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भारत ने पिछले नौ वर्षों के दौरान कोयला उत्पादन में 47 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की

पिछले नौ वर्षों के दौरान, भारत का कुल कोयला उत्पादन 47 प्रतिशत बढ़कर 893.08 मिलियन टन (एमटी) हो गया है और आपूर्ति 45.37 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 877.74 मिलियन टन तक पहुंच गई है। वित्त वर्ष 2023 में, देश ने कोयला उत्पादन के इतिहास में 893.08 मीट्रिक टन के साथ बड़ी छलांग लगाई है।

कोयला मंत्रालय द्वारा 2023-24 के लिए हाल ही में अंतिम रूप दी गई कार्य योजना के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल उत्पादन, दक्षता, स्थिरता और नई तकनीकों को अपनाकर 1012 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है।

वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, मंत्रालय ने 33.224 मीट्रिक टन प्रति वर्ष की संचित शीर्ष रेटेड क्षमता (पीआरसी) वाली कुल 23 कोयला खदानों के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। वाणिज्यिक नीलामी के छठे दौर के लिए प्राप्त अच्छी प्रतिक्रिया को देखते हुए, यह उम्मीद की जाती है कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 25 कोयला खदानों को वाणिज्यिक खनन के लिए आवंटित किया जाएगा।

सरकार द्वारा अगस्त 2021 में एक रोडमैप के साथ मिशन ‘कोकिंग कोल’ शुरू किया गया है जो 2030 तक भारत में घरेलू कोकिंग कोल के उत्पादन और उपयोग को बढ़ाने के तरीके सुझाएगा।

मिशन कोकिंग कोल दस्तावेज़ में मुख्य रूप से नई खोज, उत्पादन बढ़ाने, धुलाई क्षमता बढ़ाने, नई कोकिंग कोल खदानों की नीलामी से संबंधित सिफारिशें की गई हैं। निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ कोकिंग कोल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए मिशन शुरू किया गया है:

  1. वित्त वर्ष 2022 में कोकिंग कोल उत्पादन को 52 मिलियन टन (एमटी) से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2030 में 140 मीट्रिक टन करना।
  2. वित्त वर्ष 2022 में कोकिंग कोल धोने की क्षमता को 23 मीट्रिक टन से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2023 में 61 मीट्रिक टन करना।

कोकिंग कोल का उपयोग मुख्य रूप से ब्लास्ट फर्नेस रूट के जरिए स्टील के निर्माण में किया जाता है। घरेलू कोकिंग कोल से बहुत अधिक मात्रा में राख उत्पन्न होती है (ज्यादातर 18 प्रतिशत -49 प्रतिशत के बीच) जो ब्लास्ट फर्नेस में सीधे उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं है, इसलिए राख के प्रतिशत को कम करने के लिए कोकिंग कोल को धोया जाता है और ब्लास्ट फर्नेस में उपयोग से पहले इंडियन प्राइम तथा मीडियम कोकिंग कोल (<18 प्रतिशत राख) को आयातित कोकिंग कोल (<9 प्रतिशत राख) के साथ मिश्रित किया जाता है।

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केंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने आज सुबह पृ‍थ्‍वी विज्ञान मंत्रालय का कार्यभार संभाला

केंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने आज सवेरे पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया। उन्‍होंने महत्‍वपूर्ण मंत्रालय सौंपने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी को धन्‍यवाद दिया। उन्‍होंने कहा कि मंत्रालय विकसित भारत के 2047 विजन में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

कार्यभार ग्रहण करने के बाद श्री रिजिजू ने कहा कि उनकी प्राथमिकता समृद्ध खनिजों वाले पॉलीमेटेलिक नोडयूल्‍स की खोज के लिए प्रधानमंत्री की प्रमुख योजना डीप ओशन मिशन लागू करने की होगी।

उन्‍होंने कहा कि वह इस बात पर ध्‍यान देंगे कि मंत्रालय के प्रत्‍येक निर्णय का प्रभाव जन साधारण पर पड़े क्‍योंकि वे चीजों को सरल और सुलभ बनाने में विश्‍वास रखते हैं।

श्री रिजिजू ने आईएमडी सहित मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारियों द्वारा संक्षिप्‍त प्रस्‍तुति की भी अध्‍यक्षता की और घोषणा की कि आने वाले दिनों में वह संपूर्ण ‘’मौसम पूर्वानुमान प्रणाली’’ को फिर से व्‍यवस्थित करने के लिए काम करेंगे।

मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि उन्‍हें स्‍कूल के दिनों से ही गूगल अर्थ, जलवायु विज्ञान, समुद्र विज्ञान तथा कॉर्टोग्राफी में रूचि थी और उन्‍हें अपने नए अवतार में काम करने में आनंद आएगा।

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पहली बार रक्षा  उत्पादन 1 लाख करोड़ के पार

रक्षा मंत्रालय के सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप वित्तीय-वर्ष (एफवाई) 2022-23 में रक्षा उत्पादन का मूल्य पहली बार एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। वर्तमान में इसका मूल्य 1,06,800, करोड़ है और निजी रक्षा उद्योगों से आंकड़े प्राप्त होने के बाद इसके और अधिक होने की संभावना है।  वित्तीय-वर्ष 2022-23 में वर्तमान रक्षा उत्पादन का मूल्य वित्तीय वर्ष 2021-22 के आंकड़े 95,000 करोड़ रुपये की तुलना में 12% तक बढ़ा गया है।

सरकार देश में रक्षा क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाने के लिए और उनकी चुनौतियों को कम करने के लिए रक्षा-उद्योग और उनके संघों के साथ लगातार काम कर रही है। आपूर्ति श्रृंखला में सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योगों और स्टार्टअप के एकीकरण सहित ‘व्यवसाय में सुगमता’ जैसे उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई नीतिगत बदलाव किए गए हैं।

इन नीतिगत बदलावों के कारण एमएसएमई और स्टार्टअप समेत उद्योग रक्षा डिजाइन, विकास और उत्पादन में आगे आ रहे हैं और सरकार द्वारा पिछले सात-आठ वर्षों में उद्योगों को जारी किए गए रक्षा उत्पादन लाइसेंसों की संख्या में लगभग 200% की वृद्धि हुई है। इन उपायों ने देश में रक्षा-उत्पादन उद्योग इको सिस्टम को बढ़ावा देने के साथ रोजगार के भी जबरदस्त अवसर उपलब्ध कराए हैं।

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आरईसी ने अपना अब तक का सर्वाधिक तिमाही मुनाफा 3,001 करोड़ रूपये और वार्षिक मुनाफा 11,055 करोड़ रूपये अर्जित किया

संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार और दबावग्रस्‍त संपत्तियों के समाधान के कारण आरईसी ने तिमाही और वार्षिक श्रेणी में अब तक का सर्वाधिक लाभ दर्ज किया है। आरईसी ने तिमाही 3,001 करोड़ रुपये और वार्षिक 11,055 करोड़ रूपये मुनाफा कमाया।

आरईसी लिमिटेड के निदेशक मंडल ने आज मुंबई में अपनी बैठक में 31 मार्च, 2023 को समाप्त तिमाही और वर्ष के लिए लेखापरीक्षित स्टैंडअलोन और समेकित वित्तीय परिणामों को स्‍वीकृति दे दी।

इसके परिणामस्‍वरूप 31 मार्च, 2023 को समाप्त वर्ष के लिए ईपीएस (आय प्रति शेयर) 31 मार्च, 2022 को 38.02 प्रति शेयर की तुलना में 41.86 प्रति शेयर है।

मुनाफे में वृद्धि के कारण नेट वर्थ 31 मार्च, 2023 को 13 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 57,680 करोड़ रुपये हो गया है। लोन बुक ने अपने विकास पथ को बनाए रखा है और 31 मार्च, 2022 को 3.85 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 13 प्रतिशत बढ़कर 4.35 लाख करोड़ रुपये हो गया है। संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार का संकेत देते हुए प्रावधान कवरेज के साथ शुद्ध क्रेडिट-क्षीण संपत्ति 1.01 प्रतिशत तक कम हो गई है। 31 मार्च, 2023 को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों पर 70.64 प्रतिशत का अनुपात रहा। कंपनी का पूंजी पर्याप्तता अनुपात 31 मार्च, 2023 तक 25.78 प्रतिशत के स्तर पर है। यह भविष्य में विकास का पर्याप्त अवसर प्रदान करता है।

परिचालन और वित्तीय हाइलाइट्स –12एम एफवाई23 बनाम 12 एफवाई22 (स्टैंडअलोन)

संवितरण: 96,846 करोड़ रूपये बनाम  64,150 करोड़ रूपये

ऋण संपत्तियों पर ब्याज आय:  38,360 करोड़ रूपये बनाम  37,811 करोड़ रूपये, 1 प्रतिशत की वृद्धि

शुद्ध लाभ:  11,055 करोड़ रूपये बनाम 10,046 करोड़ रूपये, 10 प्रतिशत अधिक

आरईसी लिमिटेड के बारे में: आरईसी लिमिटेड एक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी है जो पूरे भारत में विद्युत क्षेत्र के वित्तपोषण और विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वर्ष 1969 में स्थापित आरईसी लिमिटेड  ने अपने संचालन के क्षेत्र में पचास वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह बिजली क्षेत्र की मूल्य श्रृंखला को पूरा करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। यह उत्पादनपारेषणवितरण और नवीकरणीय ऊर्जा सहित विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं के लिए धन उपलब्‍ध कराती है।

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एनसीसी कैडेट्स के 85वें पर्वतारोहण अभियान दल को रक्षा राज्य-मंत्री ने झंडी दिखाकर रवाना किया

रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने आज 17 मई 2023 को युवाओं से आग्रह किया कि वे जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूत उद्देश्य और जुनून की भावना को बढ़ावा दें। वह नई दिल्ली में 85वें एनसीसी कैडेट्स के पर्वतारोहण अभियान दल को हरी झंडी दिखाने के बाद, राष्ट्रीय कैडेट कोर के कैडेट्स को संबोधित कर रहे थे।

राष्ट्र निर्माण में एनसीसी की भूमिका की सराहना करते हुए रक्षा राज्य मंत्री ने कहा राष्ट्र निर्माण में एनसीसी की भूमिका से हम सभी परिचित हैं। एनसीसी द्वारा देश के छात्र समुदाय के बीच अनुशासन, नेतृत्व, भाईचारा, सौहार्द और साहस के गुण पैदा किए जा रहे हैं जो, निश्चित रूप से उन्हें जीवन की बड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करेंगे।

हिमाचल प्रदेश मे माउंट युनुम के लिए एनसीसी पर्वतारोहण अभियान दल में 4 अधिकारी, 10 पीआई कर्मचारी और 18 एनसीसी कैडेट्स जिनमें से 11 लड़कियां है, शामिल हैं। इन कैडेट्स का चुनाव देश के विभिन्न एनसीसी निदेशालयों से किया गया है।

1970 से शुरू होकर यह 85वां एनसीसी कैडेट अभियान है। यह अभियान दल जून 2023 के पहले सप्ताह तक हिमाचल प्रदेश के लाहौल जिले में स्थित माउंट युनुम (6111 मीटर) को फतह करने का प्रयास करेगा।

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प्रधानमंत्री मोदी 18 मई को ओडिशा में 8000 करोड़ रूपये रेल परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे

प्रधानमंत्री मोदी 18 मई को दोपहर लगभग साढे बारह बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्‍यम से ओडिशा में 8000 करोड़ रुपये से अधिक की कई रेल परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री पुरी और हावड़ा के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस को भी हरी झंडी दिखाएंगे। ये रेलगाड़ी ओडिशा के खोरधा, कटक, जाजपुर, भद्रक, बालेश्‍वर जिलों और पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर, पुरबा मेदिनीपुर जिलों से गुजरेगी। ये रेलगाड़ी यात्रियों को  आरामदायक और सुविधाजनक तथा कम समय में यात्रा का अनुभव प्रदान करेगी। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र में आर्थिक विकास में तेजी आएगी।

प्रधानमंत्री पुरी और कटक रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास की आधारशिला भी रखेंगे। पुनर्विकसित स्टेशनों में रेल यात्रियों को विश्वस्तरीय अनुभव प्रदान करने वाली सभी आधुनिक सुविधाएं होंगी।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ओडिशा में शत-प्रतिशत विद्युतीकृत रेल नेटवर्क का उद्घाटन करेंगे। इससे परिचालन और रखरखाव लागत कम होगी और आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता कम होगी।

प्रधानमंत्री संबलपुर-टिटलागढ़ रेल लाइन के दोहरीकरण का भी लोकार्पण करेंगे। वे अंगुल-सुकिंदा के बीच एक नई ब्रॉड गेज रेल लाइन, मनोहरपुर-राउरकेला-झारसुगुड़ा-जमगा को जोड़ने वाली तीसरी लाइन और बिछुपाली-झरतरभा के बीच नई ब्रॉड-गेज लाइन का भी लोकापर्ण करेंगे। इससे ओडिशा में इस्पात, बिजली और खनन क्षेत्रों में तेजी से औद्योगिक विकास के फलस्वरूप यातायात की बढ़ती मांगे पूरी हो सकेंगी और इन रेल खंडों में यात्रियों की आवाजाही पर दबाव कम करने में भी मदद मिलेगी।

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लाइफ कार्यक्रम के तहत मछली पकड़ने के दौरान कचरे के निपटान के लिए समुद्र साफ रखने जैसी पहल पर जोर दिया गया ताकि समुद्री वातावरण में प्लास्टिक के प्रयोग को खत्म करने और सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जा सके

विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) एक ऐसा अवसर है जो पर्यावरण के लिए जागरूकता और उस दिशा में काम करने के लिए देशभर के लाखों लोगों को एक साथ लाता है। इस वर्ष, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार ने मिशन लाइफ पर जोर देते हुए विश्व पर्यावरण दिवस 2023 मनाने की योजना तैयार की है। माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा 2021 यूएनएफसीसी कोप26 में ग्लासगो में विश्व नेताओं के शिखर सम्मेलन में लाइफ यानी पर्यावरण के लिए जीवन शैली की अवधारणा पेश की गई थी, जब उन्होंने स्थायी जीवन शैली को अपनाने के लिए एक वैश्विक प्रयास को फिर से शुरू करने का आह्वान किया था। इस उपलक्ष्य में  लाइफ पर देश भर में जन जुटान के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
  1. नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट (एनसीएससीएम)

नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट (एनसीएससीएम) ने रॉयपुरम फिशिंग हार्बर में मिशन लाइफ के विषयों को बढ़ावा देने की दिशा में एक और पहल की है। यह मछली पकड़ने का बंदरगाह तमिलनाडु में मछली पकड़ने के प्रमुख और व्यस्ततम केंद्रों में से एक है और उत्तरी चेन्नई के रॉयपुरम क्षेत्र में कासीमेडु में स्थित है। बंदरगाह जहाज निर्माण यार्ड से भी सुसज्जित है।  मुख्य रूप से यह मछली पकड़ने की नावों, कटमरैन और मछली पकड़ने के जाल की मरम्मत करने वाले यार्ड के निर्माण के लिए है। बंदरगाह लगभग 600 यंत्रीकृत मछली पकड़ने वाली नौकाओं को समायोजित कर सकता है, प्रति दिन लगभग 200 टन मछली रखने का काम कर सकता है और लगभग 1000 परिवारों को आजीविका में मददगार है।

लाइफ कार्यक्रम के तहत एन4 समुद्र तट पर समुद्र तट की सफाई मछुआरा समुदाय के लगभग 125 सदस्यों, 50 कॉलेज के छात्रों और 25 ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन (जीसीसी) के कर्मचारियों की सक्रिय भागीदारी के साथ की गई थी। एनसीएसएम के कर्मचारियों और ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन के सदस्यों ने मछली पकड़ने वाली बस्ती में लगभग 160 किलोग्राम प्लास्टिक कचरा एकत्र किया। इस कचरे में 70 किलो मछली पकड़ने के खराब जाल शामिल थे, बाकी सिंगल यूज प्लास्टिक और पैकेजिंग प्लास्टिक शामिल थे। एकत्रित कचरे को जीसीसी अधिकारियों को सौंप दिया गया था।

संवेदीकरण के तहत एनसीएससीएम के कर्मचारियों ने स्थानीय मछुआरा समुदाय को जिम्मेदार और मछली पकड़ने, मछली सुखाने सहित स्वच्छ मछली प्रबंधन और प्रसंस्करण और ऊर्जा और जल संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के बारे में समझाया। इसके अलावा, उन्होंने मछली पकड़ने से संबंधित कचरे को निपटाने के लिए प्रबंधन रणनीतियों की आवश्यकता पर बल दिया। समुद्री वातावरण में इस कार्यक्रम के दौरान, “मछली पकड़ने संबंधी कचरा को निपटाने” जैसी स्वच्छ समुद्री पहलों पर जोर दिया गया था ताकि मछुआरों को प्रचुर मात्रा में खोए और छोड़े गए मछली पकड़ने के गियर (एएलडीएफजी) को तट-आधारित सुविधाओं के लिए सर्कुलर अर्थव्यवस्था के लिए एक उपाय के रूप में और प्लास्टिक को बंद करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इस आयोजन ने मछुआरों को समुद्र की संवेदनशीलता, जलवायु परिवर्तन और प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने की आवश्यकता के बारे में सरल तरीके से प्रशिक्षित किया। इस कार्यक्रम के तहत प्रतिभागियों ने कूड़ेदान और प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के खिलाफ लाइफ प्रतिज्ञा में भाग लिया। इस कार्यक्रम के तहत तख्तियों और पैम्फलेटों को समुद्र तट पर लगाया गया। एनएसीएससीएम के वैज्ञानिकों ने स्थानीय मछुआरा समुदाय को मिशन लाइफ का महत्व समझाया।

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2. राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान (एनआईएचई)

राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान (एनआईएसई) के गढ़वाल क्षेत्रीय केंद्र (जीआरसी) ने मिशन लाइफ के तहत एक जागरूकता अभियान चलाया। मिशन लाइफ की थीम ‘स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं’ को बढ़ावा देने के लिए शेमफोर्ड फ्यूचरिस्टिक स्कूल, श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखंड के छात्रों के साथ औषधीय और बागवानी प्रजातियों का वृक्षारोपण अभियान आयोजित किया गया। संकाय, छात्रों, शिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित कुल 58 प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। प्रतिभागियों ने लाइफ प्रतिज्ञा भी ली और उन्हें दीर्घावधि में संसाधनों को बनाए रखने के लिए ‘लाइफ मिशन के महत्व’ के बारे में जागरूक किया गया।

3. भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई)

जेडएसआई के निदेशक डॉ. धृति बनर्जी के मार्गदर्शन में भारतीय प्राणी सर्वेक्षण ने मध्य प्रदेश के जबलपुर में जीवन संबंधी विभिन्न विषयों पर जनता के बीच जागरूकता फैलाने के लिए कार्यालय, बाजारों में मिशन लाइफ के जन जुटान के 16 से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया और विभिन्न कार्यस्थलों जैसे स्कूलों, कॉलेजों में विभिन्न आयु वर्ग के 300 से अधिक लोगों तक पहुंचा। कार्यक्रम का संचालन जेडएसआई जबलपुर के डॉ संदीप कुशवाहा और उनकी टीम ने किया।

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जूलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया पुणे ने मिशन लाइफ़ के जन जुटान के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें जनता को सिंगल यूज प्लास्टिक के खतरों के बारे में जागरूक किया गया और उन्हें पुणे में पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस दौरान टीम 100 से ज्यादा लोगों तक पहुंची। अकुर्दी रेलवे स्टेशन, पुणे में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें जनता को सार्वजनिक परिवहन और साइकिल का उपयोग करने के लिए जागरूक किया गया। 50 बस चालकों और आम जनता से संपर्क किया गया।

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जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, पोर्ट ब्लेयर ने 16.05.2023 को केंद्रीय बस स्टैंड, पोर्ट ब्लेयर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें आम जनता को मिशन लाइफ के बारे में जागरूक किया गया और उन्हें सार्वजनिक परिवहन और साइकिल का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया गया। इस दौरान 50 बस चालकों और आम जनता से संपर्क किया।

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, कोलकाता ने 16 मई,2023 को सिल्वर पॉइंट स्कूल, हेरिटेज क्लब और फ्यूचर फाउंडेशन स्कूल के कुल 100 छात्रों और भारतीय संग्रहालय, स्तनपायी गैलरी में आगंतुकों के लिए एक जन जुटान, मिशन लाइफ़ कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें सभी ने स्वच्छता की शपथ ली।

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जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, दीघा ने पश्चिम बंगाल के दीघा बीच पर दुकानदारों और विक्रेताओं के लिए जन जुटान कार्यक्रम का आयोजन किया। लगभग 50 विक्रेताओं को प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया गया और उन्हें कागज के कप और कपड़े के थैले जैसे पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया गया।

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  1. नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री

एनजेडपी के सहयोग से मिशन लाइफ एनएमएनएच के जन जुटान कार्यक्रम के तहत 123 स्कूली छात्रों के लिए इंटरैक्टिव सत्र का आयोजन किया गया। इस दौरान  छात्रों ने मिशन लाइफ को अपनाने का संकल्प भी लिया।

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आरएमएनएच, भोपाल ने 16 मई, 2023 को मेरी लाइफ: लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट लाइफस्टाइल के तहत जीवन शैली को बदलने के लिए कचरे के पृथक्करण पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस जागरूकता कार्यक्रम में 115 छात्रों और आम जनता ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

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वो नज़र कुछ ऐसी थी कि जिसमें जिस्म की चाह नही ,कुछ और ही था।

वो सामने बैठा मुझे ही देखे जा रहा था और मैं.. आँख भी नहीं मिला पा रही थी। वो नज़र कुछ ऐसी थी कि जिसमें जिस्म की चाह नही ,कुछ और ही था।मेरे ख़याल से इससे ख़ूबसूरत इश्क़ नहीं हो सकता, जो सिर्फ़ नज़रों से ही किसी की रूह को छू लेता है ..
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सबा ने हिम्मत कर अपनी आँखें उठाई और इक लम्बी ख़ामोशी को तोड़ते हुए बोली ! अच्छा तो बासु ..अब मैं चलू।बासु बोला !आज कितने सालों के बाद अचानक से तुम मेरे सामने आ गई।बहुत बार सोचा कि तुम्हें फ़ोन करूँ ,तुम से बात करूँ।इतने अरसे के बाद तुम्हें देखा।कैसे आज तुम्हें जाने के लिए कह दूँ। सबा मैं तो हैरान हूँ कि कैसे ,तुम मुझे भुला बैठी ? बासु की बड़ी बड़ी आँखों में गहराई और बेचैनी का अहसास कर पा रही थी सबा।शोर तो सबा के सीने में भी बहुत था मगर ख़ामोश सा।जैसे सब्र करना सीख गई थी सबा।इतना भी आसान नहीं था सबा के लिए ,खुद को सहज सा दिखाना।बहुत जद्दोजहद में थी सबा।कभी अपना दुपट्टे का पल्लू संभाल रही थी तो कभी अपनी नज़रों को।नहीं चाहती थी कि बासु उसकी बेक़रारी को देख पाये।
सबा ने इक गहरी साँस भरी,जो बासु के दिल के आरपार हो गई।सबा भारी आवाज़ में बोली! बासु वक़्त सब कुछ सिखा देता है।तुम से बिछड़े तीन साल हो गये है मगर मैं तुम्हें भूल नहीं पाई बासु, और भूलती भी कंयू तुम्हें।तुम चाहत हो मेरी।ये अलग बात है कि हमारी शादी नहीं हो पाई,क्यूँकि मैं मुसलमान घर की बेटी और तुम कट्टर ब्राह्मण परिवार से थे।घरों में शान्ति रहे इसीलिए हमने अपनी खुवाईशो का गला दबा दिया।तब कोई और चारा था भी नही ,हमारे पास।है न बासु ? बासु मेरे लिए ,तुम्हें छोड़ कर जाना मुश्किल होगा, ये तो पता था मुझे। शरीर से रूह निकल कर रह गई थी तुम्हारे ही पास .. ज़ाहिर है ..दर्द होना तो लाज़मी ही था ..मगर इतना दर्द होगा वो नही पता था। काश !! मेरे अबू मान गये होते या तुम्हारे पापा।सुबक पड़ी थी सबा ,ये सब कहते कहते। बासु का दिल रो रहा था। बासु बोला ! मैं कंयू नहीं लड़ पाया सबसे? क्यू अपने फ़र्ज़ को इतनी अहमियत दी मैंने ।याद आया उसे ,कैसे उसके पापा  अंबालिका की शादी की दुहाई देने लगे थे। चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे कि अगर तुम मुसलमान घर की लड़की ले कर आये तो तेरी बहन सारी उम्र कुँवारी बैठी रहेगी।सिहर उठा था बासु। सबा का हाथ पकड़ कर बोला। कुछ चाहते ऐसी होती है सबा।जिसमें इन्सान ,इश्क़ में दर्द तो सह लेता है मगर इश्क़ करना कभी नहीं छोड़ पाता ..
इश्क़ मे रहना और फिर इश्क़ की इबादत करना ….हर किसी के हिस्से में कहाँ आ पाती हैं हर जगह हर पल तुम्हारी ये कमी का अहसास ..क्या मुझे ख़ुशी दे पायेगा कभी। तुम ने ही तो कहा था कि हम बड़ों का दिल नहीं दुखायेंगे।तुम्हारी ही दी गई क़सम को निभा रहा हूँ मैं..मगर जीना अब इक सजा सा लगता है तुम्हारा वजूद सकून है मेरा ! सबा ..यूं मिल कर बिछड़ना ,मुक़द्दर में था या हमने ये सजा तय कर ली खुद अपने ही लिये..ये बात मैं समझ नहीं पाया, बस यही बात समझ में आई कि मुझे प्यार है तुमसे .. आज भी.. बासु बोलता जा रहा था। सबा ! कभी कभी मैं सोचता हूँ कि तुम और मैं , हम दोनों ही..बस सब का क़र्ज़ उतार रहे है। बाँट ही तो रहे हैं सभी को ..सभी का हक़। इक रह जायेगा तुम्हारे सर … या मेरे सर ..बस ! “हमारे इश्क़ का क़र्ज़ .. हमारी ख़ामोशियाँ…. तुम्हारा और मेरा इन्तज़ार .. कतरा कतरा आँखों से गिरते आँसुओं का बोझ कैसे उतार पायेंगे ,इक दूजे का ये क़र्ज़.. मेरी जागती रातों का हिसाब .. मेरे सवाल और तुम्हारे जवाब यही दफ़्न हो जायेगे,हमारे ही अन्दर।कितना अधूरा सा मैं ,कितनी अधूरी सी तुम..ये ख़ालीपन कभी नहीं भर पायेगा। सबा गंभीर हो कर बोली! बासु ..शायद ..वक़्त हमे इक दूजे के बिना रहना सिखा दे। बासु सबा की इस बात पर जैसे तड़प सा गया। बोला! क्या तुम मुझे भूल पाओगी सबा। हमारा प्यार कभी भी वक़्त के साथ धुंधला नहीं हो सकता।मरते दम तक तुम ही रहोगी मेरे दिल में।अब तो बस जीना ही है, मोहब्बत तो मैं ,कर चुका तुम से। अब तो सिर्फ़ बस फ़र्ज़ निभाने बाकि है। सबा !
मैं भी इक वादा करता हूँ आज के बाद मैं तुम्हें कभी नहीं मिलूँगा। न ही कभी तुम्हें देखूँगा चाहे तुम मेरे पास से भी गुज़र जाओ।
तुम से न मिलने से,बात न करने से बेक़रारी तो रहेगी, मगर मिलने के बाद, तुम से बात करके मैं और भी बेचैन हो गया हूँ ।सबा की आँखों से आँसूओ की छड़ी सी लग गई बोली बासु !अगर तुम बात नहीं करोगे तो मै कैसे ज़िन्दा रह पाऊँगी तुम्हारे बग़ैर।
शाम गहरी हो चुकी थी। भीगती आँखों और बोझिल मन से सबा बासु को अलविदा कह कर चल पड़ी।जानती थी उसकी ज़िन्दगी का सफ़र अब आसान नहीं होगा मगर कोई चारा नहीं था ,सिवाय अपनी तक़दीर के फ़ैसले को मानने के और बासु भी अपनी हथेलियों से अपने मुँह को छिपा कर फूट फूट कर रो रहा था। दोस्तों! ओह !! ये कहानी बहुतो की हो सकती है। इतना प्यार ..इतना दर्द ..इतनी गहराई और फिर मिल न पाना ..कितना असहनीय होता होगा जिनको ऐसे हालातों में से गुजरना पड़ता होगा और कितने दुख की बात है कि हम आज भी मज़हबों में उलझ कर ,अपने ही हाथों से बच्चों की ख़ुशियों पर ग्रहण लगा देते है।हमारा कहना तो वो मान जाते है मगर वो ख़ुश ,कहाँ रह पाते है।कभी सोचा है कि वो पूरी ज़िन्दगी कैसे मर मर कर अपना जीवन काटेंगे।
प्यार करना कोई बुरी बात नहीं है।जिस का किसी के साथ जो रिश्ता बनना होता है वो तो पहले से निर्धारित है फिर हम और आप कंयू उसे बदलना चाहते है । किसी को दर्द दे कर , किसी को अलग करके , किसी से बल छल करके, कोई कैसे चैन से रह सकता है ?
किसी को तंग करके कभी किसी का भला नहीं हुआ। न आज !! न पहले कभी !!
:_ लेखिका स्मिता ✍️

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होनहार “शौर्य मोहन”, भावी संस्कृत विद्वान

शौर्य मोहन, जीव विज्ञान के छात्र, वीरेंद्र स्वरूप शिक्षा केंद्र, श्यामनगर, कानपुर, यूपी के प्रतिष्ठित स्कूल ने कक्षा बारहवीं सीबीएसई (2023)परीक्षा में संस्कृत में 100/100 अंक प्राप्त किए।वे 10 वर्ष की उम्र से ही हिंदी और संस्कृत में कविताएँ लिखने लगे थे। उनका सपना संस्कृत के विद्वानों के लिए अपनी वेबसाइट बनाने का था। जब वह 12 साल के थे, तब उन्होंने अपनी दादी के साथ संस्कृत में बातचीत शुरू की, जो अभी भी उनकी संस्कृत की गुरु हैं । वह अपनी शिक्षिका को अपनी प्रेरणा मानते हैं।
वह ब्रिन-ओ-ब्रेन, गणित, प्रतियोगिता में दो बार राष्ट्रीय चैंपियन रह चुके हैं तथा स्कूल स्तर पर वाद-विवाद प्रतियोगिता में भी चैंपियन रह चुके हैं । इसके अतिरिक्त जब उन्होंने विश्वविद्यालय में 100 से अधिक शोधार्थियों के सामने राष्ट्रीय संगोष्ठी में संस्कृत में शोध पत्र प्रस्तुत किया तो उनकी बहुत सराहना हुई। वह अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए भावुक हैं। उनका लक्ष्य निकटतम भविष्य में संस्कृत में चरक संहिता और अन्य प्राचीन साहित्य को आम आदमी की भाषा में सुलभ कराना है ताकि वर्तमान समय में आयुर्वेद और भारतीय संस्कृति को मजबूत किया जा सके।

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भारत उत्थान न्यास, महिला समिति द्वारा मातृदिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय वर्चुअल संगोष्ठी: *आधुनिक परिप्रेक्ष्य में नारी का स्वरूप* गूगल मीट पर आयोजित की गई

कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, भारत उत्थान न्यास, महिला समिति द्वारा मातृदिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय वर्चुअल संगोष्ठी: *आधुनिक परिप्रेक्ष्य में नारी का स्वरूप* गूगल मीट पर आयोजित की गयी। कानपुर आकाशवाणी की उद्घोषिका रंजना यादव के संचालन में आयोजित संगोष्ठी के संयोजक व न्यास के केन्द्रीय अध्यक्ष सुजीत कुंतल ने अतिथि के रूप में उपस्थित समस्त मातृशक्ति को प्रणाम करते हुए उनका स्वागत किया। मुख्य वक्ता डॉ. चित्रा तोमर ने कहा कि यही सत्य है कि महिलाएं अनेक रूपों मे सशक्त है यदि वे स्वम पर दया खाना छोड़ दें क्योंकि सदियों की विरासत ने हमें यही सिखाया है अपने स्वाभिमान एवं दृण इच्छा शक्ति को आधार बनाकर बधाओं कों नष्ट करने का सामर्थ्य है नारी मे और एक माँ क़े रूप मे तो वह जीवनदायिनी है अतः सकारात्मक सोच रखना आवश्यकत है। मुख्य अतिथि डॉ. शशि अग्रवाल ने आधुनिक परिप्रेक्ष्य में महिलाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सम्पूर्ण विश्व आज महिलाओं का नेतृत्व स्वीकार कर उनका अनुसरण कर रहा है। इसलिए अब दुनिया की आधी आबादी के रूप में हम सभी महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। आबूधाबी से विशिष्ट अतिथि ललिता मिश्रा ने अपनी कविता, भविष्य बाहें पसारे करता उसका इंतजार। युग निर्माता वो जननी, लक्ष्य भेदने को तैयार। इतिहास रचाकर करती है वो अपना सोलह श्रृंगार। आज की नारी है जो, सबल, सचेत, सृजनकार सुनाई। अमेरिका से रेखा भाटिया ने कहा कि मानसिक सोच में बदलाव ज़रूरी समय बीतने के साथ वर्तमान आधुनिक और भौतिकवादी काल में नारी का स्वरुप बदला है। उच्च शिक्षा ग्रहण कर नारी हर क्षेत्र में अग्रणी है। समाज, देश और विश्व के सामाजिक और आर्थिक विकास में अपना विशिष्ठ योगदान दे रही है। घर, बाहर कड़ी मेहनत से, लगन से, निष्ठा से सभी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वाह कर नारी ने संतुलन और सांमजस्य बनाने की भरपूर कोशिश की है। स्त्रियों की सामाजिक दशा में बदलाव ज़रूर हुआ है लेकिन उपभोक्तावादी इस आधुनिक काल में नारी के सशक्तिकरण का आकलन केवल आर्थिक और भौतिक दृष्टी से किया जा रहा है, नारी को मात्र प्रदर्शन और भोग की वस्तु की तरह पेश किया जाता है। यह सुधार केवल सतही स्तर पर है जैसे रहन-सहन-पहनावा ,नौकरी इत्यादि तक ही सिमित होकर रह गया है। आधुनिकता के नाम पर थोपी गई संस्कृति- संस्कार और पहनावे में स्वतंत्रता को शक्तिकरण का मापक बनाकर विभिन्न प्रचार माध्यमों से स्त्रियों के शरीर को वस्तु की तरह नुमाइश कर स्त्री की गरिमा पर गंभीर और भयंकर कुठाराघात होने लगा है। इस काल में नर-नारी के एकदूसरे के पूरक भाव की जगह विरोधी भाव को अधिक उभारा गया। आर्थिक आत्मनिर्भरता हासिल कर लेने के बाद भी स्त्रियों के विरुद्ध अपराध, यौन हिंसा, घरेलु हिंसा,अत्याचार,सामाजिक, मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न और शोषण में वृद्धि ही हुई है। बलात्कार की घटनाएँ भारत ही नहीं वरन अमेरिका में भी ज्यादा घटती हैं। नारी स्वरुप का सशक्तिकरण सम्पूर्ण रूप से अभी भी मात्र एक छलावा है, जिसमें नारी स्वयं भी छली जा रही है।
आधुनिक परिप्रेक्ष्य में सही मायनों में नारी को लैंगिक समानता, विचारों की समानता, समान अवसर और अधिकार मिले हैं , एक भ्रम है। लेकिन यह सोचकर संतोष होता है कि पितृसत्तात्मक सोच से नारी मुक्त होना चाहती है और निरंतर अग्रसर है। लेकिन सशक्तिकरण वैचारिक स्तर पर होना चाहिए, लैंगिक समानता, समान अधिकार और समान अवसर मिलने चाहिए जिसके लिए आवश्यक है नारी के प्रति सम्मान, संवेदनशील व्यवहार की भावना बढ़ाने के साथ ही सहिष्णुता उनकी सुरक्षा, जीवनशैली चुनने की उसे स्वतंत्रता होनी चाहिए। जिसके लिए सामाजिक और मानसिक सोच में बदलाव लाना बेहद ज़रूरी है। हिसार, हरियाणा की विशिष्ट वक्ता डॉ. गीतू भुटानी ने कहा कि कितनी बड़ी शक्ति आज हमारे हाथ में है। जिसे हमने पहचाना ही नहीं है। वी आर होम मेकर, हम जेनरेशन मेकर। बाहर से आने वाला आपको नहीं जीत सकता, जो आपके अंदर बैठा है, आपका स्वावलंबन, आत्मविश्वास। वही सब कुछ बदल सकता है। महिलाओं को अपने भीतर जीतना है, उन्हें बाहरी ताकत की ज़रूरत नहीं। हरियाणा से नेहा धवन और दुबई से निशा गिरि द्वारा वक्तव्य और कविता प्रस्तुत की ग्रीन। लखनऊ से डॉ. आनंदेश्वरी अवस्थी ने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा किभारतीय नारी को शक्ति का पुंज बताया उन्होंने कहा कि सहनशीलता और सृजनात्मक गुण नारी की अदम्य शक्तियां हैं। बनारस की प्रो. चम्पा कुमारी सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। यहां डॉ. के सुवर्णा, डॉ. अनीता निगम, डॉ. रोचना विश्वनोई, शशि सिंह आदि उपस्थित रहे।

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