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सर्बानंद सोनोवाल ने चेन्नई में पूर्वी समुद्री गलियारे पर भारत-रूसी कार्यशाला के लिए निमंत्रण दिया

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज पूर्वी समुद्री गलियारे (ईएमसी) पर रूस के व्लादिवोस्तोक में भारत-रूसी कार्यशाला का निमंत्रण दिया। सोनोवाल रूसी बंदरगाह शहर व्लादिवोस्तोक और भारतीय बंदरगाह शहर चेन्नई के बीच वैकल्पिक व्यापार मार्ग के रूप में ईएमसी के शीघ्र संचालन की संभावनाओं की तलाश करने के उद्देश्य से सत्र को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला का 30 अक्टूबर से 1 नवंबर, 2023 तक चेन्नई, भारत में होना प्रस्तावित है।

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इस अवसर पर मंत्री ने कहा, “पूर्वी समुद्री गलियारे (ईएमसी) के संचालन से भारत और रूस के बीच व्यापार संबंधों के एक नए युग की शुरुआत होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत अभिनव समाधान तैयार करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है, जो हमारे दो महान राष्ट्रों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाएगा तथा और आगे बढ़ाएगा। चूंकि हमारी टीमों ने ईएमसी के शीघ्र संचालन के लिए अपने प्रयासों को तेज कर दिया था, व्लादिवोस्तोक, वोस्तोचन, नखोदका और कोज़मिनो की यात्रा विशेष रूप से सहायक रही। इसे आगे बढ़ाते हुए, मैं भारत के चेन्नई में सभी हितधारकों की एक कार्यशाला के आयोजन का प्रस्ताव देता हूं और इस कार्यशाला के लिए निमंत्रण देता हूं, जहां हम ईएमसी के सुचारू और तेज संचालन के लिए मिल सकते हैं, बातचीत कर सकते हैं और चर्चा कर सकते हैं।

रूसी सरकार ने भी अपने भारतीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल के साथ द्विपक्षीय चर्चा के माध्यम से अवसरों और संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक बड़े व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ चेन्नई बंदरगाह का दौरा करने की इच्छा व्यक्त की है। रूसी प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व रूसी संघ के ऊर्जा मंत्री के उप मंत्री श्री सर्गेई मोचलनिकोव और रूसी संघ के आर्थिक विकास मंत्रालय के मैक्सिम रेशेतनिकोव ने किया। सत्र का संचालन एसोसिएशन ऑफ कमर्शियल सीपोर्ट्स के निदेशक मंडल के अध्यक्ष  डेनिस इलातोव्स्की ने किया।

भारत के समुद्री कार्यक्रम और इसके प्रमुख कार्यक्रम सागरमाला के बारे में मंत्री ने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में, 2015 में, भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के प्रदर्शन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सागरमाला की हमारी परिवर्तनकारी पहल शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य भारत की तटरेखा और जलमार्गों की पूरी क्षमता का उपयोग करना है। सागरमाला का विज़न, पत्तन के नेतृत्व वाले विकास के माध्यम से अधिकतम अवसंरचना निवेश के साथ घरेलू और एक्जिम कार्गो दोनों के लिए लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना है। वर्तमान में, सागरमाला कार्यक्रम के तहत 2035 तक कार्यान्वयन के लिए 65 बिलियन डॉलर से अधिक के निवेश की 802 परियोजनाएं हैं। इनमें से 14.6 बिलियन डॉलर की 228 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 27 बिलियन डॉलर की 260 परियोजनाएं कार्यान्वयन के चरण में हैं। इसके अलावा, 24 बिलियन डॉलर की 314 परियोजनाएं विकास के विभिन्न चरणों में हैं। इसके अलावा, तटीय जिलों के समग्र विकास के तहत, लगभग 7 बिलियन डॉलर की अनुमानित लागत वाली कुल 567 परियोजनाओं की पहचान की गई है। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान कार्यक्रम के तहत रेलवे, सड़क मार्ग, जलमार्ग और वायुमार्ग के विकास के माध्यम से एकीकृत दृष्टिकोण के साथ उत्पादकता और रोजगार के अवसरों में सुधार के लिए समग्र अवसंरचना के विकास की परिकल्पना की है। गतिशक्ति योजना नए युग की तकनीक और अत्याधुनिक नवाचार का उपयोग करके विश्व स्तरीय उत्पादों के निर्माण के लिए भारत के कायाकल्प का आधार बन गई है।

प्रिमोर्ये क्षेत्र की सरकार के उपाध्यक्ष वालेरी प्रोकोपचुक; पावेल काल्मिचेक, द्विपक्षीय सहयोग विकास विभाग, आर्थिक विकास मंत्रालय, रूसी संघ; रुस्कॉन एलएलसी के सीईओ सर्गेई बेरेज़किन ने भी सत्र को संबोधित किया। पवन कपूर, रूस में भारत के राजदूत; एस.के. मेहता, अध्यक्ष, दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण; व्लादिमीर पनोव, आर्कटिक विकास के लिए रोसाटॉम के विशेष प्रतिनिधि; रूसी निर्यात केंद्र जेएससी के विदेशी नेटवर्क विकास निदेशक दिमित्री प्रोखोरेंको ने भी सत्र में भाग लिया। दोनों पक्षों ने बंदरगाहों में आधुनिक अवसंरचना और पोत परिवहन उद्योग के लिए कार्गो सुनिश्चित करने के तरीकों और उपायों पर भी चर्चा की। चेन्नई पोर्ट अथॉरिटी के उपाध्यक्ष, एस विश्वनाथन ने “भारतीय बंदरगाहों की क्षमता और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर के संचालन की संभावना” पर एक प्रस्तुति दी। व्लादिवोस्तोक वाणिज्यिक समुद्री बंदरगाह के वाणिज्यिक निदेशक एलेना कज़ारिना ने भी “फेस्को के गहरे समुद्री मार्गों का विकास और रूस और भारत के बीच परिवहन और लॉजिस्टिक्स संबंधों को आगे की दिशा देना” पर एक प्रस्तुति दी। एसोसिएशन ऑफ कमर्शियल सीपोर्ट्स के निदेशक मंडल के अध्यक्ष डेनिस इलातोव्स्की ने स्वागत भाषण के साथ-साथ समापन भाषण भी दिया।

उल्लेखनीय है कि सितंबर 2019 में व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति श्री पुतिन की उपस्थिति में व्लादिवोस्तोक और चेन्नई के दो बंदरगाहों के बीच समुद्री संचार के विकास पर एक आशय पत्र का आदान-प्रदान किया गया था। अध्ययन में पाया गया कि ईएमसी का उपयोग करके दोनों देशों के बीच व्यापार के लिए कोकिंग कोयला सबसे उपयुक्त वस्तु है। आने वाले समय में, ईएमसी के माध्यम से परिवहन की जाने वाली वस्तुओं की सूची में तेल, एलएनजी, उर्वरक जैसी अन्य वस्तुओं को जोड़ा जाएगा।

अनुमान है कि पूर्वी समुद्री गलियारा (ईएमसी); सुदूर-पूर्व क्षेत्र के रूसी बंदरगाहों और भारतीय बंदरगाहों के बीच माल परिवहन की यात्रा-अवधि को 16 दिनों तक कम कर देगा, यानि, वर्तमान में भारत से यूरोप होकर सुदूर पूर्व रूस तक माल परिवहन के लिए लगने वाले 40 दिनों की तुलना में 24 दिन। भारत में मुंबई और रूस में सेंट पीटर्सबर्ग के बीच वर्तमान व्यापार मार्ग 8,675 समुद्री मील का है, जिसमें लगभग 35 से 40 दिन लगते हैं। चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग (ईएमसी) लगभग 5,600 समुद्री मील की दूरी तय करेगा। एक बड़ा कंटेनर जहाज जो 20-25 नॉट (37-46 किमी/घंटा) की सामान्य क्रूज़िंग गति से यात्रा करता है, इस दूरी को लगभग 10 से 12 दिनों में तय करने में सक्षम होगा। इस गलियारे के माध्यम से व्यापार और सहयोग के नए अवसरों के खुलने की अपार संभावनाएं हैं। सोनोवाल ने भारत की अध्यक्षता में नई दिल्ली में हाल ही में संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन की प्रमुख बातों पर भी प्रकाश डाला। अफ्रीकी संघ (एयू) को जी20 में शामिल करना ‘सबका साथ, सबका विकास’ दर्शन को रेखांकित करता है। जलवायु कार्रवाई और सतत विकास को आगे बढ़ाने, डिजिटल परिवर्तन और नवाचार को बढ़ावा देने, वैश्विक स्वास्थ्य और महामारी संबंधी तैयारियों को मजबूत करने के साथ-साथ बहुपक्षवाद और सहयोग को बढ़ाने का समर्थन करते हुए भारत ने ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में भी सफलतापूर्वक अपनी बातें सामने रखीं। उन्होंने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक एकजुटता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देते हुए भारत के “वसुधैव कुटुंबकम” (एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य) के संदेश को प्रभावी ढंग से संप्रेषित किया है। श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जी20 की अध्यक्षता भारत की वैश्विक स्थिति में एक ऐतिहासिक क्षण रही है। इसने वैश्विक मुद्दों पर नेतृत्व करने और अंतरराष्ट्रीय एजेंडे को आकार देने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित किया है। भारतीय अध्यक्षता की उपलब्धियां आने वाले वर्षों में जी20 को प्रेरित करती रहेंगी और मार्गदर्शन देती रहेंगी।” सोनोवाल रूस की पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं। कल, वे अपने रूसी समकक्ष, रूस के परिवहन मंत्री श्री विटाली सेवेलिव से भेंट करेंगे तथा अन्य महत्वपूर्ण द्विपक्षीय कार्यक्रमों में भाग लेंगे। भारत के पत्तन मंत्री कल व्लादिवोस्तोक बंदरगाह का भी दौरा करेंगे।

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एस. एन. सेन बालिका महाविद्यालय में सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया गया

कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बालिका महाविद्यालय में दिनाँक 09/09/2023 से दिनाँक 12/09/2023 तक सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया गया। इसीमें विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस (World First Aid Day) के अवसर पर छात्राओं हेतु एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसका संयोजन व संचालन महाविद्यालय की शारीरिक शिक्षा विभाग की प्रोफेसर प्रीति पांडे तथा उनकी वैष्णवी रेंजर्स टीम के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के समापन समारोह का शुभारंभ आज मुख्य अतिथि डॉ. आर. के. सफर, प्राचार्य प्रोफेसर सुमन तथा प्रोफेसर प्रीति पांडेय द्वारा मां शारदे को माल्यार्पण कर किया गया। कार्यशाला में छात्रों को प्राथमिक चिकित्सा से संबंधित व्यावहारिक जानकारी दी गई कि किसी भी व्यक्ति को हार्ट अटैक के समय CPR देकर कैसे सुरक्षित किया जा सकता है, सड़क पर किसी घायल व्यक्ति की कैसे मदद की जा सकती है, जलने पर कैसे उपचार किया जाए की व्यक्ति की जान पर कोई खतरा न आए। इसी तरह की और व्यवहारिक जानकारियां छात्रों को दी गई| रेड क्रॉस मास्टर ट्रेनर और डिजास्टर मैनेजर लखन शुक्ला ने प्राथमिक चिकित्सा सहायता के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की पट्टियों को बाँधना सिखाया तथा आकस्मिकता में First Aid Use करने की विभिन्न प्रायोगिक विधियां छात्राओं को सिखाई| इस अवसर पर प्रीति तिवारी (लाइफ मेंबर रेड क्रॉस सोसाइटी), राम (सदस्य, रेड क्रॉस), तथा राम प्रकाश, (कार्यकर्ता) कार्य शाला में उपस्थित रहें। छात्राओं ने उत्साहपूर्ण सहभागिता की तथा समस्त शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं|

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प्रदर्शनी ‘भारत: लोकतंत्र की जननी’ भारतीय लोकतांत्रिक लोकाचार के सार को दर्शाती है

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने 8-10 सितंबर 2023 के दौरान जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए आईटीपीओ के हॉल नं. 14 (फोयर एरिया) में ‘भारत: लोकतंत्र की जननी’ विषय पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया। यह प्रदर्शनी हमारे देश की लोकतांत्रिक परंपराओं को प्रदर्शित करती है।

(भारत की लोकतांत्रिक विशेषता के इतिहास को 26 इंटरैक्टिव पैनलों के माध्यम से विभिन्न भाषाओं में प्रदर्शित किया गया।)

(बीच में सिंधु-सरस्वती सभ्यता की लड़की की मूर्ति)

(स्वागत कक्ष के पीछे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के दृश्य प्रदर्शित करती एक विशाल वीडियो स्क्रीन)

(आईजीएनसीए के सदस्य सचिव श्री सच्चिदानंद जोशी भारत: लोकतंत्र की जननी‘ प्रदर्शनी के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए)

केंद्र में सिंधु-सरस्वती संस्कृति की एक लड़की की मूर्ति है। वह आत्मविश्वास से खड़ी है और दुनिया को देख रही है। वह स्वतंत्र, मुक्त, आश्वस्त, आत्मविश्वास से परिपूर्ण है और दुनिया को आंखों से आंखें मिलाकर देख रही है। वह अपने शरीर पर आभूषण पहनती है, जो पश्चिमी भारत की महिलाओं द्वारा प्रतिदिन पहने जाने वाले आभूषणों से काफी मिलते-जुलते हैं। कलाकृति की वास्तविक ऊंचाई 10.5 सेमी है लेकिन प्रतिकृति 5 फीट ऊंचाई और 120 किलोग्राम वजन के साथ कांस्य में बनाई गई थी।

यहां भारत के लोकतांत्रिक इतिहास को विभिन्न भाषाओं में 26 इंटरैक्टिव पैनलों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है, जहां आगंतुक 16 विभिन्न भाषाओं में सामग्री पढ़ सकते हैं और ऑडियो द्वारा सुन सकते हैं। पैनल में स्थानीय स्वशासन, आधुनिक भारत में चुनाव, कृष्ण देव राय, जैन धर्म सहित अन्य चीजें शामिल हैं। प्रदर्शनी को जी-20 एप्लिकेशन पर डिजिटल रूप से एक्सेस किया जा सकता है।

भारत में लोकतंत्र एक सदियों पुरानी अवधारणा है। भारतीय लोकाचार के अनुसार, लोकतंत्र में समाज में स्वतंत्रता, स्वीकार्यता, समानता और समावेशिता के मूल्य शामिल होते हैं और यह अपने आम नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण और सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर देता है। सबसे पहले उपलब्ध पवित्र ग्रंथ – ऋग्वेद और अथर्ववेद की पंक्तियों में सभा, समिति और संसद जैसी सहभागी संस्थाओं का उल्लेख किया गया है। अंतिम शब्द ‘संसद’ हमारे देश की संसद को दर्शाते हुए प्रचलित है। इस भूमि के महान महाकाव्य रामायण और महाभारत भी निर्णय प्रक्रिया में लोगों को समावेशित करने की बात करते हैं। भारतीय लिखित उदाहरणों में यह भी पाया जाता है कि शासन करने का अधिकार योग्यता या आम सहमति के माध्यम से अर्जित किया जाता है और यह वंशानुगत नहीं है। परिषद और समिति जैसी विभिन्न लोकतांत्रिक संस्थाओं में मतदाता की वैधता पर लगातार चर्चा होती रही है। भारतीय लोकतंत्र वास्तव में लोगों की सत्यता, सहयोग, समन्वय, शांति, सहानुभूति और सामूहिक शक्ति का उत्सवपूर्ण उद्घोष है।

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राष्ट्रपति ने शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (5 सितंबर, 2023) शिक्षक दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में देशभर के शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा का किसी के भी जीवन में मौलिक महत्व होता है। उन्होंने कहा कि कई शिक्षाविद् बच्चों के संतुलित विकास के लिए थ्री-एच फॉर्मूले की बात करते हैं, जिसमें पहला एच हार्ट (ह्रदय), दूसरा एच हेड (सिर) और तीसरा एच हैंड (हाथ) है। उन्होंने बताया कि हृदय का संबंध संवेदनशीलता, मानवीय मूल्यों, चरित्र की मजबूती एवं नैतिकता से है। उन्होंने कहा कि सिर या मस्तिष्क का संबंध मानसिक विकास, तर्क शक्ति और पढ़ाई से है और हाथ का संबंध शारीरिक कौशल एवं शारीरिक श्रम के प्रति सम्मान से है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के समग्र दृष्टिकोण पर बल देकर ही बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव होगा।

राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षण के पेशे में महिलाओं की भागीदारी को देखते हुए शिक्षक पुरस्कार प्राप्त करने वाली शिक्षिकाओं की संख्या और अधिक होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिला सशक्तिकरण के लिए छात्राओं और शिक्षकों को प्रोत्साहित करना बेहद महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करते हैं। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर बच्चे का मौलिक अधिकार माना जाता है और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में शिक्षकों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र-निर्माता के रूप में शिक्षकों के महत्व को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षकों के साथ-साथ माता-पिता का भी यह कर्तव्य है कि वे प्रत्येक बच्चे की अनूठी क्षमताओं को पहचानें और संवेदनशीलता के साथ उन क्षमताओं को विकसित करने में बच्चे की मदद करें। उन्होंने कहा कि हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे पर विशेष ध्यान दिया जाए तथा उनके साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार किया जाए और माता-पिता बड़े विश्वास के साथ अपने बच्चों को शिक्षकों को सौंपते हैं। उन्होंने कहा कि एक कक्षा के 40-50 बच्चों के बीच प्यार बांटने का अवसर मिलना प्रत्येक शिक्षक के लिए बेहद सौभाग्य की बात है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हर कोई अपने शिक्षकों को याद करता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को शिक्षकों से जो प्रशंसा, प्रोत्साहन या सजा मिलती है वह उनकी यादों में बसी रहती है। उन्होंने कहा कि अगर बच्चों में सुधार लाने के इरादे से उन्हें सजा दी जाती है, तो उन्हें इसका अहसास बाद में होता है। उन्होंने कहा कि उन्हें ज्ञान देने से ज्यादा महत्वपूर्ण प्यार और स्नेह देना है।

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पद्म पुरस्कार-2024 के लिए 15 सितंबर, 2023 तक नामांकन

गणतंत्र दिवस, 2024 के अवसर पर घोषित किए जाने वाले पद्म पुरस्कार 2024 के लिए ऑनलाइन नामांकन/सिफारिशें पहली मई 2023 से प्रारंभ की गई थीं। पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 15 सितंबर, 2023 है। पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन/सिफारिशें राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल ( https://awards.gov.in ) पर ऑनलाइन प्राप्त की जाएंगी।

पद्म पुरस्कार अर्थात पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से हैं। 1954 में स्थापित, इन पुरस्कारों की घोषणा हर वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। यह पुरस्कार ‘विशिष्ट कार्य’ को मान्यता देते हैं और इन्‍हें कला, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, चिकित्सा, सामाजिक कार्य, विज्ञान तथा इंजीनियरिंग, सार्वजनिक मामले, नागरिक सेवा, व्यापार और उद्योग आदि जैसे सभी क्षेत्रों/विषयों में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। जाति, व्यवसाय, पद या लिंग के भेदभाव के बिना सभी व्यक्ति इन पुरस्कारों के लिए पात्र हैं। चिकित्‍सकों और वैज्ञानिकों को छोड़कर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में कार्यरत सरकारी कर्मचारी पद्म पुरस्कार के लिए पात्र नहीं हैं।

सरकार पद्म पुरस्कारों को “पीपुल्स पद्म” में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए सभी नागरिकों से स्व-नामांकन सहित नामांकन/सिफारिशें करने का अनुरोध किया जाता है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, दिव्यांग व्यक्तियों, महिलाओं एवं समाज के अन्य कमजोर वर्गों के बीच से समाज के लिए निस्वार्थ सेवा कर रहे प्रतिभाशाली व्यक्तियों की उत्कृष्टता और उपलब्धियों की पहचान करने के लिए ठोस प्रयास किए जा सकते हैं।

राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल (https://awards.gov.in ) पर उपलब्ध प्रारूप में नामांकन/सिफारिशों में निर्दिष्ट सभी प्रासंगिक विवरण शामिल होने चाहिए, जिसमें वर्णनात्मक रूप में एक उद्धरण (अधिकतम 800 शब्द) शामिल हों, जो स्पष्ट रूप से संबंधित क्षेत्र/अनुशासन में अनुशंसित व्यक्ति की विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवाओं को सामने ला सकें।

इस संबंध में विवरण गृह मंत्रालय की वेबसाइट ( https://mha.gov.in ) और पद्म पुरस्कार पोर्टल ( https://padmaawards.gov.in ) पर ‘पुरस्कार और पदक’  शीर्षक के अंतर्गत भी उपलब्ध है। इन पुरस्कारों से संबंधित क़ानून और नियम https://padmaawards.gov.in/AboutAwards.aspx वेबसाइट पर लिंक के साथ उपलब्ध हैं।

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प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव डॉ. पी.के. मिश्र ने दिल्ली के उपराज्यपाल श्री विनय कुमार सक्सेना के साथ आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों की समीक्षा के लिए दिल्ली में विभिन्न स्थलों का दौरा किया

  प्रमुख सचिव जी-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों से संबंधित समन्वय समिति के अध्यक्ष हैं। इस क्षमता में, डॉ पी के मिश्र द्वारा समीक्षा अभ्यास यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि एक स्‍मरणीय शिखर सम्मेलन की आवभगत के लिए योजना के अनुरूप सभी चीजें व्‍यवस्थित रहें। यह दौरा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि शिखर सम्मेलन के लिए आने वाले सभी राष्ट्राध्यक्षों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों को अपनी यात्रा के दौरान भारत की संस्कृति और विश्व स्तरीय अनुभव की झलक मिले।

प्रमुख सचिव ने भारत मंडपम के साथ-साथ राजघाट, सी हेक्सागन-इंडिया गेट, हवाई अड्डे के टर्मिनल 3 और इसके वीआईपी लाउंज, एयरोसिटी क्षेत्र, प्रमुख सड़कों के प्रमुख खंडों सहित लगभग 20 स्थानों का दौरा किया और समीक्षा की।

राजघाट के बाहरी क्षेत्रों के साथ-साथ दिल्ली के प्रमुख स्थानों और चौक-चौराहों का भी सौंदर्यीकरण किया गया है। भरत मंडपम में ‘शिव-नटराज’ की स्थापना की गई है। लगभग 20 टन वजनी, 27 फीट की नटराज आकृति को अष्ट-धातु से बने पारंपरिक कास्टिंग विधियों में तैयार किया गया है। जी-20 की अध्‍यक्षता के समय भरत मंडपम के सामने स्थापित नृत्य के भगवान शिव नटराज, नटराज की सबसे ऊंची कांस्य प्रतिमा हैं।

प्रमुख सचिव ने यातायात की स्थिति की भी समीक्षा की और प्रशासन को सुझाव दिया कि वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में आम लोगों को पर्याप्त जानकारी प्रदान की जाए ताकि उन्हें कोई कठिनाई न हो। दिल्ली हवाई अड्डे पर, विशेष रूप से मेहमानों के स्वागत के लिए की गई सुविधाओं को ध्‍यान में रखते हुए व्यवस्थाओं की भी समीक्षा की गई।

डॉ. मिश्र ने पालम के वायुसेना स्टेशन के टेक्किनल एरिया का भी दौरा किया, जहां राज्यों के प्रमुखों के विमानों का आगमन होगा। वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने डॉक्टर मिश्र को विमानों की पार्किंग, राष्ट्राध्यक्षों के स्वागत, लाउंज और अन्य सुविधाओं के बारे में अवगत कराया। टेक्किनल हवाई अड्डा क्षेत्र में आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं की भी व्‍यवस्‍था की गई हैं।

दिल्ली के उपराज्‍यपाल द्वारा व्‍यापक स्‍तर पर सौंदर्यीकरण अभियान चलाया है, जिससे शहर का वृहद् वातावरण बन गया है। जो संरचनाएं अप्रयुक्‍त हो गई थीं, उनका नवीनीकरण किया गया है। स्वच्छता अभियान के अतिरिक्‍त जगह-जगह पानी के मनमोहक फव्वारे लगाए गए हैं। देश की विविधता को दर्शाने के लिए शहर भर में बड़ी संख्या में मूर्तियां और पोस्टर लगाए गए हैं, जो यात्रियों और आगंतुकों के लिए मनोरम दृश्य के रूप में उभरे हैं। महत्वपूर्ण स्थानों पर जी-20 देशों के राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित किए गए हैं और यहां तक कि जी-20 देशों के राष्ट्रीय पशुओं की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं। प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव ने अधिकारियों की टीमों द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की।

आम जनता को असुविधा से बचाने के लिए, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव ने सभी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिनी बस से दौरा किया। यह दौरा शाम 5 बजे से 8:30 बजे के बीच हुआ।

समीक्षा अभ्यास के दौरान उनके साथ प्रधानमंत्री के सलाहकार अमित खरे और तरुण कपूर, मुख्य सचिव, पुलिस आयुक्त के साथ-साथ कई अन्य शीर्ष अधिकारी भी थे।

 

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ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने उत्केला हवाई अड्डे और उत्केला एवं भुवनेश्वर के बीच सीधी उड़ान का उद्घाटन किया

नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने नागर विमानन मंत्रालय के राज्य मंत्री जनरल विजय कुमार सिंह (सेवानिवृत्त) के साथ आज उत्केला हवाई अड्डे और उत्केला एवं भुवनेश्वर के बीच सीधी उड़ान का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित किया गया।A group of men holding a large checkDescription automatically generated उत्केला हवाई अड्डे का स्वामित्व ओडिशा सरकार के पास है। इसे भारत सरकार के नागर विमानन मंत्रालय की उड़ान स्कीम के तहत 31.07 करोड़ रुपये की लागत से एक क्षेत्रीय हवाई अड्डे के रूप में विकसित किया गया है। उत्केला हवाई अड्डे का रनवे (2,995 फीट) 30 मीटर की चौड़ाई के साथ 917 मीटर लंबा है। उत्केला हवाई अड्डे के जुड़ने से ओडिशा में अब पांच हवाई अड्डे हो जाएंगे।

नव उद्घाटित उत्केला-भुवनेश्वर-उत्केला उड़ान मार्ग क्षेत्रीय हवाई कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा और क्षेत्र के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इंडियावन, 31 अगस्त से इस रूट पर उड़ानें शुरू करेगा। ऑपरेटर उड़ान योजना के तहत स्वीकृत 9-सीटर सेसना सी-208 विमान का उपयोग करेगा।

अपने उद्घाटन भाषण में, ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा कि उत्केला से भुवनेश्वर हवाई कनेक्टिविटी से सड़क मार्ग से यात्रा करने में लगने वाला समय कम हो जाएगा जो लगभग 8 घंटे है। अब उत्केला-भुवनेश्वर उड़ान से यह दूरी एक घंटे बीस मिनट में तय की जा सकेगी। श्री सिंधिया ने कहा कि यह कालाहांडी क्षेत्र के लिए एक नई शुरुआत होगी क्योंकि इससे आर्थिक कार्यकलाप बढ़ेंगे और रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे। श्री सिंधिया ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य में नागर विमानन अवसंरचना विकास के लिए ओडिशा सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा नागर विमानन राज्य मंत्री जनरल डॉ. वी के सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा कि केंद्र सरकार ने उत्केला हवाई अड्डे के पुनर्विकास में लगभग 31 करोड़ रुपये व्यय किए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब कालाहांडी भुवनेश्वर और राज्य के अन्य शहरों से जुड़ जाएगा जिससे क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी।

इस कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद  सुजीत कुमार, लोकसभा सांसद श्री बसंत कुमार पांडा,  ओडिशा सरकार की जल संसाधन और वाणिज्य एवं परिवहन मंत्री श्रीमती तुकुनी साहू, नागर विमानन मंत्रालय के सचिव श्री राजीव बंसल, ओडिशा सरकार की प्रमुख सचिव श्रीमती उषा पाधी और इंडिया वन के सीईओ श्री अरुण कुमार सिंह भी उपस्थित थे।

 

 

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पिछले 9 वर्षों में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम टूल रूम और प्रशिक्षण केंद्रों ने 16 लाख युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया है, इससे 3 लाख सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम इकाइयां लाभान्वित हुई हैं: नारायण राणे

राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस’ के अवसर पर केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री श्री नारायण राणे ने ट्विटर पर घोषणा की कि देश भर में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा संचालित 18 टूल रूम और प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से पिछले 9 वर्षों में 3 लाख से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम इकाइयों को लाभान्वित करने के लिए 16 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है।  राणे ने बताया कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के तहत कार्य करने वाले टूल रूम और प्रौद्योगिकी केंद्र माननीय प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। विशेष रूप से ये टूल रूम और प्रौद्योगिकी केंद्र अत्याधुनिक उत्पादों के निर्माण में चरणबद्ध तरीके से सहायता भी प्रदान कर रहे हैं। राणे ने कहा कि भारत के ये टूल रूम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मध्यम व छोटे आकार के उपकरणों का डिजाइन तथा निर्माण करते हैं। इनका इस्तेमाल खेल के सामान, प्लास्टिक, ऑटोमोबाइल, जूते बनाने, कांच, इत्र, फाउंड्री और फोर्जिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं अंतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित उद्योगों में किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में प्रक्षेपित किए गए चंद्रयान-3 मिशन में भुवनेश्वर के टूल रूम ने 437 प्रकार के लगभग 54,000 एयरो-स्पेस घटकों का निर्माण किया था। टूल रूम ने कोरोना महामारी के कठिन समय में पीपीई किट, सैनिटाइजर मशीन और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ विदेशों में उनके निर्यात में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री ने अपने ट्वीट के माध्यम से बताया है कि देश की सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम इकाइयों को अधिक सशक्त करने के लिए 15 अन्य प्रौद्योगिकी केंद्र भी स्थापित किए जा रहे हैं।

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भूपेन्द्र यादव ने देश भर के 30 ईएसआईसी अस्पतालों में कीमोथेरेपी सेवाएं शुरू की

केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने आज नई दिल्ली में ईएसआईसी मुख्यालय में ईएसआई निगम की 191वीं बैठक के दौरान देश भर के 30 ईएसआईसी अस्पतालों में कीमोथेरेपी सेवाओं का शुभारंभ किया।

 

यादव ने कहा कि यह शुभारंभ भारत के अमृतकाल में हमारे श्रम योगियों के सर्वांगीण कल्याण के प्रधानमंत्री  मोदी जी के सपने को साकार करने की दिशा में एक कदम है। इन अस्पतालों में कीमोथेरेपी सेवाओं की शुरुआत के साथ, बीमित श्रमिकों और उनके आश्रितों को कैंसर का आसानी से बेहतर उपचार मिल सकेगा।

केंद्रीय मंत्री ने भी ईएसआईसी के डैशबोर्ड के साथ एक नियंत्रण कक्ष का भी उद्घाटन किया। डैशबोर्ड ईएसआईसी अस्पतालों में संसाधनों और बिस्तरों की बेहतर निगरानी करेगा और वर्तमान निर्माण परियोजनाओं की वर्तमान स्थिति पर नजर रखना सुनिश्चित करेगा।

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पहला सूर्य मिशन लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि सफल चंद्रयान मिशन के बाद, भारत के पहले सूर्य मिशन “आदित्य-एल1” के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पूरी तरह तैयार है। संभवतः यह मिशन 2 सितंबर को लॉन्च होगा।

मैनपुरी (उ.प्र.) में एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया भारत के चंद्रयान मिशन का जश्न मना रही है और अब सूर्य मिशन में लोगों की रुचि भी कई गुना बढ़ गई है।

प्रधानमंत्री मोदी को इसका पूरा श्रेय देते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को अतीत की बेड़ियों से मुक्त करने का ऐसा साहसी निर्णय लेने की पहल नहीं की होती तो यह सब संभव ही नहीं होता जैसा किसी अन्य पिछली सरकार ने किया ही नहींI परिणामस्वरूप, आज चार वर्ष की छोटी सी अवधि के भीतर ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वित्तीय संसाधनों में वृद्धि होने के साथ ही स्टार्ट-अप्स की संख्या 4 से बढ़कर 150 हो गई है और भारत की उपग्रह प्रक्षेपण सुविधा की विश्वसनीयता अचानक इतनी बढ़ गई है कि अब तक यूरोपीय उपग्रहों के प्रक्षेपण से भारत ने 26 करोड़ यूरो से अधिक की कमाई की है तथा अमेरिकी उपग्रह के प्रक्षेपण से भारत ने 15 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की कमाई की है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा वैज्ञानिक समुदाय का सम्मान बढ़ाने के कारण ही है कि आज हमारे पास सूर्य के लिए पहला अंतरिक्ष मिशन भेजने का आत्मविश्वास और दृढ़ विश्वास है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने विस्तार से बताया कि सूर्य अंतरिक्ष मिशन आदित्य –एल 1, सात पेलोड्स (बोर्ड पर उपकरणों) के साथ ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पोलर सैटेलाईट लॉन्च वेहिकल -पीएसएलवी) का उपयोग करेगा। उन्होंने आगे कहा कि अंतरिक्ष यान सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु-1 (एल 1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा (हैलो ऑर्बिट) में स्थित होगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख (1.5 मिलियन) किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किए  गए उपग्रह को सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देखने का प्रमुख लाभ मिलेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि, मंगल और चंद्रमा मिशन के बाद, आदित्य एल-1 तीसरा ऐसा मिशन है। यह मिशन सूर्य से प्राप्त ऊर्जा स्रोतों का अध्ययन करेगा।

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