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राजनीति

देश में चार और छह लेन के राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा किए गए चार छह लेन कार्यों का राज्य-वार विवरण अनुबंध में दिया गया है। आम तौर पर मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों में परियोजनाएं अपनी अन्य निष्पादन एजेंसियों जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और विभिन्न राज्य लोक निर्माण विभागों (पीडब्ल्यूडी) के माध्यम से निष्पादित की जाती हैं। त्रिपुरा में 2026 करोड़ रु. की कुल पूंजी लागत से लगभग 25 किमी का एक कार्य एनएचआईडीसीएल द्वारा कार्यान्वयन के अधीन है।

मंत्रालय को राज्यीय राजमार्गो (एसएच) सहित अन्य राज्य सड़कों को नए राष्ट्रीय राजमार्गो के रूप में घोषित / उन्नयन करने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों से प्रस्ताव प्राप्त होते रहते हैं। राज्यीय राजमार्गों सहित राज्य सड़कों को समय-समय पर सुस्थापित सिद्धांतों के आधार पर राष्ट्रीय राजमार्गों के रूप में घोषित किया जाता है। राष्ट्रीय राजमार्गो की घोषणा के लिए महत्वपूर्ण मानदंडों में निम्नलिखित शामिल हैं:-

  1. पूरे देश से गुजरने वाली सड़कें।
  2. निकटवर्ती देशों, राष्ट्रीय राजधानी को राज्यों की राजधानियों / पारस्परिक रूप से राज्यों की राजधानियों, प्रमुख बंदरगाहो, गैर-प्रमुख बंदरगाहों, बड़े औद्योगिक केंद्रों या पर्यटन केंद्रों को जोड़ने वाली सड़के।
  3. पहाड़ी और दूरस्थ क्षेत्रों में महत्वपूर्ण रणनीतिक आवश्यकता वाली सड़कें।
  4. सड़क मार्ग, जिनसे यात्रा की दूरी काफी कम होती है और पर्याप्त आर्थिक विकास प्राप्त किया जा सकता है।
  5. सड़कें, जो पिछड़े क्षेत्र और पहाड़ी क्षेत्र के अधिकतर इलाकों में संपर्कता उपलब्ध कराने में सहायक होती है।
  6. 100 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग ग्रिड की उपलब्धि में योगदान देने वाली सड़कें।
  7. पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान (एनएमपी) के अनुरूप सड़कें।

मंत्रालय एनएच की घोषणा के मानदंडों की पूर्ति, संपर्कता की आवश्यकता, पारस्परिक प्राथमिकता और निधियों की उपलब्धता के आधार पर समय-समय पर राज्यीय राजमार्गों (एसएच) सहित को एनएच घोषित करने पर विचार करता है। कुछ राज्य सड़कों को एनएच घोषित करने पर विचार करता है।

एनएचएआई द्वारा किए गए चार/छह लेन कार्यों का राज्य वार विवरण

क्रम संख्या राज्य/संघ राज्य क्षेत्र का नाम कार्यों की कुल संख्या कुल लंबाई (किलोमीटर में) कुल पूंजीगत लागत (करोड़ रुपये में)
1 आंध्र प्रदेश 23 514 16832
2 असम 10 220 7100
3 बिहार 24 1033 37375
4 छत्तीसगढ़ 6 250 6427
5 गुजरात 20 724 15535
6 हरियाणा 22 656 27363
7 हिमाचल प्रदेश 8 160 8703
8 झारखंड 11 410 12539
9 कर्नाटक 25 1179 36460
10 केरल 19 583 50458
11 मध्य प्रदेश 25 820 17000
12 महाराष्ट्र 45 1967 50488
13 ओडिशा 18 722 15845
14 पंजाब 23 816 31352
15 राजस्थान 19 623 14864
16 तमिलनाडु 34 963 32545
17 तेलंगाना 11 374 10829
18 उत्तर प्रदेश 46 1684 63612
19 उत्तराखंड 14 257 12827
20 पश्चिम बंगाल 7 405 10358
21 दिल्ली 6 70 8664
22 जम्मू और कश्मीर 16 340 24855

 

यह जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में दी।

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत वैश्विक चिंताओं को दूर करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि भारत वैश्विक चिंताओं को दूर करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

“प्रधानमंत्री मोदी वैश्विक जलवायु आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं और विश्व जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध अपनी लड़ाई में भारत के नेतृत्व में काम करने के लिए तैयार है- जबकि चिंता का विषय यह है कि कोविड जैसी महामारियों की कोई सीमा नहीं है, और नहीं वे किसी प्रकार की सम्पदा या अन्य कृत्रिम मानव विभाजन का सम्मान करती हैंI यह बात डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज तब कही जब पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज यहां नई दिल्ली में  उनसे मुलाकात की।

पीएचडी चैंबर – ऊर्जा संक्रमण नवाचार चुनौती (एनर्जी ट्रांज़िशन इनोवेशन चैलेंज – ईएनटीआईसीई) के लिए एक ऐसा उद्योग भागीदार है, जो लोगों के लिए सकारात्मक ऊर्जा परिवर्तनों में तेजी लाने का एक नवाचार मंच है। चैंबर ने सरकार, शिक्षा और उद्योग के बीच अंतर को पाटने के लिए हरित (ग्रीन) हाइड्रोजन में एक अत्याधुनिक ज्ञान सुविधा केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन ग्रीन हाइड्रोजन-सीओई-जीएच) भी स्थापित किया है। इस केंद्र का लक्ष्य क्षमता निर्माण के लिए साझेदारी को सुविधाजनक बनाना है। इस केंद्र का उद्देश्य सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एसएमई) क्षेत्र की सहायता करने का है जो हरित ऊर्जा परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में एक नया व्यवसाय शुरू करने में भी रुचि रखता है। यह केंद्र भारत में इस प्रकार की एकमात्र सुविधा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने पीएचडीसीसीआई से वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एनसीएल) और केंद्रीय विद्युत रसायन अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीईसीआरआई) ने पुणे स्थित एक सॉफ्टवेयर बहुराष्ट्रीय कंपनी केपीआईटी  लिमिटेड  के साथ  सहयोग से विकसित भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित हाइड्रोजन ईंधन सेल बस का व्यावसायिक उपयोग करने का आह्वान किया। हाइड्रोजन ईंधन सेल बस का पिछले साल अगस्त में डॉ. जितेंद्र सिंह ने वाणिज्यिक उपयोग के लिए उद्घाटन  किया था।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत देश में समग्र नवीकरणीय ऊर्जा आरई क्षमता में 5 गुना वृद्धि की परिकल्पना के साथ विश्व में सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) विस्तार कार्यक्रम लागू कर रहा है।

उन्होंने कहा कि “भारत वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 गीगावॉट की  स्थापित बिजली क्षमता प्राप्त  करने और अब से 2030 तक अनुमानित उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी लाने के लिए प्रतिबद्ध है।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध  भारत  के संघर्ष के सभी  साक्षी हैं । उन्होंने  आगे जोड़ा कि “हमने 2030 पेरिस समझौते के लक्ष्य से बहुत  पहले ही  नवीकरणीय स्रोतों से 40 प्रतिशत ऊर्जा उत्पादन की अपनी प्रतिबद्धता पूरी कर ली है।”

उन्होंने कहा कि सौर एवं जलविद्युत स्रोतों से नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर देने के अलावा, प्रधान मंत्री ने 15 अगस्त, 2021 को लाल किले की प्राचीर से हाइड्रोजन ऊर्जा में प्रमुख प्रगति की घोषणा की थी । भारत ने लागत प्रतिस्पर्धी हरित हाइड्रोजन उत्पादन  को सक्षम करने के लिए राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन भी शुरू किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की ऊर्जा-मिश्रण रणनीतियों में स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों की ओर बड़ा बदलाव, विनिर्माण क्षमता में वृद्धि, ऊर्जा उपयोग दक्षता और उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन सहित हाइड्रोजन के लिए नीतिगत प्रोत्साहन शामिल है । उन्होंने जोर देकर कहा कि अब इसके अतिरिक्त 2जी इथेनॉल पायलट, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए सुविधाजनक  जलवायु बॉक्स, हाइड्रोजन वैलीज़, ऊष्मीकरण एवं प्रशीतन (हीटिंग एंड  कूलिंग) की वर्चुअल रिपॉजिटरी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियां अब सुगमता से उपलब्ध हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने जैव-आधारित अर्थव्यवस्था के लिए एक रोडमैप के साथ ही एक ऐसी रणनीति विकसित की है जो वर्ष 2025 तक 150 अरब (बिलियन) अमेरिकी डॉलर की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इससे कम कार्बन वाले जैव-आधारित उत्पादों के जैव-विनिर्माण के लिए बुनियादी ढांचे की सुविधा मिलेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि भारत सरकार सार्वजनिक- निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से मिशन नवाचार (इनोवेशन) 2.0 के अंतर्गत  स्वच्छ ऊर्जा नवाचारों के लिए वित्त पोषण सुनिश्चित कर रही है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (सीईएम) सेटअप भारत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा विकास में अपना योगदान प्रदर्शित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करने में सक्षम है I  साथ ही उन्होंने कुछ प्रमुख सीईएम पहलों का उल्लेख किया, जिसमें स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (सीईएम) सेटअप का वैश्विक प्रकाश व्यवस्था चुनौती (ग्लोबल लाइटिंग चैलेंज -जीएलसी) अभियान, सडकों के किनारे प्रकाश व्यवस्था का राष्ट्रीय कार्यक्रम (स्ट्रीट लाइटिंग नेशनल प्रोग्राम) और  सभी के लिए लागत प्रभावी कम मूल्य की एलईडी के माध्यम से उन्नत ज्योति (उजाला) कार्यक्रम के अतिरिक्त एक सूर्य- एक विश्व-एक ग्रिड (वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड)  पहल भी  शामिल है जिसे  पहली बार भारत के प्रधानमंत्री द्वारा सौर ऊर्जा की जबरदस्त क्षमता का दोहन करने के लिए शुरू किया गया था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत, “मिशन इनोवेशन” के माध्यम से, प्रेरक नवाचार लक्ष्यों को उत्प्रेरित करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों में सक्रिय रूप से लगा हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि   मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, ग्रीन इंडिया और स्मार्ट सिटीज जैसी राष्ट्रीय मिशन पहलों ने पूरे देश में स्वच्छ ऊर्जा नवाचार के केंद्रों को प्रोत्साहित किया है। मंत्री महोदय  ने कहा कि इसके साथ ही, भारत ने एकीकृत तरीके से प्लास्टिक के एकल उपयोग (सिंगल यूज प्लास्टिक)  के लिए कम कार्बन विकल्प विकसित करने के उद्देश्य से  अनुसंधान एवं विकास पहल भी शुरू की है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री  मोदी ने नवंबर, 2021 में ब्रिटेन के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) में सम्बन्धित पक्षों के सम्मेलन (सीओपी26) के 26वें सत्र में भारत की जलवायु कार्य योजना के पाँच अमृत तत्वों (पंचामृत) को दुनिया के सामने प्रस्तुत करकेअपनी जलवायु कार्य योजना को तेज करने की बात कही थी। उन्होंने कहा किभारत के लिए पंच -आयामी लक्ष्य और 2070 तक सकल (नेट) -शून्य उत्सर्जन के प्रति प्रतिबद्धता के अतिरिक्त , प्रधानमन्त्री मोदी ने एक स्थायी जीवन शैली का पालन करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा बिरादरी द्वारा उठाए गए साहसिक कदमों के माध्यम से वैश्विक मिशन ‘पर्यावरण के लिए जीवन शैली’ (एलआईएफई) बनाने के विचार पर भी जोर दिया था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत जलवायु कार्रवाई की दिशा में अपने लक्ष्यों जैसे- 2030 तक 500 गीगावॉट की गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता तक पहुंचना; 2030 तक 50 प्रतिशत ऊर्जा आवश्यकताओं को नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से पूरा करने ; 2030 तक काबन डाइऑक्साइड (सीओ2)  उत्सर्जन में 1 अरब (बिलियन टन की कमी) लाने; 2030 तक कार्बन की तीव्रता को 45 प्रतिशत से कम करने और 2070 तक शुद्ध -शून्य उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने के  मार्ग को प्रशस्त करने इत्यादि को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि आज जब भारत अपनी स्वतन्त्रता का 75वां वर्ष मना रहा है, तब ऐसे में इंडिया@100 के लिए अगले 25 वर्षों का रोडमैप जीवन के सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचारों द्वारा निर्धारित किया जाएगा ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमन्त्री मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया और इस साल को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाया जा रहा हैI आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के साथ, सरकार स्वास्थ्य देखभाल सुरक्षा को एक नए आकांक्षात्मक स्तर पर ले जा रही है। यह दुनिया का ऐसा सबसे बड़ा सरकारी वित्त पोषित स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है जो 50 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को लक्षित करता है।

इस सब के अतिरिक्त, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत आज विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और पिछले नौ वर्षों में देश में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई लगभग 59 प्रतिशत बढ़ गई है। इस विस्तार के परिणामस्वरूप भारत के पास अब संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है। साथ ही स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत  सरकार ने केवल पांच वर्षों में ही स्वच्छता कवरेज को 2014 के 39 प्रतिशत से बढ़ाकर 2019 तक 100 प्रतिशत करने का असंभव कार्य भी पूरा कर लिया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत  देश के सभी जिलों में 10.28 करोड़ शौचालय बनाए गए तथा महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में 2 अक्टूबर, 2019 को देश ने स्वयं को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया। यह दुनिया का सबसे बड़ा व्यवहार परिवर्तन कार्यक्रम है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘जल जीवन मिशन (जेजेएम) – हर घर जल’ विश्व  की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है। जब अगस्त 2019 में यह  कार्यक्रम शुरू किया गया था, तब हम 17 प्रतिशत पर थे और आज जेजेएम ने देश के 12.75 करोड़ (65.75 प्रतिशत) से अधिक ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल सुनिश्चित करने का एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

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सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे सैंडहर्स्ट अकादमी में 201वीं सॉवरेन परेड का निरीक्षण करने के लिए ब्रिटेन रवाना

सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, सॉवरेन प्रतिनिधि के रूप में प्रतिष्ठित रॉयल मिलिट्री अकादमी, सैंडहर्स्ट में कमीशनिंग कोर्स 223 की 201वीं सॉवरेन परेड की समीक्षा करने के लिए आज ब्रिटेन रवाना हुए।

रॉयल मिलिट्री अकादमी सैंडहर्स्ट में सॉवरेन परेड एक प्रतिष्ठित कार्यक्रम है, यह अपने शानदार इतिहास और दुनिया भर के अधिकारी कैडेटों के पासिंग आउट के लिए जाना जाता है। जनरल मनोज पांडे परेड में सॉवरेन प्रतिनिधि बनने वाले भारत के पहले सेनाध्यक्ष हैं। अपनी यात्रा के दौरान, जनरल मनोज पांडे रॉयल मिलिट्री अकादमी में गौरवपूर्ण स्‍थान रखने वाले भारतीय सेना स्मारक कक्ष का भी दौरा करेंगे।

अपनी ब्रिटेन यात्रा के दौरान, जनरल मनोज पांडे ब्रिटिश सेना के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ जनरल सर पैट्रिक सैंडर्स और ब्रिटेन सशस्त्र बल के वाइस चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल ग्विन जेनकिंस से वार्तालाप करेंगे। वह ब्रिटेन की रणनीतिक कमान के कमांडर जनरल सर जेम्स होकेनहुल, फील्ड आर्मी के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राल्फ वुडडिस और रॉयल मिलिट्री अकादमी सैंडहर्स्ट के कमांडेंट मेजर जनरल ज़ाचरी रेमंड स्टेनिंग के साथ उच्च स्तरीय चर्चा में शामिल भी होंगे। इस चर्चा में समान हितों के विभिन्न मामलों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिसमें रक्षा सहयोग, आतंकवाद विरोधी प्रयास और रणनीतिक योजना शामिल है।

यह यात्रा दोनों देशों के बीच राजनयिक, सैन्य और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच स्‍थापित स्थायी सौहार्द का प्रमाण है जिसे वर्षों के दौरान विकसित किया गया है और यह रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग और सूझबूझ को बढ़ावा देता है।

जनरल मनोज पांडे को यह विशेष निमंत्रण, भारत और ब्रिटेन के बीच दीर्घकालिक सहयोग और मित्रता का साक्षी है। सॉवरेन परेड में जनरल मनोज पांडे की भागीदारी सैन्य संबंधों को बढ़ाने और वैश्विक मंच पर शांति एवं सुरक्षा में वृद्धि करने की निरंतर प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह आपसी सम्मान और प्रशंसा का एक उपयुक्त उदाहरण है, जो भारत-ब्रिटेन के बीच के संबंधों की मजबूत नींव को और सुदृढ़ बनाता है।

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धर्मेंद्र प्रधान ने जी. किशन रेड्डी और श्री राजीव चंद्रशेखर के साथ 360 करोड़ रुपये के वित्तीय आवंटन के साथ उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिए विशेष कौशल पहल शुरू की, जिससे 2.5 लाख युवाओं को लाभ होगा

उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) में एक मजबूत कौशल-केंद्रित और उद्योग के लिए तैयार इकोसिस्टम बनाने के लिए केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान तथा संस्कृति, पर्यटन एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास-(डीओएनईआर) मंत्री श्री जी किशन रेड्डी तथा केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमशीलता, इलेक्ट्रॉनिकी एवं आईटी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने आज नई दिल्ली में ‘जीवन में बदलाव, भविष्य का निर्माण: उत्तर-पूर्व में कौशल विकास और उद्यमिता’ पर एक विशेष पहल का उद्घाटन किया।

इस पहल के तहत, एनईआर के 2.5 लाख युवाओं को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), राष्‍ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) और जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) सहित कई योजनाओं एवं पहलों की एक विस्तृत श्रृंखला के माध्यम से उद्योग के लिए प्रासंगिक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे।

सरकार ने समावेशी विकास को बढ़ावा देने, उद्यमशील प्रतिभा को पोषित करने और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए 360 करोड़ रुपये का पर्याप्त कोष निर्धारित किया है। आगे विकास को गति देने के लिए, कृषि, पर्यटन, हस्तशिल्प और सूचना प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों की मांग को पूरा करने के लिए व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रम शुरू करने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।

इस कार्यक्रम को असम सरकार में लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग, कौशल विकास रोजगार एवं उद्यमशीलता और पर्यटन मंत्री श्री जयंत मल्ला बरुआ; नागालैंड सरकार में विधायक और श्रम, रोजगार, कौशल विकास और उद्यमशीलता और उत्पाद शुल्क विभाग में सलाहकार श्री मोआतोशी लोंगकुमेर; सिक्किम सरकार में सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग और जल सुरक्षा, जल संसाधन और नदी विकास, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री श्री भीम हैंग लिंबू और केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय में सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी ने कार्यक्रम को संबोधित किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह कार्यक्रम युवाओं के लिए उनकी दिलचस्पी वाले क्षेत्रों के अनुरूप कौशल विकास के अभूतपूर्व अवसर पैदा करेगा और पूर्वोत्तर के युवाओं की क्षमताओं को सामने लाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे देश का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों एवं जनसांख्यिकीय लाभांश से संपन्न है और हमारी सरकार ने संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण के साथ इस क्षेत्र के अभूतपूर्व विकास के लिए काम किया है।

उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम से इन प्रयासों को और गति मिलेगी तथा साथ ही, क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक बदलाव को बढ़ावा देगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को विकसित और आत्मनिर्भर बनाने की कल्पना की है और इस सपने को साकार करने के लिए एक मजबूत कौशल विकास मिशन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हम भारत को दुनिया की कौशल राजधानी बनाने के लिए काम कर रहे हैं।

इस पहल की सराहना करते हुए श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि एमएसडीई की इस पहल से पहले चरण में 2.5 लाख से अधिक युवाओं को लाभ होगा, जिससे वे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नौकरी के लिए तैयार होंगे। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र को विकास का इंजन बनाने की दिशा में श्री नरेन्द्र मोदी की अगुआई वाली सरकार का एक और प्रयास है।

श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि पिछले 9 वर्षों के दौरान, हमारे प्रधानमंत्री ने शिक्षा, कौशल और नवाचार पर जोर देकर एक अनुकूल कौशल इकोसिस्टम बनाने के लिए लगातार काम किया है। अब हम वर्तमान रुझानों के साथ भविष्य की ओर देख रहे हैं जिससे हमारी कौशल रणनीतियों को आकार मिल सकता है। उन्होंने कहा कि हम जनसांख्यिकी के साथ दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक हैं जो वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के लिए बहुत प्रासंगिक है। उद्यमिता और नौकरियों दोनों में बड़ी संख्या में नए अवसर पैदा होने के साथ, कौशल की आवश्यकता बढ़ गई है। जीवन बदलना और भविष्य बनाना सिर्फ एक नारा नहीं है, बल्कि यह हमारे उत्तर-पूर्व के युवा भारतीयों के लिए एक मिशन है। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि नए भारत का भविष्य उज्ज्वल है और कौशल समृद्धि का पासपोर्ट है।

उत्तर-पूर्व में कौशल विकास और उद्यमिता पहल राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के साथ पाठ्यक्रमों में सुधार पर जोर देती है, जो अच्छी तरह से तैयार पेशेवरों को विकसित करने के लिए एक डिजिटल बुनियादी ढांचे द्वारा समर्थित है। कार्यक्रम में कौशल मांग को समेकित करने, प्रशिक्षण मॉड्यूल को सरल बनाने, पाठ्यक्रम विकास और ‘सीखने के साथ-साथ कमाएं’ मोड में अपने कौशल सेट को उन्नत करने के लिए प्रशिक्षण बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में उद्योग की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता पर भी विचार-विमर्श किया गया।

“जीवन में परिवर्तन – भविष्य का निर्माण: उत्तर-पूर्व में कौशल और उद्यमिता विकास” की विशेष पहल में ये अहम बिंदु शामिल होंगे:

  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के तहत 2 लाख कौशल प्रशिक्षण
  • राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) के तहत 30,000 शिक्षुओं (अप्रेंटिस) की नियुक्ति
  • जन शिक्षण संस्थानों (जेएसएस) के तहत 20,000 लोगों को को कुशल बनाया जाएगा
  • औद्योगिक मूल्य संवर्धन के लिए कौशल सुदृढ़ीकरण (स्ट्राइव) के अंतर्गत आईटीआई की गुणवत्ता में वृद्धि
  • पॉलिटेक्निक का सुदृढ़ीकरण
  • संकल्प के तहत उत्तर-पूर्व क्षेत्र की विशेष जरूरतों के लिए विशेष परियोजनाएं शुरू की जाएंगी
  • विदेशी नौकरी के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर स्थापित किया जाएगा।

पिछले नौ वर्षों में, एमएसडीई ने उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में आईटीआई की नेटवर्क संख्या बढ़ाकर 106 कर दी है। इसके माध्यम से 3 लाख से अधिक लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया है और भारतीय उद्यमिता संस्थान (आईआईई) के माध्यम से 1000 उद्यमियों को सहायता प्रदान की है। एमएसडीई ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के तहत वस्‍त्र, हथकरघा, निर्माण, परिधान, कृषि, इलेक्ट्रॉनिक्स और स्वास्थ्य सेवा में लगभग 12 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया है।

राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) ने उत्तर-पूर्व में पिछले 7 वर्षों में 1,693 प्रतिष्ठानों के 38,240 उम्मीदवारों को प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान की है। इसके अलावा, केंद्र ने जेएसएस में 72 प्रतिशत से अधिक महिला लाभार्थियों के साथ 98,000 से अधिक लाभार्थियों को प्रशिक्षित करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक मजबूत कौशल इकोसिस्टम बनाने, कार्यक्षेत्र और रोजगार कौशल के साथ युवाओं को सशक्त बनाने के लिए एक प्रमाण के रूप में खड़ा है।

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बंदरगाहों तक रेल और सड़क की कनेक्टिविटी

देश के सभी प्रमुख बंदरगाह रेल और चार लेन सड़क या राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े हुए हैं। राज्य सरकारों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कार्गो हैंडलिंग वाले प्रमुख बंदरगाहों (गैर-प्रमुख बंदरगाहों) के अलावा, 66 बंदरगाहों में से 13 रेल से जुड़े हुए हैं, जबकि 24 चार लेन सड़क/राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े हुए हैं।

देश में, राज्यवार, बंदरगाह जो कोयला, सीमेंट, उर्वरक, पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पाद की ढुलाई करते हैं, के विवरण संलग्न हैं [अनुलग्नक]।

वर्ष 2022-23 में भारतीय बंदरगाहों पर हैंडल किए गए कुल 1129.63 मिलियन टन कार्गो यातायात में से, गुजरात और आंध्र प्रदेश राज्य के बंदरगाहों ने क्रमशः 493.85 मिलियन टन और 133.32 मिलियन टन का प्रबंधन किया।

अनुलग्नक

क्र.सं राज्य/केंद्र शासित प्रदेश कोयले की हैंडलिंग करने वाले बंदरगाहों की संख्या उर्वरकों की हैंडलिंग करने वाले बंदरगाहों की संख्या, सीमेंट की हैंडलिंग करने वाले बंदरगाहों की संख्या पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की हैंडलिंग करने वाले बंदरगाहों की संख्या
1 गुजरात 15 6 7 9
2 महाराष्ट्र 7 3 5 3
3 गोवा 2 1 0 1
4 कर्नाटक 1 1 2 2
5 केरल 0 0 2 2
6 तमिलनाडु 2 1 2 7
7 आंध्र प्रदेश 4 4 1 2
8 ओडिशा 3 2 0 1
9 पश्चिम बंगाल 2 2 2 2
10 पुडुचेरी 1 0 1 2
11 अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह 0 0 9 2

 

यह जानकारी केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में दी।

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राष्ट्रपति ने पुद्दुचेरी में नागरिक अभिनंदन समारोह में भाग लिया; जिपमेर में लीनियर एक्सेलेरेटर और विल्लियानूर में 50 बिस्तरों वाले अस्पताल का उद्घाटन किया

महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने पुद्दुचेरी सरकार द्वारा अपने सम्मान में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में भाग लिया। उन्होंने आज (7 अगस्त, 2023) जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (जिपमेर) में लीनियर एक्सेलेरेटर का उद्घाटन किया। उन्होंने विल्लियानूर में स्थित 50 बिस्तरों वाले अस्पताल का भी आभासी रूप से उद्घाटन किया।

सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पुद्दुचेरी में हमें  विविध सांस्कृतिक धाराओं का मिश्रण देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि यहां तमिल, तेलुगु और मलयाली प्रभाव के साथ-साथ फ्रांसीसियों  का प्रभाव भी  देखने को मिलता है। राष्ट्रपति ने कहा कि वास्तुकला, त्यौहार और जीवनशैली सामंजस्यपूर्ण ढंग से एकसाथ मिलकर विविध प्रभावों को प्रतिबिंबित करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश पुद्दुचेरी ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय एजेंसी द्वारा किए गए अध्ययन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच पुद्दुचेरी के सामाजिक प्रगति सूचकांक स्कोर 2022 में पहले स्थान पर आने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पुद्दुचेरी ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद, आश्रय, जल और स्वच्छता के मापदंडों पर बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। राष्ट्रपति ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि पुद्दुचेरी देश में सबसे अधिक साक्षरता दर वाले राज्यों में से एक है और यहां का महिला-पुरुष अनुपात भी महिलाओं के प्रति अनुकूल रहा है। उन्होंने कहा कि इन तथ्यों से जाहिर होता है कि पुद्दुचेरी के लोग महिला-पुरुष समानता में विश्वास रखते हैं। उन्होंने विकास और प्रगति के प्रति आधुनिक और संवेदनशील दृष्टिकोण के लिए पुद्दुचेरी के निवासियों की सराहना की।

राष्ट्रपति ने कहा कि पुद्दुचेरी तेजी से वैश्विक रुझान के रूप में पनप रहे आध्यात्मिक पर्यटन के लिए अद्भुत गंतव्य है और इसमें इस क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रबल प्रोत्साहन देने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि पर्यटन में वृद्धि के साथ-साथ स्वास्थ्य पर्यटन और इको-पर्यटन से संबंधित गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।

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चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय ने चिकित्सा और कल्याण पर्यटन के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति और रोडमैप तैयार किया है

देश में चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय ने चिकित्सा और कल्याण पर्यटन के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति और रोडमैप तैयार किया है। रणनीति ने निम्नलिखित प्रमुख स्तंभों की पहचान की है:
  1. भारत के लिए एक कल्याण गंतव्य के रूप में एक ब्रांड विकसित करना
  2. चिकित्सा और कल्याण पर्यटन के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना
  3. ऑनलाइन मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (एमवीटी) पोर्टल स्थापित करके डिजिटलीकरण को सक्षम करना
  4. चिकित्सा मूल्य यात्रा के लिए पहुंच में वृद्धि
  5. कल्याण पर्यटन को बढ़ावा देना
  6. शासन और संस्थागत ढांचा

हालाँकि, अपनी वर्तमान में चल रही गतिविधियों के हिस्से के रूप में, पर्यटन मंत्रालय, देश के विभिन्न पर्यटन स्थलों और उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए, ‘अतुल्य भारत’ ब्रांड-लाइन के अंतर्गत, विदेशों में महत्वपूर्ण और संभावित बाजारों में वैश्विक प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन मीडिया अभियान जारी करता है। चिकित्सा पर्यटन विषय सहित विभिन्न विषयों पर मंत्रालय के सोशल मीडिया खातों के माध्यम से डिजिटल प्रचार भी नियमित रूप से किया जाता है।भारत सरकार ने 30.11.2016 को कैबिनेट की मंजूरी के अनुसार ई-टूरिस्ट वीज़ा योजना को उदार  बनाया और ई-टूरिस्ट वीज़ा (ईटीवी) योजना का नाम बदलकर ई-वीज़ा योजना कर दिया गया और वर्तमान में, इसमें ई-मेडिकल वीज़ा और ई-मेडिकल अटेंडेंट वीजा शामिल हैं जो कि ई-वीज़ा की उप-श्रेणियां हैं।ई-मेडिकल वीज़ा और ई-मेडिकल अटेंडेंट वीज़ा के मामले में, ट्रिपल एंट्री की अनुमति है और विदेशी क्षेत्रीय  पंजीकरण अधिकारियों (एफआरआरओ)/संबंधित विदेशी पंजीकरण अधिकारियों द्वारा प्रत्येक मामले के आधार पर और साथ ही मामले की योग्यता के आधार पर 6 महीने तक का विस्तार दिया जा सकता है। मेडिकल अटेंडेंट वीज़ा प्रमुख ई-वीज़ा धारक की वैधता के साथ सह-टर्मिनस था। इसके अलावा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अन्य मंत्रालयों और हितधारकों जैसे अस्पतालों, मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (एमवीटी) सुविधाप्रदाताओं, बीमा कंपनियों और एनएबीएच के साथ देश में चिकित्सा मूल्य यात्रा को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। यह जवाब आज लोकसभा में संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने दिया।

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‘मेरी लाइफ, मेरा स्वच्छ शहर’ अभियान

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) के सहयोग से 15 मई 2023 से 5 जून, 2023, विश्व पर्यावरण दिवस तक की 3 सप्ताह की अवधि के लिए ‘मेरी लाइफ, मेरा स्वच्छ शहर’ अभियान शुरू किया। यह अभियान नागरिकों, संस्थानों, वाणिज्यिक उद्यमों आदि के लिए अप्रयुक्त या प्रयुक्त प्लास्टिक की वस्तुओं, कपड़ों, जूतों, किताबों और खिलौनों को जमा करने के वन-स्टॉप समाधान के रूप में ‘रिड्यूस, रीयूज़, रीसायकल’ (आरआरआर) केंद्र स्थापित करने के लिए शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को सशक्त बनाने पर केंद्रित है। आरआरआर केंद्रों का राज्यवार विवरण सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है और इसे http://sbmurban.org/rrr-centers पर देखा जा सकता है।

‘मेरी लाइफ, मेरा स्वच्छ शहर’ केवल एक योजना भर नहीं है,  बल्कि यह एसबीएम-यू 2.0 के तहत यूएलबी द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा एक सार्वजनिक आउटरीच और जनता को बड़े पैमाने पर संबद्ध करने से संबंधित अभियान है। इस अभियान के लिए भारत सरकार ने किसी अलग संगठन का गठन नहीं किया है।

इस अभियान का उद्देश्य मिशन लाइफ के बारे में जागरूकता फैलाना और अपशिष्ट उत्पादन में कमी लाने, संसाधन संरक्षण को बढ़ावा देने और अपने रोजमर्रा के जीवन में ‘रिड्यूस, रीयूज़, रीसायकल’ (आरआरआर) को अपनाकर स्वच्छ और हरित पर्यावरण में योगदान देने के लिए नागरिकों के व्यवहार में बदलाव लाना है। इसका उद्देश्य पद्धतियों को शहरी स्वच्छता इको-सिस्टम में एकीकृत करके चक्रीय अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है, जो अपशिष्ट में कमी लाती है, संसाधनों के उपयोग को अधिकतम करती है तथा वर्तमान और भावी पीढ़ियों दोनों का कल्याण सुनिश्चित करती है।

नागरिकों को इस मुहिम से जोड़ने के लिए घर-घर जाकर जागरूकता अभियान, सोशल मीडिया अभियान के साथ-साथ प्रभावशाली लोगों को इसमें शामिल करने जैसे उपाय किए गए हैं। एमओएचयूए ने शहरी स्थानीय निकायों के लिए अभियान संबंधी दिशानिर्देश भी जारी किए, जिन्हें http://sbmurban.org/storage/app/media/%20Meri-LiFE-Mera-Swachh-Shehar-SOP-for-States-and-Cities-12th-May-2023.pdf पर देखा जा सकता है।

यह जानकारी आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री कौशल किशोर ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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ग्राम पंचायतों का डिजिटलीकरण

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत पंचायती राज मंत्रालय देश के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ई-पंचायत मिशन मोड परियोजना का (एमएमपी) क्रियान्वयन कर रहा है। इसका उद्देश्य पंचायतों की कार्य प्रणाली में सुधार लाना और उन्हें अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी बनाना है। मंत्रालय ने योजना, लेखा और बजट जैसे पंचायत कार्यों को सरल बनाने के लिए एक लेखा अनुप्रयोग ई ग्राम स्वराज (eGramSwaraj) की शुरुआत की है। मंत्रालय ने विक्रेताओं/सेवा प्रदाताओं को वास्तविक समय पर भुगतान करने के लिए ग्राम पंचायतों (जीपी) के लिए सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के साथ ई-ग्राम स्वराज को भी एकीकृत किया है। पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष के दौरान ई-ग्राम स्वराज के अंतर्गत उत्तर प्रदेश सहित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा की गई प्रगति का ब्यौरा अनुलग्नक में दिया गया है।

इसके अलावा, दूरसंचार विभाग (डीओटी) देश में सभी ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए भारतनेट परियोजना को लागू कर रहा है। एक लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ने की परियोजना का पहला चरण दिसंबर 2017 में पूरा हो चुका है। भारतनेट के पहले चरण के तहत 1.23 लाख ग्राम पंचायतों में से लगभग 1.22 लाख ग्राम पंचायतों को सेवा के लिए तैयार किया गया था। शेष ग्राम पंचायतों से जुड़ने के लिए दूसरे चरण का कार्यान्वयन प्रगति पर है। भारतनेट के दूसरे चरण के अंतर्गत 1.44 लाख आबंटित ग्राम पंचायतों में से 77,000 से अधिक ग्राम पंचायतों को सेवा के लिए तैयार कर दिया गया है।

पंचायती राज मंत्रालय योजनाओं और कार्यक्रमों के तहत वित्तीय तथा तकनीकी सहायता के माध्यम और समय-समय पर सलाह जारी करके राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पीआरआई के सुदृढ़ीकरण और विकास के लिए कई अन्य कदम उठा रहा है। उठाए गए विभिन्न उपायों में अच्छा कार्य करने वाली पंचायतों को प्रोत्साहित करना, पंचायतों के क्षमता निर्माण के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना है ताकि वे प्रभावी ढंग और कुशलता से हस्तांतरित कार्यों को निष्पादित कर सकें। इसके अलावा, बजट, लेखांकन और लेखा परीक्षा की प्रणालियों को सुदृढ़ करना और पंचायतों द्वारा सहभागी ग्राम पंचायत विकास योजनाएं तैयार करने में राज्यों की सहायता करना शामिल है।

अनुलग्नक

वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान पंचायत स्तर पर अपनाया गया ईग्राम स्वराज

क्रं. संख्या राज्य का नाम 2020-21 2021-22 2022-23 2023-24
ग्राम पंचायतों की कुल संख्या और समतुल्य ग्राम पंचायत में लागू ऑनलाइन भुगतान सुविधा के साथ ग्राम पंचायत और समतुल्य ग्राम पंचायतों की कुल संख्या और समतुल्य ग्राम पंचायत में लागू ऑनलाइन भुगतान सुविधा के साथ ग्राम पंचायत और समतुल्य ग्राम पंचायतों की कुल संख्या और समतुल्य ग्राम पंचायत में लागू ऑनलाइन भुगतान सुविधा के साथ ग्राम पंचायत और समतुल्य ग्राम पंचायतों की कुल संख्या और समतुल्य ग्राम पंचायत में लागू ऑनलाइन भुगतान सुविधा के साथ ग्राम पंचायत और समतुल्य
1 आंध्र प्रदेश 13422 8843 0 13371 8840 0 13371 8763 2 13371 8763 0
2 अरुणाचल प्रदेश 2100 2068 0 2114 2096 0 2108 2096 1218 2108 2096 688
3 असम 2664 2197 2197 2664 2197 1973 2662 2197 2185 2662 2197 2111
4 बिहार 8387 8387 15 8221 8220 7924 8176 8175 7954 8176 8175 6782
5 छत्तीसगढ़ 11666 11663 11388 11658 11657 11303 11659 11658 11546 11659 11658 7405
6 गोवा 191 191 98 191 191 169 191 191 138 191 191 40
7 गुजरात 14308 14237 1 14343 14239 13168 14400 14272 13435 14589 14272 10616
8 हरियाणा 6304 6258 4497 6237 6204 3653 6230 6198 3768 6226 6188 4090
9 हिमाचल प्रदेश 3654 3613 29 3616 3613 1321 3615 3613 3563 3615 3613 2948
10 जम्मू और कश्मीर 4277 4276 4231 4291 4290 4251 4291 4290 4221 4291 4290 176
11 झारखंड 4364 4364 4268 4353 4352 4348 4345 4344 4338 4345 4344 4171
12 कर्नाटक 6008 6008 5940 5968 5967 5919 5958 5958 5942 5958 5958 5626
13 केरल 941 941 0 941 941 941 941 941 940 941 941 614
14 लद्दाख 193 193 173 193 193 151 193 193 82 193 193 0
15 मध्य प्रदेश 22813 22808 22496 23129 23069 22126 23032 22991 21495 23032 22991 18345
16 महाराष्ट्र 27903 27810 1264 27902 27813 18364 27900 27783 26185 27555 27448 18499
17 मणिपुर 3811 161 160 3812 161 153 3812 161 160 3812 161 0
18 मेघालय 6758 0 0 6760 0 0 6760 0 0 6760 0 0
19 मिजोरम 834 834 2 834 834 832 834 834 764 834 834 27
20 नागालैंड 1280 5 0 1293 5 0 1293 5 0 1293 5 0
21 ओडिशा 6798 6798 6714 6798 6798 6734 6798 6798 6773 6798 6798 6228
22 पंजाब 13270 13206 8082 13268 13207 10309 13241 13183 9813 13241 13183 7284
23 राजस्थान 11347 11314 3858 11343 11316 8493 11342 11315 11244 11342 11315 7936
24 सिक्किम 185 181 4 185 181 130 199 181 175 199 181 138
25 तमिलनाडु 12519 12490 7986 12525 12496 7783 12525 12494 12029 12525 12494 10835
26 तेलंगाना 12771 12765 0 12773 12767 0 12769 12767 12543 12769 12767 12451
27 दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव 38 0 0 38 0 0 38 0 0 38 0 0
28 त्रिपुरा 1178 1178 1176 1178 1178 1177 1178 1178 1158 1178 1178 911
29 उत्तराखंड 7791 7791 7763 7791 7791 6291 7812 7811 7730 7812 7811 7316
30 उत्तर प्रदेश 58984 58950 58425 58842 58810 57857 58842 58810 58151 58853 58821 51048
31 पश्चिम बंगाल 3340 3229 1863 3340 3229 3213 3340 3229 3223 3340 3229 3218
कुल 270099 252759 152630 269972 252655 198583 269855 252429 230775 269706 252095 189503

 

यह जानकारी केन्द्रीय पंचायती राज के राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर के रूप में दी।

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प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के पुणे में विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री  मोदी ने आज पुणे मेट्रो के पूर्ण हो चुके खंडों के उद्घाटन के अवसर पर मेट्रो ट्रेनों को झंडी दिखाई। उन्होंने पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम (पीसीएमसी) द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित 1280 से अधिक घर और पुणे नगर निगम द्वारा निर्मित 2650 से अधिक पीएमएवाई के तहत तैयार किए गए घर भी लाभार्थियों को सौंपे। उन्होंने पीसीएमसी द्वारा निर्मित किए जाने वाले लगभग 1190 पीएमएवाई घरों और पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण द्वारा निर्मित किए जाने वाले 6400 से अधिक घरों की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने पीसीएमसी के तहत लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किए गए अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र का भी उद्घाटन किया।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अगस्त उत्सव और क्रांति का महीना है। स्वतंत्रता संग्राम में पुणे शहर के योगदान पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महानगर ने बाल गंगाधर तिलक सहित देश को कई स्वतंत्रता सेनानी दिए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आज महान अन्ना भाऊ साठे की जयंती है जो एक समाज सुधारक थे और डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के आदर्शों से प्रेरित थे। प्रधानमंत्री ने आज भी बताया कि कई छात्र और शिक्षाविद् उनके साहित्यिक कार्यों पर शोध करते हैं और उनके कार्य और आदर्श सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, “पुणे एक जीवंत शहर है जो देश की अर्थव्यवस्था को गति देता है और पूरे देश के युवाओं के सपनों को पूरा करता है। आज की लगभग 15 हजार करोड़ की परियोजनाएं इस पहचान को और मजबूत करेंगी।”

प्रधानमंत्री ने शहरी मध्यम वर्ग के जीवन की गुणवत्ता को लेकर सरकार की गंभीरता की ओर लोगों का ध्‍यान दिलाया। प्रधानमंत्री ने पांच साल पहले मेट्रो के काम की शुरुआत को याद करते हुए कहा कि इस अवधि में 24 किलोमीटर का मेट्रो नेटवर्क पहले ही काम करना शुरू कर चुका है।

श्री मोदी ने हर शहर में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सार्वजनिक परिवहन के बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कारण से मेट्रो नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है, नए फ्लाईओवर बनाए जा रहे हैं और ट्रैफिक लाइटों की संख्या कम करने पर जोर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 से पहले देश में केवल 250 किलोमीटर का मेट्रो नेटवर्क था और ज्यादातर मेट्रो लाइनें दिल्ली तक ही सीमित थीं, जबकि आज देश में मेट्रो नेटवर्क 800 किलोमीटर से ज्यादा हो गया है और 1000 किलोमीटर की नई मेट्रो लाइनों पर काम चल रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 से पहले मेट्रो नेटवर्क भारत के केवल 5 शहरों तक ही सीमित था, जबकि आज मेट्रो पुणे, नागपुर और मुंबई सहित 20 शहरों में काम कर रही है, जहां नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने पुणे जैसे शहर में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मेट्रो विस्तार की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, “मेट्रो आधुनिक भारत के शहरों के लिए एक नई जीवन रेखा बन रही है।”

श्री मोदी ने शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार में स्वच्छता की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, स्वच्छ भारत अभियान केवल शौचालय तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अपशिष्ट प्रबंधन भी एक बड़ा फोकस क्षेत्र है। मिशन मोड में कूड़े के पहाड़ हटाये जा रहे हैं। उन्होंने पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम (पीसीएमसी) के तहत अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र के लाभों के बारे में बताया।

प्रधानमंत्री ने अपनी टिप्पणी में कहा, “आजादी के बाद से ही महाराष्‍ट्र के औद्योगिक विकास ने भारत के औद्योगिक विकास को निरंतर गति दी है।” राज्य में औद्योगिक विकास को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र में सरकार द्वारा किए जा रहे अभूतपूर्व निवेश के बारे में चर्चा की। उन्होंने राज्य में नए एक्सप्रेसवे, रेलवे मार्गों और हवाई अड्डों के विकास का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि रेलवे के विस्तार के लिए 2014 से पहले की तुलना में खर्च में बारह गुना वृद्धि हुई है। महाराष्ट्र के विभिन्न शहर पड़ोसी राज्यों के आर्थिक केंद्रों से भी जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री ने मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल का उदाहरण दिया, जिससे महाराष्ट्र और गुजरात दोनों को लाभ होगा, दिल्ली-मुंबई आर्थिक गलियारा जो महाराष्ट्र को मध्य प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य राज्यों से जोड़ेगा, राष्ट्रीय समर्पित माल ढुलाई गलियारा जो बदलाव लाएगा। महाराष्ट्र और उत्तर भारत के बीच रेल संपर्क, और राज्य को छत्तीसगढ़, तेलंगाना, अन्य पड़ोसी राज्यों से जोड़ने के लिए ट्रांसमिशन लाइन नेटवर्क, जिससे उद्योगों, तेल और गैस पाइपलाइनों, औरंगाबाद औद्योगिक शहर, नवी मुंबई हवाई अड्डे और शेंद्रा बिडकिन औद्योगिक पार्क को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि ऐसी परियोजनाएं महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा का संचार करने की क्षमता रखती हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य के विकास से देश के विकास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा, “जब महाराष्ट्र विकसित होगा, तो भारत विकसित होगा। जब भारत बढ़ेगा, तो महाराष्ट्र को भी लाभ मिलेगा।” नवाचार और स्टार्टअप के केंद्र के रूप में भारत की बढ़ती पहचान के बारे में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने 9 साल पहले कुछ सौ की तुलना में 1 लाख स्टार्टअप को पार कर लिया है। उन्होंने इस सफलता के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे के विस्तार को श्रेय दिया और भारत के डिजिटल बुनियादी ढांचे की नींव में पुणे की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा, “सस्ता डेटा, किफायती फोन और हर गांव तक पहुंचने वाली इंटरनेट सुविधाओं ने इस क्षेत्र को मजबूत किया है। भारत 5जी सेवाओं के सबसे तेज़ रोलआउट वाले देशों में से एक है।” उन्होंने यह भी कहा कि फिनटेक, बायोटेक और एग्रीटेक में युवाओं द्वारा की गई प्रगति से पुणे को फायदा हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कर्नाटक और बेंगलुरु के लिए राजनीतिक स्वार्थ के परिणामों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कर्नाटक और राजस्थान में विकास ठप होने पर भी अफसोस जताया।

श्री मोदी ने कहा, “देश को आगे ले जाने के लिए नीति, नियत और नियम (नीति निष्ठा और नियम) भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।” उन्होंने कहा कि यह विकास के लिए एक निर्णायक शर्त है। उन्होंने बताया कि 2014 से पहले के 10 सालों में उस वक्त की दो योजनाओं में सिर्फ 8 लाख घर बने थे। उन्होंने बताया कि लाभार्थियों ने महाराष्ट्र में 50 हजार सहित 2 लाख से अधिक ऐसे घरों को खराब गुणवत्ता के कारण खारिज कर दिया।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि सरकार ने सही इरादे से काम करना शुरू किया और 2014 में सत्ता में आने के बाद नीति में बदलाव किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले 9 वर्षों में सरकार ने गांवों और शहरी गरीबों के लिए 4 करोड़ से अधिक पक्के घर बनाए हैं, जबकि शहरी गरीबों के लिए 75 लाख से अधिक घर बनाए गए हैं। उन्होंने निर्माण में लाई गई पारदर्शिता और उनकी गुणवत्ता में सुधार पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी बताया कि देश में पहली बार अधिकांश पंजीकृत घर आज महिलाओं के नाम पर हैं। यह देखते हुए कि इन घरों की लागत कई लाख रुपये है, प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले 9 वर्षों में देश में करोड़ों महिलाएं अब ‘लखपति’ बन गई हैं। प्रधानमंत्री ने उन सभी लोगों को बधाई और शुभकामनाएं दीं जिन्होंने अपना नया घर पाया है।

उन्होंने कहा, ”गरीब हो या मध्यमवर्गीय परिवार, हर सपने को पूरा करना मोदी की गारंटी है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि एक सपने के साकार होने से कई संकल्पों की शुरुआत होती है और यह उस व्यक्ति के जीवन में प्रेरक शक्ति बन जाती है। उन्होंने कहा, “हमें आपके बच्चों, आपकी वर्तमान और आपकी आने वाली पीढ़ियों की परवाह है।”

संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने एक मराठी कहावत उद्धृत करते हुए कहा कि सरकार का प्रयास न केवल आज को बेहतर बनाना है बल्कि कल को भी बेहतर बनाना है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के निर्माण का संकल्प इसी भावना की अभिव्यक्ति है। श्री मोदी ने महाराष्ट्र में एक ही उद्देश्य के साथ एक साथ आने वाली कई अलग-अलग पार्टियों की तरह एक साथ काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने अंत में कहा, “उद्देश्य यह है कि सभी की भागीदारी से महाराष्ट्र के लिए बेहतर काम किया जा सके, महाराष्ट्र का तेज गति से विकास हो।”

इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फड़नवीस और श्री अजीत पवार और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और अन्य लोग उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने पुणे मेट्रो चरण-I के दो गलियारों के पूर्ण खंडों पर सेवाओं के उद्घाटन के अवसर पर मेट्रो ट्रेनों को झंडी दिखाई। ये खंड फुगेवाड़ी स्टेशन से सिविल कोर्ट स्टेशन और गरवारे कॉलेज स्टेशन से रूबी हॉल क्लिनिक स्टेशन तक हैं। परियोजना की आधारशिला भी 2016 में प्रधानमंत्री द्वारा रखी गई थी। नए खंड पुणे शहर के महत्वपूर्ण स्थानों जैसे शिवाजी नगर, सिविल कोर्ट, पुणे नगर निगम कार्यालय, पुणे आरटीओ और पुणे रेलवे स्टेशन को जोड़ देंगे। यह उद्घाटन पूरे देश में नागरिकों को आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल व्यापक तीव्र शहरी परिवहन प्रणाली प्रदान करने के प्रधानमंत्री के विजन को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मार्ग पर कुछ मेट्रो स्टेशनों का डिज़ाइन छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरणा ग्रहण करता है। छत्रपति संभाजी उद्यान मेट्रो स्टेशन और डेक्कन जिमखाना मेट्रो स्टेशनों का अनोखा डिज़ाइन छत्रपति शिवाजी महाराज के सैनिकों द्वारा पहनी जाने वाली टोपी से मिलता-जुलता है – जिसे ‘मावला पगड़ी’ के नाम से भी जाना जाता है। शिवाजी नगर भूमिगत मेट्रो स्टेशन का एक विशिष्ट डिज़ाइन है जो छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित किलों की याद दिलाता है।

एक अनूठी विशेषता यह है कि सिविल कोर्ट मेट्रो स्टेशन देश के सबसे गहरे मेट्रो स्टेशनों में से एक है, जिसकी सबसे अधिक गहराई 33.1 मीटर है। स्टेशन की छत इस तरह बनाई गई है कि प्लेटफॉर्म पर सीधी धूप पड़े।

सभी के लिए आवास प्राप्त करने के मिशन की दिशा में आगे बढ़ते हुए, प्रधानमंत्री ने पीसीएमसी द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित 1280 से अधिक घरों के साथ-साथ पुणे नगर निगम द्वारा निर्मित 2650 से अधिक पीएमएवाई घरों को सौंप दिया। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने पीसीएमसी द्वारा निर्मित किए जाने वाले लगभग 1190 पीएमएवाई घरों और पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण द्वारा निर्मित 6400 से अधिक घरों की आधारशिला भी रखी।

प्रधानमंत्री ने पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम (पीसीएमसी) के तहत अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया। इसे लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है, जो बिजली उत्पादन के लिए सालाना लगभग 2.5 लाख मीट्रिक टन कचरे का इस्‍तेमाल करेगा।

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