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मुख्य समाचार

रेलवे ने चालू वित्तीय वर्ष में जनवरी, 2023 तक माल ढुलाई से 1,35,387 करोड़ रुपये की आय प्राप्त की

मिशन मोड के तहत चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के पहले दस महीनों में भारतीय रेलवे की माल ढुलाई पिछले साल की समान अवधि की लोडिंग और आय के आंकड़े को पार कर गई है।

संचयी आधार पर अप्रैल, 2020 से जनवरी, 2023 तक पिछले वर्ष की 1159.08 मिलियन टन की लोडिंग की तुलना में 7 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 1243.46 मिलियन टन की माल ढुलाई हुई। वहीं, रेलवे ने पिछले साल के 1,17,212 करोड़ रुपये की तुलना में 1,35,387 करोड़ रुपये की आय प्राप्त की है। यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 16 फीसदी अधिक है।

जनवरी, 2023 के दौरान 134.07 मिलियन टन की प्रारंभिक माल ढुलाई की गई है। यह जनवरी, 2022 के 129.12 मिलियन टन की ढुलाई से 4 फीसदी अधिक है। वहीं, रेलवे ने जनवरी, 2022 में 13,172 करोड़ रुपये की माल ढुलाई आय की तुलना में 13 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 14,907 करोड़ रुपये का माल ढुलाई राजस्व प्राप्त किया है।

भारतीय रेलवे ने “हंग्री फॉर कार्गो” के मंत्र का अनुपालन करते हुए व्यवसाय करने में सुगमता के साथ-साथ प्रतिस्पर्धी कीमतों पर सेवा वितरण में सुधार के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। इसके परिणामस्वरूप रेलवे में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक कमोडिटी में ढुलाई के लिए अधिक माल आ रहा है। त्वरित नीति निर्माण द्वारा समर्थित ग्राहक केंद्रित दृष्टिकोण और व्यवसाय विकास इकाइयों के कार्य ने रेलवे की इस उपलब्धि को प्राप्त करने में सहायता की।

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प्रधानमंत्री ने तुर्की में भूकंप से हुई जनहानि पर शोक व्यक्त किया

प्रधानमंत्री  मोदी ने तुर्की में भूकंप के कारण हुई जनहानि और सम्पत्ति को होने वाले नुकसान पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

तुर्की के राष्ट्रपति के ट्वीट के प्रत्युत्तर में प्रधनमंत्री ने कहा हैः

“तुर्की में भूकंप के कारण हुई जनहानि और सम्पत्ति को होने वाले नुकसान से व्यथित हूं। शोक-संतप्त परिवारों के साथ संवेदनायें। घायलों के जल्द स्वास्थ्य-लाभ की कामना करता हूं। तुर्की के लोगों के साथ भारत एकजुटता से खड़ा है और इस त्रासदी का सामना करने के लिये हर संभव सहायता पहुंचाने के लिये तत्पर है।”

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जिलाधिकारी द्वारा नगर निगम के डी0पी0एस0 ग्राउण्ड में प्रस्तावित फूटसल कोर्ट के विकास के संबंध में स्थलीय निरीक्षण

जिलाधिकारी विशाख जी द्वारा आज दिनांक 6 फरवरी 2023 को नवाबंगज क्षेत्र स्थित नगर निगम के डी0पी0एस0 ग्राउण्ड में प्रस्तावित फूटसल कोर्ट के विकास के संबंध में स्थलीय निरीक्षण किया गया। फुटसल खेल फीफा द्वारा मान्यता प्राप्त इनडोर फुटबॉल का रूप है (यह शब्द स्पेनिश फुटबॉल सालाश् का संकुचन है)। यह दो टीमों के बीच खेला जाता है, जिनमें से प्रत्येक टीम के पास किसी भी समय पिच पर पांच खिलाड़ी होते हैं, जिसमें रोलिंग विकल्प और सॉकर की तुलना में एक छोटी गेंद होती है, जो कठिन और कम उछाल वाली होती है। जिलाधिकारी द्वारा प्रस्तावित नगर निगम मैदान का निरीक्षण कर निम्न निर्देश दिए गए:-

फुटसल कोर्ट के विकास हेतु मानचित्र को देखा गया तथा फुटसल कोर्ट को आधुनिक बनाये जाने के उद्देश्य से कोर्ट की लंबाई/चैड़ाई एवं अन्य व्यवस्थाओं के प्रतिस्थापन के संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए।
ऽ फुटसल कोर्ट हेतु लाइट व उसकी ऊॅचाई तथा ओरिएटेशन का विशेष ध्यान दिए जाने तथा कोर्ट के दोनो तरफ सिंगल हाई मास्ट लाइट लगाये जाने के निर्देश दिए गए ताकि प्रकाश में किसी प्रकार बाधा उत्पन्न न हो।
ऽ प्रस्तावित कोर्ट में दर्शकों हेतु एलीवेटेड स्थल को भी चयनित किया जाये।
निरीक्षण के दौरान नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जी0एन0, मयंक यादव जोनल अधिकारी, दिवाकर भास्कर जोनल अभियन्ता, डा0 वी0के0 सिंह उद्यान अधिकारी, जोनल स्वच्छता अधिकारी व अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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जिले में हो रहे इन्वेस्टर समिट और कानपुर देहात महोत्सव में देश के पीएम और यूपी के सीएम की नही है जरूरत*

 

*जिले में हो रहे इन्वेस्टर समिट और कानपुर देहात महोत्सव में देश के पीएम और यूपी के सीएम की नही है जरूरत*

*इन्वेस्टर समिट कार्यक्रम और कानपुर देहात महोत्सव के सैकड़ो पोस्टरों से पीएम और सीएम की फोटो नदारद,*

*पीएम और सीएम की फोटो न होने से यूपी की राज्यमंत्री दिखी नाराज,*

*राज्यमंत्री ने डीएम की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए मामले की घोर निंदा की है,*

*डीएम पर लगाया पीएम और सीएम की छवि धूमिल करने का आरोप – राज्यमंत्री*

*पीएम की महत्वकांक्षी योजना और सीएम के मंसूबों पर पानी फेरने का आरोप – राज्यमंत्री*

*जिले में करोड़ो के चंदा से शुरू इन्वेस्टर्स समिट और कानपुर देहात महोत्सव,*

*डीएम की तानाशाही और मनमानी की तस्वीर आई सामने,*

*डीएम ने देश के पीएम और यूपी के सीएम की फोटो को पोस्टरों पर लगाना नही समझा आवश्यक,*

*मामले पर डीएम ने कुछ भी बोलने से किया इनकार,*

*देश के पीएम और यूपी के सीएम की फोटो के बिना इन्वेस्टर समिट एव कानपुर देहात महोत्सव का कार्यक्रम हुआ शुरू,*

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जनवरी, 2023 में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा कुल 1,25,992 शिकायतों का निपटारा किया गया, शिकायतों का निपटारा करने का औसत समय 19 दिन/शिकायत, केंद्रीय सचिवालय में लंबित मामलों की संख्या 67,283, जो अब तक लंबित मामलों की सबसे कम संख्या है

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने जनवरी, 2023 के लिए केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) की मासिक रिपोर्ट जारी की है, जो सार्वजनिक शिकायतों के प्रकार, श्रेणियों और निपटारे की प्रकृति का विस्तृत विश्लेषण करती है। रिपोर्ट में शिकायत निवारण तंत्र को और ज्यादा मजबूती प्रदान करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सक्षम लोक शिकायत विश्लेषण और प्रबंधन पर आईआईटी कानपुर के सहयोग से डीएआरपीजी द्वारा किए गए तकनीकी अपडेट को भी शामिल किया गया है। जनवरी, 2023 में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा कुल 1,25,992 शिकायतों का निपटारा किया गया, शिकायतों के निपटारे का औसत समय 19 दिन/शिकायत रहा जबकि केंद्रीय सचिवालय में लंबित मामलों की संख्या 67,283 रही, जो अब तक का सबसे कम लंबित मामला है। वित्त मंत्रालय का व्यय विभाग और यूआईडीएआई शिकायतों का समय पर निपटारा और निपटारे की गुणवत्ता मामले में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के शिकायत निवारण सूचकांक में शीर्ष पर रहे। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग में प्राप्त शिकायतों में से 66 प्रतिशत शिकायतें सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से प्राप्त हुई।

जनवरी 2023 में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के लिए डीएआरपीजी की मासिक सीपीजीआरएएमएस रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

पीजी मामले

जनवरी, 2023 में, सीपीजीआरएएमएस पोर्टल पर 1,23,968 पीजी मामलों प्राप्त हुए, जिनमें से 1,25,922 पीजी मामलों का निपटारा किया गया और 31 जनवरी, 2023 तक 67,283 पीजी मामले लंबित हैं। केंद्रीय सचिवालय में लंबित पीजी मामलों मामलों की संख्या दिसंबर, 2022 के अंत में 69,204 थी, जो जनवरी, 2023 के अंत में घटकर 67,283 रह गई है।

जनवरी, 2023 में, वित्तीय सेवा विभाग (बैंकिंग प्रभाग) [17,026 शिकायतें], श्रम और रोजगार मंत्रालय [11,139 शिकायतें], वित्तीय सेवा विभाग (बीमा प्रभाग) [6,429 शिकायतें] और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (आयकर) [5,524 शिकायतें] को अधिकतम शिकायतें प्राप्त हुई हैं।

पीजी अपील

जनवरी, 2023 में 15,398 अपीलें प्राप्त हुईं और 14,320 अपीलों का निपटारा किया गया। केंद्रीय सचिवालय में जनवरी, 2023 के अंत तक 26,306 पीजी अपील लंबित हैं।

जनवरी, 2023 के अंत तक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (आयकर) [3,215 अपीलें], कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय [2,076 अपील],  स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग [1,088 अपील] और श्रम और रोजगार मंत्रालय [1137 अपील] में अधिकतम अपीलें लंबित हैं।

शिकायत निवारण सूचकांक

जनवरी, 2023 में समूह ए के अंतर्गत व्यय विभाग और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण शिकायत निवारण सूचकांक में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले हैं।

जनवरी, 2023 में समूह बी अंतर्गत नीति आयोग और वित्तीय सेवा विभाग (पेंशन सुधार) शिकायत निवारण सूचकांक में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले हैं।

लंबित मामले

24 जनवरी, 2023 तक 21 मंत्रालयों/विभागों के पास 1,000 से ज्यादा लंबित मामले हैं।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (आयकर) [7,579 शिकायतें] और कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग [1,912 शिकायतें] में 30 दिनों से ज्यादा समय से लंबित शिकायतों की संख्या सबसे अधिक है।

औसत निपटारा समय

जनवरी, 2023 में सभी मंत्रालयों/विभागों में औसत शिकायत निपटारा समय 19 दिन रहा।

बीएसएनएल कॉल सेंटर से प्राप्त फिडबैक

01 जनवरी से 24 जनवरी, 2023 तक, केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के लिए बीएसएनएल कॉल सेंटर द्वारा सीधे नागरिकों से प्राप्त हुए फीडबैक में से 6,017 शिकायतों को उत्कृष्ट और बहुत अच्छी की रेटिंग प्राप्त हुई है।

ये रिपोर्ट सीपीजीआरएएमएस की 10-चरणीय सुधार प्रक्रिया का हिस्सा हैं, जिन्हें डीएआरपीजी द्वारा निपटारे की गुणवत्ता में सुधार लाने और समय सीमा में कमी लाने के लिए अपनाया गया है। शिकायतों के निपटारे की गुणवत्ता में सुधार और समय सीमा में कमी लाने के लिए 10-चरणीय सीपीजीआरएएमएस सुधार प्रक्रिया अपनाई गई। 10-चरणीय सुधारों में शामिल हैं:

i. सीपीजीआरएएमएस 7.0 का सार्वभौमिकरण- अंतिम मील तक शिकायतों का स्वत: पथ निर्धारण

ii. प्रौद्योगिक संवर्द्धन- एआई/एमएल का फायदा उठाते हुए अत्यावश्यक शिकायतों का स्वत: पता लगाना

iii. भाषा अनुवाद- अंग्रेजी के साथ-साथ 22 अनुसूचित भाषाओं में सीपीजीआरएएमएस पोर्टल

iv. शिकायत निवारण सूचकांक- मंत्रालयों/विभागों का उनके प्रदर्शन के आधार पर रैंकिंग

v. फीडबैक कॉल सेंटर – 50-कर्मचारियों वाला कॉल सेंटर, जिसके माध्यम से शिकायतों का निपटारा होने पर प्रत्येक नागरिक से सीधे फीडबैक प्राप्त किया जाता है

vi. वन नेशन वन पोर्टल- सीपीजीआरएएमएस के साथ राज्य पोर्टल और भारत सरकार के अन्य पोर्टलों का एकीकरण

vii. समावेशिता और आउटरीच- दूरस्थ नागरिक को सीएससी के माध्यम से शिकायतें दर्ज कर उन्हें सशक्त बनाना

viii. प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण- एसईवीओटीटीएएम योजना के अंतर्गत आईएसटीएम और राज्य एटीआई द्वारा संचालित, प्रभावी शिकायत समाधान को सक्षम बनाने के लिए

ix. निगरानी प्रक्रिया- केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों दोनों के लिए मासिक रिपोर्ट

x. डेटा रणनीति युनिट- व्यावहारिक डेटा विश्लेषण करने के लिए डीएआरपीजी में स्थापित

डीएआरपीजी ने भविष्य में शिकायतों का निपटारा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग करने वाली अपनी योजनाओं का भी खुलासा किया है। इसके लिए डीएआरपीजी ने आईआईटी कानपुर के साथ एक साझेदारी की है और सभी मंत्रालयों/विभागों के शिकायत अधिकारियों की सुविधा के लिए इंटेलिजेंट ग्रीवांस मॉनिटरिंग डैशबोर्ड का परिचालन किया है।

कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति ने दिसंबर 2022 में संसद को अपनी 121वीं रिपोर्ट सौंपी, जिसमें विभाग द्वारा लोक शिकायतों का निपटारा करने में जवाबदेही, अपील सुविधा, अनिवार्य कार्रवाई रिपोर्ट, फीडबैक कॉल सेंटर जैसे उठाए गए 10-चरणीय सुधारों की सराहना की गई। इसके अलावा, संसदीय स्थायी समिति ने सभी अनुसूचित भाषाओं में सीपीजीआरएएमएस पोर्टल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए डीएआरपीजी के प्रयासों की भी सराहना की।

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फर्जी छात्र संख्या के बूते 10 टीचरों की लाखों सैलरी उठा रहा ये मदरसा

*फर्जी छात्र संख्या के बूते 10 टीचरों की लाखों सैलरी उठा रहा ये मदरसा!*

कानपुर 3 फरवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, संबंधित सरकारी विभागों के ‘सहयोग’ के कारण नई सड़क स्थित मदरसा एहसानुल मदारिस कदीम के भ्रष्टाचार की महिमा अपरम्पार है। इस मदरसे में प्रबंधकों की धांधली का आलम ये है कि स्टूडेंट्स तो कुल पौने दो सौ, यानि पूरे 175 भी भर्ती नहीं हैं, लेकिन मुदर्रिसों या टीचरों की संख्या 10 है। हर एक टीचर की सरकारी सेलरी कम से कम 50 से 60 हजार रूपये है। यानि सरकार मदरसा एहसानुल मदारिस कदीम के 10 टीचरों के लिये ही हर महीने 5 से 6 लाख रूपये वेतन पर खर्च कर रही है। ऊपर से दो-दो चपरासी और प्रिंसिपल हैं। परिषदीय और बोर्ड विद्यालयों की तरह मदरसों में भी 35 से 40 बच्चों पर एक टीचर रखे जाने का प्रावधान है। इस हिसाब से तो मदरसे में कम से कम 400 छात्र होने ही चाहिये। ऐसा नहीं होने पर सरकार को मदरसे पर फिजूल खर्च बंद करने के लिये यहां शिक्षकों के 10 से घटाकर केवल 4 कर देने चाहिये। या कम से कम आधे पद खत्म कर देने चाहिये। लेकिन सूत्रों के अनुसार हो ये रहा है कि मदरसा प्रबंधक मुमताज अहमद सिद्धीकी लगातार कई सालों से अपने शिक्षक पद पूरे 10 बनाये रखने को कागजों पर फर्जी छात्र संख्या दिखा रहे हैं। यानि मदरसा एहसानुल मदारिस कदीम में बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा करके सरकारी धन लूटा जा रहा है। पुष्ट सूत्रों के अनुसार मदरसे में फर्जी छात्र संख्या के अलावा टीचरों की भी फर्जी अटेंडेंस लगती है। 10 में से अधिकतम 4 या 5 शिक्षक ही किसी एक समय पर मदरसे में आते हैं। बाकी की जगह 4 से 6 हजार रूपये में स्थानीय मुदर्रिस बुलाये जाते हैं। जानकारों के अनुसार फर्जीवाड़ा हो पा रहा है जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की जानबूझकर की जा रही अनदेखी से, क्योंकि इंस्पेक्शन करके वेतन का और पद सृजन या समाप्ति आदि का अनुमोदन यही कार्यालय करता है।

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भारत का अनाज उत्पादन 2021-22 में रिकॉर्ड 315.7 मिलियन टन तक पहुंचा

केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज 31 जनवरी, 2023 को संसद में ‘आर्थिक समीक्षा 2022-23’ पेश करते हुए बताया कि जलवायु परिवर्तन संबंधी चुनौतियों के बावजूद 2021-22 में भारत में कुल अनाज उत्पादन रिकॉर्ड 315.7 मिलियन टन तक पहुंच गया। इसके अलावा प्रथम अग्रिम अनुमान 2022-23 (केवल खरीद) के अनुसार देश में कुल अनाज उत्पादन का अनुमान 149.9 मिलियन टन है जो पिछले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) के औसत खरीद अनाज उत्पादन से बहुत अधिक है। दालों का उत्पादन भी पिछले पांच वर्षों के औसत 23.8 मिलियन टन से बहुत अधिक रहा है।

बागवानी के एकीकृत विकास के लिए मिशन

आर्थिक समीक्षा में बागवानी को एक उच्च पैदावार वाला क्षेत्र एवं आय के उच्च स्रोत और किसानों के लिए बेहतर साधन के रूप में वर्णन किया है। तीसरे अगिम अनुमान (2021-22) के अनुसार, 28.0 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में 342.3 मिलियन टन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ। सरकार ने 55 बागवानी समूहों की पहचान की है, जिनमें से 12 को क्लस्टर विकास कार्यक्रम (सीडीपी) के प्रारंभिक चरण के लिए चुना गया है। यह कार्यक्रम बागवानी समूहों की भौगोलिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने और संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला सहित पूर्व-उत्पादन, उत्पादन और कटाई के बाद की गतिविधियों के एकीकृत और बाजार-आधारित विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है।

पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन

भारतीय कृषि के सबंद्ध क्षेत्र-पशुधन, वानिकी और लॉगिंग और मछली पकड़ने और जलीय कृषि धीरे-धीरे तेजी से विकास के क्षेत्र बन रहे हैं और ये बेहतर कृषि आय के संभावित स्रोत हैं।

पशुधन क्षेत्र 2014-15 से 2020-21 (स्थिर कीमतों पर) के दौरान 7.9 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ा और 2014-15 में कुल कृषि जीवीए (स्थिर कीमतों पर) में इसका योगदान 24.3 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में 30.1 प्रतिशत हो गया है। इसी तरह, 2016-17 से मत्स्य पालन क्षेत्र की वार्षिक औसत वृद्धि दर लगभग 7 प्रतिशत रही है और कुल कृषि जीवीए में इसकी हिस्सेदारी लगभग 6.7 प्रतिशत है। डेयरी क्षेत्र पशुधन क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण घटक है, जो सीधे तौर पर आठ करोड़ से अधिक किसानों को रोजगार देता है और सबसे प्रमुख कृषि उत्पाद है। अन्य पशुधन उत्पाद, जैसे अंडे मांस का महत्व भी बढ़ रहा है। जबकि दुनिया में दूध उत्पादन में भारत पहले स्थान पर है, दुनिया में अंडे के उत्पादन में तीसरे और मांस उत्पादन में आठवें स्थान पर है।

संबद्ध क्षेत्रों के महत्व को समझते हुए, सरकार ने बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और पशुधन उत्पादकता और रोग नियंत्रण में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किए हैं। वर्ष 2020 में आत्मनिर्भर भारत (एएनबी) प्रोत्साहन पैकेज के एक भाग के रूप में, 2020 में 15,000 करोड़ रुपये का पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (एएचआईडीएफ) प्रारंभ किया था। कुल 3,731.4 करोड़ की लागत वाली 116 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। जबकि राष्ट्रीय पशुधन मिशन को नस्ल सुधार और उद्यमिता विकास पर जोर देता है। पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना को आर्थिक और जूनोटिक महत्व को पशु रोगों को रोकने और नियंत्रित करने के लिए लागू किया जा रहा है।

भारत सरकार ने 20,050 करोड़ के कुल परिव्यय वाली प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना की शुरूआत की। भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना अब तक का सर्वाधिक निवेश है जिसे वित्त वर्ष 2021 से वित्त वर्ष 2025 तक पांच वर्षों में लागू किया जा रहा है ताकि मछुवारों, मत्स्य किसानों और मत्स्य श्रमिकों के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करते हुए मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत और उत्तरदायी विकास किया जा सके। मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष के तहत 17 अक्टूबर, 2022 तक 4,923.9 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है और मछली पकड़ने और संबद्ध गतिविधियों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के माध्यम से 9.4 लाख से अधिक लोगों को लाभान्वित किया गया है।

खाद्य सुरक्षा

आर्थिक समीक्षा में उल्लेख किया गया है कि भारत में खाद्य प्रबंधन कार्यक्रम में किसानों से लाभकारी कीमतों पर खाद्यान्न की खरीद, उपभोक्ताओं को खाद्यान्न का वितरण, विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों, सस्ती कीमतों पर और खाद्य सुरक्षा और मूल्य स्थिरता के लिए खाद्य बफर स्टॉक का रखरखाव शामिल है। ऐतिहासिक फैसले द्वारा, सरकार ने 1 जनवरी, 2023 से एक वर्ष के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के अधीन लगभग 81.4 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न देने का फैसला किया है। गरीबों के वित्तीय बोझ दूर करने के लिए सरकार इस अवधि में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत खाद्य सब्सिडी पर 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च करेगी। खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2021-22 के दौरान 532.7 एलएमटी के अनुमानित लक्ष्य के मुकाबले 581.7 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) चावल की खरीद की गई। चालू वर्ष खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2022-23 में 31 दिसंबर 2022 तक कुल 355 लाख मीट्रिक टन चावल की खरीद की गई है।

कोविड-19 महामारी के कारण हुए आर्थिक व्यवधान के चलते गरीबों को होने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत सरकार ने राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को 1118 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न आवंटित किया है। भोजन तक पहुंचने की प्रक्रिया को और आसान बनाने के लिए सरकार ने 2019 में एक नागरिक-केन्द्रित और प्रौद्योगिकी-संचालित योजना शुरू की। जिसे वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) कहा गया। वन नेशन वन राशन कार्ड प्रणाली राशन कार्डों की अंतर-राज्यीय और अंतर-राज्य सुवाह्यता को सक्षम बनाती है। वर्तमान में सभी 36 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेश राष्ट्रीय/अंतर/राज्यीय पोर्टेबिलिटी सक्षम है, जिसमें कुल एनएफएसए आबादी को शत-प्रतिशत शामिल किया गया है।

मोटा अनाज का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मार्च, 2021 के दौरान अपने 75वें सत्र में 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (आईवाईएम) घोषित किया। मोटा अनाज उच्च पोषण मूल्य वाला स्मार्ट भोजन है, जो जलवायु के अनुकूल है, और संयुक्त राष्ट्र के कई सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजीएस) के अनुरूप है। आजीविका सृजित करने, किसानों की आय बढ़ाने और पूरी दुनिया में खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी विशाल क्षमता के कारण इनका अत्यधिक महत्व है। भारत बाजरा का 50.9 मिलियन टन (चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार) से अधिक मोटा अनाज का उत्पादन करता है जो एशिया के 80 प्रतिशत और वैश्विक उत्पादन का 20 प्रतिशत है। वैश्विक औसत उपज 1229 किग्रा/हेक्टेयर है, जबकि भारत में उच्च औसत उपज 1239 किग्रा/हेक्टेयर है। भारत में मोटा अनाज मुख्य रूप से खरीफ की फसल है जो ज्यादातर वर्षा आधारित परिस्थितियों में उगाई जाती है जिसमें अन्य मुख्य स्टेपल की तुलना में कम पानी और कृषि आदानों की आवश्यकता होती है।

मोटे अनाज के पोषण मूल्य को देखते हुए सरकार ने अप्रैल 2018 में मोटे अनाज को पोषक-अनाज के रूप में अधिसूचित किया। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएमएस) के तहत बाजरा प्रदान करने के लिए पेश किया गया है। पोषण संबंधी सहायता के लिए मोटा अनाज को शामिल किया। 2018-19 से 14 राज्यों के 212 जिलों में न्यूट्री-अनाज पर सब-मिशन क्रियान्वित किया गया है।

भारत में मोटा अनाज मूल्य वर्धित श्रृंखला में 500 से अधिक स्टार्ट-अप्स काम कर रहे है। उद्योग और कृषि के बीच मजबूत संबंधों और अंत-क्रियाओं को बढ़ावा देने के कारण खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का भारत के विकास में अत्यधिक महत्व है। वित्तीय वर्ष 21 को समाप्त पिछले पांच वर्षों के दौरान, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र लगभग 8.3 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है। 2021-22 के दौरान प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात सहित कृषि-खाद्य निर्यात का मूल्य, भारत के कुल निर्यात का लगभग 10.9 प्रतिशत था।

इस क्षेत्र की प्रचुर क्षमता को पहचानते हुए सरकार देश में खाद्य प्रसंस्करण के विकास के उद्देश्य से विभिन्न हस्तक्षेपों में सबसे आगे रही है। खाद्य प्रसंस्करण उद्यो मंत्रालय, प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना (पीएमकेएसवाई) की घटक योजनाओं के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र समग्र विकास और विकास के लिए वित्तीय सहायता देता है। पीएमकेएसवाई के तहत 31 दिसंबर, 2022 तक 677 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। 31 दिसंबर, 2022 तक 1402.6 करोड़ रुपये के 15,095 ऋण संस्वीकृत किए गए। यह योजना साझा सेवाओं और विपणन उत्पादों का उपयोग करके इनपुट की खरीद में बड़े पैमाने पर लाभ उठाने के लिए एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) के दृष्टिकोण को अपनाती है। अब तक 35 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में ओडीओपी के तहत 137 विशिष्ट उत्पादों वाले 713 जिलों को मंजूरी दी गई है। मार्च, 2022 में शुरू किए गए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएफपीआई) को वैश्विक खाद्य चैंपियन हेतु निवेश को प्रोत्साहित करने का विशिष्ट माध्यम है। सहायता के लिए उच्च विकास क्षमता वाले क्षेत्र जैसे समुद्री उत्पाद, प्रसंस्कृत फल और सब्जियां, और ‘रेडी टू ईट/रेडी टू कुक’ उत्पाद को शामिल किया गया है।

कृषि अवसरंचना निधि (ओआईएफ)

कृषि अवसंरचना निधि एक वित्त पोषण सुविधा है जो वर्ष 2020-21 से 2032-33 तक की फसल कटाई के बाद के प्रबंधन के बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि संपत्तियों के निर्माण के लिए 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान और क्रेडिट गारंटी समर्थन सहित लाभों के साथ चल रही है। इसके तहत 2020-21 से 2025-26 की अवधि के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और वर्ष 2032-33 तक ब्याज अनुदान और क्रेडिट गारंटी सहायता दी जाएगी। कृषि अवसंरचना निधि योजना में राज्य या केन्द्र सरकार की किसी अन्य योजना के साथ अभिसरण की सुविधा है और यह कृषि क्षेत्र में निवेश की दृष्टि से मील का पत्थर साबित हो सकती है।

इसकी स्थापना के बाद से अब तक देश कृषि बुनियादी ढांचे के लिए 13,681 करोड़ रुपये की राशि संस्वीकृत की गई है, जिसमें 18,133 से अधिक परियोजनाएं शामिल हैं।

राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम)

भारत सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) योजना शुरू की ताकि किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन पारदर्शी, प्रतिस्पर्धी बोली प्रणाली तैयार की जा सके। ई-नाम योजना के अधीन, सरकार संबंदित हार्डवेयर के लिए प्रति एपीएमसी मंडी को मुफ्त सॉप्टवेयर और 75 लाख रुपये की सहायता प्रदान करती है, जिसमें गुणवत्ता परख उपकरण और सफाई, ग्रेडिंग, छंटाई, पैकेजिंग, खाद इकाई आदि जैसे बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है। 31 दिसंबर, 2022 तक 1.7 करोड़ से अधिक किसान और 2.3 लाख ई-एनएएम पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके है।

देश में विकास और रोजगार के लिए कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन महत्वपूर्ण बना हुआ है। ऋण वितरण के लिए एक किफायती, समय पर और समावेशी दृष्टिकोण के माध्यम से क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इन सब पहलों से कृषि क्षेत्र में सतत और समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।

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एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज में महोत्सव के रूप में मनाया गणतंत्र दिवस एवं बसंत पंचमी

कानपुर 27 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता 74 वें गणतंत्र दिवस तथा बसंत पंचमी के अभूतपूर्व संयोग को एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज में एक महोत्सव के रूप में मनाया गया।महाविद्यालय की सरस्वती पूजा नगर में सुविख्यात है।
सरस्वती जी की सुंदर प्रतिमा को महाविद्यालय प्रेक्षागृह में स्थापित किया गया।महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो सुमन सचिव पी के सेन अध्यक्ष पी के सेन शुभ्रो सेन तथा कार्यक्रम प्रभारी प्रो. मीनाक्षी व्यास ने माँ की स्थापना कर पुष्पांजलि दी।डॉ. शुभा वाजपई, डॉ. सुनीता शुक्ला, डॉ. प्रीता अवस्थी, डॉ. सारिका अवस्थी के द्वारा बसंत उत्सव की तैयारियां पूर्ण मनोयोग से की गई। डॉ. रचना निगम के निर्देशन में कला विभाग की छात्राओं द्वारा विगत तीन दिनों में कठिन परिश्रम द्वारा महाविद्यालय सभागार में वृहत रंगोली का निर्माण किया गया। महाविद्यालय में बसंत पर्व पर सरस्वती की मूर्ति स्थापना, पूजा तथा विसर्जन की परंपरा का विधिवत् निर्वहन किया गया। इस अवसर पर संपूर्ण महाविद्यालय परिवार प्रो निशी प्रकाश प्रो गार्गी यादव प्रो निशा अग्रवाल प्रो चित्रा सिंह तोमर डा प्रीति सिंह आदि उपस्थित रहे।

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गडकरी ने मध्य प्रदेश के ओरछा में 6800 करोड़ रुपये के बराबर की 550 किमी की कुल लंबाई वाली 18 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन किया

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रीश्री नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री डॉ. श्री वीरेंद्र कुमार, केंद्रीय राज्य मंत्री श्री प्रह्लाद सिंह पटेल तथा मध्य प्रदेश के अन्य मंत्रियों और सांसदों, विधायकों, अधिकारियों एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में मध्य प्रदेश के ओरछा में 6800 करोड़ रुपये के बराबर की 550 किमी की कुल लंबाई वाली 18 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए श्री गडकरी ने कहा कि बेतवा में पुल का निर्माण करने की स्थानीय लोगों की दो दशक पुरानी मांग पूरी हो गई है। उन्होंने कहा कि 665 मीटर लंबे इस पुल का निर्माण 25 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। उन्होंने कहा कि 2-लेन पेव्ड शोल्डर ब्रिज तथा फुटपाथ के निर्माण के साथ ओरछा, झांसी, टीकमगढ़ की कनेक्टिविटी में सुधार आ जाएगा।

श्री गडकरी ने कहा कि पवई, ओरछा, हरपालपुर, कैथी पढरिया कला, पटना तमौली, जस्सो, नागौड़ तथा सागर लिंक रोड बाईपास के निर्माण से नगर में यातायात का दबाव कम होगा। सागर ग्रीनफील्ड लिंक मार्ग से भोपाल से कानपुर की दूरी में मोहरी से समाई घाट और चौक होते हुए मप्र/उप्र तक 21 किमी की कमी आ जाएगी। उन्होंने कहा कि सीमा तक 4 लेन चौड़ा करने से यात्रा के समय में भारी कमी आ जाएगी। उन्होंने कहा कि सागर शहर, छतरपुर शहर तथा गढ़ाकोटा में फ्लाईओवर के निर्माण से ट्रैफिक जाम की समस्या का समाधान हो जाएगा।

श्री गडकरी ने कहा कि मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थलों – ओरछा, खजुराहो, पन्ना, चित्रकूट, टीकमगढ़, सांची तक पहुंचने के लिए कनेक्टिविटी सरल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि भोपाल – कानुपर आर्थिक गलियारे के निर्माण से सीमेंट और खनिज अवयवों का परिवहन सरल हो जाएगा और लॉजिस्ट्क्सि लागत कम हो जाएगी। श्री गढकरी ने कहा कि इस गलियारे के निर्माण के साथ भोपाल से कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी का संपर्क अच्छा हो जाएगा।  टीकमगढ़ से ओरछा तक पेव्ड शोल्डर के साथ 2 लेन सड़क के निर्माण से यातायात सुरक्षित हो जाएगा।

इस कार्यक्रम में, श्री गडकरी ने 2000 करोड़ रुपये की लागत से बमीठा से सतना तक 105 किमी लंबाई वाली 4 लेन की ग्रीनफील्ड सड़क के निर्माण की भी घोषणा की। इस मार्ग के निर्माण के साथ, टीकमगढ़, पन्ना, छत्तरपुर, खजुराहो, बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

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एनटीपीसी समूह की क्षमता 71 गीगावाट के पार हुई

  • 660 मेगावाट क्षमता की नॉर्थ करनपुरा सुपर थर्मल पावर परियोजना, झारखंड (3×660 मेगावाट) की पहली इकाई के परीक्षण संचालन के सफलतापूर्वक संपन्न होने के साथ ही एनटीपीसी समूह की क्षमता 71 गीगावाट के पार हुई
  • यह परियोजना झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा को सस्ती बिजली प्रदान करेगी और इसके कोयले का स्रोत 10 किलोमीटर के दायरे के भीतर है
  • एनटीपीसी की कुल स्थापित क्षमता 71544 मेगावाट हो गई है

660 मेगावाट क्षमता की नॉर्थ करनपुरा सुपर थर्मल पावर परियोजना, झारखंड (3×660 मेगावाट) की पहली इकाई के परीक्षण संचालन के सफलतापूर्वक संपन्न होने के साथ ही देश के सबसे बड़े विद्युत उत्पादक, एनटीपीसी समूह की क्षमता 71 गीगावाट के पार हो गई है।

इस परियोजना की परिकल्पना एयर कूल्ड कंडेनसर (एसीसी) के साथ की गई है, जिसमें वाटर कूल्ड कंडेनसर (डब्ल्यूसीसी) की तुलना में एक तिहाई वाटर फुटप्रिंट है। यह परियोजना झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा को सस्ती बिजली प्रदान करेगी और इसके कोयले का स्रोत (पिट हेड)10 किलोमीटर के दायरे के भीतर है।

झारखंड में एनटीपीसी की इस परियोजना की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी। यह संयंत्र सबसे कुशल सुपरक्रिटिकल प्रौद्योगिकियों में से एक पर आधारित है।

इसके साथ ही, एनटीपीसी की कुल स्थापित क्षमता 71544 मेगावाट हो गई है।

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