सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने नए टावर के उद्घाटन पर इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी के सभी सदस्यों को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि नई जगह में काम करने में आसानी से भारत का लोकतंत्र और मजबूत होगा। इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी का गठन आजादी से पहले किया गया था, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संगठन न केवल भारत की यात्रा के उतार–चढ़ाव का साक्षी रहा है, बल्कि बल्कि उसे जिया भी और जन–जन तक पहुंचाया भी। प्रधानमंत्री ने कहा कि यही कारण है कि एक संगठन के रूप में इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी के काम का प्रभाव देश में स्पष्ट होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मीडिया राष्ट्रों की स्थितियों का मूकदर्शक नहीं होता है, बल्कि उन्हें बदलने में प्रमुख भूमिका निभाता है। उन्होंने विकसित भारत की अगली 25 वर्षों की यात्रा में समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने नागरिकों के अधिकारों और सामर्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करने में मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत में डिजिटल लेनदेन की सफलता को इस बात का उदाहरण बताया कि कैसे आत्मविश्वास से भरे नागरिक बड़ी सफलता हासिल करते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के प्रमुख देश भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में रुचि रखते हैं। उन्होंने इन सफलताओं में मीडिया की भागीदारी को स्वीकार किया।
प्रधानमंत्री ने गंभीर मुद्दों पर चर्चा करके विचार-विमर्श सुनिश्चित करने में मीडिया की स्वाभाविक भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने मीडिया की कार्यप्रणाली पर सरकारी नीतियों का प्रभाव पड़ने पर भी विशेष जोर दिया। उन्होंने जन धन योजना की मुहिम के जरिए वित्तीय समावेशन एवं बैंक खाते खोलने और लगभग 50 करोड़ लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि यह परियोजना डिजिटल इंडिया को आगे बढ़ाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की पहल में सबसे बड़ी मदद थी। प्रधानमंत्री ने कहा, इसी तरह स्वच्छ भारत या स्टार्टअप इंडिया जैसी पहल वोट बैंक की राजनीति से प्रभावित नहीं हुईं। उन्होंने इन अभियानों को राष्ट्रीय स्तर पर विचार-विमर्श का हिस्सा बनाने के लिए मीडिया की सराहना की।
इस बात का उल्लेख करते हुए कि इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी द्वारा लिए गए निर्णय देश के मीडिया को दिशा देते हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि सरकार द्वारा शुरू किया गया कोई भी कार्यक्रम निश्चित रूप से सरकारी कार्यक्रम ही हो और जिस भी विचार पर विशेष जोर दिया गया है वह केवल सरकार का ही विचार नहीं हो सकता है। उन्होंने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ और ‘हर घर तिरंगा’ जैसे अभियानों का उदाहरण दिया जिनकी शुरुआत सरकार ने की थी लेकिन उन्हें पूरे देश ने आगे बढ़ाया। इसी तरह प्रधानमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण पर सरकार के विशेष जोर को रेखांकित किया जो कि एक राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक मानवीय मुद्दा है और उन्होंने हाल ही में शुरू किए गए ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान का भी जिक्र किया, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान विश्व भर के राजनेताओं ने भी इस कार्यक्रम में गहरी दिलचस्पी दिखाई जिसमें प्रधानमंत्री भी शामिल हुए। उन्होंने समस्त मीडिया घरानों से युवा पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए इस मुहिम में शामिल होने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘मैं मीडिया घरानों से आग्रह करता हूं कि वे राष्ट्र के प्रति एक विशेष प्रयास के रूप में इस तरह की पहल को आगे बढ़ाएं।’ भारत के संविधान की 75वीं वर्षगांठ के समारोह का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने संविधान के प्रति नागरिकों की कर्तव्य भावना और जागरूकता बढ़ाने में मीडिया की अहम भूमिका को रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यटन को भी सभी की ओर से सामूहिक ब्रांडिंग और मार्केटिंग की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि समाचार पत्र किसी विशेष राज्य के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोई महीना चुन सकते हैं। इससे राज्यों के बीच आपसी रुचि बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री ने समाचार पत्रों से अपनी वैश्विक उपस्थिति बढ़ाने का अनुरोध किया। निकट भविष्य में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की भारत की यात्रा को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सफलता को दुनिया के हर कोने तक पहुंचाना मीडिया की जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘किसी देश की वैश्विक छवि सीधे तौर पर उसकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है।’ उन्होंने भारत की बढ़ती साख और वैश्विक प्रगति में योगदान देने की इसकी बढ़ती क्षमता के साथ प्रवासी भारतीयों के बढ़ते महत्व का भी उल्लेख किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की सभी भाषाओं में भारतीय प्रकाशनों के विस्तार की कामना की। उन्होंने सुझाव दिया कि इन प्रकाशनों की वेबसाइट, माइक्रोसाइट या सोशल मीडिया अकाउंट इन भाषाओं में हो सकते हैं। उन्होंने इस तरह के प्रयासों में एआई द्वारा प्रदान की जाने वाली सहूलियत का भी उल्लेख किया।
अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने मीडिया घरानों से आग्रह किया कि वे प्रकाशन के डिजिटल संस्करण का उपयोग करें क्योंकि इसमें मुद्रित संस्करणों की तुलना में स्थान की कोई कमी नहीं होती है और इसके साथ ही आज दिए गए सुझावों पर विचार करें। उन्होंने कहा, ‘मुझे पूरा विश्वास है कि आप सभी इन सुझावों पर विचार करेंगे, नए-नए प्रयोग करेंगे और भारत के लोकतंत्र को मजबूत करेंगे। आप जितनी मजबूती से काम करेंगे, देश उतनी ही अधिक प्रगति करेगा।’
इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फड़नवीस और श्री अजीत पवार तथा इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी के अध्यक्ष श्री राकेश शर्मा उपस्थित थे।