Breaking News

मीडिया, विज्ञान और समाज के बीच सेतु का कार्य करता है

विज्ञान भारती के राष्ट्रीय आयोजन सचिव डॉ. शिव कुमार शर्मा ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा संचारक सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर सीएसआईआर-एनआईएससीएआईआर के पूर्व निदेशक डॉ. मनोज कुमार पटैरिया और सीएसआईआर-सीईसीआरआई के निदेशक डॉ. के. रमेश भी उपस्थित थे। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मीडिया सम्मेलन में अतिथियों ने रोजगार समाचार पत्रिका और विज्ञान भारत पत्रिका के अंकों का विमोचन किया। यह भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव 2024 का एक आयोजन है। देश के इस सबसे बड़े विज्ञान महोत्सव का आयोजन 30 नवंबर से 3 दिसंबर 2024 के दौरान असम के आईआईटी गुवाहाटी में किया जा रहा है।

मीडिया कॉन्क्लेव का परिचय देबोब्रत घोष ने दिया और इस आयोजन के दो दिनों के संक्षिप्त विवरण की जानकारी डॉ. राजीव सिंह द्वारा दी गई।

सीएसआईआर-केंद्रीय विद्युत-रासायनिक अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. के. रमेश ने अपने संबोधन में कहा कि आईआईएसएफ एक विज्ञान एक ऐसा महोत्सव है जिसे देश के लोगों के साथ मनाया जाता है। यह मीडिया शोध को लोगों तक पहुंचाने में सहायता करता है। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध को अधिकतर इस कार्य से जुड़े व्‍यक्ति ही समझते हैं। आईआईएसएफ ने मीडिया से अनुरोध किया कि वह शोध को रचनात्मक तरीके से लोगों तक पहुंचाए, ताकि लोग शोध कार्य को समझ सकें। उन्‍होंने हर मीडियाकर्मी से अनुरोध किया कि वे इन शोधों को सकारात्‍मक रूप से लोगों तक पहुंचाए क्‍योंकि मीडिया ही इस कार्य को लोगों तक जोड़ने का माध्‍यम है।

सीएसआईआर-एनआईएससीएआईआर के पूर्व निदेशक डॉ. मनोज कुमार पटैरिया ने कहा कि विज्ञान विधि के रूप में कार्य करता है जिसमें जिज्ञासा, विश्लेषण, प्रयोग और सत्यापन शामिल है। यही बात मीडिया पर भी लागू होती है और इस तरह मीडिया और विज्ञान की प्रक्रिया समान ही है।

विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. शिवकुमार शर्मा ने कहा कि उन्‍हें यह अनुभव हुआ है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी अवधारणाओं को समझने और समझाने के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है। इस अंतर को पाटने के लिए, हमें जटिल विचारों को ऐसे सरल तरीके से संप्रेषित करने की आवश्यकता है जो सभी को समझ में आते हों। इसके लिए एक विचारशील दृष्टिकोण की आवश्यकता है, हम क्या संप्रेषित करना चाहते हैं और इसे प्रभावी ढंग से कैसे करना है, इस बात पर विचार करते हुए कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को जनता के साथ साझा करने के लिए व्यवस्थित तरीके विकसित करके और मीडिया क्षमता का लाभ उठाते हुए हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी जागरूकता और समझ को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकते हैं।

सम्मेलन में पूर्वोत्तर मीडिया में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रसार पर एक पैनल चर्चा भी शामिल थी। इसमें असम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. अरूप मिश्रा, मणिपुर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के निदेशक डॉ. मिनकेतन सिंह, असम विज्ञान प्रौद्योगिकी, पर्यावरण परिषद के निदेशक डॉ. जयदीप बरुआ और मिजोरम विज्ञान परिषद के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. डेवी तथा विज्ञान पत्रकार सुश्री गीताली सैकिया जैसे विशेषज्ञों ने भाग लिया।

आहारक्रांति पर डॉ. येलोजी राव मिराजकर का व्याख्यान:

भारत को खाद्य उत्पादन और उपभोग पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, ताकि संतुलित और स्वस्थ आहार सुनिश्चित किया जा सके जो देश के कुपोषण और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का समाधान निकालता हो। चरक आयुर्वेदिक आहार जैसी पारंपरिक आहार प्रथाओं को अपनाना और पाचन एवं पोषण के महत्व को समझाते हुए भारतीयों के लिए निदिृष्‍ट भोजन विकल्प बनाने और स्वस्थ जीवन जीने में सहायता प्रदान कर सकता है। अन्न और आहार के बीच केवल इतना अंतर है कि अन्न को हम मुख से मात्र उदरपूर्ति के साधन के रूप में ग्रहण करते हैं जबकि आहार में वह संपूर्ण पोषण शामिल है जिसका हम अपनी इंद्रियों के माध्यम से आनंद लेते हैं।

इस सम्‍मेलन का समापन मीडिया में एसएंडटी कवरेज पर एक सत्र के साथ हुआ, जिसमें वैज्ञानिकों, मीडिया पेशेवरों और जनता के बीच वार्तालाप हुआ। इस अवसर पर डॉ. केजी सुरेश, पूर्व महानिदेशक, आईआईएमसी के साथ-साथ डॉ. मनोज पटैरिया, श्री डेकेन्द्र मेवाड़ी, डॉ. केएन पांडे, धृपल्लव बागला, श्री समीर गांगुली, श्री मारुफआलम और डॉ. वामसी कृष्णा जैसे विशेषज्ञों ने मीडिया के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने पर अपने विचार साझा किए।

मीडिया कॉन्क्लेव के दौरान आज विज्ञान आधारित फीचर फिल्म पर भी एक सत्र आयोजित किया गया।

कई विज्ञान संचारकों और छात्रों ने विशेषज्ञों के साथ संवाद किया। इसके परिणामस्वरूप एक उपयोगी प्रश्नोत्तर सत्र भी आयोजित किया गया जिसमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मीडिया कॉन्क्लेव के उद्देश्यों की प्रभावी ढंग से प्रस्तुति की गई।

Read More »

कोटा में सुरंग के बाहर कट एंड कवर सेक्शन में बन रही मीडियन साइड वर्टिकल दीवार अचानक ढह गई

कोटा में सुरंग के बाहर कट एंड कवर सेक्शन में “8-लेन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (सुरंग) डीएमई पैकेज-15 के निर्माण” के तहत मीडियन साइड वर्टिकल दीवार अचानक ढह गई। स्वीकृत डिज़ाइन ड्राइंग के अनुसार दीवार को शॉटक्रीट और रॉक बोल्ट से सुरक्षित व स्थिर किया गया था। दुर्भाग्य से, दीवार ढहने के कारण एक टेलीहैंडलर ऑपरेटर सहित पांच मज़दूर दब गए। यह घटना सुदृढीकरण गतिविधियों के दौरान हुई, तथा यह देखा गया कि सभी मज़दूर आवश्यक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) यानी हेलमेट, गमबूट सुरक्षा जैकेट और अन्य से लैस थे।

बचाव कार्य तुरंत शुरू किया गया और मलबे में दबे चार मजदूरों को बचा लिया गया। दुर्भाग्य से, हरसंभव प्रयास के बावजूद, एक मजदूर को गंभीर चोटों की वजह से बचाया नहीं जा सका।

ठेकेदार मेसर्स दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड-मेसर्स एल्टिस-होल्डिंग कॉरपोरेशन (डीबीएल-एएचसी जेवी) पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है और मेसर्स हेक्सा कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम तथा मेसर्स नोकांग इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से अथॉरिटी इंजीनियर, मेसर्स आईसीटी के टीम लीडर को उनके स्तर पर सुरक्षा उपायों में चूक के लिए उक्त दुर्घटना होने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

डोमेन विशेषज्ञों की एक जांच टीम गठित की गई है जिसमें सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के डीजीआरडी (सेवानिवृत्त) श्री एस.के. निर्मल, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के  एडीजी (सेवानिवृत्त)  श्री ए. के. श्रीवास्तव और मेसर्स एलिगेंट इंजीनियरिंग के श्री आलोक पांडे शामिल है। समिति 02 दिसंबर 2024 को घटना के कारणों का पता लगाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उपचारात्मक उपायों का पता लगाने के लिए साइट का दौरा करेगी।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक उपचारात्मक उपाय सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहा है।

Read More »

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का विस्तार

एमएसएमई मंत्रालय 2008-09 से प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) नामक एक प्रमुख ऋण-सम्बद्ध सब्सिडी कार्यक्रम को कार्यान्वित कर रहा है, जिसमें खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) राष्ट्रीय स्तर पर नोडल एजेंसी है, ताकि गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना करके देश में उत्तराखंड सहित, रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकें।

पीएमईजीपी एक केंद्रीय योजना है, जो सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों को ग्रामीण क्षेत्रों में परियोजना लागत का 25% और शहरी क्षेत्रों में 15% मार्जिन मनी (एमएम) सब्सिडी के साथ सहायता प्रदान करती है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, अल्पसंख्यक, महिला, भूतपूर्व सैनिक, शारीरिक रूप से विकलांग, ट्रांसजेंडर, पूर्वोत्तर क्षेत्र, पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्रों और आकांक्षी जिलों से संबंधित जैसे विशेष श्रेणी के लाभार्थियों के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में मार्जिन मनी सब्सिडी 35% और शहरी क्षेत्रों में 25% है। विनिर्माण क्षेत्र में परियोजना की अधिकतम लागत 50 लाख रुपये और सेवा क्षेत्र में 20 लाख रुपये है।

2018-19 से, मौजूदा पीएमईजीपी/मुद्रा उद्यमों को भी पिछले अच्छे प्रदर्शन के आधार पर अपग्रेडेशन और विस्तार के लिए दूसरे ऋण के साथ समर्थन दिया जा रहा है। दूसरे ऋण के तहत, विनिर्माण क्षेत्र में मार्जिन मनी (एमएम) सब्सिडी के लिए स्वीकार्य अधिकतम परियोजना लागत 1.00 करोड़ रुपये है और सेवा क्षेत्र के लिए 25 लाख रुपये है। दूसरे ऋण पर सभी श्रेणियों के लिए सब्सिडी परियोजना लागत का 15% (एनईआर और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए 20%) है।

पीएमईजीपी एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, इसलिए राज्यवार बजट का कोई आवंटन नहीं किया जाता है। निधियों का उपयोग उत्पन्न मांग और वित्तीय संस्थानों द्वारा स्वीकृत ऋणों के आधार पर किया जाता है।

पीएमईजीपी के लिए पांच वित्तीय वर्षों (2021-22 से 2025-26) में 13,554.42 करोड़ रुपये के परिव्यय को मंजूरी दी गई है।

चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में उत्तराखंड राज्य में पीएमईजीपी के अंतर्गत 430 लाभार्थियों को 12.01 करोड़ रुपये की मार्जिन मनी सब्सिडी प्राप्त हुई है। उत्तराखंड राज्य में पीएमईजीपी के अंतर्गत 8.08 करोड़ रुपये की राशि के 77 सब्सिडी दावे लंबित हैं।

यह जानकारी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्रीमती सुश्री शोभा करंदलाजे ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा।

Read More »

संकट का सामना कर रहे एमएसएमई क्षेत्र की समीक्षा के लिए योजनाएं

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) देश भर में एमएसएमई क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को क्रियान्वित करता है। इन योजनाओं/कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी योजना, सूक्ष्म एवं लघु उद्यम-क्लस्टर विकास कार्यक्रम, उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम, खरीद एवं विपणन सहायता योजना, एमएसएमई प्रदर्शन को उन्नत एवं तेज करना, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना, राष्ट्रीय एससी/एसटी हब, एमएसएमई चैंपियन आदि शामिल हैं।

सरकार सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए ऋण गारंटी योजना (सीजीएस) लागू करती है, ताकि ऋण वितरण प्रणाली को मजबूत किया जा सके और बिना किसी संपार्श्विक और तीसरे पक्ष की गारंटी के झंझट के सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्षेत्र को ऋण प्रवाह की सुविधा प्रदान की जा सके। यह ऋण अधिकतम 500 लाख रुपये तक है। एमएसई के लिए सीजीएस के तहत सावधि ऋण और/या कार्यशील पूंजी सुविधाएं पात्र हैं।

केंद्रीय बजट 2024-25 में एमएसएमई के लिए वित्तपोषण, विनियामक परिवर्तन और प्रौद्योगिकी सहायता को कवर करने वाले पैकेज की घोषणा की गई है, ताकि उन्हें बढ़ने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिल सके, जैसा कि नीचे दिया गया है:

  • एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए सहयोग;
  • विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई के लिए ऋण गारंटी योजना;
  • एमएसएमई ऋण के लिए नया मूल्यांकन मॉडल;
  • तनाव की अवधि में एमएसएमई को ऋण सहायता;
  • मुद्रा ऋण की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की गई;
  • टीआरईडीएस में अनिवार्य ऑनबोर्डिंग के लिए दायरा बढ़ाया गया;
  • एमएसएमई क्लस्टरों में सिडबी शाखाएं;
  • खाद्य विकिरण, गुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण के लिए एमएसएमई इकाइयाँ;
  • ई-कॉमर्स निर्यात केन्द्र.

सरकार ने एमएसएमई को विपणन और खरीद सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न उपाय किए हैं। इनमें से कुछ उपाय इस प्रकार हैं:

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 के अंतर्गत सूक्ष्म और लघु उद्यम आदेश, 2012 के लिए सार्वजनिक खरीद नीति को कार्यान्वित करता है। नीति में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों/केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा सूक्ष्म और लघु उद्यमों से 25% वार्षिक खरीद अनिवार्य की गई है, जिसमें एससी/एसटी उद्यमियों के स्वामित्व वाले सूक्ष्म और लघु उद्यमों से 4% और महिला उद्यमियों के स्वामित्व वाले सूक्ष्म और लघु उद्यमों से 3% खरीद शामिल है।
  • एमएसएमई मंत्रालय सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों की बाजार पहुंच बढ़ाने के लिए खरीद एवं विपणन सहायता योजना लागू करता है। यह योजना राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों/प्रदर्शनियों/एमएसएमई एक्सपो आदि में भागीदारी की सुविधा प्रदान करती है।
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय एमएसएमई को अपने उत्पादों के निर्यात और विदेशों में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों/मेलों/क्रेता-विक्रेता बैठकों में एमएसएमई की भागीदारी की सुविधा के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना लागू करता है और भारत में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों/सेमिनारों/कार्यशालाओं का आयोजन करता है।
  • पहली बार निर्यात करने वालों (सीबीएफटीई) की क्षमता निर्माण के लिए, नए सूक्ष्म और लघु उद्यमों को, जो निर्यातक हैं, निर्यात संवर्धन परिषदों के साथ पंजीकरण सह-सदस्यता प्रमाणन (आरसीएमसी), निर्यात बीमा प्रीमियम और निर्यात के लिए परीक्षण एवं गुणवत्ता प्रमाणन पर हुए खर्च की प्रतिपूर्ति प्रदान की जाती है।

यह जानकारी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्रीमती सुश्री शोभा करंदलाजे ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

Read More »

एसएफआईओ ने इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण में लगी तीन कंपनियों पर तलाशी अभियान चलाया

गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय ( एसएफआईओ ) ने इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण में लगी तीन कंपनियों, हीरो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स प्राइवेट लिमिटेड, बेनलिंग इंडिया एनर्जी एंड टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड और ओकिनावा ऑटोटेक इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड पर तलाशी अभियान चलाया है।

ये मामले भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय ( एमएचआई ) की फास्टर अडाप्शन एण्ड मन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल ( फेम ) II योजना के तहत तीनों कंपनियों द्वारा धोखाधड़ी से कुल मिलाकर 297 करोड़ रुपये की सब्सिडी का लाभ उठाने से उत्पन्न हुए हैं।

भारत में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2019 में फेम II योजना शुरू की गई थी। फेम-II योजना और चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम ( पीमपी ) दिशा-निर्देशों में, इस योजना के तहत सब्सिडी का पात्र होने के लिए वाहन के कुछ प्रमुख घटकों का भारत में विनिर्माण निर्धारित किया गया था। सब्सिडी का दावा करने के लिए तीनों कंपनियों ने एमएचआई को लागू दिशा-निर्देशों का भ्रामक अनुपालन दिखाया था, जिसे बाद में गलत और झूठा पाया गया।

एसएफआईओ द्वारा जांच करने पर पता चला कि पीएमपी दिशानिर्देशों के तहत कई प्रतिबंधित कलपुर्जों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चीन से आयात किया गया था, जिससे फेम-II के तहत पीएमपी दिशानिर्देशों का उल्लंघन हुआ।

तलाशी अभियान के दौरान डिजिटल डेटा, पुस्तकें और अन्य सामग्री जैसे साक्ष्य बरामद किए गए हैं।

आगे की जांच जारी है।

Read More »

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चंडीगढ़ में तीन नए आपराधिक कानूनों के सफल कार्यान्वयन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी 3 दिसंबर, 2024 को दोपहर 12 बजे चंडीगढ़ में तीन परिवर्तनकारी नए आपराधिक कानूनों- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के सफल कार्यान्वयन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे।

तीनों कानूनों की अवधारणा प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रेरित थी। इसमें औपनिवेशिक काल के कानूनों को हटाने के बारे में विचार किया गया था, जो स्वतंत्रता के बाद भी अस्तित्व में रहे। साथ ही, दंड से न्याय पर ध्यान केंद्रित करके न्यायिक प्रणाली को बदलना भी था। इसे ध्यान में रखते हुए, इस कार्यक्रम का मूल विषय “सुरक्षित समाज, विकसित भारत – दंड से न्याय तक” है।

पूरे देश में 1 जुलाई, 2024 को नए आपराधिक कानून लागू किए गए। इन आपराधिक कानूनों का उद्देश्य भारत की न्याय व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, कुशल और समकालीन समाज की आवश्यकताओं के अनुकूल बनाना है। ये ऐतिहासिक सुधार भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव का प्रतीक हैं, जो साइबर अपराध, संगठित अपराध जैसी आधुनिक चुनौतियों से निपटने और विभिन्न अपराधों के पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए नए ढांचे लाते हैं।

कार्यक्रम में इन कानूनों के व्यावहारिक इस्तेमाल को प्रदर्शित किया जाएगा। इसमें यह भी दिखाया जाएगा कि कैसे वे पहले से ही आपराधिक न्याय परिदृश्य को नया आकार दे रहे हैं। एक लाइव प्रदर्शन भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें अपराध स्थल की जांच का अनुसरण किया जाएगा और नए कानूनों को अमल में लाया जाएगा।

Read More »

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों के दौरान फिजिकल वैलेट सिस्टम शुरू करने की मांग वाली जनहित याचिका को किया खारिज।

कानपुर नगर, 26 नवम्बर (सू.वि.)* आज सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनावों में पेपर वैलेट सिस्टम को फिर से लागू करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता डॉ. के.ए. पाल के ईवीएम से छेड़छाड़ के दावों को खारिज कर दिया, जिसमें उन नेताओं की असंगतता को उजागर किया गया, जो ईवीएम की विश्वसनीयता पर तभी सवाल उठाते हैं, जब वे चुनाव हार जाते हैं। याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने टिप्पणी की अगर आप चुनाव जीतते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं होती है। जब आप चुनाव हारते हैं, तो ईवीएम से छेड़छाड़ होती है। इस प्रकार अतंतोगत्वा न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पी.बी. वराले की पीठ ने याचिकाकर्ता डॉ. के.ए. पाल की दलीलों को खारिज करते हुए जनहित याचिका को खारिज कर दिया।

Read More »

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1750 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ अरुणाचल प्रदेश के शि योमी जिले में 186 मेगावाट की तातो-Iजलविद्युत परियोजना के निर्माण के लिए निवेश प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसे 50 महीने में पूरा किया जाना है

प्रधानमंत्री  मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने अरुणाचल प्रदेश के शि योमी जिले में तातो-I जलविद्युत परियोजना (एचईपी) के निर्माण के लिए 1750 करोड़ रुपये के निवेश को स्वीकृति दे दी है। परियोजना के पूरा होने का अनुमानित समय 50 महीने है।

186 मेगावाट (3 x 62 मेगावाट) की स्थापित क्षमता वाली यह परियोजना 802 मिलियन यूनिट (एमयू) ऊर्जा का उत्पादन करेगी। परियोजना से उत्पादित बिजली से अरुणाचल प्रदेश राज्य में बिजली आपूर्ति की स्थिति को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और राष्ट्रीय ग्रिड भी संतुलित होगा।

परियोजना का क्रियान्वयन नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (नीपको) और अरुणाचल प्रदेश सरकार के बीच एक संयुक्त उद्यम कंपनी के माध्यम से किया जाएगा। भारत सरकार राज्य के इक्विटी शेयर के लिए 120.43 करोड़ रुपये की केंद्रीय वित्तीय सहायता के अलावा सक्षम बुनियादी ढांचे के तहत सड़कों, पुलों और संबंधित ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण के लिए बजटीय सहायता के रूप में 77.37 करोड़ रुपये देगी।

इससे जहां राज्य को 12% मुफ्त बिजली और स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (एलएडीएफ) से 1% का लाभ मिलेगा, वहीं क्षेत्र में बुनियादी ढांचे में खासा सुधार और सामाजिक-आर्थिक विकास भी होगा।

परियोजना के लिए लगभग 10 किलोमीटर लंबी सड़कों और पुलों के विकास सहित बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण सुधार किया जाएगा, जो ज्यादातर स्थानीय उपयोग के लिए उपलब्ध होगा। जिले को अस्पताल, स्कूल, आईटीआई जैसे व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान, बाजार, खेल के मैदान जैसे आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण से भी लाभ होगा, जिन्हें 15 करोड़ रुपये के समर्पित परियोजना कोष से वित्तपोषित किया जाएगा। स्थानीय लोगों को कई तरह के मुआवजे, रोजगार और सीएसआर गतिविधियों से भी लाभ होगा।

Read More »

वाणिज्यिक कोयला खदानों ने नए मानक स्थापित किए: एक दिन में 0.617 मिलियन टन का रिकॉर्ड प्रेषण भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाता है

कोयला मंत्रालय ने वाणिज्यिक कोयला खदानों द्वारा 24 नवंबर, 2024 को एक दिन में अब तक के सर्वोच्च 0.617 मिलियन टन (एमटी) उत्पादन और प्रेषण को भारत की उल्लेखनीय उपलब्धि बताया है। पिछले वर्ष इसी दिन 0.453 मिलियन टन की तुलना में इसमें 36 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।  आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत यह इस क्षेत्र की मजबूत वृद्धि दर्शाते हुए विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

रिकॉर्ड डिस्पैच में बिजली क्षेत्र को 0.536 मिलियन टन और गैर-बिजली क्षेत्र को 0.081 मिलियन टन कोयला उपलब्ध कराना शामिल है, जो अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में सुदृढ़ प्रदर्शन दिखाता  है। मासिक डिस्पैच प्रगति 12.810 मिलियन टन पहुंच गई है, जो वर्ष-दर-वर्ष 116.373 मिलियन टन का पर्याप्त डिस्पैच है। यह कोयला उत्पादन और वितरण में निरंतर बढोतरी दर्शाता है।

यह अभूतपूर्व उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत वाणिज्यिक कोयला खनन सुधारों के परिवर्तनकारी उपायों को भी सामने लाती है। खानों में कोयला उत्पादन और इनके रिकॉर्ड स्तर पर प्रेषण करना हमारी ऊर्जा सुरक्षा सुदृढ करने के साथ ही 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में हमारी प्रगति को भी गति प्रदान करता है ।

Read More »

भारत के संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाला ऐतिहासिक समारोह कल से शुरू होगा

भारत सरकार ने देश के संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाले ऐतिहासिक समारोह की शुरुआत की घोषणा की है। यह निर्णय हमारे लोकतंत्र की उल्लेखनीय यात्रा और हमारे संस्थापक सिद्धांतों तथा संवैधानिक मूल्यों की स्थायी विरासत को दर्शाता है, जो संविधान दिवस 26 नवंबर, 2024 से शुरू होगा। यह समारोह ” हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान “ अभियान के तहत आयोजित किए जा रहा हैं और इसका उद्देश्य संविधान में निहित मूल मूल्यों को दोहराते हुए संविधान के निर्माताओं के योगदान का सम्मान करना है।

26 नवंबर, 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया जो 26 जनवरी, 1950 से प्रभावी है। इस संविधान ने भारतीय इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की। यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन दुनिया के सबसे लंबे लिखित संविधान को अपनाया गया था, जो भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की आधारशिला है। अपनी स्थापना के बाद से, संविधान पिछले 75 वर्षों से राष्ट्र की प्रगति को आकार देने वाले मार्गदर्शक ढांचे के रूप में कार्य कर रहा है।

समारोह के मुख्य अंश:

  • विशेष वेबसाइट ( constitution75.com ): संविधान की विरासत से नागरिकों को परस्पर संवाद  गतिविधियों और संसाधनों के माध्यम से जोड़ने के लिए एक समर्पित वेबसाइट constitution75.com बनाई गई है। वेबसाइट पर निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध हैं:
    • प्रस्तावना पढ़ें और वीडियो रिकॉर्ड करें: नागरिक अपनी पसंद की भाषा में संविधान की प्रस्तावना पढ़ते हुए वीडियो रिकॉर्ड करके अभियान में भाग ले सकते हैं। वीडियो को अभियान की वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता है और भागीदारी का प्रमाण पत्र डाउनलोड किया जा सकता है।
    • संविधान को विभिन्न भाषाओं में पढ़ें : संविधान का पूर्ण पाठ विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है, यह सभी नागरिकों के लिए सुलभ हैं।
    • इतिहास को जाने: संविधान निर्माण के बारे में जानें, संविधान सभा की चर्चाएं पढ़ें, संविधान निर्माण में शामिल विभिन्न समितियों की रिपोर्टें पढ़ें और आधुनिक भारत को आकार देने वाले मूल्यों और सिद्धांतों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
    • संवादात्मक फीचर : “अपना संविधान जानें” एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) सक्षम इंटरैक्टिव सुविधा है , जहां कोई भी संविधान के बारे में प्रश्न पूछ सकता है और भारत के संविधान से संबंधित विस्तृत उत्तर प्राप्त कर सकता है।

 

  • 26 नवंबर, 2024 को प्रस्तावना का सामूहिक वाचन
    • 26 नवंबर, 2024 को स्कूलों से लेकर दफ्तरों तक, शहरों से लेकर गांवों तक पूरे देश में लाखों लोग एक साथ संविधान की प्रस्तावना पढ़ेंगे।
    • वेबसाइट ( constitution75.com ) पर अपनी सेल्फी और वीडियो अपलोड करके उन्हें गर्व के साथ सोशल मीडिया पर साझा करें।
  • 26 नवंबर, 2024 को संसद के केन्द्रीय कक्ष में उद्घाटन कार्यक्रम :
  1. राष्ट्रपति के नेतृत्व में, उपराष्ट्रपति , प्रधानमंत्री , लोकसभा अध्यक्ष और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में संसद के केन्द्रीय कक्ष में एक भव्य उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा ।
  2. कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:
  • भारतीय संविधान की महिमा, इसके निर्माण और ऐतिहासिक यात्रा को समर्पित लघु फिल्म की प्रस्तुति।
  • भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ को समर्पित एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया जाएगा।
  • “भारत के संविधान का निर्माण: एक झलक” और “भारत के संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा” शीर्षक पुस्तकों का विमोचन।
  • भारतीय संविधान की कला को समर्पित पुस्तिका का विमोचन।
  • भारतीय संविधान का संस्कृत भाषा में विमोचन।
  • भारतीय संविधान का मैथिली भाषा में विमोचन।
  • राष्ट्रपति के नेतृत्व में प्रस्तावना का औपचारिक वाचन किया जाएगा।

भारत सरकार ने नागरिकों से इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बनने, अपने संविधान पर सामूहिक गर्व दिखाने तथा हमारे राष्ट्र को परिभाषित करने वाले लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाने का आह्वान किया है।

इस समारोह में ऐसे भाग लें!

  • संविधान की प्रस्तावना पढ़ने, अपना वीडियो रिकॉर्ड करने तथा अपलोड करने और भागीदारी का प्रमाण पत्र डाउनलोड करने के लिए constitution75.com पर जाएं ।
  • वेबसाइट की संवादात्मक फीचर का लाभ उठाएं, विभिन्न भाषाओं में संविधान का अन्वेषण करें, तथा उस विकास यात्रा के बारे में अधिक जानें जिसने भारत को उसका मार्गदर्शक ढांचा प्रदान किया है।
  • 26 नवंबर, 2024 को राष्ट्रव्यापी अभियान में शामिल हों, देशभर के स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी और निजी कार्यालयों, पंचायतों और अन्य स्थानों पर संविधान की प्रस्तावना पढ़ने में हिस्सा लें। दूसरों को प्रेरित करने के लिए अपनी भागीदारी के वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करें।

Read More »