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राजनीति

भारत का 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान

7 दिसंबर, 2024 को भारत तपेदिक (टीबी) को खत्म करने की दिशा में एक साहसिक कदम उठाएगा। तपेदिक एक ऐसा रोग है, जो देश भर में लाखों लोगों को प्रभावित करना जारी रखे हुए है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा हरियाणा के पंचकूला में इस महत्वाकांक्षी 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान का आधिकारिक रूप से शुभारंभ करेंगे। इस अभियान का उद्देश्य विशेष रूप से असुरक्षित आबादी के लिए टीबी के मामलों का पता लगाने, निदान में होने वाली देरी को कम करने और उपचार के परिणामों को बेहतर बनाते हुए टीबी के खिलाफ़ लड़ाई को तेज़ करना है। यह अभियान 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 347 जिलों में टीबी को समाप्‍त करने और टीबी मुक्त राष्ट्र बनाने की भारत की रणनीति का एक महत्वपूर्ण घटक है।

राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी): टीबी मुक्त भारत का विजन

यह 100 दिवसीय अभियान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तत्वावधान में राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के व्यापक ढांचे का अंग है, जो टीबी उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (एनएसपी) 2017-2025 से संबद्ध है। एनएसपी टीबी के मामलों में कमी लाने, निदान और उपचार की क्षमताओं को बेहतर बनाने और इस रोग के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों को दूर करने पर केंद्रित है। यह महत्वाकांक्षी पहल 2018 के टीबी उन्मूलन शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा निर्धारित विजन को प्रतिबिम्बित करती है, जिसमें उन्होंने 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करने का संकल्प लिया था।

एनटीईपी के तहत भारत में टीबी के मामलों में कमी लाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। यहां टीबी के मामलों की दर में वर्ष 2015 में प्रति 100,000 की आबादी पर 237 मामलों की तुलना में वर्ष 2023 में प्रति 100,000 की आबादी पर 195 मामलों के साथ 17.7 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। इसी तरह, टीबी से संबंधित मौतों में वर्ष 2015 में प्रति लाख की आबादी पर 28 मौतों से 2023 में प्रति लाख की आबादी पर 22 मौतों के साथ 21.4 प्रतिशत तक की कमी आई है। पिछले पांच वर्षों में, टीबी के मामलों की सूचना देने में लगातार वृद्धि हुई है, जैसा कि निम्नलिखित आंकड़ों में देखा जा सकता है:

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कोविड-19 के बाद भारत ने एनटीईपी के जरिए टीबी उन्‍मूलन के अपने प्रयास तेज कर दिए हैं, जो एनएसपी के साथ लगातार संबद्धता बनाए हुए है। 2023 की प्रमुख उपलब्धियों में लगभग 1.89 करोड़ स्‍प्‍यूटम स्मीयर परीक्षण और 68.3 लाख न्यूक्लिक एसिड एम्‍प्‍लीफीकेशन परीक्षण शामिल हैं, जो स्वास्थ्य सेवा स्तरों में नैदानिक पहुंच का विस्तार करने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

विकसित हो रहे चिकित्सकीय अनुसंधान के अनुरूप, एनटीईपी ने व्यापक देखभाल पैकेज और विकेन्द्रीकृत टीबी सेवाएं शुरू की हैं, जिनमें अब दवा प्रतिरोधी टीबी (डीआर-टीबी) के रोगियों के लिए अल्‍पकालीन मौखिक उपचार तक व्यापक पहुंच शामिल है। यह कार्यक्रम अलग तरह की देखभाल के नजरिए और जल्‍द निदान को प्रोत्‍साहन देने के माध्‍यम से कुपोषण, मधुमेह, एचआईवी और मादक द्रव्यों के सेवन जैसी स्वास्थ्य की सहवर्ती स्थितियों से निपटने पर विशेष ध्‍यान देते हुए उपचार में होने वाली देरी को कम करने और देखभाल की गुणवत्ता में सुधार लाने पर बल देता है। टीबी निवारक उपचार (टीपीटी) तक पहुंच में महत्‍वपूर्ण विस्तार के साथ निवारक उपाय भी एनटीईपी की रणनीति का केंद्र बने हुए हैं। इनकी बदौलत अल्‍पकालिक उपचार वालों सहित टीपीटी प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की संख्या बढ़कर लगभग 15 लाख हो गई है।

टीबी और स्वास्थ्य की अन्य स्थितियों के बीच परस्पर क्रिया को पहचानते हुए एनटीईपी ने कुपोषण, मधुमेह, एचआईवी और मादक द्रव्यों के सेवन जैसी समस्‍याओं से निपटने की दिशा में कदम उठाए हैं। विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ मिलकर किए जा रहे इन प्रयासों का उद्देश्य टीबी रोगियों को अधिक समग्र सहायता प्रदान करना है, अंततः उनके उपचार के परिणामों को बेहतर बनाना है।

उच्च जोखिम वाली आबादी के लिए निदान और उपचार को बढ़ाना

100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान का मुख्य उद्देश्य विशेषकर सबसे असुरक्षित समूहों के लिए निदान और उपचार सेवाओं को मजबूत बनाना है। इनमें दूरदराज और वंचित क्षेत्रों में रहने वाले लोग, हाशिए पर रहने वाले समुदाय तथा मधुमेह, एचआईवी और कुपोषण जैसी सह-रुग्णता से पीडि़त व्यक्ति शामिल हैं। यह अभियान उन्नत निदान तक पहुंच में सुधार और उपचार शुरू होने में देरी को कम करने के लिए डिज़ाइन की गई विशेष रणनीतियों के साथ अत्‍यधिक बोझ वाले क्षेत्रों को लक्षित करेगा।

यह अभियान टीबी सेवाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में सहायक रहे आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के व्यापक नेटवर्क सहित मौजूदा स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे का लाभ उठाएगा। इसके अलावा, स्क्रीनिंग के प्रयास उच्च जोखिम वाले समूहों पर केंद्रित होंगे और स्वास्थ्य संबंधी अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करने वाले व्यक्तियों के लिए विशेष देखभाल पैकेज शुरू किए जाएंगे।

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यह पहल टीबी के रोगियों को बेहतर पोषण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली नि-क्षय पोषण योजना के माध्यम से पोषण सहायता का भी विस्तार करेगी। इसके अतिरिक्त, सरकार ने टीबी रोगियों के निकट संपर्क में रहने वालों को व्यापक देखभाल और सहायता दिलाना सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक सहायता पहल प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (पीएमटीबीएमबीए) को एकीकृत किया है।

रणनीतिक हस्‍तक्षेप

राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) तपेदिक (टीबी) से निपटने और समूचे भारत में टीबी के परिणामों में असमानताओं को दूर करने की व्यापक रणनीति के केंद्र में है। इस रणनीति के तहत, कई प्रमुख हस्तक्षेप किए जा रहे हैं, जिनमें मामलों का पता लगाने में सुधार, निदान में देरी में कमी और विशेष रूप से असुरक्षित समुदायों के लिए बेहतर उपचार परिणाम शामिल हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य एनटीईपी को मजबूत बनाना और पूरे देश में टीबी उन्‍मूलन के लिए अधिक न्यायसंगत और प्रभावी दृष्टिकोण सुनिश्चित करना है, जैसे:

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इन प्रयासों से टीबी के मामलों, नैदानिक कवरेज और मृत्यु दर जैसे प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों में सुधार होने की संभावना है, जिससे भारत टीबी उन्‍मूलन के अपने लक्ष्य के करीब पहुंच जाएगा।

वित्तीय सहायता और सामुदायिक सहभागिता: टीबी के खिलाफ लड़ाई को सशक्त बनाना

टीबी उन्मूलन की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता चिकित्सकीय हस्तक्षेपों से कहीं बढ़कर है। नि-क्षय पोषण योजना के माध्यम से सरकार ने 1 करोड़ लाभार्थियों को सहायता देने के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिए लगभग 2,781 करोड़ रुपये वितरित किए हैं। इसके अतिरिक्त, नई पहलों के तहत आशा कार्यकर्ताओं, टीबी चैंपियनों (विजेताओं) और नि-क्षय साथी मॉडल के तहत पारिवारिक देखभाल करने वालों सहित उपचार में सहायता देने वालों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह सहायता नेटवर्क रोगियों को चिकित्सकीय और भावनात्मक दोनों तरह से निरंतर देखभाल मिलना सुनिश्चित करता है।

2022 में पीएमटीबीएमबीए की शुरुआत व्यापक सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए टीबी के खिलाफ लड़ाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई । टीबी के रोगियों की मदद करने के लिए 1.5 लाख से ज़्यादा नि-क्षय मित्र (सामुदायिक समर्थक) पहले ही इस प्रयास में शामिल हो चुके हैं। राजनीतिक नेताओं, सरकारी अधिकारियों और गैर सरकारी संगठनों ने भी जागरूकता अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिया है, जो टीबी को समाप्‍त करने की दिशा में जमीनी स्तर पर हो रहे सामूहिक प्रयास को दर्शाता है।

टीबी उन्मूलन दिशा में भारत की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता

टीबी को जड़ से खत्म करने के प्रति भारत का दृष्टिकोण केवल राष्ट्रीय प्रयास भर नहीं है; यह वैश्विक लक्ष्यों के साथ भी संबद्ध है। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में, भारत टीबी को एसडीजी की 2030 की समय सीमा से पांच साल पहले ही 2025 तक खत्म करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

टीबी उन्मूलन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता अंतर्राष्ट्रीय घोषणाओं जैसे कि, गांधीनगर घोषणापत्र के प्रति इसके समर्थन में भी स्पष्ट होती है, जिस पर डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रियों द्वारा अगस्त 2023 में हस्ताक्षर किए गए थे। इस क्षेत्रीय संकल्‍प का उद्देश्य क्षेत्र में 2030 तक टीबी के खिलाफ लड़ाई को बनाए रखना, तेज करना और नई राह निकालना है।

आगे की राह: 2025 तक टीबी का उन्मूलन

टीबी मुक्त राष्ट्र की दिशा में भारत की यात्रा में यह 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले समूहों के लिए निदान, उपचार और सहायता सेवाओं को बढ़ाकर, भारत 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण के लिए मंच तैयार कर रहा है। निरंतर राजनीतिक इच्छाशक्ति, सामुदायिक सहभागिता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ, टीबी मुक्त भारत – तपेदिक से मुक्त भारत – का सपना साकार हो सकता है।

इस उद्देश्य के प्रति संकल्‍पबद्धता स्वास्थ्य संबंधी न्‍यायसंगतता, सामाजिक न्याय और सतत विकास के व्यापक दृष्टिकोण को प्रतिबिम्बित करती है। जिस तरह भारत टीबी के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक कदम उठा रहा है, यह इस बात को साबित करते हुए दुनिया के सामने एक मिसाल कायम कर रहा है कि सहयोग, नवाचार और दृढ़ संकल्प के बल पर वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटा जा सकता है।

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नए आपराधिक कानूनों में भीड़ द्वारा हत्या और छीना-झपटी से संबंधित प्रावधान

भीड़ द्वारा हत्या और छीनाझपटी जैसे नए अपराधों को पहली बार भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 103 (2) और धारा 304 के तहत दंडनीय बनाया गया है। बीएनएस की धारा 103 (2) में प्रावधान है कि जब पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का समूह मिलकर नस्लजाति या समुदायलिंगजन्म स्थानभाषाव्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समान आधार पर किसी की हत्या करता हैतो ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और उन्‍हें जुर्माना भी देना होगा।

बीएनएस की धारा 304 में प्रावधान है कि इस तरह की चोरी छीनाझपटी कहलाती हैजब अपराधी चोरी करने के लिए अचानक या तेजी से या बलपूर्वक किसी व्यक्ति या उसके कब्जे से कोई चल संपत्ति जब्त कर लेता है या हासिल कर लेता है या झपट लेता है या छीन लेता है। धारा में यह भी प्रावधान है कि जो कोई भी व्यक्ति छीनाझपटी करेगाउसे तीन वर्ष तक की कैद की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी देना होगा।

यह जानकारी गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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पिछले दो वर्षों के दौरान 1,68,964 शिकायतों का समाधान किया गया : केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज लोकसभा में शिकायतों के निपटान से संबंधित विभिन्न प्रश्नों के उत्तर दिए। ये प्रश्न शिकायतों के निपटान से लेकर पेंशनभोगियों की शिकायतों तक, व्यापक प्रकृति के थे।

सीपीग्राम्स (सीपीजीआरएएमएस) का उपयोग करने वाले नागरिकों की पहुंच: सरकार ने दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों की पहुंच बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप देश भर के 795 जिलों से औसत 70,000 मासिक नागरिक पंजीकरण के साथ 28 लाख से अधिक नागरिक सीपीग्राम पोर्टल पर पंजीकृत हुए हैं। सरकार ने 5.6 लाख गांवों में सीएससी के ग्राम स्तरीय उद्यमियों (वीएलई) के नेटवर्क का लाभ उठाने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के साथ भागीदारी की है।

2023 और 2024 में कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से 4.68 लाख शिकायतें दर्ज की गई हैं। सरकार ने सीपीजीआरएएमएस के बारे में जागरूकता और उपयोगिता बढ़ाने के लिए सीपीजीआरएएमएस के 10 चरणों वाले सुधार को अपनाया है। इन सुधारों में सीपीजीआरएएमएस पोर्टल पर क्षेत्रीय भाषा की सुविधा, फीडबैक कॉल सेंटर के माध्यम से नागरिक जुड़ाव, नागरिक पंजीकरण में सरलीकरण, सीएससी के साथ सहयोग और सीपीजीआरएएमएस मोबाइल एप्लिकेशन का शुभारंभ शामिल है। सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) जैसी ग्रामीण/किसान केंद्रित योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए वीएलई के लिए कई जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं। ग्रामीण आबादी के बीच सीपीजीआरएएमएस के बारे में जागरूकता और इसकी पहुंच बढ़ाने के लिए हर महीने की 20 तारीख को सीएससी-सीपीजीआरएएमएस दिवस के रूप में मनाया जाता है।

शिकायतों का समाधान और सीपीईएनजीआरएएमएस: केंद्रीकृत पेंशन शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीईएनजीआरएएमएस) ने बैकलॉग को कम कर दिया है और आज की तारीख में कोई भी मामला 2 साल से अधिक समय से लंबित नहीं है। पिछले दो वर्षों (01.11.2022 से 31.10.2024 तक) के दौरान 1,68,964 शिकायतों का समाधान किया गया है।

पारिवारिक पेंशनभोगियों और अति वरिष्ठ पेंशनभोगियों की शिकायतों के निवारण के लिए, पारिवारिक पेंशन और अतिरिक्त पेंशन शुरू होने में देरी सहित ऐसी शिकायतों का विशिष्ट वर्गीकरण किया गया है, ताकि बेहतर निगरानी की जा सके। इसके अलावा, नियमित अनुस्मारक जारी किए जाते हैं और ऐसे मामलों के लिए मासिक अंतर-मंत्रालयी समीक्षा बैठकें (आईएमआरएम) आयोजित की जाती हैं। साथ ही, 100 दिवसीय कार्य योजना के तहत, पारिवारिक पेंशन शिकायतों के निवारण के लिए जुलाई, 2024 में एक महीने का विशेष अभियान शुरू किया गया, जिसमें 94% निवारण हासिल किया गया।

पेंशन शिकायतों का निवारण एक लगातार जारी रहने वाली प्रक्रिया है। नीति के अनुसार, सभी पेंशन शिकायतों का निवारण मौजूदा नियमों के अनुसार संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा विकेंद्रीकृत और समयबद्ध तरीके से किया जाता है और यदि समय सीमा के भीतर अंतिम निवारण नहीं किया जाता है, तो देरी के कारण के साथ एक अंतरिम उत्तर प्रदान किया जाना चाहिए।

विभाग ने समय-समय पर निर्देश जारी किए हैं, जिनमें शिकायतों के अंतिम एवं निर्णायक निवारण को 30 दिनों के बजाय 21 दिनों के भीतर करने पर जोर दिया गया है। निवारण की गुणवत्ता की निगरानी फीडबैक सेंटर के माध्यम से की जाती है और ‘खराब’ श्रेणी के मामलों में अपील दायर की जाती है। इन पहलों से निवारण में लगने वाले समय और निवारण की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिली है।

शिकायतों को स्वतः आगे भेजने और ऑटो लेटर संचलन को कवर करने वाली तकनीकी प्रगति ऐसी पहल हैं, जो निवारण में लगने वाले समय को और कम कर देंगी तथा निवारण की गुणवत्ता को बढ़ा देंगी।

पिछले पांच वर्षों के दौरान सीपीजीआरएएमएस पोर्टल www.pgportal.gov.in पर प्राप्त और निपटाई गई कुल शिकायतों की संख्या अनुलग्नक 1 में संलग्न है। इस अवधि के दौरान पीजी पोर्टल पर प्राप्त राज्यवार शिकायतों का विवरण अनुलग्नक II में संलग्न है। 2020-2024 तक कुल 1,12,30,957 शिकायतों का निवारण किया गया और जनवरी-अक्टूबर, 2024 तक सीपीजीआरएएमएस पोर्टल पर अब तक की सबसे अधिक 23,24,323 शिकायतों का निवारण किया गया है। सरकार ने शिकायत निवारण को समय पर, सार्थक और सुलभ बनाने के लिए सीपीजीआरएएमएस के 10 चरणीय सुधारों को अपनाया है और सीपीजीआरएएमएस पोर्टल पर 103,183 शिकायत अधिकारियों का उल्लेख किया है। इससे 31 अक्टूबर 2024 तक भारत सरकार में लंबित लोक शिकायतों को 54,339 के निम्नतम स्तर पर लाने में मदद मिली। निवारण की औसत समयसीमा 2019 में 28 दिनों से घटकर 2024 में 13 दिन रह गई है। सरकार ने 23 अगस्त 2024 को लोक शिकायतों के प्रभावी निवारण के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए। इन दिशानिर्देशों में विभिन्न लोक शिकायत मंचों को एकीकृत करना, मंत्रालयों/विभागों में समर्पित शिकायत प्रकोष्ठों का निर्माण करना, अनुभवी और सक्षम नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करना, शिकायतों के मूल कारण का विश्लेषण और फीडबैक पर कार्रवाई करने पर जोर देना, अपीलीय प्राधिकारियों की नियुक्ति करके प्रक्रियाओं को मजबूत करना, शिकायत समाधान के लिए दिशा-निर्देश जारी करना तथा समाधान समय की ऊपरी सीमा को 30 दिन से घटाकर 21 दिन करना शामिल है।

स्वच्छता को संस्थागत बनाने और सरकारी कार्यालयों में लंबित मामलों को कम करने के लिए 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक सरकार द्वारा चलाए गए विशेष अभियान के प्रमुख क्षेत्रों में से एक लोक शिकायतों का निवारण भी है। विशेष अभियान 2024 के दौरान लगभग 5.55 लाख लोक शिकायतों और अपीलों का निपटारा किया गया है।

विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में रिक्त पदों का होना और उनका भरा जाना एक सतत प्रक्रिया है। रिक्तियों का विवरण संबंधित मंत्रालयों/विभागों/राज्य सरकारों द्वारा रखा जाता है। केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों को समय-समय पर रिक्त पदों को समयबद्ध तरीके से भरने का निर्देश दिया गया है। 22 अक्टूबर, 2022 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए रोजगार मेलों में केंद्र सरकार के रिक्त पदों को मिशन मोड में भरा गया है। विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 40-45 शहरों में केंद्रीय स्तर पर 13 रोजगार मेले आयोजित किए गए हैं।

अनुलग्नक-1

 

वर्ष

आगे लाया गया अवधि के दौरान प्राप्त कुल प्राप्त वर्ष में कुल निस्तारित
2020 1071603 2271270 3342873 2319569
2021 1023304 2000590 3023894 2135923
2022 887971 1918238 2806209 2143468
2023 662741 1953057 2615798 2307674
2024 (1 जनवरी-31 अक्टूबर, 2024)  

308124

 

2298208

 

2606332

 

2324323

कुल 10441363 14395106 11230957

 

अनुलग्नक-II

 

राज्य आगे लाया गया अवधि के दौरान प्राप्त कुल प्राप्त कुल निस्तारित*
अंडमान एवं निकोबार सरकार 85 5510 5595 5565
आंध्र प्रदेश सरकार 29985 36944 66929 63322
अरुणाचल प्रदेश सरकार 548 2354 2902 2686
असम सरकार 28072 124513 152585 146742
बिहार सरकार 60836 161395 222231 214078
छत्तीसगढ़ सरकार 5492 43343 48835 46860
गोवा सरकार 1712 7333 9045 8195
गुजरात सरकार 9024 259661 268685 261927
हरियाणा सरकार 45802 152271 198073 186511
हिमाचल प्रदेश सरकार 19520 20254 39774 34174
जम्मू कश्मीर सरकार 14759 34251 49010 42806
झारखंड सरकार 28379 86485 114864 105266
कर्नाटक सरकार 42179 94391 136570 127779
केरल सरकार 27008 47563 74571 69465
मध्य प्रदेश सरकार 99601 177726 277327 272846
महाराष्ट्र सरकार 119868 207274 327142 306027
मणिपुर सरकार 1662 6441 8103 5930
मेघालय सरकार 1545 2777 4322 3812
मिजोरम सरकार 515 1642 2157 1486
नागालैंड सरकार 280 2018 2298 1045
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार 14514 143509 158023 152370
ओडिशा सरकार 29692 65340 95032 76966
पुडुचेरी सरकार 628 8243 8871 8778
पंजाब सरकार 16701 100015 116716 113604
राजस्थान सरकार 108046 144061 252107 249814
सिक्किम सरकार 766 1240 2006 1984
तमिलनाडु सरकार 23673 107019 130692 123236
तेलंगाना सरकार 5781 37340 43121 42837
त्रिपुरा सरकार 551 7416 7967 7702
चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश सरकार  

320

 

19887

 

20207

 

19988

दादर नगर हवेली केंद्र शासित प्रदेश सरकार  

52

 

1763

 

1815

 

1696

दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश सरकार  

37

 

1848

 

1885

 

1670

लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश सरकार  

6

 

1036

 

1042

 

980

लक्षद्वीप केंद्र शासित प्रदेश सरकार  

2

 

1053

 

1055

 

1030

उत्तर प्रदेश सरकार 115976 1126776 1242752 1230604
उत्तराखंड सरकार 41131 68729 109860 106962
पश्चिम बंगाल सरकार 46969 74043 121012 83392
कुल 941717 3383464 4325181 4130135

* इस अवधि के दौरान निपटाई गई शेष 71,00,822 शिकायतें भारत सरकार से संबंधित हैं

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शी-बॉक्स पोर्टल, एक ऑनलाइन प्रणाली है जिसे ‘कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013’ (एसएच अधिनियम) के विभिन्न प्रावधानों के बेहतर कार्यान्वयन में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने हाल ही में शी-बॉक्स पोर्टल लॉन्च किया है, जो एक ऑनलाइन सिस्टम है जिसे ‘कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013’ (SH अधिनियम) के विभिन्न प्रावधानों के बेहतर कार्यान्वयन में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह अधिनियम संबंधित सरकार को इसके कार्यान्वयन की निगरानी करने और दर्ज किए गए और निपटाए गए मामलों की संख्या पर डेटा बनाए रखने का अधिकार देता है।

शी-बॉक्स पोर्टल मंत्रालय की एक पहल है, जिसका उद्देश्य देश भर में विभिन्न कार्यस्थलों पर गठित आंतरिक समितियों (आईसी) और स्थानीय समितियों (एलसी) से संबंधित सूचनाओं का सार्वजनिक रूप से उपलब्ध केंद्रीकृत संग्रह उपलब्ध कराना है, चाहे वे सरकारी हों या निजी क्षेत्र के और साथ ही एक संपूर्ण एकीकृत शिकायत निगरानी प्रणाली भी। इसमें प्रत्येक कार्यस्थल के लिए एक नोडल अधिकारी को नामित करने का प्रावधान है, जिसे शिकायतों की वास्तविक समय निगरानी के लिए नियमित आधार पर डेटा/जानकारी का अद्यतन सुनिश्चित करना होता है।

पोर्टल पर शिकायत एक पीड़ित महिला या शिकायतकर्ता की ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दर्ज की जा सकती है। यदि शिकायत दर्ज करने वाला व्यक्ति स्वयं पीड़ित महिला है, तो उसे अपने मूल विवरण जैसे कि उसकी कार्य स्थिति, नाम, फोन नंबर और ईमेल दर्ज करके पोर्टल पर लॉग इन करना होगा। यदि शिकायत दर्ज करने वाला व्यक्ति कोई अन्य व्यक्ति है, तो उसे अपना नाम, शिकायतकर्ता के साथ संबंध और शिकायतकर्ता की ओर से अंडरटेकिंग के साथ-साथ पीड़ित महिला/शिकायतकर्ता की कार्य स्थिति, नाम, फोन नंबर और ईमेल दर्ज करके पोर्टल पर लॉग इन करना होगा। अपने रोजगार की स्थिति के आधार पर शिकायत दर्ज करने वाले व्यक्ति को उस कार्यस्थल के आईसी/एलसी का चयन करना होगा जहां वे शिकायत दर्ज करना चाहते हैं। यदि पीड़ित महिला का आईसी या एलसी पोर्टल पर पंजीकृत है, तो शिकायत स्वचालित रूप से जमा हो जाएगी और संबंधित आईसी/एलसी को भेज दी जाएगी। यदि किसी कार्यस्थल का आईसी पोर्टल पर पंजीकृत नहीं है, तो पोर्टल पर शिकायतकर्ता से उस कार्यस्थल का विवरण प्राप्त करने तथा उस आईसी का शीघ्र पंजीकरण सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र और जिले के राज्य नोडल अधिकारी और जिला नोडल अधिकारी को सूचित करने के लिए एक ऑनलाइन प्रक्रिया उपलब्ध कराई गई है।

शी-बॉक्स पोर्टल में केंद्र/राज्य/संघ राज्य स्तर और जिला स्तर पर नोडल अधिकारियों के लिए निगरानी डैशबोर्ड है, जिससे उन मामलों की संख्या जो निर्धारित समयसीमा से परे हैं, निपटाए गए और लंबित मामलों की संख्या देखी जा सकती है। शिकायतकर्ता के लिए भी अपनी शिकायत की स्थिति को ट्रैक करने के लिए इसी तरह की सुविधा बनाई गई है। इसके अलावा, पोर्टल में किसी विशेष मंत्रालय/विभाग/राज्य/संघ राज्य क्षेत्र/निजी क्षेत्र/जिले के आईसी/एलसी के संबंध में रिपोर्ट तैयार करने की सुविधा है, ताकि पर्यवेक्षी अधिकारियों द्वारा बेहतर निगरानी और निर्धारित समय-सीमा का पालन किया जा सके।

शी-बॉक्स पोर्टल पर दर्ज की गई कोई भी शिकायत सीधे संबंधित कार्यस्थल के आईसी या जिले के एलसी के पास पहुंचती है, जैसा भी मामला हो। पोर्टल को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह गोपनीयता बनाए रखने के लिए शिकायतकर्ता के विवरण को छुपाता है। आईसी/एलसी के अध्यक्ष के अलावा कोई भी अन्य व्यक्ति दर्ज की गई शिकायत का विवरण या प्रकृति नहीं देख सकता है।

शी-बॉक्स पोर्टल का निर्माण ‘कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम, 2013’ के प्रावधानों के अनुसार किया गया है। अधिनियम के तहत जांच के लिए 90 दिन का समय निर्धारित है।

यह जानकारी आज महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।

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वैज्ञानिकों ने अगली पीढ़ी के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए आशाजनक सामग्रियों की पहचान की

वैज्ञानिकों ने अगली पीढ़ी के स्पिनट्रॉनिक्स उपकरणों और बहुक्रियाशील इलेक्ट्रॉनिक अनुप्रयोगों के लिए आशाजनक सामग्री के रूप में जानूस एसबी2एक्सएसएक्स के मोनोलेयर की क्षमता की पहचान की है, जो ऊर्जा-कुशल इलेक्ट्रॉनिक्स, लचीले उपकरणों और सेंसर में मांगों के लिए संभावित समाधान प्रस्तुत करते हैं।

बेहतर इलेक्ट्रॉनिक गुणों के साथ ऊर्जा कुशल सामग्री की बढ़ती मांग के कारण स्पिनट्रॉनिक्स और बहुक्रियाशील इलेक्ट्रॉनिक्स में उन्नत सामग्रियों की बढ़ती आवश्यकता महसूस की गई है। 2डी सामग्री वर्तमान समय में अपने असाधारण इलेक्ट्रॉनिक, ऑप्टिकल और यांत्रिक गुणों के कारण बहुत महत्वपूर्ण हो गई हैं, जो लचीले इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा भंडारण और नैनो प्रौद्योगिकी में प्रगति को सक्षम बनाती हैं। उनका परमाणु दुबलापन अत्यधिक कुशल और एवं उपकरणों को सक्षम बनाता है। इसके अलावा, उनके अद्वितीय गुण, जैसे उच्च चालकता और ट्यूनेबल बैंडगैप, स्पिनट्रॉनिक्स और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में नवाचार कर रहे हैं।

द्वि-आयामी (2 डी) सामग्री की जानूस संरचना (एक सामग्री या प्रणाली जिसमें विपरीत गुणों वाले दो अलग-अलग पक्ष) हाल के शोध में एक महत्वपूर्ण फोकस बने हैं, विशेष रूप से जानूस मोसे (द्वि-आयामी (2 डी) सामग्री के सफल संश्लेषण के बाद मोलिब्डेनम डाइसल्फ़ाइड-MoS₂), मोनोलेयर से प्राप्त सामग्री। ऊर्ध्वाधर विषमता गुणों वाली यह संरचना, आंतरिक विद्युत क्षेत्रों के ट्यूनिंग और पीजोइलेक्ट्रिक गुणों को शामिल करने की अनुमति प्रदान करती है। सामग्री संश्लेषण में हाल की प्रगति, गैर-सेंट्रोसिमेट्रिक संरचनाओं के अद्वितीय गुणों और स्पिनट्रॉनिक्स में नवीन अनुप्रयोगों के लिए दबाव ने जानूस एसबी2एक्सएसएक्स मोनोलयर की खोज करने के लिए प्रेरित किया।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी), मोहाली के वैज्ञानिकों ने जानूस एसबी2एक्सएसएक्स के संरचनात्मक, पीजोइलेक्ट्रिक, इलेक्ट्रॉनिक और स्पिनट्रॉनिक्स गुणों की जांच की है। उनके अध्ययन से पता चला कि पांच गुणे परमाणु परत वाले मोनोलेयर एक संरचनात्मक, गतिशील, थर्मल और यांत्रिक स्थिरता वाले एक आधारहीन स्थिर 2डी क्रिस्टल बनाते हैं और पीजोइलेक्ट्रिक गुणों का प्रदर्शन करते हैं। जानूस संरचना की विशिष्ट ऊर्ध्वाधर विषमता दिलचस्प इलेक्ट्रॉनिक गुणों को दर्शाती है, जिसमें रश्बा स्पिन-स्प्लिटिंग और स्पिन हॉल प्रभाव नामक गुण शामिल हैं और अगली पीढ़ी के स्पिनट्रॉनिक्स उपकरणों के लिए आशाजनक सामग्री के लिए क्षमता प्रदर्शित करते हैं।

हाल ही में जर्नल ऑफ एप्लाइड फिजिक्स में प्रकाशित अपने काम के बारे में, उन्होंने जानूस एसबी2एक्सएसएक्स के मोनोलेयर के अद्वितीय गुणों का पता लगाने के लिए कम्प्यूटेशनल भौतिकी के साथ उन्नत सामग्री विज्ञान को जोड़ा, जिससे स्पिनट्रॉनिक्स और बहुक्रियाशील इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में भविष्य की प्रौद्योगिकियों का मार्ग प्रशस्त हुआ।

पीजोइलेक्ट्रिकिटी, स्पिनट्रॉनिक्स और स्थिरता के संयुक्त गुणों के साथ, ये सामग्रियां बहुक्रियाशील उपकरणों के लिए मार्ग प्रशस्त करती हैं जो विभिन्न कार्यात्मकताओं (संवेदन, डेटा प्रोसेसिंग, ऊर्जा संचयन) को एक जगह पर एकीकृत करती हैं। यह उपकरण डिज़ाइन को सुव्यवस्थित कर सकता है और आवश्यक घटकों की संख्या में कमी ला सकता है, अंततः उपभोक्ता ज्यादा कॉम्पैक्ट एवं कुशल उत्पाद प्राप्त कर लाभान्वित हो सकते हैं। यह अनुसंधान भौतिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है, जो अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान कर सकता है, दैनिक जीवन को आसान बना सकता है और सतत तकनीकी विकास को बढ़ावा दे सकता है।

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महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र योजना के अंतर्गत 31 अक्टूबर, 2024 तक 43,30,121 खाते खोले गए

महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के लिए महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र योजना (एमएसएससी) ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के यादगार के रूप में 31 मार्च, 2023 को शुरू की गई थी। 31 अक्टूबर, 2024 तक इसके अंतर्गत 43,30,121 खाते खोले जा चुके हैं।

यह बात केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कही।

सरकार ने इस योजना को आकर्षक ब्याज दर पर देश की महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और निर्धारित वित्तीय समावेशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए शुरू किया था। इस महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र योजना के अंतर्गत खाता किसी महिला द्वारा स्वयं के लिए या किसी नाबालिग लड़की की ओर से अभिभावक द्वारा 31 मार्च, 2025 तक या उससे पहले खोला जा सकता है।

योजनाओं की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • यह खाता न्यूनतम जमा राशि ₹1000/- तथा अधिकतम जमा राशि ₹2 लाख के साथ दो वर्ष की अवधि के लिए खोला जा सकता है।
  • महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र योजना के लिए ब्याज दर 7.5 प्रतिशत प्रति वर्ष है जो तिमाही आधार पर संयोजित होकर खाते में जमा कर दी जाती है।
  • इस योजना के अंतर्गत अनुकंपा के आधार पर आंशिक निकासी और समयपूर्व बंद करने की सुविधा भी उपलब्ध है।

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केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज मीडिया को ग्रामीण विकास मंत्रालय की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी

केंद्रीय ग्रामीण विकास व कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज मीडिया को ग्रामीण विकास मंत्रालय की उपलब्धियों के बारे में बताया।उन्होंने कहा कि आधी आबादी को पूरा न्याय देना, महिला सशक्तिकरण हमारा सबसे प्राथमिक लक्ष्य है। श्री चौहान ने बताया कि इस साल मंत्रालय का बजट 1 लाख 84 हजार करोड़ था उसमें से 1 लाख 3 हजार करोड़ रूपये खर्च कर चुके हैं। प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने, ग्रामीण जनता को रोज़गार से जोड़ने और सुविधायें देने के लिए हम दिनरात काम कर रहे हैं। मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए श्री चौहान ने कहा कि किसी भी राज्य में मनरेगा व पीएम आवास योजना में कमियां मिलेंगी तो हम कार्रवाई करेंगे, कार्रवाई के लिए हम प्रतिबद्व हैं। मनरेगा जैसी योजनायें मांग आधारित योजनायें हैं। उसके लिए बजट कम पड़ने पर वित्त मंत्रालय से राज्यों की मांग के आधार पर फिर से पैसा मांगते हैं और वह लगातार रिवाइज़ होता रहता है।

 शिवराज सिंह चौहान द्वारा बताई गई मंत्रालय की उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:

  1. प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण
  • श्री शिवराज सिंह चौहान कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंर्तगत मार्च 2024 तक 2.95 करोड़ आवासों के निर्माण का लक्ष्य था, जिसमें से लगभग सभी घर स्वीकृत किए जा चुके हैं 2.67 करोड़ घर पूर्ण हो चुके हैं।
  • इस कार्यक्रम की सफलता और ग्रामीण घरों की आवश्यकता को महसूस करते हुए आवास योजना का विस्तार किया गया है और आने वाले अगले 5 वर्षों में 2 करोड़ अतिरिक्त आवासों का निर्माण किया जाएगा.
  • ये 2 करोड़ नए घर अगले पांच साल में 3.06 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से बनाए जाएंगे। कोई भी पात्र परिवार इस योजना के लाभ से वंचित न रहे इसलिए वर्तमान में 13 एक्सक्लूशन क्राइटेरिया को संशोधित कर 10 कर दिया गया है जिससे कोई भी आवास विहीन परिवार छूटने न पाये। एक्सक्लूशन क्राइटेरिया जैसे मशीनीकृत मछली पकड़ने वाली नाव, रेफ्रीजिरेटर, लैंडलाइन फ़ोन को हटा दिया गया है। इसके अलावा एक्सक्लूशन क्राइटेरिया में परिवार के किसी सदस्य की मासिक आय 10,000 से बढाकर रुपये 15,000 कर दी गयी है। मेरी सरकार ने आपके विचारों एवं सभी सहभागियों से परामर्श करके निर्णय लिया कि ग़ैर ज़रूरी शर्तों को हटाया जाये जिससे सभी के लिये आवास के उद्देश्य को सच मायने में साकार किया जा सके। पुरानी एवं नई एक्सक्लूशन क्राइटेरिया संलग्न  है।
  • श्री चौहान ने कहा कि आप इस बात से भी अवगत हैं कि ग्रामीण भारत के उत्थान की दिशा में हमारा लक्ष्य केवल आवास देना ही नहीं बल्कि आवास के साथ मूलभूत सुविधायें भी सुनिश्चित करना है और इसके अंतर्गत लाभार्थियों को MGNREGA के तहत अपने घर बनाने के लिए 90-95 दिनों की मजदूरी का भी लाभ दिया जाता है एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं जैसे स्वच्छ भारत मिशन, उज्ज्वला योजना, और सौभाग्य योजना से समन्वय कर आवासों में शौचालय, रसोई गैस और बिजली की सुविधा सुनिश्चित की जा रही है । साथ प्रधान मंत्री सूर्य घर: मुफ़्त बिजली योजना से समन्वय करके लाभार्थियों को सोलर रूफ टॉप का कनेक्शन देकर उनके बिजली बिल को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। इस योजना के तहत बनने वाला हर घर एक संपूर्ण आवास है… एक सुविधा संपन्न आवास। सच मायने में यही योजना, ग़रीबी मुक्त गाँव एवं विकसित भारत की आधारशिला साबित होंगे।
  • नव अनुमोदित 2 करोड़ के लक्ष्य में से मौजूदा 18 राज्यों को लगभग 38 लाख का लक्ष्य दिया गया है जिसके लिए आप सभी राज्यों को रूपये 10668 करोड़ फण्ड जारी कर दिया गया है। इस योजना में फंड्स की कोई कमी नहीं है और राज्यों से अनुरोध है कि राज्यंश को समय से निर्गत करें एवं फंड्स का उपभोग करके अगली किश्त के लिए प्रस्ताव भेजकर केंद्र सरकार से केंद्रांश प्राप्त करें।
  • न्यूनतम घर का आकार 25 वर्ग मीटर निर्धारित किया गया है, जिसमें स्वच्छ खाना पकाने की जगह भी शामिल है, मैदानी इलाकों में ₹1.20 लाख और पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों में ₹1.30 लाख की सहायता दी जाएगी। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के माध्यम से कुशलतापूर्वक भुगतान किया जाता है, इस वर्ष 10 लाख से अधिक लाभार्थियों को भुवनेश्वर में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक क्लिक के माध्यम से उनकी पहली किस्त प्राप्त हुई है।
  • आप लोगों को ये अवगत कराना चाहता हूँ कि 17 सितम्बर 2024 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भुबनेश्वर, उड़ीसा से सिंगल क्लिक द्वारा 15 लाख आवासों को स्वीकृत पत्र देने सहित  10 लाख से अधिक लाभार्थियों को आवास निर्माण हेतु प्रथम किश्त के रूप में रूपये 3180 करोड़ आधार के माध्यम से जारी किया गया  एवं 26 लाख से अधिक आवासों का गृह प्रवेश भी कराया गया.
  • प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण को आप सिर्फ एक योजना की तरह न समझें, यह एक आम जनता के लिए एक उम्मीद है, यह सम्मान, सशक्तीकरण और बेहतर भविष्य का निर्माण करने का आधार है। यह योजना भारत सरकार की गांवों के विकास के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।

पुराने एवं संशोधित एक्सक्लूशन क्राइटेरिया की सूची:

पहले (13): पुराने अब (10): संशोधित
  1. मोटर चालित दो/तीन/चार पहिया वाहन/मछली पकड़ने वाली नाव
  2. यंत्रीकृत तीन/चार पहिया कृषि उपकरण
  3. ₹50,000 या उससे अधिक की क्रेडिट सीमा वाला किसान क्रेडिट कार्ड
  4. सरकारी कर्मचारी के रूप में किसी भी सदस्य के साथ परिवार
  5. सरकार के साथ पंजीकृत गैर-कृषि उद्यमों वाले परिवार
  6. परिवार का कोई भी सदस्य प्रति माह ₹10,000 से अधिक कमाता है
  7. आयकर का भुगतान
  8. पेशेवर कर का भुगतान
  9. एक रेफ्रिजरेटर के मालिक
  10. खुद का लैंडलाइन फोन
  11. कम से कम एक सिंचाई उपकरण के साथ 2.5 एकड़ या अधिक सिंचित भूमि के मालिक
  12. दो या अधिक फसल मौसमों के लिए 5 एकड़ या अधिक सिंचित भूमि
  13. कम से कम एक सिंचाई उपकरण के साथ कम से कम 7.5 एकड़ भूमि या अधिक का मालिक होना

 

  1. मोटर चालित तीन/चार पहिया वाहन
  2. यंत्रीकृत तीन/चार पहिया कृषि उपकरण
  3. 50,000 रुपये या उससे अधिक की क्रेडिट सीमा वाला किसान क्रेडिट कार्ड
  4. सरकारी कर्मचारी के रूप में परिवार का कोई भी सदस्य
  5. सरकार के साथ पंजीकृत गैर-कृषि उद्यमों वाले परिवार
  6. परिवार का कोई भी सदस्य प्रति माह 15,000 रुपये से अधिक कमाता है
  7. आयकर का भुगतान
  8. पेशेवर कर का भुगतान
  9. 2.5 एकड़ या उससे अधिक सिंचित भूमि के मालिक
  10. 5 एकड़ या उससे अधिक असिंचित भूमि के मालिक

 

 

  1. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क यो
  2. जना (पीएपीएमजीएसवाई)
  • पीएमजीएसवाई:
  • पीएमजीएसवाई के विभिन्न घटकों के अंतर्गत 9 जून 2024 से 02 दिसंबर2024 तक 9,013 किमी सड़क को स्वीकृति प्रदान की गई है एवं 7,058 किलोमीटर का निर्माण किया जा चुका है एवं 1,067 बसावटों को योजना की शुरुआत से 02.12.2024 तक कनेक्टिविटी प्रदान की गई है।
  • पीएमजीएसवाई-III के अंतर्गत 9 जून 2024 से 02 दिसंबर2024 तक 6,614 किमी सड़क को स्वीकृति प्रदान की गई है जिसमें पश्चिम बंगाल का 3,380 किमी भी शामिल है जिसकी हाल ही में स्वीकृति दी गई है। इसके सापेक्ष 6,473 किमी का निर्माण किया जा चुका है।
  • पीएमजीएसवाई-IV:
  • आबादी मानकों के अनुसार सड़कों से न जुड़ी पात्र बसावटों की पहचान करने के लिए सर्वेक्षण का कार्य इस समय जारी है।
  • 15 राज्यों का सर्वेक्षण कार्य पूरा हो गया है।
  • पीएमजीएसवाई-IV दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दे दिया गया है और इन्हें शीघ्र ही जारी कर दिया जाएगा।
  • Accessibility guidelines तैयार किए गए हैं और इसका उपयोग पीएमजीएसवाई-IV सड़कों की डीपीआर तैयार करने में किया जाएगा। यह PMGSY-IV सड़कों को पार करते समय या यात्रा करते समय विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों की सुरक्षित और आरामदायक आवाजाही सुनिश्चित करेगा।
  • PMGSY-IV के अंतर्गत 10% कार्य इसी वर्ष स्वीकृत करने का लक्ष्य है।
  • पीएम-जनमन:
  • 9 जून 2024 से 02 दिसंबर2024 तक 2,337 किमी सड़क को स्वीकृति दी गई हैजिसमें से 12 किमी सड़क का निर्माण किया जा चुका है।
  • वित्तीय प्रगति
  • वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान, 5973 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं और 02.12.2024 तक 10,762 करोड़ रुपये (राज्य के हिस्से सहित) खर्च किए गए हैं।
  • अतिरिक्त सूचना
  • पीएमजीएसवाई के विभिन्न घटकों के अंतर्गत 02 दिसंबर, 2024 तक 8,34,657 किमी सड़क को स्वीकृति प्रदान की गई है एवं 7,69,284 किमी का निर्माण किया जा चुका है एवं 1,54,835 बसावटों को योजना की शुरुआत से 02.12.2024 तक कनेक्टिविटी प्रदान की गई है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-I,II,III एवं आरसीपीएलडब्ल्यूईए की समय सीमा मार्च 2025 तक है ।
  • पीएमजीएसवाई-I के तहत, 1,55,276 बसावटों को स्वीकृति प्रदान की गई है और 99.7% बसावटों को सड़क संपर्क दे दिया गया है।
  • पीएमजीएसवाई-II के अंतर्गत करीब करीब 100% कार्य पूरे हो गए है।
  • पीएमजीएसवाई-III के अंतर्गत भी 72% कार्य पूरे हो गए है।
  • पीएमजीएसवाई के अंतर्गत 02.12.2024 तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 2,65,498 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं और 3,29,310 करोड़ रुपये (राज्य के हिस्से सहित) खर्च किए गए हैं।
  1. दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
  • लखपति दीदी
  • नई लखपति दीदियां बनाना :
    • 9 जून 2024 के बाद, डीएवाई-एनआरएलएम के तहत विभिन्न राज्य-नेतृत्व वाली पहलों के माध्यम से उल्लेखनीय 15 लाख नई लखपति दीदियों को सशक्त बनाया गया है।
    • इन नई जोड़ी गई लखपति दीदियों के विस्तृत राज्यवार आंकड़े तालिका-I में हैं।
  • संचयी प्रभाव:
    • देश भर में लखपति दीदियों की कुल संख्या 1,15,00,274 तक पहुंच गई है।
    • कुल आंकड़ों का राज्यवार विस्तृत विवरण तालिका-II में है।
  • सामुदायिक प्रबंधित प्रशिक्षण केन्द्रों (सीएमटीसीका विस्तार:
  • नये केन्द्र स्थापित:
    • 9 जून 2024 से अब तक 150 नए सीएमटीसी स्थापित किए जा चुके हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूती मिलेगी। राज्य-वार आंकड़े तालिका-III में संलग्न हैं
  • कुल सीएमटीसी:
    • उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में देश भर में वर्तमान में कार्यरत सीएमटीसी की कुल संख्या 301 शामिल है। ये केंद्र ग्रामीण समुदायों को आजीविका में स्थायी सुधार लाने के लिए कौशल और जानकारी के लिए  महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • डीएवाईएनआरएलएम के अंतर्गत प्रगति के मुख्य बिन्दु:
  • संचयी उपलब्धियां:
    • दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के अंतर्गत समेकित प्रगति और प्रमुख निष्पादन संकेतकों को तालिका-IV में संक्षेप में दिया गया है।
    • ये उपलब्धियां ग्रामीण परिवारों को सशक्त बनाने, महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भर सामुदायिक संस्थाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाती हैं।
  1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना

केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (महात्मा गांधी नरेगा) का उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को, जिसके वयस्क सदस्य स्वेच्छा से काम करते हैं, एक वित्तीय वर्ष में कम से कम एक सौ दिन की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों की आजीविका सुरक्षा बढ़ाना है।

उपलब्धियाँ: वित्तीय वर्ष 2024-25 (01.06.2024 से 02.12.2024)

  • 123 करोड़ श्रमदिवस सृजित किए गए
  • 46,907 करोड़ रु. केन्द्रीय निधि जारी कर दी गई है
  • 43.81 लाख कार्य पूर्ण हो चुके हैं

तीसरे कार्यकाल में की गई प्रमुख पहल/निर्णय:

  • मिशन अमृत सरोवर का शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा 24 अप्रैल 2022 को किया गया था, जिसका उद्देश्य देश के सभी ग्रामीण जिले में (सिवाय दिल्ली, चंडीगढ़ और लक्षद्वीप के केंद्र शासित प्रदेशों )75 अमृत सरोवरों का निर्माण या पुनर्जीवन करना था, ताकि 15 अगस्त 2023 तक देशभर में कुल 50,000 सरोवर बनाए जा सकें, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। अब तक 68,000 से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण/पुनर्जीवन कार्य पूरा किया जा चुका है। इस मिशन को आगे बढ़ाते हुए और अधिक सरोवरों का निर्माण/पुनर्जीवन किया जाएगा, जिसमें जन सहभागिता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ये सरोवर आने वाले वर्षों तक स्थायी जल संसाधन और सक्रिय सामुदायिक केंद्र के रूप में कार्य करते रहें। इसके सात ही, सभी संबंधित विभागों/मंत्रालयों और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को मिशन के आगे बढ़ाने के लिए पत्र और संशोधित दिशानिर्देश पहले ही साझा किए जा चुके हैं।
  • युक्तधारा पोर्टल:1 अक्टूबर 2024 से 31 दिसंबर 2024 तक चरणबद्ध तरीके से सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में युक्तधारा पोर्टल शुरू करने का निर्णय लिया गया है। युक्तधारा महात्मा गांधी नरेगा कार्यों की जीआईएस आधारित जीपी योजना के लिए एक गतिशील पोर्टल है, जिसमें पोर्टल में ही रिज टू वैली दृष्टिकोण के संदर्भ में विश्लेषण के लिए विशेषताएं हैं।
  • जनमनरेगा-II: मौजूदा जनमनरेगा ऐप को नया रूप देने का निर्णय लिया गया है, जो नागरिकों को सूचना के सक्रिय प्रकटीकरण के साथ-साथ महात्मा गांधी नरेगा के कार्यान्वयन के बारे में एक फीडबैक तंत्र बनाने में सहायता करता है।
  • प्रशिक्षण मॉड्यूल का विकास: महात्मा गांधी नरेगा के तहत क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं की क्षमता बढ़ाने के लिए, इस योजना के तहत ग्राम रोजगार सहायकों को प्रशिक्षण देने के लिए एक प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित किया गया है।
  1. राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम
  • वृद्धावस्था, विधवाओं और दिव्यांगजनों से संबंधित लगभग 3 करोड़ लाभार्थियों को एनएसएपी योजनाओं के तहत सामाजिक सुरक्षा पेंशन वितरित करने के लिए 4554.20 करोड़ रुपये जून, 2024 से जारी किए गए हैं।
  • एनआईसी द्वारा विकसित मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से पेंशनभोगियों के डिजिटल जीवन प्रमाणन के लिए एक अभिनव उपकरण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है।  एप्लिकेशन को राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया जाएगा।
  1. दिशा समिति
  2. श्री चौहान ने बताया कि देश के 784 जिलों में जिला स्तरीय दिशा समितियों का पुनर्गठन किया गया है और 477 सांसदों को 784 जिलों में अध्यक्ष, 261 सांसदों को 363 जिलों में सह-अध्यक्ष तथा 63 सांसदों को 81 जिलों में  विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में इन समितियों के लिए नामित किया गया है।
  3. राज्य स्तरीय दिशा समितियों में सदस्य के रूप में 186 सांसदों (127 लोकसभा/59 राज्यसभा) को नामित किया गया है।
  4. नव मनोनीत अध्यक्षों ने 24 राज्यों के 272 जिलों में 276 बैठकें कर ली है ।
  5. मंत्रालय द्वारा अब तक राज्य तथा जिला स्तरीय दिशा समितियों के लिए 93 गैर-सरकारी सदस्यों के  नामांकन कर दिए गए हैं।
  6.  दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY)

प्रस्तावना –

ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) ने एक महत्वाकांक्षी एजेंडा, कौशल विकास कार्यक्रम को वैश्विक मानकों के लिए बेंचमार्क स्थापित करने के उद्देश्य से,दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY) के रूप में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत वैतनिक रोज़गार पर आधारित कौशल विकास कार्यक्रम को 25 सितंबर 2014 को नए रूप में शुरूआत की।

विशेषताएं –

15 से 35 वर्ष के आयु वर्ग के गरीब परिवारों के ग्रामीण युवाओं पर विशेष ध्यान: क) मनरेगा श्रमिक परिवार, यदि परिवार के किसी व्यक्ति ने 15 दिन का काम पूरा किया हो, ख) आरएसबीवाई परिवार, ग) अंत्योदय अन्न योजना कार्ड परिवार, डी) बीपीएल पीडीएस कार्ड परिवार, ई) एनआरएलएम-एसएचजी परिवार, एफ) गरीबों की पहचान की भागीदारी प्रक्रिया, जी) एसईसीसी 2011 के ऑटो समावेशन मानकों के तहत आने वाले परिवार।

सामाजिक रूप से वंचित समूहों का अनिवार्य कवरेज, यानी एससी/एसटी-50%, अल्पसंख्यक-15%, और महिलाएं 33% और हाथ से मैला ढोने वालों, दिव्यांगों और महिला प्रधान घर पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

  • भौतिक प्रगति –
प्रगति 100 दिवस प्रगति 09 जून से अब तक
प्रशिक्षित नियोजित प्रशिक्षित नियोजित
25,233 15,696 60,765 45,615

 

  • वित्तीय प्रगति –
प्रगति 100 दिवस प्रगति 09 जून से अब तक
फंड रिलीज (लाख में) फंड रिलीज (लाख में)
1249.99 13982.55

 

प्रमुख उपलब्धियां:

  • केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि सभी राज्यों के साथ योजना की समीक्षा बैठकें पूरी की जा चुकी हैं।
  • 14 कैप्टिव नियोक्ताओं को 11 राज्यों द्वारा कैप्टिव नियोक्ताओं को 30 परियोजनाएं राज्य द्वारा आवंटित की गईं हैं।

नई पहल:

  • दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना 2.0 दिशानिर्देश को मंजूरी दे दी गई है, इससे ग्रामीण गरीब युवाओं को कुशल विकास करने में और नौकरियों दिलाने में मदद मिलेगी।
  • NIC द्वारा दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना और ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान योजना सहित ग्रामीण कौशल के लिए एक मजबूत एमआईएस(MIS) एकीकृत और समेकित पोर्टल विकसित किया जा रहा है, जिसमें जुटाव, परामर्श, प्रशिक्षण, नौकरी पर प्रशिक्षण, प्लेसमेंट/सेटलमेंट, नियोजित और स्थापित उम्मीदवारों की ट्रैकिंग और प्रशिक्षण संस्थानों को भुगतान जैसे सभी मॉड्यूल शामिल हैं।
  1. ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान योजना (RSETI)
  • ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान योजना प्रायोजक बैंकों, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार और राज्य सरकार के बीच तीन-तरफ़ा साझेदारी है।
  • ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान अल्पकालिक प्रशिक्षण और दीर्घावधि हैंडहोल्डिंग के दृष्टिकोण पर कार्यरत है।
  • ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान कार्यक्रम वर्तमान में देश के 33 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के 588 जिलों में 25 अग्रणी बैंकों (सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र और साथ ही कुछ ग्रामीण बैंकों दोनों) द्वारा 602 ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानो के माध्यम से क्रियाँवित किया जा रहा है।
  • ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा 44 नवनिर्मित जिलों में (आरएसईटीआई) खोलने हेतु प्रशासकीय स्वीकृति राज्य और बैंक को प्रदान की गई है ।
  1. भौतिक प्रगति –
प्रगति 100 दिवस प्रगति 09 जून से अब तक
प्रशिक्षित नियोजित प्रशिक्षित नियोजित
1,84,765 99,329 3,25,239 2,06,114
  1. वित्तीय प्रगति –
प्रगति 100 दिवस प्रगति 09 जून से अब तक
फंड रिलीज (लाख में) फंड रिलीज (लाख में)
398.26 15289.89

      प्रमुख उपलब्धियां:

  • श्री चौहान ने बताया कि सभी राज्यों के साथ समीक्षा बैठकें पूरी हो चुकी हैं।
  • ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान योजना भवन के निर्माण के लिए अनुदान को 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये कर दिया है
  • राष्ट्रीय कौशल योग्यता परिषद(NSQC) से अनुमोदन के बाद दो पाठ्यक्रम, कृषि-उद्यमिता एवं  ‘पशु मित्र’ और ‘मत्स्य मित्र’ शुरू किए गए।
  • आरएसईटीआई 2.0 दिशा-निर्देशों को मंजूरी दी गई तथा संशोधित दिशा-निर्देशों के आधार पर कार्यक्रम के सुचारू संचालन के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं विकसित की जा रही हैं।
  • NABARD के सहयोग से IIT चेन्नई द्वारा शिक्षण प्रबंधन प्रणाली (एलएमएस) बनाया जा रहा है।  

आजीविका मिशन के टेबल

तालिका – I

09 जून 2024 के बाद बनाई गई 15 लाख नई लखपति दीदी   (राज्यवार विवरण)

क्र. सं. राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों का नाम  एसएचजी सदस्यों की संख्या क्र. सं राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों का नाम एसएचजी सदस्यों की संख्या
1 अंडमान और निकोबार द्वीप समूह 240 18 मध्य प्रदेश 96,240
2  आंध्र प्रदेश 1,22,160 19  महाराष्ट्र 1,04,520
3  अरुणाचल प्रदेश 1,260 20  मणिपुर 3,060
4  असम 52,800 21  मेघालय 6,120
5  बिहार 1,81,260 22  मिजोरम 1,080
6  छत्तीसगढ़ 46,920 23  नागालैंड 1,800
7  दादरा एवं नगर हवेली 180 24  ओडिशा 97,200
8  गोवा 660 25  पुदुचेरी 660
9  गुजरात 44,580 26  पंजाब 9,660
10  हरियाणा 10,740 27  राजस्थान 67,620
11  हिमाचल प्रदेश 4,980 28  सिक्किम 840
12  जम्मू और कश्मीर 13,980 29  तमिलनाडु 54,000
13  झारखंड 50,640 30  तेलंगाना 67,500
14  कर्नाटक 47,580 31  त्रिपुरा 6,780
15  केरल 53,580 32  उत्‍तर प्रदेश 1,73,520
16  लद्दाख 180 33  उत्तराखंड 7,200
17  लक्षद्वीप 60 34  पश्चिम बंगाल 1,70,400
         कुल 15,00,000

 

तालिका -II

 देश में लखपति दीदियों की कुल संख्या(राज्यवार)

 

क्रसं. राज्य स्वरिपोर्टेड लखपति दीदियों की संख्या
1 अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह                                                  482
2 आंध्र प्रदेश                                     14,87,631
3 अरुणाचल प्रदेश                                              5,057
4 असम                                       5,18,359
5 बिहार                                     13,47,649
6 छत्तीसगढ़                                       3,37,097
7 दमन और दीव तथा दादर नगर हवेली                                              2,021
8 गोवा                                                  866
9 गुजरात                                       5,38,760
10 हरियाणा                                           62,743
11 हिमाचल प्रदेश                                           40,417
12 जम्मू और कश्मीर                                           43,050
13 झारखंड                                       3,51,808
14 कर्नाटक                                       2,36,315
15 केरल                                       2,84,616
16 लक्षद्वीप                                                     60
17 मध्य प्रदेश                                     10,51,069
18 महाराष्ट्र                                     10,04,338
19 मणिपुर                                           15,559
20 मेघालय                                           39,976
21 मिजोरम                                           17,167
22 नागालैंड                                           12,294
23 ओडिशा                                       5,37,350
24 पुदुचेरी                                              7,546
25 पंजाब                                           31,700
26 राजस्थान                                       2,70,405
27 सिक्किम                                              7,794
28 तमिलनाडु                                       3,18,101
29 तेलंगाना                                       7,58,693
30 त्रिपुरा                                           58,495
31 लद्दाख                                           51,903
32 उत्‍तर प्रदेश                                       8,41,923
33 उत्तराखंड                                           37,178
34 पश्चिम बंगाल                                     11,81,852
कुल                                 1,15,00,274
क्रसं. राज्य 24 मार्च तक मौजूदा सीएमटीसी 09 जून 2024 के बाद शुरू किए गए सीएमटीसी की संख्या सीएमटीसी की कुल संख्या
1 अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह 0 1 1
2 अरुणाचल प्रदेश 0 3 3
3 असम 5 10 15
4 बिहार 41 10 51
5 गुजरात 3 5 8
6 झारखंड 21 8 29
7 मध्य प्रदेश 17 15 32
8 महाराष्ट्र 15 10 25
9 मेघालय 0 2 2
10 नागालैंड 0 2 2
11 ओडिशा 10 6 16
12 राजस्थान 9 20 29
13 त्रिपुरा 0 7 7
14 पुदुचेरी 0 2 2
15 उत्‍तर प्रदेश 5 10 15
16 उत्तराखंड 0 3 3
17 पश्चिम बंगाल 12 17 29
18 पंजाब 0 10 10
19 आंध्र प्रदेश 0 9 9
20 छत्तीसगढ़ 7 0 7
21 तमिलनाडु 5 0 5
22 कर्नाटक 1 0 1
  कुल 151 150 301

 

तालिका-III

सामुदायिक प्रबंधित प्रशिक्षण केंद्रों (सीएमटीसी) की संख्‍या (राज्‍य–वार)

 

तालिका -IV

क्र सं. संकेतक संचयी उपलब्धि

31 अक्टूबर 2024 की स्थिति के अनुसार

1 स्वयं सहायता समूहों में संगठित महिलाओं की संख्या (करोड़ में) 10.05
2 प्रोत्साहित किए गए स्वयं सहायता समूहों की संख्या (लाख में) 90.87
3 वितरित ऋण राशि (रु. करोड़  में) 9,69,140.16
4 प्रदान की गई पूंजीकरण सहायता (परिक्रामी निधि + सामुदायिक निवेश निधि) की राशि (रुपये  करोड़ में) 47,685.12
5 गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) 1.59% (As on date)
6 तैनात बैंकिंग संवाददाता सखी/डिजीपे सखी की संख्या (एनआरएलएम+एनआरईटीपी) 1,35,127
7 कृषि पारिस्थितिकीय कार्यों (एईपी) कार्यकलापों के अंतर्गत शामिल की गई महिला किसानों की संख्या (लाखों में) 401
8 कृषि-पोषक उद्यान रखने वाली महिला किसानों की संख्या (लाखों में) 250
9 एसवीईपी के अंतर्गत समर्थित उद्यमों की संख्या (लाखों में) 3.10

 

स्थापना के बाद से डीएवाईएनआरएलएम के अंतर्गत  संचयी उपलब्धि

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कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने कारोबार को आसान बनाने और स्वीकृति प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं

भारत में ‘कारोबार करने में सुगमता’ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 248 (2) के अंतर्गत कंपनियों की स्वैच्छिक स्ट्राइक ऑफ प्रक्रिया को केंद्रीकृत करने और प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए 17 मार्च, 2023 को एमसीए अधिसूचना संख्या एस.ओ. 1269 (ई) के तहत त्वरित कॉर्पोरेट निकासी प्रसंस्करण केंद्र (सी-पेस) की स्थापना की गई थी।

इसकी शुरुआत होने के बाद से वित्तीय वर्ष 2023-24 में आरओसी सी-पेस के माध्यम से कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 248(2) के तहत वित्त वर्ष 2023-24 में 13,560 कंपनियों को और चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 15 नवंबर तक 11,855 कंपनियों को हटाया गया है।ऐसे आवेदनों के निपटान में लगने वाला औसत समय घटकर अब 70-90 दिन के बीच रह गया है।

मंत्रालय ने दिनांक 5 अगस्त, 2024 की अधिसूचना संख्या जीएसआर 475 (ई) के तहत सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) को शून्य करने से संबंधित ई-फॉर्म के प्रसंस्करण के लिए सीपीएसीई को सशक्त बनाकर सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) को समाप्त करने हेतु केंद्रीकृत कर दिया है।

27 अगस्त, 2024 से प्रभावी आरओसी सी-पेस के माध्यम से एलएलपी को हटाने की प्रक्रिया के लिए ई-फॉर्म चालू कर दिए गए हैं और 15 नवंबर, 2024 तक सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 की धारा 75 और सीमित देयता भागीदारी नियम, 2009 के नियम 37 के अंतर्गत 3,264 एलएलपी को समाप्त कर दिया गया है।

कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय कारोबार को आसान बनाने और स्वीकृति प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख गतिविधियां शामिल हैं:

(i) कंपनी और एलएलपी अधिनियमों के तहत 63 आपराधिक गतिविधियों का गैर-अपराधीकरण किया गया। कॉरपोरेट्स को राहत प्रदान करते हुए गैर-अपराधीकरण का एक उद्देश्य न्यायिक अदालतों में मुकदमेबाजी के बोझ को कम करना और अभियोजन मामलों को न्यायनिर्णयन की ओर स्थानांतरित करना भी है।

 (ii) 54 से अधिक फॉर्मों को सीधी प्रक्रिया (एसटीपी) में परिवर्तित किया गया, जिसके लिए पहले क्षेत्रीय कार्यालयों की मंजूरी की आवश्यकता होती थी।

(iii) नाम आरक्षण, निगमन, पैन, टैन, डीआईएन आवंटन, ईपीएफओ पंजीकरण, ईएसआईसी पंजीकरण, जीएसटी नंबर और कंपनी के निगमन के समय बैंक खाता खोलने जैसी विभिन्न सेवाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए ई-फॉर्म एसपीआईसीई+ के साथ-साथ एजीआईएल प्रो-एस नामक लिंक्ड फॉर्म की शुरुआत की गई है, ताकि व्यवसाय तुरंत शुरू किया जा सके। इसी प्रकार, एक ही आवेदन में समान सेवाएं प्रदान करने के लिए नया ई-फॉर्म फिल्लिप (सीमित देयता भागीदारी के निगमन के लिए फॉर्म) पेश किया गया।

(iv) लघु कंपनी की परिभाषा में संशोधन किया गया है, जिसके तहत लघु कंपनी की प्रारंभिक सीमा को 2.00 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4.00 करोड़ रुपये कर दिया गया है और टर्नओवर को 20.00 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 40.00 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसी प्रकार, छोटे एलएलपी की अवधारणा शुरू की गई है, जो कम अनुपालन और कम शुल्क के अधीन है ताकि स्वीकृति प्रक्रिया की लागत कम हो सके।

(v) निगमन प्रक्रिया में एकरूपता प्रदान करने के लिए निगमन हेतु एक केंद्रीकृत कंपनी रजिस्ट्रार (सीआरसी) की शुरुआत हुई है।

(vi) एसटीपी के तहत दायर ई-फॉर्मों की केंद्रीकृत जांच के लिए एक केंद्रीय जांच केंद्र (सीएससी) की स्थापना की गई है।

(vii) निर्दिष्ट गैर-एसटीपी ई-फॉर्मों के केंद्रीकृत प्रसंस्करण के लिए एक केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र (सीपीसी) को स्थापित किया गया है।

(viii) कंपनी अधिनियम से संबंधित अपराधों के न्यायनिर्णयन के लिए ई-न्यायनिर्णयन पोर्टल को प्रारंभ किया गया है।

(ix) 15.00 लाख रुपये तक की अधिकृत पूंजी वाली कंपनी के निगमन के लिए कोई शुल्क नहीं रखा गया है।

(x) कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत विलय के लिए फास्ट ट्रैक प्रक्रिया को बढ़ाया गया, ताकि स्टार्टअप्स का अन्य स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियों के साथ विलय भी इसमें शामिल किया जा सके, जिससे विलय तथा एकीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।

(xi) सीए-2013 (क्षेत्रीय निदेशकों के अनुमोदन के माध्यम से त्वरित विलय एवं एकीकरण) की धारा 233 का दायरा बढ़ाया गया। इसमें अब भारत के बाहर निगमित किसी हस्तांतरणकर्ता विदेशी कंपनी (होल्डिंग कंपनी) का भारत में निगमित उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के साथ विलय भी शामिल है।

(xii) किसी कंपनी के पंजीकृत कार्यालय के स्थानांतरण की लागत शून्य कर दी गई है।

 (xiii) वीडियो कॉन्फ्रेंस (वीसी) के माध्यम से किसी कंपनी की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) और असाधारण आम बैठक (ईजीएम) आयोजित करने का प्रावधान हुआ है।

 (xiv) कंपनी (अनुमेय क्षेत्राधिकारों में इक्विटी शेयरों की लिस्टिंग) नियम, 2024 जारी किए गए हैं, जो भारतीय सार्वजनिक कंपनियों को गिफ्ट आईएफएससी में अंतर्राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज(ओं) पर अपने इक्विटी शेयरों को सूचीबद्ध करने की अनुमति देते हैं।

कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ​​ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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लखपति दीदी और नमो दीदी पहल से लाभान्वित होने वाली महिलाओं की कुल संख्या का राज्यवार और श्रेणीवार विवरण

दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसे पूरे देश में (दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़कर) लागू किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण गरीबी को कम करना है, ग्रामीण गरीब महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में संगठित करना और उन्हें तब तक लगातार पोषित और समर्थन देना है जब तक कि वे समय के साथ आय में सराहनीय वृद्धि प्राप्त न कर लें, अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार करें और गरीबी से बाहर आ जाएं। लखपति दीदी पहल DAY-NRLM के परिणामों में से एक है। स्वयं सहायता समूह (SHG) के सदस्यों को लखपति बनाने के लिए एक संरचित दृष्टिकोण अपनाया गया है, यानी वे स्थायी आधार पर प्रति वर्ष न्यूनतम एक लाख रुपये कमाते हैं। लखपति दीदियों की राज्य/संघ राज्य क्षेत्रवार संख्या अनुलग्नक-I में दी गई है। मंत्रालय में श्रेणीवार डेटा नहीं रखा जा रहा है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की नमो ड्रोन दीदी योजना का लक्ष्य 2023-24 से 2025-26 तक डीएवाई-एनआरएलएम के तहत 15,000 एसएचजी सदस्यों को ड्रोन उपलब्ध कराना है। वर्ष 2023-24 के दौरान उर्वरक कंपनियों ने अपने संसाधनों के माध्यम से एसएचजी सदस्यों को 503 ड्रोन वितरित किए हैं। राज्यवार विवरण अनुलग्नक-II में दिए गए हैं।

डीएवाई-एनआरएलएम के तहत, अक्टूबर, 2024 तक 10.05 करोड़ महिलाओं को 90.87 लाख एसएचजी में संगठित किया गया है। डीएवाई एनआरएलएम एक प्रक्रिया संचालित कार्यक्रम है, जहां विभिन्न लाभ, जैसे, रिवॉल्विंग फंड, सामुदायिक निवेश निधि, बैंक लिंकेज आदि एसएचजी को उनकी पात्रता और उनकी मांगों के अनुसार दिए जाते हैं।

मंत्रालय ने डीएवाई-एनआरएलएम के तहत हस्तक्षेपों के माध्यम से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता पर निहितार्थ को समझने के लिए प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन शुरू किया है। डीएवाई-एनआरएलएम का प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन 2019-20 के दौरान विश्व बैंक के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव मूल्यांकन पहल (3ie) द्वारा किया गया था। मूल्यांकन निम्नलिखित प्रमुख निष्कर्षों को इंगित करता है:

i. आधार राशि की तुलना में आय में 19% की वृद्धि।

ii. अनौपचारिक ऋणों की हिस्सेदारी में 20% की कमी।

iii. बचत में 28% की वृद्धि।

iv. श्रम शक्ति भागीदारी में सुधार – उपचार क्षेत्रों में द्वितीयक व्यवसाय की रिपोर्ट करने वाली महिलाओं का अनुपात अधिक (4%) है।

v. अन्य योजनाओं तक बेहतर पहुंच – उपचारित परिवारों द्वारा प्राप्त सामाजिक योजनाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि (2.8 योजनाओं के आधार मूल्य की तुलना में 6.5% अधिक)।

यह जानकारी ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

एमजी/केसी/वीएस

अनुलग्नक – I

क्रम संख्या राज्य लखपति दीदियों की संख्या
1 अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह 482
2 आंध्र प्रदेश 14,87,631
3 अरुणाचल प्रदेश 5,057
4 असम 5,18,359
5 बिहार 13,47,649
6 छत्तीसगढ़ 3,37,097
7 दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव 2,021
8 गोवा 866
9 गुजरात 5,38,760
10 हरियाणा 62,743
11 हिमाचल प्रदेश 40,417
12 जम्मू और कश्मीर 43,050
13 झारखंड 3,51,808
14 कर्नाटक 2,36,315
15 केरल 2,84,616
16 लक्षद्वीप 60
17 मध्य प्रदेश 10,51,069
18 महाराष्ट्र 10,04,338
19 मणिपुर 15,559
20 मेघालय 39,976
21 मिजोरम 17,167
22 नगालैंड 12,294
23 ओडिशा 5,37,350
24 पुडुचेरी 7,546
25 पंजाब 31,700
26 राजास्थान 2,70,405
27 सिक्किम 7,794
28 तमिलनाडु 3,18,101
29 तेलंगाना 7,58,693
30 त्रिपुरा 58,495
31 लद्दाख 51,903
32 उत्तर प्रदेश 8,41,923
33 उत्तराखंड 37,178
34 पश्चिम बंगाल 11,81,852
कुल 1,15,00,274

 

अनुलग्नक – II

नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत राज्यों को ड्रोन प्रदान किए गए
क्रम संख्या राज्य ड्रोन की संख्या
1 आंध्र प्रदेश 97
2 असम 9
3 बिहार 5
4 छ्त्तीसगढ़ 12
5 गुजरात 18
6 हरियाणा 22
7 हिमाचल प्रदेश 4
8 झारखंड 1
9 कर्नाटक 84
10 केरल 2
11 मध्य प्रदेश 34
12 महाराष्ट्र 30
13 ओडिशा 12
14 पंजाब 23
15 राजस्थान 19
16 तमिलनाडु 17
17 तेलंगाना 72
18 उत्तर प्रदेश 32
19 उत्तराखंड 3
20 पश्चिम बंगाल 7
कुल 503

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आईआईटी कानपुर, में उपराष्ट्रपति का संबोधन

पहले भारत एक अलग देश था, लेकिन अब यह आशा और संभावनाओं वाला देश है। अब यह आर्थिक उन्नति करता हुआ एक देश है, एक अभूतपूर्व बुनियादी ढांचे वाला देश है,अब यह एक ऐसा देश है जिसके समुद्र, जमीन, आकाश या अंतरिक्ष में प्रदर्शन को वैश्विक प्रशंसा मिल रही है।

हमारे देश में जो परिवर्तन आया है, वह मोटे तौर पर इन संस्थानों के पूर्व छात्रों के कारण ही है। इतिहास गवाह है कि कोई भी राष्ट्र तकनीकी क्रांतियों के बगैर महानता हासिल नहीं कर सका है। पैक्स इंडिका को वास्तविकता बनाने के लिए, भारत को इसी तरह तकनीकी प्रगति का नेतृत्व करना होगा।

पिछले एक दशक में,भारत में उल्लेखनीय परिवर्तन और नवाचार देखा गया है। बेहतरी के लिए वातावरण में पूरी तरह से क्रांति ला दी गई है। हमारी पेटेंट फाइलिंग दोगुनी से भी अधिक हो गई है। कुछ लोगों के लिए यह आँकड़े हो सकते हैं, लेकिन आप इसका महत्व जानते हैं।

मैंने अक्सर संस्थानों पर इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि शोध केवल शोध के लिए नहीं होना चाहिए।

एक शोध पत्र सिर्फ अकादमिक प्रशंसा के लिए नहीं है। एक शोध पत्र का आधार ऐसा होना चाहिए, जो बड़े पैमाने पर जनता के लिए परिवर्तनकारी हो। वर्ष 2014-15 में 42,763 पेटेंट फाइलिंग थे, जो 2023-24 में 92,000 हो गए और ये इस प्रक्रिया में हम वैश्विक स्तर पर छठे स्थान पर हैं। लेकिन हम इससे संतुष्ट नहीं हो सकते। हमें शीर्ष पर पहुंचना है और इसके लिए पारिस्थितिकी तंत्र, सकारात्मक नीतियों, पहलों ने आपके लिए कार्य संस्कृति को और अधिक सुविधाजनक बना दिया है। 1,50,000 स्टार्टअप के साथ हमारे पास तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है। लेकिन जो अधिक उल्लेखनीय बात है, कि उनमें से 118 यूनिकॉर्न की लागत 354 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

मैं उद्योग, व्यापार, व्यवसाय और कॉरपोरेट्स तथा उनके संगठनों से अपील करूंगा, क्योंकि नवाचार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को उचित परिप्रेक्ष्य में समझना ज़रुरी है। वे अपने वर्तमान में और अपने भविष्य में निवेश कर रहे हैं। उन्हें इसका अहसास करना होगा। मैंने वैश्विक स्तर पर देखा और शीर्ष 25 में मैं केवल दो भारतीय कॉरपोरेट्स को ही पाया। वास्तव में हमें उस बड़े बदलाव की ज़रूरत है, जिसकी देश को ज़रुरत है, एक ऐसा बदलाव जो वैश्विक स्थिरता और सद्भाव के लिए होगा, क्योंकि भारत की वृद्धि विश्व के लिए समृद्धि है। यही हमारी संस्कृति है।

नवाचार के प्रति कॉर्पोरेट प्रतिबद्धता मजबूत हो रही है, इसे आगे बढ़ने की जरूरत है। बीएसई 100 कंपनियां अभी से अपना आरएंडडी में निवेश बढ़ा रही हैं, इसे समझने के लिए बहुत साहस की जरूरत है। पिछले पांच वर्षों में राजस्व 0.89% से 1.32% तक पहुंच गया है। इसके लिए एक बड़ी छलांग की जरूरत है। मुझे यकीन है कि निदेशक और उनके जैसे लोग तथा आईआईटी के पूर्व छात्र, उन्हें एक मंच पर बातचीत करनी चाहिए। वे शायद इस ग्रह पर बेजोड़ प्रतिभा का भंडार हैं। वे भारत और उसके बाहर अच्छे फैसले लेने की स्थिति में है।

मैं लंबे समय से आईआईटी के पूर्व छात्र संघों के एक संघ के लिए प्रयास कर रहा हूं। वह वैश्विक थिंक टैंक न केवल कॉरपोरेट्स को प्रेरित कर सकता है, बल्कि एक बड़ा बदलाव भी ला सकता है। मुझे ख़ुशी होगी अगर निदेशक अन्य निदेशकों से संपर्क करके पहल करें कि हमारे पास आईआईटी के पूर्व छात्र संघों का एक संघ हो। एक बार जब वे लोग एक ही बात पर सहमत होंगे,तो मुझे यकीन है कि तकनीक की मदद से ऐसा हो सकेगा। इन्क्यूबेशन केंद्रों के माध्यम से संस्थागत समर्थन आईआईटी कानपुर के साथ बढ़ रहा है, जिसने पहले 100 से अधिक महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों सहित 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के 250 स्टार्टअप को समर्थन दिया था। बाद की उपलब्धि खास ध्यान देने योग्य है। जब मैं यहाँ आया तो मैंने देखा कि ज्यादा छात्राएं नहीं थीं, लेकिन उनकी जो भी उपस्थिति है,आप बहुमत से अधिक हैं। बड़ा बदलाव पहले से ही हो रहा है।

भविष्य में नवाचार हमारे लिए ज़रुरी भूमिका निभाएगा और ये सिद्धांत मौलिक हैं। स्मार्ट, समाधान-उन्मुख, स्केलेबल और टिकाऊ। इन शब्दों का अर्थ बहुत सतत् है। मैं एक साधारण वजह से कहता हूं। हमारे ग्रह को वास्तव में ख़तरों का सामना करना पड़ रहा है और हमारे पास कोई दूसरा ग्रह नहीं है। इसलिए विकास स्थिर होना चाहिए। क्रांतिकारी स्मार्टफोन या भारत की यूपीआई प्रणाली जैसे स्मार्ट नवाचार सरल, अनुकूलनीय और परिवर्तनकारी होने चाहिए। जब मैं इस अनुकूलनशीलता को देखता हूं, तो यह मेरे लिए गर्व का क्षण होता है। आज करोड़ों भारतीय किसानों को उनके खातों में सीधे धनराशि प्राप्त होती है। आज जो सरकार कर रही है, वह सबसे अलग है। सुविधाए प्राप्त करने वालों को देखिए,जिन्हें पहले इनकी उम्मीद नहीं थी। तकनीकी मदद के चलते आज धनराशि को लेकर कोई संशय नहीं है, कोई बिचौलिया नहीं, कोई भ्रष्ट तत्व नहीं, पारदर्शिता और जवाबदेही और सबसे खास बात प्रक्रियाओं में तेज़ी आ रही है।

समाधान-उन्मुख नवाचार के लिए कृषि से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक के क्षेत्रों में वास्तविक दुनिया की समस्याओं को समझने की ज़रुरत है। मेरे युवा मित्रों, इसके लिए ज़रुरी है कि हम आरामदायक क्षेत्र से बाहर निकलें और पूरे भारत में विविध हितधारकों के साथ जुड़ें। मैं इसी पर ध्यान केंद्रित करूंगा, क्योंकि मैं आईआईटी कानपुर से एक उत्साही अपील करने आया हूं।

मुझे बेहद खुशी होगी, अगर आईआईटी कानपुर मिशन मोड में किसानों का कल्याण कर सके। कुछ समस्याएं तो बेहद साफ है जैसे पराली जलाने का मुद्दा। कृपया अपने विचारों से इसका कोई समाधान खोजें। हमारे किसान तनावग्रस्त है, क्योंकि उन्हें नवाचार के लाभों का अनुभव नहीं है। आप में से अधिकांश लोग, या आप में से बहुत से लोग किसान परिवारों से आते होंगे। यही बताया जाता है कि कृषि उपज होती है और किसान उसे बेचता है और बात ख़त्म।

किसान को अपने उत्पाद का मूल्य क्यों नहीं बढ़ाना चाहिए? किसान को इसकी मार्केटिंग क्यों नहीं करनी चाहिए? उद्योग के राजकोषीय आयाम की मात्रा की कल्पना करें, जो कृषि उपज के मूल्य में बढ़ोत्तरी करता है।

मैंने कई आईआईटी से निकले महानुभावों को इस क्षेत्र में जाते देखा है। लेकिन जो लोग इसे आसानी से कर सकते हैं, कृपया इस पर ध्यान दें। कहा जा रहा है कि अर्थव्यवस्था में एक बड़ा बदलाव आने वाला है, इसकी जरूरत है। हमें भारत में डिजाइनिंग की जगह, भारत में विनिर्माण पर फोकस करना चाहिए। यह बहुत ही संवेदनशील क्षेत्र है। मैं बार-बार कहता रहा हूं, विनिर्माण का मतलब है कि हम मूल्यों में बढ़ोत्तरी करें, अपने कच्चे माल में वृद्धि करें। ये तो इसका एक छोटा सा पहलू है। लेकिन जब आप पारादीप जैसे बंदरगाह पर जाते हैं या जहां बिना मूल्यवर्धन के लोहा निर्यात किया जा रहा हो, तो युवा लड़के और लड़कियां उस परिदृश्य को किस तरह देखेंगे। कोई उस लौह अयस्क पर नियंत्रण रखता है, किसी को सौदे पर बातचीत करने के लिए कमरे में बैठना आरामदायक लगता है, किसी को विदेश में। लेकिन इस प्रक्रिया में हमारे हितों से समझौता किया जाता है। कोई राजकोषीय लाभ नहीं होता। आपको मूल्यांकन क्षेत्रों में अत्यंत नवोन्मेषी होना चाहिए। हालाँकि बहुत कुछ हो रहा है। यदि कचरे से धन बनाया जा रहा है, यदि कच्चा माल विभिन्न स्वरूपों में उभर कर आ रहा है, तो यह नवाचार के कारण ही है। युवाओं, स्थिरता को प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने की हमारी सभ्यता के लोकाचार के अनुरूप सभी नवाचारों को रेखांकित करना चाहिए। मुझे पता है कि इस प्रवृत्ति में कुछ गिरावट आ रही है। यह उन लोगों के लिए फैशन की बात है , जो संपन्न हैं और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। आप प्रतिभाशाली व्यक्तित्व हैं, प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग होना चाहिए, क्योंकि यही सतत् विकास का आधार है।

यदि हम प्रकृति के साथ सामंजस्य रखते हैं, तो हमें इस तरह से काम करना होगा, कि पारिस्थितिकी तंत्र के विकास से नवीकरणीय ऊर्जा, टिकाऊ सामान, जैविक खेती और कृषि वानिकी में अवसर पैदा हों। जैसा कि मैंने कहा, किसानों को नवाचार को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाते हुए पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं को अपनाने में सक्षम बनाना चाहिए। असल में अब यह एक सपना नहीं है, यह 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की हमारी मंजिल है। हमें कृषि के कल्याण पर अधिक गंभीरता से ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत है। आपको इस बात पर विचार करना चाहिए कि घटती भूमि के आकार के साथ कृषि अर्थव्यवस्था को कैसे सुधारा जाए। सरकार की कई योजनाएं, हैंड-होल्डिंग योजनाएं, सहकारी समितियां हैं, जिन्हें अब हमारे संविधान में जगह मिली है। वह सब कुछ किया जा रहा है, जो हो सकता है। लेकिन नवीनता उत्पन्न होनी चाहिए। एक बार जब वह नवप्रवर्तन हो जाएगा, तो क्रियान्वयन भी अपने आप हो जाएगा।

हमारे जनसांख्यिकीय लाभांश को देखते हुए, 2047 तक भारत का विकसित राष्ट्र का दर्जा हासिल करना ज़रुरी है। प्राकृतिक संसाधन, प्रतिभा पूल और सहायक नीतियां, सकारात्मक नीतियों जैसी सुविधाएं हमारे पास नहीं थी, जो आपके पास है। जैसे ही आप बाहरी दुनिया के लिए प्रवेश करेंगे,एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है जो आपकी मदद करेगा। आप पाएंगे कि यदि आपके पास कोई स्टार्टअप है, तो शीर्ष कॉर्पोरेट्स निवेश करेंगे। आप अखबार तो पढ़ते ही होंगे, वे उसमें दिलचस्पी लेते हैं। आपने देखा होगा कि कैसे आपके संस्थानों से लोग अरबपति बन गए हैं, क्योंकि उन्होंने नवाचार से एक तकनीकी दिग्गज संस्था बनाई है।

सामान्य आदमी का सरोकार नवाचारों से नहीं, बल्कि समाधान से है। इसलिए, समाधान प्रदान करने वाला कोई भी नवाचार हर किसी की कल्पना को आकर्षित करता है। क्या आप हमारे जैसे देश की कल्पना कर सकते हैं जहां लोग गांवों में रहते हों? प्रौद्योगिकी की अनुकूलनशीलता इतनी तेज रही है, जिससे हमें दुनिया में बढ़त मिली है । हमारी प्रति व्यक्ति इंटरनेट खपत अमेरिका और चीन की संयुक्त खपत की तुलना में अधिक है। अब आप पाएंगे कि हर व्यक्ति डिजिटल माध्यम से भुगतान करने लगा है। अर्थव्यवस्था पर इसका असर देखिए, हमारी अर्थव्यवस्था औपचारिक होती जा रही है। एक औपचारिक अर्थव्यवस्था नैतिक मानकों, पारदर्शी शासन का अग्रदूत है। आपमें से जो लोग , जिनके माता-पिता से आयकर रिटर्न दाखिल करते थे, उनसे पता कर सकते हैं कि पहले यह काफी परेशानी भरा काम हुआ करता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। सभी लेन-देन सरल हो गए हैं। पूरे भारत में भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे का अभिसरण बाजार संबंधों के लिए अभूतपूर्व अवसर पैदा करता है।

मैं इनोवेटर्स से आग्रह करूंगा, यानी कि आप युवाओं से कि आपको स्थानीय उत्पादों को वैश्विक बाजारों से जोड़ने के लिए इन फाउंडेशन का लाभ उठाना चाहिए, जैसे कि कानपुर के चमड़े के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाना चाहिए। राष्ट्र की प्रगति, नवाचारों को तैयार करने की आपकी क्षमता पर निर्भर करती है, जो आर्थिक विकास को आगे बढ़ाते हुए वास्तविक चुनौतियों का समाधान भी करती है।

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