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26-29 फरवरी, 2024 तक केंद्र एक वैश्विक मेगा कपड़ा कार्यक्रम ‘भारत टेक्स’ 2024 का आयोजन करेगा

भारत टेक्स 2024 एक वैश्विक मेगा कपड़ा कार्यक्रम है जो 11 कपड़ा निर्यात संवर्धन परिषदों के संघ द्वारा आयोजित किया जा रहा है और कपड़ा मंत्रालय द्वारा समर्थित है। यह नई दिल्ली में 26-29 फरवरी, 2024 तक निर्धारित है। स्थिरता और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं पर ध्यान देने के साथ, यह कपड़ा जगत के सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली लोगों को आकर्षित करने वाली परंपरा और प्रौद्योगिकी का एक ‘टेपेस्ट्री’ साबित होने का वादा करता है। इसमें स्थिरता और पुनर्चक्रण पर समर्पित मंडप, लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और डिजिटलीकरण पर विषयगत चर्चा, इंटरैक्टिव फैब्रिक परीक्षण क्षेत्र, उत्पाद प्रदर्शन और शिल्पकारों द्वारा मास्टर-क्लास और वैश्विक ब्रांडों और अंतरराष्ट्रीय डिजाइनरों से जुड़े कार्यक्रम शामिल होंगे। भारत टेक्स 2024 ज्ञान, व्यवसाय और नेटवर्किंग के लिए एक अनूठा अनुभव होगा। इस मेगा इवेंट में लगभग 20 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में फैली एक प्रदर्शनी होगी जिसमें परिधान, घरेलू सामान, फर्श कवरिंग, फाइबर, यार्न, धागे, कपड़े, कालीन, रेशम, कपड़ा आधारित हस्तशिल्प, तकनीकी कपड़ा और बहुत कुछ प्रदर्शित किया जाएगा। इसमें लगभग 50 अलग-अलग ज्ञान सत्र भी होंगे जो ज्ञान के आदान-प्रदान, सूचना प्रसार और सरकार से सरकार और व्यवसाय से व्यवसाय के बीच बातचीत के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करेंगे।

क्षेत्र में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं सहित कपड़ा मूल्य श्रृंखला को प्रभावित करने वाले विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों का आकलन/पता लगाने के लिए समय-समय पर अध्ययन आयोजित किए जाते हैं। ऐसा ही एक मूल्यांकन तकनीकी कपड़ा पर नीति आयोग के सदस्य की अध्यक्षता वाली एक तकनीकी समिति द्वारा किया गया था। अपनी रिपोर्ट में, सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं से ज्ञान लेते हुए, समिति ने तकनीकी वस्त्रों के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और अनुसंधान गतिविधियों पर एक विस्तृत रोडमैप पेश किया। इसके बाद, हितधारकों के साथ उचित परामर्श के बाद, अनुसंधान और नवाचार और विशेष फाइबर के स्वदेशी विकास; उपयोगकर्ताओं के बीच जागरूकता को बढ़ावा देने; तकनीकी वस्त्रों के भारत के निर्यात को बढ़ाने; और अपेक्षित कौशल वाले मानव संसाधन तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन (एनटीटीएम) तैयार किया गया।

कपड़ा आपूर्ति श्रृंखला में हरित पहल का समर्थन करने के उद्देश्य से, मंत्रालय 2013 से एकीकृत प्रसंस्करण विकास योजना (आईपीडीएस) लागू कर रहा है, ताकि कपड़ा उद्योग को अपशिष्ट जल और कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में आवश्यक पर्यावरणीय और सामाजिक मानकों को पूरा करने में सुविधा मिल सके। यह योजना प्रसंस्करण समूहों में सामान्य प्रवाह उपचार संयंत्रों (सीईटीपी) का समर्थन करती है। इस योजना के तहत अब तक मंत्रालय द्वारा 6 परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है।

इसके अलावा, कपड़ा मंत्रालय द्वारा कपड़ा और परिधान उद्योग के विभिन्न हितधारकों को एक मंच प्रदान करने के लिए एक पर्यावरण सामाजिक प्रशासन कार्य बल का गठन किया गया है ताकि स्थिरता के मुद्दों पर वर्तमान स्थिति और कपड़ा एवं परिधान उद्योग को एक टिकाऊ और संसाधन-कुशल उत्पादन प्रणाली वाले उद्योग में परिवर्तित करने के मुद्दों पर चर्चा की जा सके।

यह जानकारी केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना जरदोश ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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उपभोक्ता मामलों का  विभाग “जागो ग्राहक जागो” शीर्षक से देशव्यापी मल्टीमीडिया जागरूकता अभियान चला रहा है

उपभोक्ता मामलों का विभाग “जागो ग्राहक जागो” नामक देशव्यापी मल्टीमीडिया जागरूकता अभियान चला रहा है। सरल संदेशों के माध्यम से, उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी या समस्याओं और निवारण के तंत्र से अवगत कराया जाता है। ये अभियान प्रिंट मीडिया, टीवी, रेडियो, सिनेमा थिएटरों, वेबसाइटों, होर्डिंग/ डिस्प्ले बोर्ड आदि के माध्यम से चलाए जाते हैं।

ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में जागरूकता उत्न्न करने के लिए, विभाग इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए विभिन्न राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेश के महत्वपूर्ण मेलों/उत्सवों/कार्यक्रमों में हिस्सा लेता है कि ऐसे मेलों/उत्सवों/आयोजनों में ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। विभाग स्थानीय विषय-वस्तु के साथ उपभोक्ता जागरूकता क्रियाकलाप चलाने के लिए राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता अनुदान भी जारी करता है। विभाग स्थानीय विषय-वस्तु के साथ उपभोक्ता जागरूकता कार्य करने के लिए राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता अनुदान भी प्रदान करता है।

इसके अलावा, विभाग उपभोक्ता अधिकारों और निवारण तंत्रों पर रचनात्मक/ कैप्शन के माध्यम से उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता उत्पन्न करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करता है। डिजिटल सोशल मीडिया चैनलों को व्यावसायिक रूप से प्रबंधित किया जाता है और उपभोक्ता जागरूकता और उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रासंगिक रचनात्मक सामग्री विभाग के सोशल मीडिया चैनलों में पोस्ट डाली जाती है।

विभाग द्वारा उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने और उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए एक शुभंकर “जागृति” भी शुरू किया गया है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अंतर्गत, उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा और उपभोक्ता विवादों का निवारण सुविधाजनक और त्वरित करने के लिए जिला स्तर (जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग), राज्य स्तर (राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग) और राष्ट्रीय स्तर (राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग) पर तीन स्तरीय अर्ध-न्यायिक तंत्र, जिसे आमतौर पर ‘उपभोक्ता आयोग’ भी कहा जाता है, स्थापित किया गया है। उपभोक्ता आयोगों को विशिष्ट तरह का राहत प्रदान करने और उपभोक्ताओं को जहां भी उचित हो, मुआवजा देने का अधिकार है।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के अंतर्गत उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन, अनुचित व्यापार प्रथाओं और जनता और उपभोक्ता हितों को नुकसान पहुंचाने वाले झूठे या भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों को विनियमित करने के लिए की गई है।

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने उपभोक्ताओं की शिकायतों का समाधान करने के लिए एक राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) भी स्थापित की है। उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा जागरूकता उत्पन्न करने, सलाह देने और उपभोक्ता शिकायतों का निवारण करने और उपभोक्ता शिकायतों को दर्ज करने के लिए एक केंद्रीय रजिस्ट्री के रूप में कार्य करने के लिए वेबसाइट – www.consumerhelpline.gov.in शुरू की गई है। अभिसरण मॉडल के अंतर्गत, जो अदालत के बाहर विवाद निवारण तंत्र है, एनसीएच उन कंपनियों के साथ साझेदारी करता है जिनके पास कुशल उपभोक्ता शिकायत समाधान के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण है। एनसीएच में प्राप्त शिकायतों और उनसे संबंधित शिकायतों को प्रस्तुत करते ही एनसीएच अभिसरण कंपनी के साथ तुरंत अनुवर्ती कार्रवाई करता है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 38 (7) में कहा गया है कि प्रत्येक शिकायत का यथासंभव शीघ्रता से निपटारा किया जाएगा और शिकायत पर निर्णय विरोधी पक्ष द्वारा नोटिस प्राप्त होने की तारीख से तीन महीने की अवधि के अंदर किया जाएगा, जहां शिकायत को वस्तुओं के विश्लेषण या परीक्षण की आवश्यकता नहीं है और वस्तुओं का विश्लेषण या परीक्षण करने की आवश्यकता होने पर इसका निपटारा पांच महीने के अंदर किया जाएगा।

2022 के दौरान, निपटाए गए उपभोक्ता मामलों की संख्या दर्ज किए गए मामलों की संख्या से अधिक रही है।

केंद्र सरकार उपभोक्ता आयोगों की अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए ‘उपभोक्ता आयोगों का सुदृढ़ीकरण’ नामक योजना के अंतर्गत राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है जिससे प्रत्येक उपभोक्ता आयोग में न्यूनतम स्तर की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें।

वित्तीय सहायता, जिला आयोग भवन के लिए 5000 वर्ग फुट तक और राज्य आयोग भवन के लिए 11000 वर्ग फुट तक निर्माण क्षेत्र प्रदान की जाती है, जिसमें दोनों मामलों में मध्यस्थता सेल के निर्माण के लिए 1000 वर्ग फुट शामिल है।

राज्य आयोग के संबंध में 25 लाख रुपये और जिला आयोग के संबंध में 10 लाख रुपये की समग्र लागत सीमा के अंतर्गत फर्नीचर, कंप्यूटर, कार्यालय उपकरण, पुस्तकालय के लिए पुस्तकें आदि की खरीद के लिए गैर-भवन परिसंपत्तियों के लिए भी सहायता प्रदान की जाती है।

उपभोक्ता मामले विभाग देश में सभी उपभोक्ता आयोगों को पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत करने के लिए देश में उपभोक्ता आयोगों का कम्प्यूटरीकरण और कम्प्यूटर नेटवर्किंग (कॉनफोनेट) नामक एक योजना भी चला रहा है जिससे सूचना तक पहुंच और मामलों का त्वरित निपटारा किया जा सके। इस योजना के अंतर्गत उपभोक्ता आयोगों को हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और तकनीकी जनशक्ति प्रदान की जाती है।

उपभोक्ता आयोग ने उपभोक्ताओं/अधिवक्ताओं को ई-दाखिल पोर्टल के माध्यम से घर से या कहीं से भी ऑनलाइन उपभोक्ता शिकायतें दर्ज करने की सुविधा प्रदान करने के लिए “edaakhil.nic.in” नामक एक ऑनलाइन आवेदन पोर्टल विकसित किया है। ई-दाखिल देश के 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में परिचालित हो रहा है।

यह जानकारी केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री, श्री अश्विनी कुमार चौबे ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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एस एन सेन बालिका महाविद्यालय में भारतरत्न भीमराव अंबेडकर का निर्वाण दिवस आयोजित

कानपुर 6 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता,एस एन सेन बालिका महाविद्यालय में भारतरत्न भीमराव अंबेडकर(जन्म-14 अप्रैल, 1891- निर्वाण-06 दिसंबर, 1956) का महापरिनिर्वाण दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर बाबा साहेब को श्रद्धांजली देने के क्रम में महाविद्यालय की प्राचार्या, शिक्षक-शिक्षणेत्तर कर्मचारियों, व महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण, दीप प्रज्ज्वलन, व पुष्प अर्पित किया गया।
कॉलेज की प्राचार्या प्रोफेसर (डॉ) सुमन ने बाबा साहेब को श्रद्धांजली देते हुए कहा कि बाबा साहेब के लिए राष्ट्र प्रथम था। बाबा साहेब ने अपना जीवन जातिगत भेदभाव, धार्मिक कट्टरता के खिलाफ, तथा महिलाओं को उनका मूलभूत मानवीय अधिकार दिलाने हेतु अपना जीवन समर्पित कर दिया और अंतत संविधान में विभिन्न अनुच्छेदों के माध्यम से, कानून-अधिनियम के माध्यम से सभी वंचित वर्गो को समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार दिलाया।
कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय की एनएसएस यूनिट की प्रभारी प्रोफ़ेसर डॉ चित्रा सिंह तोमर द्वारा किया गया।
एनसीसी प्रभारी डॉ प्रीति यादव द्वारा बाबा साहेब के प्रारंभिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए छात्राओं को सन्देश दिया कि कठिन से कठिन परिस्थिति होने पर भी यदि दृढ़ इच्छाशक्ति व साहस हो तो व्यक्ति कोई भी लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं है।
एनएसएस प्रभारी प्रोफेसर चित्रा सिंह तोमर ने बाबा साहेब द्वारा समाज कल्याण हेतु किए गए कार्यों एवं सामाजिक न्याय, समानता, महिलाओं के अधिकार हेतु किए गए कार्यों पर चर्चा की।
रेंजर्स प्रभारी प्रीती पांडेय ने अपने उद्बोधन में बताया कि बाबा साहेब अपने जीवन के अंतिम दिनों में किस प्रकार तमाम स्वास्थ्य कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित रहें व समाज कल्याण के विभिन्न कार्यों में सक्रिय रहे। बाबा साहेब के जीवन से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए तथा राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए।

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लघु एवं मझोले वर्ग के समाचारपत्रों का बंद हो उत्पीड़न ~केशव दत्त चंदोला

👉 लघु एवं मझोले वर्ग के समाचारपत्रों का उत्पीड़न रोकने की उठी मांग
👉 विज्ञापन नीति की खामियों को दूर करने की उठी मांग
👉 आर. एन. आई. व सी. बी. सी. की कार्यशैली की हुई निन्दा
वेरावल (सोमनाथ), गुजरात। एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इण्डिया की राष्ट्रीय परिषद की बैठक माहेश्वरी भवन के निकट स्थित टी. एफ. सी. सभागार में आयोजित की गई। बैठक का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात गुजरात इकाई अध्यक्ष मयूर बोरीचा व अन्य पदाधिकारियों ने बैठक में शामिल होने वाले सदस्यों व मंचासीन पदाधिकारी गणों का सम्मान किया। इसी दौरान सोमनाथ ट्रस्ट के प्रबंधक ने मंचासीन पदाधिकारियों का सम्मान किया।
बैठक में गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों की इकाइयों के अध्यक्ष व पदाधिकारी शामिल हुए और अपने अपने राज्यों से प्रकाशित होने वाले समाचारपत्र / पत्रिकाओं के समक्ष आने वाली समस्याओं से अवगत कराया और उनका निराकरण करवाने की मांग रखी।
बैठक में सी. बी. सी. , आर. एन. आई. की कार्यशैली की आलोचना करते हुए कहा गया कि इनके द्वारा आये दिन ऐसे नियम थोपे जा रहे हैं जिसके कारण लघु एवं मझोले वर्ग का विकास दर प्रभावित हो रहा है और प्रकाशक परेशान हो रहे हैं। कुछ राज्यों में सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग की कार्यशैली की आलोचना की गई और बताया गया कि स्थानीय स्तर पर परेशान किया जा रहा जा है।
अनेक राज्यों से शामिल हुए सदस्यों द्वारा दी गई जानकारी के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव दत्त चंदोला ने कहा कि एसोसिएशन की इकाइयां अपने अपने राज्यों की समस्याओं को लिखित रूप से भेजें जिससे कि उन्हें सम्बन्धित विभाग अथवा मंत्रालय को भेज कर उनका निराकरण करवाने का प्रयास किया जा सके। इस दौरान श्री चंदोला ने कहा कि सरकारी मशीनरी जिस तरह से छोटे व मझोले वर्ग के अखबारों को परेशान कर रही है वह बहुत ही निंदनीय है और उसे कतई स्वीकार्य नहीं है। यह भी कहा कि सभी राज्य नियमित बैठक करें और अखबारों की समस्याओं को भेजें।
बैठक को राष्ट्रीय महासचिव शंकर कतीरा, राष्ट्रीय सचिव ड्रॉ0 अनन्त शर्मा व प्रवीण पाटिल, उप्र राज्य इकाई के अध्यक्ष व भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य श्याम सिंह पंवार, गुलाब सिंह भाटी, दीपक भाई ठक्कर ने सम्बोधित कर अखबारों की समस्याओं को उठाया। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल व्यस्तता के चलते बैठक में शामिल नहीं हो पाये, अतएव उन्होंने पत्र भेजकर बैठक के सफल आयोजन की शुभकामनाएं पत्र के माध्यम से प्रेषित की।
बैठक में गुजरात, उप्र, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, उत्तराखंड, राजस्थान से प्रकाशित होने वाले अनेक समाचारपत्रों के प्रकाशक गण मौजूद रहे।

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कानपुर का लाल ऑस्ट्रेलिया में समान्नित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, गुरुद्वारा पाण्डु नगर के पूर्व प्रधान सरदार सुरिंदर सिंह तलवार के छोटे सुपुत्र बलजीत सिंह तलवार को ऑस्ट्रेलिया के महामहिम गवर्नर जनरल डेविड हर्ले व लिंडा मेडल हर्ले द्वारा सम्मानित किया गया राष्ट्रपति व प्रधान मंत्री के समक्ष ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर जनरल द्वारा ब्रेवरी ट्रस्ट के माध्यम से सैनिकों व उनके परिवार के शारीरिक वित्तीय या मानसिक सहायता हेतु जागरूकता तथा धन जुटाने हेतु ताज व पदक देकर सम्मानित किया गया। सरदार सुरिंदर सिंह के बड़े पुत्र प्रतिपाल सिंह अपने पिता के साथ रह के यहां पैत्रक कारोबार देख रहे हैं जबकी बलजीत सिंह तलवार ऑस्ट्रेलिया में अपने कुटुम्ब के साथ निवास कर रहे हैं।

कानपुर शहर के इस लाल ने ऑस्ट्रेलिया में सम्मानित हो के अपने देश भारत और कानपुर शहर का नाम रोशन कर दिया

 

 

 

 

 

 

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गडकरी ने सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों के सफल बचाव अभियान पर जताया आभार

 केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री गडकरी ने कहा कि वह पूरी तरह से राहत और प्रसन्नता का अनुभव कर रहे हैं क्योंकि सिल्क्यारा सुरंग हादसे में फंसे 41 श्रमिकों को सफलतापूर्वक सुरक्षित बचा लिया गया है। अपनी एक पोस्ट में  गडकरी ने कहा कि यह कई एजेंसियों द्वारा बेहतर तरीके से संचालित एक समन्वित प्रयास और हाल के वर्षों में सबसे महत्वपूर्ण बचाव अभियानों में से एक है। उन्होंने कहा कि कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद विभिन्न विभाग और एजेंसियां एक-दूसरे के पूरक बनी रही हैं। उन्होंने कहा कि सभी के अथक और सत्यनिष्ठ प्रयासों और सभी की प्रार्थनाओं से यह अभियान संभव हो पाया है।

गडकरी ने कहा कि बचाव टीमों के समर्पित प्रयासों के अनुकूल परिणाम मिले हैं। उन्होंने इस बचाव अभियान में शामिल प्रत्येक एजेंसी और व्यक्ति के प्रति आभार व्यक्त किया। मंत्री महोदय ने अंतरराष्ट्रीय बचाव विशेषज्ञों, प्रशासनिक अधिकारियों और उत्तराखंड सरकार की त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए भी सराहना की गडकरी ने कहा कि वह इस अवसर पर वह माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी को धन्यवाद देते हैं, जो निरन्तर पूरे अभियान की निगरानी कर रहे हैं और आवश्यकता पड़ने पर मार्गदर्शन और सहायता भी प्रदान कर रहे हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और उनके सहयोगी जनरल वी.के सिंह (सेवानिवृत्त) ने भी लगभग पूरे अभियान के दौरान वहां अपनी उपस्थिति बनाए रखी। गडकरी ने कहा कि वह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों और अभियंताओं को उनके ईमानदार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते

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भारत की जैवअर्थव्यवस्था में पिछले 10 वर्ष में 12 गुणा वृद्धि हुई: डॉ. जितेंद्र सिंह

केन्द्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु उर्जा एवं अंतरिक्ष, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां कहा कि भारत की जैव अर्थव्यवस्था ने पिछले 10 साल के दौरान 12 गुणा वृद्धि दर्ज की है।

राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान (एनआईपीजीआर) में संस्थान की रजत जयंती के अवसर पर ‘राष्ट्रीय पादप कंप्यूटेशनल जीवविज्ञान और जैव सूचना विज्ञान सुविधा’ का उद्घाटन करने के बाद डॉ.जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत की जैव अर्थव्यवस्था मात्र 10 अरब डालर थी, आज यह 120 अरब डालर है। उन्होंने कहा, केवल दस साल में यह 12 गुणा बढ़ गई और हम इसके 2030 तक 300 अरब डालर से अधिक तक पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं।

मंत्री ने कहा कि यह सब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नीति नियोजन के स्तर पर उपलब्ध कराये गये अनुकूल वातावरण के कारण संभव हो सका है।

डॉ. जितेंद्र ने इस अवसर पर ‘अदविका’ को जारी करने की भी घोषणा की। यह सूखा सहने वाली, जलवायु के लिहाज से स्मार्ट एक नई बेहतर काबुली चना की किस्म है, जो कि गजेट में अधिसूचित है और व्यापक रूप से उत्पादन के लिये उपलब्ध है। मंत्री ने इस बात को लेकर प्रसन्नता जताई कि दुनिया में होने वाले काबुली चने के कुल उत्पादन का 74 प्रतिशत उत्पादन भारत में होता है, ऐसे में यह विदेशी मुद्रा कमाने का एक अच्छा स्रोत हो सकता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस अवसर पर नई प्रौद्योगिकियों के ईष्टतम इस्तेमाल के लिये विज्ञान संस्थानों का बड़े पैमाने पर एकीकरण का भी आह्वान किया। उन्होंने अनुसंधान एवं विकास, स्टार्ट अप और आजीविका अवसरों को बनाये रखने के लिये शुरू से ही उद्योगों के साथ संपर्क रखने पर जोर दिया।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एनआईपीजीआर जैसे संस्थान उत्कृष्टता के प्रतीक हैं और वह भारत को एक स्वस्थ, पोषक और परिपुष्ट राष्ट्र बनाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि क्षेत्र में बढ़ती गतिविधियों के चलते भारत 2025 तक दुनिया के 5 शीर्ष जैव-विनिर्माता केन्द्रों में से एक होने की दिशा में बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले दस साल में जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्ट अप की संख्या जो कि 2014 में 50 थी वह 2023 में बढ़कर 6,000 तक पहुंच गई। बेहतर प्रौद्योगिकीय समाधान उपलब्ध कराने की आकांक्षा में भारत में हर दिन तीन बायोटेक स्टार्ट अप बन रहे हैं।

उन्होंने कहा 2014 में जहां भारत की जैव अर्थव्यवस्था मात्र करीब 10 अरब डालर थी आज यह 120 अरब डालर है। करीब दस साल की अवधि में ही यह 12 गुणा बढ़ गई और हम 2030 तक इसके 300 अरब डालर से अधिक होने की उम्मीद कर रहे हैं।

डॉ.सिंह ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी एक ऐसा परिवेश, एक वातावरण उपलब्ध कराती है जो कि स्वच्छ, हरित और बेहतर जीवन के लिहाज से अधिक अनुकूल होता है। समय बीतने के साथ यह जीविका के लिये आकर्षक स्रोत का भी सृजन करती है। यह पेट्रो-रसायन आधारित विनिर्माण का भी विकल्प उपलब्ध कराती है, जैसे कि जैव-आधारित उत्पाद जिनमें खाद्य योगिक, जैव अभियांत्रिकी संबंध, पशु चारा उत्पाद शामिल हैं।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, आधुनिक जैव ईंधन और ‘अपशिष्ट से उर्जा’ प्रौद्योगिकियों के लिये अनुसंधान और विकास नवाचार को भी समर्थन देता रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले 25 साल में एनआईपीजीआर ने भारत को विभिन्न खाद्य किस्में उपलब्ध कराने के लिये नई खोजों, पेटेंट और पादप किस्मों के मामले में कई उल्लेखनीय सफलतायें हासिल की हैं, और अगले 25 वर्ष में भी, जिसे अमृतकाल कहा गया है, यह न केवल भारत बल्कि समूचे विश्व की खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।

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81.35 करोड़ लाभार्थियों को पांच साल तक नि:शुल्क अनाज : कैबिनेट निर्णय

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि केंद्र सरकार 1 जनवरी, 2024 से पांच वर्ष की अवधि के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत लगभग 81.35 करोड़ लाभार्थियों को नि:शुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराएगी।

यह एक ऐतिहासिक निर्णय है जो पीएमजीकेएवाई को विश्व की सबसे बड़ी सामाजिक कल्याण योजनाओं में शामिल करता है, जिसका उद्देश्य 5 वर्ष की अवधि में 11.80 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 81.35 करोड़ व्यक्तियों के लिए भोजन और पोषण संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

यह निर्णय जनसंख्या की बुनियादी भोजन और पोषण आवश्यकताओं की पूर्ति के माध्यम से कुशल और लक्षित कल्याण की दिशा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अमृत ​​काल के दौरान इस व्यापक स्तर पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना एक आकांक्षी और विकसित भारत के निर्माण की दिशा में समर्पित प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

1 जनवरी, 2024 से 5 वर्षों के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत नि:शुल्क खाद्यान्न (चावल, गेहूं और मोटा अनाज/पोषक अनाज) खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ बनाएगा और जनसंख्या के निर्धन और निर्बल वर्गों की किसी भी वित्तीय कठिनाई में कमी लाएगा। यह एक समान लोगो के तहत 5 लाख से अधिक उचित मूल्य की दुकानों के नेटवर्क के माध्यम से सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण में राष्ट्रव्यापी एकरूपता प्रदान करेगा।

यह ओएनओआरसी-वन नेशन वन राशन कार्ड पहल के तहत लाभार्थियों को देश में किसी भी उचित मूल्य की दुकान से नि:शुल्क खाद्यान्न उठाने की अनुमति देने के जरिए जीवन को सुगम बनाने में भी सक्षम बनाएगा। यह पहल प्रवासियों के लिए बहुत लाभप्रद है, जो डिजिटल इंडिया के तहत प्रौद्योगिकी आधारित सुधारों के हिस्से के रूप में अधिकारों की इंट्रा और इंटर स्टेट पोर्टेबिलिटी दोनों की सुविधा प्रदान करती है। नि:शुल्क खाद्यान्न एक साथ पूरे देश में वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) के तहत पोर्टेबिलिटी के समान कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगा और इस पसंद-आधारित प्लेटफॉर्म को और सुदृढ़ करेगा।

पीएमजीकेएवाई के तहत खाद्यान्न वितरण के लिए पांच वर्षों के लिए अनुमानित खाद्य सब्सिडी 11.80 लाख करोड़ रूपए की होगी। इस प्रकार, केंद्र लक्षित आबादी को नि:शुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत खाद्य सब्सिडी के रूप में अगले पांच वर्षों की अवधि के दौरान लगभग 11.80 लाख करोड़ रूपए व्यय करेगा।

1 जनवरी 2024 से पांच वर्षों के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत नि:शुल्क खाद्यान्न का प्रावधान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रीय खाद्य और पोषण सुरक्षा पर ध्यान देने की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और दूरदृष्टि को दर्शाता है। नि:शुल्क खाद्यान्न का प्रावधान समाज के प्रभावित वर्ग की किसी भी वित्तीय कठिनाई को स्थायी तरीके से कम करेगा और लाभार्थियों के लिए शून्य लागत के साथ दीर्घकालिक मूल्य निर्धारण कार्यनीति सुनिश्चित करेगा जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली की प्रभावी पैठ के लिए महत्वपूर्ण है।

उदाहरण के लिए, एक अंत्योदय परिवार के लिए 35 किलो चावल की आर्थिक लागत 1371 रुपए है, जबकि 35 किलो गेहूं की कीमत 946 रूपए है, जो पीएमजीकेएवाई के तहत भारत सरकार द्वारा वहन की जाती है  और परिवारों को खाद्यान्न पूरी तरह से नि:शुल्क प्रदान किया जाता है। इस प्रकार, नि:शुल्क खाद्यान्न के कारण राशन कार्ड धारकों को होने वाली मासिक बचत महत्वपूर्ण है।

भारत सरकार की राष्ट्र के नागरिकों के लिए पर्याप्त मात्रा में गुणवत्ता वाले खाद्यान्न की उपलब्धता के माध्यम से उन्हें भोजन और पोषण संबंधी सुरक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करके एक सम्मानजनक जीवन उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता है। यह योजना पीएमजीकेएवाई के तहत कवर किए गए 81.35 करोड़ व्यक्तियों के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करने में योगदान देगी।

लाभार्थियों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए और लक्षित आबादी के लिए खाद्यान्न की पहुंच, सामर्थ्य और उपलब्धता के संदर्भ में खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने और राज्यों में एकरूपता बनाए रखने के लिए, पीएमजीकेएवाई के तहत पांच वर्ष तक निःशुल्क खाद्यान्न की उपलब्धता जारी रखने का निर्णय लिया गया है। ।

यह एक ऐतिहासिक निर्णय है जो प्रधानमंत्री मोदी की देश में खाद्य और पोषण संबंधी सुरक्षा सुदृढ़ बनाने की दिशा में समर्पण और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24,104 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्सेदारी: 15,336 करोड़ रुपये और राज्य हिस्सेदारी: 8,768 करोड़ रुपये) के कुल परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम जनमन) को मंजूरी दे दी है। इसके अंतर्गत नौसंबंधित मंत्रालयों के माध्यम से 11 अहम क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर खूंटी से इस अभियान की घोषणा की थी।

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार के लिए प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास मिशन शुरू किया जाएगा। इसके बारे में बजट भाषण 2023-24 में घोषणा की गई थी। यह पीवीटीजी परिवारों और बस्तियों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुंच, सड़क और दूरसंचार कनेक्टिविटी और स्थायी आजीविका के अवसरों जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेगा। अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (डीएपीएसटी) के तहत अगले तीन वर्षों में मिशन को लागू करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई जाएगी।

2011 की जनगणना के अनुसार भारत में अनुसूचित जनजाति की आबादी 10.45 करोड़ थी, जिसमें से 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित 75 समुदायों को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इन पीवीटीजी को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक क्षेत्रों में असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है।

पीएम-जनमन योजना (केंद्रीय क्षेत्र और केंद्र प्रायोजित योजनाओं को मिलाकर) जनजातीय मामलों के मंत्रालय सहित 9 मंत्रालयों के माध्यम से 11 महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जो इस प्रकार हैं:

क्र.सं. गतिविधि लाभार्थियों/लक्ष्यों की संख्या लागत मानदंड
1 पक्के मकानों का प्रावधान 4.90 लाख 2.39 लाख रुपये/मकान
2 संपर्क मार्ग 8000 कि.मी रु. 1.00 करोड़/कि.मी.
3 ए नल जलआपूर्ति/ मिशन के तहत 4.90 लाख एचएच सहित सभी पीवीटीजी बस्तियों का निर्माण किया जाना है योजनाबद्ध मानदंडों के अनुसार
3 बी सामुदायिक जल आपूर्ति 20 एचएच से कम आबादी वाले 2500 गांव/बस्तियां वास्तविक लागत के अनुसार
4 दवा लागत के साथ मोबाइल चिकित्सा इकाइयां 1000 (10/जिला) 33.88.00 लाख रुपए/एमएमयू
5ए छात्रावासों का निर्माण 500 2.75 करोड़ रुपये/छात्रावास
5 बी व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल 60 आकांक्षी पीवीटीजी प्रखंड 50 लाख रुपये/प्रखंड
6 आंगनबाडी केन्द्रों का निर्माण 2500 12 लाख रुपये/एडब्ल्यूसी
7 बहुउद्देशीय केंद्रों का निर्माण (एमपीसी) 1000 60 लाख रुपये/एमपीसी प्रत्येक एमपीसी में एएनएम और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का प्रावधान
8ए एचएच का ऊर्जाकरण (अंतिम मील कनेक्टिविटी) 57000 एचएच 22,500 रुपए/एचएच
8बी 0.3 किलोवाट सोलर ऑफ-ग्रिड प्रणाली का प्रावधान 100000 एचएच 50,000/एचएच या वास्तविक लागत के अनुसार
9 सड़कों और एमपीसी में सौर प्रकाश व्यवस्था 1500 इकाइयां 1,00,000 रुपए/इकाई
10 वीडीवीके की स्थापना 500 15 लाख रुपये/वीडीवीके
11 मोबाइल टावरों की स्थापना 3000 गांव योजनाबद्ध मानदंडों के अनुसार लागत

 

ऊपर उल्लिखित कार्यों के अलावा, निम्नलिखित कार्य अन्य मंत्रालयों के लिए मिशन का हिस्सा होंगे:

  1. आयुष मंत्रालय मौजूदा मानदंडों के अनुसार आयुष कल्याण केंद्र स्थापित करेगा और मोबाइल चिकित्सा इकाइयों के माध्यम से पीवीटीजी बस्तियों तक आयुष सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।
  2. कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय इन समुदायों के उपयुक्त कौशल के अनुसार पीवीटीजी बस्तियों, बहुउद्देशीय केंद्रों और छात्रावासों में कौशल और व्यावसायिक प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करेगा।

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तों को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तों को मंजूरी दे दी है। सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तों को उचित समय पर अधिसूचित किया जाएगा। सरकार द्वारा 16वें वित्त आयोग की सिफारिशें स्वीकार किए जाने के क्रम में 1  अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच (5) वर्षों की अवधि के लिए होंगी। संविधान के अनुच्छेद 280(1) में कहा गया है कि संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय के वितरण, अनुदान-सहायता और राज्यों के राजस्व और नियत अवधि के दौरान पंचायतों के संसाधनों की पूरकता के लिए आवश्यक उपाय करने तथा आय से संबंधित हिस्सेदारी को राज्यों के बीच आवंटन पर सिफारिश करने के मद्देनज़र एक वित्त आयोग की स्थापना की जाएगी। पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन 27 नवंबर, 2017 को किया गया था। इसने अपनी अंतरिम और अंतिम रिपोर्ट के माध्यम से एक अप्रैल, 2020 से शुरू होने वाली छह वर्षों की अवधि से संबंधित सिफारिशें कीं। पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशें वित्तीय वर्ष 2025-26 तक मान्य हैं।

सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तें:

वित्त आयोग निम्नलिखित मामलों पर सिफारिशें करेगा, अर्थात:

  1. संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय का वितरण, जो संविधान के अध्याय-I, भाग-XII के तहत उनके बीच विभाजित किया जाना है, या किया जा सकता है और ऐसी आय के संबंधित हिस्सेदारी का राज्यों के बीच आवंटन;
  2. वे सिद्धांत जो संविधान के अनुच्छेद 275 के तहत भारत की संचित निधि से राज्यों के राजस्व के सहायता अनुदान और उनके राजस्व के सहायता अनुदान के माध्यम से राज्यों को भुगतान की जाने वाली राशि को नियंत्रित करते हैं। उस अनुच्छेद के खंड (1) के प्रावधानों में निर्दिष्ट उद्देश्यों के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए; और
  3. राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों के पूरक उपाय के लिए राज्य की समेकित निधि को बढ़ाने के लिए आवश्यक उपाय।

आयोग आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (2005 का 53) के तहत गठित निधियों के संदर्भ में, आपदा प्रबंधन पहल के वित्त पोषण पर वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा कर सकता है और उस पर उचित सिफारिशें कर सकता है।

आयोग 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच साल की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर, 2025 तक उपलब्ध कराएगा।

पृष्ठभूमि:

पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन 27.11.2017 को 2020-21 से 2024-25 की पांच साल की अवधि के लिए सिफारिशें करने के लिए किया गया था। 29.11.2019 को, 15वें वित्त आयोग की संदर्भ-शर्तों में संशोधन किया गया था। इस संबंध में आयोग को दो रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी, यानी वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए पहली रिपोर्ट और 2021-22 से 2025-26 की विस्तारित अवधि के लिए एक अंतिम रिपोर्ट। परिणाम स्वरूप, 15वें वित्त आयोग ने 2020-21 से 2025-26 तक छह साल की अवधि के लिए अपनी सिफारिशें दीं।

वित्त आयोग को अपनी सिफ़ारिशें देने में आम तौर पर लगभग दो साल लगते हैं। संविधान के अनुच्छेद 280 के खंड (1) के अनुसार, वित्त आयोग का गठन हर पांचवें वर्ष या उससे पहले किया जाना है। चूंकि 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें 31 मार्च 2026 तक छह साल की अवधि के बारे में हैं, इसलिए 16वें वित्त आयोग का गठन अब प्रस्तावित है। इससे वित्त आयोग अपनी सिफारिशों की अवधि से तुरंत पहले की अवधि के लिए संघ और राज्यों के वित्त पर विचार और मूल्यांकन करने में सक्षम हो जाएगा। इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि ऐसे उदाहरण हैं जहां ग्यारहवें वित्त आयोग का गठन दसवें वित्त आयोग के छह साल बाद किया गया था। इसी प्रकार, चौदहवें वित्त आयोग का गठन तेरहवें वित्त आयोग के पांच साल दो महीने बाद किया गया था।

16वें वित्त आयोग के एडवांस सेल का गठन 21.11.2022 को वित्त मंत्रालय में किया गया था, ताकि आयोग के औपचारिक गठन तक प्रारंभिक कार्य की निगरानी की जा सके।

इसके बाद, संदर्भ-शर्तों के निर्माण में सहायता करने के लिए वित्त सचिव और सचिव (व्यय) की अध्यक्षता में एक कार्य समूह का गठन किया गया, जिसमें सचिव (आर्थिक मामले), सचिव (राजस्व), सचिव (वित्तीय सेवाएं), मुख्य आर्थिक सलाहकार, नीति आयोग के सलाहकार और अतिरिक्त सचिव (बजट) शामिल थे। परामर्श प्रक्रिया के अंग के रूप में, संदर्भ-शर्तों पर राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों (विधानमंडल के साथ) से विचार और सुझाव मांगे गए थे, और समूह द्वारा विधिवत विचार-विमर्श किया गया था।

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