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राजनीति

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वार्षिक एनसीसी पीएम रैली को संबोधित किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज दिल्ली के करियप्पा परेड ग्राउंड में वार्षिक राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) पीएम रैली को संबोधित किया। श्री मोदी ने एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का अवलोकन किया और सर्वश्रेष्ठ कैडेट पुरस्कार प्रदान किये। एनसीसी दिवस के अवसर पर उपस्थित लोगों को बधाई देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि 18 मित्र देशों के लगभग 150 कैडेट यहां उपस्थित हैं और उन्होंने उनका स्वागत किया। उन्होंने मेरा युवा भारत (माई भारत) पोर्टल के माध्यम से वर्चुअली जुड़ने वाले देश भर के युवाओं को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने कैडेटों को संबोधित करते हुए कहा, “गणतंत्र दिवस परेड के लिए चुना जाना अपने आप में एक उपलब्धि है।” उन्होंने कहा कि इस वर्ष का गणतंत्र दिवस विशेष है क्योंकि एक गणतंत्र के रूप में भारत ने 75 वर्ष पूरे कर लिये हैं। उन्होंने आगे कहा कि ये यादें जीवन भर  साथ रहेंगी और कैडेट इस महत्वपूर्ण अवसर का हिस्सा बनने पर गर्व महसूस करेंगे। उन्होंने पुरस्कार जीतने वाले कैडेटों को बधाई दी। यह बताते हुए कि आज उन्हें एनसीसी के कई अभियानों को हरी झंडी दिखाने का अवसर मिला, प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे अभियान भारत की विरासत को युवाओं की आकांक्षाओं से जोड़ते हैं। उन्होंने इन अभियानों में शामिल सभी कैडेटों को शुभकामनाएं दीं।

श्री मोदी ने कहा कि एनसीसी की स्थापना लगभग भारत की आजादी के समय ही हुई थी। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि एनसीसी की यात्रा देश के संविधान से भी पहले शुरू हो गयी थी। श्री मोदी ने कहा कि गणतंत्र के 75 वर्षों की अवधि में, संविधान ने लोकतंत्र को प्रेरित किया है और नागरिक कर्तव्यों के महत्व पर जोर दिया है। इसी तरह, एनसीसी ने भी भारत के युवाओं को राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा दी है और उन्हें अनुशासन का महत्व सिखाया है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि सरकार ने हाल के वर्षों में एनसीसी के दायरे और जिम्मेदारियों का विस्तार करने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है। उन्होंने कहा कि एनसीसी का विस्तार सीमावर्ती क्षेत्रों और तटीय जिलों तक कर दिया गया है और 170 से अधिक सीमावर्ती तालुकाओं तथा लगभग 100 तटीय तालुकाओं में अब एनसीसी की उपस्थिति है। श्री मोदी ने इन जिलों में युवा एनसीसी कैडेटों को विशेष रूप से प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी लेने के लिए तीनों सशस्त्र बलों को बधाई दी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस पहल से सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले हजारों युवाओं को लाभ हुआ है। यह बताते हुए कि एनसीसी में किए गये सुधारों का प्रभाव कैडेटों की बढ़ी हुई संख्या से स्पष्ट है, श्री मोदी ने कहा कि 2014 में लगभग 14 लाख एनसीसी कैडेट थे और आज यह संख्या 20 लाख तक पहुंच गई है। इनमें बालिका कैडेटों की संख्या 8 लाख से अधिक है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि एनसीसी कैडेट आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और खेल की दुनिया में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि एनसीसी दुनिया का सबसे बड़ा वर्दीधारी युवा संगठन है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के युवा 21वीं सदी में देश और दुनिया के विकास का निर्धारण करेंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “भारत के युवा सिर्फ भारत के विकास में ही योगदान नहीं दे रहे हैं, बल्कि वे वैश्विक कल्याण की एक शक्ति भी हैं”। समाचार पत्रों में हाल ही में प्रकाशित इस आशय की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कि पिछले दशक में भारतीय युवाओं ने 1.5 लाख स्टार्टअप और 100 से अधिक यूनिकॉर्न बनाए हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि 200 से अधिक उन प्रमुख वैश्विक कंपनियों का नेतृत्व भारतीय मूल के लोग कर रहे हैं, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में खरबों रुपये का योगदान दे रहीं हैं और लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर रहीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय वैज्ञानिक, शोधकर्ता और शिक्षक वैश्विक प्रगति को गति दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र में, भारत के युवाओं की प्रतिभा एवं उनके सामर्थ्य के बिना दुनिया के भविष्य की कल्पना करना कठिन है और यही कारण है कि वह उन्हें ‘वैश्विक कल्याण की एक शक्ति’ के रूप में संदर्भित करते हैं।

इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि किसी व्यक्ति या देश की ताकत तभी बढ़ती है जब अनावश्यक बाधाएं दूर होती हैं, प्रधानमंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि पिछले 10 वर्षों में, भारत में युवाओं के सामने आने वाली कई बाधाएं दूर की गईं हैं, जिससे युवाओं और देश, दोनों की क्षमताओं में वृद्धि हुई है।. उन्होंने कहा कि 2014 में, कई युवा लगभग 10-12 वर्ष के रहे होंगे और उन्हें अपने परिवार से उस समय की स्थितियों के बारे में पूछना चाहिए। प्रधानमंत्री ने दस्तावेज़ सत्यापन का एक उदाहरण दिया, जहां पहले प्रवेश, परीक्षा और भर्तियों के लिए दस्तावेज़ों को एक राजपत्रित अधिकारी द्वारा सत्यापित करना पड़ता था, जिससे काफी परेशानी होती थी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार ने अब दस्तावेजों के स्व-सत्यापन की अनुमति देकर इस समस्या का हल कर दिया है। उन्होंने छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने एवं उसे हासिल करने में युवाओं के सामने आने वाली कठिनाइयों और छात्रवृत्ति निधि के वितरण में आने वाली कई समस्याओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि एकल-खिड़की प्रणाली की शुरूआत ने इन पुरानी समस्याओं को समाप्त कर दिया है। विषय चयन से संबंधित एक अन्य प्रमुख समस्या की ओर इशारा करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि पहले बोर्ड परीक्षा के बाद एक बार विषय चुन लेने के बाद उसे बदलना कठिन होता था, लेकिन अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने विद्यार्थियों को अपनी पसंद के अनुसार विषय बदलने की सुविधा प्रदान की है।

यह बताते हुए कि एक दशक पहले युवाओं के लिए बैंक से आसानी से ऋण प्राप्त करना कठिन  था क्योंकि बैंक ऋण देने से पहले गारंटी मांगते थे, श्री मोदी ने कहा कि जब वह 2014 में प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने इस बात का आश्वासन दिया कि वह देश के युवाओं के लिए इसकी जिम्मेदारी लेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने मुद्रा योजना शुरू की, जो बिना बैंक गारंटी के ऋण प्रदान करती है। इस योजना के बारे में विस्तार से बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि शुरुआत में, 10 लाख रुपये तक का ऋण बिना गारंटी के दिया जाता था और सरकार के तीसरे कार्यकाल में, यह सीमा बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले 10 वर्षों में, मुद्रा योजना के तहत 40 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्रदान की गई है, जिससे लाखों युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने में मदद मिली है।

युवाओं के भविष्य के लिए चुनावी प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, श्री मोदी ने कहा कि दो दिन पहले राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया गया और कई युवा पहली बार मतदाता बने। उन्होंने कहा कि मतदाता दिवस का उद्देश्य मतदाताओं की अधिकतम भागीदारी को प्रोत्साहित करना है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव कराया जाता है, लेकिन हर कुछ महीनों में होने वाले निरंतर चुनाव चुनौतियां पैदा करते हैं। उन्होंने बताया कि शुरुआत में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे, लेकिन यह पैटर्न बदल गया, जिससे देश के लिए महत्वपूर्ण समस्याएं पैदा हो गईं। श्री मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि लगातार चुनावों के लिए मतदाता सूचियों को अद्यतन करने की आवश्यकता होती है और इसमें कई कार्य शामिल होते हैं, जिससे अक्सर शिक्षकों के कर्तव्य, पढ़ाई और परीक्षा की तैयारी प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि बार-बार चुनावों से शासन संबंधी कठिनाइयां भी पैदा होती हैं और इसलिए, देश में वर्तमान में “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की अवधारणा को लेकर बहस चल रही है।  प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के युवाओं से इस बहस में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया, क्योंकि इसका सीधा प्रभाव उनके भविष्य पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में नई सरकार बनाने की तारीख नियत होती है और हर चार साल में चुनाव होते हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह कॉलेजों या स्कूलों में छात्र परिषद के चुनाव एक ही बार में पूरे हो जाते हैं। उन्होंने युवाओं को हर कुछ महीनों में होने वाले चुनाव से उनकी पढ़ाई पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में सोचने और “एक राष्ट्र, एक चुनाव” को लेकर चल रही बहस में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया।

यह बताते हुए कि 21वीं सदी की दुनिया तेजी से बदल रही है और इस बदलाव के साथ सामंजस्य बनाए रखना आवश्यक है, श्री मोदी ने इस परिवर्तन में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में, चाहे वह कला हो, अनुसंधान हो या फिर नवाचार, युवाओं को अपने अभिनव विचारों एवं रचनात्मकता के माध्यम से नई ऊर्जा का समावेश करना चाहिए।  प्रधानमंत्री ने एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में राजनीति के महत्व पर प्रकाश डाला और युवाओं को नए सुझावों एवं नवीन विचारों के साथ राजनीति में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है। उन्होंने लाल किले से एक लाख युवाओं को राजनीति में शामिल होने के अपने आह्वान को दोहराया। प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं की शक्ति का उल्लेख किया, जैसा कि “विकसित भारत: युवा नेता संवाद” के दौरान देखा गया। उन्होंने कहा कि देश भर के लाखों युवाओं ने विकसित भारत के निर्माण के संबंध में बहुमूल्य सुझाव दिए हैं और अपने विचार व्यक्त किए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, हर पेशे के लोगों का एक ही लक्ष्य था – भारत की आजादी। उन्होंने कहा कि इसी तरह इस अमृत काल में ‘विकसित  भारत’ ही हमारा एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हर निर्णय एवं कार्य को इस लक्ष्य की कसौटी पर कसना चाहिए। प्रधानमंत्री ने पंच प्रण को याद रखने के महत्व पर प्रकाश डाला। ये प्रण हैं: विकसित भारत का निर्माण करना, गुलामी की मानसिकता से खुद को मुक्त करना, अपनी विरासत पर गर्व करना, भारत की एकता के लिए काम करना और अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाना। उन्होंने कहा कि ये पांच प्रण हर भारतीय का मार्गदर्शन करेंगे और उन्हें प्रेरणा देंगे। श्री मोदी ने इस कार्यक्रम के दौरान पेश की गई सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की प्रशंसा की और कहा कि ये प्रस्तुतियां “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की भावना को दर्शाती हैं, जो देश की एक महत्वपूर्ण शक्ति है। उन्होंने प्रयाग में चल रहे महाकुंभ को “एकता का कुंभ” बताते हुए कहा कि यह भी देश की एकता का प्रतीक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश की प्रगति के लिए यह एकता आवश्यक है।

अपने कर्तव्यों को सदैव याद रखने के महत्व पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि एक भव्य एवं दिव्य विकसित भारत की नींव कर्तव्यों के आधार पर ही रखी जायेगी। अपने संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने देश के कैडेटों एवं युवाओं को प्रेरित करने के लिए अपनी लिखी कुछ पंक्तियों को याद किया और सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दीं।

इस अवसर पर, केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, केन्द्रीय रक्षा राज्यमंत्री श्री संजय सेठ, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह, चीफ ऑफ नेवल स्टाफ एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी, एनसीसी के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल गुरबीरपाल सिंह और रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

इस वर्ष गणतंत्र दिवस शिविर में कुल 2361 एनसीसी कैडेटों ने भाग लिया, जिसमें 917 बालिका कैडेट शामिल थीं। यह बालिका कैडेटों की अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी थी। पीएम रैली में इन कैडेटों की भागीदारी नई दिल्ली में एक महीने तक चलने वाले एनसीसी गणतंत्र दिवस शिविर 2025 के सफल समापन का प्रतीक है। इस वर्ष की एनसीसी पीएम रैली की थीम ‘युवा शक्ति, विकसित भारत’ थी।

इस दिन 800 से अधिक कैडेटों द्वारा राष्ट्र निर्माण के प्रति एनसीसी की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने वाला एक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। 18 मित्र देशों के 144 युवा कैडेटों की भागीदारी ने इस वर्ष की रैली से संबंधित उत्साह में वृद्धि की।

एनसीसी पीएम रैली में देश भर से मेरा युवा (माई) भारत, शिक्षा मंत्रालय और जनजातीय कार्य के 650 से अधिक स्वयंसेवक भी विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए।

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पीएम सूर्याघर का उद्देश्य नागरिकों को ऊर्जा उत्पादक बनने के लिए सशक्त बनाना है: केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी

केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री सौरघर-मुफ्त बिजली योजना का उद्देश्य नागरिकों को ऊर्जा उत्पादक बनाकर उन्हें सशक्त बनाना है, साथ ही डिस्कॉम को बिजली बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने में सक्षम बनाना है। मंत्री महोदय नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड देखने के लिए आमंत्रित नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के 750 विशेष अतिथियों को संबोधित कर रहे थे।केंद्रीय मंत्री ने कहा “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में, आम लोग अब भारत की अक्षय ऊर्जा क्रांति के केंद्र में हैं। उनका काम, समर्पण और सफलता इस बात का सबूत है कि हम एक राष्ट्र के रूप में क्या हासिल कर सकते हैं। पीएम सूर्यघर और पीएम कुसुम के लाभार्थी भारत के अक्षय ऊर्जा आंदोलन के असली राजदूत हैं।” उन्होंने देश की अक्षय ऊर्जा यात्रा में नेतृत्व करने के लिए उनकी सराहना भी की।

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देश के विभिन्न भागों से पीएम सूर्याघर और पीएम कुसुम के लाभार्थियों ने इस अवसर पर बात की। उन्होंने समय पर प्राप्त होने वाली सब्सिडी, बिना किसी हस्तक्षेप के पीएम सूर्याघर पोर्टल पर आसानी से पंजीकरण कराने और इसके कारण बिजली बिल शून्य होने और भारी बचत की सराहना की।

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केंद्रीय मंत्री ने कहा, “कर्नाटक के धारवाड़ में, पीएम सूर्य घर के एक लाभार्थी ने सौर ऊर्जा अपनाकर शून्य बिजली बिल प्राप्त किया। केंद्र सरकार से ₹78,000 की सब्सिडी के साथ, यह सफलता की कहानी पूरे देश में टिकाऊ और ऊर्जा-कुशल समाधानों को बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को उजागर करती है।”उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के पीएम कुसुम लाभार्थी राकेश रोही ने बताया कि पीएम कुसुम योजना से लाभान्वित होने के बाद उन्होंने अपने खेत में सोलर पंप लगवाए हैं। इससे उनकी उपज में काफी सुधार हुआ है।

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एमएनआरई के विशेष अतिथियों ने पीएम संग्रहालय का दौरा किया और गणतंत्र दिवस परेड देखेंगे।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा सचिव निधि खरे ने कहा कि मंत्रालय योजनाओं के क्रियान्वयन में सुधार के लिए लाभार्थियों से सीखने और उन्हें सुनने के लिए हमेशा तत्पर है। इस अवसर पर नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव ललित बोहरा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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भारत की बेटियों को सशक्त बनाना

हमारी सरकार द्वारा शुरू की गई प्रत्येक विकास पहल में हम बालिकाओं को सशक्त बनाने और अपनी नारी शक्ति को मजबूत करने को अत्यधिक प्राथमिकता देते हैं। हमारा ध्यान बालिकाओं के लिए सम्मान के साथ-साथ अवसर सुनिश्चित करने पर है।‘-  नरेन्द्र मोदीप्रधानमंत्रीभारत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 22 जनवरी2015 को हरियाणा के पानीपत में शुरू की गई बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) योजना कार्यान्वयन का एक दशक पूरा कर रही है। भारत सरकार की इस प्रमुख पहल का उद्देश्य घटते बाल लिंग अनुपात (सीएसआर) को दूर करना और लिंग-आधारित लिंग-चयनात्मक उन्मूलन को रोकना और बालिकाओं के अस्तित्व, संरक्षण और शिक्षा को बढ़ावा देना है। यह योजना भारत सरकार की सबसे प्रभावशाली सामाजिक उपक्रमों में से एक बन गई है।

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मिशन शक्ति के साथ एकीकरण

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बीबीबीपी योजना अब 2021-2022 से 2025-2026 तक 15वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान कार्यान्वयन के लिए महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए एक व्यापक कार्यक्रम मिशन शक्ति के साथ एकीकृत है। मिशन शक्ति में दो व्यापक उप-योजनाएं शामिल हैं।

1. संबल : सुरक्षा एवं संरक्षा

मिशन शक्ति की संबल उप-योजना वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) महिला हेल्पलाइन (181) और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) के माध्यम से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। यह नारी अदालत की भी शुरुआत करता है, जो उत्पीड़न और अधिकारों के उल्लंघन जैसे छोटे मुद्दों को हल करने के लिए एक वैकल्पिक शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करता है।

2. सामर्थ्य : सशक्तिकरण

सामर्थ्य उप-योजना शक्ति सदनों, राहत और पुनर्वास घरों, सखी निवास के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाती है, जो शहरों में कामकाजी महिलाओं के लिए रहने के लिए सुरक्षित स्थान प्रदान करती है। साथ ही पालना-क्रेच कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिए सुरक्षित स्थान प्रदान करती है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) अब दूसरे बच्चे के लड़की होने पर भी मदद करती है, जिससे मातृ स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह गर्भावस्था और प्रसव के कारण काम करने वाली महिलाओं को आर्थिक रूप से होने वाले नुकसान की भरपाई भी करता है।

यह योजना अब बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण पर जोर देती है, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, बाल विकास और सामुदायिक जागरूकता शामिल है। पिछले एक दशक में, बीबीबीपी ने कई मंत्रालयों के बीच सहयोग के माध्यम से अपना दायरा बढ़ाया है।

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प्रमुख उद्देश्य

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प्राथमिक उद्देश्यों में शामिल हैं:

  • लिंग-पक्षपाती लिंग-चयनात्मक उन्मूलन को रोकना।
  • बालिकाओं का अस्तित्व और सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • बालिकाओं की शिक्षा एवं भागीदारी को बढ़ावा देना।
  • जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) में हर साल दो अंक का सुधार।
  • संस्थागत प्रसव के प्रतिशत में सुधार या 95% या उससे अधिक की दर पर कायम रहना।
  • प्रति वर्ष पहली तिमाही प्रसव-रोधी देखभाल (एएनसी) पंजीकरण में 1% की वृद्धि।
  • माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर लड़कियों के बीच स्कूल छोड़ने की दर की जांच करना।
  • सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (एमएचएम) के बारे में जागरूकता बढ़ाना।

फोकस क्षेत्र और लक्ष्य समूह

यह योजना मुख्य रूप से निम्नलिखित पर केंद्रित है:

  • प्राथमिक लक्ष्य समूह:
  • युवा और नवविवाहित जोड़े, जो माता-पिता बनने की उम्मीद में हैं
  • किशोर (लड़कियां और लड़के) और युवा
  • घर-परिवार और समाज
  • द्वितीयक लक्ष्य समूह:
  • स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र (एडब्ल्यूसीएस),
  • मेडिकल डॉक्टर/पेशेवर, निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, डायग्नोस्टिक सेंटर आदि।
  • पंचायत राज संस्थान (पीआरआई), शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी), अधिकारी, फ्रंटलाइन वर्कर्स
  • महिला समूह और स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) और नागरिक समाज संगठन
  • मीडिया, धार्मिक गुरु और उद्योग विशेषज्ञ

वित्तीय और परिचालन संरचना

बीबीबीपी एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसमें मिशन शक्ति के संबल वर्टिकल के तहत देश के सभी जिलों में केंद्र सरकार द्वारा 100% वित्त पोषण किया जाता है।

वित्तीय सहायता जिलों में जन्म के समय लिंग अनुपात (एसआरबी) के आधार पर भिन्न होती है:

  • 918 से कम या उसके बराबर एसआरबी वाले जिलों के लिए 40 लाख रुपये प्रति वर्ष।
  • 919-952 के बीच एसआरबी वाले जिलों के लिए 30 लाख रुपये।
  • 952 से अधिक एसआरबी वाले जिलों के लिए 20 लाख रुपये।

प्रमुख विकास

अभियान की सफलता लैंगिक असमानताओं को दूर करने की दिशा में की गई प्रगति से स्पष्ट है, जिसमें समाज पर इसके सकारात्मक प्रभाव को दर्शाने वाले प्रभावशाली आंकड़े हैं।

1. जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार (एसआरबी)

  • 2014-15 में 918 के एसआरबी से, 2022-23 में राष्ट्रीय एसआरबी बढ़कर 933 हो गया (स्रोत: एचएमआईएस, एमओएचएफडब्ल्यू)। यह लगातार वृद्धि लिंग-अनुपात को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाली लिंग-पक्षपाती प्रथाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने में बीबीबीपी के सामूहिक प्रभाव को दर्शाती है।

2. माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों के नामांकन में वृद्धि

  • माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों के नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, लड़कियों के लिए सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 2014-15 में 75.51% से बढ़कर 2021-22 में 79.4% हो गया है। (स्रोत: यू-डीआईएसई प्लस, एमओई)। यह बीबीबीपी के शैक्षिक प्रयासों के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।

3. संस्थागत प्रसव में वृद्धि

  • बीबीबीपी ने महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवा में सुधार पर भी जोर दिया। संस्थागत प्रसव 2014-15 में 87% से बढ़कर 2019-20 तक 94% से अधिक हो गया, जिससे कई क्षेत्रों में माताओं और शिशुओं के लिए सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित हुआ, जो मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने में आवश्यक रहा है।

4. जागरूकता अभियान

  • बालिकाओं वाले पिताओं पर लक्षित ‘सेल्फी विद डॉटर्स’ जैसे विशिष्ट अभियानों ने देशव्यापी लोकप्रियता हासिल की।
  • बालिकाओं के जन्म का उत्सव मनाने के लिए सामाजिक स्तर की गतिविधियां जैसे ‘बेटी जन्मोत्सव’।

5. महिलाओं का कौशल एवं आर्थिक सशक्तिकरण

  • कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सहयोग से बीबीबीपी ने युवा लड़कियों और महिलाओं के बीच कौशल विकास को बढ़ावा देने, उनकी आर्थिक भागीदारी बढ़ाने में प्रगति की है। व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए  हैं। इस योजना ने अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा और कौशल विकास के लिए विशिष्ट पहल भी शुरू की।
  • ‘खेलो इंडिया’ जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य लड़कियों के बीच खेल प्रतिभा की पहचान करना और उसका पोषण करना है।

प्रमुख प्रयास

यह योजना दो प्रमुख घटकों के माध्यम से संचालित होती है:

बहु-क्षेत्रीय प्रयास

लड़कियों के बीच खेल को बढ़ावा देना, आत्मरक्षा शिविर, लड़कियों के शौचालयों का निर्माण, विशेष रूप से शैक्षणिक संस्थानों में सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन और सैनिटरी पैड उपलब्ध कराना, पीसी-पीएनडीटी अधिनियम के बारे में जागरूकता फैलाना है।

जागरूकता अभियान एवं सामुदायिक सहभागिता

राष्ट्रीय बालिका दिवस (एनजीसीडी) प्रतिवर्ष 24 जनवरी को अभियानों, कार्यशालाओं और रचनात्मक प्रतियोगिताओं के साथ मनाया जाता है। एक क्रॉस-कंट्री बाइक अभियान, “यशस्विनी” देश की महिला शक्ति या नारी शक्ति का उत्सव मनाने के लिए 150 सीआरपीएफ महिला बाइक सवारों का एक समूह है। यह लड़कियों को समग्र रूप से सशक्त बनाने के लिए मासिक धर्म स्वच्छता, आत्मरक्षा और लैंगिक समानता पर ध्यान केंद्रित करता है। स्वच्छता किटों के वितरण के साथ मासिक धर्म स्वच्छता पर कार्यशालाएं जैसे सामुदायिक संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित किए गए।

निष्कर्ष

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) योजना ने भारत में लड़कियों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इसने जन्म के समय लिंग अनुपात में सुधार करने, शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने, स्वास्थ्य देखभाल का विस्तार करने और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का सहयोग करने में मदद की है। सरकारी निकायों, गैर सरकारी संगठनों और स्थानीय समुदायों के साथ काम करके, इस योजना ने प्रत्येक बालिका को महत्व देने और उसकी सुरक्षा के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है। जैसे-जैसे बीबीबीपी अपने दूसरे दशक में प्रवेश कर रहा है, समावेशी नीतियों, बेहतर कार्यान्वयन और सक्रिय सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से दीर्घकालिक परिवर्तन करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इससे लैंगिक समानता और सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर प्रगति सुनिश्चित होगी।

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भारत द्वारा आयोजित “अनौपचारिक क्षेत्र में श्रमिकों के लिए औपचारिकीकरण और सामाजिक सुरक्षा कवरेज: चुनौतियाँ और नवाचार” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी नई दिल्ली में संपन्न

श्रम और रोजगार मंत्रालय और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) ने अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संघ (आईएसएसए) के साथ मिलकर यशोभूमि – इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर, नई दिल्ली में दो दिन के अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। कार्यक्रम में सामाजिक सुरक्षा विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और विचारकों ने “अनौपचारिक क्षेत्र में श्रमिकों के लिए औपचारिकीकरण और सामाजिक सुरक्षा कवरेज: चुनौतियां और नवाचार” पर विचार-विमर्श किया।

एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों के सामाजिक सुरक्षा संगठनों, भारत सरकार के मंत्रालयों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, श्रमिकों और नियोक्ता संगठनों के प्रतिनिधियों सहित 200 से अधिक प्रतिभागि इस विचार-विमर्श में शामिल हुए।

In the 2nd session of Day 2, experts discussed extending social security coverage to empower women & promote gender equality. Presentations by UN Women & ISSA explored tailored policies & systemic solutions to support the female workforce.#ISSAESIC2025#LabourMinistry#MoLE pic.twitter.com/RCegW8GYiq

— Ministry of Labour & Employment, GoI (@LabourMinistry) January 21, 2025

केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने संगोष्ठी का शुभांरभ किया और भारत में सामाजिक सुरक्षा पर एक पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर केंद्रीय श्रम और रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे और श्रम और रोजगार सचिव सुमिता डावरा भी उपस्थित थीं। पुस्तक “भारत में सामाजिक सुरक्षा: अब तक की यात्रा की झलकियाँ” प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक भारत में सामाजिक सुरक्षा और कल्याण परिदृश्य के विकास का वृत्तांत प्रस्तुत करती है।

तकनीकी सत्रों के दौरान लैंगिक समानता, पारदर्शिता और सुशासन पर ध्यान केंद्रित करते हुए सार्वभौमिक, पर्याप्त, टिकाऊ और समावेशी सामाजिक सुरक्षा कवरेज की आवश्यकता को स्वीकार किया गया। अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के विशेषज्ञों ने श्रम बाजार के विकास, कवरेज बढ़ाने की चुनौतियों और कमजोर समूहों के लिए औपचारिकता और सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए नवीन ढांचे पर गहन चर्चा की।

Day 2 Session 1 at the ISSA-ESIC International Seminar explored digital solutions like eShram & emphasised effective outreach strategies. Experiences from Nepal added depth to the discussions, setting the stage for innovative reforms ahead.#ISSAESIC2025#LabourMinistryIndia pic.twitter.com/g9bOPmJR0t

— Ministry of Labour & Employment, GoI (@LabourMinistry) January 21, 2025

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, आईएसएसए, विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र भारत, संयुक्त राष्ट्र महिला और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन सहित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि और वैश्विक दृष्टिकोण साझा किए। ओमान, थाईलैंड, मलेशिया, नेपाल और इंडोनेशिया के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने अनुभव और अध्ययन को प्रदर्शित किया, जबकि प्रतिभागियों ने सामाजिक सुरक्षा कवरेज और औपचारिकता को बढ़ाने के लिए नवीन दृष्टिकोणों पर चर्चा की।

श्रम और रोजगार मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने तकनीकी सत्रों के दौरान ई-श्रम, रोजगार से जुड़ी योजना, गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था के लिए सामाजिक सुरक्षा और ईएसआईसी में स्वास्थ्य देखभाल लाभ सहित अपनी प्रमुख पहलों और उपलब्धियों को प्रस्तुत किया।

Session 3 of Day 2 📊 Measuring progress in #SocialSecurity coverage requires robust data collection, focusing on inclusion, sectoral coverage, and participation rates. (1/2) pic.twitter.com/K3OHHLmF0v

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श्रम एवं रोजगार सचिव सुश्री सुमिता डावरा ने अपने समापन भाषण में सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के दृष्टिकोण की दिशा में भारत द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने स्वास्थ्य सुरक्षा, पेंशन, आजीविका और खाद्य सुरक्षा के प्रावधान में भारत की उपलब्धियों को साझा किया। उन्होंने कहा, “ई-श्रम पोर्टल अनौपचारिक श्रमिकों को उनकी सामाजिक सुरक्षा और कल्याण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए “वन स्टॉप सॉल्यूशन” प्रदान करके भारतीय सामाजिक सुरक्षा परिदृश्य को नया आकार देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।”

अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संघ (आईएसएसए) के अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद अज़मान ने अनौपचारिक श्रमिकों सहित श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में भारत के पथप्रदर्शक प्रयासों की सराहना की।

🌟 The two-day ‘ISSA-ESIC International Seminar’ emphasized addressing challenges faced by informal workers, with solutions focusing on universality, adequacy, and gender equality. (1/2) pic.twitter.com/KZh6KcqZnR

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श्रम और रोजगार मंत्रालय तथा ईएसआईसी, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ), रोजगार महानिदेशक और श्रम कल्याण महानिदेशक सहित इसके संगठनों के इंटरेक्टिव डिजिटल कियोस्क को प्रतिभागियों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली।

मंत्रालय की ऐतिहासिक पहलों ई-श्रम, एनसीएस पोर्टल, श्रम सुधार, ईपीएफओ और ईएसआईसी को डिजिटल फ्लिपबुक और वर्चुअल रियलिटी (वीआर) प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। इन आकर्षक कियोस्क ने सामाजिक सुरक्षा को अधिक सुलभ, पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की भारत की प्रतिबद्धता पर बल दिया।

सेमिनार के समापन पर श्रम और रोजगार सचिव ने निरंतर संवाद और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सामाजिक सुरक्षा सभी तक पहुंचे और कोई भी श्रमिक पीछे न छूटे।

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रेलवे सुरक्षा बल ने 2021 से अवैध प्रवास की रोकथाम के क्रम में 586 बांग्लादेशी और 318 रोहिंग्या को पकड़ा

रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने 2021 से अब तक 586 बांग्लादेशी नागरिकों और 318 रोहिंग्या सहित 916 व्यक्तियों को सफलतापूर्वक पकड़ा है, जो देश की सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जून और जुलाई 2024 में, आरपीएफ ने पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में 88 बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों को पकड़ा। इनमें से कुछ व्यक्तियों ने अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने की बात कबूल की और उन्हें कोलकाता जैसे गंतव्यों के लिए ट्रेन से यात्रा करते समय रोका गया।

अक्टूबर 2024 में, रिपोर्ट में बताया गया कि बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा से जुड़े उपायों को बढ़ाने के बावजूद, अवैध प्रवासी भारत में घुसपैठ करना जारी रखते हैं, असम को पारगमन मार्ग के रूप में और रेलवे को देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचने के लिए अपनी पसंदीदा यात्रा के रूप में उपयोग करते हैं। ये घटनाएं अवैध घुसपैठ के खिलाफ रेलवे नेटवर्क की निगरानी और सुरक्षा में भारतीय अधिकारियों के सामने आने वाली चुनौतियों को चिन्हित करती हैं। घुसपैठियों द्वारा रेलवे का उपयोग न केवल राज्यों में उनकी आवाजाही को सुविधाजनक बनाता है, बल्कि देश में अनधिकृत प्रवेश का पता लगाने और रोकने के प्रयासों को भी जटिल बनाता है।

उपरोक्त मुद्दे पर विचार करने के लिए, आरपीएफ ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), स्थानीय पुलिस और खुफिया इकाइयों जैसी प्रमुख सुरक्षा एजेंसियों के साथ सहयोग करके अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। विभिन्‍न एजेंसियों के बीच आंतरिक सहयोग के इस दृष्टिकोण ने परिचालन दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे अवैध प्रवास में शामिल व्यक्तियों की शीघ्र पहचान करना और हिरासत में लेना संभव हो पाया है।

अपने महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद, आरपीएफ को पकड़े गए व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने का सीधा अधिकार नहीं है। इसके बजाय, हिरासत में लिए गए व्यक्तियों को आगे की कानूनी कार्यवाही के लिए पुलिस और अन्य अधिकृत एजेंसियों को सौंप दिया जाता है।

बांग्लादेश और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों में चल रही हाल के राजनीतिक उथल-पुथल और इन क्षेत्रों में भू-राजनीतिक घटनाक्रमों और सामाजिक-धार्मिक कारकों के कारण भारत के सुदूर इलाकों में शरण, रोजगार और आश्रय की तलाश करने वाले लोगों की आमद हुई है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बना हुआ है। जबकि रेलवे का उपयोग करने वाले घुसपैठियों की संख्या के सटीक आंकड़े सीमित हैं, हाल की रिपोर्टें बताती हैं कि अवैध प्रवासी अक्सर भारत के अन्य हिस्सों में जाने के लिए असम और त्रिपुरा जैसे क्षेत्रों से गुजरने के लिए रेलवे नेटवर्क का उपयोग करते हैं।

रेलवे सुरक्षा बल ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को हल करने की चुनौती को स्वीकार किया है, तथा भारत की सीमाओं में घुसने का प्रयास करने वाले अवैध प्रवासियों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये व्यक्ति न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता का विषय हैं, बल्कि बंधुआ मजदूरी, घरेलू नौकरानी, ​​वेश्यावृत्ति और यहां तक ​​कि अंग निकालने के लिए मानव तस्करी सहित शोषण के लिए भी अत्यधिक संवेदनशील हैं।

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खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने महाकुंभ 2025 में राष्ट्रीय स्तर की खादी प्रदर्शनी का किया उद्घाटन

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के अवसर पर खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी), सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के अध्यक्ष श्री मनोज कुमार ने शहर उत्तरी से विधायक श्री हर्ष वर्धन वाजपेयी, महापौर श्री गणेश केशरवानी और केवीआईसी उत्तर क्षेत्र के सदस्य श्री नागेंद्र रघुवंशी की उपस्थिति में शुक्रवार को कुंभनगरी के महात्मा गांधी मार्ग स्थित सेक्टर-1 में राष्ट्रीय स्तर की खादी प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। यह प्रदर्शनी 26 फरवरी तक संगम नगरी प्रयागराज में आयोजित की जाएगी। प्रदर्शनी में कुल 152 स्टॉल लगाये गये हैं, जिसमें से 98 स्टॉल खादी और 54 स्टॉल ग्रामोद्योग से जुड़े उत्पादों के हैं।

प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अध्यक्ष केवीआईसी श्री मनोज कुमार ने कहा, “महाकुंभ न केवल आस्था का महोत्सव है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा, और आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक है। खादी, जो महात्मा गांधी के नेतृत्व में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी का प्रतीक बनी, आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही ‘चरखा क्रांति’ के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की पहचान बन चुकी है।” उन्होंने आगे कहा कि खादी और ग्रामोद्योग प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान “खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन, खादी फॉर ट्रांसफॉर्मेशन” के तहत नई ऊंचाइयों को छू रहा है।

प्रदर्शनी में देश के 20 से अधिक राज्यों से आए खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों के 152 स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें 98 खादी और 54 ग्रामोद्योग उत्पादों के हैं। यहां पर कश्मीर से लेकर तमिलनाडु और महाराष्ट्र से नागालैंड तक के उत्पाद उपलब्ध हैं। अध्यक्ष ने श्रद्धालुओं और आगंतुकों से अपील की कि वे खादी प्रदर्शनी में आकर स्वदेशी उत्पादों को अपनाएं और ‘वोकल फॉर लोकल’ को प्रोत्साहित करें।

श्री मनोज कुमार ने खादी और ग्रामोद्योग के पिछले 10 वर्षों की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि

उत्पादन में वृद्धि: खादी और ग्रामोद्योग का उत्पादन रुपये 26,000 करोड़ से बढ़कर रुपये 1 लाख करोड़ हो गया है।

बिक्री में उछाल: खादी और ग्रामोद्योग की बिक्री रुपये 31 हजार करोड़ से बढ़कर रुपये 1 लाख 55 हजार करोड़ हो गई है।

रोजगार सृजन: रोजगार के अवसर 43.65% बढ़े हैं, जिससे 1.87 करोड़ लोग लाभान्वित हुए हैं। पिछले वित्तवर्ष में 10.17 लाख नये रोजगार का सृजन हुआ है।

कारीगरों की आय में वृद्धि: खादी कारीगरों की आय में 213% की बढ़ोतरी हुई है, जो 4 रुपये बढ़कर 12.50 रुपये प्रति लच्छा हो गयी है।

अध्यक्ष केवीआईसी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 450 से अधिक खादी संस्थाओं के माध्यम से 1.4 लाख से अधिक कारीगरों को रोजगार दिया जा रहा है। इस वित्तीय वर्ष में राज्य में 15 करोड़ रुपये से अधिक MMDA और 4 करोड़ रुपये से अधिक ISEC वितरित किया गया। उन्होंने आगे कहा कि पिछले वित्त वर्ष में उत्तर प्रदेश में ग्रामोद्योग विकास योजना के अंतर्गत 1550 लाभार्थियों को उपकरण और टूलकिट प्रदान किया गया था, जबकि इस वर्ष 1850 लाभार्थियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के अंतर्गत इस वर्ष दिसंबर तक उत्तर प्रदेश में 137 करोड़ रुपये की सब्सिडी बांटी गयी। नयी इकाइयों के माध्यम से 38588 नये लोगों को रोजगार दिया गया है।

अध्यक्ष केवीआईसी श्री मनोज कुमार ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘खादी क्रांति’ ने भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कुंभ आयोजन की भव्यता और प्रयागराज को वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र बनाने के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से अपील की कि वे खादी उत्पादों को अपनाकर आत्मनिर्भर भारत की यात्रा में योगदान दें। उन्होंने खादी प्रदर्शनी को भारतीय आत्मनिर्भरता और संस्कृति का जीवंत उदाहरण बताया।

उद्घाटन कार्यक्रम में खादी संस्थाओं के प्रतिनिधि, पीएमईजीपी यूनिट के लाभार्थी, खादी कार्यकर्ता समेत उत्तर प्रदेश सरकार और केवीआईसी के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।

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केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कर्नाटक में राज्य के कृषि, ग्रामीण विकास और राजस्व मंत्री के साथ की समीक्षा बैठक

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान दो दिवसीय कर्नाटक दौरे पर हैं। इस दौरान श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज बैंगलुरू में राज्य के कृषि, ग्रामीण विकास और राजस्व मंत्री के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में श्री शिवराज सिंह ने राज्य में कृषि योजनाओं, ग्रामीण विकास के कार्यों, राजस्व से जुड़ी गतिविधियों और भारत सरकार की योजनाओं पर मंत्रियों व अधिकारियों से विस्तार से चर्चा की। बैठक में  उन्होंने कहा कि एक होती है आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति लेकिन हम लोग विकास की राजनीति करते है, जनकल्याण की राजनीति करते हैं। हमारे देश में संघीय लोकतंत्र है, हमारा मकसद है, राज्य सरकार को हम भारत सरकार की योजनाओं के तहत भरपूर सहयोग करें, ताकि किसी भी कीमत पर कर्नाटक का विकास बाधित ना हो।

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारा लक्ष्य विकसित कर्नाटक है।  केंद्र सरकार ने पहले जो फंड रिलीज किये थे, कर्नाटक सरकार उसे पूरी तरह से जल्द ही यूटिलाइज करें। वहीं, श्री  चौहान ने कहा कि कर्नाटक के राजस्व मंत्री ने वाटरशेड स्कीम के तहत अतिरिक्त फंड का आग्रह किया है, इसलिए हम वाटरशेड स्कीम के लिए कर्नाटक को 97 करोड़ रूपए का अतिरिक्त फंड रिलीज कर रहे हैं। राज्य के कृषि मंत्री ने मैकेनाइजेशन की स्कीम के तहत अतिरिक्त फंड की मांग की है, उसे भी हमने स्वीकार किया है। साथ ही केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की आत्मा योजना के लिए अतिरिक्त स्टॉफ की भी मांग की गई है जिसे भी हम पूरा करेंगे। इसके अलावा समीक्षा बैठक में तीनों मंत्रियों ने योजनाओं और विकास कार्यों को लेकर कुछ ज्ञापन सौंपे हैं, इस पर भी हम विचार-विमर्श करेंगे।

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमें वर्ष 2047 तक विकसित भारत का निर्माण करना है और विकसित भारत के लिए विकसित कर्नाटक भी हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम कर्नाटक के विकास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। राज्य सरकार से मेरा आग्रह है कि वो समय पर फंड ठीक ढंग से खर्च करें, यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट भेजे तो भारत सरकार कर्नाटक की बेहतरी के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हर गरीब को पक्का मकान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है। तीसरी बार प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद केंद्र सरकार ने गत सितंबर माह में कर्नाटक राज्य को 2 लाख 26 हजार 175 मकान बनाने की स्वीकृति दी थी, जिसके लिए राशि भी अलॉट कर दी गई थी। कर्नाटक में गरीबों के पक्के मकान के लिए हमने फिर से उस लक्ष्य को बढ़ाया है और कर्नाटक को अब तक गरीबों के लिए 4,76,556 मकान और आवंटित किए हैं। कुल मिलाकर, इस वित्तीय वर्ष में 7,02,731 आवासों का लक्ष्य कर्नाटक के लिए रखा गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गरीबों की सेवा ही हमारे लिए भगवान की पूजा है। हर गरीब का पक्का मकान बने, यही हमारा संकल्प है। मैंने कर्नाटक सरकार से भी आग्रह किया है कि वह तेजी से मकानों का निर्माण पूरा करें ताकि सभी गरीबों के पक्के मकान बनाए जा सके।

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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने मुंबई में भारत के अपने तरह के पहले सीएसआईआर इनोवेशन कॉम्प्लेक्स का लोकार्पण किया

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज मुंबई में वर्चुअल माध्यम से भारत के अपनी तरह के पहले सीएसआईआर इनोवेशन कॉम्प्लेक्स का लोकार्पण किया। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग और कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विजन का श्रेय दिया, जिससे भारत स्टार्ट-अप और इनोवेशन के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभरने में सक्षम हुआ। उन्होंने कहा कि इस कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन एक और ऐतिहासिक कदम है।

डॉ. सिंह ने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि हमारे पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है, जिसमें 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं जो भारत की उद्यमशीलता की भावना के प्रमाण हैं। उन्होंने कहा, “यह उल्लेखनीय वृद्धि युवाओं को सशक्त बनाने और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए हमारी सरकार द्वारा शुरू की गई परिवर्तनकारी पहलों और नीतियों का प्रतिबिंब है।”

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने सीएसआईआर की सराहना करते हुए कहा कि यह अपने नवीन अनुसंधान, औद्योगिक एवं सामाजिक भागीदारी, उद्यमिता, क्षमता निर्माण और नीति निर्माण के माध्यम से राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करके देश की वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नवाचार, उद्योग सहयोग और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए सीएसआईआर और आईआईटी बॉम्बे, आईक्रिएट, एनआरडीसी जैसे 6 प्रतिष्ठित संस्थानों के बीच 6 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। स्टार्टअप्स को मजबूत करें सीएसआईआर संस्थानों से स्टार्टअप्स, एमएसएमई और संस्थानों को 50 प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हुए। डॉ. सिंह ने कहा कि सीएसआईआर-आईसी मुंबई एक अत्याधुनिक नवाचार-सह-इन्क्यूबेशन सुविधा है, जिसमें उच्च स्तरीय वैज्ञानिक अवसंरचना और विशेषज्ञता है, जिसे स्टार्ट-अप्स, एमएसएमई और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के लिए महत्वपूर्ण ट्रांसलेशनल संबंधी अपूर्ण आवश्यकताओं (प्रयोगशाला से नियामक और नियामक से उद्योग डोमेन) को बढ़ावा देने और तेजी से तकनीक हस्तांतरण को उत्प्रेरित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि नवोन्मेषी स्टार्ट-अप्स, सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के साथ साझेदारी करने वाली कंपनियों, एमएसएमई, भारत और विदेश की डीप-टेक कंपनियों, सार्वजनिक-वित्तपोषित अनुसंधान संस्थानों और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं को तैयार विश्व स्तरीय इनक्यूबेशन प्रयोगशालाएं और आईपी/व्यवसाय विकास सहायता हमारी नवाचार क्षमता को और मजबूत करेगी।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आईसी-मुंबई का उपयोग सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के व्यवसाय विकास और तकनीक हस्तांतरण गतिविधियों को मजबूत करने के लिए किया जाएगा, जिससे मुंबई द्वारा प्रदान किए जाने वाले अद्वितीय अवसरों का लाभ उठाया जा सकेगा। यह सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के भीतर संचालित अन्य इनक्यूबेटरों के लिए एक केंद्र के रूप में काम करेगा।

नौ मंजिलों में फैले आईसी मुंबई में 24 “रेडी टू मूव ” इनक्यूबेशन प्रयोगशालाएं और नवीन स्टार्ट-अप, एमएसएमई और उद्योग और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के लिए सुसज्जित कार्यालय/ नेटवर्किंग स्थान है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की सुविधाएं सहयोग, नवाचार और समावेशिता की भावना को मूर्त रूप देती हैं जो राष्ट्र निर्माण के प्रति हमारे दृष्टिकोण को परिभाषित करती हैं।

डॉ. एन कलैसेल्वी ने बताया कि न केवल भारत में बल्कि सीएसआईआर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 4 देशों जर्मनी, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड आदि के साथ सहयोग कर रहा है।

उन्होंने इसे दशक के सपने को हकीकत में बदलना बताया। अपने पूर्ववर्तियों को इसका श्रेय दिया। उन्होंने पर्पल क्रांति को स्वदेशी तकनीकों के प्रति समर्पण को दर्शाते हुए एक नई क्रांति बताया।

डॉ. कलईसेलवी ने बताया कि हर साल सीएसआईआर द्वारा 10-15 तकनीकें विकसित की जाती हैं, जिन्हें विश्व स्तर पर सराहा जाता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 5 राष्ट्रीय राजमार्ग सीएसआईआर द्वारा विकसित स्टील स्लैग तकनीक का उपयोग कर रहे हैं।

भारत की स्वदेशीकरण प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए उन्होंने भारत के स्वदेशी पैरासिटामोल के विकास को याद किया। एक और विकास शून्य तरल निर्वहन संयंत्र है जो भारत में अपनी तरह का पहला है। उन्होंने भारत को 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए ‘आत्मनिर्भर’ और ‘आत्मनिर्भरता’ पर जोर दिया।

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने महामारी के दौरान सीएसआईआर टीम के अथक प्रयासों को याद किया। उन्होंने उन्हें कोविड योद्धा बताया। उन्होंने सीएसआईआर का उल्लेख करते हुए कहा कि सीआरआईएसपीआर डायग्नोस्टिक टेस्ट विकसित करने में वह दुनिया में पहले स्थान पर है। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का विकास कर उसे देश के हर कोने में भेजा गया है।

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत ने उद्योग जगत को नवाचार के लिए बुलाने के बजाय नवाचार को उद्योग जगत तक ले जाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हम हर चीज को लागत प्रभावी तरीके से विकसित करते हैं और हमें इसका लाभ उठाना चाहिए।

इस परिसर को हकीकत में बदलने में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ. राम विश्वकर्मा ने बताया कि परिसर में 500 वर्ग फीट की 24 प्रयोगशालाएं हैं। स्टार्टअप के लिए 24 कार्यालय-स्थान और 6 सम्मेलन कक्ष और लाउंज हैं।

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रक्षा सचिव ने एनसीसी गणतंत्र दिवस शिविर 2025 का दौरा किया

रक्षा सचिव  राजेश कुमार सिंह ने 17 जनवरी 2025 को दिल्ली कैंट में एनसीसी गणतंत्र दिवस शिविर 2025 का दौरा किया। अपने संबोधन में, रक्षा सचिव ने शानदार प्रदर्शन करने में कैडेटों की कड़ी मेहनत की सराहना की, जो देश की रचनात्मक और युवा ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा कि महीने भर तक चलने वाले इस शिविर में कैडेटों का प्रदर्शन, उत्कृष्टता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है और इस दौरान सीखे गए मूल्य कैडेटों को उनके जीवन के सभी क्षेत्रों में मदद करेंगे।

रक्षा सचिव ने एनसीसी की उपलब्धियों की भी सराहना की, जिनमें नामांकन प्रक्रिया को डिजिटल बनाना, इंटाइटिल्ड पोशाक भत्ते का इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण, विभिन्न सीमा और तटीय क्षेत्रों में शिविरों का आयोजन और विभिन्न खेलों, शूटिंग और साहसिक गतिविधियों में प्रदर्शन शामिल है। उन्होंने कठोर प्रशिक्षण व्यवस्था और कई सामाजिक सेवा गतिविधियों के प्रति कैडेटों के दृढ़ समर्पण की भी सराहना की।

रक्षा सचिव ने एनसीसी कैडेटों को उनके भविष्य के प्रयासों में निरंतर समर्थन और प्रोत्साहित करने के लिए रक्षा मंत्रालय की प्रतिबद्धता सुनिश्चित करते हुए अपना संबोधन समाप्त किया। उन्होंने कैडेटों और नेतृत्व को उनके अटूट समर्पण और पूरे वर्ष शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई दी।

इससे पहले, डीजी एनसीसी लेफ्टिनेंट जनरल गुरबीरपाल सिंह द्वारा स्वागत किए जाने के बाद, रक्षा सचिव ने ‘फ्लैग एरिया’ का दौरा किया, जिसे बेहद सावधानीपूर्वक रेत मॉडल का उपयोग करके तैयार किया गया था, और जिसके ज़रिए कैडेटों को अपनी रचनात्मकता और विभिन्न सामाजिक जागरूकता विषयों की गहरी समझ प्रदर्शित करने का मौका मिला।

रक्षा सचिव ने ‘हॉल ऑफ फेम’ का भी दौरा किया, जहां उन्हें एनसीसी के समृद्ध इतिहास और कैडेटों के प्रशिक्षण तथा उपलब्धियों के बारे में भी जानकारी दी गई। उन्होंने समूह नृत्य और गीतों का मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखा। यह यात्रा सभी राज्य निदेशालयों के प्रतिभाशाली कैडेटों द्वारा ‘आइडिया और इनोवेशन’ पर शुरू की गई विभिन्न परियोजनाओं की प्रदर्शनी के साथ खत्म हुई।

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उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड विधान मण्डल की (कॉमनवेल्थ पार्लियामेंटरी एसोसिएशन/भारत क्षेत्र (जोन-1) उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड) मा. महिला सदस्यों का सम्मेलन सम्पन्न

*◆ “भारतीय लोकतंत्र में बढ़ रही है महिलाओं की भागीदारी”*

*◆ “समाज के प्रत्येक क्षेत्रों में बढ़ रही महिलाओं की उपयोगिता”*

*◆ “उ0प्र0 विधानसभा लगातार नवाचार का कर रहा प्रयोग”*
*- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ*

कानपुर नगर, दिनांक 08 जनवरी, 2024 (सू0/वि0)
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड विधान मण्डल की (कॉमनवेल्थ पार्लियामेंटरी एसोसिएशन/भारत क्षेत्र (जोन-1) उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड) मा0 महिला सदस्यों का सम्मेलन रोजिएट पैलेस हॉल, इटरनिटी होटल में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रदेश के मा0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने शिरकत की। मा0 मुख्यमंत्री जी के अलावा मा0 विधानसभा अध्यक्ष उ0प्र0 सतीश महाना, मा0 विधानसभा अध्यक्ष उत्तराखण्ड़ ऋतु खंडूरी भूषण, मा0 मंत्री महिला कल्याण एवं बाल विकास उ0प्र0 बेबी रानी मौर्य, मा0 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) माध्यमिक शिक्षा उ0प्र0 गुलाब देवी, मा0 राज्य मंत्री महिला कल्याण एवं बाल विकास उ0प्र0 प्रतिभा शुक्ला, मा0 राज्य मंत्री उच्च शिक्षा उ0प्र0 रजनी तिवारी सहित उ0प्र0 व उत्तराखण्ड़ राज्य की मा0 महिला विधायकगण शामिल हुई।
इस अवसर पर मा0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारतीय लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा व प्राचीन लोकतंत्र है, जो हमारे रग-रग में बसा हुआ है। भारत में गणतंत्र की शुरूआत छठी शताब्दी ईसा पूर्व में ही हो गयी थी जब वैशाली, मगध जैसे गणराज्य बनाये गये थे। यह भारतीय परम्परा रही है कि हमने कभी किसी पर अपनी बात थोपा नहीं है। यहां महिलाओं को भी बराबरी के दर्जे से स्वतंत्रता दी गयी है। उन्होंने कहा कि संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों में से 04 सदस्य कमला चौधरी, सुजेता कृपलानी, पूर्णिमा बनर्जी, बेगम एजाज रसूल शामिल रहीं। भारत ने 1952 के आम चुनाव में ही महिलाओं को मत देने का अधिकार प्रदान किया था।
मा0 मुख्यमंत्री ने कहा कि उ0प्र0 विधानसभा लगभग पिछले तीन वर्षो से नये-नये प्रयोग कर रहा है जिसमें ई-विधानसभा व पेपर लेस विधानसभा का संचालन किया जा रहा है। उ0प्र0 विधानसभा अलग-अलग क्षेत्रों से जुडे हुये विशेषज्ञों जैसे- कुशल अभियन्ता, वैज्ञानिक, समाज सेवक, अर्थशास्त्री आदि का योगदान लेकर प्रगति कर रहा है। उन्होंने सम्बोधन में यह भी कहा कि उ0प्र0 विधानसभा में आज लगभग 15 फीसदी महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। आज महिलायें किसी भी क्षेत्र में वंचित नही है। वो जहां पर कार्य कर रही है उनकी कार्यशैली उत्कृष्ट है। आज प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है। स्थानीय निकाय, विधानसभा या लोकसभा हर क्षेत्र में महिलायें अपने झण्डे बुलन्द कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 56 प्रतिशत ब्लाक प्रमुख व 70 प्रतिशत जिला पंचायत अध्यक्ष महिलायें है जो राजनीतिक क्षेत्र में उनकी प्रगति को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण का लगातार प्रयास कर रही है। महिलाओं के लिये सेंट्रल कन्वेंशन सेंटर और शौचालय भी बनाये गये है। लगभग 04 करोड़ गरीब परिवारों को आवास और 10 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को निःशुल्क गैस कनेक्शन दिये गये। हाल ही में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया गया है। हमारी सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में लगभग 01 करोड़ 91 लाख बच्चों को यूनीफार्म, जूते, मोजे और स्वेटर इत्यादि निःशुल्क प्रदान किये गये है।
इस अवसर पर मा0 विधानसभा अध्यक्ष उ0प्र0 सतीश महाना ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज आवश्यकता है कि विधायिका में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो, उनकी प्रभावी उपस्थिति हो, उनके द्वारा समाज में बेहतर संदेश दिया जाये और इसका विस्तार सुनिश्चित हो। महिला सशक्तिकरण के क्रम में ही आज उ0प्र0 और उत्तराखण्ड की महिला विधायकों का सम्मेलन बुलाया गया। उ0प्र0 का बदलता स्वरूप पूरी दुनिया देख रही है जिसकी चर्चा पूरे देश और दुनिया में हो रही है, उनमें महिला विधायकों का महत्वपूर्ण योगदान है। यह सम्मेलन पूरे देश में यह संदेश देगा कि अन्य राज्यों को भी ऐसे सम्मेलनों का आयोजन करना चाहिये।
वहीं, मा0 विधानसभा अध्यक्ष उत्तराखण्ड ऋतु खंडूरी भूषण जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि विधायिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व एवं सदन की कार्यवाही में सहभागिता बढ़ाने तथा संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने में महिला सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज महिलायें समाज के सभी क्षेत्रों में प्रगति कर रहीं हैं। आज की संगोष्ठी में उपस्थित मा0 सदस्य अपने क्षेत्रों की महिलाओं का भी प्रतिनिधित्व कर रही है। ये महिलायें अपनी अवाज संसद से लेकर सड़क तक उठा रही है और देश की अन्य महिलाओं को भी विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को प्रेरित भी कर रहीं हैं।
सम्मेलन के अंत में मा0 मंत्री बेबी रानी मौर्य ने उपस्थित सभी गण्यमान्यों को धन्यवाद ज्ञापित किया। सम्मेलन में उक्त के अतिरिक्त प्रमुख सचिव, विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे, मुख्य सलाहकार, मुख्यमंत्री अवनीश अवस्थी, मण्डलायुक्त अमित गुप्ता, मण्डलायुक्त विजयेंद्र पांडियन, ए0डी0जी0 कानपुर आलोक सिंह, पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार, जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह, नगर आयुक्त सुधीर कुमार और मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन समेत विधानसभा व जिला प्रशासन के अन्य अधिकारी व कर्मचारी शामिल रहें।

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