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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा बेंगलुरु में ‘एक्सोस्केलेटन के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों और चुनौतियों’ पर पहली अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया

‘एक्सोस्केलेटन के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों और चुनौतियों’ पर पहली अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला 16 से 17 अप्रैल, 2024 तक बेंगलुरु में आयोजित की जा रही है। कार्यशाला का आयोजन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की रक्षा जैव-इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रोमेडिकल प्रयोगशाला द्वारा किया गया है। इसका उद्घाटन रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीआईएससी) के इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल जेपी मैथ्यू की उपस्थिति में किया।

अपने मुख्य भाषण में, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने परिवर्तनकारी एक्सोस्केलेटन प्रौद्योगिकी के महत्व और सैन्य और नागरिक वातावरण में इसके व्यापक अनुप्रयोगों पर बल दिया। उन्होंने अनुसंधान एवं विकास समुदाय, सशस्त्र बलों, उद्योग और शिक्षा जगत सहित विभिन्न हितधारकों से चुनौतियों का समाधान करने और एक्सोस्केलेटन के भविष्य के लिए रूपरेखा तैयार करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में, सीआईएससी ने एक्सोस्केलेटन अनुसंधान के इतिहास, इसके पहले के प्रोटोटाइप और चुनौतियों का पता लगाया। उनका संबोधन उन चुनौतियों पर केंद्रित था जिनका वर्तमान में अनुसंधान एवं विकास समुदाय द्वारा समाधान किया जा रहा है। उन्होंने पुनर्वास, व्यावसायिक चिकित्सा और संवर्धन में एक्सोस्केलेटन प्रौद्योगिकियों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी बताया कि एक्सोस्केलेटन तकनीक दोहरी अमेरिकी तकनीक होने के कारण इसमें जबरदस्त व्यावसायिक क्षमता है।

ईटीएच, ज्यूरिख के प्रोफेसर रॉबर्ट रेनर और नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, शिकागो, इलिनोइस के प्रोफेसर अरुण जयारमन द्वारा जानकारीपूर्ण गहन तकनीकी वार्ताएं प्रस्तुत की गईं। महानिदेशक (जीवन विज्ञान) डॉ. यूके सिंह ने सशस्त्र बलों की आसन्न चुनौतियों और आवश्यकताओं के बारे में बात की। उन्होंने शोधकर्ताओं के समुदाय से सभी हितधारकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भविष्य की एक्सोस्केलेटन प्रौद्योगिकियों के लिए अपने प्रयास में चुनौतियों का सामूहिक रूप से समाधान करने का आग्रह किया।

दो दिवसीय कार्यशाला में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), सेवा, उद्योग, शिक्षा और शोधकर्ताओं के 300 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। एक्सोस्केलेटन प्रौद्योगिकी में सहन करने योग्य संरचनाएं शामिल होती हैं जो मानव शरीर की क्षमताओं को बढ़ाती हैं।

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एस एन सेन बालिका महाविद्यालय पी जी कॉलेज में शिक्षक अभिभावक सम्मेलन आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बालिका महाविद्यालय पी जी कॉलेज में महाविद्यालय के प्रबंध तंत्र एवं प्राचार्या प्रोफ़ सुमन ने प्रगतिशील सकारात्मक सोच के तहत शिक्षक अभिभावक सम्मेलन का आयोजन दिनांक १६/४/२४ को किया गया । महाविद्यालय के विभिन्न संकायों के शिक्षकों ने अपने विषय से संबंधित अभिभावकों को आमंत्रित किया। कला संकाय , विज्ञान संकाय एवं स्वावित्तपोषित विभागों में स्थान सुनिश्चित कर अभिभावक आए और शिक्षकों से अपनी समस्याएँ साझा की ।सभी विभागों के विभागाध्यक्ष तथा शिक्षिकाओं ने छात्राओ की समस्याओ का समाधान किया ।सम्मेलन में आये अभिभावकों से प्रतिभाग फॉर्म तथा फीडबैक फॉर्म भरवाए गए । सम्मेलन के पश्चात महाविद्यालय की प्राचार्य ने स्वयं समस्याओं के निराकरण किया और कई समस्याओं के लिए नोटिंग की ।

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निर्वाचन आयोग आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होते ही इसकी जानकारी देता है

अपनी तरह के पहले कार्य में, जिसके लिए आयोग किसी भी तरह से बाध्य नहीं है, अपने वादे के अनुसार पारदर्शिता बरतते हुए, निर्वाचन आयोग ने आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के अमल में आने के पहले महीने के दौरान, कुछ कार्यों के विवरण के साथ इसे सार्वजनिक करने का फैसला किया है, ताकि समय-समय पर कुछ लोगों की गलतफहमियों और आक्षेपों को दूर किया जा सके और इन्‍हें रोका जा सके।

स्थिति इस प्रकार हैजो संहिता की शेष अवधि के लिए भी लागू होती है।

  1. आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होने के बाद एक महीना पूरा होने पर, भारत का निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों द्वारा संहिता के अनुपालन से मोटे तौर पर संतुष्ट है और विभिन्न दलों और उम्मीदवारों द्वारा अभियान काफी हद तक व्यवस्थित चल रहा है।
  1. साथ ही, आयोग ने कुछ परेशान करने वाली प्रवृत्तियों पर कड़ी नजर रखने और कुछ पथभ्रष्ट उम्मीदवारों, नेताओं और कार्य प्रणालियों पर पहले से कहीं अधिक विशेष नजर रखने का निर्णय लिया है।
  2. आयोग ने विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक और आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले दलों के नेताओं को नोटिस जारी करके महिलाओं की गरिमा और सम्मान के मामले में कड़ा रुख अपनाया है। आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए पार्टी प्रमुखों/अध्यक्षों पर जवाबदेही तय करने में एक कदम आगे बढ़ गया कि उनकी पार्टी के नेता और प्रचारक इस तरह की अनादरपूर्ण और अपमानजनक टिप्पणियों का सहारा न लें। आदर्श आचार संहिता जवाबदेही, पारदर्शिता और दृढ़ता के अनुरूप लागू की गई है जैसा कि सीईसी श्री राजीव कुमार ने पहले वादा किया था।
  3. आयोग संवैधानिक समझ से निर्देशित था जब उसे राजनीतिक व्यक्तियों से जुड़ी स्थितियों के साथ प्रस्तुत किया गया था जो आपराधिक जांच के आधार पर न्यायालयों के सक्रिय विचार और आदेशों के अधीन थे। हालांकि आयोग राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए समान अवसर और प्रचार के अधिकार की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, लेकिन उसने ऐसा कोई भी कदम उठाना सही नहीं पाया है जो कानूनी न्यायिक प्रक्रिया को ओवरलैप या ओवरराइड कर सके।
  4. आदर्श संहिता को लागू करने में, आयोग को अपनी अनिवार्य जिम्मेदारी, कानूनी अचल सम्‍पत्ति, संस्थागत समझ, समानता और लेनदेन में पारदर्शिता के लिए निर्देशित किया गया है चाहे संबंधित व्यक्तियों का ओहदा और प्रभाव कुछ भी हो या उनकी राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो।
  5. लोकसभा चुनावों की घोषणा के साथ 16 मार्च, 2024 को आदर्श संहिता लागू हुई। तब से चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए त्वरित और हितकर कार्रवाई की है कि समान अवसर में गड़बड़ी न हो और प्रचार में चर्चा अस्वीकार्य स्तर तक न गिरे।
  6. एक महीने की अवधि के दौरान, 07 राजनीतिक दलों के 16 प्रतिनिधिमंडलों ने आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन और संबंधित मामलों पर अपनी शिकायतें दर्ज कराने के लिए आयोग से मुलाकात की। राज्यों में मुख्य निर्वाचन अधिकारी के स्तर पर कई प्रतिनिधिमंडल मिले।
  7. सभी राजनीतिक दलों के साथ समान व्यवहार किया गया है, अल्प सूचना पर भी सभी को समय दिया गया और उनकी शिकायतों को धैर्यपूर्वक सुना गया।
  8. सीईसी श्री राजीव कुमार के नेतृत्व वाला आयोग ईसी श्री ज्ञानेश कुमार और श्री सुखबीर सिंह संधू के साथ रोजाना दोपहर 12 बजे एमसीसी के कथित उल्लंघन के देशव्यापी लंबित मामलों की निगरानी करता है।

चुनावों की घोषणा से पहले, सभी डीएम/कलेक्टर/डीईओ और एसपी को बिना किसी समझौते के मॉडल कोड लागू करने के लिए आयोग द्वारा विशेष रूप से और सीधे जागरूक किया गया था। सीईसी श्री राजीव कुमार ने दिल्ली में ईसीआई प्रशिक्षण संस्थान, आईआईआईडीईएम में 10 बैचों में 800 से अधिक डीएम/डीईओ को व्यक्तिगत रूप से प्रशिक्षित किया था। क्षेत्र के अधिकारियों ने इस कार्य में काफी हद तक खुद को मुक्‍त कर लिया है।

मॉडल कोड की पिछली एक महीने की अवधि के दौरान समान अवसर बनाए रखने के लिए ईसीआई के कुछ निर्णय इस प्रकार हैं:

  1. विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा ईसीआई और राज्यों के स्तर पर लगभग 200 शिकायतें दर्ज की गई हैं। इनमें से 169 मामलों में कार्रवाई की गयी है।
  2. शिकायतों का विवरण इस प्रकार है: भाजपा से प्राप्त कुल शिकायतें 51 थीं, जिनमें से 38 मामलों में कार्रवाई की गई है; कांग्रेस की ओर से 59 शिकायतें थीं, जिनमें से 51 मामलों में कार्रवाई की गई; अन्य पक्षों से प्राप्त शिकायतें 90 थीं, जिनमें से 80 मामलों में कार्रवाई की गई है।
  3. छह राज्यों गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मुख्यमंत्रियों के प्रधान सचिव के रूप में दोहरे प्रभार वाले अधिकारियों को स्वत: संज्ञान से हटाया गया, क्योंकि उनके पास गृह/सामान्य प्रशासन विभाग का भी प्रभार था। इसका उद्देश्य चुनाव से संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों, डीएम/डीईओ/आरओ और एसपी को मुख्यमंत्री कार्यालयों से दूर करना था।
  1. पश्चिम बंगाल के डीजीपी को स्वत: संज्ञान से हटाया गया क्योंकि उन्हें पिछले चुनावों में भी चुनाव ड्यूटी से रोका गया था।
  2. चार राज्यों गुजरात, पंजाब, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) के रूप में नेतृत्व पदों पर तैनात गैर-कैडर अधिकारियों का स्वत: स्थानांतरण।
  3. पंजाब, हरियाणा और असम में निर्वाचित राजनीतिक प्रतिनिधियों के साथ रिश्तेदारी या पारिवारिक जुड़ाव के कारण अधिकारियों का स्वत: स्थानांतरण।
  4. चुनाव की घोषणा के बाद, कांग्रेस और आप की शिकायत पर, व्हाट्सएप पर भारत सरकार के विकसित भारत संदेश का प्रसारण रोकने के लिए एमईआईटीवाई को निर्देश दिया गया।
  5. कांग्रेस और आप की शिकायत पर, सरकारी/सार्वजनिक परिसरों को विकृत करने पर ईसीआई के निर्देशों का तत्काल प्रभाव से अनुपालन करने के लिए सभी राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों को निर्देश।
  6. डीएमके की शिकायत पर भाजपा मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे के खिलाफ रामेश्वर ब्लास्ट कैफे पर असत्यापित आरोपों के लिए एफआईआर दर्ज की गई।
  7. आईएनसी की शिकायत पर, डीएमआरसी ट्रेनों और पेट्रोल पंप, राजमार्गों आदि से होर्डिंग्स, फोटो और संदेशों सहित सरकारी/सार्वजनिक परिसरों को विकृत करने पर ईसीआई के निर्देशों के अनुपालन के लिए कैबिनेट सचिव को निर्देश।
  8. कांग्रेस की शिकायत पर, केंद्रीय मंत्री श्री चंद्रशेखरन द्वारा अपने हलफनामे में संपत्ति की घोषणा में किसी भी बेमेल के सत्यापन के लिए सीबीडीटी को निर्देश।
  9. सुश्री ममता बनर्जी के प्रति आपत्तिजनक एवं अपमानजनक टिप्पणी के लिए एआईटीएमसी की शिकायत पर भाजपा नेता श्री दिलीप घोष को नोटिस।
  10. भाजपा की शिकायत पर, सुश्री सुप्रिया श्रीनेत और श्री सुरजेवाला, दोनों को क्रमशः सुश्री कंगना रनौत और सुश्री हेमा मालिनी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों के लिए नोटिस।
  11. श्री नरेंद्र मोदी के प्रति डीएमके नेता श्री अनिता आर राधाकृष्णन द्वारा की गई टिप्पणी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
  12. दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में प्रकाशकों का नाम बताए बिना होर्डिंग और बिलबोर्ड में गुमनाम विज्ञापनों के खिलाफ आम आदमी पार्टी की शिकायत पर कानून में अंतर को पाटने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। होर्डिंग्स को शामिल करके मौजूदा कानून में ‘पैम्फलेट और पोस्टर’ के अर्थ को व्यापक आयाम देते हुए, सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, जिसमें प्रचार में जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए होर्डिंग्स सहित मुद्रित चुनाव-संबंधी सामग्री पर प्रिंटर और प्रकाशक की स्पष्ट पहचान सुनिश्चित करना अनिवार्य है।
  13. कांग्रेस की शिकायत पर, दिल्ली में नगर निगम अधिकारियों को विभिन्न कॉलेजों से स्टार प्रचारकों के कटआउट हटाने के निर्देश जारी किए गए हैं।
  14. नागरिकों की उल्लंघन संबंधी शिकायतों पर आयोग के पोर्टल सी विजिल पर कुल 2,68,080 शिकायतें दर्ज की गई हैं। इनमें से 2,67,762 मामलों में कार्रवाई की गई और 92 प्रतिशत मामलों का समाधान औसतन 100 मिनट से भी कम समय में किया गया। सीविजिल की प्रभावशीलता के कारण, अवैध होर्डिंग्स, संपत्ति को विकृत करने, दिए गए समय से अधिक समय तक प्रचार करने औरअनुमति से अधिक वाहनों की तैनाती में काफी कमी आई है।

पृष्ठभूमि:

आदर्श आचार संहिता एक नियामक ढांचा है, हालांकि सख्त मायनों में कानूनी समर्थन के बिना, एक समान अवसर सुनिश्चित करने और नैतिक प्रचार के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए इसे तैयार किया गया है। आयोग ने समान अवसर और चुनाव प्रचार की स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए रखने की जटिल गतिशीलता से पार पा लिया है। उल्लंघनों का तुरंत और निर्णायक समाधान करके, भारत का चुनाव आयोग पारदर्शिता, निष्पक्षता, जवाबदेही और समान अवसर के लोकतांत्रिक आदर्शों को मजबूत करता है। चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता को कायम रखना सर्वोपरि है।

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आप ही शक्ति स्वरूपा है जननी है स्वामिनी है

दिल से बधाई देना चाहूँगी अपनी सब देवी स्वरूप बहनों को ..जो आज अपने पैरों पर खड़ी है और सिर उठा कर चल रही है ।शक्ति बन कर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रही है। मैं हमेशा यही कहती हूँ अपनी सभी बहनों से .. कि रानियों की तरह जीयें.. शासन करे समाज पर .. अपने आर परिवार पर .. सभी के दिलों पर शासन करने की अधिकारिणी हैं आप । आप को ज़रूरत नहीं कि आप सोसायटी के साथ साथ बदलती जाये.. किसी के बताने की ज़रूरत नहीं कि आप क्या करे या न करें  आप जैसी है वैसी ही रहें क्योंकि आप ही शक्ति स्वरूपा है जननी है स्वामिनी है आप ही तो है जो टूटे बटनो से लेकर ..टूटे हुए आत्मविश्वास को जोड़ने की क्षमता रखतीं हैं।
आप ही है ,जो सब के सकून का सबब ..और विनाश का कारण हो सकती है.. मगर अपने घर की और जिस देश मे आप का जनम हुआ है । वहाँ की ज़िम्मेवारी को उठाना हम सब का धर्म तो बनता ही है।
हर औरत पहले बेटी बन कर पिता के साथ दुख सुख में निभाती है तो कभी बहन बन कर भाई और पत्नी बन कर पति को मार्गदर्शन करवाती है और फिर माँ बन कर बच्चों में संस्कार डालने की ज़िम्मेदारी हम औरतों पर ही है। जो हम आज खुद को बहुत आत्मनिर्भर समझ रहे है और सोच लेते है कि हम ने ज़िन्दगी में जो भी हासिल किया है वो खुद किया है जबकि मैं समझती हूँ !!
हम जो भी बन पायें है ,उसमें कहीं न कहीं इक आदमी का भी हाथ होगा और होता भी है .. किसी के पापा ने ,पति ने ,भाई ने आगे बढ़ने की सीख दी होगी ,या फिर हो सकता है किसी दोस्त ने हमे आगे बढ़ने में हमारी मदद की होगी और इस बात को हम नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते।सोसायटी में नाम कमाना अपने आप मे ही बहुत बडी उपलब्धि है ।ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना गौरव और शक्ति का प्रतीक है। आज हमारे भीतर की आवाज़ ..जो बरसों से सोई हुई थी .. वो जाग चुकी है ।
हर पीढ़ी अपने से बडी पीढ़ी से ही सीखती है इसलिए एक बात जो बहुत ज़रूरी है,जो हमे अपनी नई पीढ़ी को विरासत मे देनी है .. और वो है …संस्कार,कोमलता , दया भाव,श्रद्धा ..गरिमा ..और मर्यादा … हम कह तो रहे है कि हमें स्ट्रोंग बनना चाहिए मगर परिणाम क्या हुआ ,हमारी कोमलता लुप्त हो गई कहीं । मैं ये नहीं कह रही कि हम आने वाली पीढ़ी को सिर पर पल्लू रखना सिखाये ,बस यही कह रही हूँ ,अपने संस्कारों को साथ ले कर चले।आँधी नग्नता … लोगों को लुभा तो सकती है मगर इज़्ज़त नहीं दे सकती।
बात बहुतो को बुरी लग सकती है मगर सच यही है कि आज माडर्न ज़माना कह कर …आज की औरत
वाइन ,शराब यहाँ तक की ड्रैगस ले रही है।ये हमारे देश की सभ्यता तो न थी कभी।हमारे समाज में यह ख़ास वजह है जो नस्ल दर नस्ल को ख़राब कर रही है, शायद अभी हम इस बात को गंभीरता से नहीं ले रहे .. मगर आने वाले समय में हम सब को इस बात का अफ़सोस ज़रूर रहेगा । जब हमारे बच्चों के घर टूटने लगेंगे और टूटने बिखरने की इक ख़ास वजह ,नशा करना ही होगी।! और आज तलाक होने की वजह संयम और सहनशीलता या मर्यादा में कमी ही है।
ये कैसी सोच हो गई है हमारी .. जहां हमारा घर टूटता है तो टूट जाये मगर हम मे से कोई भी..कुछ भी सहने को तैयार नही ।
.बचाईये !! अपने घरों को अपने बच्चों की ख़ातिर। हम सब मिल कर ही तो बदलाव ला सकते है।कोई हमें ख़ुशी बाहर से ला कर नहीं देगा।हमें खुद में से ही अर्जित करनी होगी। सब कुछ तेज़ी से बदल रहा है .. हमारा देश अपने संस्कारों के लिए ही सारे संसार में ख़ास जाना जाता था। यहाँ का लिबास विश्व भर में चर्चे का विषय हुआ करता था। धीरे धीरे हमारे देश में अपने देश की वेशभूषा की जगह विदेशी पहनावे ने ले ली है। दोस्तों! मेरे हिसाब से जिसे हम सैकसी लुक कहते है वो साड़ी में ज़्यादा दिखती है।
बस यही पैग़ाम है मेरा …स्वीकार कीजिए खुद को जैसे रब ने आप को बनाया है । आज के दौर में सब अच्छा दिखने में लाखों खर्च कर रहे है महँगे कपड़े पार्लर वग़ैरह …और ऊपर से कासमैटिक सर्जरी । फिर भी हम सकून में नही। ऐसा जीवन हमें किस ओर ले कर जा रहा है । हर कोई शान्ति को बाहर तालाश कर रहा है। अपने दुख की वजह दूसरे को बता रहा है …
भीड़ का हिस्सा बन कर हम सब ही तो भीड़ मे भागते जा रहे है । कभी एकान्त में बैठ कर सोचियेगा इस बारे में।
हम सभी को अपने संस्कारों पर से धूल हटाने की ज़रूरत है।तभी हमे शान्ति मिल सकती है … क्योंकि जो वक़्त चल रहा है ,
वहाँ लोग दिशा से भ्रमित हो रहे है। अकेले हो रहे है ,अगर कोई साथ है भी ..तो भरोसा नही है कि ये साथ कब तक चलेगा।
अपने को पहचानें। खुद को सक्षम बनाये ताकिआप की ख़ुशी दूसरों पर निर्भर न हो। किसी को जवाब देना बहुत आसान होता है ।कोई एक कहता है तो आज हम दस सुना सकते है ,मगर बात को सह लेना …. पोलाइट होना जरा मुश्किल है ।वही सीखने और सीखाने की ज़रूरत भी है । हम सब पर ही समाज की ज़िम्मेवारी है और हम ज़िम्मेदारियों को निभा कर भी ज़िन्दगी को इंजाय कर सकते है। इसमें कोई शक नही है। आज हम आसमान की बुलंदियों को तो छू रहे है मगर हम छोटी छोटी बातों को नज़रअंदाज़ भी कर रहे है। नई पीढ़ी के लिए अपना घर ,पैसा ,सोना ,चाँदी ,हीरे जवाहरात अपना बैंक बैलेंस ही न छोड़ कर जाये..अपितु … कुछ ऐसा छोड़ कर जायें ..जो आने वाली “ पीढ़ियों दर पीढ़ियों “के लिए सुख का कारण बने।

लेखिका स्मिता ✍️

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एस.एन. सेन बी.वी.पी.जी.कॉलेज में महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के मतदान जागरूकता अभियान के अंतर्गत मतदान के महत्व पर परिचर्चा आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस.एन. सेन बी.वी.पी.जी.कॉलेज में महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के मतदान जागरूकता अभियान के अंतर्गत मतदान के महत्व पर परिचर्चा का आयोजन कर चुनाव का पर्व मनाया गया कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री पी. के. मिश्रा, सचिव श्री पी. के. सेन, प्राचार्या प्रोफेसर सुमन तथा एन.एस.एस. प्रभारी प्रोफेसर चित्रा सिंह तोमर द्वारा परंपरागत रूप से किया गया |
इस कार्यक्रम में छात्राओं ने उत्साह से पूर्ण युवा मतदाता के रूप में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हुए कानपुर लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी श्री रमेश अवस्थी से क्षेत्र तथा शिक्षा के विकास पर सीधे सवाल किए| श्री रमेश अवस्थी ने सभी सवालों का सामना करते हुए उनके भलीभाँति जवाब दिए| उन्होंने अपने क्षेत्र मे शिक्षा के विकास हेतु अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया तथा छात्राओं की सभी शैक्षणिक समस्याओं के समाधान का आश्वासन भी दिया| छात्राओं ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के कारण उनकी पढ़ाई में आने वाली बाधाओं तथा चुनौतियों से संबंधित प्रश्न भी पूछे| इस अवसर पर समस्त महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा|

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डी जी कॉलेज में छात्राओं द्वारा असाइनमेंट आधारित व्याख्यान आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता भूगोल विभाग, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर में परास्नातक अंतिम वर्ष की छात्राओं का ग्रामीण भूगोल पर असाइनमेंट आधारित व्याख्यान का आयोजन भगोल विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शशि बाला सिंह के निर्देशन में सम्पन्न कराया गया। डॉ. शशि बाला सिंह द्वारा समन्वित ग्रामीण विकास पर पीपीटी द्वारा व्याख्यान हुआ । तथा परास्नातक अंतिम वर्ष की छात्राओं द्वारा ग्रामीण भूगोल की विभिन्न इकाइयों : ग्रामीण भूगोल का अर्थ, परिभाषा एवं विषय क्षेत्र; ग्रामीण भूगोल के प्रकार; समन्वित ग्रामीण विकास; ग्रामीण अधिवावासों के प्रकार एवं प्रतिरूप; ग्रामीण आधारभूत संरचना एवं सुविधाएं आदि विषयों पर छात्रा शिवांशी, शिखा, मानसी, प्रज्ञा, श्रेया एवं कृति आदि के द्वारा पीपीटी बनाकर अपना प्रेजेंटेशन दिया गया। व्याख्यान की संयोजिका डॉ. शशि बाला सिंह ने व्याख्यान विषय पर प्रकाश डाला । व्याख्यान में प्रार्चाया प्रो० अर्चना वर्मा ने छात्राओं को डिजीटल प्रस्तुतिकरण के लिए प्रेरित किया, विभाग की असिस्टेंट प्रो. डॉ. अंजना श्रीवास्तव एवं श्रीमती श्वेता गोंड का सक्रिय योगदान रहा। कार्यक्रम में शोध छात्र सुभाष, विकास, अतुल, विपुल, दीक्षा मालवीया, कल्पना, नेहा, निधि, जयललिता तथा विभाग की समस्त छात्राएं उपस्थित रही।

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भारतीय तटरक्षक बल ने 27 बांग्लादेशी मछुआरों को बचाया और बांग्लादेश तटरक्षक बल को सौंप दिया गया

भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) ने 04 अप्रैल 2024 को एक त्वरित गतिविधि को संचालित करते हुए 27 बांग्लादेशी मछुआरों को सुरक्षित बचा लिया है। ये सभी समुद्र में मछली पकड़ने वाली अपनी नौका पर फंसे हुए थे। भारतीय तटरक्षक जहाज अमोघ ने 4 अप्रैल, 2024 को लगभग 11:30 बजे भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) पर गश्त के दौरान एक बांग्लादेशी मछली पकड़ने वाली नौका (बीएफबी) सागर II को भारतीय जल क्षेत्र में बहते हुए देखा। इसके बाद मामले की जांच के लिए भारतीय तटरक्षक बल के जहाज से एक दल को वहां भेजा गया। जांच के दौरान यह पता चला कि बांग्लादेशी नाव का स्टीयरिंग गियर पिछले दो दिन से खराब था और वह तभी से नाव भारतीय जल सीमा में बह रही थी। मछली पकड़ने वाली इस नौका पर 27 चालक दल के सदस्य/मछुआरे सवार थे।

भारतीय तटरक्षक बल की तकनीकी टीम ने बांग्लादेशी नाव की खराबी की पहचान करने और उसे ठीक करने की कोशिश की, लेकिन यह पाया गया कि उस नाव का स्टीयरिंग ह्वील पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था और समुद्र में इसकी मरम्मत नहीं की जा सकती थी। चूंकि समुद्र के हालात और मौसम की स्थिति अनुकूल थी, इसलिए यह निर्णय लिया गया कि भारतीय तट रक्षक एवं बांग्लादेश तटरक्षक के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) के अनुसार, संकटग्रस्त नाव को भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा में खींच लिया जाएगा और फिर उसे आईएमबीएल या बांग्लादेश की सीमा रेखा की तरफ उनके तटरक्षक जहाज अथवा किसी अन्य बांग्लादेशी मछली पकड़ने वाली नाव को सौंप दिया जाएगा।

इस बीच, भारतीय तटरक्षक के कोलकाता स्थित क्षेत्रीय मुख्यालय ने बांग्लादेश तटरक्षक बल के साथ संवाद स्थापित किया और उन्हें इस घटना तथा आगे की कार्ययोजना के बारे में जानकारी प्रदान की। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बांग्लादेश तटरक्षक जहाज (बीसीजीएस) कमरुज्जमां को मछली पकड़ने वाली बांग्लादेशी नाव को खींचने के लिए बांग्लादेश तटरक्षक द्वारा तैनात किया गया। बांग्लादेश तटरक्षक बल का जहाज कमरुज्जमां 4 अप्रैल 2024 को लगभग 18:45 बजे भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के पास पहुंचा। भारतीय तटरक्षक के जहाज अमोघ ने 27 बांग्लादेशी मछुआरों को उनकी नाव के साथ बांग्लादेश तटरक्षक बल के जहाज कमरुज्जमां को सौंप दिया।

भारतीय तटरक्षक बल द्वारा संचालित किया गया यह ऑपरेशन सभी बाधाओं के बाद भी समुद्र में बहुमूल्य जीवन को सुरक्षित बचाने के प्रति भारत की वचनबद्धता को प्रदर्शित करता है। इस तरह के सफल खोज एवं बचाव अभियान न केवल क्षेत्रीय एसएआर संरचना को सशक्त करेंगे बल्कि पड़ोसी देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को भी बढ़ाएंगे। यह भारतीय तटरक्षक बल के आदर्श वाक्य “वयम रक्षामः” के अनुरूप है, जिसका अर्थ है “हम रक्षा करते हैं”।

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समानता के मुद्दे पर भारत को इस दुनियां में किसी से उपदेश की आवश्यकता नहीं है-उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि भारत को समानता के मुद्दे पर इस दुनियां में किसी से उपदेश की आवश्यकता नहीं है क्योंकि हम सदैव समानता में विश्वास करते हैं। श्री धनखड़ ने सभी देशों से अपने भीतर झाँकने का आह्वान करते हुए इस बात पर प्रकाश डालते हुए कहा, “कुछ देशों में अभी तक कोई महिला राष्ट्रपति नहीं है, जबकि हमारे यहाँ ब्रिटेन से भी पहले एक महिला प्रधानमंत्री बन गई थीं। अन्य देशों में सर्वोच्च न्यायालय ने बिना महिला न्यायाधीश के 200 वर्ष पूरे कर लिए, लेकिन हमारे यहां महिला न्यायाधीश है।”

श्री धनखड़ ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के बारे में फैलाई जा रही झूठी कहानी और गलत सूचना के प्रति आगाह करते हुए रेखांकित किया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) न तो किसी भी भारतीय नागरिक को उसकी नागरिकता से वंचित करना चाहता है, न ही यह पहले की तरह किसी को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से रोकता है। उन्होंने यह उल्लेख किया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों के लिए भारतीय नागरिकता के अधिग्रहण की सुविधा प्रदान करता है। उपराष्ट्रपति महोदय ने पूछा, “हमारे पड़ोस में उनकी धार्मिक प्रतिबद्धता के कारण सताए गए लोगों को यह राहत, उपचारात्मक संबंध भेदभावपूर्ण कैसे हो सकता है?”

यह देखते हुए कि  नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) उन लोगों पर लागू होता है जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे, उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यह अधिक संख्या में लोगों को निमंत्रण नहीं है। उन्होंने आगाह किया, “हमें इन आख्यानों को बेअसर करना होगा। ये अज्ञानता से नहीं, बल्कि हमारे देश को बर्बाद करने की रणनीति से उत्पन्न होते हैं।”

उपराष्ट्रपति महोदय ने मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में व्यावसायिक पाठ्यक्रम के चरण- I के समापन पर आज 2023 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने युवा प्रतिभाओं से ऐसे “हमारे गौरवशाली और मजबूत संवैधानिक निकायों को कलंकित करने और धूमिल करने के उद्देश्य से तथ्यात्मक रूप से अस्थिर राष्ट्र-विरोधी आख्यानों के रणनीतिक आयोजनों” का खंडन करने का आह्वान किया।

यह कहते हुए कि हाल के वर्षों में शासन व्यवस्था बेहतर हुई है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि विशेषाधिकार प्राप्त वंशावली अब गलियों में धूमिल हो रही है। उन्होंने कहा, “लोकतांत्रिक मूल्य और सार गहरा हो रहा है क्योंकि कानून के समक्ष समानता को अनुकरणीय तरीके से लागू किया जा रहा है और भ्रष्टाचार अब एक व्यापारिक वस्तु नहीं रह गया है। पहले यह अनुबंध, भर्ती, अवसर तक पहुंचने का एकमात्र साधन था।”

यह कहते हुए कि कुछ विशेषाधिकार प्राप्त वंशावली पहले सोचते थे कि वे कानूनी प्रक्रिया से सुरक्षित हैं और कानून उन तक नहीं पहुंच सकता है, उपराष्ट्रपति महोदय ने प्रशन किया, “हमारे जैसे लोकतांत्रिक देश में कोई दूसरों की तुलना में अधिक समान कैसे हो सकता है?” इस क्रांति में सिविल सेवकों के योगदान को मान्यता देते हुए उन्होंने युवा अधिकारियों से कहा कि कानून के समक्ष समानता जो लंबे समय से हमसे दूर थी और भ्रष्टाचार जो प्रशासन की रगों में खून की तरह बह रहा था, अब अतीत की बात है।

इस बात की प्रशंसा करते हुए कि हमारे सत्ता के गलियारों को उन भ्रष्ट तत्वों से मुक्त कर दिया गया है, जो निर्णय लेने में कानूनी रूप से अतिरिक्त लाभ उठाते हैं, उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि देश को निराशा से बाहर निकाला गया है। उन्होंने कहा कि भारत आशा और संभावना की भूमि बन गया है। यह कहते हुए कि पूरे देश में उत्साह का माहौल है, उपराष्ट्रपति महोदय ने बल देकर कहा, “भारत अब सोता हुआ देश नहीं है। यह गतिमान देश है।”

इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि हमारी वैश्विक छवि बढ़ रही है, उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने कहा कि शायद ही कोई सप्ताह गुजरता हो जब हमारी नौसेना ने आपूर्ति श्रृंखलाओं को बचाने या समुद्री डकैती के पीड़ितों को बचाने के लिए काम नहीं किया हो। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय को हमारी नौसेना की उपलब्धि पर गर्व होगा।

उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि हमारी लोकतांत्रिक राजनीति के लिए सबसे बड़ी चुनौती उन लोगों से उत्पन्न हो रही है जो लंबे समय से व्यवस्था का हिस्सा रहे हैं, सत्ता के पदों पर रहे हैं, जिनके पास राष्ट्र के विकास में योगदान करने का अवसर था और सत्ता या सत्ता से बाहर होने के बाद उनमें राष्ट्र के विकास के पथ के प्रति कम भूख है। उन्होंने कहा कि युवा मन से कुछ प्रतिकार की आवश्यकता है।

यह चेतावनी देते हुए कि लोकतंत्र के लिए इससे अधिक चुनौतीपूर्ण कुछ नहीं हो सकता, उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि विषय को अच्छी तरह से जानने वाला एक जागरूक दिमाग लोगों की अज्ञानता का फायदा उठाने के लिए गलत बयान देने वाले लोगों को बेनकाब करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “कुछ व्यक्ति, जो एक बार सत्ता या सत्ता से बाहर होने के बाद सत्ता के पदों पर रहे हैं, उनमें राष्ट्र के विकास पथ के प्रति कम भूख है।”

अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति महोदय ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) परिवीक्षाधीन अधिकारियों से कहा कि लोग उन्हें आदर्श के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा, “आपको ऐसे कार्यों से उदाहरण पेश करना होगा जो अनुकरणीय हों, युवा प्रतिभाओं को प्रेरित और उत्साहित करें तथा किसी भी क्षमता में बड़ों की प्रशंसा प्राप्त करें।” हमारे सभ्यतागत मूल्यों को अपना मार्गदर्शक सिद्धांत बताते हुए, उपराष्ट्रपति महोदय ने युवा अधिकारियों से “सेवा भाव और समानुभूति – सेवा और सहानुभूति की भावना” के साथ काम करने को कहा।

इस अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के निदेशक श्री श्रीराम तरणीकांति और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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15 गीगावॉट की कुल क्षमता के साथ जलविद्युत परियोजनाएं निर्माणाधीन

देश में 15 गीगावॉट की कुल क्षमता वाली जलविद्युत परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। 2031-32 तक पनबिजली क्षमता 42 गीगावॉट से बढ़कर 67 गीगावॉट होने की संभावना है, जो वर्तमान क्षमता के आधे से अधिक की वृद्धि है।

भारतीय मौसम विभाग ने चालू वित्त वर्ष में अधिक बारिश की भविष्यवाणी की है। इसके अलावा, हिमालय क्षेत्र में स्थित जलविद्युत परियोजनाओं को बर्फ पिघलने से आधार प्रवाह मिलता है, यानी, वर्षा या बर्फ पिघलने से उत्पन्न प्रवाह; इसलिए, तापमान में किसी भी वृद्धि से बर्फ पिघलने का योगदान बढ़ जाएगा।

इसके अलावा, देश में चल रहे ऊर्जा परिवर्तन को देखते हुए, ग्रिड को अधिक जड़ता और संतुलन शक्ति प्रदान करने के लिए पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट्स (पीएसपी) का विकास महत्वपूर्ण हो जाता है। पीएसपी को ‘वॉटर बैटरी’ के रूप में भी जाना जाता है, जो आधुनिक स्वच्छ ऊर्जा प्रणालियों के लिए एक आदर्श पूरक है।

वर्तमान में, 2.7 गीगावॉट की कुल क्षमता वाले पीएसपी देश के कुछ भागों में निर्माणाधीन हैं और अन्य 50 गीगावॉट विकास के विभिन्न चरणों में हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि 2031-32 तक पीएसपी क्षमता 4.7 गीगावॉट से बढ़कर लगभग 55 गीगावॉट हो जाएगी।

वर्ष 2023-24 में जल विद्युत उत्पादन में गिरावट क्यों?

वर्ष 2022-23 की तुलना में वर्ष 2023-24 में जल विद्युत उत्पादन में गिरावट के लिए केवल कम वर्षा को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। दक्षिणी क्षेत्र में, जो उत्पादित कुल जल ऊर्जा का लगभग 22 प्रतिशत योगदान देता है, कम वर्षा ने वास्तव में एक भूमिका निभाई है। हालाँकि, उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में जल विद्युत परियोजनाएँ, जिनमें कुल जल ऊर्जा उत्पादन का 60 प्रतिशत से अधिक शामिल है, 2023-24 में प्राकृतिक आपदाओं से गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं। जुलाई 2023 में, हिमाचल प्रदेश में अचानक बाढ़ आ गई, जिससे क्षेत्र के कई बिजली स्टेशनों ने काम करना बंद कर दिया। इसके अलावा, अक्टूबर 2023 में पूर्वी क्षेत्र में अचानक आई बाढ़ ने कई जलविद्युत स्टेशनों के संचालन में बाधा उत्पन्न की है, जिससे उत्पादन गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है।

किसी भी नदी बेसिन का जल विज्ञान परिवर्तनशील होता है और कुछ अवधि के वैकल्पिक गीले और सूखे दौर का अनुसरण करता है। अतीत में कम वर्षा का मतलब यह नहीं है कि भविष्य में भी उसी प्रकार की वर्षा अनिवार्य रूप से होगी।

जलाशयों की क्षमता के अनुसार फिर से भरने की संभावना

हालांकि 2018 के बाद से सबसे हल्की बारिश के कारण कुछ जलाशयों में जल स्तर कम हो गया है, सरकार भविष्य को लेकर काफी आशावादी है।

वित्त वर्ष 2024-25 में अच्छे मानसून की आईएमडी की भविष्यवाणी प्रवृत्ति के संभावित उलट होने की बात कहती है। वर्षा में यह प्रत्याशित वृद्धि जलाशयों की उन क्षमताओं को फिर से भरने में योगदान कर सकती है जो पिछले वर्ष कम वर्षा के दौरान नष्ट हो गई थीं।

इसके अलावा, मौजूदा मंदी दीर्घकालिक गिरावट का संकेत देने के बजाय अस्थायी हो सकती है।

विद्युत प्रणाली में जल संबंधी योगदान

यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि देश ऊर्जा परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जिसमें सौर और पवन ऊर्जा का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके अलावा, सौर ऊर्जा से बिजली दिन के उस समय उपलब्ध होती है जो बिजली की अधिकतम मांग से मेल नहीं खाती है।

पनबिजली ने हमेशा देश के ऊर्जा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बिजली ग्रिड को अधिकतम मांग के समय आवश्यक सहयोग दिया है, जिससे बिजली प्रणाली की विश्वसनीयता और लचीलापन बढ़ा है।

कुल ऊर्जा मिश्रण में जल संबंधी हिस्सा और जल क्षमता में वृद्धि की गति

पनबिजली परियोजनाओं का विकास प्राकृतिक आपदाओं, भूवैज्ञानिक आश्चर्यों और अनुबंध संबंधी विवादों जैसे विभिन्न मुद्दों के कारण बाधित हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप हाल के वर्षों में पनबिजली क्षमता में धीमी वृद्धि हुई है।

 

फिर भी, सीओपी पेरिस समझौते के तहत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) में भारत द्वारा निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाना, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत कम करना और वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से 50 प्रतिशत स्थापित विद्युत ऊर्जा क्षमता हासिल करना है। सरकार ने त्वरित प्रगति के लिए प्रयास करते हुए जल विद्युत विकास के प्रति सक्रिय रुख अपनाया है।

भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि

हाल के वर्षों में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 30.11.2021 तक, देश की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षमता 150.54 गीगावॉट (सौर: 48.55 गीगावॉट, पवन: 40.03 गीगावॉट, लघु पनबिजली: 4.83 गीगावॉट, बायो-पावर: 10.62 गीगावॉट, बड़ी पनबिजली: 46.51 गीगावॉट) थी जबकि इसकी परमाणु ऊर्जा आधारित स्थापित क्षमता 6.78 गीगावॉट थी। इससे कुल गैर-जीवाश्म-आधारित स्थापित ऊर्जा क्षमता 157.32 गीगावॉट हो गई है, जो उस समय की कुल स्थापित बिजली क्षमता 392.01 गीगावॉट का 40.1 प्रतिशत है। इस प्रकार, भारत ने अपनी प्रतिबद्धता से लगभग नौ साल पहले, गैर-जीवाश्म ईंधन से अपनी स्थापित बिजली क्षमता का 40 प्रतिशत से अधिक हासिल करके सीओपी 21 पेरिस शिखर सम्मेलन में की गई अपनी प्रतिबद्धता को पूरा कर लिया है।

भारत एकमात्र जी20 देश है जिसने जलवायु परिवर्तन पर पेरिस में की गई सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है।

इसके बाद, भारत ने ग्लासगो सीओपी26 में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को अपग्रेड किया और अगस्त 2022 में अपने नवीनतम एनडीसी को यूएनएफसीसीसी को सूचित किया, जिसमें शामिल हैं:

  • जलवायु परिवर्तन से निपटने की कुंजी के रूप में लाइफ‘ – ‘पर्यावरण के लिए जीवन शैली के लिए एक जन आंदोलन सहित संरक्षण और संयम की परंपराओं और मूल्यों के आधार पर जीवन जीने के एक स्वस्थ और टिकाऊ तरीके को आगे बढ़ाना और प्रचारित।

बी. 2005 के स्तर से 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करना।

सी. ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ) सहित प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और कम लागत वाले अंतरराष्ट्रीय वित्त की सहायता से, 2030 तक गैर-जीवाश्म-ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50 प्रतिशत संचयी विद्युत स्थापित क्षमता प्राप्त करना।

साथ ही, भारत वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 50 प्रतिशत की प्रतिबद्ध क्षमता से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य बना रहा है। 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन उत्पादन क्षमता को पूरा करने के लिए, ट्रांसमिशन योजना पहले ही बनाई जा चुकी है। नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लिए बोलियां तैयार कर ली गई हैं और उन्हें अंतिम रूप दे दिया गया है।

अखिल भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन (बड़े हाइड्रो को छोड़कर) 15.47 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) पर 2014-15 में 61.7 बिलियन यूनिट से बढ़कर 2023-24 में 225.5 बिलियन यूनिट हो गया है।

इसी प्रकार, नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता (बड़े हाइड्रो को छोड़कर) में वृद्धि 31.03.2015 को 38.96 गीगावॉट से बढ़कर 29.02.2024 को 136.57 गीगावॉट हो गई है, जो 14.94 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) पर है।

साथ ही, 2014-15 से 2023-24 तक अखिल भारतीय सौर ऊर्जा उत्पादन की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 42.97 प्रतिशत है।

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निर्वाचन आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदाताओं की संख्‍या बढ़ाने के लिए पहली बार, चुनिंदा जिलों के निगम आयुक्तों और जिला चुनाव अधिकारियों के साथ ‘मतदान में कम सहभागिता पर सम्मेलन’ आयोजित किया

2024 के आम चुनावों के लिए मतदान से पहले, भारत का निर्वाचन आयोग (ईसीआई) पिछले आम चुनावों में मतदाताओं की कम भागीदारी वाले संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों (पीसी) में मतदाता संख्‍या बढ़ाने के प्रयासों में तेजी ला रहा है। निर्वाचन सदन, नई दिल्ली में आज आयोजित एक दिवसीय ‘मतदान में कम सहभागिता पर सम्मेलन’ में, प्रमुख शहरों के निगम आयुक्तों और बिहार व उत्‍तर प्रदेश के चुनिंदा जिला चुनाव अधिकारियों (डीईओ) ने चिन्हित शहरी और ग्रामीण पीसी में मतदाताओं के चुनाव से जुड़ने और उनकी भागीदारी बढ़ाने की दिशा में एक रास्ता तैयार करने के लिए एक साथ विचार-विमर्श किया। इस सम्मेलन की अध्यक्षता मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार के साथ चुनाव आयुक्तों श्री ज्ञानेश कुमार और श्री सुखबीर सिंह संधू ने की। इस अवसर पर आयोग द्वारा मतदाताओं की उदासीनता पर एक पुस्तिका का विमोचन किया गया।

लोकसभा के 2019 के आम चुनावों में 11 राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों अर्थात् बिहार, उत्‍तर प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, तेलंगाना, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, जम्मू और कश्मीर व झारखंड में मतदान प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 67.40 प्रतिशत से कम था। 2019 में राष्ट्रीय औसत से कम मतदान वाले 11 राज्यों के कुल 50 ग्रामीण संसदीय क्षेत्रों में से 40 संसदीय क्षेत्र उत्‍तर प्रदेश (22 संसदीय क्षेत्र) और बिहार (18 संसदीय क्षेत्र) से हैं। यूपी में 51-फूलपुर संसदीय क्षेत्र में सबसे कम 48.7 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि बिहार में 29-नालंदा संसदीय क्षेत्र में सबसे कम 48.79 प्रतिशत मतदान हुआ।

निगम आयुक्तों और डीईओ को संबोधित करते हुए, सीईसी श्री राजीव कुमार ने कहा कि कम मतदान प्रतिशत वाले कुल 266 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों (215 ग्रामीण और 51 शहरी) की पहचान की गई है और सभी संबंधित निगम आयुक्तों, डीईओ और राज्य सीईओ को लक्षित तरीके से मतदाताओं तक पहुंचने के तरीकों का पता लगाने के लिए आज बुलाया गया है। उन्होंने मतदान केन्‍द्रों पर कतार प्रबंधन, भीड़भाड़ वाले इलाकों में शेल्टर पार्किंग जैसी सुविधा प्रदान करने; लक्षित पहुंच एवं जानकारी; और लोगों को मतदान केंद्रों पर आने के लिए मनाने के लिए आरडब्ल्यूए, स्थानीय आइकन और युवा प्रभावशाली लोगों जैसे महत्वपूर्ण हितधारकों की भागीदारी की त्रिआयामी रणनीति पर जोर दिया।

सीईसी कुमार ने उन्हें बढ़ी हुई भागीदारी और व्यवहार परिवर्तन के लिए बूथवार कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया। उन्होंने सभी एमसी और डीईओ को शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग रणनीति तैयार करने और अलग-अलग लक्षित दर्शकों के लिए तदनुसार कार्य योजना बनाने के लिए कहा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “सभी के लिए एक ही तरह की रणनीति ” वाले दृष्टिकोण से परिणाम नहीं मिलेंगे। सीईसी कुमार ने अधिकारियों से इस तरह से कार्य करने का भी आग्रह किया जिससे मतदाताओं में लोकतांत्रिक उत्सव में भाग लेने का गौरव पैदा हो। उन्होंने एक ऐसे आंदोलन का आह्वान किया जिसमें लोग मतदान करने के लिए स्वयं-प्रेरित हों।

ईसीआई और प्रमुख हितधारकों के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास वाला यह सम्मेलन, मतदाताओं की उदासीनता दूर करने, लॉजिस्टिक संचालन को सुव्यवस्थित करने और मतदाताओं की सहभागिता बढ़ाने के लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार करने पर केंद्रित था। चर्चाएं मतदान केंद्रों पर कतार प्रबंधन को अनुकूलित करने, ऊंची इमारतों में मतदान की सुविधा प्रदान करने और प्रभावशाली व्यवस्थित मतदाता शिक्षा व चुनावी भागीदारी (एसवीईईपी) कार्यक्रम का लाभ उठाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर केन्‍द्रित थी।

साझेदारी और समावेशिता पर जोर देते हुए, ईसीआई ने निगम आयुक्तों और डीईओ से इस पहल में सक्रिय रूप से योगदान देने का आग्रह किया। मतदाताओं की सहभागिता में वृद्धि के लिए शहरी विशिष्ट बाधाओं की पहचान की गई और लक्षित शहर विशिष्ट कार्यों की योजना बनाई गई और अधिकारियों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं एवं जनसांख्यिकी के अनुरूप, क्षेत्र-विशिष्ट पहुंच कार्यक्रम विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस दृष्टिकोण के अनुरूप, ईसीआई ने एसवीईईपी के तहत नवीन मतदाता जागरूकता अभियानों की एक श्रृंखला की रूपरेखा तैयार की, जिसमें शामिल हैं:

  • आवश्यक चुनाव संदेशों से सुसज्जित सार्वजनिक परिवहन और स्वच्छता वाहन चलाना।
  • व्यापक प्रसार के लिए उपयोगिता बिलों में मतदाता जागरूकता संदेशों को शामिल करना।
  • रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) और मतदाता जागरूकता मंचों के साथ सहयोग करना।
  • पार्क, बाज़ार और मॉल जैसे लोकप्रिय सार्वजनिक स्थानों पर जानकारी से भरे सत्रों की मेजबानी करना।
  • मतदाताओं में रुचि जगाने के लिए मैराथन, वॉकाथन और साइक्लोथॉन जैसे आकर्षक कार्यक्रम आयोजित करना।
  • मतदाता शिक्षा सामग्री का प्रसार करने के लिए होर्डिंग्स, डिजिटल स्पेस, कियोस्क और कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) सहित विभिन्न प्लेटफार्मों का उपयोग करना।
  • व्यापक मतदाता पहुंच और जुड़ाव के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की शक्ति का लाभ उठाना।

इस सम्मेलन में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे, ठाणे, नागपुर, पटना साहिब, लखनऊ और कानपुर के नगर आयुक्तों के साथ-साथ बिहार और उत्‍तर प्रदेश के चुनिंदा जिला चुनाव अधिकारियों ने भाग लिया। सीईओ बिहार, सीईओ उत्‍तर प्रदेश, सीईओ महाराष्‍ट्र और सीईओ दिल्ली ने भी सम्मेलन में भाग लिया, जिसमें 7 राज्यों कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पंजाब के सीईओ वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए।

पृष्ठभूमि:

लगभग 297 मिलियन पात्र मतदाताओं ने 2019 में लोकसभा के आम चुनावों में मतदान नहीं किया, जो समस्या के पैमाने को रेखांकित करता है जिसके लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता है। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों में हाल के चुनावों ने चुनावी प्रक्रिया के प्रति शहरी उदासीनता के रुझान को दर्शाता है, जिसके लिए लक्षित उपायों और सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता है।

 

 

लोकसभा के 2019 के आम चुनाव में सबसे कम मतदान वाले 50 संसदीय क्षेत्रों में से 17 महानगरों या प्रमुख शहरों में पाए गए जो शहरी उदासीनता की दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृत्ति को दर्शाते हैं। पिछले कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी यही प्रवृत्ति देखी गई है। 2022 में गुजरात राज्य विधानसभा के चुनाव में, कच्छ जिले के गांधीधाम विधानसभा क्षेत्र, जहां औद्योगिक प्रतिष्ठान हैं, ने सबसे कम मतदान प्रतिशत 48.14 दर्ज किया, जो 2017 में पिछले चुनाव की तुलना में लगभग 6 प्रतिशत की जबरदस्‍त गिरावट है, जो एक नया निचला स्तर दर्ज करता है। इसी प्रकार, 2022 में हिमाचल प्रदेश के जीई से एसएलए, शिमला जिले (राज्य की राजधानी) में शिमला एसी में राज्य के औसत मतदान प्रतिशत 75.78 प्रतिशत के मुकाबले सबसे कम 63.48 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। यह देखा गया है कि प्रतिशत के मामले में सूरत के शहरी विधानसभा क्षेत्रों की तुलना में सभी ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों में अधिक मतदान हुआ है। सूरत के सबसे निचले शहरी एसी और सबसे ज्यादा ग्रामीण एसी में अंतर 25 प्रतिशत तक है। इसी प्रकार, कर्नाटक 2023 के राज्य विधानसभा चुनाव में, बैंगलोर (बैंगलोर दक्षिण) में एसी बोम्मनहल्ली ने राज्य के औसत वीटीआर 73.84 प्रतिशत की तुलना में सबसे कम 47.5 प्रतिशत वीटीआर दर्ज किया।

लोकसभा आम चुनाव-2019 में सबसे कम वीटीआर वाले 50 पीसी की सूची

क्र.सं. राज्‍य का नाम पीसी संख्‍या पीसी का नाम पीसी वीटीआर (प्रतिशत) राज्‍य वीटीआर (प्रतिशत)
1 जम्‍मू और कश्‍मीर 3 अनंतनाग 8.98 44.97
2 जम्‍मू और कश्‍मीर 2 श्रीनगर 14.43 44.97
3 जम्‍मू और कश्‍मीर 1 बारामूला 34.60 44.97
4 तेलंगाना 9 हैदराबाद 44.84 62.77
5 महाराष्‍ट्र 24 कल्‍याण 45.31 61.02
6 बिहार 30 पटना साहिब 45.80 57.33
7 तेलंगाना 8 सिकंदराबाद 46.50 62.77
8 उत्‍तर प्रदेश 51 फूलपुर 48.70 59.21
9 बिहार 29 नालंदा 48.79 57.33
10 बिहार 35 काराकट 49.09 57.33
11 महाराष्‍ट्र 25 ठाणे 49.39 61.02
12 तेलंगाना 7 मलकाजगिरी 49.63 62.77
13 बिहार 39 नवादा 49.73 57.33
14 महाराष्‍ट्र 34 पुणे 49.89 61.02
15 महाराष्‍ट्र 31 मुम्‍बई दक्षिण 51.59 61.02
16 उत्‍तर प्रदेश 43 कानपुर 51.65 59.21
17 बिहार 36 जहानाबाद 51.76 57.33
18 बिहार 32 आरा 51.81 57.33
19 उत्‍तर प्रदेश 52 इलाहाबाद 51.83 59.21
20 उत्‍तर प्रदेश 58 श्रावस्‍ती 52.08 59.21
21 उत्‍तर प्रदेश 59 गौंडा 52.20 59.21
22 उत्‍तर प्रदेश 60 डोमरियागंज 52.26 59.21
23 उत्‍तराखंड 3 अल्‍मोड़ा 52.31 61.88
24 महाराष्‍ट्र 23 भिवंडी 53.20 61.02
25 तेलंगाना 10 चेवेल्‍ला 53.25 62.77
26 उत्‍तर प्रदेश 78 भदोही 53.53 59.21
27 उत्‍तर प्रदेश 39 प्रतापगढ़ 53.56 59.21
28 बिहार 37 औरंगाबाद 53.67 57.33
29 महाराष्‍ट्र 29 मुम्‍बई उत्‍तर मध्‍य 53.68 61.02
30 कर्नाटक 26 बेंगलौर दक्षिण 53.70 68.81
31 बिहार 6 मधुबनी 53.81 57.33
32 बिहार 19 महाराजगंज 53.82 57.33
33 बिहार 33 बक्‍सर 53.95 57.33
34 उत्‍तर प्रदेश 37 अमेठी 54.08 59.21
35 उत्‍तर प्रदेश 62 संत कबीर नगर 54.20 59.21
36 कर्नाटक 25 बेंगलौर सेंट्रल 54.32 68.81
37 उत्‍तर प्रदेश 72 बलिया 54.35 59.21
38 महाराष्‍ट्र 27 मुम्‍बई उत्‍तर पश्चिम 54.37 61.02
39 उत्‍तर प्रदेश 57 कैसरगंज 54.39 59.21
40 मध्‍य प्रदेश 2 भिंड 54.53 71.20
41 उत्‍तर प्रदेश 50 कौशाम्‍बी 54.56 59.21
42 बिहार 34 सासाराम (अनुसूचित जाति के सुरक्षित) 54.57 57.33
43 बिहार 18 सीवान 54.73 57.33
44 कर्नाटक 24 बेंगलौर उत्‍तर 54.76 68.81
45 उत्‍तर प्रदेश 35 लखनऊ 54.78 59.21
46 उत्‍तर प्रदेश 68 लालगंज 54.86 59.21
47 बिहार 28 मुंगेर 54.90 57.33
48 महाराष्‍ट्र 10 नागपुर 54.94 61.02
49 उत्‍तराखंड 2 गढ़वाल 55.17 61.88
50 राजस्‍थान 10 करौली-धौलपुर 55.18 66.34

नोट : रंगीन पृष्ठभूमि वाली पंक्तियों के पीसी को मेट्रो या प्रमुख शहरों के पीसी के रूप में पहचाना जाता है।

इन चुनौतियों के जवाब में, ईसीआई ने मतदाता भागीदारी और भागीदारी को फिर से मजबूत करने के उद्देश्य से कई पहल लागू की हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • मतदान केन्‍द्रों पर लक्षित हस्तक्षेप के लिए टर्नआउट अमल योजना (टीआईपी) तैयार करना।
  • विविध जनसांख्यिकीय समूहों के मतदान केंद्रों के लिए जिला-विशिष्ट थीम तैयार करना।
  • मतदाता की पहुंच और जागरूकता प्रयासों का विस्तार करने के लिए प्रमुख हितधारकों के साथ सहयोग करना।
  • रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से शिक्षा प्रणाली में चुनावी साक्षरता को औपचारिक बनाना।
  • युवा मतदाताओं से जुड़ने और उन्हें प्रेरित करने के लिए राष्ट्रीय प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल करना।
  • एकीकृत मल्टीमीडिया अभियान और #MeraVoteDeshkeLiye जैसी लक्षित पहल शुरू करना।
  • मतदान केन्‍द्रों पर नवीनतम मतदाता सूची और सरलता से पहुंचने योग्‍य बुनियादी ढांचा सुनिश्चित करना
  • नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने और पारदर्शिता के लिए आईटी एप्‍लिकेशन्‍स के उपयोग को बढ़ावा देना।
  • चुनावों के निर्बाध संचालन के लिए चुनाव अधिकारियों को निरंतर प्रशिक्षण प्रदान करना।

भारत का निर्वाचन आयोग नागरिकों को सक्रिय रूप से शामिल करके और मतदाताओं की भागीदारी में आने वाली बाधाओं को दूर करके एक जीवंत लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

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