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गोवा में भारत के पहले प्रकाश स्तंभ महोत्सव का आज शुभारंभ हुआ; प्रमुख पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किए जाने वाले 75 ऐतिहासिक स्थलों पर विशेष ध्यान

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने 23 सितंबर 2023 को गोवा के पणजी में ऐतिहासिक किले अगौड़ा में ‘भारतीय प्रकाश स्तंभ उत्सव’ या भारतीय लाइटहाउस महोत्सव के पहले संस्करण का उद्घाटन किया।

इस महोत्सव का उद्देश्य भारत के 75 प्रतिष्ठित प्रकाशस्तंभों के समृद्ध समुद्री इतिहास को पुनर्जीवित करना और दुनिया के सामने उनकी शानदार गाथाओं को सामने लाना है। इस प्रकार के पहले आयोजन के प्रमुख स्थल, फोर्ट अगौड़ा में आयोजित बैठक में गोवा के मुख्यमंत्री श्री प्रमोद सावंत; केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग और पर्यटन राज्य मंत्री,  श्रीपद नाइक और गोवा सरकार के पर्यटन मंत्री श्री रोहन खौंटे ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में राज्य और केंद्र, दोनों सरकारों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विधायक माइकल लोबो भी उपास्थित थे।

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा, “इस महोत्सव के शुभारंभ के साथ, हम इन प्रतिष्ठित स्थलों की समृद्ध विरासत को उजागर करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ समुद्र तटीय भारत में 75 प्रकाश स्तंभों में सदियों पुराने क्लासिक्स को फिर से जीवंत करने की प्रक्रिया और उन्हें दुनिया के सामने पेश करने के लिए सक्षम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में हमारा देश आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। राष्ट्र निर्माण के इस पवित्र प्रयास में हम प्रतिष्ठित प्रकाश स्तंभों को शैक्षिक, सांस्कृतिक और पर्यटन के प्रमुख केन्द्रों का उत्प्रेरक बनाकर मोदी की परिकल्पना को साकार करने का प्रयास कर रहे हैं। आज, हम अपने दूरदर्शी नेता,  मोदी  की दूरदर्शिता और नेतृत्व के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने हमारे विशिष्ट प्रकाशस्तंभों को मनोरम विरासत पर्यटन स्थलों में बदलने का समर्थन किया है। बहुत लंबे समय तक, अंधेरी रातों के बीच सैकड़ों नाविकों और जहाजों को आशा की रोशनी प्रदान करते समय समुद्र तटों के मूक प्रहरी को नजरअंदाज कर दिया गया था। “प्रकाश स्तंभ उत्सव” इसे बदलने का हमारा प्रयास है। इन ऐतिहासिक प्रकाशस्तंभों ने हमारे देश के इतिहास में जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उसके बारे में आप सभी को सूचित करनाउससे जोड़ना और शिक्षित करना हमारा मिशन है।

 

भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय का लक्ष्य ऐतिहासिक स्थलों को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थलों में विकसित करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी मार्ग के लिए आधार तैयार करने के लिए भारतीय प्रकाश स्तंभ महोत्सव का लाभ प्राप्त करना है। प्रकाश स्तंभ और लाइटशिप महानिदेशालय ने पहले ही 75 ऐसे प्रकाश स्तंभों की पहचान कर ली है और यह उत्सव हमारी समुद्री विरासत का जश्न मनाने और संरक्षित करने की सरकार की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है।

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री महोदय ने कहा, “प्रकाश स्तंभ महोत्सव” एक शानदार उत्सव है जो समय और सुंदरता के माध्यम से एक मनोरम यात्रा होने का वादा करता है। यह एक ऐसी यात्रा है जो हमारे समुद्री इतिहास के छिपे हुए रत्नों को उजागर करेगी और हमारे ऐतिहासिक प्रकाश स्तंभों की अनकही गाथाओं को उजागर करेगी। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने परिवर्तन के लिए सुधार की पहल के एक हिस्से के रूप में, भारत में पोत परिवहन क्षेत्र में सहायता के विकास, रखरखाव और प्रबंधन के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने के लिए लाइटहाउस अधिनियम, 1927 को निरस्त करके समुद्री परिवहन के लिए समुद्री सहायता अधिनियम, 2021 लागू किया। इसके अंतर्गत हमने विरासत प्रकाश स्तंभ की नई अवधारणा प्रस्तुत की, जिसमें केंद्र सरकार अपने नियंत्रण में समुद्री परिवहन के लिए किसी भी सहायता को विरासत प्रकाश स्तंभ के रूप में नामांकित कर सकती है। समुद्री परिवहन में सहायता के रूप में उनके कार्य के अलावा, ऐसे प्रकाशस्तंभों को शैक्षिक, सांस्कृतिक और पर्यटक उद्देश्यों के लिए विकसित किया जाएगा। यह महोत्सव सिर्फ ज्ञान का नहीं है; यह मूल्यों और अवसरों को पैदा करने के बारे में है। महोत्सव से अलग, हमारी परिकल्पना प्रकाशस्तंभों को पर्यटन स्थलों के रूप में बढ़ावा देना, इन ऐतिहासिक संरचनाओं पुनर्जीवन प्रदान करना और स्थानीय समुदायों और व्यवसायों के लिए अवसर पैदा करना है।”

दिन भर चले कार्यक्रम के दौरान, ‘हमारे तटों के अग्ररक्षक: भारत के अतीत और वर्तमान के प्रमाण के रूप में प्रकाशस्तंभ’ शीर्षक से एक सत्र आयोजित किया गया था, जिसे शासन, नीतियां और राजनीति संस्थान की पहल, भारत प्रवाह द्वारा आयोजित किया गया था, जहां प्रसिद्ध इतिहासकार और पुरातत्वविद् जो राखीगढ़ी के रूप में ख्याति प्राप्त प्रो. वसंत शिंदे ने भारत के समुद्री इतिहास में प्रकाशस्तंभों के ऐतिहासिक महत्व के बारे में बात की। डॉ. सुनील गुप्ता, समुद्री पुरातत्वविद् और नई दिल्ली के प्रधानमंत्री संग्रहालय में ओएसडी; और गोवा राज्य संग्रहालय के निदेशक डॉ. वासु उस्पाकर ने भी सत्र में अपने विचार रखे। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने प्रकाश स्तंभ विरासत पर्यटन विकास के प्रति मंत्रालय के दृष्टिकोण और इस चरण में 75 प्रकाश स्तंभों में निवेश के अवसरों के बारे में एक केस प्रस्तुत किया।

भारत के पहले प्रकाश स्तंभ महोत्सव का मुख्य आकर्षण सांस्कृतिक प्रदर्शनी सत्र, समुद्री इतिहास और संस्कृति पर प्रकाश और ध्वनि शो, ख्याति प्राप्त गायकों के साथ मधुर शामें, समुद्र तटों के  जायको और सामुदायिक सहभागिता हैं।

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कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय में “छात्राएं NEP 2020 में अच्छे अंक कैसे प्राप्त करें” विषय पर संगोष्ठी श्रृंखला आयोजित

कानपुर 25 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय ,स्वरूप नगर के समाजशास्त्र विभाग द्वारा एक संगोष्ठी श्रृंखला का शुभारंभ किया गया। जिसका विषय *” छात्राएं NEP 2020 में अच्छे अंक कैसे प्राप्त करें “* हैं। जिसमे महाविद्यालय की अधिकतम अंक प्राप्त करने वाली छात्रा निधि मुख्य वक्ता रहीं। जिन्होंने अपनी जूनियर छात्राओं बताया कि किस प्रकार से उन्होंने परीक्षा में अधिकतम अंक प्राप्त किए तथा अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए सफल योजना को विस्तारपूर्वक बताया। जिसका उपयोग करके कोई भी छात्रा अच्छे अंक प्राप्त कर सकती हैं। छात्राएं इस संगोष्ठी श्रृंखला के आयोजन से बहुत प्रसन्न और उत्साहित हैं। समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ पूर्णिमा शुक्ला ने बताया कि यह श्रृंखला 4 सप्ताह तक प्रत्येक सोमवार को आयोजित की जाएगी। जिससे छात्राओं को अच्छे अंक प्राप्त करने की प्रेरणा प्राप्त होगी।

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एस.एन सेन बी.वी.पी.जी. कॉलेज में महाविद्यालय की प्लेसमेंट सेल एवं काउंसलिंग सेल द्वारा “The Art of Success” विषय पर सेमिनार आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस.एन सेन बी.वी.पी.जी. कॉलेज सभागार में महाविद्यालय की placement cell तथा counselling cell के द्वारा “The Art of Success” विषय पर 23 सितंबर को counselling seminar आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ आज के मुख्य वक्ता शुभिक्षा संस्थान की निदेशिका दीक्षा तिवारी, संस्थापक शुभेन्द्र मिश्रा, रोज़गार प्रकोष्ठ प्रभारी प्रोफेसर गार्गी यादव, परामर्श कोष्ठ प्रभारी डॉ. मोनिका सहाय, तथा महाविद्यालय की मुख्य अनुशासिका कैप्टन ममता ने दीप प्रज्वलन व सरस्वती मां के समक्ष माल्यार्पण से किया। अतिथियों का स्वागत तथा आभार स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया गया। दीक्षा तिवारी ने छात्राओं को संवाद कौशल, शिक्षण कौशल, व्यक्तित्त्व विकास आदि का महत्त्व बताते हुए उन्हें सफलता के लिए आवश्यक तत्व बताया। शुभेन्द्र मिश्रा ने संस्थान में संचालित जीएसटी, कंप्यूटर आदि से संबंधित विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से छात्राओं को अवगत कराया। छात्राओं की रोज़गार संबंधित सभी जिज्ञासाओं का समाधान सेमिनार में किया गया। कार्यक्रम के अंत में प्रो. गार्गी यादव ने कार्यक्रम की सफलता हेतु सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया| कार्यक्रम मे समिति के सदस्यों प्रो. निशा वर्मा, डॉ. कोमल सरोज, डॉ. मनीषा दीवान, डॉ. अनामिका, प्रीति यादव एवं श्वेता रानी ने सक्रिय योगदान दिया।

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कनपुर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज महाविद्यालय में पिछले एक सप्ताह से चल रहे मंच कला वह फिल्म अभिनय का सफलतापूर्वक समापन प्राचार्य जोसेफ डेनियल के दिशा निर्देशन में किया गया। सांस्कृतिक समिति द्वारा आयोजित की गई यह कार्यशाला संयोजक डॉ.संजय सक्सेना और सहसंयोजक प्रो.मीत कमल द्वारा की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संगीत नाटक पुरस्कार विजेता नाटक और संवाद लेखक विभांशु वैभव के नेतृत्व में यह एक सप्ताह की कार्यशाला की गई। इस कार्यशाला में महाविद्यालय के 40 से अधिक बच्चों ने प्रतिभाग किया कार्यशाला के सप्ताह में वैभव ने मंच कला में अभिनय के इतिहास के बारे में बच्चों को बताया एवं इसकी उत्पत्ति कैसे हुई यह बताया, ध्यान केंद्रित करने के तरीके बताएं ।एक छोटी सी मूवी – ए बॉय इन स्ट्रिप्ड पजामा के माध्यम से हमें ऑब्जर्वेशन के विषय में समझाया । वैभव ने विदोहम सिंफनी म्यूजिक में एक्ट भी कराया । सर ने कार्य दिया कि हमें अपने आसपास मौजूद किसी भी व्यक्ति को ध्यानपूर्वक ऑब्जर्व करना है ।उसे अगले दिन अपने एकल प्रस्तुति माध्यम द्वारा दिखाना है। कार्यशाला में एक्टर के लिए महत्वपूर्ण तत्वों पर बात की जैसे रिलैक्सेशन ,कंसंट्रेशन ऑब्जरवेशन ,बिलीव एंड इमोशन। सर ने अपनी रचित कविता भी लिखाई ।कार्यशाला में सभी प्रतिभागियों को चार समूह में विभाजित कर दिया एवं उनको समाज के कुछ ऐसे विषयों पर नाट्य प्रस्तुत करने का मौका दिया जैसे ड्रग्स, वृद्ध आश्रम, आतंकवादी हमले एवं एसिड अटैक इन्हीं कार्यक्रमों की फाइनल प्रस्तुति 22/09/2023 की कार्यक्रम द्वारा की गई। कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. जोसेफ डेनियल के मार्गदर्शन में किया गया मुख्य अतिथि संगीत नाटक अवार्ड विजेता विभांशु वैभव रहे ।इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विभांशु वैभव ने बताया कि बच्चे न सिर्फ जिस तरह से रंगमंच में भाग लेते हैं बल्कि उनकी बहुमुखी प्रतिभा का भी विकास होता है ।कार्यक्रम में सभी का स्वागत डॉक्टर संजय सक्सेना संयोजक सांस्कृतिक समिति द्वारा किया गया। उक्त कार्यक्रम का संचालन नागेंद्र प्रताप सिंह एवं कावेरी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में कॉलेज के प्राचार्य द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर प्रोत्साहित किया। गया कार्यक्रम का अंत प्रोफेसर मीत कमल सह संयोजक सांस्कृतिक समिति द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से किया गया । उक्त कार्यक्रम के अवसर पर महाविद्यालय के सभी शिक्षक गण एवं बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित रहे।

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पत्रकारिता में विश्वास बहाल करना: नैतिक पत्रकारों की जिम्मेदारी!

पत्रकारिता, जिसे अक्सर चौथी संपत्ति के रूप में जाना जाता है, सूचना प्रसारित करने, सच्चाई को उजागर करने और सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेह बनाकर दुनिया भर के लोकतंत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालाँकि, इस महान पेशे की प्रतिष्ठा हाल के दिनों में कुछ बिकाऊ पत्रकारों के कार्यों के कारण धूमिल हुई है, जो ईमानदारी पर सनसनीज को प्राथमिकता देते हैं। इस चुनौती से पार पाने और जनता का विश्वास बहाल करने के लिए, नैतिक पत्रकारों को पत्रकारिता के सार को कमजोर करने वालों के खिलाफ खड़े होने की पहल करनी चाहिए। नैतिक प्रथाओं को सक्रिय रूप से बढ़ावा देकर, वे पूरे पेशे की विश्वसनीयता की रक्षा कर सकते हैं।

सनसनीखेज और अनैतिक पत्रकारिता:

डिजिटल मीडिया और 24/7 समाचार चक्र के युग में, सनसनीखेज और क्लिकबेट रणनीति प्रचलित हो गई है। कुछ पत्रकार तथ्य-जाँच और गहन रिपोर्टिंग के बजाय आकर्षक सुर्खियाँ बनाने और दर्शकों को आकर्षित करने को प्राथमिकता देते हैं। यह दृष्टिकोण न केवल जनता को गुमराह करता है बल्कि समग्र रूप से पत्रकारिता में विश्वास को भी ख़त्म करता है।

अनैतिक प्रथाएँ, जैसे मनगढ़ंत कहानियाँ, पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग और भुगतान की गई सामग्री, समस्या को और बढ़ा देती हैं। ये कार्रवाइयां न केवल पत्रकारिता की अखंडता को कमजोर करती हैं बल्कि सूचना के भरोसेमंद स्रोत के रूप में कार्य करने की पत्रकारों की क्षमता को भी कम करती हैं।

पत्रकारों की भूमिका:

नैतिक पत्रकार सत्य और निष्पक्षता के संरक्षक होते हैं। उन्हें पत्रकारिता के मूल मूल्यों को बनाए रखने में आगे आना चाहिए और अपने साथियों के लिए रोल मॉडल के रूप में कार्य करना चाहिए। सटीक रिपोर्टिंग, संतुलित कवरेज और पेशेवर मानकों के पालन के लिए प्रतिबद्ध होकर, नैतिक पत्रकार खोए हुए विश्वास को फिर से बनाने में मदद कर सकते हैं।

  1. तथ्य-जांच और सत्यापन पर जोर देना:

नैतिक पत्रकार गति से अधिक सटीकता को प्राथमिकता देते हैं। उन्हें जनता तक जानकारी प्रसारित करने से पहले कई स्रोतों से जानकारी सत्यापित करनी होगी। तथ्य-जाँच न केवल पत्रकार की विश्वसनीयता की रक्षा करती है बल्कि दर्शकों को गलत सूचना से भी बचाती है।

  1. सनसनीखेज और क्लिकबेट से बचना:

जिम्मेदार पत्रकार सनसनीखेज और क्लिकबेट हेडलाइन के प्रलोभन का विरोध करते हैं। वे ठोस और सार्थक सामग्री प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो जनता की निष्पक्ष जानकारी की आवश्यकता को पूरा करती है।

  1. पारदर्शिता और जवाबदेही:

नैतिक पत्रकार अपने स्रोतों, कार्यप्रणाली और हितों के संभावित टकराव के बारे में पारदर्शी होते हैं। वे प्रतिक्रिया और सुधारों का स्वागत करते हैं, यह स्वीकार करते हुए कि कोई भी अचूक नहीं है।

  1. साथियों को जवाबदेह बनाना:

अपने स्तर की समस्या का समाधान करने के लिए, नैतिक पत्रकारों को अपने साथी पेशेवरों को जवाबदेह ठहराने से नहीं कतराना चाहिए। पत्रकारिता समुदाय के भीतर रचनात्मक आलोचना और चर्चाएं सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं और जिम्मेदार रिपोर्टिंग के महत्व को सुदृढ़ कर सकती हैं।

मीडिया संगठनों का महत्व:

मीडिया संगठन नैतिक पत्रकारिता की संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें सभी स्तरों पर पत्रकारिता की अखंडता को बढ़ावा देते हुए अपने कर्मचारियों के लिए सख्त आचार संहिता बनानी और लागू करनी चाहिए। न्यूज़रूम में विविधता को प्रोत्साहित करने से व्यापक परिप्रेक्ष्य और अधिक संतुलित रिपोर्टिंग हो सकती है।

आज पत्रकारिता के सामने आने वाली चुनौतियों के लिए इस पेशे की प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करने के लिए नैतिक पत्रकारों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। पारदर्शिता, सटीकता और निष्पक्ष रिपोर्टिंग को सक्रिय रूप से बढ़ावा देकर, वे जनता का विश्वास बहाल कर सकते हैं और सनसनीखेज और अनैतिक प्रथाओं के नकारात्मक प्रभाव का मुकाबला कर सकते हैं। इसके अलावा, मीडिया संगठनों को मजबूत आंतरिक जांच और संतुलन लागू करके नैतिक पत्रकारिता का समर्थन करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

अंततः, सत्य के समर्थक और सत्यनिष्ठा के संरक्षक बनने की जिम्मेदारी स्वयं पत्रकारों की है। केवल नैतिक पत्रकारिता के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता के माध्यम से ही यह पेशा लोकतंत्र की आधारशिला और जनता के लिए विश्वसनीय जानकारी के अमूल्य स्रोत के रूप में अपना दर्जा फिर से हासिल कर सकता है।

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नई पीढ़ी को सिखाएं नारी जगत का सम्मान करना तो वो चरित्रवान बनेगी: संजय वर्मा

इटावा, भारतीय स्वरूप संवाददाता। जीवन प्रतिपल कुछ न कुछ सीखने का अवसर लेकर आता है, ज्ञान प्राप्त करने के लिए वृक्ष की तरह झुकना सीखिए। ढूंढनी है मंजिल अगर, तो अपना रहनुमा खुद ही बन,जिन्होंने तलाशा सहारा, वे मझधार में ही रह गए। महोपाध्याय डॉक्टर विद्या कांत तिवारी जी के अभिनंदन समारोह में आ कर में खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं। इनका ज्ञान और सानिध्य जिसे मिल जाए उसका जीवन तो धन्य हो ही जायेगा।
यह उदगार एस एस पी संजय वर्मा ने श्शकर धर्मार्थ नेत्र चिकित्सालय में ख्याति लब्ध शिक्षाविद डॉक्टर विद्या कांत तिवारी को प्रयाग हिंदी साहित्य सम्मेलन में साहित्य महोपाध्याय की उपाधि से विभूषित किए जाने की कृतज्ञता स्वरूप आयोजित सार्वजनिक अभिनंदन समारोह में मुख्य अतिथि पद से व्यक्त किए।
सामाजिक सुधारक, आध्यात्मिक, शैक्षिक प्रोत्साहनकर्ता के रूप में उनके जोशीले अंदाज़ ने समा बांध दिया। धन पिपासु गुरु के त्याग को आवश्यक बताते हुए उनका कहना था कि सामने वाले के मूल्यांकन के बिना सही दिशा और सत्य सत्संग संभव नहीं है। ज्ञान हीन व्यक्ति के कुसंग से संस्कारों और व्यक्तित्व का क्षरण ही होगा जबकि ज्ञानवान का सत्संग आपको निखार देगा।। उनका कहना था कि नारी के धैर्य, त्याग, तपस्या जैसे सद्गुण अगर पुरुष में आ जाएं तो वह महात्मा बन जायेगा। नारी जगत का सम्मान नई पीढ़ी को सिखाए तो वे चरित्रवान बनेंगे। लड़कियां फेसबुक इंस्टाग्राम के फर्जी फोटो वालों के चक्कर में अपने जीवन को तबाह न करें और अपने परिजनों की सलाह का सम्मान करें तो ही कल्याण और प्रगति संभव है। अपने मां बाप का सम्मान न करने वाली नस्लें धिक्कारे जाने योग्य ही हैं।
उनका कहना था कि यही सत्य है कि जन्म से सभी शुद्र होते हैं,संस्कारों से ब्राह्मण बनना संभव होता है। गुरु जी के पास बैठ कर ज्ञानार्जन ही उपनिषद कहलाता है। ज्ञान की सीमाओं का परिमार्जन, शुद्धिकरण करने से गुणों के आधार पर व्यक्तित्व का निर्माण तभी संभव है जब श्रेष्ठ बनने की उत्कट इच्छाशक्ति हो।
आयोजन को अविस्मरणीय पवित्र बताते हुए उनका वक्ता भाव लगातार बोलते रहने को हिलोरे मारता रहा।तमाम निषेधों, नसीहतों पर विस्तार पूर्वक चर्चा में उनका कठोर प्रशासक का पुलिसिया स्वरूप भी उद्घाटित होता रहा।

अपने अविस्मरणीय सम्मान अविभूत डॉक्टर विद्या कांत तिवारी ने इटावा वासियों के स्नेह अतुलनीय सम्मान, सहयोग और अतिशय आदर भावना को अपने जीवन की अमूल्य पूंजी बताते हुए कहा कि इसे भुला पाना संभव नहीं है और कहा कि वे जब पचपन वर्ष पूर्व यहां आए तो कोई अपना नही था, यहां के विशालमना महानुभावों ने सहारा दिया और महाकवि तुलसी के शब्दों में बांह गहे की लाज रखी।

जिसके कारण ही अपने कर्तव्य पथ पर गुरु धर्म के निर्वाह में असीम आनंद भरपूर संतुष्टि और अकल्पनीय यश कीर्ति प्राप्त हो सकी। मेरे समर्पण भाव का मूल्यांकन करने वाले आप सब मनीषी जनों की महानता को प्रणाम करना ही धर्म है।सभी के प्रति आजन्म श्रेणी और कृतज्ञ रहने की योग्यता विकसित करने में सफल होऊ, यही आकांक्षा है। सेवा निवर्ति के पन्द्रह वर्ष बाद भी आप सब ने याद रखा,असीम आत्म बल प्रदान किया। यह आप सब की महानता का ही घोतक हैजिसे विस्मृत किया जाना प्रबुद्ध सम्मान के लिए संभव नहीं होगा।
एस एस पी की विदुषी सह धर्मिनी नीलम रॉय वर्मा ने आध्यात्मिक प्रवचन कर्ता की भूमिका से अति विशिष्ट श्रोताओं को मंत्रमुग्ध और आह्लादित कर दिया। भगवान राम, कृष्ण के प्रसंगों समेत दिनकर जी की कविता और हरिवंश राय बच्चन जी कविताओं से मन मोह लिया। महिलाओं से आत्मीयता प्रदर्शित कर वे उनके दिलों पर छा गईं। पति पत्नी ने तालियां बजा कर परस्पर खूब प्रोत्साहित किया। दौनो का विद्वता पूर्ण खिलंदड़ स्वभाव मनीषियों की सभा को खिलखिलाने को विवश करता रहा।
प्रसिद्ध कवि कमलेश शर्मा की राष्ट्र चर्चित कविताष्राम हुए हैं- कितने और प्रमाण देंष् से भावुक श्रोताओं ने उन पर खूब प्यार लुटाया। उनका कहना था कि साहित्यिक क्षेत्र का इतना विशाल व्यक्तित्व हम सबको इतने सहज और सरल भाव में उपलब्ध है यह हम सब का सौभाग्य ही है। उनका सम्मान हम सबका गौरव है, सम्मान प्रदाताओं के प्रति हम कृतज्ञ हैं।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे भारत विकास परिषद के पांचाल प्रांत अध्यक्ष डॉक्टर रमेश चंद्र शुक्ला (औरैया) का समीक्षात्मक उद्बोधन प्रेरणा दायक रहा। उनकी कविता और पुलिस कप्तान दंपत्ति पर टिप्पणी उत्साह वर्धक रही।मंचासीन प्रसिद्ध कहानीकार प्रो दिनेश पालीवाल अपने अनुजवत तिवारी जी के सम्मान पर आत्म विभोर नज़र आए।
समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन, माल्यार्पण, सम्मान, गणेश ज्ञानार्थी की गणेश वंदना, सुधीर मिश्र वा अपर्णा मिश्र की सरस्वती वंदना, वंदे मातरम गीत से हुआ। समापन अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर विभू दीक्षित के आभार प्रदर्शन के बाद राष्ट्र गान से हुआ। चौधरी चरण सिंह महा विद्यालय हेवरा के यशस्वी प्राचार्य डॉक्टर शैलेंद्र शर्मा का विशिष्ट संचालन प्रशंसित रहा। पत्रकार सुधीर मिश्र ने अतिथियों का परिचय कराया। इसी अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष विद्या कांत तिवारी और मंत्री राजेंद्र दीक्षित को जन्म दिन पर आत्मिक बधाई देते हुए माल्यार्पण किया गया।
इस अवसर पर प्राचार्य महेश चंद्र तिवारी ने अभिनंदन ग्रंथ का वाचन किया गया। वरिष्ठ नागरिक पेंशनर सेवा संस्थान के कौशल चतुर्वेदी, गोपाल कल्याण वृंद के नारायण किशोर बाजपेई, राधा माधव संकीर्तन के राकेश पाठक, भारत विकास परिषद धर्मार्थ सेवा शाखा के के के त्रिपाठी, प्राचार्य महेश तिवारी, चौधरी रघुराज सिंह स्मारक संस्थान की ममता चौधरी, निशा चौधरी, शंकर दयाल दीक्षित स्मारक संस्थान की ओर से श्री मती सर्वेश दीक्षित, उद्योग व्यापार मंडल के अनंत अग्रवाल एवम आर एस एस के विभाग सर कार्यवाह विनोद चंद्र पाण्डेय आदि तमाम विशिष्ट जनों ने सम्मान भेंट प्रदान की।

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मेडिकल स्टोर संचालक पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप

महराजगंज रायबरेली, भारतीय स्वरूप संवाददाता कोतवाली क्षेत्र के अजीजगंज मजरे बावन बुजुर्ग बल्ला निवासी 7 वर्षीय मासूम को बुखार की शिकायत थी, परिजनों ने थूलवासां चौराहे पर मेडिकल स्टोर संचालक के पास दवा के लिए ले गए। परिजनों का आरोप है कि मेडिकल स्टोर संचालक वीरेन्द्र यादव द्वारा उनके बच्चे को गलत इंजेक्शन लगा दिया गया, जिससे मासूम की हालत बिगड़ने लगी आनन फानन में उसे जिला चिकित्सालय ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं मेडिकल स्टोर संचालक की लापरवाही से मासूम की जान चली गई। परिजनों द्वारा पूरी घटना की लिखित शिकायत कोतवाली पुलिस को दी गई और कार्यवाही की मांग की गई है। महराजगंज कोतवाली पुलिस जांच कर कार्यवाही करने की बात कर रही है।
गौरतलब हो कि जनपद का स्वास्थ्य विभाग झोलाछाप, अवैध हॉस्पिटल को लगातार बढ़ावा दे रहा है। जांच के नाम पर सिर्फ नोटिस थमा दी जाती है और फिर सबकुछ पहले जैसा ही चलता है। अधिकांश मेडिकल स्टोर की आड़ में संचालक इंजेक्शन लगाते हुए और इलाज करते दिखते हैं। ऐसे ही अमावां व महराजगंज क्षेत्र में अवैध हॉस्पिटल व झोलाछाप डाक्टरों की भरमार है और लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे है और जिम्मेदार अधिकारी यह सब होते हुए देखकर तमाशा देख रहे है।

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ग्रामीणों को करना पड़ा अनशन, 75 वर्षों से गांव में नहीं पहुंची पक्की सड़क

रायबरेली, भारतीय स्वरूप संवाददाता, देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है किन्तु 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी कई गांवों में पक्की सड़क भी नहीं पहुंची है। आक्रोशित ग्रामीणों बीते कई दिनों से पक्की सड़क निर्माण की मांग को लेकर अनिश्चित कालीन अनशन जारी कर रखा है।

विकासखंड क्षेत्र स्थित हुसैनगंज मजरे पाराखुर्द से पुरासी वाया मोहनगंज व सुखलिया को जोड़ने वाले मार्ग का निर्माण आजादी से अब तक नहीं किया गया। करीब तीन किलोमीटर इस कच्चे रास्ते की नपाई तो पीडब्लूडी विभाग द्वारा कई बार कराई गई किन्तु नतीजा कागजों तक ही सीमित रहा।
मामले में उपजिलाधिकारी राजित राम गुप्ता के निर्देशन में धरना स्थल पर पहुंचे तहसीलदार ज्ञान प्रताप ने अनशन पर बैठे ग्रामीणों से एक सप्ताह का समय मांगा है। वहीं अनशन पर बैठे ग्रामीण ज़िम्मेदार विभाग और उसके अधिकारियों के आने तक अनशन जारी रखने पर अड़े रहे। धरने के दूसरे दिन मंगलवार को भी हुसैनगंज चौराहे पर जनसमस्या को लेकर शुरू किए गए अनशन में सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण व क्षेत्रीय जन मौजूद रहे। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि तहसीलदार के द्वारा एक सप्ताह का समय मांगा गया है, उनके द्वारा आश्वासन मिलने पर जारी अनशन को रोक दिया गया, परंतु तय समय पर विभागीय अधिकारियों द्वारा सड़क निर्माण का कार्य नहीं शुरू कराया गया तो ग्रामीण पुनः अनशन करने पर विवश होंगे। गौरतलब यह है कि राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह द्वारा रायबरेली जिले के विभिन्न क्षेत्रों में ष्सेवा ही संकल्पष् पर आधारित पदयात्रा लगातार की जा रही है। इस दरमियान मंत्री ग्रामीणों से बात करते हैं, उनकी समस्याओं को सुनते हैं और प्रार्थना पत्र भी लेते हैं, जिस पर वह अधिकारियों के साथ बैठक करके समस्याओं का निस्तारण करने का आश्वासन भी देते हैं लेकिन क्या यह सब राजनीतिक फायदे के लिए हो रहा है या फिर जमीनी स्तर पर आम जनमानस की समस्याओं को जानने और हल करने का एक सही रास्ता है। यह तो तभी साफ होगा जब कुछ स्थितियां बदलेंगी, नए निर्माण होंगे और कुछ सुधार होगा। ग्रामीणों द्वारा मंत्री को दिए गए पत्रों का सही तरीके से निस्तारण होगा।
उल्लेखनीय है कि राज्यमंत्री जिलेभर में एक तरफ पदयात्रा कर रहे हैं और दूसरी तरफ महाराजगंज क्षेत्र के ग्रामीण कई दिनों से पक्की सड़क निर्माण के लिए अनशन पर बैठे रहे। हालांकि महराजगंज तहसीलदार ज्ञान प्रताप ग्रामीणों से एक हफ्ते का समय मांग कर ग्रामीणों को राजी तो कर लिया है,ग्रामीण अनशन छोड़ भी चुके हैं, लेकिन क्या हकीकत में ग्रामीणों की समस्या अब दूर हो जाएगी या फिर जैसा पिछले 75 वर्षों से चलता आया है, वैसा आगे भी चलता रहेगा और ग्रामीण पक्की सड़क के लिए भटकते रहेंगे। फिलहाल मंत्री की पदयात्रा की सफलता तो तब है कि जब वह इस तरह के अनशन में पहुंचकर ग्रामीणों की समस्या को सुने। उन्हें दिलाशा दें और उनका निस्तारण कराएं। जिससे कि उन्हें अपनी समस्या के लिए अनशन करने की बजाय सिर्फ अधिकारियों और मंत्री से गुहार लगाते ही समस्याओं का हल मिल जाए।

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देश भर में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के पूर्ण कवरेज के लिए आयुष्मान भव अभियान जारी

सेवा पखवाड़ा के तहत पूरे देश में 17 सितंबर से आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के पूर्ण कवरेज के लिए आयुष्मान भव अभियान चलाया जा रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ‘आयुष्मान भव’ अभियान का उद्घाटन किया। आयुष्मान भव अभियान का लक्ष्य देश भर में स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच और समावेशिता को फिर से परिभाषित करना है। सेवा पखवाड़ा का मुख्य उद्देश्य भौगोलिक बाधाओं को दूर करते हुए हर गांव और कस्बे तक व्यापक स्वास्थ्य देखभाल कवरेज का विस्तार करना है और यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी स्वास्थ्य सेवा का लाभ लेने से वंचित न रह जाए।

आयुष्मान भव अभियान के तहत 17 सितंबर 2023 से 30,000 से अधिक आयुष्मान मेले का आयोजन किया गया, जिनमें 19 सितंबर, 2023 तक 2.5 लाख से अधिक मरीज आए। नीचे 17 सितंबर 2023 से संकेतकों और आयुष्मान मेलों के लाभार्थियों की एक व्यापक सूची है:

नीचे दी गई तालिकाएँ आयुष्मान भव के तहत आयुष्मान मेलों की उपलब्धियों पर प्रकाश डालती हैं:

आयुष्मान भव अभियान के तहत, पिछले 3 दिनों में ही 2.5 लाख से अधिक आभा पहचान पत्र बनाए गए। इस दौरान 10 लाख से अधिक लोगों को मुफ्त दवाएं दी गईं और 8 लाख से अधिक लोगों को मुफ्त निदान सेवाएं प्राप्त हुई हैं। सेवा पखवाड़ा का उद्देश्य आयुष्मान कार्ड वितरित करना, आभा पहचान पत्र बनाना और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य योजनाओं तथा तपेदिक (निक्षय मित्र), सिकल सेल रोग जैसे गैर-संचारी रोगों के साथ ही रक्त दान और अंग दान अभियानों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

सेवा पखवाड़ा के तहत प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेने के लिए नागरिकों को अपने निकटतम स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों पर जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

क्र.सं. संकेतक 17 सितंबर से संचयी रिपोर्ट
1 कुल स्वास्थ्य मेला 2,271
2 पंजीकृत मरीजों की संख्या 2,64,042
क्र.सं. संकेतक 17 सितंबर से लाभ प्राप्त करने वाले लोगों की कुल संख्या
1 सामान्य ओपीडी से परामर्श लेने वाले मरीजों की संख्या 1,98,835
2 विशेषज्ञ ओपीडी से परामर्श लेने वाले मरीजों की संख्या 80,601
3 बड़ी सर्जरी 870
4 छोटी-मोटी सर्जरी 2,376
5 उच्च रक्तचाप का निदान 27,067
6 मधुमेह का निदान 23,594
7 मुँह के कैंसर की जाँच/निदान 3,597
8 स्तन कैंसर की जांच/निदान 2,089
9 सर्वाइकल कैंसर की जांच/निदान 1,602
10 मोतियाबिंद का निदान 4,884
11 आरसीएच सेवाओं का लाभ 23,191
12 प्रयोगशाला परीक्षण 1,03,212
13 रेफर मामला 5,519

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जुलाई, 2023 के महीने में 19.88 लाख नए श्रमिकों ने ईएसआई योजना के तहत नामांकन किया

ईएसआईसी के अनंतिम पेरोल डेटा से पता चलता है कि जुलाई, 2023 के महीने में 19.88 लाख नए कर्मचारी जोड़े गए हैं।

जुलाई, 2023 के महीने में लगभग 27,870 नए प्रतिष्ठानों का पंजीयन किया गया है और इन्हें कर्मचारी राज्य बीमा निगम की सामाजिक सुरक्षा के आंतर्गत लाया गया है, इससे इनका और ज्यादा कवरेज सुनिश्चित हुआ है।

इन आकड़ो से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि देश के युवाओं के लिए अधिक नौकरियाँ पैदा हुई हैं, क्योंकि जुलाई महीने के दौरान जोड़े गए कुल 19.88 लाख कर्मचारियों में से 25 वर्ष की आयु वर्ग तक के 9.54 लाख कर्मचारी नए पंजीकरणों में सबसे ज्यादा हैं और यह कुल कर्मचारियों का 47.9 प्रतिशत है।

पेरोल आकड़े के लिंग-वार विश्लेषण से पता चलता है कि जुलाई, 2023 में महिला सदस्यों का शुद्ध नामांकन 3.82 लाख रहा है। ये आकड़े दिखाते हैं कि जुलाई, 2023 के महीने में कुल 52 ट्रांसजेंडर कर्मचारियों ने भी ईएसआई योजना के तहत पंजीकरण कराया है। यह इस बात को  दर्शाता है कि ईएसआईसी इसका लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

पेरोल आकड़ा अनंतिम है, क्योंकि आकड़ा सृजन एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।

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