प्रधानमंत्री ने एक्स पर किए गए अपने पोस्ट में कहा-
“ये महत्वपूर्ण परियोजनाएं हैं सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में काफी सहायता करेंगी!
प्रधानमंत्री ने एक्स पर किए गए अपने पोस्ट में कहा-
“ये महत्वपूर्ण परियोजनाएं हैं सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में काफी सहायता करेंगी!
इस प्रस्ताव का मूल्यांकन सेबी, आरबीआई, सीसीआई और अन्य संबंधित एजेंसियों द्वारा किया गया है। संबंधित विभागों, आरबीआई और सेबी द्वारा प्रस्ताव की जांच के बाद स्वीकृति दी गई है और यह इस संबंध में लागू सभी नियमों और विनियमों की पूर्ति के अधीन है।
विदेशी निवेशक कंपनी, मैसर्स बरहयांदा लिमिटेड में संपूर्ण निवेश एडवेंट फंड्स के पास है, जो विभिन्न लिमिटेड पार्टनर्स (एलपी) से निवेश एकत्र करता है। एडवेंट फंड का प्रबंधन एडवेंट इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन द्वारा किया जाता है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका की एक निगमित इकाई है। 1984 में स्थापित एडवेंट इंटरनेशनल कॉरपोरेशन ने 42 देशों में लगभग 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है। एडवेंट इंडिया ने 2007 से भारत में निवेश का शुभारंभ किया है और अब तक इसने स्वास्थ्य सेवा, वित्तीय सेवाओं, औद्योगिक विनिर्माण, उपभोक्ता वस्तुओं और आईटी सेवा क्षेत्रों की 20 भारतीय कंपनियों में लगभग 34000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
स्वीकृत निवेश का लक्ष्य नये रोजगारों का सृजन करना, संयंत्र और उपकरणों में निवेश के माध्यम से भारतीय कंपनी की क्षमता का विस्तार करना है। एडवेंट ग्रुप के साथ साझेदारी से व्यवसाय संचालन का विस्तार करके मैसर्स सुवेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड को बड़ा मंच प्रदान करने की उम्मीद है। इससे परिचालन उत्कृष्टता प्राप्त करने के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ाने और विकास में तेजी लाने के अलावा भारतीय कंपनी के पर्यावरण, स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों में सुधार और प्रबंधन में वैश्विक सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के मौजूदा पेशेवरों के लिए उत्कृष्ट प्रशिक्षण के अवसर प्राप्त होंगे।
सरकार ने त्वरित आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए प्रौद्योगिकी, नवाचार और कौशल के माध्यम से अन्य लाभों के साथ-साथ घरेलू उत्पादकता बढ़ाने, प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने और रोजगार सृजन के लिए पूरक पूंजी हेतु वैश्विक सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को अपनाने के लिए फार्मास्युटिकल क्षेत्र में एक निवेशक-अनुकूल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) नीति व्यवस्था कार्यान्वित की है।
मौजूदा एफडीआई नीति के अनुसार, ग्रीनफील्ड फार्मास्युटिकल परियोजनाओं में स्वचालित व्यवस्था के तहत 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है। ब्राउनफील्ड फार्मास्युटिकल परियोजनाओं में, स्वचालित व्यवस्था के तहत 74 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति है और 74 प्रतिशत से अधिक निवेश के लिए सरकार की मंजूरी आवश्यक है। पिछले पांच वर्षों (2018-19 से 2022-23 तक) के दौरान फार्मास्युटिकल क्षेत्र में कुल एफडीआई प्रवाह 43,713 करोड़ रुपये रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में इस क्षेत्र में एफडीआई में 58 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।
कार्यशाला का उद्देश्य बीआरएसआर की संरचना की व्यापक समझ प्रदान करना है, जो जिम्मेदार व्यवसाय आचरण के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देश (एनजीआरबीसी) के नौ सिद्धांतों पर आधारित है। बीआरएसआर संरचना शीर्ष 1000 सूचीबद्ध कंपनियों और व्यवसायों के लिए पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) पहलुओं पर अपने प्रदर्शन की रिपोर्ट करने और जिम्मेदार व्यावसायिक प्रथाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के लिए एक अनिवार्य प्रकटीकरण तंत्र है। कार्यशाला में जिम्मेदार ब्रांडों की स्थापना के लिए उपकरण के रूप में सीएसआर और ईएसजी, प्रभावी बीआरएसआर प्रकटीकरण, डिजिटल उपकरण, बीआरएसआर के लिए आईटी पोर्टल/सॉफ्टवेयर और व्यवसाय में परिवार के अनुकूल नीतियों के पालन जैसे विभिन्न विषयों को भी शामिल किया गया। कार्यशाला ने प्रतिभागियों को बीआरएसआर और इसके कार्यान्वयन में अपना ज्ञान और कौशल को बढ़ाने में सक्षम बनाया।
कार्यशाला का उद्घाटन एसवीपी और हेड पीएसडी – पावर एंड कार्बन मार्केट्स, इन्वेस्टर अवेयरनेस, एनएसई डॉ. हरीश आहूजा ने किया, जिन्होंने निवेशकों और हितधारकों के लिए बीआरएसआर के महत्व पर अपना विचार साझा किया। उन्होंने व्यवसायों के मूल्य और प्रतिष्ठा को बढ़ाने और गैर-अनुपालन तथा नकारात्मक बाह्य कारकों से जुड़े जोखिमों को कम करने में ईएसजी कारकों की भूमिका पर जोर दिया। कार्यशाला का संचालन ईएसजी, सीएसआर, बीएचआर और कॉर्पोरेट स्थायित्व के क्षेत्र के अग्रणी संस्थान यूनिसेफ, स्टेपचेंज और आईआईसीए के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने किया। प्रसिद्ध संकाय और विशेषज्ञ वक्ताओं में प्रोफेसर गरिमा दधीच, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख, एसओबीई, आईआईसीए; श्री अशोक कुमार गुप्ता, पूर्व ग्रुप जनरल काउंसिल, आदित्य बिड़ला ग्रुप; श्री अंकित जैन, सीईओ, स्टेपचेंज; डॉ. रवि राज अत्रे, सीपीई, एसओबीई, आईआईसीए, और श्री शुभ्रज्योति भौमिक, पार्टनरशिप ऑफिसर, प्राइवेट एंड पब्लिक सेक्टर मैनेजमेंट्स, यूनिसेफ शामिल रहे।
कार्यशाला एक इंटरैक्टिव लर्निंग रिकैप, पीयर नेटवर्किंग वे फॉरवर्ड और ओपन हाउस सत्र के साथ संपन्न हुई। कार्यशाला को प्रतिभागियों की तरफ से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। प्रतिभागियों ने सामग्री और वितरण की गुणवत्ता और प्रासंगिकता की सराहना की। यह कार्यशाला भारत में कॉरपोरेट्स और प्रासंगिक हितधारकों के बीच जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण को बढ़ावा देने के लिए आईआईसीए और यूनिसेफ के बीच चल रहे सहयोग का हिस्सा थी। देश के विभिन्न शहरों में बीआरएसआर पर अधिक कार्यशालाएं निर्धारित हैं। इंदौर में 20 सितंबर, दिल्ली में 26 सितंबर, और बेंगलुरु 29 सितंबर को बीआरएसआर पर कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।
मंत्रालय अपने परिसरों और उच्चतर शिक्षा संस्थानों में लंबित मामलों की संख्या को कम करने और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। अभियान का उद्देश्य लंबित मामलों को कम करना, स्वच्छता को संस्थागत बनाना, आंतरिक निगरानी तंत्र को मजबूत करना, रिकॉर्ड प्रबंधन में कर्मियों को प्रशिक्षित करना, बेहतर रिकॉर्ड प्रबंधन के लिए भौतिक रिकॉर्ड को डिजिटल बनाना और सभी मंत्रालयों/विभागों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाना है।
शास्त्री भवन, नई दिल्ली, जहां कई मंत्रालयों/विभागों स्थित है, में भी कई नई शुरुआत की गई हैं। गलियारों को व्यवस्थित करने और डंप किए गए फर्नीचर और बेकार पड़े सामान को लॉबी से हटाने के लिए, अहाते के अंदर एक केंद्रीकृत डम्पयार्ड बनाया गया है जहां ऐसे बेकार पड़े सामान को समय-समय पर पर ले जाया जाता है और निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार उसका निपटान किया जाता है। इस पहल ने जहां गलियारों को खाली कर दिया है, वहीं अनावश्यक सामग्री से लॉबी को भी मुक्त कर दिया है। इससे आने-जाने वाली जगहों के अंदर सुचारू आवागमन के साथ-साथ आग के खतरों को कम किया जा सकता है। परिसर में एक रिसायकल इकाई स्थापित करने का भी प्रस्ताव है।
स्टार्टअप कार्यशाला के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन (बाएं) और कार्यशाला के मुख्य अतिथि स्टार्टअप ओडिशा के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. ओंकार राय अपना भाषण देते हुए
कार्यशाला में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने में सम्मिलित उद्योग, स्टार्ट-अप, उद्योग सहयोगियों, अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों और प्रमुख सरकारी निकायों तथा प्रौद्योगिकी व्यवसाय ऊष्मायकों (इनक्यूबेटर्स) का व्यापक प्रतिनिधित्व था। इसमें छात्रों को स्टार्ट-अप के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराने, सफल स्टार्ट-अप द्वारा अनुभव साझा करने और स्टार्ट-अप द्वारा नवीन समाधान (उत्पाद) प्रदर्शित करने के लिए किसी एक निर्धारित स्थान पर सत्र शामिल थे।
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च-एनआई एससीपीआर की निदेशक प्रोफेसर रंजना अग्रवाल ने उद्घाटन सत्र में अपने स्वागत भाषण में सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों के प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (टेक्नोलॉजी रेडीनेस लेवल – टीआरएल) और सामाजिक- आर्थिक प्रभाव मूल्यांकन सहित सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की गतिविधियों का संक्षिप्त विवरण दिया। प्रोफेसर अग्रवाल ने आशा व्यक्त की कि ऐसी कार्यशालाओं में हितधारकों, विशेष रूप से युवाओं की भागीदारी से देश में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में उनके लिए विद्यमान रोमांचक संभावनाओं का पता चलेगा। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक और स्टार्टअप कार्यशाला के समन्वयक डॉ. सुजीत भट्टाचार्य ने प्रतिभागियों को कार्यक्रम और इसके उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक हितधारक से जुड़ना और भविष्य का रोडमैप तैयार करना है।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि, स्टार्टअप ओडिशा के कार्यकारी अध्यक्ष, डॉ. ओंकार राय ने इस बात की झलक दी कि कैसे भारत का डिजिटलीकरण देश के सबसे सुदूरवर्ती भागों तक प्रौद्योगिकी की पहुंच में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है, जिससे टियर -2 और 3 शहरों से उभरते नए स्टार्ट -अप्स को सहायता मिल रही है। सम्मानित अतिथि, भारतीय उद्योग परिसंघ (कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया इंडस्ट्रीज -सीआईआई) की दिल्ली राज्य परिषद दिल्ली स्टेट काउंसिल के अध्यक्ष और सैमटेल एवियोनिक्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), श्री पुनेट कौरा ने विकास की मानसिकता बनाकर और अनुभवों से सीखकर व्यवसाय को बढ़ाने के दृष्टिकोण को साकार करने के बारे में बात की। उन्होंने व्यावसायिक रणनीतियों में बदलाव जारी रखने के लिए प्रतिस्पर्धी परिदृश्य का आकलन और विश्लेषण करने पर भी जोर दिया। आगे बढ़ने और विकास के रास्ते खोजने के उनके सुझावों में निरंतर सीखना और विकास, नेटवर्किंग के साथ-साथ सलाहकारों, साथियों और संभावित भागीदारों के साथ जुड़ना शामिल था।
सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के एक सप्ताह एक प्रयोगशाला (वन वीक वन लैब) कार्यक्रम के दूसरे दिन आयोजित स्टार्ट-अप कार्यशाला के दौरान पुस्तक विमोचन की झलकियाँ
उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान गणमान्य व्यक्तियों द्वारा तीन पुस्तकें जारी की गईं: प्रौद्योगिक तत्परता : कृषि और पर्यावरण विषयों के अंतर्गत सीएसआईआर नवाचारों का मूल्यांकन (टेक रेडीनेस – इवैल्यूएटिंग सीएसआईआर इनोवेशन्स अंडर एग्रीकल्चरल एंड एन्वार्न्मेंटल थीम्स); शोध (पीएचडी) कार्यक्रम के लिए एसीएसआईआर अकादमिक हैंडबुक; और संश्लेषण रिपोर्ट: कोविड-19 के संदर्भ में जीवन विज्ञान संकुल का अध्ययन (सिन्थेसिस रिपोर्ट – स्टडी ऑफ़ लाइफ साइंसेज क्लस्टर्स इन द कॉन्टेक्स्ट ऑफ़ कोविड -19), जीनोम वैली का एक केस अध्ययन। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक और कार्यशाला सह-समन्वयक डॉ. नरेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। दिन भर का कार्यक्रम स्टार्ट-अप्स पर केंद्रित था जिसमें “स्टार्टअप पारिस्थितिकी तन्त्र (इकोसिस्टम) का निर्माण” और “सफल स्टार्टअप के लिए मॉडल” पर तकनीकी सत्र, स्टार्टअप इकोसिस्टम के विभिन्न पहलुओं पर परस्पर संवाद (इंटरैक्टिव) सत्र और पैनल चर्चाएं शामिल थीं।
इस स्टार्टअप कार्यशाला के सबसे रोमांचक हिस्सों में से एक उच्च प्रौद्योगिकी से लेकर ग्रामीण विकास को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने का आश्वासन देने वाले 30 से अधिक स्टार्ट- अप्स की प्रदर्शनी थी। हाइड्रोजन से चलने वाली कार पर ध्यान केंद्रित करने वाले स्टार्ट-अप, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करने वाले खिलौना निर्माता और एक बीज स्टार्टअप इस प्रदर्शनी के कुछ मुख्य आकर्षण थे। उद्योग विशेषज्ञों और विश्वविद्यालय संचालित ऊष्मायन (इनक्यूबेशन) केंद्रों के प्रमुखों ने भी देश भर में स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया।
इस अभियान का उद्देश्य लंबित मामलों को कम करना, स्वच्छता को संस्थागत बनाना, आंतरिक निगरानी तंत्र को मजबूत करना, रिकॉर्ड प्रबंधन में अधिकारियों को प्रशिक्षित करना, बेहतर रिकॉर्ड प्रबंधन के लिए भौतिक रिकॉर्ड को डिजिटल बनाना और सभी मंत्रालयों/विभागों को एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म www.pgportal.gov.in/scdpm. पर लाना है।
उपरोक्त अवधि के दौरान, 11,000 फाइलों की समीक्षा की गई और 864 फाइलों को निपटारा किया गया, 61,380 लोक शिकायतों और अपीलों का निवारण किया गया, 35 स्वच्छता अभियान चलाए गए, 5,054 वर्ग फुट जगह खाली कराई गई और स्क्रैप निपटान से 24,49,293/- रुपये का राजस्व अर्जित किया गया।
दिसंबर 2022 से अगस्त 2023 के दौरान पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा उसके संगठनों द्वारा हासिल की गयी उपलब्धियों के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं….
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय पिछले अभियानों के उद्देश्यों और उपलब्धियों को आगे बढ़ाने और विशेष अभियान 3.0 के प्रमुख उद्देश्यों को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस अवसर पर मंत्री ने कहा, “पूर्वी समुद्री गलियारे (ईएमसी) के संचालन से भारत और रूस के बीच व्यापार संबंधों के एक नए युग की शुरुआत होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत अभिनव समाधान तैयार करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है, जो हमारे दो महान राष्ट्रों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाएगा तथा और आगे बढ़ाएगा। चूंकि हमारी टीमों ने ईएमसी के शीघ्र संचालन के लिए अपने प्रयासों को तेज कर दिया था, व्लादिवोस्तोक, वोस्तोचन, नखोदका और कोज़मिनो की यात्रा विशेष रूप से सहायक रही। इसे आगे बढ़ाते हुए, मैं भारत के चेन्नई में सभी हितधारकों की एक कार्यशाला के आयोजन का प्रस्ताव देता हूं और इस कार्यशाला के लिए निमंत्रण देता हूं, जहां हम ईएमसी के सुचारू और तेज संचालन के लिए मिल सकते हैं, बातचीत कर सकते हैं और चर्चा कर सकते हैं।
रूसी सरकार ने भी अपने भारतीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल के साथ द्विपक्षीय चर्चा के माध्यम से अवसरों और संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक बड़े व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ चेन्नई बंदरगाह का दौरा करने की इच्छा व्यक्त की है। रूसी प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व रूसी संघ के ऊर्जा मंत्री के उप मंत्री श्री सर्गेई मोचलनिकोव और रूसी संघ के आर्थिक विकास मंत्रालय के मैक्सिम रेशेतनिकोव ने किया। सत्र का संचालन एसोसिएशन ऑफ कमर्शियल सीपोर्ट्स के निदेशक मंडल के अध्यक्ष डेनिस इलातोव्स्की ने किया।
भारत के समुद्री कार्यक्रम और इसके प्रमुख कार्यक्रम सागरमाला के बारे में मंत्री ने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में, 2015 में, भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के प्रदर्शन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सागरमाला की हमारी परिवर्तनकारी पहल शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य भारत की तटरेखा और जलमार्गों की पूरी क्षमता का उपयोग करना है। सागरमाला का विज़न, पत्तन के नेतृत्व वाले विकास के माध्यम से अधिकतम अवसंरचना निवेश के साथ घरेलू और एक्जिम कार्गो दोनों के लिए लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना है। वर्तमान में, सागरमाला कार्यक्रम के तहत 2035 तक कार्यान्वयन के लिए 65 बिलियन डॉलर से अधिक के निवेश की 802 परियोजनाएं हैं। इनमें से 14.6 बिलियन डॉलर की 228 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 27 बिलियन डॉलर की 260 परियोजनाएं कार्यान्वयन के चरण में हैं। इसके अलावा, 24 बिलियन डॉलर की 314 परियोजनाएं विकास के विभिन्न चरणों में हैं। इसके अलावा, तटीय जिलों के समग्र विकास के तहत, लगभग 7 बिलियन डॉलर की अनुमानित लागत वाली कुल 567 परियोजनाओं की पहचान की गई है। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान कार्यक्रम के तहत रेलवे, सड़क मार्ग, जलमार्ग और वायुमार्ग के विकास के माध्यम से एकीकृत दृष्टिकोण के साथ उत्पादकता और रोजगार के अवसरों में सुधार के लिए समग्र अवसंरचना के विकास की परिकल्पना की है। गतिशक्ति योजना नए युग की तकनीक और अत्याधुनिक नवाचार का उपयोग करके विश्व स्तरीय उत्पादों के निर्माण के लिए भारत के कायाकल्प का आधार बन गई है।
प्रिमोर्ये क्षेत्र की सरकार के उपाध्यक्ष वालेरी प्रोकोपचुक; पावेल काल्मिचेक, द्विपक्षीय सहयोग विकास विभाग, आर्थिक विकास मंत्रालय, रूसी संघ; रुस्कॉन एलएलसी के सीईओ सर्गेई बेरेज़किन ने भी सत्र को संबोधित किया। पवन कपूर, रूस में भारत के राजदूत; एस.के. मेहता, अध्यक्ष, दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण; व्लादिमीर पनोव, आर्कटिक विकास के लिए रोसाटॉम के विशेष प्रतिनिधि; रूसी निर्यात केंद्र जेएससी के विदेशी नेटवर्क विकास निदेशक दिमित्री प्रोखोरेंको ने भी सत्र में भाग लिया। दोनों पक्षों ने बंदरगाहों में आधुनिक अवसंरचना और पोत परिवहन उद्योग के लिए कार्गो सुनिश्चित करने के तरीकों और उपायों पर भी चर्चा की। चेन्नई पोर्ट अथॉरिटी के उपाध्यक्ष, एस विश्वनाथन ने “भारतीय बंदरगाहों की क्षमता और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर के संचालन की संभावना” पर एक प्रस्तुति दी। व्लादिवोस्तोक वाणिज्यिक समुद्री बंदरगाह के वाणिज्यिक निदेशक एलेना कज़ारिना ने भी “फेस्को के गहरे समुद्री मार्गों का विकास और रूस और भारत के बीच परिवहन और लॉजिस्टिक्स संबंधों को आगे की दिशा देना” पर एक प्रस्तुति दी। एसोसिएशन ऑफ कमर्शियल सीपोर्ट्स के निदेशक मंडल के अध्यक्ष डेनिस इलातोव्स्की ने स्वागत भाषण के साथ-साथ समापन भाषण भी दिया।
उल्लेखनीय है कि सितंबर 2019 में व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति श्री पुतिन की उपस्थिति में व्लादिवोस्तोक और चेन्नई के दो बंदरगाहों के बीच समुद्री संचार के विकास पर एक आशय पत्र का आदान-प्रदान किया गया था। अध्ययन में पाया गया कि ईएमसी का उपयोग करके दोनों देशों के बीच व्यापार के लिए कोकिंग कोयला सबसे उपयुक्त वस्तु है। आने वाले समय में, ईएमसी के माध्यम से परिवहन की जाने वाली वस्तुओं की सूची में तेल, एलएनजी, उर्वरक जैसी अन्य वस्तुओं को जोड़ा जाएगा।
अनुमान है कि पूर्वी समुद्री गलियारा (ईएमसी); सुदूर-पूर्व क्षेत्र के रूसी बंदरगाहों और भारतीय बंदरगाहों के बीच माल परिवहन की यात्रा-अवधि को 16 दिनों तक कम कर देगा, यानि, वर्तमान में भारत से यूरोप होकर सुदूर पूर्व रूस तक माल परिवहन के लिए लगने वाले 40 दिनों की तुलना में 24 दिन। भारत में मुंबई और रूस में सेंट पीटर्सबर्ग के बीच वर्तमान व्यापार मार्ग 8,675 समुद्री मील का है, जिसमें लगभग 35 से 40 दिन लगते हैं। चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग (ईएमसी) लगभग 5,600 समुद्री मील की दूरी तय करेगा। एक बड़ा कंटेनर जहाज जो 20-25 नॉट (37-46 किमी/घंटा) की सामान्य क्रूज़िंग गति से यात्रा करता है, इस दूरी को लगभग 10 से 12 दिनों में तय करने में सक्षम होगा। इस गलियारे के माध्यम से व्यापार और सहयोग के नए अवसरों के खुलने की अपार संभावनाएं हैं। सोनोवाल ने भारत की अध्यक्षता में नई दिल्ली में हाल ही में संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन की प्रमुख बातों पर भी प्रकाश डाला। अफ्रीकी संघ (एयू) को जी20 में शामिल करना ‘सबका साथ, सबका विकास’ दर्शन को रेखांकित करता है। जलवायु कार्रवाई और सतत विकास को आगे बढ़ाने, डिजिटल परिवर्तन और नवाचार को बढ़ावा देने, वैश्विक स्वास्थ्य और महामारी संबंधी तैयारियों को मजबूत करने के साथ-साथ बहुपक्षवाद और सहयोग को बढ़ाने का समर्थन करते हुए भारत ने ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में भी सफलतापूर्वक अपनी बातें सामने रखीं। उन्होंने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक एकजुटता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देते हुए भारत के “वसुधैव कुटुंबकम” (एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य) के संदेश को प्रभावी ढंग से संप्रेषित किया है। श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जी20 की अध्यक्षता भारत की वैश्विक स्थिति में एक ऐतिहासिक क्षण रही है। इसने वैश्विक मुद्दों पर नेतृत्व करने और अंतरराष्ट्रीय एजेंडे को आकार देने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित किया है। भारतीय अध्यक्षता की उपलब्धियां आने वाले वर्षों में जी20 को प्रेरित करती रहेंगी और मार्गदर्शन देती रहेंगी।” सोनोवाल रूस की पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं। कल, वे अपने रूसी समकक्ष, रूस के परिवहन मंत्री श्री विटाली सेवेलिव से भेंट करेंगे तथा अन्य महत्वपूर्ण द्विपक्षीय कार्यक्रमों में भाग लेंगे। भारत के पत्तन मंत्री कल व्लादिवोस्तोक बंदरगाह का भी दौरा करेंगे।
कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बालिका महाविद्यालय में दिनाँक 09/09/2023 से दिनाँक 12/09/2023 तक सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया गया। इसीमें विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस (World First Aid Day) के अवसर पर छात्राओं हेतु एक कार्यशाला का आयोजन किया गया
जिसका संयोजन व संचालन महाविद्यालय की शारीरिक शिक्षा विभाग की प्रोफेसर प्रीति पांडे तथा उनकी वैष्णवी रेंजर्स टीम के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के समापन समारोह का शुभारंभ आज मुख्य अतिथि डॉ. आर. के. सफर, प्राचार्य प्रोफेसर सुमन तथा प्रोफेसर प्रीति पांडेय द्वारा मां शारदे को माल्यार्पण कर किया गया। कार्यशाला में छात्रों को प्राथमिक चिकित्सा से संबंधित व्यावहारिक जानकारी दी गई कि किसी भी व्यक्ति को हार्ट अटैक के समय CPR देकर कैसे सुरक्षित किया जा सकता है, सड़क पर किसी घायल व्यक्ति की कैसे मदद की जा सकती है, जलने पर कैसे उपचार किया जाए की व्यक्ति की जान पर कोई खतरा न आए। इसी तरह की और व्यवहारिक जानकारियां छात्रों को दी गई| रेड क्रॉस मास्टर ट्रेनर और डिजास्टर मैनेजर लखन शुक्ला ने प्राथमिक चिकित्सा सहायता के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की पट्टियों को बाँधना सिखाया तथा आकस्मिकता में First Aid Use करने की विभिन्न प्रायोगिक विधियां छात्राओं को सिखाई| इस अवसर पर प्रीति तिवारी (लाइफ मेंबर रेड क्रॉस सोसाइटी), राम (सदस्य, रेड क्रॉस), तथा राम प्रकाश, (कार्यकर्ता) कार्य शाला में उपस्थित रहें। छात्राओं ने उत्साहपूर्ण सहभागिता की तथा समस्त शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं|
(भारत की लोकतांत्रिक विशेषता के इतिहास को 26 इंटरैक्टिव पैनलों के माध्यम से विभिन्न भाषाओं में प्रदर्शित किया गया।)
(बीच में सिंधु-सरस्वती सभ्यता की लड़की की मूर्ति)
(स्वागत कक्ष के पीछे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के दृश्य प्रदर्शित करती एक विशाल वीडियो स्क्रीन)
(आईजीएनसीए के सदस्य सचिव श्री सच्चिदानंद जोशी ‘भारत: लोकतंत्र की जननी‘ प्रदर्शनी के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए)
केंद्र में सिंधु-सरस्वती संस्कृति की एक लड़की की मूर्ति है। वह आत्मविश्वास से खड़ी है और दुनिया को देख रही है। वह स्वतंत्र, मुक्त, आश्वस्त, आत्मविश्वास से परिपूर्ण है और दुनिया को आंखों से आंखें मिलाकर देख रही है। वह अपने शरीर पर आभूषण पहनती है, जो पश्चिमी भारत की महिलाओं द्वारा प्रतिदिन पहने जाने वाले आभूषणों से काफी मिलते-जुलते हैं। कलाकृति की वास्तविक ऊंचाई 10.5 सेमी है लेकिन प्रतिकृति 5 फीट ऊंचाई और 120 किलोग्राम वजन के साथ कांस्य में बनाई गई थी।
यहां भारत के लोकतांत्रिक इतिहास को विभिन्न भाषाओं में 26 इंटरैक्टिव पैनलों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है, जहां आगंतुक 16 विभिन्न भाषाओं में सामग्री पढ़ सकते हैं और ऑडियो द्वारा सुन सकते हैं। पैनल में स्थानीय स्वशासन, आधुनिक भारत में चुनाव, कृष्ण देव राय, जैन धर्म सहित अन्य चीजें शामिल हैं। प्रदर्शनी को जी-20 एप्लिकेशन पर डिजिटल रूप से एक्सेस किया जा सकता है।
भारत में लोकतंत्र एक सदियों पुरानी अवधारणा है। भारतीय लोकाचार के अनुसार, लोकतंत्र में समाज में स्वतंत्रता, स्वीकार्यता, समानता और समावेशिता के मूल्य शामिल होते हैं और यह अपने आम नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण और सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर देता है। सबसे पहले उपलब्ध पवित्र ग्रंथ – ऋग्वेद और अथर्ववेद की पंक्तियों में सभा, समिति और संसद जैसी सहभागी संस्थाओं का उल्लेख किया गया है। अंतिम शब्द ‘संसद’ हमारे देश की संसद को दर्शाते हुए प्रचलित है। इस भूमि के महान महाकाव्य रामायण और महाभारत भी निर्णय प्रक्रिया में लोगों को समावेशित करने की बात करते हैं। भारतीय लिखित उदाहरणों में यह भी पाया जाता है कि शासन करने का अधिकार योग्यता या आम सहमति के माध्यम से अर्जित किया जाता है और यह वंशानुगत नहीं है। परिषद और समिति जैसी विभिन्न लोकतांत्रिक संस्थाओं में मतदाता की वैधता पर लगातार चर्चा होती रही है। भारतीय लोकतंत्र वास्तव में लोगों की सत्यता, सहयोग, समन्वय, शांति, सहानुभूति और सामूहिक शक्ति का उत्सवपूर्ण उद्घोष है।