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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश के खजुराहो में केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना का शिलान्यास किया

पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के मौके पर, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश के खजुराहो में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, श्री मोदी ने भारत और विश्व के ईसाई समुदाय के लोगों को क्रिसमस की शुभकामनाएं दीं। यह याद करते हुए कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अगुवाई में सरकार ने अपने गठन के एक वर्ष पूरे कर लिए हैं, श्री मोदी ने इसके प्रदेश के लोगों को बधाई दी। उन्होंने आगे कहा कि पिछले एक वर्ष में हजारों करोड़ रुपये से अधिक की नई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के कार्यान्वयन के साथ-साथ विकास कार्यों ने गति पकड़ी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज ऐतिहासिक केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना, दौधन बांध और ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर परियोजना (मध्य प्रदेश का पहला सौर ऊर्जा संयंत्र) का शिलान्यास किया गया है।

प्रधानमंत्री ने आज भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी के मौके पर आज के दिन को एक उल्लेखनीय प्रेरणादायी दिन बताते हुए कहा कि आज सुशासन और अच्छी सेवा का पर्व हम सभी के लिए प्रेरणादायी है। श्री वाजपेयी की याद में डाक टिकट और सिक्का जारी करते हुए प्रधानमंत्री ने उनको स्मरण करते हुए कहा कि श्री वाजपेयी ने वर्षों तक उनके जैसे सामान्य कार्यकर्ताओ का प्रोत्साहन और मार्गदर्शन किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र के विकास के लिए अटल जी की सेवा हमेशा हमारी स्मृति में अमिट रहेगी। श्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि आज से 1100 से अधिक अटल ग्राम सुशासन सदनों पर काम शुरू हो जाएगा और इसके लिए पहली किस्त जारी कर दी गई है। उन्होंने कहा कि अटल ग्राम सेवा सदन गांवों के विकास को आगे बढ़ाएगा।

सुशासन दिवस को एक दिन का मामला न बताते हुए श्री मोदी ने कहा, “सुशासन हमारी सरकारों की पहचान है।” केंद्र में लगातार तीसरी बार सेवा करने का अवसर देने और मध्य प्रदेश में लगातार सेवा करने का मौका देने के लिए लोगों का आभार जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके पीछे सुशासन सबसे मजबूत कारक है। प्रधानमंत्री ने बुद्धिजीवियों, राजनीतिक विश्लेषकों और अन्य प्रख्यात शिक्षाविदों से विकास, लोक कल्याण और सुशासन के मानदंडों पर आजादी के 75 साल पूरे होने पर देश का मूल्यांकन करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर रोशनी डाली कि जब भी लोगों की सेवा करने का अवसर मिला, उनकी सरकार ने लोगों के कल्याण और विकास कार्यों को सुनिश्चित करने में सफलता पाई है। श्री मोदी ने कहा, “अगर हमें कुछ मानदंडों पर आंका जाए, तो देश देखेगा कि हम आम लोगों के प्रति कितने समर्पित हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने के लिए अथक प्रयास किया, जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपना खून बहाया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सुशासन के लिए न केवल अच्छी योजनाओं की जरूरत होती है, बल्कि उनके प्रभावी कार्यान्वयन की भी जरूरत होती है और इस बात पर बल दिया कि सुशासन का पैमाना यह है कि सरकारी योजनाओं से आम लोगों को कितना फायदा हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों ने घोषणाएं तो कीं, लेकिन कार्यान्वयन में गंभीरता और इरादे की कमी के कारण लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पाया। उन्होंने पीएम किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं के लाभों पर जोर दिया, जिसके तहत मध्य प्रदेश में किसानों को 12,000 रुपये मिलते हैं और कहा कि यह जन धन बैंक खाते खोलने से संभव हुआ। प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश में लाडली बहना योजना पर प्रकाश डाला और कहा कि बैंक खातों को आधार और मोबाइल नंबर से जोड़े बिना यह संभव नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि पहले सस्ते राशन की योजनाएं थीं, लेकिन गरीबों को राशन पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता था, जबकि आज गरीबों को पूरी पारदर्शिता के साथ मुफ्त राशन मिलता है, इसका श्रेय प्रोद्योगिकी को जाता है, जिसने धोखाधड़ी को खत्म कर दिया और वन नेशन, वन राशन कार्ड जैसी देशव्यापी सुविधाओं को बढ़ावा दिया।

श्री मोदी ने कहा कि सुशासन का अर्थ है कि नागरिक अपने अधिकारों के लिए सरकार से भीख न मांगे और न उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पडें। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि उनकी नीति 100 प्रतिशत लाभार्थियों को 100 प्रतिशत लाभ से जोड़ने की है, जो उनकी सरकारों को दूसरी सरकारो से अलग बनाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरा देश इसका गवाह है और यही वजह है कि देश के लोगो ने बार-बार उन्हें सेवा का मौका दिया।

इस बात पर जोर देते हुए कि सुशासन वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों को संबोधित करता है, प्रधानमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से बुंदेलखंड के लोगों को पिछली सरकारों के कुशासन के कारण दशकों तक बहुत कष्ट सहना पड़ा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बुंदेलखंड में किसानों और महिलाओं की कई पीढ़ियों को प्रभावी शासन की कमी के कारण पानी की एक-एक बूंद के लिए संघर्ष करना पड़ा और पूर्ववर्ती सरकारों ने जल संकट के स्थायी समाधान के बारे में नही सोचा।

डॉ. बी.आर. अंबेडकर भारत के लिए नदी जल के महत्व को समझने वाले पहले लोगों में से एक थे, पर टिप्पणी करते हुए श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में प्रमुख नदी घाटी परियोजनाएँ डॉ. अंबेडकर के विज़न पर आधारित थीं और केंद्रीय जल आयोग की स्थापना भी उनके प्रयासों के कारण ही हुई थी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि पिछली सरकारों ने जल संरक्षण और बड़ी बांध परियोजनाओं में उनके योगदान के लिए डॉ. अंबेडकर को कभी उचित श्रेय नहीं दिया और वे इन प्रयासों के प्रति कभी गंभीर नहीं रहीं। इस बात पर जोर देते हुए कि सात दशक बाद भी भारत के कई राज्यों में अभी भी जल विवाद हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों मे मंशा की कमी और उनके कुशासन ने इस दिशा मे किसी भी ठोस प्रयास को रोक दिया।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि श्री वाजपेयी की सरकार ने जल-संबंधी चुनौतियों को संबोधित करने के लिए गंभीरता से काम करना शुरू किया था, लेकिन 2004 के बाद इसे दरकिनार कर दिया गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार अब देश भर में नदियों को जोड़ने के अभियान को गति दे रही है। उन्होंने कहा कि केन-बेतवा जोड़ो परियोजना एक वास्तविकता बनने वाली है, जो बुंदेलखंड क्षेत्र में समृद्धि और खुशहाली के नए द्वार खोलेगी। केन-बेतवा जोड़ो परियोजना के लाभों पर जोर देते हुए, जो मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, पन्ना, दमोह और सागर सहित 10 जिलों को सिंचाई सुविधाएं प्रदान करेगी, श्री मोदी ने कहा कि इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को भी लाभ होगा, जिसमें बांदा, महोबा, ललितपुर और झांसी जिले शामिल हैं।

श्री मोदी ने कहा, “नदियों को जोड़ने के विशाल अभियान के तहत दो परियोजनाओं की शुरुआत करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हाल ही में राजस्थान की अपनी यात्रा के दौरान, पार्वती-कालीसिंध-चंबल और केन-बेतवा जोड़ो परियोजनाओं के जरीये कई नदियों को जोड़ने की पुष्टि की गई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समझौते से मध्य प्रदेश को भी काफी लाभ होगा।

श्री मोदी ने कहा, “जल सुरक्षा 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केवल वे देश और क्षेत्र ही प्रगति करेंगे, जिनके पास पर्याप्त जल होगा तथा समृद्ध खेतों तथा संपन्न उद्योगों के लिए जल आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात से आने के कारण, जहां अधिकांश भाग वर्ष के अधिकांश समय सूखे की स्थिति में रहते हैं, वे जल के महत्व को समझते हैं और उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की नर्मदा नदी के आशीर्वाद ने गुजरात का भाग्य बदल दिया। उन्होंने बल देकर कहा कि मध्य प्रदेश के सूखा प्रभावित क्षेत्रों को जल संकट से मुक्त करना उनकी जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने बुंदेलखंड के लोगों, विशेषकर किसानों और महिलाओं से उनकी कठिनाइयों को कम करने के लिए ईमानदारी से काम करने का वादा किया था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस विजन के तहत बुंदेलखंड के लिए 45,000 करोड़ रुपये की एक जल-संबंधी योजना बनाई गई थी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में उनकी सरकारों को लगातार प्रोत्साहित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप केन-बेतवा जोड़ो परियोजना के तहत दौधन बांध की आधारशिला रखी गई। उन्होंने कहा कि इस बांध से सैकड़ों किलोमीटर लम्बी एक नहर बनेगी, जो लगभग 11 लाख हेक्टेयर ज़मीन को पानी उपलब्ध कराएगी।

श्री मोदी ने कहा, “बीता दशक भारत के इतिहास में जल सुरक्षा और जल संरक्षण के अभूतपूर्व दशक के रूप में याद किया जाएगा।” उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने जल से जुड़ी जिम्मेदारियों को अलग-अलग विभागों में बांट दिया था, लेकिन उनकी सरकार ने इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय बनाया। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि पहली बार हर घर में नल का पानी पहुंचाने के लिए एक राष्ट्रीय मिशन शुरू किया गया। इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि आजादी के बाद के सात दशकों में केवल 3 करोड़ ग्रामीण परिवारों के पास नल कनेक्शन थे, श्री मोदी ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में उन्होंने 12 करोड़ नए परिवारों को नल का पानी उपलब्ध कराया है और इस योजना पर 3.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं। प्रधानमंत्री ने जल गुणवत्ता परीक्षण पर प्रकाश डाला, जो जल जीवन मिशन का एक और पहलू है और जिस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है तथा कहा कि देश भर में 2,100 जल गुणवत्ता प्रयोगशालाएँ स्थापित की गई हैं और 25 लाख महिलाओं को गाँवों में पीने के पानी की जाँच करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस पहल ने हजारों गांवों को दूषित पानी पीने की मजबूरी से मुक्त किया है और बच्चों तथा लोगों को बीमारियों से बचाया है।

वर्ष 2014 से पहले देश में करीब 100 बड़ी सिंचाई परियोजनाएं थीं, जो दशकों से अधूरी थीं। इस बात पर जोर देते हुए श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने इन पुरानी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च किए और आधुनिक सिंचाई तकनीकों का उपयोग बढ़ाया। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में करीब एक करोड़ हेक्टेयर भूमि को सूक्ष्म सिंचाई सुविधाओं से जोड़ा गया है, जिसमें मध्य प्रदेश में करीब पांच लाख हेक्टेयर भूमि शामिल है। श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि पानी की हर बूंद का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं और उन्होंने आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने के अभियान पर प्रकाश डाला, जिसके फलस्वरूप देश भर में 60,000 से अधिक अमृत सरोवर बनाए गए हैं। प्रधानमंत्री ने जल शक्ति अभियान और कैच द रेन अभियान की शुरुआत का उल्लेख किया, जिसके तहत देश भर में तीन लाख से अधिक रिचार्ज कुओं का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन अभियानों का नेतृत्व लोगों द्वारा किया जा रहा है, जिसमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि अटल भूजल योजना मध्य प्रदेश सहित सबसे कम भूजल स्तर वाले राज्यों में लागू की जा रही है।

श्री मोदी ने कहा कि मध्य प्रदेश हमेशा से पर्यटन के क्षेत्र में अग्रणी रहा है और जोर देकर कहा कि पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है, जो युवाओं को रोजगार प्रदान करता है और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने के लिए तैयार है, का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के बारे में वैश्विक जिज्ञासा बढ़ रही है और दुनिया भारत को जानना और समझना चाहती है और इसका मध्य प्रदेश को बहुत लाभ होगा। प्रधानमंत्री ने एक अमेरिकी अखबार में हाल ही में छपी एक रिपोर्ट का उल्लेख किया, जिसमें मध्य प्रदेश को दुनिया के शीर्ष दस सबसे आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक बताया गया है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए यात्रा को आसान बनाने के लिए लगातार सुविधाएं बढ़ाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विदेशी पर्यटकों के लिए ई-वीजा योजना शुरू की है और साथ ही भारत में विरासत और वन्यजीव पर्यटन को बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं। मध्य प्रदेश में पर्यटन की असाधारण संभावनाओं पर जोर देते हुए श्री मोदी ने कहा कि खजुराहो क्षेत्र ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विरासत से समृद्ध है, जहां कंदरिया महादेव, लक्ष्मण मंदिर और चौसठ योगिनी मंदिर जैसे स्थल हैं। उन्होंने कहा कि भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देश भर में जी-20 बैठकें आयोजित की गईं, जिसमें खजुराहो में एक बैठक भी शामिल है, जिसके लिए खजुराहो में एक अत्याधुनिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र का निर्माण किया गया।

पर्यटन क्षेत्र पर आगे चर्चा करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत, मध्य प्रदेश को पर्यावरण अनुकूल पर्यटन सुविधाओं और पर्यटकों के लिए नई सुविधाओं को विकसित करने के लिए सैकड़ों करोड़ रुपये आवंटित किए गए। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सांची और अन्य बौद्ध स्थलों को बौद्ध सर्किट के जरीये जोड़ा जा रहा है, जबकि गांधी सागर, ओंकारेश्वर बांध, इंदिरा सागर बांध, भेड़ाघाट और बाणसागर बांध ईको सर्किट का हिस्सा हैं। उन्होंने आगे कहा कि खजुराहो, ग्वालियर, ओरछा, चंदेरी और मांडू जैसे स्थलों को हेरिटेज सर्किट के हिस्से के रूप में जोड़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पन्ना राष्ट्रीय उद्यान भी वन्यजीव सर्किट में शामिल है और पिछले वर्ष पन्ना टाइगर रिजर्व की लगभग 2.5 लाख पर्यटकों ने यात्रा की। उन्होंने खुशी जताई कि बनाई जा रही लिंक नहर पन्ना टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों को ध्यान में रखेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयासों से स्थानीय अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती मिलेगी। उन्होंने बताया कि पर्यटक स्थानीय सामान खरीदेंगे, ऑटो और टैक्सी सेवाओं, होटलों, ढाबों, होमस्टे और गेस्ट हाउस जैसी सुविधाओं का उपयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि किसानों को भी लाभ होगा, क्योंकि उन्हें दूध, दही, फल और सब्जी जैसे उत्पादों के बेहतर दाम मिलेंगे।

पिछले दो दशकों में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति करने के लिए मध्य प्रदेश की सराहना करते हुए श्री मोदी ने कहा कि आने वाले दशकों में मध्य प्रदेश देश की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा, जिसमें बुंदेलखंड महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अपने भाषण को समाप्त करते हुए श्री मोदी ने आश्वासन दिया कि केंद्र और राज्य की सरकारें मध्य प्रदेश को एक विकसित भारत के लिए एक विकसित राज्य बनाने की दिशा में ईमानदारी से काम करना जारी रखेंगी।

इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगूभाई सी. पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री वीरेंद्र कुमार, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सीआर पाटिल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना की आधारशिला रखी। यह राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत देश की पहली नदियों को जोड़ने वाली परियोजना है। इस परियोजना से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी, जिससे लाखों किसान परिवारों को लाभ होगा। इस परियोजना से इस क्षेत्र के लोगों को पीने के पानी की सुविधा भी मिलेगी। इसके साथ ही, जलविद्युत परियोजनाएं हरित ऊर्जा में 100 मेगावाट से अधिक का योगदान देंगी। इस परियोजना से रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी।

प्रधानमंत्री ने 1153 अटल ग्राम सुशासन भवनों की नीव भी रखी। ये भवन ग्राम पंचायतों के कामकाज और जिम्मेदारियों के व्यावहारिक संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और स्थानीय स्तर पर सुशासन को बढ़ावा देंगे।

ऊर्जा की आत्मनिर्भरता और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में स्थापित ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर परियोजना का उद्घाटन किया। यह परियोजना कार्बन उत्सर्जन को कम करेगी और 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के सरकार के मिशन में योगदान देगी। यह जल वाष्पीकरण को कम करके जल संरक्षण में भी मदद करेगी।

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रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने सुशासन दिवस पर राष्ट्रपर्व ​​वेबसाइट और मोबाइल ऐप का शुभारंभ किया

रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के उपलक्ष में  ‘सुशासन दिवस’ के अवसर पर राष्ट्रपर्व ​​वेबसाइट और इसके मोबाइल ऐप का शुभारंभ किया।

वेबसाइट गणतंत्र दिवस, बीटिंग रिट्रीट समारोह, स्वतंत्रता दिवस आदि जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों के आयोजन से संबंधित जानकारी, सीधा प्रसारण, टिकटों की खरीद, बैठने की व्यवस्था और कार्यक्रमों के रूट-मैप आदि से संबंधित जानकारी प्रदान करेगी। इस अवसर पर बोलते हुए रक्षा सचिव ने कहा कि रक्षा मंत्रालय द्वारा विकसित राष्ट्रपर्व ​​वेबसाइट और मोबाइल ऐप में झांकी के प्रस्तावों और कार्यक्रमों से संबंधित ऐतिहासिक डेटा के प्रबंधन की भी व्यवस्था है। इसमें राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, मंत्रालयों और विभागों को गणतंत्र दिवस समारोह के लिए अपनी झांकियों को डिजाइन करने और अंतिम रूप देने में सुविधा प्रदान करने के लिए एक झांकी प्रबंधन पोर्टल भी होगा।

रक्षा मंत्रालय ने इस वेबसाइट और मोबाइल एप्‍लीकेशन को परामर्श करके बनाया है। राज्यों ने झांकी के डिजाइन डेटा के प्रबंधन के लिए एक पोर्टल का सुझाव दिया था। इसी तरह, गणतंत्र दिवस समारोह के दर्शकों ने फीडबैक में सुझाव दिया था कि उनके पास कार्यक्रम, परेड, झांकी आदि की जानकारी हो। इन सभी को शामिल करके राष्ट्रपर्व ​​वेबसाइट विकसित की गई है।

वेबसाइट को https://rashtraparv.mod.gov.in पर देखा जा सकता है और मोबाइल ऐप को सरकारी ऐप स्टोर (एम-सेवा) से डाउनलोड किया जा सकता है।

यह पहल खुलेपन, पारदर्शिता और नागरिक केंद्रित शासन की दिशा में एक कदम आगे है और सुशासन दिवस पर स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक सच्ची श्रद्धांजलि है।

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प्रधानमंत्री नई दिल्ली में वीर बाल दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी 26 दिसंबर 2024 को दोपहर करीब 12 बजे को नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में बच्चों को देश के भविष्य की नींव के रूप में सम्मानित करने वाले एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम, ‘वीर बाल दिवस’ में शामिल होंगे। इस मौके पर, वो उपस्थित लोगो को संबोधित भी करेंगे।

प्रधानमंत्री ‘सुपोषित पंचायत अभियान’ का शुभारंभ करेंगे। इस अभियान का उद्देश्य पोषण संबंधी सेवाओं के कार्यान्वयन को सुदृढ़ करके और सक्रिय सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करके पोषण संबंधी परिणामों और कल्याण में सुधार करना है।

युवा लोगो को जोड़ने, इस दिन के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और राष्ट्र के प्रति साहस और समर्पण की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए देशभर में कई पहलें भी शुरू की जाएंगी। माईगव और माई भारत पोर्टल के जरीये इंटरैक्टिव क्विज़ सहित ऑनलाइन प्रतियोगिताओं की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी। विद्यालयों, बाल देखभाल संस्थानों और आंगनवाड़ी केंद्रों में कहानी सुनाना, रचनात्मक लेखन, पोस्टर बनाना जैसी दिलचस्प गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी।

इस कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (पीएमआरबीपी) के पुरस्कार विजेता भी मौजूद रहेंगे।

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) मुख्यालय का दौरा किया

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) मुख्यालय का दौरा किया। गृह मंत्री ने बल के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की और CRPF के परिचालन और प्रशासनिक प्रदर्शन की व्यापक समीक्षा की। बैठक में केन्द्रीय गृह सचिव सहित गृह मंत्रालय के अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

बैठक के दौरान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के महानिदेशक श्री अनीश दयाल सिंह ने गृह मंत्री को CRPF में अनुकम्पा आधारित नियुक्तियों सहित बल के शहीद जवानों के परिवारों के लिए चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से अवगत कराया।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश में आंतरिक सुरक्षा और शांति सुनिश्चित करने में CRPF की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। श्री शाह ने कहा कि नक्सलवाद से निपटने, पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू एवं कश्मीर में शांति और स्थिरता बहाल करने में CRPF ने सराहनीय कार्य किया है।

शाह ने भाषाई एकता को मजबूत करने के लिए बल के दैनिक कामकाज में हिंदी को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया। श्री अमित शाह ने जवानों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए श्री अन्न (मोटे अनाज) के अधिक से अधिक उपयोग पर बल देने के साथ-साथ बेहतर स्वास्थ्य के लिये जवानों से प्रकृति परीक्षण अभियान के अर्न्तगत आयुर्वेद के अधिकाधिक उपयोग का भी आह्वान किया।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री का यह दौरा राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सीआरपीएफ की प्रतिबद्धता तथा राष्ट्र निर्माण में इसके बहुमुखी योगदान के प्रति सरकार की मान्यता को रेखांकित करता है।

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म शताब्दी पर नई दिल्ली स्थित ‘सदैव अटल’ स्मृति स्थल जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म शताब्दी पर नई दिल्ली स्थित ‘सदैव अटल’ स्मृति स्थल जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

X प्लेटफॉर्म पर अपनी पोस्ट्स में श्री अमित शाह ने कहा कि सुशासन और जनकल्याण के प्रति अटल जी का समर्पण भावी पीढ़ियों को दिशा दिखाता रहेगा। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन करते हुए कहा कि अटल जी ने विचारधारा के प्रति समर्पण और मूल्य-आधारित राजनीति से देश में विकास और सुशासन के नए युग की शुरुआत की। श्री शाह ने कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को कार्य संस्कृति बनाने वाले वाजपेयी जी ने देश की सुरक्षा और जनकल्याण को सदैव सर्वोपरि रखा। उन्होंने कहा कि अटल जी ध्रुवतारे के समान अनंत काल तक देशवासियों को राष्ट्रसेवा के पथ पर दिशा दिखाते रहेंगे।

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सीएक्यूएम उप-समिति ने पूरे एनसीआर में जीआरएपी शेड्यूल (13.12.2024 को जारी) के चरण-IV (‘गंभीर+ वायु गुणवत्ता) को तत्काल प्रभाव से लागू किया

माननीय सर्वोच्च न्यायालय नेदिनांक 05.12.2024 को डब्ल्यूपी(सी) एनओ13029/1985 के एमसी मेहता बनाम भारत संघ एवं अन्य के मामले में, अन्य बातों के अलावा , आयोग को निम्नानुसार निर्देश दिया:

“…हमें यहाँ यह दर्ज करना चाहिए कि यदि आयोग पाता है कि एक्यूआई 350 से ऊपर चला जाता हैतो एहतियाती कदम के रूप मेंचरण-III उपायों को तुरंत लागू करना होगा। यदि किसी दिन एक्यूआई 400 को पार कर जाता हैतो चरण-IV उपायों को फिर से लागू करना होगा…”

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने उपरोक्त मामले में अपने दिनांक 12.12.2024 के आदेश में इसे पुनः दोहराया।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्देशों के अनुसरण में, आयोग ने अपने पूर्व आदेश के तहतउस समय जीआरएपीचरण-III लागू किया था, जब प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों और प्रदूषकों के फैलाव के अन्य कारकों के कारण दिल्ली का एक्यूआई 350 के स्तर को पार कर गया था।

हालांकि, मिक्सिंग लेयर की ऊंचाई में भारी कमी और दिल्ली में पूरी तरह शांत हवा की स्थिति के कारण वायु गुणवत्ता के पैरामीटर और भी खराब हो गए हैं। तदनुसार, जीआरएपी संबंधी उप-समिति दिल्ली में वायु गुणवत्ता परिदृश्य पर कड़ी नज़र रख रही है। उप-समिति ने पाया कि वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर रात लगभग 400 के स्तर को छू गया था, यानी रात 9 बजे यह 399 था और रात 10 बजे यह 401 दर्ज किया गया, जो 400 के स्तर से ज्यादा था।

तदनुसार, माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में, उप समिति जीआरएपीशेड्यूल के चरण-IV को तत्काल प्रभाव से लागू करती है, जिसे 13.12.2024 को व्यापक रूप से संशोधित करके जारी किया गया था। चरण-IV के अंतर्गत की जाने वाली कार्रवाइयाँ पहले से लागू चरण III, II और I के अंतर्गत की जाने वाली कार्रवाइयों के अतिरिक्त होंगी।

संशोधित जीआरएपी शेड्यूल (दिसंबर, 2024) का पूरा विवरण आयोग की आधिकारिक वेबसाइट https://caqm.nic.in  पर देखा जा सकता है।

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उपराष्ट्रपति ने कहा- चौधरी चरण सिंह ने पारदर्शिता, जवाबदेही, ईमानदारी और निडर राजनेता होने का उदाहरण प्रस्तुत किया

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कृषि, ग्रामीण विकास और पत्रकारिता में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए चौधरी चरण सिंह पुरस्कार 2024 प्रदान किए। इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री धनखड़ ने चौधरी चरण सिंह की असाधारण विरासत की सराहना करते हुए ग्रामीण विकास, किसानों के कल्याण एवं समावेशी विकास के प्रति उनके अथक समर्पण का उल्लेख किया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि चौधरी चरण सिंह देश के उत्कृष्ट व्यक्तित्वों में से एक थे। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जो पारदर्शिता, जवाबदेही, ईमानदारी, ग्रामीण विकास और किसानों के लिए प्रतिबद्धता तथा अपने विचारों को व्यक्त करने में निडर थे।

उनके नेतृत्व का उल्लेख करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि चौधरी चरण सिंह की पहचान उत्कृष्टता, संपूर्ण राजनेता, दूरदर्शिता और समावेशी विकास से है। इसमें किसी तरह का कोई आश्चर्य नहीं कि वे भारत के सबसे बड़े राज्य के पहले मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री बने।

उनके योगदान को कम मान्यता मिलने पर चिंता जताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब लोग ऐसे व्यक्ति के महान योगदान का मूल्यांकन करने में अदूरदर्शिता दिखाते हैं तो मन को ठेस पहुंचती है। उनके अद्भुत गुण, गहरी लगन और ग्रामीण भारत के बारे में उनका ज्ञान दुनिया भर के प्रबुद्ध व्यक्तियों के लिए चिंतन का विषय है। एक धरतीपुत्र के रूप में, वह न केवल ग्रामीण भारत के बारे में बल्कि शहरी भारत के बारे में भी सजग थे और उनकी दूरदृष्टि हमारी सभ्यतागत लोकाचार से जुड़ी हुई थी।

आज नई दिल्ली में चौधरी चरण सिंह पुरस्कार 2024 के विजेताओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि ग्रामीण विकास की रीढ़ है। जब तक कृषि का विकास नहीं होगा, ग्रामीण परिदृश्य को नहीं बदला जा सकता और जब तक ग्रामीण परिदृश्य नहीं बदलेगा, हम विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा नहीं रख सकते।

भारत की आर्थिक प्रगति पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस समय भारत पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। निस्संदेह, हमारी अर्थव्यवस्था फल-फूल रही है। हम वैश्विक स्तर पर पांचवें सबसे बड़े देश हैं और जापान और जर्मनी से आगे निकलकर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर हैं लेकिन 2047 तक विकसित देश बनने के लिए हमारी आय में आठ गुना वृद्धि होनी चाहिए जो एक बड़ी चुनौती है।

इस चुनौती को संबोधित करते हुए, श्री धनखड़ ने गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि गांव की अर्थव्यवस्था तभी बेहतर हो सकती है जब किसान और उनका परिवार विपणन, मूल्य संवर्धन और हर जगह क्लस्टर बनाने में शामिल हो, जिससे आत्मनिर्भरता आए। हमारे पास सबसे बड़ी बाजार कृषि उपज है, फिर भी कृषक समुदाय इससे शायद ही जुड़े हों। कृषि क्षेत्र को सरकारों द्वारा प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि यह आर्थिक विकास का इंजन बन सके।

उपराष्ट्रपति ने लोकतंत्र के सार को भी रेखांकित करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति और संवाद लोकतंत्र को परिभाषित करते हैं। एक राष्ट्र कितना लोकतांत्रिक है, यह उसके व्यक्तियों और संगठनों की अभिव्यक्ति की स्थिति से परिभाषित होता है। किसी भी लोकतंत्र की सफलता के लिए, अभिव्यक्ति और संवाद दोनों पक्षों की बड़ी जिम्मेदारी के साथ चलना चाहिए।

सांसदों के बीच जवाबदेही का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हर विचारशील भारतीय अपने दिमाग को खंगाले और उन सभी लोगों के प्रति जवाबदेही की गहरी भावना आत्मसात करे, जिन पर दायित्व हैं। कोई गलती न करें क्योंकि वह सांसदों की बात कर रहे है। लोगों ने अव्यवस्था को व्यवस्था के रूप में लेना सीख लिया है। अब घृणा की कोई भावना नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि लोगों की कलम चलेगी, लोगों के विचार चलेंगे, लोग मजबूर करेंगे की आप सोचिए आप वहां क्यों गए थे। उन्होंने कहा कि इस विचार के साथ वह इसे समाप्त करते है।

चौधरी चरण सिंह पुरस्कारों पर विचार करते हुए उपराष्ट्रपति ने उनकी स्थिरता पर जोर देते हुए कहा कि इन पुरस्कारों को समय के साथ इस तरह से संरचित किया जाना चाहिए कि भावी पीढ़ी आत्मनिर्भर हो सके। कामकाज में उदारता के लिए वित्तीय मजबूती बहुत जरूरी है। जो कोई भी ग्रामीण भारत और किसानों के कल्याण के बारे में सोचता है, चाहे वह कॉर्पोरेट क्षेत्र से हो, बुद्धिजीवियों से हो या समाज के अन्य क्षेत्रों से, उसे इस तरह के विश्वास को बढ़ावा देने के लिए आगे आना चाहिए, क्योंकि लंबे समय तक हमें दूसरा चौधरी चरण सिंह नहीं मिलेगा।

चौधरी चरण सिंह पुरस्कार 2024 में कृषि, ग्रामीण विकास और पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। सुश्री नीरजा चौधरी को व्यावहारिक पत्रकारिता के प्रति समर्पण के लिए कलाम रत्न पुरस्कार प्रदान किया गया। जल संरक्षण में उनके अग्रणी प्रयासों के लिए डॉ. राजेंद्र सिंह को सेवा रत्न पुरस्कार प्रदान किया गया। कृषि अनुसंधान और नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए डॉ. फिरोज हुसैन को कृषक उत्थान पुरस्कार प्रदान किया गया। श्री प्रीतम सिंह को कृषि उत्कृष्टता में उनके योगदान के लिए किसान पुरस्कार प्रदान किया गया।

इस अवसर पर केन्द्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयंत चौधरी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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रक्षा राज्य मंत्री ने भारतीय नौसेना के दूसरे अत्याधुनिक सर्वेक्षण पोत आईएनएस निर्देशक के जलावतरण की अध्यक्षता की

सर्वेक्षण पोत (बड़े) परियोजना के दूसरे जहाज, आईएनएस निर्देशक को 18 दिसंबर 2024 को रक्षा राज्य मंत्रीश्री संजय सेठ की अध्यक्षता में विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्डमें एक समारोह मेंभारतीय नौसेना में शामिल किया गया। वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, पूर्वी नौसेना कमान ने मेसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) कोलकाता में निर्माणाधीन सर्वेक्षण पोत (बड़े) परियोजना के चार जहाजों में से दूसरे जहाज को औपचारिक रूप से शामिल करने के लिए कमीशनिंग समारोह की मेजबानी की। इस जहाज को हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने, नेविगेशन में सहायता और समुद्री संचालन का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

इस अवसर पर आरआरएम ने कहा कि अत्यधिक विशिष्ट जहाज – सर्वेक्षण जहाज – महासागरों का चार्ट बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, ये परिष्कृत प्लेटफॉर्म हैं जो समुद्री डेटा के अधिक सटीक संकलन, इसके सटीक प्रसंस्करण और परिणामस्वरूप अत्यधिक विश्वसनीय चार्ट की अनुमति देते हैं, जो समुद्री संचालन और सुरक्षा को बढ़ाते हैं।

आरआरएम ने आगे कहा कि सर्वेक्षण जहाज एक विश्वसनीय समुद्री कूटनीति उपकरण के रूप में भी काम करते हैं। “जब हमारे सर्वेक्षण जहाज किसी मित्र देश के समर्थन में मिशन चलाते हैं, तो वे भारत के उस विश्वास का प्रतीक होते हैं- बदले में बिना कुछ मांगे किसी जरूरतमंद मित्र की मदद करना। इससे हमारे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और लंबी अवधि में व्यापार के अवसरों को खोलने और बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, नए सर्वेक्षण जहाज हमें और अधिक शक्तिशाली बनाएंगे, क्योंकि विदेशी बेड़े हाइड्रोग्राफिक सहयोग के लिए भारतीय नौसेना की ओर देख रहे हैं।

80% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ निर्मित, ये जहाज उन्नत हाइड्रोग्राफिक सिस्टम जैसे मल्टी बीम इको साउंडर्स, साइड स्कैन सोनार, ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (एयूवी), रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (आरओवी) आदि से सुसज्जित है। ये सुरक्षित नेविगेशन के लिए सटीक मैपिंग मुमकिन करते हैं और गहरे समुद्र में परिचालन की योजना बनाना, खतरनाक और प्रतिबंधित क्षेत्रों में सर्वेक्षण क्षमताओं का विस्तार करना और मलबे की पहचान और पर्यावरण अध्ययन के लिए तेज़ और सुरक्षित डेटा संग्रह की सुविधा प्रदान करते है।

यह जहाज हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा और पर्यावरणीय स्वास्थ्य और क्षेत्रीय सहयोग, वैज्ञानिक अन्वेषण और शांति मिशनों में भारत के नेतृत्व को मजबूत करने में अहम योगदान देगा। इसके अलावा यह मित्र विदेशी देशों के साथ साझा समुद्री डेटा को बढ़ावा देकर सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) पहल को मजबूत करेगा।

जहाज का निर्माण भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो, जीआरएसई, एलएंडटी, सेल, आईआरएस और बड़ी संख्या में एमएसएमई का एक सहयोगात्मक प्रयास था, जो रक्षा विनिर्माण और समुद्री क्षमताओं में आत्मनिर्भरता के लिए भारत की प्रतिबद्धता का उदाहरण है।

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यूरिया क्षेत्र में नए निवेश को आसान बनाने के लिए नई निवेश नीति के तहत 12.7 लाख मीट्रिक टन उत्पादन क्षमता वाली 6 नई यूरिया इकाइयां स्थापित की गई हैं

सूक्ष्म पोषक तत्वों और कच्चे माल पर जीएसटी में कटौती के संबंध में रसायन और उर्वरक संबंधी स्थायी समिति की सिफारिशों को 53वीं जीएसटी परिषद के समक्ष रखा गया, जिसने युक्तिसंगत दरों के समग्र दृष्टिकोण के लिए मामले को मंत्रिसमूह (जीओएम) को भेज दिया है।

यूरिया क्षेत्र में नए निवेश को बढ़ावा देने और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नई निवेश नीति (एनआईपी) के तहत 12.7 लाख मीट्रिक टन उत्पादन क्षमता वाली 6 नई यूरिया इकाइयां स्थापित की गई हैं। इसके अलावा, तालचेर फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (टीएफएल) नामक नामित पीएसयू के संयुक्त उद्यम के माध्यम से एफसीआईएल की तालचेर इकाई के पुनरुद्धार के लिए एक विशेष नीति को भी मंजूरी दी गई है, जिसमें कोयला गैसीकरण मार्ग पर 12.7 एलएमटीपीए का नया ग्रीनफील्ड यूरिया संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा, सरकार ने 25 मई, 2015 को मौजूदा 25 गैस आधारित यूरिया इकाइयों के लिए नई यूरिया नीति (एनयूपी) – 2015 को भी अधिसूचित किया, जिसका एक उद्देश्य स्वदेशी यूरिया उत्पादन को अधिकतम करना है। इन कदमों से 2014-15 के 225 एलएमटी प्रति वर्ष यूरिया उत्पादन को बढ़ाकर 2023-24 तक 314.09 एलएमटी के रिकॉर्ड यूरिया उत्पादन तक पहुंचाने में मदद मिली है।

फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरकों (पीएंडके) के मामले में, कंपनियां अपने व्यवसाय की गतिशीलता के अनुसार उर्वरक कच्चे माल, बिचौलियों और तैयार उर्वरकों का आयात/उत्पादन करने के लिए स्वतंत्र हैं। अनुरोधों के आधार पर, नई विनिर्माण इकाइयों या मौजूदा इकाइयों की विनिर्माण क्षमता में वृद्धि को एनबीएस सब्सिडी योजना के तहत मान्यता दी गई है/रिकॉर्ड में लिया गया है, ताकि विनिर्माण को बढ़ावा दिया जा सके और देश को उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया जा सके। इसके अलावा, गुड़ (पीडीएम) से प्राप्त पोटाश को बढ़ावा देने के लिए, जो 100% स्वदेशी रूप से निर्मित उर्वरक है, इसे 13.10.2021 से पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) व्यवस्था के तहत अधिसूचित किया गया है। साथ ही, एसएसपी, जो एक स्वदेशी निर्मित उर्वरक है, पर माल ढुलाई सब्सिडी, को मिट्टी को फॉस्फेटिक या “पी” पोषक तत्व प्रदान करने के लिए एसएसपी के उपयोग को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए खरीफ 2022 से लागू किया गया है। इन कदमों से पीएंडके उर्वरकों का उत्पादन 2014-15 में 159.54 एलएमटी से बढ़कर 2023-24 में 182.85 एलएमटी हो गया है।

यह जानकारी केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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भारत ने पिछले दशक में परमाणु ऊर्जा के माध्यम से बिजली उत्पादन दोगुना कर दिया है: डॉ. जितेंद्र सिंह

भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता पिछले एक दशक में 2014 में 4,780 मेगावाट से लगभग दोगुनी होकर 2024 में 8,180 मेगावाट हो गयी है।

यह जानकारी आज लोक सभा में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन विभाग, डॉ. जितेंद्र सिंह ने परमाणु ऊर्जा पर चर्चा के जवाब में दी।

उन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की महत्वपूर्ण प्रगति और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रमुख विकासों पर विस्तार से चर्चा की और परमाणु ऊर्जा उत्पादन में अधिक आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए एक रोडमैप की रूपरेखा प्रस्तुत की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के बिजली वितरण ढांचे में संशोधन पर जोर दिया, जिसके तहत परमाणु संयंत्रों से बिजली में गृह राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाकर 50% कर दी गई है, जिसमें से 35% पड़ोसी राज्यों को और 15% राष्ट्रीय ग्रिड को आवंटित किया जाएगा। यह नया फॉर्मूला संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करता है और राष्ट्र की संघीय भावना को दर्शाता है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2014 में 4,780 मेगावाट से लगभग दोगुनी होकर 2024 में 8,180 मेगावाट हो गई है। उन्होंने कहा कि 2031-32 तक क्षमता तीन गुनी होकर 22,480 मेगावाट होने का अनुमान है, जो भारत की परमाणु ऊर्जा अवसंरचना को बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

केंद्रीय मंत्री ने इस प्रगति का श्रेय कई परिवर्तनकारी पहलों को दिया, जिसमें 10 रिएक्टरों की स्वीकृति, बढ़े हुए वित्त आवंटन, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के साथ सहयोग और सीमित निजी क्षेत्र की भागीदारी शामिल है। उन्होंने भारत के परमाणु बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए प्रौद्योगिकी में प्रगति और सुव्यवस्थित प्रशासनिक प्रक्रियाओं को श्रेय दिया।

ऊर्जा उत्पादन के अलावा, डॉ. जितेंद्र सिंह ने परमाणु ऊर्जा के विविध प्रयोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने कृषि में इसके व्यापक उपयोग का उल्लेख किया, जिसमें 70 उत्परिवर्तनीय फसल किस्मों का विकास भी शामिल है। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में, भारत ने कैंसर के उपचार के लिए उन्नत आइसोटोप पेश किए हैं, जबकि रक्षा क्षेत्र में, परमाणु ऊर्जा प्रक्रियाओं का उपयोग लागत प्रभावी, हल्के बुलेटप्रूफ जैकेट विकसित करने के लिए किया गया है।

केंद्रीय मंत्री ने भारत के प्रचुर थोरियम भंडार पर भी जोर दिया, जो वैश्विक कुल का 21% है। इस संसाधन का इस्तेमाल करने के लिए “भवानी” जैसी स्वदेशी परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं, जिससे आयातित यूरेनियम और अन्य सामग्रियों पर निर्भरता कम हो रही है। उन्होंने परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं को लागू करने में चुनौतियों को स्वीकार किया, जैसे भूमि अधिग्रहण, वन विभाग से मंजूरी और उपकरण खरीद, लेकिन इन मुद्दों से निपटने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में नौ परमाणु ऊर्जा परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, और कई अन्य परियोजना पूर्व चरण में हैं, जो परमाणु ऊर्जा क्षमता के विस्तार के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करते हुए कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र जैसी परियोजनाओं पर प्रकाश डाला, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2014 के बाद गति मिली। उन्होंने डॉ. होमी भाभा द्वारा परिकल्पित परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई और “एक राष्ट्र, एक सरकार” के दृष्टिकोण के साथ तालमेल बिठाते हुए सतत विकास के लिए परमाणु ऊर्जा का लाभ उठाने पर जोर दिया।

यह प्रगति ऊर्जा में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने, नवाचार को बढ़ावा देने तथा परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण अनुप्रयोगों के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देने के भारत के संकल्प को रेखांकित करती है।

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