिन ही मैं यहां पहुंच गया था। तब मैं मुख्यमंत्री नहीं था, साधारण सा कार्यकर्ता था। मुझे नहीं पता था कि मैं कैसे और कितने लोगों की मदद कर पाऊंगा। लेकिन मैंने ये तय किया कि दु:ख की इस घड़ी में, मैं यहां आप सबके बीच में रहूँगा। और जब मैं मुख्यमंत्री बना तो सेवा के अनुभव ने मेरी बहुत मदद की।” उन्होंने क्षेत्र के साथ अपने गहरे और लंबे जुड़ाव को याद किया, और उन लोगों को याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित की जिनके साथ उन्होंने संकट के दौरान काम किया।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ” कच्छ की एक विशेषता तो हमेशा से रही है, जिसकी चर्चा मैं अक्सर करता हूं। यहां रास्ते में चलते-चलते भी कोई व्यक्ति एक सपना बो जाए तो पूरा कच्छ उसको वटवृक्ष बनाने में जुट जाता है। कच्छ के इन्हीं संस्कारों ने हर आशंका, हर आकलन को गलत सिद्ध किया। ऐसा कहने वाले बहुत थे कि अब कच्छ कभी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाएगा। लेकिन आज कच्छ के लोगों ने यहां की तस्वीर पूरी तरह बदल दी है।” उन्होंने याद किया कि भूकंप के बाद पहली दिवाली, लोगों के प्रति एकजुटता व्‍यक्‍त करने के लिए उन्होंने और उनके राज्य मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने क्षेत्र में बिताई। उन्होंने कहा कि चुनौती की उस घड़ी में, हमने घोषणा की कि हम आपदा को अवसर (‘आपदा से अवसर’) में बदल देंगे। “जब मैंने लाल किले की प्राचीर से कहा कि भारत 2047 तक, एक विकसित देश होगा, आप देख सकते हैं कि मृत्यु और आपदा के बीच, हमने कुछ संकल्प किए और उन्हें आज हमने उन्‍हें हकीकत में बदला। इसी तरह, आज हम जो संकल्प लेंगे, उसे 2047 में निश्चित रूप से हकीकत में बदल देंगे।’

2001 में पूरी तरह से तबाही मचने के बाद किए गए अविश्वसनीय कार्यों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि 2003 में कच्छ में क्रांतिगुरु श्यामजी कृष्णवर्मा विश्वविद्यालय का गठन किया गया था, जबकि 35 से अधिक नए कॉलेज भी स्थापित किए गए हैं। उन्होंने भूकंपरोधी जिला अस्पतालों और क्षेत्र में कार्य कर रहे 200 से अधिक क्‍लीनिकों के बारे में भी बात की। उन्‍होंने कहा कि हर घर को पवित्र नर्मदा का साफ पानी मिलता है, जो पानी की कमी के दिनों में बहुत दूर की बात थी। उन्होंने क्षेत्र में जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के कदमों के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्‍होंने कहा कि कच्छ के लोगों के आशीर्वाद से, सभी प्रमुख क्षेत्रों को नर्मदा के पानी से जोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा, “कच्छ भुज नहर क्षेत्र के लोगों और किसानों को लाभान्वित करेगी”। उन्होंने कच्छ को पूरे गुजरात का नंबर एक फल उत्पादक जिला बनने के लिए बधाई दी। उन्होंने पशु पालन और दूध उत्पादन में अभूतपूर्व प्रगति करने के लिए लोगों की सराहना की। उन्‍होंने कहा, “कच्छ ने न केवल खुद को उठाया है बल्कि पूरे गुजरात को नई ऊंचाइयों पर ले गया है”।

प्रधानमंत्री ने उस समय को याद किया जब गुजरात एक के बाद एक संकट से जूझ रहा था। उन्होंने कहा, “जब गुजरात प्राकृतिक आपदा से निपट रहा था, तब साजिशों का दौर शुरू हो गया था। देश और दुनिया में गुजरात को बदनाम करने के लिए, यहां निवेश को रोकने के लिए एक के बाद एक साजिशें की गईं। ऐसी स्थिति में भी एक तरफ गुजरात देश में आपदा प्रबंधन कानून बनाने वाला पहला राज्य बना। इस कानून ने महामारी के दौरान देश की हर सरकार की मदद की”। उन्होंने कहा कि गुजरात को बदनाम करने के सभी प्रयासों की अनदेखी करना जारी रखा और षड्यंत्रों को धता बताते हुए गुजरात ने एक नया औद्योगिक मार्ग निकाला, कच्छ को उसका सबसे अधिक लाभ मिला।

उन्होंने कहा कि कच्छ में आज दुनिया का सबसे बड़ा सीमेंट संयंत्र है। वेल्डिंग पाइप निर्माण के मामले में कच्छ दुनिया में दूसरे स्थान पर है। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा संयंत्र कच्छ में है। एशिया का पहला एसईजेड कच्छ में बना है। कांडला और मुंद्रा बंदरगाह भारत के कार्गो का 30 प्रतिशत संभालते हैं और यह देश के लिए 30 प्रतिशत नमक का उत्पादन करता है। कच्छ सौर और पवन ऊर्जा से उत्पन्न 2500 मेगावाट बिजली का उत्पादन करता है और कच्छ में सबसे बड़ा सौर हाइब्रिड पार्क बनने वाला है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि देश में आज जो ग्रीन हाउस अभियान चल रहा है, उसमें गुजरात की बहुत बड़ी भूमिका है। इसी तरह जब गुजरात, दुनिया भर में ग्रीन हाउस कैपिटल के रूप में अपनी पहचान बनाएगा, तो उसमें कच्छ का बहुत बड़ा योगदान होगा।

पंच प्रण में से एक-अपनी विरासत पर गर्व को याद करते हुए, जिसे उन्होंने लाल किले की प्राचीर से घोषित किया था, प्रधानमंत्री ने कच्छ की खुशहाली और समृद्धि पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने धौलावीरा की इमारतों के निर्माण की विशेषज्ञता पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा,  “नगर निर्माण को लेकर हमारी विशेषज्ञता धौलावीरा में दिखती है। पिछले वर्ष ही धौलावीरा को वर्ल्ड हैरिटेज साइट का दर्जा दिया गया है। धौलावीरा की एक-एक ईंट हमारे पूर्वजों के कौशल, उनके ज्ञान-विज्ञान को दर्शाती है।” इसी तरह, लंबे समय तक उपेक्षित स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना भी किसी की विरासत पर गर्व करने का हिस्सा है। उन्होंने श्यामजी कृष्ण वर्मा के अवशेषों को वापस लाने की सुविधा की चर्चा की। उन्होंने कहा, मांडवी में स्मारक और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भी इस संबंध में बड़े कदम हैं।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कच्छ का विकास ‘सबका प्रयास’ के साथ एक सार्थक बदलाव का एक आदर्श उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहा,“कच्छ सिर्फ एक स्थान नहीं है, बल्कि ये एक स्पिरिट है, एक जीती-जागती भावना है। ये वो भावना है, जो हमें आज़ादी के अमृतकाल के विराट संकल्पों की सिद्धि का रास्ता दिखाती है।”

इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्‍द्र पटेल, सांसद श्री सी. आर. पाटिल और श्री विनोद एल. चावड़ा, गुजरात विधानसभा अध्यक्ष डॉ. निमाबेन आचार्य, राज्य मंत्री किरीटसिंह वाघेला और जीतूभाई चौधरी उपस्थित थे।

परियोजनाओं का विवरण

प्रधानमंत्री ने भुज जिले में स्मृति वन स्मारक का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित, स्मृति वन अपनी तरह की एक अनूठी पहल है। इसे 2001 के भूकंप के दौरान अपनी जान गंवाने वाले लगभग 13,000 लोगों की मौत के बाद लोगों द्वारा दिखाई गई लचीलेपन की भावना का जश्न मनाने के लिए लगभग 470 एकड़ के क्षेत्र में बनाया गया है। भूकंप का केन्‍द्र भुज में था। इस स्‍मारक में उन लोगों के नाम हैं जिन्‍होंने भूकंप के दौरान अपनी जान गंवाई थी।

अत्याधुनिक स्मृति वन भूकंप संग्रहालय सात विषयों: पुनर्जन्म, पुन:खोज, पुनर्स्थापना, पुनर्निर्माण, पुनर्विचार, पुन: जीवित और नवीनीकरण पर आधारित सात खंडों में विभाजित है। पहला खंड पृथ्वी के विकास और पृथ्वी की क्षमता को दर्शाने वाले पुनर्जन्म विषय पर आधारित है। दूसरा खंड गुजरात की भौगोलिक स्थिति और राज्‍य की दृष्टि से अतिसंवेदनशील विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं को प्रदर्शित करता है। तीसरा खंड किसी को भी 2001 के भूकंप के तुरंत बाद के परिणामों की ओर ले जाता है। इस खंड की गैलरियों में व्यक्तियों के साथ संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए राहत प्रयासों को दिखाया गया है। चौथा खंड 2001 के भूकंप के बाद गुजरात की पुनर्निर्माण पहल और सफलता की कहानियों को प्रदर्शित करता है। पांचवां खंड आगंतुक को विभिन्न प्रकार की आपदाओं के बारे में सोचने और उनसे सीखने तथा किसी भी समय किसी भी प्रकार की आपदा के लिए भविष्य में तैयार रहने के लिए प्रेरित करता है। छठा खंड हमें एक सिम्युलेटर की मदद से भूकंप का फिर से अनुभव लेने में मदद करता है। अनुभव को 5डी सिम्युलेटर में डिज़ाइन किया गया है और इसका उद्देश्य आगंतुक को इस स्‍केल पर एक घटना की जमीनी हकीकत बताना है। सातवां खंड लोगों को एक ऐसी जगह प्रदान करता है जहां वे खोए हुए लोगों को याद करते हुए दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने भुज में लगभग 4400 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री ने सरदार सरोवर परियोजना की कच्छ शाखा नहर का भी उद्घाटन किया। नहर की कुल लंबाई लगभग 357 किमी है। नहर के एक हिस्से का प्रधानमंत्री ने 2017 में उद्घाटन किया था और शेष भाग का उद्घाटन अभी किया जा रहा है। नहर कच्छ में सिंचाई की सुविधा और कच्छ जिले के सभी 948 गांवों और 10 कस्बों में पेयजल उपलब्ध कराने में मदद करेगी। प्रधानमंत्री कई अन्य परियोजनाओं का भी उद्घाटन करेंगे जिनमें सरहद डेयरी का नया स्वचालित दूध प्रसंस्करण और पैकिंग प्लांट; क्षेत्रीय विज्ञान केन्‍द्र, भुज; गांधीधाम में डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर कन्वेंशन सेंटर; अंजार में वीर बाल स्मारक; नखतराना में भुज 2 सबस्टेशन आदि शामिल हैं। प्रधानमंत्री भुज-भीमासर रोड सहित 1500 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं की भी आधारशिला रखेंगे।

 

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नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने लखनऊ और दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई, कोलकाता और गोवा के बीच 8 संपर्क उड़ानों का उद्घाटन किया

नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया और नागर विमानन राज्य मंत्री जनरल (अवकाश प्राप्त) वी.के. सिंह ने लखनऊ से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू और गोवा के लिए एयर एशिया की सीधी उडानों का आज उद्घाटन किया।

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लखनऊ हवाई अड्डे पर आयोजित इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में नागर विमानन मंत्रालय में सचिव श्री राजीव बंसल, संयुक्त सचिव श्रीमती उषा पाधी, उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री एस.पी. गोयल, एयर एशिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक श्री सुनील भास्करन तथा नागर विमानन मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार तथा एयर एशिया के अन्य गण्यमान्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।

नए उड़ान मार्गों की शुरुआत के अवसर पर श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा, “यह एक ऐतिहासिक घटनाक्रम है, जिसमें एक एयरलाइन ने एक शहर को भारत के 5 अन्य शहरों से 8 संपर्क उड़ानों के जरिए जोड़ दिया है। मैं एयर एशिया और उत्तर प्रदेश सरकार को इस उपलब्धि के लिए बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूं। लखनऊ अब दिल्ली से तीन उड़ानों के जरिए, बेंगलुरू से दो उडानों के जरिए, मुंबई से एक उडान के जरिए और कोलकाता तथा गोवा से प्रतिदिन एक-एक उडान के जरिए जुड़ गया है।”

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लखनऊ से दिल्ली, बेंगलुरू और गोवा की उडानें आज ही प्रभावी तौर से शुरू हो जाएंगी और लखनऊ से मुंबई तथा कोलकाता के लिए उड़ानें 1 सितंबर, 2022 से शुरू होंगी।

उत्तर प्रदेश में नागर विमानन के विकास के लिए उनके मंत्रालय द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में श्री सिंधिया ने कहा, “मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि उड़ान योजना के अंतर्गत हमने उत्तर प्रदेश राज्य को 63 नए मार्ग आवंटित किए हैं और भविष्य में इन्हें बढ़ाकर 108 कर दिया जाएगा, ताकि नागर विमानन सुविधा उत्तर प्रदेश के हर कोने तक पहुंच सके। हमने उड़ान योजना के तहत उत्तर प्रदेश में 18 हवाई अड्डों का निर्माण करना तय किया है, जिसके संरचनागत विकास पर 1,112 करोड़ रुपए का निवेश करने की आवश्यकता होगी। उत्तर प्रदेश में 5 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे होंगे, जो अपने आप में देश में अप्रतिम होगा। माननीय प्रधानमंत्री का उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर भारत का उज्ज्वल उदाहरण बनाने का स्वप्न है और इस स्वप्न को साकार करने के लिए हम जेवर और अयोध्या के अलावा चित्रकूट, मुरादाबाद, अलीगढ़, आजमगढ़ और श्रावस्ती में हवाई अड्डों का निर्माण कर रहे हैं।TableDescription automatically generated

नागर विमानन राज्य मंत्री जनरल (अवकाश प्राप्त) डॉ. वी.के. सिंह ने कहा, “मैं एयर एशिया को लखनऊ के लिए नए उडान मार्ग शुरू करने के लिए बधाई देता हूं। इसके साथ ही मैं उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ को भी वैट और एटीएफ घटाने के लिए बधाई देता हूं, जिससे राज्य में उड़ान संपर्क कायम करने में वृद्धि होगी।”

एयर एशिया (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड की सब्सिडरी है जिसने 12 जून, 2014 को अपना कामकाज शुरू किया था। यह कंपनी देशभर के 18 गंतव्यों तक 50 से ज्यादा सीधी उड़ानें और करीब 100 संपर्क उड़ानें संचालित करती है।

इन नई संपर्क उड़ानों से लखनऊ और देश के अन्य मुख्य शहरों के बीच आवागमन मजबूत होगा, जिससे न सिर्फ अधिक संपर्क कायम होगा बल्कि यह क्षेत्र में पर्यटन, व्यापार और वाणिज्य का संवर्धन करेगा। इसके अलावा यह लखनऊ के निवासियों को वहनीय, निश्चित समय पर सुरक्षित और विश्वसनीय यात्रा अनुभव प्रदान करेगा।

लखनऊ और देश के अन्य मुख्य शहरों के बीच आज 5 अगस्त, 2022 से शुरू होने वाली एयर एशिया की व्यावसायिक उड़ानों का परिचालन निम्नलिखित समय सारणी के अनुसार किया जाएगा।

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गडकरी ने इंदौर (मध्य प्रदेश) में 2300 करोड़ रुपये लागत की छह राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इंदौर (मध्य प्रदेश) में 2300 करोड़ रुपये लागत की 119 किलोमीटर लंबाई की 6 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

इस अवसर पर श्री गडकरी ने आज शुरू की जा रही परियोजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि इंदौर और राज्य में बेहतर कनेक्टिविटी से प्रगति की राह आसान हो जाएगी। उन्होंने कहा कि राऊ सर्कल पर जाम की समस्या समाप्‍त हो जाएगी और यातायात सरल हो जाएगा। इंदौर के साथ सहज कनेक्टिविटी होने से कारीगरों, छात्रों और व्यापारियों को बेहतर अवसर उपलब्‍ध होंगे। इंदौर-हरदा खंड के गांवों को इंदौर से बेहतर तरीके से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि धार-पीथमपुर औद्योगिक कॉरिडोर बनने से रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

श्री गडकरी ने यह भी कहा कि तेजाजी नगर (इंदौर)-बुरहानपुर और इंदौर-हरदा तक की यात्रा में लगने वाले समय में कमी आएगी, जिससे ईंधन की भी बचत होगी। उन्होंने कहा कि ओंकारेश्वर और खंडवा जाने वाले यात्रियों के लिए मार्ग आसान होगा। उन्होंने कहा कि कृषि बाजारों से बेहतर संपर्क होने से कृषि उत्पादों को बड़े बाजार तक ले जाना आसान हो जाएगा।

इस कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश में 14 चयन किए गए स्थानों पर रोप-वे के निर्माण के लिए राज्य सरकार और एनएचएआई के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

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सिंधिया ने जबलपुर-कोलकाता के बीच सीधी उड़ान का शुभारंभ किया

नागर विमानन उड्डयन मंत्रीश्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया और नागर विमानन राज्य मंत्री जनरल वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने आज स्पाइसजेट द्वारा जबलपुर और कोलकाता के बीच सीधी उड़ान का शुभारंभ किया।

इस कार्यक्रम में संसद सदस्य (लोकसभा) श्री राकेश सिंह, संसद सदस्य (राज्य सभा) श्री विवेक के. तन्खा, जबलपुर छावनी के विधानसभा सदस्य श्री अशोक रोहानी, नागर विमानन मंत्रालय के सचिव श्री राजीव बंसल, और स्पाइसजेट के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री अजय सिंह की उपस्थिति के साथ-साथ कई अन्य गणमान्य व्यक्ति वर्चुअल तौर पर उपस्थित थे।

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एयरलाइन इस रूट पर दैनिक उड़ानों का संचालन करेगी और कम दूरी की उड़ानों के लिए डिजाइन किए गए अपने क्यू400,78-सीटर टर्बो प्रोप विमान को तैनात करेगी। उड़ान का यह नया रूट 26 नई घरेलू उड़ानों का एक हिस्सा है जिसे स्पाइसजेट आज लॉन्च कर रही है। इस अवसर पर अपने संबोधन में, श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा कि पिछले एक साल में देश में हवाई सेवाओं में व्यापक विस्तार हुआ है, खासकर मध्य प्रदेश में जहां जुलाई 2021 में प्रति सप्ताह 554 विमानों का आवागमन हो रहा था और अब यह आंकड़ा 980 तक चला गया है। उन्होंने कहा कि जबलपुर अब 10 शहरों से जुड़ गया है, और विमानों का आवागमन बढ़कर 182 हो गया है। इसी तरह, ग्वालियर जुलाई, 2021 में 56 विमानों के आवागमन के साथ 4 शहरों से जुड़ा था, और यह आंकड़ा बढ़कर एक सौ हो गया है। इंदौर में 308 विमानों का आवागमन हो रहा था जो बढ़कर 468 हो गया है और अब यह 20 शहरों से जुड़ा है। राज्य की राजधानी भोपाल, जिसका जुलाई 2021 में 5 शहरों के साथ हवाई संपर्क था, अब 13 शहरों से जुड़ गया है और इसमें 226 विमानों का आवागमन हो रहा है। खजुराहो हवाई अड्डा भी दिल्ली से जुड़ा है और यहां से प्रति सप्ताह 4 उड़ानें संचालित हैं।

नागर विमानन मंत्री ने कहा कि जबलपुर हवाईअड्डा 1930 में स्थापित किया गया था, और द्वितीय विश्व युद्ध में इसका इस्तेमाल किया गया था। अब, हवाई अड्डे का विस्तार किया जा रहा है, जिसमें रनवे की लंबाई 1988 मीटर से बढ़कर 2750 मीटर हो गई है। पीक आवर्स में टर्मिनल बिल्डिंग की क्षमता 200 यात्रियों से बढ़ाकर 250 की जा रही है, और इसका क्षेत्रफल 2600 वर्ग मीटर से बढ़कर 10713 वर्ग मीटर हो जाएगा। 3 एयरो ब्रिज बनाए जा रहे हैं, और नए एटीसी टावर और फायर स्टेशन बनाए जा रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि 412 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा विस्तार कार्य अगले साल मार्च तक पूरा कर लिया जाएगा।

जनरल वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने जबलपुर के लोगों को नई कनेक्टिविटी मिलने पर बधाई दी, जिससे क्षेत्र में कारोबार, व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

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जबलपुर और उसके आस पास के क्षेत्रों के लोगों को सीधी हवाई कनेक्टिविटी मिलने से लाभ होगा जिससे यात्रियों के लिए निर्बाध आवागमन की सुविधा होगी। नई सीधी उड़ान से आम लोगों को यात्रा करने का एक नया विकल्प मिलेगा जिससे पर्यटन क्षमता को बढ़ावा मिलेगा और दोनों क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी। जबलपुर पहले ही नौ शहरों यानी बेंगलुरु, दिल्ली, बिलासपुर, हैदराबाद, इंदौर, मुंबई, पुणे, चेन्नई और भोपाल से जुड़ चुका है। अब इसे 10वें शहर कोलकाता से जोड़ा जा रहा है।

उड़ान की सूची इस प्रकार है:

क्र.सं. उड़ान  प्रस्थान आगमन एयरलाइन बारंबारता प्रस्थान (समय) आगमन (समय) विमान का प्रकार शुरुआत की तिथि
1 एसजी 3003 जबलपुर कोलकाता स्पाइसजेट प्रतिदिन 19:15 21:15 क्यू400 22 जुलाई से
2 एसजी 3002 कोलकाता जबलपुर स्पाइसजेट प्रतिदिन 06:10 08:30 क्यू400 23 जुलाई से

 

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लोकसभा ने भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, 2022 पारित किया, जिसका उद्देश्य भारत द्वारा अंटार्कटिक पर्यावरण और इस पर आश्रित व संबद्ध पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए राष्ट्रीय उपाय करना है

लोकसभा ने आज भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, 2022 को पारित कर दिया। इस विधेयक को पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा पेश किया। विधेयक का उद्देश्य भारत द्वारा अंटार्कटिक पर्यावरण और इस पर आश्रित व संबद्ध पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए राष्ट्रीय उपाय करना है। विधेयक के बारे में जानकारी देते हुए, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य खनन या अवैध गतिविधियों से छुटकारा पाने के साथ-साथ क्षेत्र का विसैन्यीकरण सुनिश्चित करना है। इसका उद्देश्य यह भी है कि क्षेत्र में कोई परमाणु परीक्षण/विस्फोट नहीं होना चाहिए।

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उन्होंने कहा कि यह विधेयक अंटार्कटिक संधि, पर्यावरण संरक्षण पर प्रोटोकॉल (मैड्रिड प्रोटोकॉल) के लिए अंटार्कटिक संधि और अंटार्कटिक समुद्री जीव संसाधनों के संरक्षण पर सम्मेलन के प्रति भारत के दायित्व के अनुरूप है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि विधेयक सुस्थापित कानूनी तंत्रों के माध्यम से भारत की अंटार्कटिक गतिविधियों के लिए एक सामंजस्यपूर्ण नीति और नियामक ढांचा प्रदान करता है और यह भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम के कुशल और वैकल्पिक संचालन में भी सहायता प्रदान करेगा। यह विधेयक बढ़ते अंटार्कटिक पर्यटन और अंटार्कटिक जल में मत्स्य संसाधनों के सतत विकास के प्रबंधन में भारत की रुचि और सक्रिय भागीदारी को भी सुविधाजनक बनाएगा। यह अंतरराष्ट्रीय दृश्यता और ध्रुवीय क्षेत्र में भारत की विश्वसनीयता को बढ़ाने में भी सहायता करेगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग और वैज्ञानिक एवं रसद क्षेत्रों में सहयोग मिल सकेगा।

डॉ जितेंद्र सिंह ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि अंटार्कटिका में भारतीय वैज्ञानिकों की निरंतर और बढ़ती उपस्थिति अंटार्कटिक अध्ययन के लिए समवर्ती प्रतिबद्धता और संवेदनशील अंटार्कटिक पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के साथ अंटार्कटिका पर घरेलू कानून को अपनाने के लिए अंटार्कटिक संधि प्रणाली के सदस्य के रूप में अपने दायित्वों के अनुरूप है। इस तरह के कानूनों को लागू करने से अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में किए गए किसी भी विवाद या अपराधों से निपटने के लिए भारत की अदालतों को अधिकार क्षेत्र प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस तरह का कानून नागरिकों को अंटार्कटिक संधि प्रणाली में प्रदत्त नीतियों के लिए बाध्य करेगा। यह विश्वसनीयता बनाने और विश्व स्तर पर देश की स्थिति को बढ़ाने में भी उपयोगी होगा।

इस विधेयक में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय अंटार्कटिक प्राधिकरण (आईएए) की स्थापना का भी प्रस्ताव है, जो सर्वोच्च निर्णय लेने वाला प्राधिकरण होगा और विधेयक के तहत अनुमत कार्यक्रमों और गतिविधियों के लिए सुविधा प्रदान करेगा। यह अंटार्कटिक अनुसंधान और अभियानों के प्रायोजन और पर्यवेक्षण के लिए एक स्थिर, पारदर्शी और जवाबदेह प्रक्रिया प्रदान करेगा; अंटार्कटिक पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण; और अंटार्कटिक कार्यक्रमों और गतिविधियों में लगे भारतीय नागरिकों द्वारा प्रासंगिक नियमों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमत मानकों के अनुपालन को भी सुनिश्चित करेगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव, आईएए के अध्यक्ष होंगे और आईएए में संबंधित भारतीय मंत्रालयों के आधिकारिक सदस्यों के साथ इसके निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाएगें। वर्तमान में भारत के अंटार्कटिका में मैत्री (1989 में कमीशन) और भारती (2012 में कमीशन) नामक दो परिचालन अनुसंधान केंद्र हैं। भारत ने अब तक अंटार्कटिका में 40 वार्षिक वैज्ञानिक अभियानों का सफलतापूर्वक शुभारंभ किया हैं। आर्कटिक के एनवाई-एलसंड, स्वालबार्ड में हिमाद्री स्टेशन के साथ, भारत अब उन राष्ट्रों के कुलीन समूह से शामिल है जिनके पास ध्रुवीय क्षेत्रों के भीतर कई शोध केंद्र हैं। 1 दिसंबर, 1959 को वाशिंगटन डी.सी. में अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे और प्रारंभिक तौर पर इसमें 12 देशों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। तब से, 42 अन्य देश भी इस संधि में शामिल हो चुके हैं। इस संधि मे कुल चौवन देश हैं, इनमें से उनतीस देशों को अंटार्कटिक सलाहकार बैठकों में मतदान के अधिकार के साथ सलाहकार देशों का दर्जा प्राप्त है और पच्चीस देश गैर-परामर्शदाता दल हैं जिन्हें मतदान देने का अधिकार नहीं है। भारत ने 19 अगस्त, 1983 को अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर किए थे और 12 सितंबर, 1983 को सलाहकार का दर्जा भी प्राप्त किया। अंटार्कटिक समुद्री जीवन संसाधनों के संरक्षण पर सम्मेलन पर 20 मई, 1980 को कैनबरा में हस्ताक्षर किए गए थे। इसमें अन्य बातों के साथ, अंटार्कटिक पर्यावरण के संरक्षण और सुरक्षा के लिए विशेष रूप से, समुद्री जीव संसाधनों के संरक्षण और सुरक्षा करना शामिल है। भारत ने 17 जून, 1985 को सम्मेलन में अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की और वह इस संधि के तहत अंटार्कटिक समुद्री जीव संसाधनों के संरक्षण आयोग का सदस्य है। अंटार्कटिक संधि प्रणाली को मजबूती प्रदान करने, अंटार्कटिक पर्यावरण और आश्रित एवं संबद्ध पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए एक व्यापक शासन को विकसित करने के लिए 4 अक्टूबर, 1991 को पर्यावरण संरक्षण पर मैड्रिड में अंटार्कटिक संधि के लिए प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए थे। भारत ने पर्यावरण संरक्षण पर अंटार्कटिक संधि के लिए 14 जनवरी, 1998 को प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए। अंटार्कटिका दक्षिण अक्षांश के 60 डिग्री दक्षिण में स्थित एक प्राकृतिक रिजर्व है, और यह शांति और विज्ञान के लिए एक समर्पित स्थल है जिसे किसी भी अंतरराष्ट्रीय विवाद का परिदृश्य या मामला नहीं बनना चाहिए।

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भारत और यूनाइटेड किंगडम ने उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) के बीच छात्रों की आवाजाही और शैक्षणिक सहयोग को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से शैक्षणिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता से संबंधित समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

शैक्षणिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता से संबंधित एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर आज यूनाइटेड किंगडम (यूके) के अंतरराष्ट्रीय व्यापार विभाग के स्थायी सचिव श्री जेम्स बॉलर और भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय में सचिव (उच्च शिक्षा) श्री के. संजय मूर्ति के बीच हस्ताक्षर किए गए।

मई 2021 में, भारत और ब्रिटेन के प्रधानमंत्रियों के बीच वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने के लिए 2030 तक का एक व्यापक रोडमैप अपनाया गया था। दोनों पक्ष एक नई संवर्धित व्यापारिक साझेदारी पर भी सहमत हुए थे। शिक्षा इस रोडमैप का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) के आलोक में, दोनों पक्ष शैक्षणिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता के बारे में सहमत होकर शैक्षिक संबंधों के विस्तार के लिए राजी हुए।

यह हमारे द्विपक्षीय शैक्षिक संबंधों में एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से दोनों देशों के बीच छात्रों की आवाजाही आसान होगी और मजबूत संस्थागत सहयोग विकसित करने में मदद मिलेगी। साथ ही, दोनों देशों के उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच शैक्षणिक एवं अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग का दायरा व्यापक होगा।

भारत सरकार शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण, जोकि एनईपी 2020 के तहत ध्यान दिए जाने वाले प्रमुख क्षेत्रों में से एक है, को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से दूसरे देशों के साथ अधिक से अधिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग को अनुमति प्रदान करने के लिए कई कदम उठा रही है।

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, इसरो लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमताओं के प्रदर्शन के माध्यम से अंतरिक्ष पर्यटन की दिशा में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने की प्रक्रिया में है

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसरो लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता के प्रदर्शन द्वारा अंतरिक्ष पर्यटन की दिशा में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने की प्रक्रिया में है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज राज्यसभा में एक सवाल का लिखित उत्तर देते हुए कहा कि भारतीय राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्‍पेस) अंतरिक्ष गतिविधियों को पूरा करने में निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देना चाहता है, जिसमें अंतरिक्ष पर्यटन भी शामिल है।

अंतरिक्ष क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष गतिविधियों के विभिन्न क्षेत्रों में 61 देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और संबंधों को आगे बढ़ाता है।

उल्लेखनीय है कि भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्‍पेस) की स्थापना अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत एक सिंगल विंडो एजेंसी के रूप में की गई है, जिसे अंतरिक्ष डोमेन में निजी क्षेत्र की गतिविधियों को बढ़ावा देने, समर्थन देने और प्राधिकृत करने के लिए बनाया गया है, जिसमें युवा उद्यमी और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में रुचि रखने वाले छात्र शामिल हैं।

इन-स्पेस, इसरो केंद्रों में उपलब्ध तकनीकी सुविधाओं और विशेषज्ञता को निजी संस्थाओं के साथ साझा करने में सक्षम तंत्र को लेकर आएगा।

एक संबंधित प्रश्न के जवाब में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) एक व्यापक, एकीकृत अंतरिक्ष नीति का मसौदा तैयार कर रहा है, जो निजी भारतीय अंतरिक्ष उद्योग की गतिविधियों को दिशा प्रदान करेगा।

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पर्यटन और आतिथ्य भारत में रोजगार पैदा करने वाले सबसे बड़े क्षेत्रों में शुमार है: जी किशन रेड्डी

पर्यटन और आतिथ्य का क्षेत्र भारत में सबसे बड़े रोजगार सृजन के क्षेत्रों में शुमार है और विदेशी मुद्रा आय (एफईई) का एक बड़ा  हिस्सा पैदा करने में योगदान दे रहा है। वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के तीसरे टीएसए (पर्यटन उपग्रह खाता) के अनुसार देश के रोजगार में पर्यटन का योगदान इस प्रकार है:

2017-18 2018-19 2019-20
नौकरी में हिस्सेदारी (फीसदी में) 14.78 14.87 15.34
प्रत्यक्ष (फीसदी में) 6.44 6.48 6.69
अप्रत्यक्ष (फीसदी में) 8.34 8.39 8.65
पर्यटन के कारण प्रत्यक्ष/ अप्रत्यक्ष रोजगार (मिलियन में) 72.69 75.85 79.86

18 जुलाई 2022 तक अतुल्य भारत पर्यटन सुविधा (आईआईटीएफ) मूल प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम के 3 बैचों के लिए परीक्षाएं सफलतापूर्वक आयोजित की गई है, जिसके तहत कुल 3795 उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया है और उनका पुलिस सत्यापन पूरा होने के बाद उन्हें प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। आईआईटीएफ प्रमाणन कार्यक्रम के लिए संशोधित दिशानिर्देश के तहत, मौजूदा क्षेत्रीय स्तर के गाइड (आरएलजी) का नाम बदलकर अतुल्य भारत पर्यटक गाइड (आईआईटीजी) कर दिया गया है। कुल 1795 आईआईटीजी (पूर्व में जिसे आरएलजी के रूप में जाना जाता है) ने रिफ्रेशर कोर्स सफलतापूर्वक पूरा किया है।

देशभर में सुप्रशिक्षित और पेशेवर पर्यटक सुविधाकर्ताओं का एक पूल बनाने के उद्देश्य से आईआईटीएफसी कार्यक्रम एक जनवरी 2020 को शुरू किया गया था। यह एक डिजिटल पहल है जो  उम्मीदवारों के लिए बुनियादी, उन्नत (विरासत और साहसिक), स्पोकन लेंग्वेज और रिफ्रेशर कोर्स के लिए आईआईटीएफसी कार्यक्रम के तहत एक ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफाॅर्म प्रदान करती है। आईआईटीएफसी के लिए दिशानिर्देश बाजार की मांग, पर्यटन हितधारकों के अनुरोध आदि को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं। हाल ही में, हितधारकों से प्राप्त अनुरोध के अनुसार, आईआईटीजी (एडवांस एंड हेरिटेज) पाठ्यक्रम के लिए न्यूनतम शैक्षिक मानदंड स्नातक या समकक्ष डिग्री तक बढ़ा दिया गया है।

यह जानकारी पर्यटन मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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पुणे-सतारा राजमार्ग (एनएच-4) के खंभातकी घाट पर नई 6-लेन सुरंग की परियोजना मार्च, 2023 तक पूरा होने की संभावना

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर यह बताया कि पुणे-सतारा राजमार्ग (एनएच-4) पर खंभातकी घाट पर नई 3 लेन वाली एक जोड़ी यानी कुल 6-लेन की सुरंग है और वर्तमान में यह पूरी गति से निर्माणाधीन है। उन्होंने कहा कि सतारा-पुणे दिशा में मौजूदा ‘एस’ घुमाव (कर्व) को जल्द ही पूरा किया जाएगा, जिससे दुर्घटना के जोखिम में भारी कमी आएगी। 6.43 किलोमीटर लंबी इस परियोजना की कुल पूंजीगत लागत लगभग 926 करोड़ रुपये है और इसके मार्च, 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज हमारा देश अभूतपूर्व ढांचागत परिवर्तन देख रहा है और ‘कनेक्टिविटी (संपर्क) के माध्यम से समृद्धि’ का प्रसार हो रहा है। उन्होंने कहा कि नए भारत को विश्व स्तरीय अवसंरचना की मांग है।

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गडकरी ने कहा कि यह सुरंग कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यात्रियों को उनके वैल्यू ओवर टाइम (वीओटी) और वैल्यू ओवर कॉस्ट (वीओसी) बचत के माध्यम से सीधा लाभ प्रदान करेगा। मंत्री ने आगे बताया कि पुणे-सतारा और खंभातकी घाट से होते हुए सतारा-पुणे की औसत यात्रा का समय क्रमश: 45 मिनट और 10 से 15 मिनट है। वहीं, इस सुरंग के पूरा हो जाने से औसत यात्रा का यह समय घटकर 5 से 10 मिनट रह जाएगा।

 

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पिछले तीन वर्षों में खिलौना आयात में 70 प्रतिशत की कमी तथा निर्यात में 61 प्रतिशत की वृद्धि हुई है क्योंकि मेक इन इंडिया इस सेक्टर के लिए सकारात्मक परिणाम दे रहा है

पिछले तीन वर्षों में खिलौना आयात में 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। एचएस कोड 9503, 9504 एवं 9503 के लिए भारत में खिलौनों का आयात वित्त वर्ष 2018-19 के 371 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 110 मिलियन डॉलर रहा जो 70.35 प्रतिशत की कमी दर्शाता है। एचएस कोड 9503 के लिए, खिलौना आयात में और तेजी से कमी आई है जो वित्त वर्ष 2018-19 के 304 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान घट कर 36 मिलियन डॉलर पर आ गया। इसके अतिरिक्त, इसी अवधि के दौरान निर्यात में 61.38 प्रतिशत का उछाल देखा गया है। एचएस कोड 9503, 9504 एवं 9503 के लिए, खिलौना निर्यात वित्त वर्ष 2018-19 के 202 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 326 मिलियन डॉलर रहा जो 61.39 प्रतिशत की बढोतरी दर्शाता है। एचएस कोड 9503 के लिए, खिलौना निर्यात बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 के 109 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान बढ़ कर 177 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया। अनिल अग्रवाल ने आज नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 2-5 जुलाई 2022 तक आयोजित टॉय बिज बी2बी ( बिजनेस टू बिजनेस ) अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी के 13वें संस्करण के दौरान मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि अगस्त 2020 में ‘‘ मन की बात ‘‘ के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने  ‘‘ भारतीय खिलौना स्टोरी की रिब्राडिंग ‘‘ की अपील की थी और घरेलू डिजाइनिंग को सुदृढ़ बनाने तथा भारत को खिलौनों के लिए एक वैश्विक विनिर्माण हब के रूप में बनाने के लिए बच्चों के लिए सही प्रकार के खिलौनों की उपलब्धता, खिलौनों का उपयोग सीखने के संसाधन के रूप में करने, भारतीय मूल्य प्रणाली, भारतीय इतिहास और संस्कृति पर आधारित खिलौनों की डिजाइनिंग करने पर जोर दिया था। उन्होंने कहा कि उद्योग को सरकार की कई सारी युक्तियों से लाभ पहुंचा है और इसके परिणाम मेक इन इंडिया प्रोग्राम की सफलता प्रदर्शित करती है। उन्होंने यह भी कहा कि आयात मुख्य रूप से खिलौनों के कुछ कंपोनेंट तक सीमित रह गए।

खिलौना क्षेत्र के लिए सरकार द्वारा की गई युक्तियां –

i.              विदेश व्यापार महानिदशालय ( डीजीएफटी ) ने दिनांक 02.12.2019 की अधिसूचना संख्या 33/2015-2020 के द्वारा प्रत्येक खेप का नमूना परीक्षण करना अधिदेशित किया था और जब तक गुणवत्ता परीक्षण सफल नहीं होता, बिक्री की अनुमति नहीं दी थी। विफलता की स्थिति में, खेप को या तो वापस भेज दिया जाता है या आयातक की कीमत पर उसे नष्ट कर दिया जाता है।

ii.             टॉयज एचएस कोड 9503 पर बेसिक कस्टम ड्यूटी  ( बीसीडी ) फरवरी, 2020 में 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दी गई है।

iii.            सरकार ने 25/02/2020 को खिलौना ( गुणवत्ता नियंत्रण ) आदेश जारी किया था जिसके माध्यम से खिलौनों को 01/01/2021 से अनिवार्य भारतीय मानक ब्यूरो  ( बीआईएस ) प्रमाणीकरण के तहत ला दिया गया है। गुणवत्ता नियंत्रण आदेश ( क्यूसीओ ) के अनुसार, प्रत्येक खिलौना संगत भारतीय मानक की आवश्यकताओं के अनुरुप होगा तथा बीआईएस ( अनुरुपता आकलन ) विनियमन, 2018 की स्कीम-1 के अनुसार बीआईएस से एक लाइसेंस के तहत मानक चिन्ह धारण करेगा। यह क्यूसीओ घरेलू विनिर्माताओं तथा विदेशी विनिर्माताओं, जो अपने खिलौनों का भारत में निर्यात करना चाहते हैं, दोनों पर ही लागू है।

iv.           खिलौनों पर क्यूसीओ को 11.12.2020 को संशोधित किया गया था जिससे कि विकास आयुक्त  ( कपड़ा मंत्रालय ) के साथ पंजीकृत कारीगरों द्वारा विनिर्मित्त तथा बेची जाने वाली वस्तुओं और आर्टिकल्स को और पैटेंट, डिजाइन तथा ट्रेडमार्क महानियंत्रक  ( सीजीपीडीटीएम ) के कार्यालय द्वारा भौगोलिक संकेतक के रूप में पंजीकृत स्वामी और अधिकृत उपयोगकर्ताओं को भी छूट दी जा सके।

v.            बीआईएस ने 17.12.2020 को विशेष प्रावधान किए जिससे कि एक वर्ष के लिए बिना परीक्षण सुविधा वाली खिलौना बनाने वाली सूक्ष्म स्तर की इकाइयों को लाइसेंस प्रदान किया जा सके और इन-हाउस सुविधा स्थापित करने पर जोर न दिया जा सके।

vi.           बीआईएस ने खिलौनों की सुरक्षा के लिए घरेलू विनिर्माताओं को 843 लाइसेंस प्रदान किए हैं जिसमें से 645 लाइसेंस गैर-बिजली वाले खिलौनों के लिए प्रदान किए गए हैं तथा 198 लाइसेंस बिजली वाले खिलौनों के लिए प्रदान किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, 6 लाइसेंस अंतरराष्ट्रीय खिलौना विनिर्माताओं को प्रदान किए गए हैं।

सभी 96 प्रदर्शकों ने पारंपरिक प्लश खिलौनों, निर्माण उपकरण खिलौनों, गुड़िया, बिल्डिंग ब्लौक्स खिलौनों, बोर्ड गेम्स, पजल्स, इलेक्ट्रोनिक खिलौनों, शिक्षाप्रद खिलौनों, राइड-ऑन से लेकर विविध उत्पाद वर्ग प्रदर्शित किए हैं। सभी खिलौना उत्पाद ‘ मेड इन इंडिया ‘ उत्पाद थे जो लघु, मझोले तथा बड़े उद्यमों द्वारा घरेलू रूप से विनिर्मित्त थे। जीआई टैग वाले खिलौने जैसेकि चेन्नापटना, वाराणसी आदि का भी प्रदर्शन किया जा रहा है। प्रदर्शनी में भारतीय लोकाचार तथा मूल्य प्रणाली पर आधारित खिलौनों का प्रदर्शन किया जा रहा है जो ‘ वोकल फॉर लोकल ‘ थीम का विधिवत समर्थन करते हैं। प्रत्येक खिलौना वर्ग के पास किफायती और हाई-एंड संस्करण हैं। यह 2019 में आयोजित प्रदर्शनी के 12वें संस्करण की ततुलना में एक महत्वपूर्ण बदलाव है जिसमें 116 स्टॉल थे और 90 स्टॉल केवल आयातित खिलौनों का प्रदर्शन कर रहे थे। इस प्रदर्शनी में भारत के 3,000 से अधिक आगंतुकों तथा सऊदी अरब, यूएई, भूटान, अमेरिका आदि से अंतरराष्ट्रीय खरीदार शिष्टमंडल ने भाग लिया।

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