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विजन 2047 को मूर्त रूप देने हेतु कानपुर नगर बहुत तेजी से विजन कानपुर 2047 ड्राफ्ट प्लान तैयार करने की ओर अग्रसर

कानपुर 10 दिसंबर जिला सूचना कार्यालय प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के विजन 2047 को मूर्त रूप देने हेतु कानपुर नगर बहुत तेजी से विजन कानपुर 2047 ड्राफ्ट प्लान तैयार करने की ओर अग्रसर है, जिसकी आधारशिला मंडलायुक्त कानपुर डॉ राजशेखर जी ने रख दी है, इस ड्राफ्ट प्लान को प्रभावी स्वरूप प्रदान करने हेतु मंडल आयुक्त कानपुर डॉ राजशेखर जी, विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों एवं समाज के विभिन्न सेक्टर जैसे शैक्षिक, उद्यमी, सामाजिक संगठन, कला, संस्कृति एवं पर्यटन, शहरी विकास, नवाचार, स्टार्टअप के साथ विचार विमर्श एवं संवाद आयोजित किए जा चुके हैं, जिसमें इन क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में अपने विचार, सुझाव और क्रियान्वयन के तरीके इत्यादि उपलब्ध कराएं हैं, अब तक 5 मुख्य संवाद कार्यक्रम आयोजित हो चुके हैं और आने वाले दिनों में कृषि एवं खेलकूद सेक्टर के साथ भी संवाद कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, विजन कानपुर 2047 के अध्यक्ष एवं मंडल आयुक्त कानपुर डॉ राजशेखर ने कहा इन संवाद कार्यक्रमों के पश्चात वृहद रूप से विचार विमर्श कार्यक्रम *कानपुर की बात* आयोजित की जाएगी , जिसमें समाज के हर सेक्टर के प्रतिनिधियों को एक साथ संयुक्त प्लेटफार्म पर आमंत्रित कर पूर्व में हुए संवाद कार्यक्रमों की समीक्षा एवं नए विचारों को अंतिम रूप से आमंत्रित कर ड्राफ्ट प्लान तैयार कर लिया जाएगा, डॉ राजशेखर ने बताया कि शहरवासी बड़ी संख्या में अपने सुझाव एवं फीडबैक विजन कानपुर 2047 के वेब पोर्टल visionkanpur2047.com पर ऑनलाइन भी उपलब्ध करा रहे हैं l

उन्होंने बताया अब तक लगभग 8000 फीडबैक प्राप्त हो चुके हैं और शहर वासियों के उत्साह और जोश को देखते हुए *वेब पोर्टल पर सुझाव और फीडबैक देने की अंतिम तिथि बढ़ा कर 15 दिसंबर 2022 कर दी गई है*, डॉ राजशेखर ने बताया कि विजन कानपुर 2047 पर ई पत्रिका का भी प्रकाशन कराया जा रहा है जिसमें विजन कानपुर 2047 के समन्वयक डॉ सुधांशु राय को मुख्य संपादक नामित किया गया है l उक्त पत्रिका में कोई भी शहरवासी, लेखक, साहित्यकार, कथाकार ,शिक्षक , छात्र-छात्राएं या अन्य व्यक्ति कानपुर के इतिहास (1947-2022) और कानपुर के विजन (2023-2047) से संबंधित अपने लेख कविताएं या अन्य तथ्य प्रकाशित करवा सकते हैं और अपने लेख मेल आईडी visionknp2047@gmail.com पर 15 दिसंबर 2022 तक उपलब्ध करवा सकते हैं,

किसी भी जानकारी हेतु विजन कानपुर समन्वयक के मोबाइल नंबर 8299173086 से संपर्क भी कर सकते हैं,

डॉ राजशेखर ने कहा विजन कानपुर 2047 मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश श्री दुर्गा शंकर मिश्रा जी के मार्गदर्शन में आगे बढ़ रहा है और आने वाले समय में पूरे प्रदेश के लिए विजन कानपुर 2047 एक मॉडल के रूप में स्थापित होगा,

उन्होंने कहा विजन कानपुर 2047 शहर के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखकर और शहरवासियों की परिकल्पना के अनुसार ही बनेगा।

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टूटे जब मन के धागे घायल तब संबंध हुए

टूटे जब मन के धागे घायल तब संबंध हुए, जब लगे मन में पिड़ा आंखो से जल नीर बहे। अधरों की खामोशी जब चीखे दूर खड़ी मरियादा सीचे अवशाद हुए। घायल आशु की भाषा से बिसरी यादो का श्रृंगार हुए। स्वर देकर झनकृत कराती बिरहा प्रेम के छंद हुए। जो अंकित हैं हृदय के बिंदु पर धूमिल सारे अनुबंध हुए। टूटे जब धागे घायल तब संबंध हुए। मैंने जीवन को बंध लिया पीड़ा के अंतस लहेरो में तुम सरस रागनी बह निकले हम तो टूटे तटबंध हुए। टूटे जब मन के धागे.. वंदना बाजपेई

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ग्वालटोली पुलिस का अजब खेल रंगदारी के केस में पुलिस ने लगा दी फाइनल रिपोर्ट

कानपुर 9 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, थाना ग्वालटोली में रंगदारी और धमकाने के मामले में करीब 1 साल पहले शिया शहर काजी ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी पुलिस ने उसमें खेल करते हुए फाइनल रिपोर्ट लगा दी 4 दिन पहले इसी रंजिश के चलते आरोपियों ने एक बार फिर शिया शहर काजी के बेटे पर हमला किया था जिसमें पुलिस ने क्रॉस रिपोर्ट दर्ज करी थी इसी मामले को लेकर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमे में चार्ज शीट लगाने के बजाय उसमें फाइनल रिपोर्ट लगा दी सोमवार को इसी रंजिश के चलते आरोपियों ने शिया शहर काजी के बेटे हुसैन अब्बास पर जानलेवा हमला कर दिया *इस मामले में भी ग्वालटोली पुलिस ने उच्चाधिकारियों को सूचना देने के बजाय दोबारा से खेल करते हुए मामले में क्रास रिपोर्ट दर्ज कर दी* जबकि एसएलआर अस्पताल के आईसीयू में भर्ती हुसैन की हालत काफी गंभीर बनी हुई है

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एस एन सेन पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में विविधा-2022 के दूसरे दिन दो प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया

कानपुर, भारतीय स्वरूप संवाददाता एस एन सेन पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में विविधा-2022 के द्वितीय दिवस में दो प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। महाविद्यालय के विज्ञान संकाय ने ऑन द अदर साइड ऑफ़ टेबल प्रतियोगिता का आयोजन किया एवं मेंहदी प्रतियोगिता का आयोजन किया।
महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो0 (डॉ0) सुमन, प्रो0 निशी प्रकाश चीफ प्रोक्टर, प्रो0 रेखा चौबे समाज शास्त्र विभाग रसायन विज्ञान की विभागाध्याक्षा डा गार्गी यादव वनस्पति विज्ञान की विभागाध्यशा डा0 प्रीति सिंह तथा जन्तु विज्ञान की विभागाध्याक्षा डा0 शिवांगी सिंह ने दीप प्रज्जलित करके किया। प्रतियोगिता के निर्णायक प्रो0 सुनीता आर्या जन्तु विज्ञान विभाग डी0जी0पी0जी0 कॉलेज तथा डा0 विशाल सक्सेना वनस्पति विज्ञान विभाग डी0ए0वी0 पी0जी0 कॉलेज ने किया।
इस प्रतियोगिता में छात्राओं ने चाक डस्टर का प्रयोग करते हुए शिक्षकों द्वारा दिए गए विषय को समझाया, दूसरी प्रतियोगिता मेंहदी प्रतियोगिता थी इसका आयोजन कला विभाग ने किया जिसके निर्णायक मण्डल में प्रो0 निशी प्रकाश तथा प्रो0 रेखा चौबे रहे

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मेघालय की ग्रामीण आबादी को सड़कों और बाजारों तक पहुंच में वृद्धि

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) की शुरूआत की थी, जिसका उद्देश्य पूरे देश में योग्य असंबद्ध बस्तियों को (2001 की जनगणना के अनुसार उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए 250 और उससे ज्यादा लोगों की बस्ती) सभी मौसम में उचित सड़क संपर्क प्रदान करना था, जिससे ग्रामीण आबादी का सामाजिक-आर्थिक उत्थान किया जा सके। बाद में नए मध्यवर्तनों को शामिल करते हुए पीएमजीएसवाई के अधिदेश को और ज्यादा व्यापक बनाया गया। पीएमजीएसवाई-II की शुरुआत वर्ष 2013 में हुई थी, जिसमें मौजूदा ग्रामीण सड़कों में से 50,000 किलोमीटर सड़कों को अपग्रेड करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। पीएमजीएसवाई-III की शुरुआत 2019 में की गई,जो मार्गों और प्रमुख ग्रामीण संपर्कों के माध्यम से 1,25,000 किलोमीटर का समेकन करता है और ग्रामीण कृषि बाजारों, उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों और अस्पतालों से बस्तियों को जोड़ता है। पीएमजीएसवाई के दिशा-निर्देशों के अनुसार, ग्रामीण सड़कें राज्य का विषय है और राज्य सरकार अपने राज्य में इसकी नोडल कार्यान्वयन एजेंसी है। इसके अलावा, इस कार्यक्रम की इकाई बस्ती है, जिसका अर्थ जनसंख्या का एक ऐसा समूह है, जो एक ही क्षेत्र में रहता है और समय के साथ अपना निवास स्थान नहीं बदलता है। मेघालय राज्य मेंपीएमजीएसवाई के अंतर्गत सड़क संपर्क के लिए स्वीकृत 602 बस्तियों में से 481 बस्तियों को पहले ही सड़कों से जोड़ा जा चुका है।

उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय, पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में संपर्क प्रदान करने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों के कार्यों में सहायता करता है, जिसमें दूरदराज के इलाकों में सड़क संपर्क प्रदान करना शामिल है, जिससे छोटे और दूरदराज के गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों को सुविधा प्राप्त होती है।

मेघालय राज्य में पिछले तीन वर्षों में डोनर मंत्रालय की मुख्य योजनाओं उत्तर पूर्व सड़क क्षेत्र विकास योजना (एनईआरएसडीएस) और उत्तर पूर्व विशेष अवसंरचना विकास योजना (एनईएसआईडीएस)के अंतर्गत स्वीकृत सड़कों की कुल लंबाई 169.51 किमी है, जिसे या तो सीधे तौर पर या उत्तर-पूर्वी परिषद (एनईसी) के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है। इसके अलावा, गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन विभाग ने भी 2014-15 से “सड़क और पुल” क्षेत्र के अंतर्गत मेघालय सहित उत्तर पूर्व क्षेत्र में 992 परियोजनाओं की शुरूआत की हैं। यह जानकारी उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री, श्री जी. किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में दिया।

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भारतीय रेलवे की उत्पादन इकाइयां वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड उत्पादन हासिल करने के लिए काफी तेजी से आगे बढ़ रही हैं

भारतीय रेलवे की उत्पादन इकाइयां यानी चित्तरंजन स्थित चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (सीएलडब्ल्यू), वाराणसी स्थित बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (बीएलडब्ल्यू), पटियाला स्थित पटियाला लोकोमोटिव वर्क्स (पीएलडब्ल्यू) वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड उत्पादन हासिल करने के लिए काफी तेजी से आगे बढ़ रही हैं।

वित्त वर्ष 2022-23 में 30 नवंबर तक 614 इलेक्ट्रिक इंजन बनाने के साथ ही भारतीय रेलवे ने पिछले वित्‍त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 25.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। पिछले वित्‍त वर्ष की इसी अवधि में 490 इलेक्ट्रिक इंजन बनाए गए थे।

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नितिन गडकरी ने उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 1121.95 करोड़ रुपये की लागत से एनएच उन्नयन कार्यों को मंजूरी दी

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने सिलसिलेवार कई ट्वीट करके यह जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश के अमेठी में अमेठी बाइपास (एनएच- 931) के पेव्ड शोल्डर के साथ 2-लेन के निर्माण को 283.86 करोड़ रुपये के साथ मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा, “इस परियोजना से यातायात सुगम होगी, कृषि उत्पादों का परिवहन आसान होगा और व्यापार व औद्योगिक विकास में यह मददगार साबित होगा, जिससे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।”

श्री गडकरी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में ईपीसी मोड के तहत एनएच- 130डी पर कोंडागांव और नारायणपुर जिलों में पेव्ड शोल्डर कॉन्फिगरेशन के साथ 2-लेन उन्नयन कार्य को 322.40 करोड़ रूपये की लागत के साथ स्वीकृति दी गई है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना वर्तमान असुविधा को समाप्त करेगी और छत्तीसगढ़ के अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात की सुरक्षित और कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी। मंत्री ने कहा कि इस खंड के विकास से लंबे यातायात मार्ग और माल ढुलाई की दक्षता में समग्र रूप से सुधार होगा, जिससे सुगम और सुरक्षित यातायात परिचालन सुनिश्चित हो सकेगा। श्री गडकरी ने आगे कहा, “इसके अलावा इस परियोजना के कार्यान्वयन से क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में सुधार होगा, जिससे आखिरकार क्षेत्र के समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

श्री गडकरी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में एनएच- 730 पर दो लेन के फुटपाथ के साथ बलरामपुर बाईपास के निर्माण को ईपीसी मोड के तहत 515.69 करोड़ रुपये की लागत के साथ स्वीकृति दी गई है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना भीड़-भाड़ वाले बलरामपुर शहर में प्रवेश किए बिना एनएच-330 और एनएच- 730 पर यातायात के सुचारू परिचालन को सुनिश्चित करेगी।

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प्रगति के पथ पर औद्योगिक नगरी कानपुर

कानपुर 9 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज 388 करोड रुपए की 272 विकास परियोजनाओं का करेंगे लोकार्पण, पुलिस कमिश्नरेट कानपुर के पुलिस आयुक्त बी पी जोगदंड संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी के निर्देशन में चाक चौबंद पुलिस व्यवस्था
अप्पर पुलिस उपायुक्त बसंत लाल के निर्देशन में एसीपीएल आई यू सूक्ष्म प्रकाश के नेतृत्व में एंटी सबोटाज टीम कर रही है चेक

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एस एन सेन बालिका पी जी कॉलेज में प्रेस कांफ्रेंस में महाविद्यालय के वार्षिकोत्सव विविधा ~२०२२ के संबंध में जानकारी साझा की गई

कानपुर 6 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बालिका पी जी कॉलेज में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की गई।
प्रेस कांफ्रेंस में महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो सुमन ने जानकारी देते हुए बताया कि महाविद्यालय के वार्षिकोत्सव विविधा -२०२२ का शुभारम्भ ६/१२/२२ को अकादमिक प्रतियोगिताओं की श्रृंखला के साथ होगा जिसकी सूची संलग्न है। सभी विभाग शैक्षिक पाठ्यक्रम से संबंधित प्रतियोगिताओं का आयोजन करेंगे जो छात्राओ के सर्वांगीण विकास में सहायक होगा । सभी प्रतियोगिताएँ अंतर्विभागीय होंगी जिससे छात्राओ को अन्य विषयों की जानकारी होगी एवं रुचि जागृत होगी॥ इस शृंखला का समापन लावण्या -२०२२ से होगा । इस दिन छात्राओ द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ की जायेंगी जिसमें प्राचार्या द्वारा महाविद्यालय की वार्षिक आख्या, के अतिरिक्त नृत्य , नाटक इत्यादि का समावेश होगा। इस दिन महाविद्यालय के प्रबंध तंत्र, अन्य महाविद्यालयों के प्राचार्य गण तथा महानगर के गणमान्यों को आमंत्रित किया गया है।
अंत में प्राचार्या ने सभी उपस्थित प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से आये पत्रकार बंधुओं को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सहयोग की अपेक्षा प्रेषित की।

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लिव इन कितना सही?

ऐसा कहने सुनने में आता है कि अब जो अपराध होते हैं वह सोशल मीडिया की वजह से जल्दी सामने आ जाते हैं। अपराध पहले भी होते थे लेकिन खबरों में नहीं आ पाते थे और जब तक समाचार पत्रों के जरिए सामने आते थे तब तक मामला पुराना हो जाता था। वैसे यह सही भी है सोशल मीडिया की वजह से अपराध जल्दी ही लोगों के सामने आ जाता है लेकिन यदि महिला अपराध के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो इन आंकड़ों में बढ़ोतरी ही हुई है और लगातार बढ़ते जा रहे हैं और महिला अपराध समाज में दहशत फैलाने का कार्य कर रहे हैं। हमारे समाज में घरेलू हिंसा, दुष्कर्म, लव जिहाद और एसिड अटैक जैसे मामले बहुत तेजी से उभर रहे हैं। आखिर क्या कारण है कि इस तरह के अपराध बढ़ रहे हैं? यदि ध्यान दिया जाये तो सबसे बड़ी वजह तो सोशल मीडिया ही है जहां अश्लीलता को बुरी तरह से परोसा जा रहा है और जिसे बड़ों से लेकर बच्चे तक उस अश्लीलता को देखते और पोसते आ रहे हैं। महिलाएं, लड़कियां अजीबोगरीब कपड़े पहनकर, बेहूदा अंग संचालन करके वीडियो पोस्ट कर रही हैं। छोटे-छोटे बच्चे भी जिन्हें ठीक से बात करनी भी नहीं आती जिनकी उम्र खेलने और पढ़ने की है वह भी कमर मटका कर ऊलजलूल हरकतें करते दिख जाएंगे और उनकी ऐसी हरकतों पर माता-पिता बड़े गौरवान्वित होते हैं। उनके लिए उनका बच्चा स्टार से कम नहीं होता। इन्हीं रील्स वीडियो पर ही लोगों के भद्दे कमेंट भी पढ़ने को मिल जाते हैं। मतलब यह कि महिला और पुरुष दोनों का ही ओछापन दिखाई देता है। आज सबसे बड़ी समस्या सोशल मीडिया पर बनने वाली रील्स, वीडियो है जिस पर सख्त नियम लागू होने चाहिए। सभ्य घर की महिलाएं भी इससे अछूती नहीं रह गई हैं और कुछ स्त्रियों ने तो बेहूदेपन की हदें पार कर दी है।
लिव इन  का बढ़ता हुआ ट्रेंड  हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम हमारी सभ्यता, संस्कृति को कहां ले जा रहे हैं। हमारे देश में विवाह जैसी संस्था समाज की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ही है। यह लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता देना सही नहीं है। इसके दुष्परिणाम लव जिहाद के रूप में सामने आता है। जहां धर्म परिवर्तन ना करने के कारण, जबरदस्ती रिश्ते बनाए रखने के कारण या आपस में सामंजस्य ना रहने के कारण अपराधिक कृत्य सामने आते हैं। जिसमें बाद में पछताने के सिवा कुछ नहीं हासिल नहीं होता। हम भौतिक रूप से बहुत खुले विचार वाले हो गए हैं लेकिन हमारी सोच अभी भी वही रूढ़िवादी है। हम अभी भी इस तरह की परंपराओं को मन से स्वीकार नहीं कर पाये हैं। पाश्चात्य सभ्यता वैसे भी हमें परिवार से अलग-थलग रहना सिखाती है जोड़कर नहीं। इस सब पर रोकथाम जरूरी है। समाज को सही दिशा देने के लिए आजादी के नाम पर ऐसी उच्श्रृंखलता लिव इन जैसी प्रथा को खत्म किया जाना चाहिए। पाश्चात्य सभ्यता में संबंधों का टूटना-बिखरना एक आम बात है, वहीं अब भारत में भी रिश्तों का औचित्य खोने लगा है और व्यक्तिगत हितों के सामने आपसी रिश्तों का कद दिनोंदिन बौना होता जा रहा है और महानगरों में यह प्रथा (लिव इन) ज्यादा प्रचलित हो रही है। लिव इन की प्रथा उन लोगों के लिए सही है जिनके रिश्ते में दरार पैदा हो गई हो या विवाह विच्छेद में दिक्कतें आ रही हो क्योंकि हमारी कानून व्यवस्था बहुत लचर है जिसके कारण न्याय मिलने में काफी समय लग जाता है। लिव इन की प्रथा भारतीय समाज में नयी नहीं है। वैदिक काल में हमारे यहाँ मान्य विवाह की आठ पद्धतियों में से एक ‘गंधर्व विवाह पद्धति’ प्रचलित थी। जिसे समाज मन से स्वीकार नहीं करता,, क्योंकि यह रिश्ता सामाजिक मर्यादाओं और दायित्वों को अमान्य करता है।
लिव इन रिलेशनशिप के लिए सरकार ने कुछ नियम बनायें हैं जिनका उल्लंघन खुलेआम होता है।
महिला अपराधों में घरेलू हिंसा को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां स्त्री परिवार, समाज, दबाव और शर्म के कारण आवाज नहीं उठा पाती है। परिवार का सहयोग ना मिलना, बच्चों का भविष्य ध्यान में रखकर उसके पास चुप रहने के अलावा कोई पर्याय नहीं होता है। देखा गया है कि ऐसी स्त्रियां मानसिक स्तर पर और निर्णय लेने की क्षमता में खुद को अक्षम पातीं हैं। उनका व्यक्तित्व दबा दिया जाता है।
आजकल बच्चों के हाथों में मोबाइल होना आम बात है और वह भी सोशल मीडिया से अछूते नहीं है। इन सब का असर उनके मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक स्तर पर क्या असर होगा यह सोचने का विषय है? हिंसा से भरपूर सीरियल, मूवीज़ देखकर ही लोग अपराधिक प्रवृत्ति की ओर प्रवृत्त हो रहे हैं। इस सब पर रोकथाम जरूरी है। सबसे बड़ी समस्या तो यही है कि आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोगों के मन से कानून का डर खत्म हो गया है। आज जरूरत है स्मार्ट पुलिस व्यवस्था की और पुलिस को भी अपना रवैया बदलना होगा उसे सकारात्मक रवैया अपनाना होगा ताकि पीड़ित व्यक्ति शिकायत दर्ज करा सके और न्याय के लिए आवाज उठा सके।
लिव इन जैसे रिश्तो में भरोसा कम रहता है और अलगाव की स्थिति ज्यादा रहती है जिसमें पुरुष से ज्यादा महिलाओं को दिक्कतों का सामना ज्यादा करना पड़ता है साथ ही उत्पीड़न और सामाजिक उपेक्षा भी ज्यादा सहनी पड़ती है अगरचे इनसे कोई संतान रही तो उसकी मानसिक स्वास्थ्य और उसके भविष्य पर भी बुरा असर पड़ता है। लिव इन रिलेशनशिप दायित्वों से मुंह छिपाना ही है जिसमें कोई बंधन नहीं होता है। आज बहुत जरुरी हो गया है कि सरकार इस पर सख्त कानून बनाये। लिव इन प्रगतिवाद की अनिवार्य बुराई है। सामाजिक व्यवस्था की जड़ता और कट्टरता को दूर कर लिव इन रिलेशनशिप को संस्कारपरक परिवार बनाने की दिशा में प्रयास होने चाहिए। ~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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