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राजनीति

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर मानसून के दौरान प्रभावी प्रबंधन के लिए सक्रिय कदम उठाए

मानसून के मौसम के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों पर जल भाराव या बाढ़ जैसी स्थिति की समस्या से निपटने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने विभिन्न उपाय किए हैं और देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों पर आपातकालीन राहत प्रदान की है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) पहाड़ी और मैदानी दोनों क्षेत्रों में प्रभावी समाधान प्रदान करने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाते हुए बाढ़/भूस्खलन प्रभावित स्थानों पर मशीनरी और जनशक्ति को शीघ्रता से पहुंचाने के लिए अन्य निष्पादन एजेंसियों, स्थानीय अधिकारियों और प्रशासन के साथ निकट समन्वय में काम कर रहा है। इसके अलावा, प्रभावी आपदा राहत तैयारियों के लिए संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) समय पर तैनाती के लिए प्रमुख मशीनरी की उपलब्धता की मैपिंग कर रहा है।

राष्ट्रीय राजमार्गों पर जल भाराव या बाढ़ जैसी स्थिति से बचने के लिए, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) राज्य सिंचाई विभाग के साथ संयुक्त निरीक्षण कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी चालू चैनल/धारा का प्रवाह नवनिर्मित राजमार्ग से बाधित न हो। हाल ही में दिल्ली-काटरा एक्सप्रेसवे और अन्य परियोजनाओं पर सिंचाई विभाग के परामर्श से विशेष अभियान चलाया गया।

इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर, जहां भी जल भाराव की संभावना है, वहां पर्याप्त पंपिंग की व्यवस्था की जाएगी। राष्ट्रीय राजमार्ग उपयोगकर्ताओं तक किसी भी बाधा के बारे में जानकारी प्रसारित करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ लेते हुए उन्नत यातायात प्रबंधन प्रणाली (एटीएमएस) के साथ-साथ राजमार्ग यात्रा ऐप का उपयोग किया जाएगा।

पहाड़ी क्षेत्रों में, जिला प्रशासन के साथ निकट समन्वय में प्रत्येक भूस्खलन संभावित स्थल पर पर्याप्त जनशक्ति और मशीनरी से सुसज्जित समर्पित आपातकालीन राहत दल तैनात किया गया है। इससे चौबीसों घंटे और सातों दिन संपर्क को सक्षम बनाने और यातायात की सुरक्षित और सुचारू आवाजाही प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग से गंदगी को तुरंत हटाने में सहायता मिलेगी। सुरक्षित यातायात संचालन की सुविधा के लिए प्रत्येक भूस्खलन संभावित क्षेत्र में अस्थायी अवरोध और चेतावनी संकेत स्थापित किए गए हैं।

निवारक उपायों के कार्यान्वयन के लिए, संवेदनशील स्थानों की पहचान की जाती है जिनके गंभीर रूप से प्रभावित होने की संभावना है जैसे बाढ़/भूस्खलन/चट्टान गिरने की संभावना वाले क्षेत्र, धंसने वाले क्षेत्र आदि। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारी विभिन्न संरचनाओं जोड/ पुलों के खम्भे आदि का भी निरीक्षण कर रहे हैं जिनका बाढ़ का इतिहास रहा है ताकि तटबंधों पर क्षति की पहचान की जा सके। सड़क उपयोगकर्ताओं को सावधान करने के लिए संवेदनशील स्थानों पर चेतावनी संकेत लगाए जाएंगे। 

जिन स्थानों पर भारी भूस्खलन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात के लिए अवरुद्ध हो सकता है, वहां जिला प्रशासन के साथ एक वैकल्पिक मार्ग परिवर्तन योजना तैयार की गई है। इसके अलावा, कुछ कमजोर ढलानों और सुरंगों पर वास्तविक समय की निगरानी सहित भू-तकनीकी उपकरण को प्रयोग के रूप में लागू किया गया है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने पूरे भारत में मानसून की प्रगति के साथ बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने की तैयारी सुनिश्चित करने और आपातकालीन राहत को सक्षम करने के लिए कई सक्रिय कदम उठाए हैं। ये उपाय मानसून के मौसम के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग उपयोगकर्ताओं को निर्बाध यात्रा की सुविधा प्रदान करने में काफी सहायता करेंगे।

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शिक्षा मंत्रालय समस्‍त कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों और छात्रावासों में आईसीटी लैब एवं स्मार्ट कक्षाएं उपलब्ध कराएगा  

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने समस्‍त कार्यात्‍मक कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) और छात्रावासों में ‘समग्र शिक्षा’ मानदंडों के अनुसार आईसीटी (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) लैब एवं स्मार्ट क्लासरूम उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है, ताकि बालिकाओं को सशक्त बनाया जा सके, उन्हें डिजिटल रूप से दक्ष बनाया जा सके, और उनके ज्ञान एवं कौशल को बढ़ाया जा सके। इससे डिजिटल ज्ञान में मौजूदा खाई को पाटना भी संभव हो जाएगा। लगभग 290 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस पहल से केजीबीवी की 7 लाख बालिकाएं लाभान्वित होंगी।

केजीबीवी दरअसल वंचित समूहों जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवनयापन करने वाली बालिकाओं के लिए कक्षा VI से लेकर कक्षा XII तक के आवासीय विद्यालय हैं। केजीबीवी शैक्षणिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में खोले जाते हैं, जिसका उद्देश्य इन बालिकाओं तक पहुंच एवं गुणवत्तापूर्ण या बेहतरीन शिक्षा सुनिश्चित करना है और इसके साथ ही स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर बालकों एवं बालिकाओं के ज्ञान में अंतर को कम करना है। वर्तमान में देश के 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 5116 केजीबीवी कार्यरत हैं।

केजीबीवी में बालिकाओं को आईसीटी लैब और स्मार्ट क्लासरूम उपलब्ध कराना अत्‍यंत आवश्‍यक है क्योंकि केजीबीवी की बालिकाएं वंचित पृष्ठभूमि से आती हैं और उन्‍हें शिक्षा की प्राप्ति में विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ता है जिनमें घर से स्‍कूलों का काफी दूर होना, सांस्कृतिक मानदंड और सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी शामिल हैं। डिजिटल साक्षरता सुलभ कराना उनके व्यक्तिगत और प्रोफेशनल या व्यावसायिक विकास के लिए अत्‍यंत आवश्‍यक है। इससे डिजिटल ज्ञान में मौजूदा खाई को पाटने में भी काफी मदद मिलेगी।

तेजी से विकास और हमारे जीवन एवं आजीविका के साथ आईसीटी के एकीकरण के मौजूदा युग में यह अत्‍यंत आवश्‍यक है कि जीवन के सभी क्षेत्रों से वास्‍ता रखने वाले बालकों- बालिकाओं को खुद को आधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस करने का अवसर मिले। आईसीटी को स्कूली पाठ्यक्रम में एकीकृत किया गया है ताकि विद्यार्थियों, विशेषकर वंचित समूहों के विद्यार्थियों को पर्याप्त अनुभवात्मक जानकारियां मिल सकें।

आईसीटी सुविधाएं उपलब्‍ध कराने से यह सुनिश्चित होगा कि केजीबीवी की बालिकाओं को स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के विभिन्‍न डिजिटल प्लेटफॉर्मों/संसाधनों जैसे कि ‘स्वयं’, ‘स्वयं प्रभा’, राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी, ई-पाठशाला, राष्ट्रीय मुक्त शैक्षणिक संसाधन भंडार, दीक्षा, इत्‍यादि तक बेहतर पहुंच सुलभ होगी। इससे इन बालिकाओं का ज्ञान एवं कौशल बढ़ेगा।   

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स्मार्ट सिटी मिशन मार्च 2025 तक बढ़ाया गया

स्मार्ट सिटी मिशन भारत के शहरी विकास में एक नया प्रयोग है। जून 2015 में अपनी शुरुआत के बाद से, मिशन ने कई नवीन विचारों को अमल में लाने का प्रयास किया है, जैसे कि 100 स्मार्ट शहरों के चयन के लिए शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा, हितधारकों द्वारा संचालित परियोजना चयन, कार्यान्वयन के लिए स्मार्ट सिटी स्पेशल पर्पज व्हीकल्स का गठन, शहरी शासन में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी और डिजिटल समाधानों का असरदार तरीके से इस्‍तेमाल, प्रमुख शैक्षणिक और व्यावसायिक संस्थानों द्वारा तीसरे पक्ष के प्रभाव का मूल्यांकन आदि।

100 शहरों में से प्रत्येक ने परियोजनाओं का एक विविध सेट विकसित किया है, जिनमें से कई बहुत ही अनोखी हैं और पहली बार लागू की जा रही हैं, जिससे शहरों की क्षमता और अनुभव में सुधार हुआ है और शहर के स्तर पर बड़े परिवर्तनकारी लक्ष्य हासिल हुए हैं। 100 शहरों द्वारा लगभग ₹ 1.6 लाख करोड़ की लागत से 8,000 से अधिक बहु-क्षेत्रीय परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं।

03 जुलाई 2024 तक, 100 शहरों ने मिशन के हिस्से के रूप में ₹ 1,44,237 करोड़ की राशि की 7,188 परियोजनाएं (कुल प्रोजेक्ट का 90 प्रतिशत) पूरी कर ली हैं। ₹ 19,926 करोड़ की राशि की शेष 830 परियोजनाएं भी पूरा होने के अंतिम चरण में हैं। वित्तीय प्रगति के मामले में, मिशन के पास 100 शहरों के लिए ₹ 48,000 करोड़ का भारत सरकार का आवंटित बजट है। आज तक, भारत सरकार ने 100 शहरों को ₹ 46,585 करोड़ (भारत सरकार के आवंटित बजट का 97 प्रतिशत) जारी किए हैं। शहरों को जारी किए गए इन फंडों में से, अब तक 93 प्रतिशत का उपयोग किया जा चुका है। मिशन ने 100 में से 74 शहरों को मिशन के तहत भारत सरकार की पूरी वित्तीय सहायता भी जारी कर दी है।

मिशन को कुछ राज्यों/शहरों की सरकार के प्रतिनिधियों से कई अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं, ताकि शेष 10 प्रतिशत परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कुछ और समय दिया जा सके। शेष चल रही ये परियोजनाएं कार्यान्वयन के अंतिम चरण में हैं और विभिन्न स्थितियों के कारण विलंबित हो गई हैं। यह लोगों के हित में है कि ये परियोजनाएं पूरी हों और उनके शहरी क्षेत्रों में जीवन को आसान बनाने में योगदान दें। इन अनुरोधों का संज्ञान लेते हुए, भारत सरकार ने इन शेष 10 प्रतिशत परियोजनाओं को पूरा करने के लिए मिशन की अवधि 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दी है। शहरों को सूचित किया गया है कि यह विस्तार मिशन के तहत पहले से स्वीकृत वित्तीय आवंटन से परे किसी भी अतिरिक्त लागत के बिना होगा। सभी चल रही परियोजनाओं के अब 31 मार्च 2025 से पहले पूरा होने की उम्मीद है।

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भारतीय खाद्य निगम ने रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2024-25 के दौरान 266 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं खरीदा

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने चालू रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2024-25 के दौरान 266 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं की सफलतापूर्वक खरीद की है, जो पिछले साल के 262 एलएमटी के आंकड़े को पार कर गया है और देश में खाद्यान्न को सुनिश्चित किया है। आरएमएस 2024-25 के दौरान गेहूं की खरीद के लिए 22 लाख से अधिक भारतीय किसान लाभान्वित हुए हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत गेहूं की खरीद पर लगभग 0.61 लाख करोड़ रुपये सीधे इन किसानों के बैंक खातों में जमा किए गए हैं।

आरएमएस के तहत गेहूं की खरीद आम तौर पर हर साल 1 अप्रैल को शुरू होती है। हालांकि, किसानों की सुविधा के लिए, इस साल अधिकांश खरीद करने वाले राज्यों में इसे लगभग एक पखवाड़े पहले कर दिया गया था। यह उपलब्धि किसानों के हितों की रक्षा और सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

विभिन्न गेहूं खरीद करने वाले राज्यों से एकत्र किए गए अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, आरएमएस 2024-25 के दौरान कुल गेहूं खरीद 266 एलएमटी है, जो आरएमएस 2023-24 के 262 एलएमटी के आंकड़े और आरएमएस 2022-2023 के दौरान दर्ज 188 एलएमटी से अधिक है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्यों ने अपनी गेहूं खरीद की मात्रा में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है। उत्तर प्रदेश ने पिछले साल 2.20 एलएमटी की तुलना में 9.31 एलएमटी की खरीद दर्ज की है, जबकि राजस्थान ने पिछले सीजन के 4.38 एलएमटी से 12.06 एलएमटी हासिल किया है।

पर्याप्त मात्रा में गेहूं की खरीद ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में खाद्यान्न का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित करने में मदद की है। यह पूरी खरीद प्रक्रिया पीएमजीकेएवाई सहित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत लगभग 184 एलएमटी गेहूं की वार्षिक आवश्यकता को पूरा करने में महत्वपूर्ण रही है।

भारत सरकार ने आरएमएस 2024-25 के लिए गेहूं के लिए 2275 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित किया। एमएसपी एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है, यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को उचित मूल्य मिले। इसके अलावा, अगर किसानों को बेहतर कीमत मिलती है, तो वे खुले बाजार में अपना अनाज बेचने के लिए स्वतंत्र हैं, जिससे प्रतिस्पर्धी बाजार का माहौल बनता है। एमएसपी का आश्वासन और खुले बाजार में बेचे जाने के उतार-चढ़ाव से सामूहिक रूप से किसानों के लिए बेहतर आय सुरक्षा हुई है।

गेहूं के अलावा, खरीफ विपणन सीजन 2023-24 के दौरान इन किसानों के बैंक खातों में एमएसपी पर धान की खरीद के लिए 1.74 लाख करोड़ रुपये भेजे गए। ये किसान ज्यादातर देश भर में फैले सीमांत किसान हैं। धान की वर्तमान खरीद ने केंद्रीय पूल चावल के स्टॉक को 490 एलएमटी से अधिक कर दिया है, जिसमें मिलिंग के बाद प्राप्त होने वाला 160 एलएमटी चावल भी शामिल है। चावल की वार्षिक आवश्यकता लगभग 400 एलएमटी है, जबकि 1 जुलाई के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित बफर मानदंड 135 एलएमटी है। चावल के वर्तमान स्टॉक स्तर के साथ, देश न केवल अपने बफर स्टॉक मानदंडों को बल्कि अपनी पूरी वार्षिक आवश्यकता को भी पार कर गया है। इसके अलावा अगले खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2024-25 के तहत खरीद भी अक्टूबर 2024 में शुरू होने की संभावना है।

इस सीजन में गेहूं और धान की पर्याप्त खरीद सरकार, एफसीआई, राज्य एजेंसियों, किसानों और अन्य हितधारकों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है, जिनमें कमीशन एजेंट, हैंडलिंग और परिवहन ठेकेदार और सड़क परिवहन ठेकेदार शामिल हैं। यह उपलब्धि एफसीआई की खरीद और भंडारण संबंधी सुविधाओं की मजबूती पर भी जोर देती है, जो देश में खाद्य सुरक्षा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। एफसीआई पूरे भारत में खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करने, कृषक समुदाय का समर्थन करने और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के अपने मिशन के प्रति प्रतिबद्ध है।

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हर्ष मल्होत्रा ​​ने दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे की प्रगति की समीक्षा के लिए साइट का दौरा किया

केन्‍द्रीय कॉरपोरेट कार्य; सड़क, परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ने 29.06.2024 को सांसद श्री मनोज तिवारी, करावल नगर विधायक श्री मोहन सिंह बिष्ट, गांधी नगर विधायक श्री अनिल वाजपेयी, निगम पार्षद  श्री  सत्यपाल सिंह, सुश्री नीता बिष्ट, श्री बृजेश सिंह, श्री संदीप कपूर, सुश्री नीमा भगत और दिल्ली नगर निगम के क्षेत्रीय पार्षदों और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे की प्रगति की समीक्षा के लिए साइट का दौरा किया। उन्होंने जलभराव की समस्या और इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर अन्य मुद्दों से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 709बी का भी निरीक्षण किया। साइट का दौरा एनएच-709बी के शमशान घाट (चेनेज किमी 5+100) के पास गीता कॉलोनी से शुरू हुआ और सोनिया विहार (चेनेज किमी 14+350) और सभापुर गांव (चेनेज किमी 15+300) तक जारी रहा। मंत्री ने दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि यह एक्सप्रेसवे पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर क्षेत्र में भीड़भाड़ कम करने में सहायक होगा और दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे पर भी भार कम करेगा। उन्होंने एक्सप्रेसवे को समय पर पूरा करने का निर्देश दिया ताकि इसे तय समय पर आम जनता के लिए खोला जा सके।

राष्ट्रीय राजमार्ग-9 पर जलभराव के संबंध में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों ने बताया कि एनएच के साथ एमसीडी/पीडब्ल्यूडी का एक समानांतर मास्टर ड्रेन है, जो कई वर्षों से अवरुद्ध है और उसमें पानी भरा हुआ है। इसके अलावा, राष्ट्रीय राजमार्ग का सतही नाला भी राजमार्ग के हिस्से के सतही पानी की निकासी के लिए समानांतर मास्टर ड्रेन से जुड़ा हुआ है। चूंकि एमसीडी/पीडब्ल्यूडी का समानांतर मास्टर ड्रेन अवरुद्ध है, इसलिए एनएच का सतही पानी मास्टर ड्रेन (जो पहले से ही अवरुद्ध है और सीमित क्षमता के कारण भरा हुआ है) में जाने के बजाय वापस एनएचएआई की सर्विस रोड पर भर जाता है। श्री मल्होत्रा ने एनएचएआई के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इस मुद्दे को एमसीडी/पीडब्ल्यूडी के साथ उठाएं, ताकि वे आवश्यक कार्रवाई कर सकें। श्री मल्होत्रा ने मौके पर निवासियों द्वारा उठाए गए मुद्दों का संज्ञान लिया और एनएचएआई के अधिकारियों को विकास कार्यों की तीव्र प्रगति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि कार्यों से स्थानीय निवासियों को किसी प्रकार की समस्या न हो। उन्होंने शमशान घाट गीता कॉलोनी, दिल्ली के पास पहले से प्रस्तावित दो यू टर्न (एक एलिवेटेड फ्लाईओवर के पास और एक मौजूदा फ्लाईओवर के पास) के निकट हल्के वाहनों को दोनों तरफ आवश्यक पहुंच प्रदान करने के लिए दो अतिरिक्त यू टर्न प्रदान करने का निर्देश दिया। उन्होंने लोगों को यह भी आश्वासन दिया कि फ्लाईओवर के नीचे हरित पट्टी क्षेत्र विकसित किया जाएगा, जो पर्यावरण के लिए वरदान साबित होगा।

सोनिया विहार के निवासियों द्वारा टोल प्लाजा को स्थानांतरित करने के अनुरोध के जवाब में, श्री मल्होत्रा ने आश्वासन दिया कि टोल प्लाजा को उत्तर प्रदेश की ओर 300 मीटर स्थानांतरित किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सोनिया विहार, दिल्ली के स्थानीय निवासियों को कोई टोल टैक्स न देना पड़े। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि उत्तर प्रदेश की ओर से नाले का पुनः नहरीकरण किया जाएगा। सभापुर गांव में, श्री मल्होत्रा ने एनएचएआई के अधिकारियों को जलभराव की समस्या का शीघ्र समाधान करने और यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि आज से ही काम शुरू हो जाए। अधिकारियों को वहां पाइपलाइनों की समीक्षा करने और जल्द से जल्द समस्याओं का समाधान करने के निर्देश भी दिए गए। उन्होंने आश्वासन दिया कि सर्विस रोड का निर्माण किया जाएगा, ताकि स्थानीय निवासियों को आस-पास के गांवों में आने-जाने में किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

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खेल मंत्री ने एशियाई खेलों में योग को शामिल करने की आईओए की पहल का स्वागत किया

युवा कार्यक्रम एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष डॉ. पी टी उषा के एशियाई खेलों के कार्यक्रम में योग को शामिल करने के कदम का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “यह उचित ही है कि व्यापक लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए योग एक प्रतिस्पर्धी खेल बन जाए और एशियाई खेलों में शामिल हो।”

आईओए अध्यक्ष ने एशियाई ओलंपिक परिषद (ओसीए) के अध्यक्ष श्री राजा रणधीर सिंह को 26 जून को पत्र लिखकर एशियाई खेलों में योग को खेल के रूप में शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कहा है।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की है कि 21 जून को हर साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाए। मन और शरीर को एक साथ जोड़ने वाली इस विद्या ने दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल की है और यह अपने खुद के नियमों और अलग-अलग कार्यक्रमों के साथ एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में तैयार है।”

उन्होंने कहा, “भारत योग को लोकप्रिय बनाने में सबसे आगे रहा है और हमने इसे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में शामिल करके इसे एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में आगे बढ़ाया और इसे बड़ी सफलता मिली। यह जानकर खुशी हो रही है कि योग करने वालों की बढ़ती संख्या ने राष्ट्रीय खेलों के आयोजकों को इसे अपने कार्यक्रम में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया है।”

भारत सरकार ने अपनी विभिन्न पहलों के माध्यम से योग को एक प्रतिस्पर्धी खेल के साथ-साथ स्वस्थ जीवन जीने की कला और विज्ञान के रूप में बढ़ावा दिया है। युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय ने भारत में एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में योगासन को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए योगासन भारत को मान्यता दी है। इसके अतिरिक्त, 2020 से खेलो इंडिया यूथ गेम्स और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के पिछले कई संस्करणों में योगासन को एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में जोड़ा गया है।

यह भी पता चला है कि विश्व योगासन (वर्ल्ड योगासन) द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था एशियाई योगासन ने पहले ही संबद्धता के लिए ओसीए को पत्र लिख दिया है ताकि योगासन को पूरे महाद्वीप में एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में विकसित किया जा सके।

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केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव गणपतराव जाधव और अनुप्रिया सिंह पटेल ने ‘आयुष्मान भारत, गुणवत्त स्वास्थ्य’ कार्यक्रम में तीन पहलों का शुभारंभ किया

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव गणपतराव जाधव और श्रीमती अनुप्रिया सिंह पटेल ने आज ‘आयुष्मान भारत, गुणवत्त स्वास्थ्य’ कार्यक्रम में तीन पहलों का शुभारंभ किया। ये पहल भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतरीन करने एवं कारोबार करने को और भी अधिक आसान बनाने में प्रमुख भूमिका निभाएंगी।

केंद्रीय मंत्रियों ने आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (एएएम) के लिए वर्चुअल राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) आकलन; एक डैशबोर्ड, जो राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्वास्थ्य संस्थानों व केंद्रों को भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों (आईपीएचएस) के अनुपालन की त्वरित निगरानी करने और तदनुसार ठोस कदम उठाने में मदद करेगा; और फूड वेंडर्स के लिए स्पॉट फूड लाइसेंस एवं पंजीकरण पहल का शुभारंभ किया।

केंद्रीय मंत्रियों ने इस कार्यक्रम के दौरान वर्चुअली निर्धारित किए गए स्वास्थ्य एएएम-एससी को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाण पत्र प्रदान किये।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003LGH4.jpgइसी कार्यक्रम में एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं (आईपीएचएल) के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक भी जारी किये गए। ये मानक एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं में प्रबंधन एवं परीक्षण प्रणालियों की गुणवत्ता और क्षमता में सुधार करेंगे, जो परीक्षण के परिणामों की विश्वसनीयता पर सकारात्मक रूप से असर डालेंगे। इनसे प्रयोगशाला से प्राप्त होने वाले परिणामों के संबंध में चिकित्सकों, रोगियों और आम जनता का भरोसा बढ़ जाएगा। इसके अलावा, कायाकल्प के लिए संशोधित दिशा-निर्देश भी जारी किए गए।

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स्पॉट फूड लाइसेंस पहल का प्रारंभ होना खाद्य सुरक्षा एवं अनुपालन प्रणाली (एफओएससीओएस) के माध्यम से तत्काल लाइसेंस जारी करने और पंजीकरण सेवा प्रदान करने के लिए एक नई व्यवस्था है। खाद्य सुरक्षा एवं अनुपालन प्रणाली एक अत्याधुनिक, अखिल भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी वाला प्लेटफार्म है, जिसे सभी खाद्य सुरक्षा विनियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। यह अभिनव प्रणाली लाइसेंसिंग तथा पंजीकरण की प्रक्रियाओं को सरल बनाती है, जिससे उपयोगकर्ता को बेहतर अनुभव प्राप्त होता है।

श्री प्रतापराव जाधव ने सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इन महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत “सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा” प्रदान करने और कल्याण को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयास की निरंतरता का हिस्सा है। उन्होंने 1.73 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित करने, साल 2014 से मेडिकल कॉलेजों की संख्या दोगुनी करने, एम्स की संख्या 7 से बढ़ाकर 23 करने और 2014 से पीजी और एमबीबीएस सीटों की संख्या दोगुनी से अधिक करने को लेकर केंद्र सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने आगे कहा, “सरकार अधिक कुशल मानव संसाधन और गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के साथ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो वर्तमान और भविष्य की चिकित्सा संबंधी चुनौतियों से निपट सकती है।” अनुप्रिया पटेल ने कहा कि वर्चुअल एनक्यूएएस मूल्यांकन और डैशबोर्ड की शुरुआत के साथ-साथ दो दस्तावेजों के जारी होने से सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा। वहीं, स्पॉट फूड लाइसेंस की शुरुआत से भारत में व्यापार करने में सुगमता बढ़ेगी।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image006NJXS.jpgउन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार का ध्यान सस्ती स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच प्रदान करने के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने पर भी है। श्रीमती पटेल ने बताया कि सरकार माननीय प्रधानमंत्री की सोच के अनुरूप साल 2047 तक एक सुदृढ़ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना के निर्माण के लिए काफी परिश्रम कर रही है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री अपूर्व चंद्रा ने सरकार की ओर से गुणवत्ता और अपने नागरिकों के लिए कारोबार में सुगमता प्रदान करने पर निरंतर ध्यान दिए जाने को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि जहां केंद्र सरकार राज्यों को एनक्यूएएस प्रमाणन प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है, वहीं उन स्वास्थ्य केंद्रों को हतोत्साहित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जो स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता के न्यूनतम मानक को सुनिश्चित नहीं करते हैं।

एफएसएसएआई के सीईओ श्री जी कमला वर्धन राव ने कहा कि एफओएससीएस के माध्यम से लाइसेंस व पंजीकरण तत्काल जारी करने से भारत में व्यापार करने को लेकर सुगमता में उल्लेखनीय सुधार होगा और माननीय प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विश्वास की सोच में योगदान करने में सहायता मिलेगी। इससे पहले पूरे भारत में विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों से आए स्वास्थ्य कर्मियों ने एनक्यूएएस प्रशिक्षण के अपने अनुभव और अपने केंद्रों को एनक्यूएएस प्रमाणित करवाने की यात्रा के साथ-साथ प्रमाणन के कारण आए बदलावों को साझा किया। इसके अलावा देश भर से आए खाद्य विक्रेताओं ने भी अपने स्टॉल के लिए एफएसएसएआई लाइसेंस और पंजीकरण प्राप्त करने के अपने अनुभव को साझा किया।

पृष्ठभूमि:

आयुष्मान आरोग्य मंदिर के लिए वर्चुअल मूल्यांकन

आयुष्मान आरोग्य मंदिर उप-केंद्रों (एएएम-एससी) का वर्चुअल प्रमाणन सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए गुणवत्ता आश्वासन संबंधी संरचना में एक महत्वपूर्ण नवाचार का प्रतिनिधित्व करता है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना के तहत, सभी नागरिकों के लिए व्यापक, सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) की स्थापना और संचालन किया गया है। वर्तमान में, देश भर में 170,000 से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर संचालित हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के नेतृत्व में, एएएम में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा की टीमों को प्रारंभिक देखभाल, ट्राइएज का प्रबंधन करने और आगे के उपचार के लिए रोगियों को उपयुक्त सुविधाओं के लिए संदर्भित करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। यह दृष्टिकोण पर्याप्त रेफरल लिंकेज के साथ समुदाय के निकट प्राथमिक देखभाल सेवाएं प्रदान करके माध्यमिक और तृतीयक देखभाल सुविधाओं पर बोझ को कम करता है। स्वास्थ्य समस्याओं की प्रारंभिक पहचान और प्रबंधन रोग को बढ़ने से रोकने में मदद करता है। इसके लिए उन्नत देखभाल की आवश्यकता होती है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हों, जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, ग्रामीण और शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (उप केंद्रों) के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) विकसित किए गए, जिसका लक्ष्य 2026 तक पूर्ण अनुपालन करना था। मूल्यांकन प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए ऑनलाइन मूल्यांकन शुरू किए गए हैं, जिसमें वर्चुअल टूर और रोगियों, कर्मचारियों और समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत शामिल है। प्रत्येक स्वास्थ्य सेवा सुविधा गुणवत्ता प्रमाणन प्राप्त करने के लिए एक कठोर बहु-स्तरीय मूल्यांकन प्रक्रिया से गुज़रेगी, जिसका मूल्यांकन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पैनल में शामिल राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा किया जाएगा।

एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं (आईपीएचएल)

जीवन रक्षक उपचार और बीमारी की कारगर रोकथाम करने के लिए उच्च-गुणवत्ता वाले नैदानिक परीक्षणों तक पहुंच सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सशक्त प्रयोगशाला सेवाओं के बिना, रोगी अक्सर निजी सुविधाओं का सहारा लेते हैं, जिससे उन्हें काफी ज़्यादा खर्च और वित्तीय भार उठाना पड़ता है। इसलिए, भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय ने एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं (आईपीएचएल) की स्थापना करके पीएम-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत प्रयोगशाला प्रणालियों को मजबूत किया है। ये प्रयोगशालाएं नैदानिक सेवाओं में पहुंच, दक्षता और गुणवत्ता सुनिश्चित करती हैं, जो प्रभावी स्वास्थ्य सेवा वितरण के लिए मौलिक हैं।

आईपीएचएल के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) को सुसंगत, सटीक और सुरक्षित प्रयोगशाला परीक्षण प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने के लिए विकसित किया गया है। इन मानकों का उद्देश्य रोगियों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करना, जिला और ब्लॉक-स्तरीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को सक्षमता प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित करना और गुणवत्ता मानकों को लगातार बनाए रखना और सुधारना है। सटीक परीक्षण परिणाम प्रदान करने, त्रुटियों को कम करने और तेज, विश्वसनीय और सस्ती नैदानिक सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए प्रयोगशालाओं के लिए इन मानकों का पालन करना आवश्यक है। आईपीएचएल मानक जिला अस्पताल के भीतर या एक स्वतंत्र इकाई के रूप में स्थित पूरी तरह कार्यात्मक प्रयोगशालाओं पर लागू होते हैं। यह परिकल्पना की गई है कि राज्य और जिला स्तर पर गुणवत्ता आश्वासन टीम जिले में आईपीएचएल में एनक्यूएएस के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होगी।

सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की वास्तविक समय पर निगरानी के लिए एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली (आईपीएचएस) डैशबोर्ड का शुभारंभ

एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली (आईपीएचएस) अनुपालन डैशबोर्ड का शुभारम्भ  भारत के स्वास्थ्य सेवा विकास में एक क्रांतिकारी रणनीति का प्रतिनिधित्व करता है। आईपीएचएस दिशानिर्देशों के साथ उन्नत डिजिटल उपकरणों को एकीकृत करके, मंत्रालय सार्वजनिक स्वास्थ्य में उत्कृष्टता लाने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि प्रत्येक व्यक्ति को सर्वोत्तम संभव स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो। यह पहल राष्ट्र के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के लिए सरकार के अटूट समर्पण का एक प्रमाण है।

आईपीएचएस डैशबोर्ड सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की वास्तविक समय की निगरानी के लिए एक ऐसा अग्रणी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है जो जिला अस्पतालों, उप-जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और आयुष्मान आरोग्य मंदिर सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के मूल्यांकन और अनुपालन स्थिति का व्यापक अवलोकन प्रदान करता है। मंत्रालय का लक्ष्य इस अत्याधुनिक डिजिटल उपकरण का लाभ उठाकर यह सुनिश्चित करना है कि सभी स्वास्थ्य सेवा संस्थान आईपीएचएस 2022 द्वारा निर्धारित मानकों का पालन करें, जिससे प्रत्येक नागरिक को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी की गारंटी मिले।
यह डैशबोर्ड ओपन डेटा किट (ओडीके) टूल के माध्यम से वास्तविक समय डेटा संग्रह और विश्लेषण की सुविधा प्रदान करता है, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों को गहन मूल्यांकन करने, अंतराल की पहचान करने और आवश्यक सुधारों को तुरंत लागू करने में सक्षम बनाया सके । यह पहल सुनिश्चित करती है कि स्वास्थ्य सुविधाएं बुनियादी ढांचे, उपकरण और मानव संसाधनों के आवश्यक मानकों को बनाए रखें, जिससे बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त होंगे और एक स्वस्थ और अधिक न्यायसंगत समाज को बढ़ावा मिलेगा।
14 जून, 2024 तक, 216,062 सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में से 36,730 से अधिक का मूल्यांकन किया गया है, जिनमें से 8,562 पूरी तरह से आईपीएचएस मानकों के अनुरूप हैं। नई सरकार के गठन के पहले 100 दिनों के भीतर 70,000 स्वास्थ्य संस्थानों को अनुपालन के अनुरूप बनाने का लक्ष्य है।
अधिक जानकारी के लिए कृपया स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएँ।

एफओएससीओएस :

एफओएससीओएस एक अत्याधुनिक, अखिल भारतीय आईटी प्लेटफ़ॉर्म है जिसे सभी खाद्य सुरक्षा नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। यह अभिनव प्रणाली लाइसेंसिंग और पंजीकरण प्रक्रियाओं को सरल बनाती है, जिससे उपयोगकर्ता को बेहतर अनुभव मिलता है। लाइसेंसिंग और पंजीकरण से परे, एफओएससीओएस ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग, खाद्य सेवा प्रतिष्ठानों के लिए स्वच्छता रेटिंग, सुरक्षा मापदंडों के लिए तीसरे पक्ष के ऑडिट के माध्‍यम से स्व-अनुपालन की सुविधा प्रदान करता है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के अन्य आईटी प्लेटफ़ॉर्म से जुड़ा, एफओएससीओएस खाद्य व्यवसाय संचालकों के लिए एक व्यापक समाधान प्रदान करता है।

कारोबार में सुगमता में और सुधार लाने के एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, एफएसएसएआई ने काम में आने लायक एक नई व्‍यवस्‍था शुरू की है जो खाद्य व्यवसायों की कम जोखिम वाली श्रेणियों के लिए लाइसेंस और पंजीकरण को तुरंत जारी करने में सक्षम बनाती है। इसे डिजिटल सत्यापन के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि खाद्य सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाए। यह नया प्रावधान खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य व्यवसायों का लाइसेंस और पंजीकरण) विनियमन, 2011 के तहत निर्धारित लाइसेंस और पंजीकरण के लिए आवेदन करने और प्राप्त करने की मौजूदा प्रक्रियाओं का पूरक है।

वर्तमान में, एफएसएसएआई लाइसेंस प्राप्त करने में पूर्ण आवेदन जमा करने की तिथि से 30 से 60 दिन लग सकते हैं। लाइसेंस के लिए, इसमें आम तौर पर 60 दिन लगते हैं, जबकि यदि निरीक्षण की आवश्यकता नहीं है तो पंजीकरण में 7 दिन और यदि निरीक्षण की आवश्यकता है तो 30 दिन तक का समय लग सकता है।

लाइसेंसिंग प्राधिकरण के हस्तक्षेप के बिना लाइसेंस जारी करने की सुविधा चुनिंदा श्रेणियों जैसे थोक विक्रेताओं, वितरकों, खुदरा विक्रेताओं, ट्रांसपोर्टरों, वायुमंडलीय नियंत्रण + ठंड के बिना भंडारण, आयातकों, खाद्य वेंडिंग एजेंसियों, प्रत्यक्ष विक्रेताओं और व्यापारी-निर्यातकों के लिए उपलब्ध होगी। पंजीकरण के तत्काल अनुदान के लिए, ऊपर बताई गई श्रेणियों में आवेदन करने वाले छोटे खाद्य व्यवसायों के साथ-साथ स्नैक्स/चाय की दुकानों और फेरीवालों (घुमंतू/चलते खाद्य विक्रेता) के छोटे खुदरा विक्रेताओं को प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। यह योजना दूध, मांस और मछली जैसी उच्च जोखिम वाली खाद्य श्रेणियों में शामिल व्यवसायों पर लागू नहीं होगी।

भारत में विकसित हो रहा खाद्य सुरक्षा इकोसिस्‍टम खाद्य व्यवसायों पर निगरानी रखने पर केन्‍द्रित पारंपरिक प्रथाओं से खाद्य सुरक्षा और मानक (एफएसएस) कानून, 2006 के तहत विश्वास-निर्माण, आत्म-अनुपालन व्यवस्था में परिवर्तित हो रहा है। इन पहलों का उद्देश्य नियामक प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाकर और विभिन्न अनुपालन मॉड्यूलों तक आसान पहुंच प्रदान करके खाद्य सुरक्षा नेटवर्क का विस्तार करना है, जिससे व्यापार करने में आसानी बढ़े।

इस नई कार्यक्षमता का शुभारंभ भारत की अधिक कुशल और व्यापार-अनुकूल वातावरण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो नवाचार, उद्यमशीलता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।

इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्रालय में अपर सचिव श्रीमती आराधना पटनायक; केन्‍द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्य सरकारों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया।

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वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड उत्पादन के बाद मई 2024 में खनन क्षेत्र में वृद्धि

मूल्य के हिसाब से लौह अयस्क और चूना पत्थर कुल एमसीडीआर खनिज उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा हैं। इन प्रमुख खनिजों ने वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड उत्पादन प्रदर्शित किया, जिसमें वित्त वर्ष 2023-24 में लौह अयस्क का उत्पादन 275 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) और चूना पत्थर का उत्पादन 450 एमएमटी रहा।

इस प्रवृत्ति को जारी रखते हुए, देश में इन प्रमुख खनिजों के उत्पादन ने अनंतिम आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में जोरदार वृद्धि प्रदर्शित की है। वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मई) में लौह अयस्क का उत्पादन 50 एमएमटी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 52 एमएमटी हो गया है, जिसमें 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। चूना पत्थर का उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मई) में 77 एमएमटी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 79 एमएमटी हो गया है, जिसमें 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मैंगनीज अयस्क का उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 16.7 प्रतिशत बढ़ गया है और वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 0.7 एमएमटी का उत्पादन हुआ है।

अलौह धातु क्षेत्र में, वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में प्राथमिक एल्यूमीनियम उत्पादन में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मई) में 6.90 एलटी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 6.98 लाख टन (एलटी) हो गया।

भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा एल्युमीनियम उत्पादक, तीसरा सबसे बड़ा चूना उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक है। चालू वित्त वर्ष में लौह अयस्क और चूना पत्थर के उत्पादन में निरंतर वृद्धि इस्पात और सीमेंट जैसे उपयोगकर्ता उद्योगों में मजबूत मांग की स्थिति को दर्शाती है। एल्युमीनियम के उत्पादन में वृद्धि के साथ, ये वृद्धि के रुझान ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, निर्माण, ऑटोमोटिव और मशीनरी जैसे उपयोगकर्ता क्षेत्रों में निरंतर मजबूत आर्थिक गतिविधि की ओर संकेत देते हैं।

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कर्मचारी पेंशन योजना 1995 में संशोधन किया गया है, जिससे 6 महीने से कम सेवा वाले सदस्यों को निकासी का लाभ प्रदान किया जा सके; संशोधन से प्रत्येक वर्ष कर्मचारी पेंशन योजना के 7 लाख से अधिक सदस्यों को लाभ मिलेगा

भारत सरकार ने कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस), 1995 में संशोधन किया है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि 6 महीने से कम अंशदायी सेवा वाले कर्मचारी पेंशन योजना के सदस्यों को भी निकासी लाभ मिल सके। इस संशोधन से प्रत्येक वर्ष कर्मचारी पेंशन योजना के 7 लाख से अधिक ऐसे सदस्यों को लाभ प्राप्त होगा जो 6 महीने से कम अंशदायी सेवा के बाद योजना छोड़ देते हैं।

इसके अलावा, केंद्र सरकार ने तालिका डी को संशोधित किया है और यह सुनिश्चित किया है कि सदस्यों को आनुपातिक निकासी लाभ देने के लिए सेवा के प्रत्येक पूरे महीने को ध्यान में रखा जाए। निकासी लाभ की राशि अब सदस्य द्वारा दी गई सेवा के पूरे महीनों की संख्या और उस वेतन पर निर्भर करेगी जिस पर कर्मचारी पेंशन योजना का अंशदान प्राप्त हुआ था। उपर्युक्त उपाय ने सदस्यों को निकासी लाभ के भुगतान को युक्तिसंगत बनाया है। अनुमान है कि प्रत्येक वर्ष 23 लाख से अधिक सदस्य तालिका डी के इस संशोधन से लाभान्वित होंगे।

प्रत्येक वर्ष पेंशन योजना 95 के लाखों कर्मचारी सदस्य पेंशन के लिए आवश्यक 10 वर्ष की अंशदायी सेवा देने से पहले ही योजना छोड़ देते हैं। ऐसे सदस्यों को योजना के प्रावधानों के अनुसार निकासी का लाभ दिया जाता है।

वित्तीय वर्ष 2023-24 में 30 लाख से अधिक निकासी लाभ के दावों का निपटारा किया गया।

अब तक, निकासी लाभ की गणना पूर्ण वर्षों में अंशदायी सेवा की अवधि और उस वेतन के आधार पर की जा रही थी, जिस पर कर्मचारी पेंशन योजना के अंशदान का भुगतान किया गया है।

इसलिए, अंशदायी सेवा के 6 महीने और उससे अधिक का समय पूरा करने के बाद ही सदस्य ऐसे निकासी लाभ के लिए पात्र होते थे। परिणामस्वरूप, 6 महीने या उससे अधिक समय तक अंशदान करने से पहले योजना छोड़ने वाले सदस्यों को कोई निकासी लाभ नहीं मिलता था। यह कई दावों के खारिज होने और शिकायतों का कारण था क्योंकि कई सदस्य 6 महीने से कम की अंशदायी सेवा किए बिना ही योजना छोड़ रहे थे। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान, 6 महीने से कम की अंशदायी सेवा के कारण निकासी लाभ के लगभग 7 लाख दावे खारिज कर दिए गए। इसके संशोधन बाद, ऐसे सभी कर्मचारी पेंशन योजना के सदस्य जो 14.06.2024 तक 58 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर पाए हैं, वे निकासी लाभ के पात्र हो जाएंगे।

इससे पहले, पूर्ववर्ती तालिका डी के अंतर्गत गणना में प्रत्येक पूर्ण वर्ष के बाद 6 महीने से कम समय के लिए की गई सेवा की आंशिक अवधि को नजरअंदाज कर दिया गया था। इसके परिणामस्वरूप कई मामलों में निकासी लाभ की कम राशि प्राप्त हुई। तालिका डी के संशोधन के साथ, निकासी लाभ की गणना के लिए अंशदायी सेवा को अब पूर्ण महीनों में माना जाएगा। इससे निकासी लाभ का उचित भुगतान सुनिश्चित होगा। उदाहरण के लिए, 2 वर्ष और 5 महीने की अंशदायी सेवा और 15,000/- प्रति माह वेतन के बाद निकासी लाभ लेने वाला सदस्य पहले 29,850/- रुपये की निकासी लाभ का हकदार था। अब उसे 36,000/- रुपये का निकासी लाभ प्राप्त होगा।

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डीएवाई-एनआरएलएम ने महिला स्वयं सहायता समूहों को सेवा क्षेत्र उद्यमों में शामिल कर ‘लखपति दीदी बनाने’ के विषय पर कार्यशाला आयोजित की

 प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने की दिशा में अपने प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए, ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ने आज महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को सेवा क्षेत्र के उद्यमों में एकीकृत कर लखपति दीदी बनाने के विषय पर राष्ट्रीय हितधारक परामर्श कार्यशाला आयोजित की।

इस कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए, ग्रामीण आजीविका के अपर सचिव श्री चरणजीत सिंह ने कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर कार्यशाला का आयोजन इसे एक ऐतिहासिक दिन बनाता है। यह मिशन, प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुसार लखपति दीदियां बनाने का प्रयास कर रहा है और सेवा क्षेत्र के उद्यमों की संभावनाओं की खोज एवं एकीकरण करते हुए लखपति पहल को सुदृढ़ बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। श्री सिंह ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि सेवा क्षेत्र आज सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 50 प्रतिशत और रोजगार में 31 प्रतिशत का योगदान देता है, इसलिए इस पर खुले दिमाग से चर्चा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि एसएचजी समुदाय की व्यापक भागीदारी के लिए उनके आर्थिक उत्थान और उन्हें लखपति दीदी बनने में सक्षम बनाने के लिए किस तरह की उप-योजना शुरू की जा सकती है।

ग्रामीण आजीविका की संयुक्त सचिव सुश्री स्वाति शर्मा ने संदर्भ की चर्चा करते हुए कहा कि 15 अगस्त, 2023 को प्रधानमंत्री द्वारा लखपति दीदी बनाने की घोषणा और 11 मार्च, 2024 को प्रधानमंत्री की लखपति दीदियों के साथ परस्पर बातचीत के बाद, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और इसके राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन इसे वास्तविकता बनाने के लिए प्रेरित हुए हैं। उन्होंने कहा कि मांग आधारित आर्थिक कार्यकलापों पर ध्यान केंद्रित करने का समय आ गया है और इसके लिए डीएवाई-एनआरएलएम अपने विभिन्न हितधारकों के साथ एसएचजी दीदियों को सफल सेवा क्षेत्र उद्यम बनाने के लक्ष्य को साकार करने के लिए मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करेगा।

इस अवसर पर ग्रामीण आजीविका विभाग की संयुक्त सचिव सुश्री स्मृति शरण ने कहा कि प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी लखपति दीदी के सपने को साकार करने के लिए संयोजन महत्वपूर्ण है और मंत्रालय अपने सहयोगियों के साथ मिलकर स्वयं सहायता समूह दीदियों को लखपति दीदी के रूप में आर्थिक रूप से परिवर्तित करने में मदद करने के लिए हर संभव अवसर का लाभ उठाएगा।

इस कार्यशाला का आयोजन वर्तमान परिदृश्य- सेवा क्षेत्र में महिला स्वयं सहायता समूहों के समक्ष अवसर, संभावनाएं और चुनौतियां, महिला स्वयं सहायता समूहों को सेवा उद्यमों में एकीकृत करने के सर्वोत्तम तरीकों एवं सफल मॉडलों की पहचान और विभिन्न हितधारकों के सहयोग से अर्थव्यवस्था के सेवा क्षेत्र में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के सफल एकीकरण के लिए आगे की रणनीति और रोडमैप की समझ विकसित करने के उद्देश्य से किया गया था। प्रतिभागियों में ग्यारह मंत्रालयों, दस राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों और अन्य हितधारकों, सेक्टर कौशल परिषद, राष्ट्रीय संसाधन संगठनों और तकनीकी सहायता एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल थे। इस कार्यशाला में प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी के साथ विभिन्न सोच और विचारों पर खुली चर्चा हुई। ग्रामीण आजीविका निदेशक सुश्री राजेश्वरी एसएम ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। समापन भाषण में, ग्रामीण आजीविका के परामर्शदाता श्री आर एस रेखी ने परामर्श कार्यशाला के मुख्य बिंदुओं और परामर्श कार्यशाला से उभरी अंतर्दृष्टि के आधार पर भावी परिदृश्य पर प्रकाश डाला।

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